डेस्क : आपने हाईवे पर सड़कों के किनारे लगे हुए रिफ्लेक्टर्स जरूर देखे होंगे. इन रिफ्लेक्टर्स की वजह से रात में सड़कों पर चलने और गाड़ी चलाने में और आसानी होती है. यह लाइट कुछ-कुछ दूरी पर लगी रहती हैं और रातभर ब्लिंक भी करती रहती हैं. क्या आपने इस बात पर कभी भी गौर किया कि इसमें लाइट कहां से आती है. आखिर बिना बिजली के यह रात में कैसे जलते रहते हैं? दिन में ये लाइट्स बंद होती है तो इनको रात में आखिर कौन जलता है? आपको बता दें कि यह रिफ्लेक्टर दिखने में जितने पेचिदा नजर आते हैं. उनके काम करने तरीका उतना ही आसान होता है.
ऐसे चमकती हैं ये लाइट :
ऐसे चमकती हैं ये लाइट : सड़कों के किनारे लगे इन रोड लाइट को स्टड नाम से भी जानते है. ये किसी साइकिल के पैडल की तरह ही होते हैं जिनमें 2 तरह के रिफ्लेक्टर होते हैं, एक को एक्टिव रिफलेक्टर और दूसरे को पेसिव रिफलेक्टर कहा जाता हैं. कई रिफलेक्टर्स में रेडियम की वहज से रोशनी रहती है जबकि कुछ में लाइट के लिए LED बल्ब लगाया जाता है.
क्या हैं एक्टिव रिफलेक्टर और पेसिव रिफलेक्टर :
क्या हैं एक्टिव रिफलेक्टर और पेसिव रिफलेक्टर : पेसिव रिफलेक्टर रेडियम की वजह से ही चमकते हैं. इनमें दोनों तरफ रेडियम की पट्टी भी लगी होती है और जब रात में किसी गाड़ी की रोशनी इस पर पड़ती है तो यह और चमकने लगता है. पेसिव रिफलेक्टर के लिए इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत नहीं पड़ती है. जबकि एक्टिव रिफलेक्टर को जलने के लिए इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत होती है. इनमें LED बल्ब फिट किया जाता है जिसकी वजह से ये रात में ब्लिंक करते रहते हैं. इन रिफलेक्टर्स को जलाने के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल भी किया जाता है जिसके जरिए इनको इलेक्ट्रिसिटी मिलती है. इनको आप एक तरह की सोलर लाइट भी कह सकते हैं.
रात में ऐसे जल जाती है ये लाइट :
रात में ऐसे जल जाती है ये लाइट : आपको बता दें कि रात्रि के समय में इनको जलाने के लिए किसी की जरूरत नहीं होती है और न ही सुबह के समय इनको कोई बंद करता है. इन लाइट्स में एक सेंसर लगा होता है जिसे LDR कहते हैं. जैसे ही रात होती इस सेंसर की मदत से सभी लाइट्स जलने लगती हैं और सुबह खुद बंद हो जाती है.