पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव
कई वर्षों से पूर्व के नगर पालिका एवं वर्तमान में नगर निगम क्षेत्रों में बस रहे भंगी समाज के लोगों को सरकारी भूमि का पर्चा नहीं मिल पाया है। पूर्व की सरकार के द्वारा स्मार्ट सिटी के नाम पर इन भूमिहीनों को ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि उपलब्ध कराकर पक्के बहुमंजिला मकान बनाने का आदेश निर्गत किया गया है ,जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। शहरों को स्वच्छ सुंदर बनाने एवं कचड़ा निष्पादन में लगे समुदाय के साथ आज भी अस्पृश्यता को ध्यान में रखकर शहरी क्षेत्र से बेदखल करने की साजिश की गई है। वर्तमान सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री माननीय लालू प्रसाद के विजन को, जिन्होंने राजधानी पटना जैसे महानगरों में गरीब, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को पक्के मकान बनाकर आवास उपलब्ध कराने का ऐतिहासिक कार्य किया था
प्रोफेसर आलोक ने पूर्णिया प्रमंडल के आयुक्त से खासमहाल एवं बिहार सरकार की भूमि प्राथमिकता के आधार पर सफाई कर्मी भंगी समाज एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के गरीब परिवारों को कम से कम 5 डिसमिल भूमि पक्के मकान सहित उपलब्ध कराने की मांग किया है। प्रोफेसर आलोक ने अंचल कार्यालय में नामांतरण एवं लगान निर्धारण के नाम पर लूट खसोट एवं शहरी क्षेत्र में आम लोगों के नामांतरण एवं लगान निर्धारण में पारदर्शिता के आधार पर राज्य सरकार के आदेश के अनुपालन कराने के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। शहरी क्षेत्र में लगान निर्धारण नहीं होने के कारण सरकारी सेवक एवं अन्य नागरिकों को ऋण लेने एवं रोजगार से संबंधित कागजात में घोर परेशानी उत्पन्न हो रहा है साथ ही राज्य सरकार को करोड़ों रूपये राजस्व की क्षति हो रही है।