डेस्क : बिहार में कुछ फर्जी फार्मासिस्टों द्वारा अस्पताल और मेडिकल स्टोर चलाये जाने पर उच्चतम न्यायालय ने एक सख्त रुख अपनाते हुए बिहार सरकार को फटकार लगायी हैं और ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करने को भी कहा. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि फार्मेसी काउंसिल और बिहार सरकार की यह जिम्मेदारी है कि अस्पताल और मेडिकल स्टोर पंजीकृत फार्मासिस्ट के द्वारा ही संचालित हो.
लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं हैं
लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं हैं
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एमआर शाह और न्यायाधीश एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह कहा कि आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती है. ऐसे में अस्पताल और मेडिकल स्टोर का संचालन काबिल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही कर सकते हैं
दुबारा सुनवाई करने का आदेश
दुबारा सुनवाई करने का आदेश
खण्ड पीठ ने पटना हाइकोर्ट में बिहार में फर्जी फार्मासिस्ट और फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली अर्जी पर दोबारा सुनवाई करने का आदेश पारित करते हुए जनहित याचिका को फिर से बहाल कर दिया. साथ ही हाइकोर्ट को यह आदेश दिया कि वह इस मामले में बिहार सरकार और फार्मेसी काउंसिल को यह पता लगाने को भी कहे कि राज्य में ऐसे कितने सरकारी, निजी अस्पताल और मेडिकल स्टोर का संचालन फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा हो रहा हैं.
एक हलफनामा दाखिल करने को कहे