पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव
पूर्णिया : वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। दूसरी ओर मौसमी बीमारियों की समस्या भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। हल्की बारिश होने के बाद से तीखी मिर्ची जैसी धूप और उमस ने जिलेवासियों की परेशानी दोगुनी कर दी है। इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। जुलाई के मौसम में भीषण गर्मी और देर रात मौसम नम होने के चलते लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि बरसात के बाद अत्यधिक गर्मी एवं नमी से सबसे ज़्यादा नवजात शिशुओं, 15 वर्ष तक के आयुवर्ग के बच्चों सहित बुजुर्गो पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती हैं
अत्यधिक गर्मी के कारण सरदर्द, तेज बुखार, अर्धचेतना तथा मरीज़ों में पहचानने की क्षमता नहीं होना, शरीर में अचानक चमकी का होना अथवा पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी अंग में लकवा मार देना या हाथ-पैर अकड़ जाना, बच्चे का शारीरिक व मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना आदि सामान्य है। ऐसे लक्षणों को देखने के साथ ही गांव की आशा, एएनएम या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर अथवा सीधे अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से चिकित्सीय परामर्श एवं उपचार में विलंब नहीं करना चाहिए। थोड़ी सी लापरवाही मरीज की स्थिति गंभीर कर सकती है। सिविल सर्जन ने कहा कि बच्चों को तेज धूप से बचाते हुए ओआरएस का घोल पिलाते रहना चाहिए
हल्के और सुपाच्य भोजन करना बेहतर : डॉ अग्रवाल
ग़ैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ विष्णु प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि मौसम में हो रहे बदलाव के कारण गले में संक्रमण, खांसी, जुकाम, बुखार के साथ ही बदन दर्द के मरीज़ों की संख्या बढ़ने वाली हैं। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल के ओपीडी में सर्दी-जुकाम, बुखार, गला में जकड़न के साथ बदन दर्द से ग्रसित मरीजों की संख्या में इज़ाफ़ा होने लगा है। ओपीडी में बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग भी मौसमी बीमारियों की चपेट में तेजी से आने लगे हैं। ओपीडी में अधिक मरीज वायरल बीमारियों से संक्रमित आ रहे हैं। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा ओपीडी में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायी जा रही है। आवश्यक दवाओं का वितरण भी निःशुल्क किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हल्के सुपाच्य भोजन करने एवं रात को बच्चों को भरपेट खाना खिलाने के बाद ही सोने दे।
वर्तमान समय के मौसम में कुछ इस तरह से किया जा सकता है बचाव:
-खुद को हाइड्रेटेड रखें और अधिक से अधिक शुद्ध पेयजल का सेवन करें।
-गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचें और हल्के रंग के सूती कपड़े पहनना ज़्यादा आरामदायक।
-घर के आसपास तथा नालियों में ब्लीचिग पाउडर का करें छिड़काव।
-सभी रुके हुए जल संग्रहण के स्थानों पर कीटनाशक दवा या चूना पावडर का छिड़काव करें।
-कूलर में पानी को इकठ्ठा नही होने दें और नियमित रूप से उसकी सफाई करते रहे।