स्थानीय बबुरबन्ना मोहल्ले में साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के मौके पर शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता में बबुरबन्ना स्थित पंचाने नदी के तट मसान (श्मशान घाट) पर बरगद का पौधा लगा कर बांस के फट्ठी से संरक्षित किया गया।
पौधारोपण करते हुए अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि हर साल 28 जुलाई को दुनिया भर में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। विश्व संरक्षण दिवस हर साल प्राकृतिक संसाधनों का संक्षरण करने के लिए सर्वोत्तम प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। पृथ्वी हमें सीमित मात्रा में ऐसे चीजों की आपूर्ति करती है, जिन पर हम सभी पूरी तरह निर्भर हैं जैसे पानी, हवा, मिट्टी और पेड़-पौधे।
हम प्रकृति से खिलवाड़ करके सुरक्षित जीवन नही जी सकते
साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पर्यावरण का संरक्षण व संवर्द्धन हमारी सामाजिक, राष्ट्रीय व नैतिक जिम्मेदारी हैं। हमें पर्यावरण का दोहन करने से बचना होगा व दूसरों को भी वृक्ष लगाने व पर्यावरण की रक्षा हेतु प्रेरित करना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को अपने आस-पास हरा भरा वातावरण बनाए रखना चाहिए एवं प्रकृति के प्रति सदैव कृतज्ञ होकर इसकी रक्षा के लिए जागरूक रहना चाहिए। अब भी वक़्त है हर व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति सचेत होने का और इसके लिए देश में जागरूकता अभियान चलाने का और देश में चलाए भी जा रहे हैं, अब हर व्यक्ति को इसकी कमान स्वयं के हाथों में लेनी होगी और एक-एक कदम पर जहां भी जो भी प्रकृति का नुकसान कर रहा है उसे रोकें, शुरुआत खुद से करें, अपने घर से करें, पानी संरक्षण करें, पेड़ लगायें, गाड़ी का उपयोग हो सके तो कम करें, मौसम को आत्मीय भाव से महसूस करें। क्योंकि प्रदूषण के कारण ही सारी प्रकृति दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है। कोविड- 19 जैसी महामारियों से हम सीख सकते है कि हम प्रकृति से खिलवाड़ करके सुरक्षित जीवन नही जी सकते।
प्रकृति संरक्षण का उद्देश्य जीव-जंतु एवं वनस्पतियां को बचाना
शंखनाद के सक्रीय सदस्य समाजसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि जल, जंगल और जमीन के बिना हमारी प्रकृति अधूरी है। लेकिन आज के समय में पेड़-पौधे वनस्पतियां बहुत से जीव-जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं। आज के दिन मनाया जाने वाला विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का मूल उद्देश्य विलुप्त हो रहे जीव-जंतु एवं वनस्पतियों को बचाना है।
बढ़ती जनसंख्या प्रकृति के लिए खतरा
वायुसेना के वारंट अफसर अरविन्द कुमार गुप्ता ने कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में विभिन्न प्रजाति के जीव जंतु, प्राकृतिक स्रोत और वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या, बढ़ता प्रदूषण, नष्ट होता पर्यावरण, प्रकृति और पर्यावरण का दोहन ऐसे तमाम कारण हैं, जिनकी वजह से धरती पर जीवन का खतरा उत्पन्न हो रहा है, प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं।
समाजसेवी साधु शरण चौधरी ने कहा कि प्रकृति के प्रति जिम्मेदारियों और जवाबदेहियों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ही हर साल विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर्यावरण प्रेमियों के द्वारा मनाया जाता है।
प्रकृति हमेशा हमें कुछ न कुछ देती है सुरक्षित रखें
समाजसेवी विजय कुमार ने कहा कि प्रकृति हमेशा हमें कुछ न कुछ देती है उसे सुरक्षित रखें। इस से हमें जल, हवा, जडीबुटी, फल, खनिज और बहुत कुछ मिलता है। प्रकृति से हमें जीवन जीने के लिए सब कुछ प्राप्त होता है। यह हमारे लिए जीवनदाई है। आज हमें इसके संरक्षण एवं विकास का संकल्प लेना होगा।
मानव अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है
सुरेश प्रसाद ने कहा कि प्रकृति हमारे जीवन को सरल बनाती है। लेकिन अभी के समय में मानव अपने कुछ स्वार्थ लाभ के लिए प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है। जो हमारे आने वाले पीढ़ियों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए आपसे निवेदन है की प्रकृति की रक्षा के लिए आप जो कर सकते हैं वह करें। और कम से कम अपने जीवन में 5 पेड़ जरुर लगाएं।
मौके पर माहौल को खुशनुमा करने के लिए शंखनाद के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने लोगोंको अपनी गजल- “कहाँ वह धरती है मेरी जान थी, जिसकी हरियाली पहचान उसे मैं ढूँढता हूँ। हवा में ज़हर घुली है आज यह पानी में भी मिला है, आज बचाऊँ आज यहाँ पर जा उसे मैं ढूँढता हूँ”। सूना कर खूब तालियां बटोरी।
इस दौरान समाजसेवी देवनारायण पासवान, राजदेव पासवान, समाजसेवी धीरज कुमार, आकाश कुमार, सेवानिवृत्त पुलिस अवर निरीक्षक ललितेश्वर चौधरी एवं लेखापाल कर्मेन्द्र कुमार, नाई संघ के अध्यक्ष रंजीत कुमार शर्मा सहित बबुरबन्ना एवं शहर के कई प्रतिष्ठित गणमान्य लोगों ने पौधरोपण एवं उसके संरक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।