पूर्णिया/मोहित
कहते है चोर चोर मौसेरा भाई.. कुछ यही हाल पूर्णिया जिले के खुदरा खाद बिक्रेता, थोक बिक्रेता और कृषि विभाग का है। सभी मिलकर आजकल जिले के किसान को लूटने में लगे है। वहीं सरकार है कि खाद कालाबाजारी रोकने का सिंर्फ ढोंग कर रही है।जिले में यूरिया 360 से लेकर 400 रु तक बिक रहा है। महंगा बिकने के पीछे लंबा कमीशन का खेल है। थोक बिक्रेता अपना और सरकारी बाबुओं का कमीशन रखकर जो यूरिया को 245 रु में देना है उसे 320 रु में खाद दुकानदार को दिया जा रहा है। वहीं खाद दुकानदार भी अपना भारी भरकम कमीशन रखकर 360 से 400 तक यूरिया बेच रहे है। यानी सभी तरफ से किसानों को ही चूसा जा रहा है
वहीं अगर बिल देने की बात करे तो ज्यादा पैसा लेने के बाद भी थोक बिक्रेता थोक का बिल देते है, वहीं दुकानदार भी 400 लेकर 266 का ही बिल दे रहा है। वहीं जब यूरिया का पिक सीजन होता है तो खुदरा खाद बिक्रेता ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए अधिकारियों को पत्र लिखकर दबाव भी बनाने की कोशिश करते है। जैसा कि अभी वर्तमान में बायसी अनुमंडल के खुदरा विक्रेताओं ने किया है। सभी बिक्रेताओं ने प्रखंण्ड कृषि पदाधिकारी, बायसी को एक आवेदन सौंपा है जिसमे ठीक बिक्रेताओं पर ज्यादा दाम के साथ साथ अन्य प्रोडक्ट टैग करने का आरोप लगाया है। मगर इन दुकानदारो की चालाकी देखिए कि किसी भी होलसेलर दुकानदार का नाम नहीं लिखा है। यह एक दबाव की राजनीति है ताकि इन्हें 10 से 20 रु कम किया जाय, मगर किसान का एक पैसा इनके द्वारा कम नहीं किया जाएगा। सूत्र बताते है कि बायसी स्थित सदफ नाज एग्रो सेंटर नामक दुकानदार याकूब आलम द्वारा ही बायसी में खाद का रेट तय किया जाता है कि बायसी में कितने में खाद बेचा जाय? वहीं प्रखंण्ड कृषि पदाधिकारी, बायसी का उनके यहाँ बराबर आना जाना है। फिर भी पत्र लिखकर लूट की रणनीति बनाई जा रही है
गुलाबबाग के थोक बिक्रेता हर सीजन में कमाते है करोड़ो
यूरिया का सीजन आते ही गुलाबबाग के खाद बिक्रेताओं के लिए कोई उत्सव से कम नही है। इनलोगो के द्वारा सिंर्फ ब्लैक मार्केटिंग करोड़ो में है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल सिंर्फ 100 करोड़ का यूरिया सिंर्फ ब्लैक मार्केट में बेचा जाता है। कई बार जाँच होता है, ये लोग पकड़े भी जाते है, लाइसेंस भी निलंबित होता है, मगर फिर ये लोग इस धंधे में उतर जाते है। गुलाबबाग स्थित विश्वनाथ अग्रवाल इसका उदाहरण है, जिनके यहाँ नकली खाद, ज्यादा दाम पर खाद बेचने सहित कई गंभीर आरोप प्रूफ भी हो गया। लाइसेंस निलंबन से लेकर थाने तक मे एफआईआर हुआ, मगर आज फिर दुकान खोलकर किसानों को लूटने में लग गया है
अगर सिंर्फ बायसी बिक्रेताओं द्वारा ही दिए आवेदन पर इमानदारी से जाँच हो तो सभी थोक बिक्रेता फस जाएंगे, क्योंकि सभी खुदरा बिक्रेताओं का प्रिंसिपल सर्टिफिकेट के अनुसार ये सभी उन्हें यूरिया सप्लाय करते हैं, यानी इन्ही लोगों की शिकायत खुदरा बिक्रेताओं द्वारा की गई है। यानी कुल मिलाकर सर साल यह कहानी सुनने को मिलती है, न खुदरा बिक्रेता न थोक बिक्रेता, न अधिकारी पर कोई कार्यवाई होती है। यही वजह हैं कि सभी मालामाल हो रहे है और किसान कंगाल हो रहे है।