स्व गुरू सहाय लाल जी की 133 वीं जयंती मनाई गई |

कतरी सराय प्रखंड के बादी गांव में बिहार के महामानव स्व गुरू सहाय लाल जी की 133 वीं जयंती उनके पैतृक गांव बादी में रजनीश कुमार मुन्ना की अध्यक्षता में मनाई गई इस अवसर पर मुख्य अतिथि जिला कांग्रेस कमिटी नालंदा के जिलाध्यक्ष दिलीप कुमार के द्वारा माल्यार्पण एवं उन्हें श्रद्धान्जलि अर्पित किया गया श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वहां पर उपस्थित गुरु सहाय बाबू के अनुयायियों एवं स्कूली छात्राओं को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा कि गुरु सहाय बाबू हमारे आदर्श हैं वह महान शिक्षाविद भी थे उस समय वे अंग्रेजी सरकार की हुकूमत में राजस्व एवं विकास मंत्री के पद पर रहे लेकिन उसके बाद भी पूरे बिहार में इनके द्वारा कई स्कूलों की स्वीकृति प्रदान करा कर उस समय उनका निर्माण कराया गया

जिस का जीता जागता उदाहरण हमारे नालंदा में भी देखने को मिल जाएगा जिसमें टेकनारायण उच्च विद्यालय बादी ,मध्य विद्यालय कुर्मीचक ,मध्य विद्यालय समयागढ़, मध्य विद्यालय कुम्हरा, मध्य विद्यालय सरमेरा, मध्य विद्यालय इस्लामपुर, मध्य विद्यालय कुण्डवापर ऐसे कई स्कूल उस समय इनके द्वारा कई जिले में भी बनवाया गया था स्व गुरू सहाय बाबू सन 1937 में मुख्यमंत्री यूनुस जी के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं विकास मंत्रालय के पद पर रहे उन्होंने उस समय राजस्व मंत्री रहने के बावजूद भी विहार में किसानों के लिए एवं छात्रों के लिए अपना संपूर्ण जीवन योगदान स्वरुप दिया वह आजीवन छात्रों एवं किसानों के लिए लड़ते रहे आजादी के बाद भी वे श्री बाबू के मंत्रिमंडल काल में किसानों के लिए उनकी आवाज उठाते रहते थे सन 1941 से 48 तक पटना जिला परिषद के चेयरमैन रहे इस दौरान भी उन्होंने स्वास्थ शिक्षा का विस्तार एवं सड़क के निर्माण पर काफ़ी जोर दिए

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उन्होंने गांव गांव में आयुर्वेदिक औषधालय खुलवाया साइंस कॉलेज एवं पटना मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ आयुर्वेदिक कॉलेज में भी वे गवर्निंग बॉडी के सदस्य रहे उस समय पटना विश्वविद्यालय के सिनेट मेँ भी अपनी भागीदारी दिए इस दौरान उन्होंने पिछले वर्ग तथा गरीब परिवार के मेघावी छात्रों को प्रोत्साहन राशि के साथ साथ प्रोत्साहित एवं उनकी सहायता भी करते रहे की इनके सहयोग से ही शाहाबाद जिले में त्रिवेणी संघ की स्थापना इसमें यादव कुर्मी एवं कुशवाहा समाज के लोगों की साझेदारी हुई थी इसके तहत उस समय अंग्रेजी हुकुमत में खासकर ग्रामीण इलाको में जमींदार द्वारा जो सामाजिक और आर्थिक शोषण किया जाता था

इसी के चलते उन्होंने शोषितों का संगठन बनाकर उनके अपने अधिकार के लिए तथा अपनी चेतना जगाने के लिए संघर्ष करना सिखाया था त्रिवेणी संघ पिछड़े समाज का बिहार में पहला संगठन था कि उसी तरह सन 1931 में हरनौत में कुर्मी महासभा का भी आयोजन हुआ था सम्मेलन को सफल बनाने में इन्होंने अपनी अग्रणी भूमिका निभाई थी बिहार में पहली बार देशी सरकार की स्थापना मुख्यमंत्री यूनुस जी के नेतृत्व में बनी इस मंत्री मंडल में स्वर्गीय गुरु सहाय बाबू को राजस्व विकास मंत्री बनाया गया था हालांकि सरकार बहुत कम दिन तक चली लेकिन इस अल्प समय में ही इस मंत्रिमंडल में दफा 112के तहत खेती करने वाले छोटे बड़े किसानों को जमींदार के चंगुल एवं शोषण से राहत दिलवाने का काम किए

उनमें पप्रमुखतः कुमार खुदवाने का अधिकार दिलवाना खेत पर मेड लगवाने का अधिकार दिलवाना एवं सबसे प्रमुख उस समय किसानों को अपने खेत से मिट्टी काटने का भी अधिकार नहीं था जिसे स्वर्गीय गुरु सहाय बाबू ने उस समय किसानों को यह सबसे बड़ा अधिकार दिलवाए ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं जिसे स्वर्गीय गुरु सहाय बाबू ने अमलीजामा पहनाए थे आज नालंदा जिलावासियों को ही नहीं पूरे बिहार राज्य के किसान एवंनौजवान छात्रों को इनको अपना आदर्श मानकर इनकी जयंती एवम उनकी पुण्यतिथि गांव गांव और शहर में मनानी चाहिए इस अवसर पर बादी गांव के ही उनके अनुयायी रहे आनंदी बाबू ने छात्र छात्राओं को उनके जीवनी एवं उनके द्वारा किए गए कार्यों को विस्तार से समझाते हुए कहा की आप सभी बच्चे उनके आदर्श पर चलकर ही अपना भविष्य बना सकते हैं इस अवसर पर डॉ गोपाल शरण सिंह सुरेंद्र प्रसाद सिंह मोहन कुमार जितेंद्र प्रसाद सिंह पिंटू कुमार राजीव रंजन गुड्डू उदय कुमार कुशवाहा महेंद्र प्रसाद रिंकू कुमार रविंदर प्रसाद कतरीसराय के प्रखंड विकास पदाधिकारी अंचल अधिकारी के आलावा ग्रामीण जनता के द्वारा भी माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किया गया।।

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