बिहार बीजेपी को शून्य से शुरु करना होगा

बिहार बीजेपी को कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक शैली से सीख लेनी होगी यहां हिन्दू मुसलमान और भारत पाकिस्तान और राष्ट्रवाद से मुखिया का भी चुनाव नहीं जीता जा सकता है ।

पिछले माह ही दिल्ली गये हुए थे उसी दौरान बीजेपी के मित्रों का फोन आया संतोष जी दिल्ली में हैं जी है दिल्ली में हैं मुलाकात होगी क्यों नहीं आज दोपहर बाद फुर्सत में हैं ठीक है तो तय रहा आज शाम पार्टी दफ्तर आइए यहां भी बढ़िया लिट्टी एक दम बिहार वाला खिलाते हैं और साथ में काफी पीते हैं।

तय कार्यक्रम के अनुसार शाम को बीजेपी पार्टी दफ्तर पहुंचे संबित पात्रा जैसे पार्टी के प्रवक्ता के साथ साथ दूसरे राज्यों के तीन चार सांसद भी मौजूद थे ।बिहार को लेकर इन लोगों को खास दिलचस्पी थी क्यों कि लगातार बिहार से कुछ ना कुछ गठबंधन को लेकर खबर आ ही रही थी।

मेरा परिचय ऐसा दिया गया था कि वो लोग इन्तजार कर रहे थे ।संंख्या को देखते हुए तय हुआ कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के बगल वाले हाँल में बैठा जाये बात बिहार पर शुरू हुई और चर्चा में गुजरात के एक सांसद भी मौजूद थे जो मोदी और शाह के काफी करीबी माने जाते थे बात शुरू ही हुई कि क्या सच में नीतीश साथ छोड़ छोड़ रहे हैं, मेरा कहना था किसी भी समय साथ छोड़ देंगे ईडी और सीबीआई के सहारे बहुत दिनों तक रोक नहीं सकते हैं।

तभी एक सांसद ने सवाल किया भाई साहब बिहार में ऐसा क्या है जिससे हमारे पार्टी के नेता भी घबराते हैं कुछ समझ में नहीं आता है कि बिहार में कैसे वापसी हो मोदी जी का भी आठ वर्ष होने को है सब जगह कमल लहराया रहा है लेकिन बिहार में खिल नहीं पा रही है।

मेरी समझ से इसकी तात्कालिक वजह है मोदी और शाह की सियासी सोच मोदी 2024 देख रहे हैं और शाह 2029 देख रहे हैं इस वजह से जो समस्या आपको यूपी में दिख रहा है वही समस्या बिहार में भी पनप रहा है सुशील मोदी सहित बिहार बीजेपी के जो नेता हैं उनको जिस तरीके से मुख्यधारा से हटाया गया है बिना किसी तैयारी के उसका खामियाजा आपके पार्टी को भुगतना पड़ेगा। आपकी पार्टी भी कांग्रेस शैली में ही चलना चाहती है बस एक नेता वो बिहार में नहीं चलेगा और याद रखिएगा बिहार में पार्टी अगर संकट में आयी तो फिर दिल्ली से संभाल नहीं पाइएगा जहां थे वही पहुंच जाइएगा इसलिए नीतीश के साथ आप लोग जो छद्म युद्ध लड़ रहे हैं उससे बिहार पर कब्जा नहीं हो सकता है बिहार का समाज सीधी लड़ाई में विश्वास करता है।
वही बिहार का जो इतिहास है ,आर्थिक संरचना है ,संस्कृति और सामाजिक ताना बाना है उसमें आपकी पार्टी फिट नहीं बैठती है अभी भी बिहार में उस तरह से शहरीकरण नहीं हुआ जैसे देश के अन्य हिस्सों में हुआ है अभी भी ग्रामीण समाज मजबूत है और परम्परागत कृषि बिहार के बड़े आबादी का आर्थिक आधार है ।

प्राचीन इतिहास का भी असर है धर्म और राष्ट्रवाद का पाठ बिहारी के जीन में एक चरित्र में है फिर आजादी के आन्दोलन का गहरा छाप अभी भी बिहार के समाज पर है ।साथ ही आजादी के आन्दोलन के दौरान भी बिहार में कई तरह के आन्दोलन का उदय हुआ जिस वजह से बिहार की जमीन पर संघ और बीजेपी के लिए राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर प्रवेश की जगह उस समय था और ना ही आज है ।

संघ और बीजेपी की पैठ इतने दिनों में बनिया और सवर्ण से आगे नहीं बढ़ पाया है हिन्दू मुसलमान और भारत पाकिस्तान के साथ साथ कुछ योजनाओं के सहारे आप चुनाव जीत लिये लेकिन बनिया, मध्यवर्ग और सवर्ण के अलावे जो नया वर्ग आपके साथ जुड़ा वहां ना तो बाद में संघ पहुंचा और ना ही बीजेपी पहुंची ।



वही बिहार में यूपी जैसा काशी मथुरा और ज्ञानवापी नहीं है जिसको दिखा दिखा कर आप हिन्दू मुसलमान वाले भाव को जगाते रहेंगे यही वजह है कि बिहार ना तो संघ के लिए और ना ही भाजपा के लिए कभी उर्वरा भूमि बन सका।

वही इनते दिनों में आपके पास ऐसा कोई नेता पैदा नहीं हुआ जिसका बिहार में कोई मजबूत सामाजिक आधार के साथ साथ साथ प्रखर वक्ता हो, क्यों कि बिहार के लोग भाषण सुनने के काफी शौकीन रहे हैं उस दौर में भी वाजपेयी जी को वोट भले ही नहीं मिलता था लेकिन लोग उनको जरुर सुनने जाते थे लेकिन आडवाणी जी के नाम पर लोग जुट जरुर जाते थे लेकिन जैसे ही उनका भाषण शुरू होता था मैदान से लोग जाने लगते थे ।इसलिए बिहार के लिए नरेंद्र मोदी जैसा मजबूत सामाजिक आधार के साथ साथ अच्छा वक्ता होगा तभी नीतीश और लालू को हरा सकते हैं ।

आप लोग सोचिए बिहार की जनता क्यों नीतीश को बीच में खड़ा कर दे रहा है क्यों कि उसे ना तो भाजपा पर भरोसा है और ना ही राजद पर इसलिए नीतीश को ऐसा बहुमत देता है कि उसके बगैर बिहार में किसी की भी सरकार नहीं बन पाये ।

एक और बात आप लोग बिहार में दिल्ली से प्रयोग बंद करिए एक गुजराती को आप वहां संगठन महामंत्री बना कर भेज दिए हैं मुझे लगता है अभी भी आप लोग बिहार को समझ नहीं पाये हैं पूरे देश में जाति राजनीति का सच है लेकिन बिहार में जाति को लेकर एक अलग नजरिया है वो जाति को इतिहास के नजरिया से देखता है।

दिल्ली से किसी को भेज दिए और उसके जाति के लोग उसके साथ आ जायेंगे ऐसा कभी नहीं बिहार में हुआ है इतना बड़ा आपके पास थिंक टैंक है उनको कहिए बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर और नीतीश कुमार का कैसे उदय हुआ और उनकी राजनीतिक शैली क्या रही जो बिहार को दशकों तक प्रभावित रखा। ऐसे नेता का खड़ा करिए जिसके दिल और दिमाग में सवर्ण को लेकर घृणा ना हो बल्कि उसकी इतनी समझदारी जरुर होनी चाहिए कि इस वर्ग के वोटर अपमानित महसूस ना करे ।

अभी क्या हाल है बिहार में आपका कोर वोटर बनिया और सवर्ण आज आपका कोर वोटर नहीं रहा इसलिए नीतीश का जिस दिन साथ छुटा जनसंघ के जमाने में लौट जाइए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी इसलिए संघर्ष का रास्ता अपनाइए तभी आपकी बिहार में वापसी हो सकती है धनबल, ईडी और सीबीआई से बिहार का लोग डरने वाला नहीं है ।

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