जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने आदित्य कुमार द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें राहत दे दी ।
याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एनके अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू करने की जिम्मेवारी जिले के डीएम और एसपी को दी गई है लेकिन डीएम और एसपी हर जगह हर समय मौजूद नहीं रहते है ।
इस मामले में थाना ने शराब बरामदगी के बाद प्राथमिकी दर्ज नहीं की । जब इसकी बात की जानकारी पूर्व एसपी को मिली ,तो उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश थाना को दिया ।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि शराबबंदी मामले में राज्य के नौकरशाह डरे हुए है ।उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी थाना कब और कहाँ शराब जब्त करता है ,इसकी जानकारी जिला के एसपी को तब तक नही होती है ,जब तक कि सम्बंधित थाना सूचित नहीं किया जाता है ।
उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि अगर कोई जिले के एसएसपी , एसपी डीएम और कमिश्नर के घर में कोई बोतल फेंक देगा, तो उनके ख़िलाफ़ भी प्राथमिकी दर्ज हो सकती है ।