कवि सम्मेलन में सूफी कवि सुभाष चंद्र पासवान ने काव्यपाठ से बांधा समां

कवि सम्मेलन में सूफी कवि सुभाष चंद्र पासवान ने काव्यपाठ से बांधा समां, हंसी ठिठौली के साथ नेताओं पर ली चुटकी

● सुना है शह् र में उनका कोई रुतबा नहीं होता। कि जिनके घर में अच्छी नस्ल का कुत्ता नहीं होता

बिहारशरीफ, 29 अगस्त 2022 : रविवार रात्रि को स्थानीय अस्पताल चौक पर स्थित सुभाष चंद्र पासवान के होमियोपैथ क्लिनिक में कोरोना काल के लगभग दो वर्ष बाद बिहारशरीफ में साहित्यिक मंडली शंखनाद के सौजन्य से हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष गीतकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह तथा संचालन शायर तनवीर शाकित ने किया।

कवि सम्मेलन का शुभारंभ सूफी शायर आफ़ताब हसन शम्स के ओर से नात ए पाक से किया गया। नामचीन छंदकार सूफी कवि सुभाष चंद्र पासवान ने गर्मजोशी से उपस्थित कवियों, शायरों व समाजसेवियों को स्वागत किया।तत्पश्चात शहर के नामचीन छंदकार सुभाष चंद्र पासवान ने अपनी मशहूर शे’र “सबका हम एहतराम करते है, जो भी नेकी के काम करते है। जिनको उल्फ़त है आदमियत से, उनको झुक कर सलाम करते है”… सुनाया। साथ ही साथ जहां एक और वे अपने काव्यपाठ से लीगों का मनोरंजन कर रहे थे, वहीं बीच-बीच में राजनेताओं की चुटकी भी लेते रहे और माहौल खुशनुमा करते रहे।

मौके पर कवि सम्मेलन में शंखनाद के महासचिव कवि राकेश बिहारी शर्मा ने वर्तमान व्यवस्थाओं पर चोट करते हुए सुनाया “विश्वकर्मा पूजा है आज बंद रहेंगे मोटर वाहन और सब काज। विश्व के महान निर्माता को पूजेंगे सब शिल्पी कारीगर आज। लोहे-लकड़ का काम किया, विश्वकर्मा ने विश्व बनाया। राम कृष्ण की नगरी बसाया”… सुनाकर लोगों को सोचने पर मजबूर क्र दिया।

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मौके पर राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने अपनीं शायरी- “पास रहता है मुझसे दूर नहीं, मेरा महबूब कोई हूर नहीं। चश्म-ए-दिल से नज़र वो आएगा, कैसे कह दूँ के इश्क़ नूर नहीं। ग़म भला किस तरह उठाए ये, मेरा दिल, दिल है कोई तूर नहीं”…। इस जज्बाती अंदाज में कुछ इस तरह कलाम पेश कर श्रोताओं को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया।

मंच संचालन करते हुए शायर तनवीर शाकित ने हास्य कविता- “सुना है शह् र में उनका कोई रुतबा नहीं होता। कि जिनके घर में अच्छी नस्ल का कुत्ता नहीं होता।। उन्होंने दूसरी कविता “सच कही लापता हो गया, झूट का कद बड़ा हो गया। देखते-देखते देखिए, कत्ल इंसाफ का हो गया”… सुनाकर वाहवाही लूटी।

कवि सम्मेलन में सूफी कवि सुभाष चंद्र पासवान ने काव्यपाठ से बांधा समां

सूफी शायर व गजलकार आफताब हसन शम्स ने “खाली है मेरे हाथ में कश्कोल ए गदाई। और तुम हो कि दावा ए मसावात करो हो।। सुनाकर खूब तालियां बटोरी।

कवि कामेश्वर प्रसाद ने लोक तंत्र लूट तंत्र बन गया गाँधी जी के देश में… सुनाकर बांधा समां। और अपनी कविता के माध्यम से उपस्थित लोगों को खूब हंसाया।

सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक कवि रामबली कुमार ने अपनी नीति की बातें कविता सुनाते हुए कहा- “कान की शोभा ज्ञान श्रवण में, कुंडल से नहि होते। हाथ की शोभा दान से, कंगन से नहि होत। सज्जन पुरुष स्वभाव से बोले मीठे बोल, परोपकार के धर्म से जग में जलावे जोत। चिन्ता दुःख का मूल है, लोभ मोहका खान। झुठ हमारा प्राप है तृष्णा रोग समान… सुनाया तो लोग झूमने को मजबूर हो गए। और सुनाकर खूब तालियां बटोरी।

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कवि सम्मेलन में शामिल हुए युवा कवि रणजीत चन्द्र पासवान ने अपने काव्य से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। इस दौरान उन्होंने राजनेताओं पर चुटकी लेते हुए “मैं सोचता हूँ कि समझदार हूँ मैं, बस अपना मान रखने के लिए जिम्मेदार हूँ मैं…” सुनाया। उन्होंने सीमाओं पर तैनात जवानों को याद करते हुए उन्हें समर्पित काव्य भी सुनाया।

इसके अलावा साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह, कर्मचन्द्र प्रसाद गाँधी, विजय कुमार, राजदेव पासवान भी कवि सम्मेलन में शामिल हुए। कार्यक्रम में सभी कवियों ने श्रोताओं को अपने काव्यपाठ से मोहित कर समां बांधा।

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