कोर्ट को राज्य सरकार की ओर कुछ बताया गया कि गलत तरीके से बने मकानों को तोड़े जाने की नीति जारी रहेगी।
पिछली सुनवाई में जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई करते हुए जानना चाहा कि बदली राज्य सरकार की इस सम्बन्ध में क्या नीति है।हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को इस सम्बन्ध में हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।
कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा।कोर्ट ने कहा कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए।इस सम्बन्ध में हलफनामा दायर कर कार्य योजना पेश करने का निर्देश दिया।
इससे पहले की सुनवाई में बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बहस की थी।उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जो भी मकान बने है,उनका निर्माण वैध ढंग से नहीं किया गया है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि आवास बोर्ड ने जो भी नियमों के उल्लंघन मकान बने है,उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया,लेकिन वे नहीं आवास बोर्ड के समक्ष नहीं आए।
आज कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी संतोष कुमार सिंह ने कोर्ट के समक्ष बहस किया।उन्होंने कहा कि राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में हटाने की कार्रवाई सही नहीं थी।हटाने के पूर्व संचार माध्यमों में उन्हें नोटिस दे कर जानकारी देना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि नागरिकों को मनमाने ढंग से नहीं हटाया जा सकता है।उन्होंने कहा कि या तो उन्हें उचित
दिया जाए या उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 1सितम्बर,2022 को की जाएगी।
इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया था कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता है।