जड़ी बूटी दिवस के रूप में मनाया आचार्य बालकृष्ण का जन्म दिवस

स्थानीय पतंजलि चिकित्सालय में गुरुवार देरशाम को आचार्य श्री बालकृष्ण जी का 50 वाँ जन्मोत्सव जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया तथा लम्बी आयु के लिए यज्ञ कर आहुति दी गई, एवं निःशुल्क जड़ी-बूटी के पौधे एवं फलदार पेड़ के पौधे का वितरण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पतंजलि योग समिति के राज्य परिषद् सदस्य रामजी प्रसाद यादव ने की, जबकि संचालन योग शिक्षक सत्येन्द्र प्रसाद ने किया। जन्मोत्सव में यज्ञ आहुति देनेवाले योगगुरु रामजी प्रसाद यादव,योग शिक्षक सत्येन्द्र प्रसाद, मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा, पतंजलि किसान सेवा समिति प्रभारी मूलचंद आर्य, संजय कुमार,डॉ. संगीता कुमारी आर्या, शुशिला कुमारी, राजेश कुमार सहित कई लोग शामिल थे।

मौके पर अध्यक्षता पतंजलि योग समिति के राज्य परिषद् सदस्य योगगुरु रामजी प्रसाद यादव ने बताया कि परम पूज्य राज ऋषि स्वामी रामदेव महाराज की अगुवाई में पतंजलि योगपीठ का निर्माण हुआ था, उसमें अहम भूमिका निभाने वाले आचार्य बालकृष्ण जी हैं जो 64000 पौधों पर रिसर्च किए हैं। आज पूरे भारत में उनके जन्मदिन पर लाखों जड़ी-बूटी के पौधे एवं फलदार पौधे का निशुल्क वितरण किया जा रहा है। उन्होने कहा कि पिछले वर्षों से कोरोना बीमारी महामारी की तरह फैल रही है, उसे रोकने के लिए गिलोय बहुत कारगर है। इसे लोग हर घर में लगाएं और इसका काढ़ा बनाकर रोज पिएं, जिससे इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने स्वस्थ्य रहने के लिए योग के महत्व के बारे में बताया।

मौके पर पतंजलि योग समिति के मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि पतंजलि को योग और आयुर्वेद की सबसे बड़ी संस्था बनाने में आचार्य बालकृष्ण का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि आधुनिक धन्वंतरि आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद की पुस्तकों के लेखन, प्रकाशन, पांडुलिपियों के संरक्षण, आयुर्वेदिक औषधियों की खोज, अनुसंधान, आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार व आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर स्वीकृति दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग और आयुर्वेद को देश में ही नहीं विदेश तक पहुंचाया है। कलियुग के धन्वंतरी के रुप में प्रतिष्ठित हैं आचार्य बालकृष्ण जी।

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पौधा वितरण के समय पतंजलि के वैद्य मनोज कुमार झा ने गिलोय, एलोवीरा, पत्थरचटा, अश्वगंधा, नीम, बेल समेत अन्य पौधों के औषधीय गुणों को विस्तार से बताया। साथ ही साथ औषधीय पौधों का लाभ और प्रयोग करने के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में पौधों के जड़ी-बूटियों का महत्व उतना ही है जितना हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है। भारतीय चिकित्सा पद्धति पूर्ण रूप से प्राकृतिक एवं साइड इफेक्ट रहित है।

कार्यक्रम में संचालन करते हुए योग शिक्षक सत्येन्द्र प्रसाद ने कहा कि अगर आप रोगों से बचना चाहते हैं तो योग के साथ-साथ बड़ी संख्या में जड़ी बूटियों को लगाना है। चाहे तो घर में आप तुलसी, गिलोय, एलोवीरा, पत्थरचटा, अश्वगंधा और इसके साथ ही विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां लगा सकते हैं। जितनी आपके घर में जगह हो आप सभी संकल्प लेकर इस कार्य को आगे बढ़ाएं। क्योंकि जब हम जड़ी बूटी की रक्षा करेंगे तभी जडी-बूटी भी हमारी रक्षा करेंगे।

मौके पर पतंजलि के कर्मयोगी सदस्य सरदार वीर सिंह ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद के माध्यम से किसानों को समृद्धि और जनता को लाभ मिले और यही आचार्य बालकृष्ण जी का प्रयास है। भारत की प्राचीन कृषि और ऋषि परंपरा व योग आयुर्वेद को पतंजलि योगपीठ ने पूरे विश्व में फैलाया और वैज्ञानिक स्तर पर सम्मान दिलाया। बालकृष्ण जी ने आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाई है।

इस अवसर पर योग शिक्षका संगीता कुमारीआर्या, सुशीला कुमारी, रविकांत कुमार, रामप्रवेश कुमार, सूरज कुमार, स्वेता कुमारी, इंद्रदेव पंडित सहित पतंजलि के कई लोग उपस्थित थे।

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