बिहारशरीफ : लोक गीतों और उगते हुए सूर्य की रौशनी के बीच सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान भाष्कर भगवान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ वर्त संपन्न हो गया।
साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा व वरीय सदस्य सरदार वीर सिंह, शिक्षाविद भारत मानस, डॉ शौरभ शंकर पटेल एवं महेन्द्र कुमार यादव इत्यादि सदस्यों के साथ मोरा तालाब के छठ घाट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा जिले एवं राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की। मोरा तालाब के छठ घाट पर आज सामापन हो गया। आज घाट पर छठ की अद्भुत छठा बिखरी हुई नजर आई। लोकआस्था के इस महापर्व पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा नजर आया। व्रतियों ने उदयगामी (उगते हुए) सूर्य को तालाब में खड़े होकर अर्घ्य दिया।
छठ घाटों पर सुबह से ही लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया था। जैसे ही भगवान भास्कर ने दर्शन दिए व्रतियों ने अर्घ्य के साथ भगवान से सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद लिया। जिले में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक छठ का अद्भुत रंग नजर आया। जिले में गांव से लेकर शहर तक के नदियों, तालाबो, आहर, पोखर और पइन के किनारे बने छठ घाटों पर छठ पर्व को लेकर उमड़ने वाली भारी भीड़ देखी गई।
जिले के सभी घाटों पर व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया
छठ पूजा के लिए औंगारी धाम, बडगांव सूर्य मंदिर, सोहसराय सूर्य मंदिर तथा कोसुत नदी से लेकर मोरा तालाब और साथ ही साथ नालंदा जिले के सभी छठ घाटों पर काफी संख्या में व्रती और श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। इस दौरान प्रशासन और स्थानीय पूजा समितियों द्वारा श्रद्धालुओ की सुविधा के लिए व्यापक बंदोबस्त किए गये थे। रौशनी से नहाए घाट के हर जगह व्रतियों ने पूरी श्रद्धाभाव के साथ पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत भी मांगी। इस के साथ छठ पूजा आज सम्पन्न हुई।
शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ था छठ पर्व
छठ की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हुई थी। शनिवार को खरना हुआ। पर्व के तीसरे दिन रविवार व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया था और चौथे दिन यानी सोमवार उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया, जिसके बाद प्रसाद वितरण भी हुआ। इन सबके बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं।
छठ पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठ मैया की उपासना का है महत्व
बेहद पवित्र माने जाने वाले छठ पर्व पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठ मैया की उपासना का बहुत महत्व है। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत पूर्ण हो जाता है। ये व्रत परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।