पूर्णिया/रौशन राही
धमदाहा: यूँ तो चुनाव के समय नीचे से लेकर ऊपर तक के जनप्रतिनिधि वादे पर वादे करते हैं परन्तु चुनाव जीतने के बाद कुछ बात दिमाग से निकाल देते हैं । ऐसा ही मामला दमैली पंचायत में आया है। बताते चलें कि प्राथमिक विद्यालय शीशाबारी जो 2012 से शीशाबारी के आंगनबाड़ी में संचालित हो रहा था, परन्तु छात्रों के नामांकन में वृद्धि होने के कारण प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी के निर्देश पर प्राथमिक विद्यालय बिहारी नगर अनुसूचित जाति में इसे शिफ्ट कर दिया गया । इसके पीछे का मुख्य वजह विद्यालय भवन निर्माण के लिए जमीन प्राप्त न होना था। परन्तु प्राथमिक विद्यालय शीशाबारी जो दमैली पंचायत में है जिसे धमदाहा पूर्व पंचायत के प्राथमिक विद्यालय बिहारी नगर अनुसूचित में शिफ्ट करने से पिछले चार वर्षों से नन्हे-मुन्हे छात्रों को स्कूल आने के लिए 3-4 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है
ज्ञात हो कि प्राथमिक विद्यालय में 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। ऐसे में विद्यालय को मूल पंचायत से दूसरे पंचायत में शिफ्ट होना कहीं न कही जनप्रतिनिधियों की लापरवाही भी सामने आता है। क्योंकि जनप्रतिनिधि चाह ले तो विद्यालय के लिए जमीन क्षण भर में प्राप्त करवा सकता है। दमैली पंचायत के शिशोबारी गांव के दलित महादलित और यादवों ने विद्यालय निर्माण के लिए जमीन आपूर्ति हेतु चंदा जुटाने में भीड़ गए। परन्तु पंचायत चुनाव का आलम ने उनका मन ही बदल दिया क्योंकि पिछले 20 वर्षों से चुनाव जीतते आ रहे मुखिया प्रतिनिधि अमित कुमार चौधरी ने गांव वालों को विद्यालय की समस्या से दूर करने हेतु विद्यालय के लिए अपना निज जमीन दान करने हेतु प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी मिश्री लाल यादव के समक्ष कहा। इस प्रकार अमित कुमार चौधरी की मुखिया पद पर पांचवी बार जीत हुई। परन्तु जीत की इस खुशी में शिशोबारी के दलित-महादलित, यादवों से किए वादे भूल गए। ऐसा ग्रामीण बताते हैं
ग्रामीण अपना नाम नहीं बताते हुए कहा कि उनके मुखिया जमींदार, संवेदक व अनुभवी हैं । परन्तु वादे के छः माह बीत जाने के बाद भी उनका दिया हुआ वचन पूरा न होते देख ग्रामीण हताश हो गए हैं। ग्रामीण बताते हैं, वे सवेरे अपने खेत या मजदूरी पर चल जाते हैं ऐसे में उनके नन्हें मुन्हे बच्चे चिलचिलाती धूप में तीन किलोमीटर दूर स्कूल पैदल जाते हैं। जिससे उनके बच्चों को काफी परेशानी होती है क्योंकि सड़क पर बहुत ज्यादा वाहन चलते रहते हैं। इस संदर्भ में विद्यालय प्रधान कृष्ण कुमार कृष्ण ने बताया कि बच्चों की उपस्थित बरकरार रखने के लिए उन्हें तीन किलोमीटर से बच्चों के परिजन को समझा बुझाकर लाना पड़ता है। वहीं विद्यालय का निर्माण शिशोबारी गांव में हो जाने से छात्रों को विद्यालय पहुंचने में काफी सुविधा मिलेगी
वहीं साहित्यकार कैलाश बिहारी चौधरी ने बताया कि किसान मजदूर तबके के लोग प्राइमरी तक ही बच्चो को पढ़ाते हैं, उसके बाद उसे मजदूरी करना मजबूरी हो जाता है। ऐसे में यदि उसे प्राइमरी शिक्षा के लिए इतनी जद्दोजहद करना पड़ा तो दलित महादलित के बच्चो में शिक्षा का अभाव होगा। इसलिए मुखिया अमित कुमार चौधरी को अपने वचन को पूरा करने हेतु अतिशीघ्र विद्यालय निर्माण हेतु जमीन उपलब्ध कराना चाहिए।