Author: Biharadmin

  • Royal Enfield पेश की धांसू ऑफर – महज ₹4999 देकर घर ले आएं Hunter 350, जानें- बाकी डिटेल्स..


    डेस्क : Royal Enfield ने हाल ही में अपनी सबसे सस्ती Hunter 350 को भी लॉन्च किया है और आते ही यह बाइक ग्राहकों की हो गई है। पिछले महीने की बिक्री की अगर बात की जाये तो कंपनी ने इसकी कुल 17118 यूनिट्स की बिक्री हुयी और उसके बाद इस बाइक का मार्केट शेयर कुल 19.06 प्रतिशत पर पहुंच गया है। कंपनी को यह उम्मीद है कि आने वाले समय में Hunter 350 की डिमांड अब और भी ज्याद बढ़ेगी। ग्राहकों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने इस बाइक पर अब बेहद खास लो डाउन पेमेंट का ऑफर पेश किया है।

    4999 रुपये देकर लायें Hunter 350 बाइक

    4999 रुपये देकर लायें Hunter 350 बाइक

    Royal Enfield की official Website के अनुसार hunter 350 को खरीदना अब आसान हो गया है। आप महज 4999 रुपये देखर इस बाइक को अपने घर ला सकते हैं। और इसकी EMI कम से कम 3113 रुपये तक की होगी। कंपनी देश में मौजूदा तमाम बड़े बैंकों से लोन की सुविधा भी दे रही है। ज्यादा जानकारी के लिए आप नजदीकी डीलरशिप से भी संपर्क कर सकते हैं।

    Hunter 350 पर मिलने वाली EMI के ऑफर्स

    Hunter 350 पर मिलने वाली EMI के ऑफर्स

    कीमत और इसके वेरिएंट

    कीमत और इसके वेरिएंट

    Hunter 350 कुल 3 वेरिएंट्स में पेश की गयी है, जिसमें एंट्री लेवल मॉडल हंटर 350 रेट्रो की कीमत 1,49,900 रुपये, मेट्रो की कीमत कुल 1,63,900 रुपये है और टॉप-स्पेक मेट्रो रेबेल की कीमत कुल 1,68,900 रुपये तय की गई है। ये सभी कीमतें X-शोरूम दिल्ली के अनुसार दी गयी हैं।

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  • रबी फसलों के लिए पानी और उर्वरक का प्रबंधन कैसे करें? पता लगाना

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: खरीप फसलों की कटाई हो चुकी है और अब किसान रबी फसल की बुवाई के लिए खेत तैयार कर रहा है। राज्य में चना, ज्वार, गेहूं और मक्का जैसी प्रमुख फसलों की खेती की जाती है। कुछ रबी फसलों की बोवनी हो चुकी है या कुछ फसलें प्रगति पर हैं। ऐसे समय में, यदि उर्वरक और सिंचाई अनुसूची का सावधानीपूर्वक पालन किया जाता है, तो आदानों के कुशल उपयोग से बेहतर उत्पादन होगा।

    खाद प्रबंधन

    रबी फसल प्रबंधन में उर्वरक की मात्रा आवश्यकतानुसार मिट्टी की जांच कर देनी चाहिए। रबी मौसम के दौरान रासायनिक उर्वरकों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए उर्वरकों का उचित उपयोग आवश्यक है।


    1. गेहूं – समय पर बुवाई के लिए 100 से 120 किग्रा नाइट्रोजन, 50 से 60 किग्रा फास्फोरस तथा 50 से 60 किग्रा पलाश का प्रयोग करना चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस व पलाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय देनी चाहिए। शेष आधी खुराक 21 दिन बाद देनी चाहिए।
    2. रबी ज्वारी – शुष्क मौसम में ज्वार के लिए 40 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फॉस्फोरस, 20 किलो पलाश प्रति हेक्टेयर बुवाई से पहले या बुवाई के समय मिट्टी में बोना चाहिए।
    – 40 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 30 किलो पलाश प्रति हेक्टेयर रबी ज्वार की सिंचित बुवाई के समय डालना चाहिए। 40 किलो बुवाई के 30 दिन बाद देना चाहिए। खाद डालते समय मिट्टी नम होनी चाहिए।
    4. सूरजमुखी – बिजाई के समय 30 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 30 किलो पलाश प्रति हेक्टेयर बारिश में बोना चाहिए या अगर टिफ़नी के साथ बोना है तो उर्वरक भी बोना चाहिए। बुवाई के 30 दिन बाद 30 किमी. वरना दे दो

    5. ग्राम – शुष्क भूमि चना फसल के लिए 20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस और बागवानी चने की फसल के लिए 25 किलो नाइट्रोजन और 50 किलो फास्फोरस रोपण के समय देना चाहिए।
    6. करदाई – शुष्क भूमि ज्वार के लिए 20 किलो नाइट्रोजन और 20 किलो फास्फोरस बुवाई के समय देना चाहिए, जबकि बागवानी ज्वार के लिए 30 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस बुवाई के समय देना चाहिए. और 30 दिन के बाद 30 किलो देना चाहिए।
    7. चिली – 50-50-50 नटरा, स्पुरद और पलाश देना चाहिए। 50 किलो नत्रजन प्रति हेक्टेयर बुवाई के एक माह बाद डालना चाहिए।


    रबी फसलों के लिए पानी की आवश्यकता

    – पानी बचाने के लिए ड्रिप सिस्टम से फलों के पेड़/गन्ना की सिंचाई करें.
    – पानी की कमी हो तो फसलों को समान रूप से पानी देना चाहिए।


  • BSNL ग्राहकों की बल्ले बल्ले! महज ₹500 से कम में दिन-रात दबाकर चलाएं इंटरनेट, Jio- Airtel छूटे पीछे..


    डेस्क : सरकारी टेलिकॉम कंपनी BSNL ने अपना नया ब्रॉडबैंड प्लान BSNL Fibre Basic को लॉन्च कर दिया है। BSNL का नया 449 रुपये वाला प्लान बेनिफिट्स के मामले में Airtel और Jio के ब्रॉडबैंड प्लान को अब पीछे छोड़ रहा है। इस प्लान में उपभोक्ता को 3TB से ज्यादा डेटा ऑफर किया जा रहा है। जिससे उपभोक्ता दिन-रात दबाकर अनलिमिटेड डेटा का इस्तेमाल करके पाएंगे। BSNL Fibre Basic प्लान सभी लोकेशन के लिए उपलब्ध है।

    एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक BSNL का 449 रुपये वाला प्लान पहले भी लॉन्च किया गया था, जिसे बाद में बंद भी कर दिया गया था। ऐसे में इसकी BSNL Fibre Basic के नाम से दोबारा वापसी हुयी है। लेकिन इसकी कीमत 449 की जगह 50 रुपये बढ़कर 499 कर दी गई है। कीमत बढ़ने के साथ ही BSNL Fibre Basic प्लान के बेनिफिट्स में भी अब बदलाव किया गया है।

    BSNL 499 Fibre Basic प्लान

    BSNL 499 Fibre Basic प्लान
    TelecomTalk की रिपोर्ट के मुताबिक BSNL का नया Fibre Basic plan कुल 3.3TB FUP डेटा के साथ उपलब्ध है। इसका मतलब है कि डेटा खत्म होने के बाद स्पीड लिमिट नहीं घटेगी। आपको बता दें कि BSNL की तरफ से इस प्लान में 40Mbps स्पीड पर 3.3TB डेटा ऑफर भी किया जा राह है। लेकिन डेटा लिमिट कम होने के बाद इंटरनेट स्पीड घटकर सिर्फ 4Mbps रह जाएगी। BSNL के इस प्लान में अनलिमिटेड वॉइस कॉलिंग की भी सुविधा दी जा रही हैं।

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  • बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार बिहारशरीफ प्रखंड मुख्यालय पहुंचे

    बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार बिहारशरीफ प्रखंड मुख्यालय पहुंचे जहां उन्होंने अलग-अलग घटनाओं में मृतक के आश्रितों को सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ दिया। इस दौरान बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने कुल 6 आश्रितो के बीच कुल 12 लाख 60 हजार रुपये का अलग अलग चेक प्रदान किया।

    इस दौरान बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने 3 आश्रितों को आपदा के तहत चार चार लाख का चेक प्रदान किया। जबकि तीन आश्रितों को परिवारिक लाभ योजना के तहत 20-20 हजार का चेक प्रदान किया। इस मौके पर मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आपदा पीड़ित परिवारों को सहायता के लिए उनकी रक्षा के लिए उनके परिवारजनों के संकट की घड़ी को सामना करने के लिए इस तरह की सहायता राशि दी जाती है। सरकार आपदा से जुड़े हर तरह की घटनाओं में हरसंभव सहायता लगातार करते आ रही है। इसके पिछले सप्ताह में भी बिहार सरकार के मंत्री सरवन कुमार के द्वारा तीन लोगों को आपदा के तहत आर्थिक सहायता राशि का चेक प्रदान किया गया था।

  • चीनी पर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 60 लाख टन तक निर्यात की अनुमति

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: देश में चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति को संतुलित करने के लिए केन्द्रीय सरकारबड़ा कदम उठाया है। खाद्य मंत्रालय ने रविवार को 2022-23 सीजन के दौरान 60 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी। ऐसे में इसे चीनी मिलों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. खाद्य मंत्रालय ने रविवार को एक अधिसूचना में कहा कि 1 नवंबर से 31 मई 2023 तक 60 लाख टन के निर्यात कोटा की अनुमति दी गई है। इसमें मिल मालिकों के पास घरेलू बिक्री कोटा से खुद या निर्यातकों के माध्यम से निर्यात करने का विकल्प होगा। .

    मंत्रालय ने कहा कि देश में गन्ने के उत्पादन की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी और नवीनतम उपलब्ध अनुमानों के आधार पर चीनी निर्यात की मात्रा पर पुनर्विचार किया जाएगा। गन्ना किसानों को शीघ्र भुगतान के लिए कारखानों को दिए जाने वाले चीनी कोटे के निर्यात में तेजी लाने को कहा गया है। मंत्रालय ने मौजूदा सीजन 2022-23 के लिए कहा है कि घरेलू खपत के लिए चीनी की उपलब्धता 27.50 लाख टन होगी, जबकि 50 लाख टन चीनी एथेनॉल उत्पादन में जाएगी और सीजन के अंत तक बंद रहेगी। 5 मिलियन टन। महाराष्ट्र और कर्नाटक में 2022-23 अक्टूबर से चीनी का उत्पादन शुरू हो गया है, जबकि उत्तर प्रदेश और अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में यह एक सप्ताह के भीतर शुरू हो जाएगा।


    प्रारंभिक अनुमानों के आधार पर निर्यात कोटा तय

    वहीं, चीनी उद्योग संघ इस्मा का कहना है कि देश में इस साल 36.5 मिलियन टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है, जो 1 अक्टूबर से शुरू हुआ था। अब चीनी मिल मालिक खुद या निर्यातकों के जरिए विदेशों में चीनी बेच सकते हैं। इससे पहले, चीनी के तीन साल के औसत उत्पादन का 18.23 प्रतिशत का एक समान निर्यात कोटा 2019-20, 2020-21 और 2021-22 चीनी मौसम के तीन चीनी विपणन सत्रों में आवंटित किया गया था। चीनी वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि देश में गन्ना उत्पादन के लिए उपलब्ध शुरुआती अनुमानों के आधार पर निर्यात कोटा तय किया गया है।

    60 लाख टन चीनी निर्यात कोटा तय

    भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है और निर्यात के मामले में ब्राजील के बाद दूसरे स्थान पर है। इस साल ब्राजील में भी गन्ने के उत्पादन में कमी आई है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय चीनी की मांग बढ़ गई है। सरकार ने पहले ही संकेत दिया था कि घरेलू बाजार में मांग बढ़ने के कारण कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इस साल निर्यात कोटा कम किया जाएगा। इसके बाद उद्योग जगत को उम्मीद थी कि सरकार कम से कम 80 से 90 लाख टन चीनी के निर्यात पर रियायत देगी. लेकिन, घरेलू बाजार की मांग को देखते हुए सरकार ने 60 लाख टन चीनी का निर्यात कोटा तय किया है।


  • आपदा पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद :-श्रवण कुमार।

    बिहार शरीफ के प्रखंड मुख्यालय में वार्ड नंबर 50 को शुभ निवासी मृतक सिंटू मांझी के आश्रित माता मुन्नी देवी को विजवनपर गांव निवासी मृतक शैलेंद्र यादव के आश्रित पत्नी रेणु देवी को चार चार लाख मघडा गांव निवासी मृतक नीतीश कुमार के आश्रित पिता मुरारी पांडे वार्ड नंबर 29 निवासी मृतक रागिनी कुमारी के आश्रित पिता सोनू कुमार वार्ड नं 44 पहडपुरा निवासी मृतक रघुनंदन प्रसाद की आश्रित पत्नी बच्ची देवी पारिवारिक लाभ योजना के अन्तर्गत बीस बीस हजार का चेक बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के द्वारा प्रदान किया गया । इस अवसर पर मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि आपदा पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद के लिए सरकार कृत संकल्पित है हमारे सरकार के मुखिया नीतीश कुमार जी कहते हैं कि राज सरकार के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ित परिवारों का है।

    हमारे सरकार को गरीबों की चिंता है तथा गरीबों के विकास के लिए सबसे ज्यादा कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने वाला बिहार पहला राज्य है। बिहार में न्याय के साथ विकास का कारवां दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है बिहार मॉडल का आज देश दुनिया कई राज्य का अनुशरण कर रहे हैं। बिहार में हुए कार्यों का डंका देश से लेकर प्रदेश तक बज रहा है।उन्होंने मृतक के आश्रितों को ढांढस बनाया सांत्वना दी धैर्य और हिम्मत से काम लेने की बात कही उन्होंने ने ईश्वर से मृतक आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करें। इस अवसर पर पूर्व विधान पार्षद राजेश कुमार सिंह उर्फ राजु यादव प्रखंड विकास पदाधिकारी अंजन दत्ता अंचलाधिकारी धर्मेन्द्र पंडित प्रखंड जदयू अध्यक्ष संजय कुशवाहा मुख्य प्रवक्ता डा धनंजय कु देव प्रखंड प्रमुख सुलेखा देवी उपप्रमुख इंदुबाला जगलाल चौधरी जीतन चौहान पं समीति रौशन कुमार सतेन्द्र पासवान धनंजय कु आर्यन राज अमित कुमार अविनाश सिंह आकाश कु काजल मुन्ना पासवान शैलेंद्र कुमार जयन्त शर्मा इंदु चौहान उपेन्द्र दिलवाला दिवाकर कुमार धर्मेन्द्र यादव दिनेश साव अमर चौहान रंजीत चौधरी नीतीश पाण्डेय बंटी यादव आशीष चंद्रवंशी विश्वास सिंह आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

  • सतर्क रहें! Bihar में कभी भी आ सकता है 1934 जैसा बड़ा भूकंप, डरें नहीं, बरतें एहतियात..


    डेस्क : बिहार में बीती रात को भूकंप (Earthquake) के झटके महसूस किए गए। इससे जान-माल की कोई क्षति नहीं हुई, लेकिन इसने 1934 के 15 जनवरी की दोपहर में आए रिक्‍टर स्‍केल पर 8.5 की तीव्रता वाले उस भूकंप की याद जरूर दिला दी है, जिसने बिहार में 10 से 11 हजार तो नेपाल में 9 से 10 हजार लोगों की जान ले ली थी। वैज्ञानिकों की मानें तो प्रदेश में ऐसा भूकंप कभी भी आ सकता है। आज की घनी आबादी को देखते हुए ऐसे बड़े भूकंप से 2 लाख से अधिक लोगों की मौत भी हो सकती है।

    1934 में आये भूकंप से मची थी भारी तबाही

    1934 में आये भूकंप से मची थी भारी तबाही

    वर्ष 1934 के भूकंप का केंद्र नेपाल में था। उससे नेपाल व बिहार में भारी तबाही भी मची थी। राज्‍य के मुंगेर व सीतामढ़ी तबाह हो गए थे। चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, पूर्णिया, भागलपुर जिले आदि जिलों में तबाही का आलम था। इसके बाद फिर वर्ष 1988 में 6.6 की तीव्रता वाला भूकंप आया था। इस भूकंप की शक्ति 1934 के भूकंप से 750 गुना कम थी।

    महाविनाशकारी होगा 1934 जैसा ये भूकंप

    महाविनाशकारी होगा 1934 जैसा ये भूकंप

    IIT रुड़की के अर्थक्वेक इंजीनियरिंग विभाग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एमेरिटस डाक्‍टर आनंद एस आर्या की एक रिसर्च के मुताबिक भूकंप से होने वाला नुकसान जनसंख्‍या एवं क्षेत्र में हुए निर्माण कार्य पर निर्भर करता है। डाक्‍टर आर्या जनगणना के आंकड़ों के आधार पर यह बताते हैं कि हाल के वर्षों में तेज निर्माण कार्य व जनसंख्या वृद्धि के कारण वर्ष 1934 की तीव्रता वाला भूकंप एकदम महाविनाशकारी हो सकता है।

    कभी भी आ सकता है कोई भी बड़ा भूकंप

    कभी भी आ सकता है कोई भी बड़ा भूकंप

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  • वैज्ञानिकों ने चने की नई किस्म विकसित की; एक बंपर उत्पाद प्राप्त करें

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: फिलहाल रबी की फसल की बुवाई चल रही है। वहीं, कई किसानों ने गेहूं, सत्तू समेत अन्य फसलों की बुवाई की है। लेकिन कई किसान ऐसे हैं जो अभी भी अपनी पूरी जमीन में रबी की फसल नहीं बो पा रहे हैं। ऐसे में इन किसानों के पास अब चना बोने का अच्छा मौका है. दरअसल, चना की एक नई किस्म बाजार में आ गई है. इस नई नस्ल की खासियत कम लागत में बंपर उत्पादन है। ऐसे में चना की नई किस्म लगाकर किसान अमीर बन सकते हैं।

    दरअसल वैज्ञानिकों ने चने की एक नई किस्म विकसित की है। इस किस्म की विशेषता यह है कि इसकी झाड़ियाँ बहुत ऊँची होती हैं। साथ ही, उत्पाद भी सामान्य है चना जाति से अधिक होगा। ऐसे में किसान इसे बेचकर अमीर बन सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि वैज्ञानिकों ने इस नई किस्म का नाम जवाहर चना 24 रखा है।


    फसलों का नुकसान भी होगा कम

    जवाहर चना की कटाई 24 हार्वेस्टर मशीनों से भी की जा सकती है। ऐसे में अब किसानों को फसल काटने की टेंशन नहीं है। पहले किसान चने की कटाई के लिए एक दिन का समय लेते थे। साथ ही अब इस नई किस्म के चने की कटाई हार्वेस्टर मशीन से चंद घंटों में की जा सकती है. ऐसे में किसानों को श्रम की लागत से भी राहत मिलेगी। साथ ही फसलों का नुकसान भी कम होगा।

    115 दिनों में तैयार

    जवाहर चना 24 को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जवाहर चना 24 की कटाई हार्वेस्टर से भी की जा सकती है। वहीं, अखिल भारतीय ग्राम एकीकृत परियोजना जबलपुर के प्रभारी डॉ. अनीता बब्बर ने कहा कि वे लंबे समय से इस नई चने की किस्म पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चने के पौधे की लंबाई सामान्यतः 45 से 50 सेमी. लेकिन जवाहर चना 24 की ऊंचाई 65 सेमी तक होगी। साथ ही यह किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। वहीं इसके पौधे का तना भी मजबूत होता है। ऐसे में तूफान से गिरने का डर नहीं रहता है।


  • Bihar के 6 जिले में बनकर तैयार हुआ ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक, बाकी इन जिलों में काम जोरों पर..


    न्यूज डेस्क : सरकार सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए लगातार काम कर रही है। इसके लिए राज्य के सभी जिलों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने को लेकर कार्य चरम पर है। बता दें कि प्रदेश के 6 जिलों में ट्रैक का काम संपन्न हो गया है।

    इसका उद्घाटन किया जाना बाकी है। इसके अलावा 8 जिलों में काम जोरों से चल रही है। वहीं सूबे की और 10 जिलों में ट्रैक बनाने को लेकर जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा। बता दें कि केवल वैशाली ही एक जिला ऐसा है जहां ट्रैक बनाने के लिए जमीन की व्यवस्था नहीं हो सकी।

    बीते दिनों ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की समीक्षा की गई थी। फिलहाल राज्य के पटना और औरंगाबाद में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से पहले परीक्षा की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। वहीं, मोतिहारी, भागलपुर, पूर्णिया, नवादा, बांका और कैमूर में इस तरह के ट्रैक पूरे हो चुके हैं। जल्द ही इसका उद्घाटन किया जाएगा। सीतामढ़ी, कटिहार, दरभंगा, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, किशनगंज, नालंदा और मधुबनी में काम चल रहा है. वहीं सारण, बेतिया, समस्तीपुर, रोहतास, शिवहर, जहानाबाद, जमुई, लखीसराय, गया और मुंगेर में पटरियों के निर्माण के लिए जल्द टेंडर किया जाएगा।

    वहीं, वैशाली में ट्रैक बनाने के लिए परिवहन विभाग ने जिला प्रशासन से जमीन की जल्द तलाशी लेने को कहा है। ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के अभाव में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में तरह-तरह के खेल खेले जा रहे हैं. यातायात नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण विभाग अंधाधुंध लाइसेंस जारी कर रहा है। ट्रैक पर कुशलता से वाहन चलाने वालों को ही लाइसेंस मिलेगा। इससे सड़क हादसों में भी कमी आएगी।

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  • Weather Update : राज्य में अब भी कड़ाके की सर्दी का इंतजार; हालांकि अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: भले ही नवंबर का महीना शुरू हो गया हो, लेकिन यह कठिन है जैसा कि कहा जा सकता है ठंडा (मौसम अद्यतन) अभी भी राज्य में अनुभव नहीं हो रहा है। इसके अलावा दिन के अधिकतम तापमान में भी भारी इजाफा हुआ है। हम सुबह ओले और दिन भर चिलचिलाती धूप का अनुभव कर रहे हैं। पिछले 24 घंटों में रत्नागिरी में अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। जबकि न्यूनतम 11.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है. आज मौसम शुष्क रहने का अनुमान है।

    मौसम की स्थिति

    (मौसम अपडेट) दक्षिण पश्चिम बंगाल की खाड़ी और आस-पास के भूमध्यरेखीय समुद्रों में हवा की स्थिति बनी हुई है। इन हवाओं के प्रभाव से बुधवार (9 तारीख) को कम दबाव का क्षेत्र बना है। इससे सटे चक्रवाती हवाएं समुद्र तल से 7.6 किमी की ऊंचाई तक चल रही हैं। सिस्टम के कल (11 बजे) तक और तेज होने की संभावना है और शनिवार (12 बजे) तक तमिलनाडु और पाद्दुचेरी तटों पर पहुंचने का संकेत दिया गया है।


    तापमान कहाँ है? (मौसम अद्यतन)

    बुधवार (नौ) सुबह तक 24 घंटे के दौरान प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर अधिकतम तापमान दर्ज किया गया, न्यूनतम तापमान कोष्ठों में दर्ज किया गया. (डिग्री सेल्सियस में):

    पुणे 32 (15.8),
    शहर 32.4 (-)
    जलगाँव 34 (19.4)
    धुले 33.5 (12.2)
    कोल्हापुर 32.1 (18.7)
    महाबलेश्वर 26.7(15.0)
    नासिक 31.3 (14.4)
    निफड 32.2 (11.6)
    सांगली 31.9 (17.2)
    सतारा 30.4(15.8)
    सोलापुर 34.2 (17.7)
    सांता क्रूज़ 35 (21.4)
    दहानु 32.1 (19.5)
    रत्नागिरी 35 (21.4)
    औरंगाबाद 31.7 (15.2)
    नांदेड़ 33.4 (17)
    उस्मानाबाद 32.4 (15)
    परभणी 32.1 (15.9)
    अकोला 34.3 (17.8)
    अमरावती 35.4 (15.1)
    बुलदाना 31.7 (17.4)
    ब्रह्मपुरी – (17.3)
    चंद्रपुर 30.8 (18.2)
    गढ़चिरौली 31 (17)
    गोंदिया 32.4 (15.5)
    नागपुर 32.6 (15.9)
    वर्धा 31.5 (16)
    वाशिम 34 (16.2)
    यवतमाल 33 (15)।