Author: Biharadmin

  • अशा प्रकारे घराच्या घरी तपासा बियाण्यांची उगवण क्षमता

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: खेतप्रिय दोस्तों, आज के इस लेख में हम इस बात पर एक नज़र डालने जा रहे हैं कि आप घर पर जो बीज बोने जा रहे हैं, उसकी अंकुरण क्षमता कैसे जांचें। आजकल खरीफ और रबी सीजन में लगभग 65% बीज विक्रेताओं से खरीदे जाते हैं, लेकिन शेष 35% बीजों का उपयोग घर पर किया जाता है। हालांकि ये बीज उन्नत किस्म के होते हैं, लेकिन इनकी आनुवंशिक शुद्धता, शारीरिक शुद्धता की जांच होनी चाहिए।

    घरेलू या खरीदे गए बीजों का परीक्षण बीज परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा किया जाना चाहिए। राज्य में बीज परीक्षण के लिए पुणे, नागपुर और परभणी में सरकारी बीज परीक्षण प्रयोगशालाएँ हैं। निरीक्षण के लिए प्रति बीज नमूना रु. 40 चार्ज किया जाता है। कई बार किसान बीज का नमूना एकत्र करने, प्रयोगशाला में भेजने या परिवहन करने में सक्षम नहीं होते हैं। तो आइए जानते हैं घर पर फर्टिलिटी कैसे चेक करें।


    प्रजनन परीक्षण की घरेलू विधि

    क्रिया: 45 × 45 सेमी। दो आकार का साफ टाट लें और इसे सफेद सूती कपड़े से बांध दें। इसे पानी में भिगो दें और अतिरिक्त पानी को निकलने दें। टाट के सफेद कपड़े पर एक सौ बीज एक दूसरे से समान दूरी पर रखें।

    इसके ऊपर एक और बोरी गीला करें और इसे एक अस्तर के साथ कवर करें। इसके बाद दोनों टाटों को लपेटकर इसे बेलना चाहिए। रोल को छाया में खड़ा रखना चाहिए, लेकिन रोशनी में। कुण्डली पर पानी इस प्रकार छिड़कना चाहिए कि सामान्य नमी बनी रहे।


    बड़े बीजों (मक्का, चना, मूंगफली, मटर, वाल आदि) की अंकुरण क्षमता का परीक्षण करने के लिए, खेत की मिट्टी की 5 सेमी मोटी परत को तपे में छानना चाहिए। इसमें 100 बीज एक दूसरे से समान दूरी पर लगाए जाने चाहिए। मिट्टी से ढक दें और खूब पानी डालें।

    अंकुरित गिनती

    अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग स्प्राउट काउंटिंग के दिन होते हैं। वे आमतौर पर 4 से 14 दिनों तक होते हैं। पहला स्प्राउट काउंट चौथे दिन और दूसरा टेस्ट चौदहवें दिन करना चाहिए। अगर इसमें पानी की मात्रा कम हो जाए तो हल्का पानी छिड़कें। कुछ फसलों में बीज के अंकुरण की प्रक्रिया धीमी होती है। जैसे-भोपला, दोड़का, करले, गिल्के आदि। इसलिए इसकी गिनती 12वें से 14वें दिन ही करनी चाहिए।


    इस प्रकार से देखने पर निम्नलिखित रूप दिखाई देते हैं:

    1) सामान्य विकसित (अच्छी तरह से विकसित),


    2) असामान्य वृद्धि (खराब जड़ या प्ररोह विकास)

    3) रिफ्रेशिंग लेकिन विकसित नहीं।


    4) कठोर बीज।

    5) मृत बीज (फफूंदी, सड़े हुए बीज)


    अवलोकन करते समय केवल सामान्य अंकुरों पर विचार किया जाना चाहिए। उसी से बीज की आवश्यक मात्रा प्रति हेक्टेयर या प्रति एकड़ निर्धारित की जानी चाहिए। प्रत्येक फसल की अंकुरण क्षमता का न्यूनतम प्रतिशत (60% से 90%) निर्धारित किया जाता है। तदनुसार बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर या प्रति एकड़ निर्धारित की जाती है।

    यदि अंकुरण क्षमता इससे कम हो तो उसके अनुसार बीज की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। इससे बेड भरने, पौधों की रोपाई, कभी-कभी फिर से बुवाई करने जैसे बहुत सारे खर्च बच सकते हैं। साथ ही बीजों का बिल्कुल भी अंकुरण न होने (100 प्रतिशत) के मामलों से बचा जा सकता है। भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानदंड के अनुसार प्रत्येक फसल के बीज की न्यूनतम अंकुरण क्षमता निर्धारित की गई है।


    फसल न्यूनतम अंकुरण दर (%)

    ज्वार 80, मक्का 90, मटर 75, चना 85, सूरजमुखी, मूंगफली 70, करदाई 80, पालक, मिर्च, गिल्के, डोडके, कद्दू, काले, धान, ग्वार 60, फूलगोभी, भिंडी 65, मेथी, प्याज, टमाटर, ग्वार, गोभी, बैंगन, मूली 70


  • बौद्ध दार्शनिक जन कवि बाबा नागार्जुन की 24 वीं पूण्यतिथि पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा—- मैथिली हिंदी के अप्रतिम लेखक और कवि बाबा नागार्जुन की आज पुण्यतिथि है। बाबा नागार्जुन ने अपनी कालखंड में कई नेताओं की जमकर आलोचना की। वह सच्चे अर्थों में एक जनकवि थे। उनके लिए जनता की रोजी-रोटी ही प्रमुख थी। आमतौर पर इतिहास में वैसे ही लेखकों व कलाकारों का ज्यादा नाम लिया जाता है जो सत्ता से तालमेल बिठा कर उनका जयकारे लगा कर चारणगीत गीत गाते हैं।

    सत्ता का विरोध कर अपने समाज के लोगों की आवाज बनने वालों की राह में तो बेशुमार कांटे बिछे होते हैं। बाबा नागार्जुन इस दूसरी श्रेणी में आते हैं। इसलिए उनकी डगर मुश्किलों से भरी थी। नागार्जुन मैथिली, हिन्दी और संस्कृत के अलावा पालि, प्राकृत, बांग्ला, सिंहली, तिब्बती सहित कई भाषाओं के जानकार थे। नागार्जुन सही अर्थों में भारतीय मिट्टी से बने आधुनिकतम कवि हैं। आम जन के कवि बाबा नागार्जुन का जन्म मधुबनी जिले के सतलखा हुसैनपुर गांव में 30 जून सन् 1911 को हुआ था। दरअसल सतलखा बाबा नागार्जुन का ननिहाल है। मूल रूप से जनकवि नागार्जुन दरभंगा के तरौनी के रहनेवाले थे। इनके पिता का नाम गोकुल मिश्र और माता का नाम उमा देवी था। नागार्जुन के बचपन का नाम ‘ठक्कन मिसर’ था। गोकुल मिश्र और उमा देवी को लगातार चार संताने हुईं और असमय ही वे सब चल बसीं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही संस्कृत पाठशाला में हुई। आगे की पढाई वाराणसी और कोलकाता में किया। 1936 में ये श्रीलंका चले गए और वहीं बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की।

    कुछ समय श्रीलंका में ही रहे फिर 1938 में भारत लौट आए। बाबा नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था। उन्होंने काव्य रचना के लिए उपनाम नागार्जुन रखा, इसके अलावा मैथिली रचनाओं के लिए वे यात्री उपनाम से लिखते थे। खांटी किसान और पुरोहिती परिवार में जन्में नागार्जुन बचपन से ही संवेदनशील प्रवृत्ति के रहे। बाबा नागार्जुन या वैद्यनाथ मिश्र की प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत में हुई। राहुल सांस्कृत्यायन से ये प्रभावित रहे। सांकृत्यायन की रचना ‘संयुक्त निकाय’ का इन्होंने पाली में अनुवाद किया। पाली सीखने के लिए बाबा नागार्जुन श्रीलंका चले गए। जहां बौद्ध भिक्षुओं को वे संस्कृत सिखाते थे और खुद पाली का अभ्यास करते थे। यहीं उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन के नाम को अपना लिया। सन् 1929 ई. में नागार्जुन की पहली रचना मिथिलना नामक पत्रिका में छपी थी।

    हिंदी में पहली रचना ‘राम के प्रति’ नामक कविता थी जो लाहौर से निकलने वाले साप्ताहिक ‘विश्वबन्धु’ में छपी थी। नागार्जुन की कुल रचनाओं की बात करें तो इन्होंने करीब आधा दर्जन उपन्यास, दर्जनों कविता संग्रह, मैथिली कविताओं का संग्रह लिखा। जिसका विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी किया गया। बाबा नागार्जुन को लोग जनकवि कहते थे। बाबा नागार्जुन की शख्सियत हरफनमौला रही। सियासी कटाक्ष वे बेहद सरल शब्दों में कर जाते थे। न सिर्फ लेखन बल्कि जन आंदोलनों में बाबा नागार्जुन की अहम भागीदारी रही। बाबा नागार्जुन ने समाज की रूढियों का मुकाबला भी किया। जब वे बौद्ध धर्म अपनाकर पहली बार गांव लौटे तो उनकी ही जात बिरादरी के लोगों ने उनका बहिष्कार कर दिया। जिसकी बाबा ने कभी परवाह ही नहीं की, क्योंकि वे जानते थे कि उनकी बौद्धिक क्षमता और सोच किसी मजहब की जंजीरों में जकड़कर नहीं रह सकती है। बाबा की धारधार काव्य रचनाओं ने उन्हें आम लोगों के हृदय का सम्राट बना दिया। उनकी रचनाओं में गरीबों, दलितों और मजलूमों की आवाज छिपी है। फक्कड़ कवियों की फेहरिस्त में कबीर के बाद बाबा नागार्जुन का ही नाम आता है। बाबा ने सामाजिक सरोकार को कभी नहीं छोड़ा।

    साथ ही सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। आजादी के बाद उनकी उम्मीदें टूटती रही। कवि मन कराह रहा था कि किस तरह अंग्रेजों की गुलामी के बाद अपने ही लोग लूट खसोट में लगे हैं। जिसके बाद वे मुखर होकर अपनी कविताओं के जरिए शासन के कारनामों को उजाकर किया। बिहार में सन् 1941 में किसान आंदोलन हुआ। बाबा ने सबकुछ छोड़कर आंदोलन में अपने आप को झोंक दिया था। तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने बाबा नागार्जुन को गिरफ्तार कर लिया। बाबा नागार्जुन की बेबाकी ऐसी कि उन्होंने गांधी पर भी टिप्पणी करने से कभी हिचक महसूस नहीं की। बाबा नागार्जुन ने कविता को छायावाद, रुमानियत, सौन्दर्यवाद से बाहर निकालकर समाज और आम आदमी से जोड़ने की महत्वपूर्ण कोशिश की। बाबा नागार्जुन प्रगतिशील धारा के उस वक्त के कवि हैं जब देश राजनीतिक उथल पुथल के साथ अन्य आंदोलनों से होकर गुजर रहा था। आजादी के बाद जनता की हालत जस की तस देखकर नागार्जुन को यह समझ आने लगा था कि आजादी महज सत्ता परिवर्तन है। जनता की हालत पहले भी वही थी और अब भी वही है। उनकी कविताओं में जनता का दर्द है, आम आदमी का संघर्ष है।

    फक्कड़पन और घुमक्कड़ी प्रवृति नागार्जुन के जीवन की प्रमुख विशेषता रही है। व्यंग्य नागार्जुन के व्यक्तित्व में स्वाभवत: सम्मिलित था। चाहे सरकार हो, समाज हो या फिर मित्र- उनके व्यंग्यबाण सबको बेध डालते थे। कई बार संपूर्ण भारत का भ्रमण करने वाले इस कवि को अपनी स्पष्टवादिता और राजनीतिक कार्यकलापों के कारण कई बार जेल भी जाना पड़ा। लेकिन फिर भी लोकजीवन, प्रकृति और समकालीन राजनीति उनकी रचनाओं के मुख्य विषय रहे हैं। विषय की विविधता और प्रस्तुति की सहजता नागार्जुन के रचना संसार को नया आयाम देती है। छायावादोत्तर काल के वे अकेले कवि हैं जिनकी रचनाएँ ग्रामीण चौपाल से लेकर विद्वानों की बैठक तक में समान रूप से आदर पाती हैं। जटिल से जटिल विषय पर लिखी गईं उनकी कविताएँ इतनी सहज, संप्रेषणीय और प्रभावशाली होती हैं कि पाठकों के मानस लोक में तत्काल बस जाती हैं।

    बाबा नागार्जुन हिंदी साहित्य के आधुनिक कबीर थे

    हिंदी साहित्य में बाबा नागार्जुन को आधुनिक कबीर कहा जाता है। कबीर की ही तरह बाबा नागार्जुन ने अपने समय की समस्याओं, कुरीतियों पर अपनी कविताओं से प्रहार किया। कभी वे कट्टरपंथी विचारधारा नक्सलवाद के साथ खड़े नजर आए तो कभी जय प्रकाश के आंदोलन में। इस कारण उनकी आलोचनाएं भी होती रहीं। एक तरफ जहां उन्होंने इंद्रा गांधी को बाघिन कहा और चिड़ियाघर में कैद हो जाने की बात कही।

    इमरजेंसी के दौरान ही इंदिरा गांधी के लिए कई कविता लिखे

    इंदुजी, इंदुजी क्या हुआ आपको? तार दिया बेटे को, बोर दिया बाप को। कहते हैं जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। इसी कहावत को चरितार्थ करती उनकी यह लाइन जो उन्होंने इंदिरा शासन के वक्त कही थी। ‘शेर के दांत, भालू के नाखून मर्कट का फोटा। हमेशा हमेशा राह करेगा मेरा पोता’।

    नेहरू और शास्त्री पर भी व्यंग्य किये

    आजादी के तुरंत बाद जब महारानी एलिजाबेथ भारत दौरे पर आई थी। इस दौरान बाबा नागार्जुन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर व्यंग्य तंज कसा था। उन्होंने लिखा था, ‘आओ रानी हम ढोएंगे पालकी, यही हुई है राय जवाहरलाल की।’ इसके बाद जब लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने तो बाबा ने उन्हें भी नसीहत दी और कहा, ‘लाल बहादुर, मत बनना तुम गाल बहादुर।’

    शाशन की बंदूक कविता

  • डी ए वी पब्लिक स्कूल में वाद – विवाद प्रतियोगिता का आयोजन

    भारत सरकार के विभिन्न विभागों और उपक्रमों द्वारा आयोजित विजिलेंस सतर्कता पखवाड़ा के तहत मनाए जाने वाले कार्यक्रमों की कड़ी में पावर ग्रिड कार्पोरेशन आफ इंडिया की बिहार शरीफ इकाई के द्वारा डी ए वी पब्लिक स्कूल पी जी सी, बिहार शरीफ के प्रांगण में आज विभिन्न विद्यालयों के छात्रों के मध्य एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसका विषय था ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत, एक विकसित राष्ट्र’। इसमें आसपास के क्षेत्रों के दस विद्यालयों के कुल बीस छात्रों ने भाग लिया जिनमें केन्द्रीय विद्यालय, राजगीर, जेएनवी राजगीर, सैनिक स्कूल, राजगीर, सरस्वती विद्या मंदिर, राजगीर, सदर आलम, बिहार शरीफ, आरपीएस, बिहार शरीफ और डीएवी पब्लिक स्कूल, पावर ग्रिड कैम्पस, बिहार शरीफ आदि शामिल हैं।

    कार्यक्रम में पावर ग्रिड के डीजीएम श्री नीरज कुमार, डी ए वी पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री वी के पाठक, प्रोफेसर श्री आर पी कच्छवे और शहर के अन्य स्वनामधन्य महानुभाव शामिल थे। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सफल प्रतियोगियों के नाम निम्नांकित है , प्रथम स्थान पर डीएवी पब्लिक स्कूल पीजीसी बिहारशरीफ की छात्रा जहान्वी प्रियदर्शिनी कृतिका नारायण रही तो द्वितीय स्थान सैनिक स्कूल नानंद, राजगीर . कैडेट आदित्यराज .कैडेट निवेदिता पांडे ने हासिल किया तो तृतीय स्थान पर सदर आलम मेमोरियल सेकेंडरी स्कूल , बिहारशरीफ की अंशु चौधरी व फातिमा हसन रहें। मेजबान विद्यालय के प्राचार्य श्री विजय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन भाषण में कहा कि देश भ्रष्टाचार मुक्त होगा तभी विकसित राष्ट्र की कल्पना हम कर सकते हैं । पावर ग्रिड बिहारशरीफ के उप प्रबंधक श्री नीरज कुमार ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हम भ्रष्टाचार को पूर्णत: समाप्त करना चाहते हैं तो किसी नियम या कानून के दबाव में संभव नहीं है l बल्कि हम सभी को अपनी नैतिकता का उत्कर्ष कर भ्रष्ट आचरण से बचना होगा ।

  • Virat Kohli : मेलबर्न में टीम इंडिया ने कैसे मनाया विराट का जन्मदिन? अश्विन ने किया खुलासा…


    Virat Kohli’s Birthday: विश्व क्रिकेट के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) का आज जन्मदिन है. दिल्ली में जन्मा यह दिग्गज खिलाड़ी फिलहाल भारतीय टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया में है. टीम इंडिया अपना अगला मुकाबला जिम्बाब्वे के खिलाफ मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेलेगी. इसी बीच विराट कोहली के साथी खिलाड़ियों ने मेलबर्न में ही उनका जन्मदिन मनाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात करते हुए टीम इंडिया के स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) ने बात की जानकारी दी.

    सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए ZIM के खिलाफ जीत जरूरी-

    सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए ZIM के खिलाफ जीत जरूरी- 6 नवंबर यानी रविवार को भारतीय टीम का मुकाबला जिम्बाब्वे से होगा. सुपर-12 राउंड में टीम इंडिया का यह आखिरी मुकाबला है. रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय टीम अगर इस मुकाबले में जीत हासिल करती है, तो वह सेमीफाइनल में जगह बना लेगी. लेकिन अगर जिम्बाब्वे यह मुकाबला जीत जाती है, तो टीम इंडिया के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. 23 अक्टूबर को इसी मैदान पर भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 4 विकेट से मात दी थी. कोहली की आक्रामक पारी ने टीम को जीत दिलाई थी. ऐसे में एक बार फिर फैंस को जीत की उम्मीद है. भारतीय टीम फिलहाल 6 अंकों के साथ ग्रुप में शीर्ष पर है. वहीं दक्षिण अफ्रीका दूसरे स्थान पर है जिसके पास 5 अंक हैं.

    सब ने मिलकर मनाया विराट का जन्मदिन-

    सब ने मिलकर मनाया विराट का जन्मदिन- ज़िम्बाब्वे के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप में मुकाबले से पहले शनिवार को रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अश्विन ने बताया कि विराट का बर्थडे केक अभ्यास से पहले ही काटा गया. अश्विन ने कहा, “टीम ने अभी उनका बर्थडे केक काटा है. हम सब ने अभ्यास पर आने से पहले मिलकर विराट का जन्मदिन मनाया है.”

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  • नोव्हेंबर महिन्यात ‘या’ पिकांची पेरणी करा, मिळेल विक्रमी उत्पादन

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: देशअधिकांश क्षेत्रों में रबी फसलों की बुवाई अपने चरम पर पहुंच गई है। कृषि सलाहकारों के अनुसार 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक की अवधि फसलों की जल्दी बुवाई के लिए काफी अनुकूल मानी जाती है। इस दौरान बुवाई करने से बीज मिट्टी में ठीक से जमा हो जाते हैं। इससे पेड़ की जड़ें मजबूत होती हैं और पेड़ का विकास भी बेहतर होता है। और यह फरवरी-मार्च तक पूरी तरह से विकसित हो जाता है।

    रबी मौसम की फसलें

    हल्की गुलाबी सर्दी में रबी का मौसम शुरू होता है, इस मौसम में गेहूं, जौ, सरसों, आलू, मटर, चना आदि की खेती मुख्य रूप से की जाती है। इसके साथ ही आलू, मूली, गाजर, टमाटर, भिंडी, सोयाबीन, लौकी, पत्ता गोभी, पालक, मेथी, केल, शलजम आदि फसलें उगाई जाती हैं।


    गेहूं की खेती

    गेहूं रबी मौसम की प्रमुख फसल है। जो देश के अधिकांश हिस्सों में व्यापक रूप से प्रचलित है। पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश गेहूं उत्पादन के केंद्र माने जाते हैं। देश की खाद्य आपूर्ति यहां उत्पादित गेहूं से होती है, लेकिन इसका निर्यात भी किया जाता है। गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई के लिए 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक का समय अनुकूल है।

    चने की खेती

    भारत सहित अन्य देशों में छोले का व्यापक रूप से सेवन किया जाता है। रबी सीजन के दौरान चना को मुख्य दलहनी फसल माना जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और मध्य प्रदेश भारत में प्रमुख चना उत्पादक राज्य माने जाते हैं। अक्टूबर-नवंबर चने की बुवाई के लिए उपयुक्त महीना माना जाता है, क्योंकि चने की खेती के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। .


    सरसों की खेती

    सरसों की खेती रबी मौसम की प्रमुख दलहनी फसलों में से एक मानी जाती है। भारत और विदेशों में सरसों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। सरसों के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने में किया जाता है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र सरसों की खेती के केंद्र माने जाते हैं। पाम तेल और सोयाबीन के बाद सरसों का सबसे बड़ा उत्पादन होता है। सरसों की खेती के साथ-साथ अधिकांश किसान मधुमक्खी पालन भी करते हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।

    आलू की खेती

    आलू की खेती मुख्य रूप से रबी के मौसम में की जाती है। आलू में सभी पोषक तत्व होते हैं, इसीलिए इसे सब्जियों का राजा भी कहा जाता है। आलू की मांग साल भर बनी रहती है। आलू की खेती हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है।


  • Shahid Afridi पर भड़के BCCI अध्यक्ष, दिया मुंहतोड़ जवाब…


    BCCI: इस टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup 2022) में भारतीय टीम ने अब तक शानदार खेल दिखाया है. बांग्लादेश के खिलाफ हुए आखिरी मुकाबले में भारतीय टीम में रोमांचक अंदाज में 5 रनों से जीत हासिल की. विराट कोहली ने बल्ले से तो वहीं अर्शदीप सिंह ने गेंदबाजी में कमाल दिखाया. एक समय तक बांग्लादेश की टीम आगे चल रही थी फिर बारिश हुई और बांग्लादेश को डकवर्थ लुईस नियम के अनुसार टारगेट दिया गया.

    बारिश के बाद भारतीय टीम ने शानदार खेल दिखाया और यह मुकाबला जीत लिया. इस जीत के बाद कई लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi) ने भारतीय टीम पर बड़ा आरोप लगाया है. बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी (Roger Binny) ने अफरीदी को मुंहतोड़ जवाब दिया है.

    शाहिद अफरीदी ने दिया था यह बयान-

    शाहिद अफरीदी ने दिया था यह बयान- पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ी शाहिद अफरीदी ने हाल ही में कहा था,“टीम इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचाने के लिए ICC हर हाल में कोशिश कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा था कि मैदान गीला होने के बावजूद बांग्लादेश के साथ मैच करवाया गया. जब भारतीय टीम खेल रही होती है तो ICC के ऊपर बड़ा दबाव होता है, इसके अंदर बहुत सारी चीजें शामिल है. ओवरऑल बांग्लादेश ने बेहतरीन खेल दिखाया.” हालांकि बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले में अंपायर ने दोनों कप्तानी की सहमति से ही मैच शुरू करवाया था.

    बीसीसीआई अध्यक्ष ने दिया यह जवाब-

    बीसीसीआई अध्यक्ष ने दिया यह जवाब- रोजर बिन्नी ने हाल ही में कहा,“आईसीसी द्वारा भारतीय टीम का पक्ष लेने का आरोप सही नहीं है. सबके साथ समान व्यवहार किया जाता है, हमें अन्य टीमों से अलग क्या मिलता है? भारत क्रिकेट में एक पावरहाउस है लेकिन आईसीसी हमारे साथ दूसरी टीमों की तरह ही व्यवहार करता है.”

    पाकिस्तान जाने पर भी दिया बयान-

    पाकिस्तान जाने पर भी दिया बयान- साल 2023 का एशिया कप पाकिस्तान में आयोजित होगा. लेकिन भारतीय टीम के पाकिस्तान जाने पर अभी भी संशय बना हुआ है. इस मामले पर बात करते हुए रॉजर बिन्नी ने कहा, “यह बीसीसीआई के हाथों में नहीं है. यह फैसला सरकार की ओर से लिया जाएगा, सब सरकार की मंजूरी से ही होगा.”

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  • पुसाचे डिकंपोझर तंत्रज्ञान; पाचटही संपेल आणि खतही तयार होईल

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर के बेहतर उपयोग के उद्देश्य से किसानों द्वारा धान की पराली प्रबंधन के लिए पूसा परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें सैकड़ों किसान मौजूद थे। वस्तुतः 60 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से हजारों किसान जुड़े हुए थे। डीकंपोजर तकनीक पूसा संस्थान द्वारा यूपीएल सहित अन्य कंपनियों को हस्तांतरित की गई है, जिसके माध्यम से इसका निर्माण किया जा रहा है और किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।

    इसके द्वारा, उत्तर प्रदेश में पिछले 3 वर्षों में पूसा डीकंपोजर का उपयोग/प्रदर्शन किया गया है। पंजाब में 26 लाख एकड़, हरियाणा में 3.5 लाख एकड़ और दिल्ली में 10 हजार एकड़ में रोपे गए हैं और अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। यह डीकंपोजर सस्ता है। और पूरे देश में आसानी से उपलब्ध है।


    किसानों को पूसा डीकंपोजर के लाभ

    मंत्री तोमर ने कहा कि धान के भूसे के प्रबंधन और इससे कैसे छुटकारा पाया जाए, इस पर राजनीतिक चर्चा से ज्यादा जरूरी है। भगवा जलाने का मामला गंभीर है और इससे जुड़े आरोप समर्थन योग्य नहीं हैं। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो या किसान, देश में खेती को फल-फूल कर किसानों के घरों में खुशहाली लाना सबका एक ही मकसद है. कीचड़ जलाने से पर्यावरण के साथ-साथ इंसानों को भी नुकसान होता है, इससे निपटने के तरीके ढूंढे और अपनाए जाने चाहिए। इससे न केवल मिट्टी सुरक्षित रहेगी, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा और किसानों को काफी फायदा होगा। कार्यशाला में प्रदेश के कुछ किसानों ने पूसा डीकंपोजर का प्रयोग किया, तो उन्होंने अपने सकारात्मक अनुभव साझा किए, वहीं लाइसेंसधारियों ने भी किसानों को पूसा डीकंपोजर के फायदे बताए।


  • नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जन जागरूकता अभियान ।

    ऐतिहासिक पर्यटन स्थल नालंदा में भी डेंगू के बढ़ते प्रकोप देखते हुए नगर पंचायत नालन्दा के लोगो के विशेष आग्रह पर सृजन नालन्दा के कलाकारो ने डेंगू से बचने के लिए चलाया नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जन जागरूकता अभियान।सृजन के कलाकारों ने नालन्दा विद्यापीठ विद्यालय के प्रागंण में गीत संगीत एवम नुक्कड़ नाटक के माध्यम से डेंगू से बचने के उपाय,सावधानी एवम घरेलू उपचार बताकर लोगों को जागरूक किय।

    मौके पर सृजन कला मंच के संयोजक श्री अरविंद कुमार ने कहा कि सरदर्द, वदन दर्द, शरीर में ऐठन, जोड़ो में दर्द, तेज बुखार, जी मचलना, उल्टी आना, इत्यादि प्रमुख लक्षण है व्यक्ति को तुरंत उपचार के लिये स्वास्थ्य केंद्र जानी चाहिए वंहा निशुल्क जांच एवं उपचार की जाती हैं उपचार के पश्चात समय पे दवा एवम नारियल पानी ,अनार का जूस, तुलसी का काढ़ा, कीवी फल, गिलोय आदि का सेवन करना चाहिए उन्होंने बताया कि इसके लिए कोई अनुदान राशि कहि से नही मिली है हम सृजन के कलाकार अपनी स्वेच्छा से कर रहे है जब हमलोग नगर पंचायत सिलाव और नगर परिषद राजगीर के द्वारा लोगो को जागरूक करके आते थे तो लोग कहते थे कि नालन्दा में भी डेंगू अपना पैर फैला रहा है क्या तुम लोग यहा के लोगो को जागरूक नही करोगे अपना नाटक नही दिखाओगे तब हम लोगो ने फैसला किया सरकार व नगर प्रसाशन अपना काम तो कर ही रह है हमसब नागरिक का भी कर्त्तव्य बनता है कि अपने गांव समाज के लिए हमे भी कुछ करना चाहिए तब हमने निर्णय लिया कि सप्ताह में एक दिन समाज के लिए गीत ,संगीत एवम नाटक के माध्यम से सेवा करेंगे।

    वही सृजन के टीम लीडर सुश्री कृपा कुमारी ने लोगो से अपील करते हुवे कही की डेंगू बड़ी बीमारी नही है परन्तु सावधानी नही बरती जाए तो जान भी जा सकती है इसलिए जागरूकता ही सरल उपाय है। वही कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे विद्यापीठ विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री राजेश प्रसाद ने कहा कि सृजन के सभी कलाकार बधाई के पात्र है जो अपना बहुमूल्य समय देकर समाज को जागरूक कर रहे है इनके द्वारा बताए गए डेंगू से बचने के उपाय निश्चित रंग लाएगा।

    हम सबका भी कर्त्तव्य बनता है जो जहाँ है वही लोगो को जागरूक कर तभी डेंगू से निजात मिलेगा।पुनः भी से बधाई देते है और आग्रह करते है इसी तरह हमारे विद्यालय आते रहे।मौके पर शिक्षक राजू पासवान, हर्षवर्धन कुमार, कुमार अमिताभ , बुद्धन पासवान , मो. रेज़ा कंचन कुमारी, निर्मला सिंह,सरस्वती कुमारी,सुधा कुमारी एवम समाजसेवी हरिशंकर कुमार ने अपना विचार दिया। इस कार्यक्रम में कलाकार के रूप में राधा कुमारी,अंजली कुमारी, ज्योति कुमारी, रामसेवक कुमार,दिनेश कुमार,रौशन कुमार,कृपा कुमारी एवम अरविंद कुमार मौजूद थे।

  • अब Aadhar Card के जरिए 1 से ज्यादा ट्रांजैक्शन पर देना होगा चार्ज, जानिए क्या है नया नियम..


    डेस्क : इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (India Post Payments Bank) के ग्राहकों के लिए एक बड़ी खबर है. आईपीपीबी (IPPB) ने आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) ट्रांजैक्शन चार्जेज को रिवाइज किया गया है. IPPB ने इसे लेकर एक सर्कुलर भी जारी किया है. इस सर्कुलर के मुताबिक, AEPS ट्रांजैक्शन पर चार्जेज 1 दिसंबर, 2022 से लागू होंगे. इसके तहत ग्राहकों को 1 से ज्यादा ट्रांजैक्शन करने पर चार्ज भी देना होगा. इसमें पोस्ट ऑफिस से आधार के जरिए धनराशि निकालने, जमा करने या मिनी स्टेटमेंट लेना आदि शामिल है।

    IPPB की सर्कुलर के अनुसार, 1 महीने में नॉन-IPPB नेटवर्क (जारीकर्ता-लेनदेन) पर 1 ट्रांजैक्शन (AePS कैश डिपॉजिट, विड्रॉल और मिनी स्टेटमेंट) मुफ्त है. IPPB के सर्कुलर के अनुसार, ग्राहकों को महीने में मुफ्त लिमिट से ज्यादा होने पर प्रति ट्रांजैक्शन 20 रुपए और GST चार्ज भी देना होगा. इसमें आधार के जरिए कैश निकालना, जमा करना या मिनी स्टेटमेंट भी शामिल है. AePS मिनी स्टेटमेंट के लिए फ्री सीमा से ज्यादा होने पर प्रति ट्रांजैक्शन 5 रुपए और GST चार्ज लगाया जाएगा।

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  • रब्बी पिकांची पेरणी करताय ? मग ही बातमी वाचाच

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: किसान मित्रों, खरीफ फसलों की कटाई अपने अंतिम चरण में है और अब खेतकिसान रबी की फसल बोने के लिए बेताब हैं। राज्य में रबी मौसम के लिए मुख्य रूप से चना, ज्वार, कुसुम की बुवाई की जाती है। वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, परभणी में ग्रामीण कृषि मौसम विज्ञान सेवा योजना की विशेषज्ञ समिति ने कृषि मौसम के आधार पर कृषि सलाह की सिफारिश की है।

    फसल प्रबंधन

    1) ग्राम: बागवान नवंबर तक हरी फसल की बुवाई कर सकते हैं बागवानी हरी फसलों को 45X10 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए। बागवानी जड़ी बूटियों की बुवाई करते समय, 25 किग्रा एन, 50 किग्रा पी और 30 किग्रा पी (109 किग्रा डायमोनियम फास्फेट + 50 किग्रा पोटाश + 12 किग्रा यूरिया या 54.25 किग्रा यूरिया + 313 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट + 50 किग्रा पोटाश) प्रति लीटर डालें। हेक्टेयर दयावी।


    2) केसर : बागवानी ज्वार की फसल की बुवाई जल्द से जल्द पूरी कर ली जाए। बुवाई 45X20 सेमी की दूरी पर करनी चाहिए। बागवानी ज्वार के लिए अनुशंसित उर्वरक बुवाई के समय 30 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर और एक महीने में 30 किलो नाइट्रोजन (बुवाई के समय 87 किलो डायमोनियम फास्फेट + 31 किलो) के साथ 60:40:00 है। यूरिया या 65 किलो यूरिया + 250 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट बुवाई के समय और 65 किलो यूरिया बुवाई के एक महीने बाद देना चाहिए)।

    3) हल्दी: हल्दी पर लीफ स्पॉट और कैरपेस के प्रबंधन के लिए, एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनकोनाज़ोल 11.4% एससी 10 मिली या बायोमिक्स 100 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में अच्छी गुणवत्ता वाले स्टिकर के साथ स्प्रे करें। हल्दी में कंद प्रबंधन के लिए बायोमिक्स 150 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में डालना चाहिए। हल्दी पर सुंडी के प्रबंधन के लिए 15 दिनों के अंतराल पर अच्छी गुणवत्ता वाले स्टिकर के साथ क्विनालफॉस 25% 20 मिली या डाइमेथोएट 30% 15 मिली प्रति 10 लीटर पानी का वैकल्पिक छिड़काव करें। खुले हुए कंदों को मिट्टी से ढक देना चाहिए। (हल्दी की फसल पर केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा कोई लेबल दावा नहीं किया गया है और शोध के निष्कर्ष विश्वविद्यालय की सिफारिश में दिए गए हैं)।


    4) गन्ना : शुरुआती सीजन के गन्ने की बुवाई 15 नवंबर तक की जा सकती है. 30 किलो नाइट्रोजन, 85 किलो फॉस्फोरस और 85 किलो पलाश (327 किलो 10:26:26 या 185 किलो डायमोनियम फॉस्फेट + 142 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश या 65 किलो यूरिया + 531 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट + 142 पोटाश का म्यूरेट) गन्ना बोते समय। प्रति हेक्टेयर खाद डालना चाहिए। यदि गन्ने की फसल तना बेधक से प्रभावित है, तो प्रबंधन के लिए क्लोरपाइरीफोस 20% 25 मिली या क्लोरट्रानोलेप्रोल 18.5% 4 मिली प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें।