Author: Biharadmin

  • बिहार : जमीन की दाखिल-खारिज में ‘फीफो’ नियम लागू – अब CO की मनमानी होगी खत्म!


    डेस्क : Online दाखिल-खारिज के मामलों में अंचल कर्मियों की मनमानी अब नहीं चलेगी। इसपर अंकुश लगाने के लिए जल्द ही फीफो लागू होगा। फीफो (First In, First Out) यानी पहले आओ पहले पाओ। यह व्यवस्था लागू करने के बाद म्युटेशन के जो आवेदन पहले आएंगे उसका निपटारा भी पहले करना अंचल कर्मियों के लिए अनिवार्य होगा। इससे अंचल अधिकारी, राजस्व कर्मचारी और डाटा इंट्री ऑपरेटरों जैसे अंचलकर्मी म्युटेशन के मामलों में पीक एंड चूज भी नहीं कर पाएंगे।

    मॉडल रूप में फीफो की शुरुआत में हाजीपुर, समस्तीपुर, भागलपुर, सीवान और नवादा जिले के कुछ अंचलों में लागू करने की संभावना पर विचार किया गया। उससे प्राप्त इनपुट के आधार पर इसे पूरे बिहार के सभी 534 अंचलों में लागू भी किया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने वरीय अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श भी किया।

    मंत्री ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अगर सही वजह से दाखिल-खारिज के किसी मामले को अस्वीकृत करना आवश्यक हो तो भी उसके बारे में विस्तार से और भी लिखित में जानकारी दी जाए। साथ ही अस्वीकृत करने से पहले जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए आवेदक को एक और मौका जरूर दिया जाए।

    मॉडल रूप में फीफो को शुरुआत में हाजीपुर, समस्तीपुर, भागलपुर, सीवान और नवादा जिले के कुछ अंचलों में लागू करने की संभावना पर विचार किया गया। उससे प्राप्त Input के आधार पर इसे पूरे बिहार के कुल 534 अंचलों में लागू किया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कुछ वरीय अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया।

    मंत्री ने अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया हैं कि अगर सही वजह से दाखिल-खारिज के किसी मामले को अस्वीकृत करना आवश्यक भी हो तो भी उसके बारे में विस्तार से और लिखित में जानकारी दी जाए। साथ ही अस्वीकृत करने से पहले जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए आवेदक को एक और मौका जरूर दिया जाए।

    [rule_21]

  • नैसर्गिक शेतीला चालना देण्यासाठी सुरू केली नवीन वेबसाइट, जाणून घ्या ती शेतकऱ्यांना कशी करेल मदत

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन की राष्ट्रीय संचालन समिति की पहली बैठक में हिस्सा लिया. इस बीच उन्होंने एनएमएनएफ पोर्टल (http://naturalfarming.dac.gov.in/) का भी उद्घाटन किया। देश में प्राकृतिक कृषिउन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को इस संबंध में राज्य सरकार और केंद्रीय विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने में अधिक आसानी हो.

    वहीं, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती का काम किया जा रहा है. जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि पहले चरण में सहकार भारती के साथ एमओयू के माध्यम से 75 सहकार गंगा गांवों की पहचान की गई है और एक रोडमैप तैयार किया गया है और किसानों को प्रशिक्षित किया गया है. साथ ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार ने प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए अच्छी पहल की है. इस बैठक में उन्होंने अपने सुझाव भी दिए।


    दरअसल, लॉन्च किया गया पोर्टल (http://naturalfarming.dac.gov.in/) केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है। इसमें मिशन, कार्यान्वयन रूपरेखा, संसाधन, कार्यान्वयन प्रगति, किसान पंजीकरण और ब्लॉग जानकारी के बारे में सभी जानकारी शामिल है, जो किसानों के लिए उपयोगी होगी। साथ ही यह वेबसाइट देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में मदद करेगी।

    कृषि भवन में बैठक हुई

    राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF) की राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC) की पहली बैठक गुरुवार को दिल्ली के कृषि भवन में हुई। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की। इस बीच, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के साथ केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे. इस अवसर पर सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना के तहत प्रदेश में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने की शुरुआत की गयी है. प्रत्येक ब्लॉक में कार्य का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और मास्टर प्रशिक्षण आयोजित किया गया है।


    1.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही है प्राकृतिक खेती

    बैठक में बताया गया कि दिसंबर-2021 से अब तक 17 राज्यों में 4.78 लाख हेक्टेयर से अधिक अतिरिक्त क्षेत्र को प्राकृतिक कृषि के तहत लाया गया है। 7.33 लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती में पहल की है। किसानों की स्वच्छता और प्रशिक्षण के लिए करीब 23 हजार कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। चार राज्यों में गंगा नदी के किनारे 1.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की जा रही है।


  • Sahara India उपभोक्ता खुश हो जाइए! अब मिलेगा आपका पूरा पैसा, पढ़ें – पूरी खबर..


    डेस्क : फुलवारी शरीफ थाने में Sahara India समूह के मालिक सुब्रत राय और उनकी पत्नी सपना राय समेत चेयरमैन और प्रबंध निदेशक समेत कुल 12 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है. Sahara में जमा करोड़ों रुपयों कि राशि का भुगतान नहीं होने से नाराज फुलवारी शरीफ के 250 अभिकर्ताओं और जमाकर्ताओं ने थाना में मामला दर्ज कराया है और भुगतान करने की मांग भी की है. इसको लेकर के पुलिस ने एक मामला भी दर्ज कर लिया है.

    इसकी जानकारी देते हुए फुलवारी शरीफ थानाध्यक्ष सफिर आलम ने यह बताया कि लगभग 250 के आस पास लोगों द्वारा एक आवेदन दिया गया है. इसमें आवेदनकर्ताओं का यह कहना है कि Sahara में उन्होंने पैसा इन्वेस्ट किया था. उनकी मैच्योरिटी अब पूरी हो गयी है, लेकिन उनको उनकी मैच्योरिटी का पैसा नहीं मिल रहा है. आवेदकों ने कई स्तर से बात करने का प्रयास भी किया, लेकिन समाधान नहीं हुआ.

    मामला दर्ज करने वाले शिकायत कर्ता विशाल ने बताया कि फुलवारी शरीफ में लगभग 1500 लोगों का सहारा भुगतान नहीं कर पाई है. उनकी मैच्योरिटी अब पूरी हो चुकी है और कई बार सहारा के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन भुगतान नहीं हो सका हैं. काफी दिनों के बाद फुलवारी शरीफ थाना में मामला दर्ज किया गया है. इसमें सहारा के मालिक समेत ब्रांच के मैनेजर तक को भी नामजद किया गया है. लगभग 12 लोग नामजद भी किए गए हैं.

    [rule_21]

  • हरभरा पेरणी कधी कराल ? कोणत्या जातीची निवड कराल ? जाणून घ्या संपूर्ण व्यवस्थापन

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: चना की कृषि योग्य फसल में खरपतवार प्रबंधन के लिए पहली फसल 20 से 25 दिन की होने पर और दूसरी फसल 30 से 35 दिन की होने पर करनी चाहिए। हो सके तो चिकन को स्टीम कर लेना चाहिए। कटाई के बाद दोनों पौधों से खरपतवार निकालने के लिए तुरंत निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।

    1) बागवानी की बुवाई 10 नवंबर तक कर लेनी चाहिए। बुवाई के लिए फुले विक्रम, फुले विक्रांत या उन्नत किस्म पीडीकेवी-कनक का चयन करना चाहिए।
    2) ट्राइकोडर्मा को बुवाई से पहले 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए ताकि बीज का अंकुरण बेहतर हो और अंकुर अवस्था में फफूंद रोगों से बचाव हो सके। इसके बाद राइजोबियम और पीएसबी जीवाणु वृद्धि को 250 ग्राम प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए।
    3) ट्राइकोडर्मा पाउडर को अच्छी तरह सड़ी हुई गाय के गोबर में 2.5 किलो प्रति एकड़ की दर से मिलाकर बुवाई से पहले मिट्टी में फैला देना चाहिए ताकि मिट्टी जनित फफूंद रोगों को फैलने से रोका जा सके।
    4) बुवाई के लिए देशी किस्म का 25 से 30 किलो प्रति एकड़ और काबुली किस्म का 40 से 50 किलो प्रति एकड़ का प्रयोग करना चाहिए। देसी किस्मों को 30 × 10 सेमी की दूरी पर और काबुली किस्मों को 45 × 10 सेमी की दूरी पर बोया जाना चाहिए। बीज को 5 सेमी की गहराई पर बोने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
    5) जलवायु परिवर्तन के कारण अक्सर बेमौसम बारिश होती है और फसल में पानी जमा हो जाता है, फसल अंकुरित हो जाती है। इससे बचने के लिए साड़ी वर्मम्बा पर चौड़े बेड स्टीमर से या बाइटिंग विधि से बोना बेहतर होता है।
    6) रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के अनुसार करना चाहिए। यदि मृदा परीक्षण संभव न हो तो रासायनिक उर्वरक की पूरी मात्रा अर्थात 25 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फोरस एवं 30 किग्रा पलाश अर्थात 50 किग्रा यूरिया, 300 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट एवं 50 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश अथवा 125 किग्रा0 डायमोनियम फॉस्फेट प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय डालना चाहिए।


  • प्राइवेट स्कूल चलाने के बदले नियम – सरकार ने कसी नकेल, जानें – नया दिशा-निर्देश..


    डेस्क : नये शैक्षिक सत्र से राज्य में बिना अनुमति के 8वीं कक्षा तक के निजी विद्यालय संचालित नहीं होंगे। प्रदेश भर में बड़ी संख्या में संचालित हो रहे पहली से 8वीं कक्षा तक के निजी विद्यालयों पर सरकार ने नकेल कसते हुए अब अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है।

    यदि अनुमति प्राप्त किए बिना ही विद्यालय संचालित किए गए तो सख्त कार्रवाई भी होगी। पहले से अनुमति प्राप्त निजी विद्यालयों को भी अपने अभिलेख शिक्षा विभाग के E-संबंधन पोर्टल (EDU-आनलाइन डाट बिहार डाट जीओवी डाट इन) पर DEO के माध्यम से अपलोड कराना जरूरी है। इस संबंध में शिक्षा विभाग की तरफ से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी जारी किया गया है।

    E -संबंधन पोर्टल पर करना होगा आवेदन :

    E -संबंधन पोर्टल पर करना होगा आवेदन : शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में निजी प्रारंभिक विद्यालयों के संचालकों को आगाह करते हुए यह कहा है कि सरकार से अनुमति के लिए शिक्षा विभाग की वेबसाइट E-संबंधन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। नयी व्यवस्था के तहत पहले से अनुमति प्राप्त विद्यालयों का आनलाइन डाक्युमेंट अपलोड करना होगा। इसके बाद जिला स्तर पर 3 सदस्यीय समिति द्वारा निर्धारित मापदंड के तहत जांच भी की जाएगी और फिर अनुमति का प्रमाण पत्र निर्गत होगाF

    [rule_21]

  • Weather Update : राज्यात गारठा कायम; किमान 11 अंश सेल्सिअसची नोंद

    नमस्ते कृषि ऑनलाइन: राज्य के अधिकांश हिस्सों में गरथा (मौसम अपडेट) जारी है। कोंकण और दक्षिण मध्य महाराष्ट्र को छोड़कर राज्य के सभी हिस्सों में पारा 18 डिग्री से नीचे है। पिछले 24 घंटों में न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है. इस बीच आज राज्य में आसमान साफ ​​रहेगा और मौसम शुष्क रहेगा।

    मौसम पूर्वानुमान

    केरल और आसपास के क्षेत्रों में समुद्र तल से 3.6 किमी ऊपर चक्रवात (मौसम अद्यतन) की स्थिति। इस सिस्टम से तमिलनाडु, दक्षिण अंडमान सागर तक एक पूर्व-पश्चिम निम्न दबाव की पेटी सक्रिय है। इसमें दक्षिण अंडमान सागर में 3.1 किमी की ऊंचाई पर चक्रवाती हवा चलने की स्थिति है। राज्य में पिछले कुछ दिनों से बढ़ रही ओलावृष्टि का सिलसिला जारी है और सुबह ओस गिर रही है. दक्षिण महाराष्ट्र के जिलों में आंशिक रूप से बादल छाए हुए हैं, कोंकण सहित कोल्हापुर, सोलापुर जिलों में न्यूनतम तापमान 20 डिग्री से ऊपर है. राज्य के बाकी हिस्सों में साफ आसमान के साथ तेज हवाएं चल रही हैं। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि राज्य के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा।

    तापमान कहाँ है? (मौसम अद्यतन)

    शुक्रवार (चौथी) सुबह तक 24 घंटे के दौरान प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर अधिकतम तापमान दर्ज किया गया, न्यूनतम तापमान कोष्ठों में दर्ज किया गया. (डिग्री सेल्सियस में):

    पुणे 31.7 (13)
    जलगाँव 34.5 (15)
    धुले 33 (11)
    कोल्हापुर 31.6 (18.7)
    महाबलेश्वर 25.2(15.3)
    नासिक 31 (12.9)
    निफाड 31.2 (11.6)
    सांगली 32.2 (17.7)
    सतारा 30.3 (17.9)
    सोलापुर 33 (19.9)
    सांता क्रूज़ 34.9 (20.6)
    दहानु 34 (19.6)
    रत्नागिरी 35.5 (20.5)
    औरंगाबाद 31.8 (13.1)
    नांदेड़ 32.2 (16)
    उस्मानाबाद 31.3 (17.4)
    परभणी 31.6 (15)
    अकोला 34.2 (17)
    अमरावती 33.4 (15.5)
    बुलदाना 31 (16.4)
    ब्रह्मपुरी 33.8 (17.3)
    चंद्रपुर 32 (16.2)
    गढ़चिरौली 32 16.2)
    गोंदिया 32 (16.2)
    नागपुर 32.4 (15.8)
    वर्धा 32.5(16.6)
    वाशिम 32.4 (16)
    यवतमाल 31.5 (15)।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों को डिग्री निर्गत करने में हो रहे विलम्ब पर कड़ा रुख अपनाया

    चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विवेक राज की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी सम्बंधित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अगली सुनवाई में हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो कुलपति हलफनामा दायर नहीं करेंगे,उन पर पाँच हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।ये धनराशि उनके व्यक्तिगत वेतन से काटा जाएगा।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शाश्वत ने बताया कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों की परीक्षा ली जाती है।एक तो इन विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक सत्र ऐसे भी विलम्ब से चल रहे है।परीक्षाएं भी निर्धारित समय पर नहीं ली जा रही है।उन्होंने के कोर्ट को बताया कि परीक्षाएं लेने और रिजल्ट देने के बाद भी ये विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को डिग्रियां देने में विलम्ब करते हैं।इससे जहां छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है,वहीं इन छात्रों के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता हैं।

    PatnaHighCourt
    #PatnaHighCourt

    विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरियों में डिग्री मांगी जाती हैं।लेकिन डिग्री नहीं होने के कारण उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरियों से वंचित रह जाना पड़ता हैं।इसलिए ये आवश्यक है कि छात्रों को सम्बंधित विश्वविद्यालय प्रशासन समय पर डिग्री उपलब्ध कराएं।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

  • अपने शहजादे को हिंदी सिखाने के लिए औरंगजेब ने बनवाया था शब्दकोश, बेहद खास थी ये डिक्शनरी


    डेस्क: मुगल साम्राज्य ने अच्छे से अच्छा और बुरे से बुरा दिन देखा है। पीढ़ियों तक चली इस सल्तनत का सबसे क्रूर बादशाह औरंगजेब को माना जाता है। जबरदस्ती या ताकत दिखा कर उसने वो हर एक चीज हासिल की जो उसको चाहिए थी। उसने खुद अपने भाई तक की हत्या की, पिता को बंदी बनाया पर जब अपने बच्चो की परवरिश की बात आई तो उसने हर वो एक कोशिश की जिससे वो अपने बेटों को लायक बना सके। कहा जाता है कि अपने अंतिम समय में उसको अपने कर्मों पर इतना पछतावा रहा है कि अपने आप को उसने पापी कह दिया था। यही कारण है की औरंगजेब को मुगलिया सल्तनत की सबसे जटिल शख्सियत कहा गया है, जिसे समझना आसान नहीं रहा।

    मुगल सल्तनत के छठे बादशाह औरंगजेब का जन्म 3नवंबर, 1618 हुआ था। उसने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक शासन किया था। वो अपने समय का सबसे बड़ा और शक्तिशाली शासक था जिसने अपने शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। कई सारी बुराइयों से भरे होने के बाद भी उसने कुछ ऐसा भी काम किया है जिसे सराहा गया है। अपने बेटे को बेहतर तालीम देने के लिए औरंगजेब ने हिन्दी-फारसी शब्दकोश तैयार कराया था और उसका नाम ‘तोहफ़तुल-हिन्द’ रखा गया था।

    मुगलों को हिन्दी सिखाने वाला शब्दकोश

    मुगलों को हिन्दी सिखाने वाला शब्दकोश : ‘औरंगज़ेब, एक नई दृष्टि’ किताब में इतिहासकार ओम प्रकाश प्रसाद ने लिखा है कि “औरंगजेब में उस शब्दकोश को इस तरह से तैयार कराया कि कोई भी फारसी जानने वाला इंसान आसानी से हिन्दी को सीख सके।” आपको बता दें हाल ही में इसकी एक प्रतिलिपि पटना की मशहूर खुदाबख्श खां ओरियंटल लाइब्रेरी में हाल में रखी गई है। इसे आम लोगों के लिए वहां रखवाया गया है। बादशाह ने ‘तोहफ़तुल-हिन्द’ शब्दकोष को अपने तीसरे बेटे आजम शाह के लिए बनवाया ताकि वो हिन्दी सीख सके। आजम शाह का पूरा नाम अबुल फैज़ क़ुतुबउद्दीन मोहम्मद आज़म था।

    1674 में तैयार हुआ शब्दकोश

    1674 में तैयार हुआ शब्दकोश : इस डिक्शनरी को बनाने का आदेश मुगल बादशाह ने मिर्ज़ा ख़ान बिन फ़ख़रूद्दीन मुहम्मद को दिया था। महीनों तक इस पर काम किया गया। फिर कई महीनों की मेहनत के बाद ये शब्दकोष साल 1674 में बन कर तैयार हो गया है। बता दें वर्तमान में भी इसकी कई प्रतिलिपियां पुस्तकालयों में मौजूद हैं। विदेशी मीडिया बीबीसी की रिपोर्ट में ख़ुदा बख़्श खां लाइब्रेरी की डायरेक्टर शाइस्ता बेदार का कहना है कि “उस डिक्शनरी में हिंदी और ब्रजभाषा के शब्दों का इस्तेमाल किया गया। डिक्शनरी में शब्दों के उच्चारण करने का तरीका और फिर उसके फारसी मायने को समझाया गया है। जैसे- चंपा के फूल का अर्थ बताते हुए लिखा गया है कि ऐसा जर्द यानी पीला फूल जिसमें हल्की सफेदी नजर आती है। जिसका इस्तेमाल हिन्दुस्तानी कवि अपनी माशूका की खूबसूरती को बयां करने के लिए करते हैं।”

    इस कारण से चर्चा में आई थी पुस्तक

    इस कारण से चर्चा में आई थी पुस्तक : उस समय दरबार में फारसी शब्दों का इस्तेमाल होता था। इसी कारण से मुगल दरबार में फारसी बोलने वालों की संख्या ज्यादा थी। पर हिंदुस्तान में हिंदी भाषा प्रमुख थी। ऐसे में धीरे-धीरे फारसी जुबान के साथ हिन्दी के शब्द बोले जाने लगे थे। शहजादे के लिए बनवाए गए उस शब्दकोश में भारतीय औषधि, ज्योतिष, संगीत और दूसरी विधाओं से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध थीं।

    शाइस्ता बेदार कहती है, “उस शब्दकोष को बनवाने का उद्देश्य हर समुदाय के लोगों के बीच समरसता को बढ़ावा देना था।” इतिहासकारों का कहना है कि “औरंगजेब खुद अरबी और फारसी का अच्छा जानकार था क्योंकि परिवार की पिछली पीढ़ियों में इसी भाषा का इस्तेमाल होता रहा ह. इसके बावजूद हिन्दी भाषा को लेकर उसका रवैया नकारात्मक बिल्कुल नहीं था।”

    1707 में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद 3 महीने के लिए शहजादे आजम शाह मुगल सल्तनत के बादशाह बने। आजम शाह से औरंगजेब को बेहद लगाव था। उसने अपने शासन काल के समय ही अपने बेटे को उत्तराधिकारी घोषिकर कर दिया था। लेकिन आजम शाह के साथ भी वही हुआ जो पिछली पीढ़ियों में होता आया था- सत्ता को हासिल करने के लिए खेला जाने वाला गृह युद्ध।

    जिसके बाद 12 जून 1707 को आगरा के पास स्थित जाजाउ के युद्ध में उसे उसके सौतेले भाई शाह आलम ने उसकी हत्या कर दी। और इसके साथ आजम शाह के साथ वही हुआ जो सत्ता पाने के लिए उसके पिता ने किया था। बता दें आजम शाह की कब्र भी महाराष्ट्र के ख़ुल्दाबाद में बनवाई गई जहां औरंगजेब को दफनाया गया।

    [rule_21]

  • Jio लाया धमाकेदार ऑफर, 1 महीना Free पसंद न आने पर पैसे वापिस


    डेस्क: अपने ग्राहकों की जरूरत का ख्याल Jio बराबर रखना जानता है। अपने सभी ग्राहकों के बारे में कंपनी सोचती है। इसी क्रम में कोरोना काल में जब वर्क फॉर्म होम का प्रचलन शुरू हुआ तो Jio ने ब्रॉडबैंड कनेक्शन का कार्य भी शुरू किया। Jio ब्रॉडबैंड कनेक्शन में आपको हाई स्पीड इंटरनेट का लाभ 1 महीने तक मुफ्त में मिलेगा। फिर चार्ज लिया जाता है और कंपनी के चार्जेस भी बजट फ्रेंडली हैं। इसमें आपको हाई स्पीड इंटरनेट 1 महीने के लिए मुफ्त देते हैं। तो अगर आपको भी आपको भी मुफ्त इंटरनेट का लाभ उठाना है तो आप भी ये कनेक्शन लगवा सकते हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में सारी डिटेल।

    रिलायंस जियो के ब्रॉडबैंड कनेक्शन के लिए क जियो फाइबर को लगाया जाता हैं। ये कनेक्शन आपको हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन देता हैं। इस मुफ्त इंटरनेट कनेक्शन के लिए आपको 1500 रूपए सिक्योरिटी के रूप में जमा करने होते हैं। फिर 1 महीने तक आपको फ्री इंटरनेट मिलेगा। इस दौरान यदि आपको इंटरनेट की स्पीड बेहतर नही लगती हैं। और जो पैसे आपने सिक्योरिटी के तौर पर दिए हैं वो वापिस मिल जाते हैं।

    399 से शुरू होते हैं प्लान

    399 से शुरू होते हैं प्लान
    अगर आपको जियो फाइबर पसंद आता हैं, तो आपको हर महीने रिचार्ज करना होगा। केवल 399 रूपए सेJio Fiber के प्लान शुरू होते हैं तो फिर आप हर महीने रिचार्ज करवा सकते हैं। इसमें आपको बहुत ही शानदार इंटरनेट स्पीड देता हैं। इसके 399 रूपये से शुरू होता हैं। इसके बाद आप जितना चाहो उतना अधिक वाले प्लान का चुनाव कर सकते हैं ये आप पर निर्भर करता हैं।

    लैंडलाइन नंबर भी मिलेगा फाइबर राउटर के साथ

    लैंडलाइन नंबर भी मिलेगा फाइबर राउटर के साथ
    जियो फाइबर एक तरह का राउटर है। जिसमें आपको एक लैंडलाइन नंबर भी मिलेगा। इसे आप मोबाइल से भी कनेक्ट कर प्रयोग कर सकते हैं। जियो फाइबर के तहत ग्राहकों को अनलिमिटेड डेटा मिलता है। साथ ही आप इसकी स्पीड कभी भी चेक कर सकते हैं। इसकी स्पीड को चेक करने के लिए आपको 1 महीने का मुफ्त इंटरनेट दिया गया हैं। हालांकि ऐसे लोग बेहद कम हैं जिन्होंने इसको लगवाने के 1 महीने बाद इसको हटवा दिया हैं।

    [rule_21]

  • अब रहना भी होगा महंगा! अचानक बढ़ गए घर के रेंट, जानें -नया रेट..


    डेस्क: महंगाई लगातार बढ़ रही है अब इसी क्रम में अब किराया भी बढ़ने की खबर सामने आई है। कई बड़े शहरों में मकान के किराए में बढ़त हो जा रही है। जारी एक रिपोर्ट के अनुसार अब किराए में 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इतना ही नहीं आने वाले समय रेंट में और भी ज्यादा तेजी देखी जा सकती है।

    हाउसिंग सेक्टर पर काम करने वाली कंपनी मैजिकब्रिक्स ने अपने रिपोर्ट में बताया बड़े शहरों में घरों के किराये में 15 परसेंट तक की ‘बढ़ोतरी देखी जा रही है. जिन शहरों में किराये में वृद्धि हुई है उनमें दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे शहर हैं।’

    जहां राजधानी दिल्ली में करीब 9% वहीं नोएडा में 11 और ग्रेटर नोएडा में 6% तक किराए में इजाफा देखा गया है। इसके साथ कोलकाता में किराये 7% बढ़ा तो हैदाराबाद में 14 और बेंगलुरु में 13% की वृद्धि देखी गई है। साथ ही ये बढोतरी चेन्नई में 4%, पुणे में 9%, मुंबई में 6%, अहमदाबाद में 4% की दर से रिफॉर्ड की गयिभाई। मालूम हो बीते एक साथ मकान के किराए में इतनी बढोतरी हुई है। दिए गए सभी शहरों में हैदराबाद टॉप पर है जहां सबसे अधिक किराये में वृद्धि दर्ज की गई है। अहमदाबाद और चेन्नई में सबसे कम 4 परसेंट के आसपास किराये में बढ़ोतरी देखी गई है।

    क्यों बढ़ा किराया

    क्यों बढ़ा किराया : अब सवाल ये है कि अचानक मकान के किराये में बढ़ोतरी क्यों देखी गैभाई। इस बारे में मैजिकब्रिक्स की रिपोर्ट के अनुसार “जो लोग कोविड के दौरान घर लौट गए थे, अब वापस शहर आ गए हैं। कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम भी खत्म कर दिया है। स्कूल-कॉलेज से लेकर कंपनी और फैक्ट्री तक फुल चल रही हैं। कोविड के दौरान मकान खाली रहने से किराये में गिरावट या स्थिरता देखी गई। अब जब स्थिति सामान्य हो गई है तो मकानों में तेजी आ गई है। इस मांग के बढ़ने से किराये में तेजी देखी जा रही है।”

    मांग और आपूर्ति में भारी अंतर के वजह से भी किराए में बढ़ोतरी हुई है। जैसे घरों की मांग तेजी से बढ़ी है उसी तेजी से घर मिलने के आसार बेहद कम हैं। यानी जितने लोग शहर में आए हैं, उतने लोगों के हिसाब से मकान बने नहीं हैं या खाली नहीं हैं। इसी वजह से मांग और आपूर्ति में अंतर के चलते प्रॉपर्टी मार्केट में बड़ा अंतर साफ दिख रहा है। कई शहरों में हालत ये है कि घरों की मांग 18-20 परसेंट तक बढ़ी है, लेकिन आपूर्ति आधे परसेंट तक भी नहीं बढ़ पाई है। ऐसे में किराये में बढ़ोतरी लाजिमी है।

    क्या कहती है एनारॉक की रिपोर्ट

    क्या कहती है एनारॉक की रिपोर्ट : किराये को लेकर हाल में एनारॉक ने भी एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि “छोटे शहरों से लेकर बड़े महानगरों तक सब जगह घरों के किराये बढ़े हैं। पॉश कॉलोनी में किराये में बढ़ोतरी 8 से 18 परसेंट तक देखी जा रही है। घरों का किराया पिछले दो साल में 18 परसेंट तक बढ़ा है, लेकिन उसी मकान की कीमत अधिकतम 9 परसेंट तर बढ़ी है।” तो अगर आप घर खरीद रहे हैं तो आपको उतनी बढ़ोतरी नहीं दिखेगी जितनी बढ़ोतरी किराये पर घर लेने में दिख रही है।

    [rule_21]