Author: Biharadmin

  • PM Kisan : अगले महीने जारी हो सकती है 13वीं किस्त, जल्द खत्म करें ये काम

    हैलो कृषि ऑनलाइन: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना की 13वीं किस्त लंबित है खेतटैक्स के लिए अच्छी खबर है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 13वीं किस्त दिसंबर महीने में जारी हो सकती है. हालांकि सरकार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। लेकिन जिन किसानों ने इस योजना के लिए आवेदन नहीं किया है वे भी इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसके लिए उन्हें पीएम किसान की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यदि वे इसे ऑनलाइन नहीं कर सकते हैं, तो वे निकटतम सीएससी केंद्र पर जाकर योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।

    खास बात यह है कि रजिस्ट्रेशन कराते वक्त आपके पास जमीन के दस्तावेज, आधार कार्ड, बैंक डिटेल्स, एड्रेस प्रूफ और पासपोर्ट साइज फोटो होना जरूरी है। अगर आपके पास ये सभी दस्तावेज (पीएम किसान) हैं तो आप घर बैठे आसानी से इस योजना में अपना नामांकन करा सकते हैं।

    (पीएम किसान) के रूप में रजिस्टर करें

    -पीएम किसान योजना (पीएम किसान) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं http://pmkisan.gov.in/
    – ‘Farmer’s Corner’ पर आपको ‘New Registration Option’ मिलेगा, उस पर क्लिक करें। अब एक नया पेज खुलेगा।
    – अब रूरल फार्मर रजिस्ट्रेशन या अर्बन फार्मर रजिस्ट्रेशन में से किसी एक को सेलेक्ट करें।
    – इसके बाद अपना आधार नंबर, मोबाइल नंबर और राज्य लिखें।
    – इसके बाद गेट ओटीपी पर क्लिक करें
    – अब बाकी डिटेल्स जैसे पता, जन्मतिथि, खसरा नंबर आदि भरें।
    -सभी विवरण सबमिट करें

    आवश्यक दस्तावेजों की सूची (पीएम किसान)

    -किसानों के स्वामित्व वाली भूमि का विवरण (पात्र लाभार्थी)
    -आधार कार्ड
    – मोबाइल नंबर
    – बैंक के खाते का विवरण

    योजना का लाभ उठाने के लिए लाभार्थियों को अपना ई-केवाईसी (पीएम किसान) पूरा करना भी आवश्यक है अन्यथा वे योजना के लाभ से वंचित रह जाएंगे। किसान ई-केवाईसी ऑनलाइन पूरा कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें नजदीकी सीएससी या वसुधा केंद्र से पास होना होगा। यहां बायोमेट्रिक तरीके से ई-केवाईसी अपडेट करने के लिए 15 रुपये का शुल्क देना होगा।

  • मना के बावजूद खेतों में पराली जला खुद का नुकसान कर रहे हैं किसान – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

     नगरनौसा (नालंदा दर्पण)। नगरनौसा प्रखंड क्षेत्र में प्रतिबंध के बाबजूद भी किसान लगातार पराली जला रहे, लेक़िन फिर भी विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किया जा रहा।

    बता दें कि किसानों द्वारा धान के फसल का हार्वेस्टिंग के बाद बचा पुआल को आग लगा रहे हैं। पुआल को जलाने से पर्यावरण के साथ-साथ खेतों पर भी इसका असर होता हैं।

    मृदा में धान के पुआल को जलाने से मृदा स्वास्थ्य में गिरावट का सीधा प्रभाव फसल की वृद्धि एवं उसकी उत्पादकता पर पड़ता है। जब मृदा स्वास्थ्य खराब होता है तो भूमि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने में समर्थ नहीं होती एवं पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।

    भूमि के पोषक तत्वों पर कुप्रभावः पुआल को जलाने से कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में कमी होती है और कार्बनिक पदार्थों का संबंध सीधा मृदा स्वास्थ्य से होता है जो मृदा संरचना को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुआल को जलाने से कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में कमी होने से सूक्ष्म जीवों को पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ नहीं मिल पाते।

    इसका सीधा प्रभाव भूमि के पोषक तत्वों की उपलब्धता पर पड़ता है, क्योंकि इस अवस्था में सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित करने में असमर्थ होते हैं।

    खेत मे जलाई जा रही पुआलः प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश जगहों पर सरकार के दिशा निर्देश के बावजूद भी कई किसान खेत में पुआल को आग के हवाले कर दे रहे है। इसके चलते मित्र जीव तथा लाभदायक जीवांश जलकर नष्ट हो रहे है।

    इसके अतिरिक्त खेतों की मिट्टी तथा फसल पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। यही नहीं यह इसके धुआं से पर्यावरण तथा हवा में जहरीली गैस घुल जाने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है।

    पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारक हैं ये गैसः पुआल को जलाने से कई हानिकारक गैसेस निकलती जैसे विभिन्न ग्रीन हाऊस गैसें यथा कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनडाइ ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मिथेन है जो पर्यावरण भारी नुकसान पहुंचाती है। इससे बचना चाहिए। पुआल जलाने से कार्बनिक पदार्थों की मात्रा में कमी होती है और इसका सीधा स्वास्थ्य पर पड़ रहा है

    उर्वरा शक्ति नष्ट होने के साथ ही मानव जाति पर पड़ रहा विपरीत प्रभावः यदि इसी प्रकार खेतों की उपजाऊ शक्ति स्वत: नष्ट हो जायेगी खेतों मे फूंके जा रहे पुआल से क्षति के सिवा फायदा नहीं है।

    खेतों में गिरा अनाज जिसे पशु व पक्षी चुग कर अपना पेट भरते थे वो जल जा रहे है। साथ ही खेतों व खरपतवारों में रहने वाले छोटे कीड़े मकोड़े जल कर मर जा रहे है। इसका विपरीत प्रभाव मानव जाति पर पड़ रहा है।

    फिर भी लोग नहीं समझ रहे है। पानी का लेयर नीचे भागने से ठंडी के मौसम में ही चापाकल व ट्यूब वेल जवाब दे रहे है तो आने वाली गरमी में क्या होगा? किसान खेतों के पटवन के लिये परेशान है तो वहीं कुछ लोग खेत में पुआल फूंक धरती के टेम्प्रेचर को बढ़ाने मे लगे है।

     

  • Indian Railway : दिल्ली-हावड़ा रूट पर जल्द दौड़ेगी Bullet Train, जानें – कहां कहां होगा स्टेशन..


    डेस्क : बिहार से नई दिल्ली जाने के लिए रेलवे की ओर से एक बड़ी सौगात की कवायद भी चल रही है. रेलयात्रियों की सुविधा को देखते हुए रेलवे ने एक बड़ा कदम भी उठाया है. बहुत ही जल्द दिल्ली से हावड़ा रूट पर बुलेट ट्रेन भी दौड़ेगी. इस प्रक्रिया को पूरी करने को लेकर पंडित दिनदयाल से लेकर पटना से हावड़ा मार्ग पर काम चल रहा है. रेल की पटरी बदली जा रही है.

    संभावना यह है कि बक्सर जिले में उसका स्टॉपेज भी हो सकता है. रेलवे के अधिकारी और जिला प्रशासन स्टेशन और ट्रैक बनाने के लिए जमीन भी चिह्नित करने की तैयारी में है. बुलेट ट्रेन का परिचालन बिहार के पटना से शुरू होने के बाद अब पटना से दिल्ली तक का सफर महज 6 घंटे में पूरा हो जाएगा. इसके लिए बिहार में हाइ स्पीड रेल कॉरिडोर के सर्वे का काम भी पूरा हो गया है.

    रेल कॉरिडोर का ट्रैक पूरी तरह से होना हैं एलिवेटेड

    रेल कॉरिडोर का ट्रैक पूरी तरह से होना हैं एलिवेटेड

    रेल कॉरिडोर का ट्रैक पूरी तरह से अब एलिवेटेड होगा. इस हाइ स्पीड रेल ट्रेन के स्टेशन बक्सर, पटना और गया जिले में बनाये जायेंगे. लगभग इसकी तैयारी भी पूरी हो गयी है. इसके लिए अधिकारी का काम शुरू कर सकते हैं. रेलवे के अधिकारियों की मानें तो बक्सर जिले में बुलेट ट्रेन का स्टॉपेज भी होगा. ऐसी चर्चा भी चल रही है. 1 से 2 माह में अधिकारी बक्सर आकर इसका जायजा भी लेंगे. बुलेट ट्रेन के लिए अलग से ट्रैक बनाया जायेगा. जहां दोनों तरफ से चहारदीवारी भी बनायी जायेगी. इसके लिए रेलवे की ओर से फंड भी आ गया है. हालांकि रेलवे के अधिकारी अभी इस बारे में अधिकारिक जानकारी देने से बचते दिख रहे हैं.

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  • तुपकार ने दी चेतावनी, 15 दिन में नहीं मानी किसानों की मांग, फिर करेंगे हड़ताल

    हैलो कृषि ऑनलाइन: स्वाभिमानी किसान संघ के नेता रविकांत तुपकर ने सोयाबीन और कपास किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर मुंबई में अरब सागर में नहाने की चेतावनी दी थी. हालांकि मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद तुपकार ने मौजूदा आंदोलन वापस ले लिया है खेतसरकार ने करदाताओं की मांगों को मान लिया है। स्वाभिमानी शेतकर संगठन के नेता रविकांत तुपकर ने जानकारी दी है कि राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि हम राज्य स्तर पर अधिकांश मांगों को तुरंत पूरा करेंगे और केंद्र सरकार से संबंधित मांगों के संबंध में हम केंद्र सरकार से बात करेंगे. . साथ ही तुपकार ने चेतावनी दी है कि अगर अगले 15 दिनों में किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो फिर से आंदोलन के शस्त्र उठाए जाएंगे.

    गुरुवार (24 नवंबर) को सहयाद्री गेस्ट हाउस में रविकांत तुपकर ने किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक की. इस मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए तुपकार ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो वह फिर मुंबई कूच करेंगे. कल हुई बैठक में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों से विस्तृत चर्चा की. तुपकार ने बताया कि डेढ़ घंटे तक चली यह बैठक सफल रही.


    केंद्र सरकार से जुड़ी मांगों को लेकर हम केंद्र सरकार से बात करेंगे। साथ ही, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आश्वासन दिया है कि वे केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक करेंगे और केंद्र सरकार के साथ सोयाबीन-कपास के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल को जल्द ही दिल्ली ले जाएंगे।

    इन मांगों को स्वीकार…


    – कृषि ऋण के लिए सिबिल शर्त को समाप्त करना
    – फसल बीमा कंपनियों को पिछले वर्ष और चालू वर्ष का शत-प्रतिशत फसल बीमा देने के लिए बाध्य करेंगे, अन्यथा हम बीमा कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएंगे.
    – किसानों को जंगली जानवरों की परेशानी से मुक्त करने के लिए शीघ्र ही मिश्रित कृषि की योजना लाई जाएगी
    – खेतिहर मजदूरों को बीमा कवर प्रदान करना
    -किसानों को दिन में अधिकतम बिजली आपूर्ति, या मरम्मत किए गए स्विचों को बदलने के संदर्भ में निर्णय लिया जाएगा
    – गांठ रोग से मरने वाले पशुओं को शत प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा
    – अगर बैंक किसानों को मिलने वाली सब्सिडी पर रोक लगाते हैं और पैसे को म्यूचुअल लोन अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं, तो बैंकों के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए जाएंगे।
    – चरवाहों को चारागाह उपलब्ध कराने के संबंध में सकारात्मक निर्णय लेना
    – माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे


  • अब सफर में आएगा मजा- ये है 17 सीटर वाली Force की दमदार Urbania, कीमत होगी आपके बजट में..


    न्यूज डेस्क : भारतीय बाजार में एक शानदार वैन को पेश किया गया है। फोर्स मोटर्स ने ग्राहकों के लिए Force Urbania को लॉन्च किया है। इस नई वैन को विभिन्न व्हीलबेस विकल्पों के साथ पेश किया गया है। इस वैन को आप 10 सीटर, 13 सीटर और 17 सीटर के वेरिएंट में खरीद सकते हैं। इसकी शुरुआती कीमत की बात करें तो 28 लाख 99 हजार रुपए एक्स शोरूम है। तो आइए इसके सभी वेरिएंट्स के बारे में जानते हैं।

    Force Urbania Price

    Force Urbania Price

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शॉर्ट व्हीलबेस वाले 10 सीटर वेरिएंट की कीमत 29 लाख 50 हजार रुपये, मीडियम व्हीलबेस वाले 13 सीटर वेरिएंट की कीमत 28 लाख 99 हजार रुपये और 17 सीटर वेरिएंट की कीमत 29 लाख 50 हजार रुपये है। लंबा व्हीलबेस 31 लाख 25 हजार रुपए है। है। आपको बता दें कि तीनों कीमतें एक्स-शोरूम कीमतें हैं।

    वैन का इंजन और फीचर्स

    वैन का इंजन और फीचर्स

    इस वैन में कंपनी ने मर्सिडीज से लिया गया 2.6 लीटर CR ED TCIC डीजल इंजन दिया है। आपको बता दें कि मोटर 114bhp और 350Nm का पीक टॉर्क जेनरेट करता है। इस वैन को 5 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स के साथ लाया गया है। Force Urbania में LED DRLs के साथ LED हेडलैम्प्स, LED टेललैंप्स, 7 इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम है जो Android Auto और Apple Car Play को सपोर्ट करता है। इसके अलावा इस वैन में 8 स्पीकर ऑडियो सिस्टम है।

    सेफ्टी फीचर्स

    सेफ्टी फीचर्स

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  • अब बिहार से नेपाल के लिए सीधी मिलेगी ट्रेन – पूर्णिया के रास्ते जा सकेंगे विराटनगर, जानें – पूरा रूट..


    डेस्क : बिहार के लोगों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है. NF रेलवे बहुत ही जल्द भारत से नेपाल के बीच सीधी रेल सेवा अब शुरू कर रही है. अब तक के इतिहास में यह पहली बार पूर्णिया होते हुए लोग ट्रेन से नेपाल के विराटनगर तक पहुंच जाएंगे. इससे न केवल आवागमन की भी सुविधा बढ़ जाएगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार को भी बढ़ावा मिलेगा और इंडियन रेल के राजस्व में भी वृद्धि होगी.

    ये रेल सेवा कबतक होगी शुरू

    ये रेल सेवा कबतक होगी शुरू

    यह समझा जाता है कि मार्च 2023 तक ये रेल सेवा शुरू हो सकती है. अपने विशेष दौरे पर पूर्णिया पहुंचे NF रेलवे के GM अंशुल गुप्ता ने उक्त जानकारी दी. GM ने बताया कि पूर्णिया से जोगबनी होते हुए नेपाल के विराटनगर तक ट्रैक बिछाने का काम काफी पहले से ही चल रहा है. विराटनगर के कस्टम यार्ड तक कनेक्टिविटी भी हो चुकी है, पर बुद्धनगर के समीप भूमि अधिग्रहण को लेकर मामला अभी अटका हुआ है. इसका निराकरण भी शीघ्र ही हो जायेगा. पूर्णिया जिले आने का एक मकसद यह भी है.

    विराटनगर तक होगी पैसेंजर ट्रेन

    विराटनगर तक होगी पैसेंजर ट्रेन

    रेलवे के GM ने यह बताया कि नेपाल से रेल कनेक्टिविटी के लिए यह प्रयास काफी दिनों से चल रहा था. अब मार्च 2023 तक विराटनगर तक पैसेंजर ट्रेन शुरू किये जाने की भी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इस दौरे में न केवल भूमि अधिग्रहण मामले को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा, बल्कि रेलवे की आय बढ़ाने के लिए भी नेपाल के ट्रेडर्स के साथ बैठक भी करेंगे

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  • खलिहान में लगी आग से दस क्विंटल कपास जलकर राख हो गया

    हेलो एग्रीकल्चर ऑनलाइन: पथरी तालुका प्रतिनिधि

    बिजली के तारों से घर्षण के कारण खेत में बनी गौशाला में आग लगने से खेत में रखी दस क्विंटल कपास खेतीपाथरी तालुका के वाघला में गुरुवार 24 नवंबर की शाम साढ़े सात बजे के करीब घर-घर की सामग्री व उपयोगी वस्तुएं जलाने व एक लाख रुपये से अधिक का नुकसान होने की घटना हुई.


    तालुका में वाघला के एक किसान मुकेश मोकाशे के खेत में, समूह संख्या . 252, इस स्थान पर एक अखाड़ा है और आश्रय के लिए एक लकड़ी का शेड बनाया गया था। गुरुवार 24 नवंबर की शाम साढ़े सात बजे के करीब गौशाला के बगल में लगे बिजली के खंभे पर बिजली के तारों के घर्षण से गोशाला आग की लपटों की चपेट में आ गई.

    इसी दौरान उक्त किसान ने 18 एकड़ खेत में उगाई गई कपास का करीब 10 क्विंटल भंडारण कर लिया था। जबकि किले के संसार में स्प्रेयर और खेत में आवश्यक अन्य कृषि सामग्री सहित काम पर उपयोगी सामग्री रखी गई थी। यह सभी सामग्री जलकर खाक हो गई है। आग लगते ही पड़ोस की वंजरवाड़ी बस्ती में रहने वाले लोग आग बुझाने के लिए दौड़ पड़े, लेकिन आग ने विकराल रूप धारण कर लिया, जिससे आग बुझ नहीं सकी.


  • अब Tata की हो जाएगी Bisleri – भावुक चेयरमैन ने क्‍यों बेची कंपनी..


    डेस्क : प‍िछले करीब 30 वर्षों से थम्सअप (Thums Up), गोल्ड स्पॉट ( Gold Spot), लिम्का (Limca) और कोका कोला (CocaCola) जैसे सॉफ्ट ड्रिंक कम्पनियों की ब‍िक्री करने वाली ब‍िसेलरी कंपनी अब TATA Group के हाथों में ब‍िकने जा रही है. ब‍िसलेरी इंटरनेशनल (Bisleri International) और Tata कंज्यूमर प्रोडक्‍ट लिमिटेड (Tata Consumer Ltd, TCPL) के बीच यह डील 6000 से 7000 करोड़ के बीच होने की ही उम्‍मीद है. एक मीड‍िया र‍िपोर्ट के अनुसार इन दोनों कंपन‍ियों के बीच इस डील को लेकर प‍िछले 2 साल से बातचीत चल रही है.

    बेटी जयंती की ब‍िजनेस में कोई दिलचस्पी नहीं

    बेटी जयंती की ब‍िजनेस में कोई दिलचस्पी नहीं

    आपको बता दें की Bisleri की शुरुआत जयंतीलाल चौहान (Jayantilal Chauhan) ने वर्ष 1984 में की थी. इस समय कंपनी के चेयरमैन रमेश जे चौहान (Ramesh J Chauhan) हैं और उनकी उम्र तकरीबन 82 वर्ष है. वह कहते हैं Bisleri को अगले स्तर पर ले जाने के लिए उनके पास कोई उत्तराधिकारी नहीं है. उन्‍होंने कहा मेरी बेटी जयंती का ब‍िजनेस में ज्‍यादा दिलचस्पी नहीं है. आपको बता दें Bisleri देश की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी है.

    TATA ग्रुप भव‍िष्‍य में और व‍िस्‍तार करेगा

    TATA ग्रुप भव‍िष्‍य में और व‍िस्‍तार करेगा

    Bisleri के चेयरमैन ने आगे कहा क‍ि मुझे उम्‍मीद है टाटा ग्रुप (Tata Group) भव‍िष्‍य में इसका और व‍िस्‍तार करेगा. हालांक‍ि Bisleri को बेचने का न‍िर्णय मुझे परेशान करने वाला है. मैं Tata की कल्‍चर और उसकी वैल्‍यू को काफी पसंद करता हूं. यही कारण है क‍ि मैंने इसे TATA Group को बेचने का फैसला क‍िया. उन्‍होंने यह बताया इसके अलावा भी कई ग्रुप इसे खरीदने के काफी इच्‍छुक थे.

    मौजूदा मैनेजमेंट 2 साल तक काम करेगा

    मौजूदा मैनेजमेंट 2 साल तक काम करेगा

    Bisleri के चेयरमैन कहते हैं, कंपनी को बेचने के बाद म‍िलने वाले पैसों का मैं क्‍या करूंगा, इस बारे में मैंने अभी तक सोचा नहीं है. लंबे समय तक मेहनत करने के बाद इसे तैयार किया है. इसलिए मुझे ऐसे खरीदार की तलाश थी जो कंपनी के साथ कर्मचारियों का भी अच्छा ख्‍याल रखें.

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  • मोटी कमाईः नालंदा का मगही पान पर ही चढ़ाया जा रहा बनारसिया रंग – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। नालंदा के इस्लामपुर और राजगीर प्रखंड की 5 पंचायतों में मगही पान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां के मगही पान की मांग बिहार के अलावा कई राज्यों में है।

    यहां का मगही पान ही बनारस और यूपी की मंडियों में पहुंचते ही बनारसी हो जाता है। वहां के कारोबारी मगही पान के पत्ते को प्रोसेसिंग कर बनारसी पान का नाम देते हैं।

    दो घंटे तक कोयले की गर्मी में इन मगही पान के पत्तों को रखा जाता है। इसके बाद ये पीले रंग के हो जाते हैं। जिसे यूपी में बनारसी पान कहा जाता है।

    इस खेती पर बीस हजार परिवार हैं आश्रितः  नालंदा के किसानों से व्यापारी सस्ते दाम पर पत्ते खरीदते हैं, लेकिन बाद में इसे ही बनारसी का नाम देकर कारोबारी मोटी कमाई कर लेते हैं। मेहनत किसान करते हैं और मुनाफा कोई और कमा ले जाता है।

    खेती का रकबा करीब 400 बीघा है। मौसम का साथ मिलता है तो हर साल करीब 16 हजार क्विंटल पान के पत्ते की उपज किसान कर लेते हैं।

    हालांकि खेतों में लागत अधिक और मुनाफा कम होने के कारण अब युवा पीढ़ी पान की खेती से मुंह मोड़ रही है।

    खेती की जगह युवा दूसरे प्रदेशों में जाकर काम-धंधा करने लगे हैं, फिर भी करीब 20,000 चौरसिया परिवार की जीविका का मुख्य साधन अभी भी पान की खेती है।

    एक पेड़ से 2 साल तक मिलते हैं पत्तेः पान मसाला का क्रेज बढ़ने से पान के पत्ते की मांग घटने लगी है। खासकर युवा पीढ़ी पान मसाला को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।

    इससे किसानों को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है। प्रति कट्ठा बांस का बरेजा बनाने और खेतों में 20 से 22 हजार खर्च आता है।

    पहले की तरह पत्ते की मांग मंडियों में कम हो रही है। पान की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि हर साल अप्रैल-मई और जून में पान की खेती होती है।

    एक साल में फसल तैयार होती है 15 जनवरी से सीजन शुरू होकर मार्च तक पत्ते की तुड़ाई की जाती है। एक बार खेती करते हैं तो दो साल तक पत्ते मिलते हैं।

    पत्ते की होती हैं 3 वैरायटीः पान की पत्तों को तोड़ने के बाद उसकी छटाई की जाती है। 3 वैरायटी के पत्ते निकलते हैं, इनकी कीमतें भी अलग-अलग तय की जाती हैं।

    सबसे निम्न क्वालिटी के पत्ते को कटपीस की श्रेणी में रखा जाता है। मध्यम क्वालिटी वाले को हेरूआ या बरूसी कहते हैं, जबकि सबसे अच्छी क्वालिटी वाले को गांठ कहा जाता है।

    एक ढोली में होते हैं 200 पत्तेः साधारण पान के पत्ते गया कि मंडी में बिक जाते हैं। उच्च गुणवत्ता के पान के पत्ते की मांग बनारस में सबसे ज्यादा है।

    औसतन एक ढोली (200) पत्ते की कीमत 100 से 150 रुपए है। वहीं 1 बीघा में फसल अच्छी रही तो 130 से 150 ढोली पत्ते की उपज होती है।

    इस्लामपुर में भी है प्रोसेसिंग यूनिटः इस्लामपुर के पान अनुसंधान केंद्र में भी पत्ते की प्रोसेसिंग करने की दो यूनिट लगी हुई है, लेकिन कारोबारी पत्ते की प्रोसेसिंग करने में रुचि नहीं लेते हैं।

    किसानों के समक्ष बड़ी मंडी की समस्या है। इस्लामपुर से प्रोसेसिंग कर बनारस की मंडी तक पत्ते को पहुंचाने में कई समस्याएं आती है।

    यही कारण है कि नालंदा के किसान पत्ते की प्रोसेसिंग नहीं करते हैं। गया में बड़ी मंडी बन जाए तो किसान जरूर पत्ते की प्रोसेसिंग करेंगे।

    कैसे होती है प्रोसेसिंगः 5 फीट ऊंचे 3 फीट लंबे और 4 फीट चौड़े कमरे में छोटी-छोटी डलियों में पान के पत्ते तख्ता बनाकर रख दिए जाते हैं। कमरे में लोहे के चूल्हे में लकड़ी का कोयला जला दिया जाता है।

    उसके बाद पूरी तरह से एयरटाइट कमरे को बंद कर डेढ़ से 2 घंटे तक छोड़ दिया जाता है। जलते कोयले की गर्मी से पान के हरे पत्ते हल्के पीले हो जाते हैं इसे ही व्यापारी बनारसी पान का नाम देते हैं।

    प्रोसेसिंग के बाद पत्ते 3 माह तक खराब नहीं होते हैं। शर्त यह की पत्तों को शीतगृह में रखा जाए हवा नहीं लगनी चाहिए।

     

  • बिहार के शिक्षक ध्यान दें! अब बच्चे की तरह मास्टर साहब का भी बनेगा रिपोर्ट कार्ड, जानें- पूरा प्लान..


    डेस्क : अब तक आपने छात्रों के रिपोर्ट कार्ड के बारे में सुना होगा लेकिन अब बिहार में शिक्षकों का भी रिपोर्ट कार्ड हर महीने तैयार होगा। इसमें उनके विद्यालय आने-जाने का लेखा-जोखा भी दर्ज रहेगा। इसी आधार पर उन पर कार्रवाई भी होगी। राज्य सरकार ने इसके लिए व्यापक कार्य योजना भी तैयार की है। साथ ही इसके लिए जिला स्तर पर अपने अधिकारियों को कार्यान्वयन का दायित्व भी सौंप दिया है। बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र भी भेजा है।

    अपर मुख्य सचिव ने इसमें यह स्पष्ट कर दिया है कि अब किसी हाल में शिक्षकों की सुस्ती बर्दाश्त नही की जाएगी बगैर सूचना के स्कूल से गायब रहना भी स्वीकार्य नहीं होगा। वे पहले ही ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई के निर्देश जारी कर चुके हैं। अब इसे और विस्तार देते हुए शिक्षकों की रिपोर्ट कार्ड हर महीने तैयार करने को कहा है। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की मॉनिटरिंग दो स्तरों पर निर्धारित की है।

    मांगा जाएगा स्पष्टीकरण

    मांगा जाएगा स्पष्टीकरण

    सुस्त शिक्षकों के विद्यालय आने जाने को लेकर जिला स्तर पर हर महीने इसकी मॉनिटरिंग रिपोर्ट भी बनेगी। इस दौरान प्रारंभिक विद्यालयों में अनुपस्थित प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शिक्षिका से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्वशिक्षा अभियान) द्वारा स्पष्टीकरण भी पूछा जाएगा। वहीं, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अनुपस्थित प्राचार्य, शिक्षक, शिक्षिका से जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) द्वारा स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। स्पष्टीकरण संतोषजनक न होने पर वे स्थायी रूप से वेतन काटने की अनुशंसा भी करेंगे। साथ ही, इन दोनों अधिकारियों द्वारा स्पष्टीकरण पृच्छा और कृत कार्रवाईयों से संबंधित प्रतिवेदन प्रत्येक माह जिला शिक्षा पदाधिकारी को समर्पित भी किया जाएगा।

    स्कूल की स्थिति बेहतर बनाने को राज्य सरकार दृढ़

    स्कूल की स्थिति बेहतर बनाने को राज्य सरकार दृढ़

    शिक्षा दिवस के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जो शिक्षक बच्चों को नहीं पढ़ाते हैं उन्हें स्कूल से निकाल दें। साथ ही जो शिक्षक ठीक से पढ़ाते हैं उनका वेतन भी बढ़ाएं। इसके बाद शिक्षा विभाग ने इस दिशा में कार्य शुरू किया है। इसके तहत विद्यालयों में लेट से आने वाले और बिना सूचना गायब रहने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करने का निर्णय ले लिया है।

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