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  • सोयाबीन का आज का भाव: राज्य कृषि उपज मंडी समितियों से आज के सोयाबीन के बाजार भाव देखें

    हैलो कृषि ऑनलाइन: प्रदेश की विभिन्न कृषि उत्पाद मंडी समिति द्वारा आज शाम 6 बजे तक प्राप्त सोयाबीन रेट टुडे के अनुसार आज सोयाबीन का अधिकतम अधिकतम मूल्य 6000 रुपये प्राप्त हुआ है.

    यह भाव चिखली कृषि उपज मंडी समिति और चिखली कृषि उपज मंडी समिति (सोयाबीन रेट टुडे) में आज 2706 क्विंटल प्राप्त हुआ है। सोयाबीनइसके लिए न्यूनतम मूल्य 4500 से अधिकतम 6000 तथा सामान्य मूल्य पांच हजार पांच सौ पचास रुपये प्राप्त हुआ है। आय बाजार समिति में बाजार मूल्य उपलब्ध नहीं थे।


    आज का सोयाबीन रेट

    बाजार समिति जाति/कॉपी आयाम आय न्यूनतम दर अधिकतम दर सामान्य दर
    23/11/2022
    अहमदनगर क्विंटल 592 4100 5500 4800
    लासलगांव क्विंटल 934 3300 5630 5580
    लासलगांव – विंचूर क्विंटल 2295 3000 5650 5500
    औरंगाबाद क्विंटल 90 4000 5600 4800
    संगमनेर क्विंटल 26 5450 5500 5475
    फव्वारा क्विंटल 6000 5050 5590 5375
    श्रीरामपुर क्विंटल 55 5000 5700 5400
    तुलजापुर क्विंटल 465 5400 5600 5500
    मालेगांव (वाशिम) क्विंटल 510 4800 5550 5000
    धूल हाइब्रिड क्विंटल 13 5300 5450 5450
    सोलापुर स्थानीय क्विंटल 233 4585 5620 5425
    नागपुर स्थानीय क्विंटल 1944 4660 5284 5284
    अमलनेर स्थानीय क्विंटल 40 5300 5450 5450
    कोपरगांव स्थानीय क्विंटल 616 4500 5732 5505
    जलना पीला क्विंटल 5197 4800 5850 5500
    अकोला पीला क्विंटल 4484 4300 5695 5480
    यवतमाल पीला क्विंटल 952 5200 5660 5430
    अरवी पीला क्विंटल 752 4800 5590 5300
    कीचड़ पीला क्विंटल 2706 4500 6000 5550
    हिंगणघाट पीला क्विंटल 7516 4600 5665 5160
    पैठण पीला क्विंटल 15 5550 5550 5550
    भोकर पीला क्विंटल 187 4061 5721 4891
    हिंगोली-खानेगांव चौकी पीला क्विंटल 533 5150 5450 5300
    अजनगाँव सुरजी पीला क्विंटल 621 5000 5700 5350
    snarky पीला क्विंटल 510 5535 5750 5565
    वाणी पीला क्विंटल 588 5100 5505 5300
    सावनेर पीला क्विंटल 70 5300 5600 5500
    शेवगाँव पीला क्विंटल 20 5400 5400 5400
    परतुर पीला क्विंटल 125 5341 5650 5590
    गंगाखेड़ पीला क्विंटल 101 5650 5800 5700
    नंदगाँव पीला क्विंटल 40 4399 5564 5351
    सेनगांव पीला क्विंटल 630 4500 5850 5300
    सफेद पीला क्विंटल 108 5200 5500 5350
    उमरखेड पीला क्विंटल 70 5000 5200 5100
    उमरखेड़-डंकी पीला क्विंटल 250 5000 5200 5100
    राजुरा पीला क्विंटल 434 4595 5575 5443
    कटोल पीला क्विंटल 81 5299 5464 5350
    अष्टी- फव्वारा पीला क्विंटल 305 4650 5535 5200
    सिंडी (सेलू) पीला क्विंटल 2006 4550 5600 5450

  • टीबी मुक्त रुपौली के लिए कार्यशाला का आयोजन

    पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

     पूर्णिया : देश को टीबी मुक्त करने में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण है। इसको लेकर ज़िले  के रुपौली प्रखंड अंतर्गत टीकापट्टी गांव स्थित अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। रेफ़रल अस्पताल रुपौली में विगत जनवरी से अक्टूबर महीने तक 165 मरीजों को चिन्हित किया गया है जबकि 80 मरीज नियमित रूप से दवा सेवन करने के बाद ठीक हो चुके हैं। इस अवसर पर रेफ़रल अस्पताल रुपौली के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार, टीकापट्टी एपीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ भुनेश्वर मंडल एवं टीकापट्टी के यक्ष्मा सहायक उमेश प्रसाद चौधरी, केएचपीटी के जिला समन्वयक विजय शंकर दूबे, प्रखंड समन्वयक श्यामदेव राय के अलावा ग्रामीण चिकित्सकों में राकेश कुमार यादव, बाबुजन कुमार, अरविंद कुमार, रमन कुमार, ललन कुमार, विमल कुमार, बिपिन कुमार ठाकुर, श्रवण कुमार महतो, मनोज कुमार जायसवाल, सुबोध कुमार महतो सहित कई चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे। उपस्थित सभी ग्रामीण चिकित्सकों ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार ने लगभग 30 अनौपचारिक ग्रामीण स्वास्थ्य प्रदाताओं को टीबी उन्मूलन के लिए शपथ दिलाई

    टीबी मुक्त अभियान में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका अहम: एमओआईसी

    रेफ़रल अस्पताल रूपौली के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मिथिलेश कुमार ने बताया कि रुपौली में विगत जनवरी से अक्टूबर महीने तक 165 मरीजों को चिन्हित किया गया है। इनमें 80 मरीज नियमित रूप से दवा सेवन करने के बाद ठीक हो चुके हैं। स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के सुदूर ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जाती है। किसी की भी मामूली रूप से तबियत खराब होने पर लोग सबसे पहले ग्रामीण चिकित्सकों के पास ही जाते हैं। जिस कारण किसी भी तरह की बीमारियों का पता या जानकारी सबसे पहले इन्हीं लोगों के पास होती है। कार्यशाला में उपस्थित ग्रामीण चिकित्सकों को टीबी बीमारी से संबंधित लक्षण, उसका निदान एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की जानकारी दी गई। इसके बाद इनलोगों द्वारा पीएचसी, सीएचसी, रेफ़रल या अनुमंडलीय के अलावा जिला मुख्यालय स्थित जिला यक्ष्मा केंद्र भेजा जाता हैं

    यक्ष्मा उन्मूलन में केएचपीटी द्वारा ग्रामीण स्तर पर ग्रामीणों को किया जाता हैं जागरूक: विजय शंकर दूबे

    कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के जिला कार्यक्रम लीड विजय शंकर दूबे ने सरकार द्वारा यक्ष्मा उन्मूलन को लेकर चलाए जा रहे अभियान के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। मालूम हो कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक देश से यक्ष्मा उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके तहत केएचपीटी द्वारा रूपौली प्रखंड के टीबी प्रभावित गांवों में सामुदायिक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम संचालित किया जाता है। ग्रामीण चिकित्सक ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा की रीढ़ माने जाते हैं। इनके पास ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश रोगी पहुंचते हैं, इसीलिए चिकित्सकों से आग्रह किया गया की उनके संज्ञान में आने के बाद टीबी के लक्षण वाले सभी रोगियों को निकटतम बलगम जांच केंद्र तक भेजने में सहयोग करें। सामुदायिक संरचना जैसे जीविका दीदी के साथ भी सभी ग्रामीण चिकित्सक समन्वय स्थापित कर संभावित रोगियों की पहचान कर उनका जांच कराने में सहयोग करें।

  • मंत्री के आदेश के बाबजूद भूमिहीनों को उजाड़ रहा प्रशासन:प्रो.आलोक

    पूर्णियां/बालमुकुन्द यादव 

    पूर्णिया –बहुजन क्रांति मोर्चा के प्रमंडलीय प्रभारी सह राजद के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर आलोक कुमार ने बयान जारी कर कहा है कि राज्य सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री माननीय आलोक कुमार मेहता के आदेश के वाबजूद जिला प्रशासन नगर निगम क्षेत्र में बसे भूमिहीन अनुसूचित जाति, जनजाति एवं गरीबों के घर उजाड़ने पर तुली हुई है। इन गरीबों को बिना वैकल्पिक आवास भूमि उपलब्ध कराये नोटिस दिया जा रहा है। शहर के वार्ड नंबर 42 संतकबरिया नगर, वार्ड नंबर 17 पूर्णिया कोर्ट स्टेशन हवाई अड्डा, वार्ड नंबर 6 और 7 ब्रजेश नगर , वार्ड नं 24 एवं 25 के अंतर्गत गंगा दार्जलिंग रोड भट्ठा बाजार एवं अन्य शहरी क्षेत्रों में वर्षो से बसें लोगों को उजाड़ने के लिए प्रशासन के लोग डरा धमका रहे हैं

    प्रो आलोक ने कहा एनएच एवं अन्य सड़कों के किनारे अतिक्रमण हटाने में गरीबों के सामान क्षतिग्रस्त कर रोजी रोटी को खत्म कर दिया गया है।सड़क के किनारे ठेला आस्थाई दुकान बनाकर रोजी -रोटी कमाने वाले को बार-बार नगर के उच्च अधिकारी एवं जिलाधिकारी द्वारा वेंडिंग जोन बनाने का आश्वासन दिया जाता रहा है ‌। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं किया गया ।ज्ञात हो कि राज्य सरकार के द्वारा इस तरह के छोटे व्यापार करने वाले गरीबों को वेंडिंग जोन बनाकर रोजगार देने का पहल कई बार किया गया है

    प्रोफेसर आलोक ने कहा कि केंद्र सरकार के परिवहन मंत्री माननीय नितिन गडकरी द्वारा देश के सभी राष्ट्रीय उच्च पथों को खाली कराकर बड़ी कंपनियों को ठेका पर देने का आदेश सभी राज्य सरकारों को दिया है। जिससे देश भर में 4 से 5 करोड़ गरीब प्रभावित हो रहे हैं। गरीबों का वोट लेकर माननीय प्रधानमंत्री गरीबों को ही उजाड़ने में लगे हैं।इन कंपनियों के ही डाला, मॉल एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की बिक्री की जायेगी।

  • जगेली विद्यालय का 100 वर्ष पूरा होने पर शताब्दी समारोह का आईजन

     

    पूर्णियाँ/प्रितेश

    श्रीनगर – श्रीनगर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय जगेली के सौ साल पूरा होने पर तीन दिवसीय स्थापना शताब्दी समारोह मनाया गया । इस कार्यक्रम में ज़िला शिक्षा उपनिदेशक चंन्द्र शेखर वर्मा, प्रखंड विकास पदाधिकारी शमशीर मल्लिक, अंचलाधिकारी विद्यानंद झा, प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार झा, पूर्व प्रधानाध्यापक ध्वाजधर गोस्वामी आदि ने मिलकर दीप प्रज्वलित कर किया कार्यक्रम का उद्घाटन किया । प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार झा राजस्व अधिकारी सुधीर ओमकार ने लोगों को संबोधित कर शिक्षा, खेल कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम में बेहतरीन प्रदर्शन कर जिला का नाम रौशन करने के लिए जागरुक किया गया

    बाल महोत्सव में छात्र  छात्राओं ने उतकृष्ट कला का प्रदर्शन कर लोगो को रोमांचित कर दिया। खासकर सामाजिक कुरीतियो पर गीत संगीत नृत्य एवं नाटक के द्वारा वंचित व शोषित वर्ग के लोगों को जागरूक किया । शराब नही पीने एवं शराबबंदी कानून की पालन करने के लिए प्रेरित किया । शिक्षा विभाग के विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए विद्यार्थियों को 75 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करने की बात कही ।स्वच्छता अभियान ,जल जीवन हरियाली,पौधारोपण कर हरियाली का संदेश दिया गया। नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। दहेज प्रथा एक कुप्रथा, छुआछूत के खिलाफ जागरुक किया गया। इस दौरान छात्राओ ने स्टाल लगाकर क्ई महत्वपूर्ण जानकारी दिया

    लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को छात्रा ने प्रस्तुत कर लोगो को भक्ति भाव से ओत प्रोत कर दिया। इस दौरान देशभक्ति गीत पर नृत्य कर लोगो को देश के लिए मर मिटने का संकल्पित कराया। इस अवसर पर प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार झा, रौशन कुमार सिंह, नम्रता देवी, शगुफ्ता परवीन, विनिता कुमारी, अनिता भारती, गजाला फातमा, नेहा कुमारी,चन्द्र शेखर आजाद, ओबेदुर रहमान  अभिमन्यु झा, सुजीत कुमार, सत्यम शशी, पूनम देवी, पुनिता कुमारी आदि शिक्षकों  ने सहभागिता दिखाया।

  • ऑफ्टर स्कूल प्रोग्राम के तहत खाड़ी में खुला नि:शुल्क शिक्षा केंद्र

    पूर्णियाँ/सिटिहलचल न्यूज़

    बैसा: ऑफ्टर स्कूल प्रोग्राम के तहत उत्क्रमित उच्च विधालय खाड़ी महीनगांव के प्रांगण में पांचवीं नि:शुल्क शिक्षा केंद्र खुला। जिसका विधिवत उदघाटन पुर्व मंत्री अब्दुल जलील मस्तान, जामिया इस्लामिया के पुर्व चांसलर रहमत अली, पुर्व मुखिया हिफजुर्रहमान, मौलाना नौमान सादिक, एवं सेवानिवृत्त शिक्षक व केन्द्र के संरक्षक हाफिज अनवर के द्वारा संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। इस दौरान पुर्व मंत्री अब्दुल जलील मस्तान ने ऑफ्टर स्कूल प्रोग्राम के संचालक हाफिज अनवर के कार्यों की जमकर सराहना किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हाफिज अनवर अपने निजी खर्च से इस तरह का केन्द्र खोलकर क्षेत्र के छात्र – छात्राओं को गुणवत्ता पुर्ण शिक्षा नि : शुल्क दे रहे हैं

    इस तरह के कार्य के लिए हाफिज अनवर साहेब की जितनी तारीफ की जाए। उतनी कम है। वहीं केन्द्र के संरक्षक सह सेवानिवृत्त शिक्षक हाफिज अनवर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे इलाके का छात्र – छात्राएं गणित एवं विज्ञान विषय में काफी कमजोर है। इसी को देखते हुए हमने निर्णय लिया कि इलाके में नि: शुल्क शिक्षा केंद्र खोला जाए। जिसमें सिर्फ छात्र – छात्राओं को गणित एवं विज्ञान में विषय पढ़ाया जाए। इसलिए इस  केंद्र में पढ़ने वाले सभी छात्र – छात्राओं को सिर्फ गणित एवं विज्ञान विषय पढ़ाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस आधुनिक युग में गणित एवं विज्ञान विषय के बिना छात्र – छात्राओं की जिंदगी अधुरी है। जब तक अंदर छात्र – छात्राओं के अंदर गणित एवं विज्ञान विषय की जानकारी नहीं होगी । तब तक एक उंचा मुकाम को हासिल नहीं कर सकता है। वहीं उन्होंने गणित विषय के महत्व को बताते हुए कहा का गणित मनुष्यों में सामाजिक मूल्यों का निर्माण करती है 

    गणित हमारी सभ्यता एवं संस्कृति का दर्पण है। गणित राष्ट्रीयता एवं अंतर्राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाने एवं भावना को विकसित करने में सहयोग करती है। गणित नैतिक मूल्यों सच्चाई, ईमानदारी, नेतृत्व, शुद्धता, धर्म, आत्मविश्वास इत्यादि को विकसित करती है। गणित व्यक्ति की मानसिक शक्तियों का विकास करती है। गणित व्यक्ति को अनुशासन में रहना सिखाती है। गणित व्यक्ति के दैनिक व व्यवहारिक जीवन के लिए उपयोगी है। वहीं उन्होंने विज्ञान विषय के महत्व पर बोलते हुए कहा आज विज्ञान ने देश का ही नहीं बल्कि विदेशों के भी पूर्ण रूप से स्वरूप ही बदल दिया है। विज्ञान की वजह से ही आज हमारा देश मंगल, चंद्रमा ग्रह पर भी पहुंच चुका है। लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह हमारा देश ग्रहों पर भी पहुंच जाएगा। लेकिन विज्ञान की वजह से ही ऐसा संभव हो पाया है।

  • गया सेव द चिल्ड्रेन संस्था द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया।

     गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट

     बच्चों की  शिक्षा व  सम्पूर्ण विकास के साथ उनके आसान तरीकों से सीखने की क्षमता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है. जिला में बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए समेकित बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं. इसमें बाल प्रखंड बाल विकास परियोजना अधिकारियों का नियमित प्रशिक्षण भी शामिल है. इस क्रम में बुधवार को बोधगया के निजी होटल ऑक्स (OAKS) में सभी प्रखंडों के महिला पर्यवेक्षिका को प्रशिक्षण दिया गया. . इस मौके पर जिला प्रोग्राम कार्यलय, गया  कार्यक्रम पदाधिकारी भारती प्रियमबदा तथा जिला समन्व्यक सबा सुलताना सहित सेव द चिल्ड्रेन की असिसटेंट मैनेजर गजाला शाहीन और प्रखंडों के सभी महिला पर्यवेक्षिका मौजूद रहे। 

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में गुणवर्ता पूर्ण बुनियादी भाषा  और संख्या ज्ञान के तहत सेव द चिल्ड्र्न के मानपुर ब्लॉक के पायलट प्रोजेक्ट बैक टू बेसिक प्रोग्राम को बिस्तार से बताया गया  बैक टू बेसिक्स प्रोजेक्ट के तहत रेडी टू लर्न फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूम्रेसी विषय का कार्यशाला आयोजन   किया गया.जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया कि सेव द चिल्ड्रेन संस्था की मदद से सभी प्रखंडों के महिला पर्यवेक्षिका का क्षमतावर्धन किया गया है.    कार्यशाला के दौरान बच्चों के लिए बनायी गयी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भी चर्चा की गयी. बच्चों के विकास मे बुनियादी भाषा  एवं संख्या ज्ञान की  विकास मुख्य हैं, बताया गया कि कार्यशाला का उद्देश्य महिला पर्यवेक्षिका के क्षमतावर्धन कर बच्चों के शिक्षा,  खेलकूद, मनोरंजन और सांस्कृतिक क्रियाकलापों के माध्यम से उनके भाषा, संख्या ज्ञान ,शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेदनात्मक विकास करना है. . कार्यशाला की मदद से महिला पर्यवेक्षिका अपने प्रखंडों में आंगनबाड़ी पर आने वाले बच्चों में साक्षरता बढ़ाने और गणित जैसे विषयों को खेल खेल में आसान बनाने के लिए काम करेंगी. 

     कार्यशाला के दौरान बताया कि बच्चों के शुरूआती क्षण महत्वपूर्ण होते हैं जिसका असर उनके संपूर्ण जीवनकाल पर पड़ता है. जन्म के साथ ही शिशु के मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है और उसका शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य, सीखने की क्षमता आसपास के वातावरण से प्रभावित होती है. बच्चों के शून्य से आठ साल तक होने तक उनकी नींव को बेहतर बनाने की जरूरत होती है. इसलिए प्रारंभिक बाल शिक्षा और विकास हर स्तर पर बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने का काम करती हैं. कार्यशाला का उद्देश्य सभी छोटे बच्चों को उनका यह अधिकार सुनिश्चित कराना है. इन सबके साथ बच्चों के उचित पोषण तथा इसमें उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर भी चर्चा

    की गयी. बताया गया कि बच्चों के भरपूर देखभाल आवश्यक है और नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों के  शिक्षा एवं   पोषण का अनुश्रवण किया जाना आवश्यक है.

  • शीत का बागों पर क्या प्रभाव पड़ता है? आप कैसे ध्यान रखेंगे? पता लगाना

    हैलो कृषि ऑनलाइन: लंबे समय तक गंभीर ठंड या ठंड के दौर में बगीचों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ठंड के कारण रात का तापमान कम हो जाता है, यानी जमीन का तापमान कम हो जाता है। सुबह के समय, मिट्टी की ऊपरी परत में तापमान हिमांक बिंदु से नीचे चला जाता है। कभी-कभी तापमान बहुत कम हो जाता है और इसके कारण कोहरे जैसी जमी हुई अवस्था में पानी, हवा में या पेड़ के तने में, शाखाओं और पत्तियों के तनों में झाग के गुच्छे दिखाई देने लगते हैं। जमीन में उपलब्ध पानी सुपर ठंडा है। किसी भी पौधे का लगभग 90 से 96 प्रतिशत हिस्सा पानी होता है। इससे कोशिका और फल में पानी भी जम जाता है। पानी की मात्रा जमे हुए पानी की तुलना में कम होती है। इससे फलों में जमे हुए पानी का आकार बढ़ जाता है और परिणामस्वरूप आंतरिक दबाव बाहरी दबाव से अधिक हो जाता है।

    जमीन में हवा का दबाव वायुमंडलीय दबाव से कम है। कम मिट्टी का दबाव, पत्ती और तने की कोशिकाओं में पानी का जमना, या ठंड की स्थिति में जमना, मिट्टी के पानी को जड़ों से ऊपर जाने से रोकता है, पोषक तत्वों को जड़ से तने, तने से शाखा और शाखा से पत्ती तक पहुँचाता है। इन सबका प्रभाव फलदार वृक्षों पर इस प्रकार पाया जाता है।


    – प्रकाश संश्लेषण की क्रिया धीमी हो जाती है।
    – पेड़ की वृद्धि रुक ​​जाती है।
    – जड़ का विकास रुक जाता है।
    -पत्ती का आकार घट जाता है। वैकल्पिक रूप से, पत्ते का भार कम हो जाता है।
    -भोजन बनाने की क्षमता घट जाती है।
    – नयी शाखाएँ, पत्तियाँ गिरती हैं।
    – कई बार तो पूरा पेड़ भी (शीत लहर अधिक दिनों तक रहने पर) सूख जाता है। क्‍योंकि ठंड के कारण उसकी सभी कोशिकाएं जम कर मृत्‍यु हो जाती हैं।
    – यह खिल रहा था।
    -फलों में विकृति जैसे चटकना या चटकना दिखाई देता है।

    जिन बगीचों एवं नर्सरी में नये बाग लगाये गये हैं, वहाँ ठंड के प्रभाव इस प्रकार हैं:


    – नए बागानों के रोपण और कटिंग और ग्राफ्टेड फलों के पेड़ों ने आंखों की नवोदित दर को कम कर दिया है।
    -बीज का अंकुरण देर से होता है, अंकुरण दर कम होती है।

    केले पर शीत लहर का असर

    शीत लहर का केले के कंद अंकुरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। क्योंकि, इसके लिए इसे 16.0 से 30.0 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है, इसलिए प्याज का बाग अक्टूबर के अंत तक कर लेना चाहिए। इस साल जैसी स्थिति है तो नवंबर के पहले पखवाड़े तक कर लेनी चाहिए। यदि इसमें देरी हुई तो संभावना है कि अगले वर्ष फलों की वृद्धि अवस्था ठंडी होगी। यह क्लस्टर के विकास को धीमा कर देता है। परिपक्व होने में थोड़ा समय लगता है। ठंड नई जड़ों के विकास को भी प्रभावित करती है। इसके अलावा, यदि दिन और रात के बीच तापमान का अंतर (तापमान में दैनिक परिवर्तन) अधिक है, तो रूट रिंग सड़ जाती है, कार्यात्मक जड़ों की संख्या कम हो जाती है। पत्ती वृद्धि और संख्या में कमी। जून-जुलाई (मृगबाग) में लगे केले के फूल निकलने में देर हो जाती है। क्योंकि, रोपण से लेकर फूल आने तक के चरण को पूरा करने के लिए आवश्यक कुल ऊष्मा इकाई देर से पूरी होती है।


    ठंड और बाग कीट और रोगों के बीच संबंध

    यदि शीत लहर चलती है तो केले की फसल पर सिगारटोका, लीफ स्पॉट और जलका चिरूट जैसे फफूंद जनित रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। ठंड के मौसम में और पत्तियों पर ओस जमा होने पर फलों की फसलों में फफूंद रोग होने की संभावना अधिक होती है। आम के फूलों पर फफूंदी रोग (भूरी) का प्रकोप अधिक होता है। अंगूर कवक रोग ‘डाउनी मिल्ड्यू’ या ‘पाउडरी मिल्ड्यू’ के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। सहजीवी कीड़ों और कवक को हानि पहुँचाता है। इससे कीड़ों की संख्या में वृद्धि होती है (विशेष रूप से सैप-चूसने और पत्ती खाने वाले)। जैसे मैंगो एफिड्स, कैटरपिलर और साइट्रस लीफ-ग्नविंग कैटरपिलर, लेमन बटरफ्लाई आदि। सीताफल पर ‘मिलीबग’ जैसे कीड़ों का प्रकोप बढ़ जाता है। सब्जी व फलों की नर्सरी को ठंड से बचाएं।

    अस्थायी समाधान

    इसमें प्रात:काल कुएं में स्प्रिंकलर से पानी देना, मल्च का प्रयोग करना, वायु अवरोधक यौगिक (प्लेट लगाना, तार परिसर पर बैरिंग लगाना) जैसे उपाय किए जा सकते हैं। साथ ही जलाना, कम्पोस्ट (जैविक) खाद का अधिक प्रयोग करना, घुलनशील खाद या हार्मोन का छिड़काव किया जा सकता है।


    स्थायी उपाय

    मजबूत (सीमेंट) यौगिकों का निर्माण, शेडनेट, पॉलीहाउस का निर्माण।

    बागों की ठंड से सुरक्षा

    बगीचों में रात को पानी देना, बोरहोल, आग के गड्ढों के मामले में सुबह जल्दी पानी देना, घुलनशील उर्वरकों का छिड़काव, गीली घास का उपयोग, उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पूर्व की तरफ बाड़ लगाना, जीवित बाड़ (हवा टूटना) या हवा प्रतिरोधी पेड़ (आश्रय) लगाना बेल्ट) रोपण) आदि। अत्यधिक तकनीकी बाग की खेती में पॉलीहाउस स्थापित करना।


    पवन-अवरोधक और पवन-प्रतिरोधी वृक्षों का रोपण

    वर्तमान में महाराष्ट्र में आम, आम, संतरा, नींबू, अंगूर, काजू, अनार, धनिया, अंजीर, केला, चना आदि के बाग अच्छी स्थिति में हैं। इनमें संतरे की फसल के बागों को गर्मी में पानी की ज्यादा कमी नहीं होगी। क्योंकि, अधिकांश क्षेत्र विदर्भ में पड़ता है। विदर्भ में इस साल अच्छी बारिश हुई है। कहीं और, बागों में पानी की कमी का अनुभव होगा। ऐसे में अगर तेज ठंड पड़ती है तो बाग को काफी नुकसान हो सकता है।

    चना, आम, काजू जैसे बागों को वायुरोधी वृक्ष लगाने से बहुत लाभ होता है, जबकि कम ऊंचाई वाले बागों को वायुरोधकों के अन्य तरीकों से प्रबंधित किया जा सकता है। इसमें बांस या पाछत या ज्वार और बाजरे का कदबा, तुराती या रुई के फाहे, सिंधी पत्ते की थाली चारों तरफ रख सकते हैं। एक स्थायी विंडब्रेक सीमेंट, ईंट या पत्थर या एक पत्थर, सीमेंट विंडब्रेक कंपाउंड से बनाया जा सकता है। यदि तार जटिल है, तो इसे अस्थायी मौसमी समाधान के रूप में बर्लेप या प्लास्टिक या शेडनेट से ढका जा सकता है। पारिस्थितिक रूप से और आय और अन्य माध्यमिक लाभों के संदर्भ में, जीवित पवनचक्की यानी पेड़ लगाना फायदेमंद होगा।


    विंडब्रेक या जैविक बाड़ या जीवित बाड़ एक ऐसी तकनीक है जो हवा के प्रवाह, उसकी गति को अवरुद्ध करती है। गति रोकता है। इसलिए, हवा की गति कम हो जाती है; लेकिन दूर से आने वाली ठंडी हवाएं पेड़ों के संपर्क में बिल्कुल नहीं आतीं। यह पेड़ों को ठंड से बचाता है। इसके अलावा, रात में बाग की मिट्टी में छोड़ी गई गर्मी उसे खेत से बाहर नहीं निकलने देती। इसके कारण मिट्टी की ऊपरी परत और बाग में दिन और रात के तापमान में कोई बड़ा अंतर नहीं होता है। यह ठंड के साथ-साथ कोहरे से बागों को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है।

    इस प्रकार पवन प्रतिरोध काम करता है। अंतर केवल इतना है कि जीवित प्रतिरोधों को लगाते समय 2-3 पंक्तियों में पेड़ लगाए जाते हैं और ये प्रतिरोधक हवा के प्रवाह को रोकते नहीं हैं, बल्कि उसकी दिशा बदल देते हैं। इसमें हवा का कुछ हिस्सा बाग में चला जाता है और कुछ हिस्सा ऊपर की दिशा में मोड़ दिया जाता है। इससे बाग क्षेत्र में फसल को तेज हवा, ठंडी हवा या गर्म हवा का बिल्कुल भी सामना नहीं करना पड़ता है। यह पेड़ों को उपरोक्त बीमारियों से पीड़ित होने से रोकता है।


    पेड़ों को हवा प्रतिरोध के रूप में लगाया जा सकता है। इसमें आमतौर पर पेड़ों को तीन कतारों में लगाया जाता है। पहली पंक्ति में कम पेड़, दूसरी पंक्ति में ऊँचे पेड़ और भीतरी तीसरी पंक्ति में झाड़ियाँ होती हैं। इसमें पवन प्रतिरोध वृक्ष की ऊंचाई से 10-15 गुना दूरी पर हवा की दिशा में (जिस तरफ हवा चल रही है) बाग या अन्य फसल क्षेत्र की रक्षा करता है। यदि पवन-अवरोधक या वायु-प्रतिरोधी जीवित वृक्ष लगाने हैं, तो उन वृक्षों को उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पूर्व दिशा में एक पंक्ति में लगाना चाहिए। 5 अप्रैल, 2012 के अंक में विस्तार से बताया गया है कि किस प्रकार के पेड़ का चुनाव किया जाए, कैसे लगाया जाए, पेड़ के चयन की शर्तें क्या हैं।

    यह बार-बार साबित हो चुका है कि किसी बगीचे या नर्सरी को हर साल बढ़ती ठंड से बचाने के लिए विंडप्रूफिंग और विंडप्रूफिंग का कोई विकल्प नहीं है। इसके साथ ही यदि ‘ढकने’ की तकनीक अपनाई जाए तो इससे बाग, सब्जियों व अन्य फसलों को निश्चित रूप से लाभ होगा।


    जैविक किसान
    शरद केशवराव बोंडे।
    ता अचलपुर जिला अमरावती (महाराष्ट्र)।
    9404075628


  • पिरामल के नेशनल टीम ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे कार्यों को समझा

    वजीरगंज ब्लॉक के पतेड़ मंगरावां पंचायत में आज नेशनल टीम के सदस्य श्रीनिवासन, श्री नीरव अडानी एवं राज्य स्तर से परिमल झा, पल्लव कुमार, आशुतोष कुमार  जिला प्रतिनिधि नीरज कुमार, रवी रंजन कुमार के द्वारा सूढ़नी गाँव में प्राथमिक विद्यालय में चल रहे बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान के अंतर्गत चहक माड्यूल पर बच्चों के द्वारा प्रदर्शन पर खुशी प्रकट की एवं अर्चना कुमारी, ज्योति कुमारी, सुमन कुमारी को मुखिया जी के द्वारा पुरस्कृत किया गया वहीं मुखिया जी के द्वारा कहा गया कि चहक गतिविधियों से  बच्चों में एक बदलाव महसूस हो रहा है बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल अब लगातार आ रहे हैं जो बच्चे अभी भी स्कूल से वंचित है उनको भी स्कूल से जोड़ने के लिए प्रयास किया जाएगा। वहीं विद्यायल में अवस्थित आंगनवाड़ी केंद्र में चल रहे ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस का भी जायजा लिया इस दौरान लाभार्थियों से भी स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की ।

     इसके बाद  सुखाबीघा में प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों से जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी जानने का प्रयास किया गया इस दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी के द्वारा विस्तार से योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने के प्रक्रियाओं से अवगत कराया एवं आने वाले चुनौतियों से भी अवगत कराया इसके बाद मुखिया राजीव रंजन कुमार के द्वारा पंचायत में चल रहे शिक्षा, स्वास्थ्य,पोषण में विभागीय समावेशन से हो रहे कार्यों को अवगत करवाया वहीं प्राथमिक विद्यालय कनौदी में मनरेगा योजना से बने बाउन्ड्री के कार्यों और वहाँ के शैक्षणिक गतिविधियों से रूबरू हुए पिरामल के टीम द्वारा मुखिया जी के प्रयासों को सराहना करते हुए बोलें की ग्राम स्तर पर योजनाओं को लागू करने में जनप्रतिनिधियों का बहुत ही बड़ा योगदान रहता है जो आज धरातल पर देखने और समझने को मिला। इस दौरान  प्राथिमक विद्यालय सुधनी विनोद पंडित, इंगलेश शर्मा, मालती कुमारी,पूर्व सरपंच इंद्रदेव पासवान पिरामल के गांधी फेलो विकास थाले, प्रांजल मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

  • पटना हाईकोर्ट में राज्य के मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं के महंतो, पुजारियों,साधुओं और सेवकों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए टली

    पटना, 23 नवंबर, 2022। पटना हाईकोर्ट में राज्य के मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं के महंतो, पुजारियों,साधुओं और सेवकों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए टली। पंकज प्राणरंजन द्विवेदी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की जा रही है।

    इस जनहित याचिकाकर्ता में ये शिकायत की गई है कि असामाजिक तत्वों द्वारा मंदिर,मठ और संस्थाओं से देवी देवता की मूर्तियों को हटाया जा रहा है और मठों व मंदिरों के लोगों की हत्या की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।

    साथ ही इनकी सम्पत्ति और भूमि पर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध कब्ज़ा करने की घटनाएं राज्य के विभिन्न जिलों में होती रही है।इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी न तो राज्य सरकार और न ही बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा ही कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

    इस जनहित याचिका में ये माँग की गई है कि मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं की भूमि,संपत्तियों की रक्षा के प्रभावी और सख्त कदम राज्य सरकार व बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड उठायें।साथ ही मठों और मंदिरों में रहने वाले महन्त, पुजारियों और साधु के जान माल की सुरक्षा की प्रभावकारी व्यवस्था की जाए।

    इस जनहित याचिका में ये भी माँग की गई है कि असामाजिक तत्वों और स्थानीय दबंगो के विरुद्ध सख्त और प्रभावी कार्रवाई की जाए,क्योंकि इनके लिए न तो कानून का डर है और ना ही सम्मान है।

    इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की सहायता के लिए कोर्ट ने अधिवक्ता आशीष गिरी को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त कर रखा है।कल वे सुनवाई के दौरान कोर्ट में सभी मुद्दों पर कोर्ट की सहायता करेंगे।

    इस जनहित याचिका पर कल सुनवाई की जाएगी।

  • बाल संरक्षण समिति व टास्क फोर्स का बैठक हुई संम्पन्न

    परियोजना अन्तर्गत सेव द चिल्ड्रेन/यूनिसेफ के तहत जिला समन्वयक रवि कुमार एवं प्रखंड समन्वयक सुधा कुमारी के सहयोग से तथा जिला बाल संरक्षण इकाई से सामाजिक कार्यकर्ता चंदा कुमारी, बीडीओ श्री लक्ष्मण कुमार व सी डी पी ओ शिखा कुमारी सिंह की अध्यक्षता में प्रखंड स्तरीय बाल संरक्षण समिति की त्रिमासिक बैठक की गई।
    जिसमें मुख्य चर्चा के विन्दु निम्न प्रकार हैं-

    व्यक्तिगत परिचय देकर सभी का अभिवादन किया गया। प्रखंड स्तरीय बाल संरक्षण समिति गठन के उद्देश्य तथा प्रखंड, पंचायत ,वार्ड स्तरीय संरचना पर विस्तृत चर्चा की गई जिसमें समिति के अध्यक्ष प्रमुख जी,उपाध्यक्ष उपप्रमुख ,सचिव सीडीपीओ तथा प्रखंड स्तरीय सभी हितधारक सदस्य होते हैं तथा पंचायत व वार्ड स्तर पर बाल संरक्षण समिति गठन हेतु प्रखंड कार्यालय के निर्देशन में नियत तिथि को किया जाय इस पर जोर दिया गया।ताकि जमीनी स्तर पर बाल हिंसा की रोकथाम हो और बाल अधिकार बच्चों को मिल पाए।

    पुनः जिला समन्वयक समन्वयक रवि कुमार द्वारा बाल अधिकार पर जानकारी देने के बाद, बाल श्रम, बाल शोषण, बाल व्यापार , बाल विवाह इत्यादि से हाने वाली समस्याओं पर चर्चा करते हुए निजात हेतु समाज में व्यवहारिक परिवर्तन लाने की बात की गई।

    समस्याओं का निजात हेतु चाइल्ड लाईन नम्बर-1098, महिला हेल्प लाइन नम्बर-181 एवं बाल श्रम हेतु व्हाट्सएप नम्बर-9471229133 ,पुलिस नम्बर -100 तथा बाल श्रम अधिनियम को जोड़ते हुए बताया गया कि यदि कोई बाल मजदूरी करते पकड़ा गया तो 20 से 50 हजार रुपए तक जुर्माना और छः माह से दो साल तक सजा का प्रावधान है यदि बाल विवाह करते पकड़ा गया तो एक लाख रुपए जुर्माना और दो साल का सश्रम काराबास हो सकता है।

    अंत में सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया कि पंचायत/वार्ड स्तरीय बाल संरक्षण समिति का गठन करके प्रति माह में एक बार बैठक की जाएगी।ततपश्चात सभी उपस्थित लोगों द्वारा बाल विवाह, बाल श्रम और बाल हिंसा की रोकथाम हेतु शपथ लेते हुए सह अध्यक्ष प्रखंड विकास पदाधिकारी अन्य सरकारी योजनाओं पर चर्चा करके धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आज की कार्यवाही को समापन किया गया। इस मौके पर प्रखंड उप प्रमुख राकेश रंजन , प्रखंड कल्याण पदाधिकारी विकास कुमार, प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी प्रतिनिधि कंचन कुमारी,जीविका से बीपीएम राज कमल दास, मुखिया, पंचायत समिति,महिला पर्यवेक्षिका, अन्य प्रखंड स्तरीय हितधारक एवं पंचायत प्रतिनिधि की सफल भागीदारी रही।