Author: Biharadmin

  • पटना: पूर्व मंत्री कार्तिक सिंह को मिलेगी सजा?, सुनवाई पूरी, बस कुछ ही समय में आएगा फैसला

    लाइव सिटीज पटना: लगातार विवादों में चल रहे बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रहे कार्तिक सिंह की गुरुवार को अपहरण के एक मामले में कोर्ट में पेशी हुई. हालांकि पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह दानापुर कोर्ट नहीं पहुंचे. उनकी अनुपस्थिति में उनके वकील के द्वारा कोर्ट के सामने पक्ष रखा गया. व्यवहार न्यायालय दानापुर पटना के ADJ 3 श्री सत्यनारायण शेवहारे के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. इस मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. बताया जा रहा है कि आज शाम 4:00 से 4:30 के बीच फैसला आ सकता है. दरअसल दानापुर कोर्ट ने कार्तिक सिंह की अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए 1 सितंबर तक राहत दी थी.

    अपहरण मामले में पूर्व मंत्री कार्तिक सिंह की सुनवाई पूरी हो गई है. कार्तिक सिंह की ओर से सरकारी वकील ने अपनी बात रखने का समय मांगा. जज ने उन्हें आज शाम तक अपनी बात रखने का समय दिया है. कोर्ट ने जजमेंट सुरक्षित रखा है. सरकारी वकील की बात सुनने के बाद शाम 4:00 से 4:30 के बीच जज अपना फैसला सुनाएंगे. इससे पहले 16 अगस्त को ही कार्तिक सिंह को कोर्ट में पेश होना था. लेकिन वो बिहार में नई सरकार के गठन के बाद उसी दिन मंत्री पद की शपथ ले रहे थे. इस बीच दानापुर कोर्ट के 12 अगस्त की आदेश की कॉपी सामने आई, जिसमें मोकामा के थाना प्रभारी को आदेश दिया गया है कि कार्तिकेय सिंह के खिलाफ एक सितंबर तक किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न की जाए.

    दरअसल विवादों में घिरने के बाद कार्तिक़ सिंह को बुधवार को कानून मंत्री पद से हटाकर गन्ना विभाग दिया गया, लेकिन बिहार सरकार के मंत्री कार्तिक सिंह ने बुधवार देर शाम मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. बिहार में महागठबंधन की सरकार में कानून मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले कार्तिक कुमार ने 22 दिन बाद नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. पूर्व बाहुबली विधायक अनंत सिंह के करीबी कार्तिक कुमार साल 2014 के अपहरण के एक मामले में आरोपी हैं. इस केस को लेकर आज दानापुर कोर्ट में सुनवाई हुई.

    बता दें कि नीतीश मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनते ही कार्तिक सिंह विवादों में घिर गए थे. उनके ऊपर आरोप लगा था कि उनके खिलाफ कोर्ट से अपहरण के मामले में वारंट जारी किया जा चुका है. दरअसल 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था, इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिक सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया था. इसको लेकर विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर हमला बोल रहा था कि जिनके खिलाफ खुद गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चुका हो, उसे विधि विभाग का मंत्री कैसे बनाया जा सकता है.

    The post पटना: पूर्व मंत्री कार्तिक सिंह को मिलेगी सजा?, सुनवाई पूरी, बस कुछ ही समय में आएगा फैसला appeared first on Live Cities.

  • ‘… माझ्याकडून त्यांना 2 घरं, आजच भूमीपूजन’, मेळघाटात अब्दुल सत्तारांची क्विक ऍक्शन ; वाचा नेमकं काय घडलं ?




    ‘… माझ्याकडून त्यांना 2 घरं, आजच भूमीपूजन’, मेळघाटात अब्दुल सत्तारांची क्विक ऍक्शन ; वाचा नेमकं काय घडलं ? | Hello Krushi









































    हॅलो कृषी ऑनलाईन : राजकीय डायलॉगबाजीसाठी प्रसिद्ध असलेले अब्दुल सत्तार यांनी सध्या शिंदे सरकारच्या कृषी मंत्री पदाची जबाबदारी स्वीकारली आहे. त्यांनी केलेल्या घोषणेनुसार ‘माझा एक दिवस माझ्या बळीराजासाठी’ उपक्रमाला आजच सुरुवात करण्यात आली असून काल रात्री कृषी मंत्र्यांनी तिथल्या शेतकऱ्यांच्या घरी मुक्काम केला होता. दरम्यान राज्यभरात काल पावसाने हजेरी लावली. सत्तार ज्या शेतकऱ्यांच्या घरी थांबले होते तिथे पाणी गळत होते. त्यानंतर सत्तारांनी तत्काळ… माझ्याकडून या दोन्ही शेतकऱ्यांना चांगली घरं बांधून मिळतील, असं आश्वासन दिलं.

    केवळ आश्वासन देऊन ते थांबले नाहीत तर आज गुरुवारी सकाळी लगेच जमिनीचं मोजमाप सुरु झालं आणि त्याचं भूमीपूजन करणार असल्याचंही सत्तारांनी जाहीर केलं.. त्यामुळे मेळघाटात कृषीमंत्र्यांच्या दौऱ्याची सध्या चांगलीच हवा झाली आहे.

    बुधवारी रात्री ते अमरावती जिल्ह्यातील दुर्गम मेळघाटमधील साद्राबाडी या गावात पोहोचले. येथील चुन्नीलाल पटेल यांच्या घरी त्यांनी अत्यंत साधेपणाने रानभाजी आणि भाकरीचा आस्वाद लुटला. तर सुनील धांडे यांच्या घरी मुक्काम केला. शैलेंद्र सावलकर यांच्याही घरी त्यांनी भेट दिली. सुनील धांडे आणि शैलेंद्र सावलकर यांची घरं रात्री गळत असल्याचे त्यांनी पाहिले. त्यांना माझ्याकडून घरं बांधून देणार, असं आश्वासन सत्तारांनी दिलं. आज त्याचं भूमीपूजनही होणार आहे. त्यांच्या मुलीच्या लग्नाला देखील येणार असल्याचं सत्तारांनी सांगितलं.

     

    error: Content is protected !!





  • Jacqueline Fernandez ने पैसों के लालच में आकर, नहीं देखा सुकेश का अपराधिक अतीत, अब हो रहा पछतावा


    डेस्क : पिछले कुछ समय से जैकलीन फर्नांडिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर काफी सुर्खियों में हैं। आरोपी सुकेश चंद्रशेखर के साथ 200 मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नाम जुड़ने के बाद तो जैकलीन मुश्किलों में फंसती जा रही हैं। ईडी ने अब जैकलीन को लेकर चार्जशीट में ऐसा स्टेटमेंट दिया है जो एक्ट्रेस की मुसीबतें और बढ़ा सकती है। दरअसल, ईडी की चार्जशीट में जैकलीन फर्नांडिस के खिलाफ कहा गया है कि एक्ट्रेस ने न केवल जानबूझकर चोर सुकेश चंद्रशेखर के आपराधिक अतीत को नजरअंदाज किया, बल्कि फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन भी उसके साथ जारी रखा। चार्जशीट में यह भी दावा किया गया कि जैकलीन के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्य और दोस्त को भी आर्थिक रूप से इस रिश्ते से फायदा हुआ है।

    बता दें कि फिलहाल सुकेश चंद्रशेखर जेल में है और उससे पूछताछ की जा रही है। जैकलीन और सुकेश के रिलेशनशिप की कई खबरें आई थीं, लेकिन इसे एक्ट्रेस ने हमेशा गलत बताया है। इस केस में ईडी ने एक्ट्रेस को भी आरोपी बताया है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जो चार्जशीट दायर की है उसमें लिखा है कि अभी तक की इन्वेस्टिगेशन से जो पता चला है उसमें डायरेक्टली और इनडायरेक्टली क्राइम के प्रोसेस में जैकलीन शामिल रही हैं।

    ईडी ने इससे पहले अपनी रिपोर्ट में बताया था कि जैकलीन के लिए उपहार खरीदने के लिए सुकेश ने पैसों का इस्तेमाल किया। यह उसने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह की पत्नी अदिति सिंह समेत कई हाई-प्रोफाइल लोगों को धोखा देकर निकाला था। एजेंसी ने चार्जशीट में यह भी कहा है कि जैकलीन ने लगातार अपना रुख सुकेश से मिले उपहारों के बारे में बदला है। कुछ चीजों की डिटेल तो उन्होंने दी, लेकिन सुकेश द्वारा उसके लिए खरीदी गई कुछ संपत्तियों से वह इनकार करती रहीं और अब उस पहलू पर भी जांच चल रही है।

    [rule_21]

  • पितृपक्ष मेला 2022: एक क्लिक पर मिलेंगी गया पिंडदान से जुड़ी सभी जानकारियां

    लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्क: गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला का आगाज 10 सितंबर से हो रहा है. ये मेला 25 सितंबर तक चलेगा. मेला में गया आने वाले लोगों को अब एक क्लिक में इससे जुड़ी सारी जानकारियां मिल सकेंगी. मगध प्रमंडल के आयुक्त द्वारा आईवीआरएस, मोबाइल ऐप तथा वेबसाइट का लोकार्पण किया गया.

    मगध प्रमंडल के आयुक्त के द्वारा पितृपक्ष मेला के अवसर पर तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु IVRS जिसका नम्बर 9266628168, मोबाइल ऐप PINDDDAAN GAYA तथा वेबसाइट www.pinddaangaya.bihar.gov.in का लोकार्पण किया गया.

    इस अवसर पर आयुक्त ने कहा कि पहले की तुलना में वर्तमान वर्षों में तीर्थ यात्रियों की सुविधा को सरल बनाने हेतु बिहार सरकार तथा जिला प्रशासन हमेशा तत्पर रहा है. विभिन्न जानकारियां / शिकायतों अथवा यात्रियों को मदद हेतु जिला प्रशासन द्वारा अनेकों कार्य किया जा रहा है.

    लोकार्पण के अवसर पर जिला पदाधिकारी गया डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने कहा कि पिंडदान ऐप एवं वेबसाइट से घर बैठे-बैठे देश-विदेश के कोने-कोने के तीर्थयात्री अपनी जरूरत के अनुसार पूरी जानकारी ले सकते हैं

     

    The post पितृपक्ष मेला 2022: एक क्लिक पर मिलेंगी गया पिंडदान से जुड़ी सभी जानकारियां appeared first on Live Cities.

  • पप्पू खा बजरंग दल के विरोध में दिए गए बयान बजरंग दल मर्माहत

    प्रेस विज्ञप्ति
    बिहार शरीफ के पूर्व विधायक नौशादून नबी उर्फ़ पप्पू खा बारा बजरंग दल के विरोध में दिए गए बयान समाचार पत्र एवं सोशल मीडिया पर जो आया है उससे बजरंग दल मर्माहत एवं आक्रोशित है।
    सच्चाई है कि पूर्व विधायक के नेतृत्व में एक भू माफिया का टीम गठित हुआ है जो अभी अभी नालंदा जिले के विभिन्न प्रखंड में
    जालसाजी कर जमीन रजिस्ट्री कराकर कब्जा दिलाने का काम चल रहा है । बहुत सारा जमीन पप्पू खा ने अपने पत्नी आफरीन सुल्ताना के नाम भी रजिस्ट्री कराए हैं।
    अभी-अभी नहीं प्रखंड के बेना में पांच व्यक्तियों के एक एकड़ 18 डिसमिल जमीन इन लोगों ने ऐसे लोगों से रजिस्ट्री करा लिए है जिनका जमीन कभी नहीं था जमीन पर जबरन कब्जा कर के दयान जो पप्पू खान का बेटा है इसके नाम होटल बनाने का बोर्ड लगा दिया है।
    दुखद बात यह है कि पप्पू खा के व्यक्तित्व में आया है कि जमीन पर मेरा कोई वास्ता नहीं है। एक सजाबार व्यक्ति पप्पू खा से बजरंग दल ऐसे सामाजिक संगठन का शिक्षा लेने की कोई जरूरत नहीं है।
    प्रशासनिक पदाधिकारियों से बजरंग दल नालंदा आग्रह करती है कि भू माफिया गिरोह पर अभिलंब कार्रवाई करें एवं गरीब लोगों का जमीन उन्हें वापस दिलाने की कार्रवाई करें। जिला सयोजक कुंदन कुमार ,विश्व हिंदू परिषद सह मंत्री धर्मवीर कुमार,प्रांत सह प्रशासनिक प्रमुख राम बहादुर सिंह नगर के सायोजक त्रिलोकी भारद्वाज जिला के सह सयोजक रोहित कुमार के साथ अन्य करता भी शामिल थे !

     

  • ‘माझा एक दिवस माझ्या बळीराजासाठी’ उपक्रमाला मेळघाटातून सुरुवात ; कृषिमंत्र्यांचा शेतकऱ्याच्या घरी मुक्काम

    हॅलो कृषी ऑनलाईन : राज्याचे कृषी मंत्री अब्दुल सत्तार यांनी घोषणा केलेल्या ‘माझा एक दिवस माझ्या बळीराजासाठी’ या उपक्रमाची सूरूवात करण्यात आली आहे. या उपक्रमाची सुरुवात अमरावती येथील साद्राबाडी या गावापासून करण्यात आली आहे. काल पासूनच कृषिमंत्री आणि अधिकारी या गावात दाखल झाले.

    काल रात्रीच्या वेळी साद्राबाडी गावातील शेतकरी शैलेंद्र सालकर यांच्याकडे कृषी मंत्री अब्दुल सत्तार मुक्कामी राहिले होते. कृषिमंत्री गावात पोहचल्यानंतरण या उपक्रमाचे गावकऱ्यांकडून स्वागत करण्यात आले. आज मेळघाटातील साद्राबाडी या गावातून ‘माझा एक दिवस माझ्या बळीराजासाठी’ या उपक्रमाचा शुभारंभ करणार आहेत. आज दिवसभर सत्तार हे प्रत्यक्ष शेतात जाऊन शेतकऱ्यांशी चर्चा करणार आहेत. शेतकऱ्यांच्या अडचणी जाणून घेण्यासाठी पदाधिकारी, अधिकारी हे संपूर्ण एक दिवस शेतकऱ्यांसोबत राहून संवाद साधणार आहेत. तसेच प्रत्येकांच्या अडचणी समजून घेणार आहेत.

    योजना शेतकऱ्यांपर्यंत पोहचत नाहीत

    यावेळी माध्यमांशी बोलताना त्यांनी सांगितले की , मी इथे आल्यापासून शेतकऱ्यांची दिनचर्या, त्यांची दैनंदिनी, त्यांच्या अडचणी समजून घेण्याच्या प्रयत्न करीत आहे. इथे आल्यानंतर लक्षात आले की, सरकारी योजना शेतकऱ्यांपर्यंत पोचतच नाही. अनेक योजनांचा लाभ अद्यापही शेतकऱ्यांपर्यंत पोहचत नाहीत. आज दिवसभर अधिकारी येतील त्यांच्या अडचणी त्या अडचणींवर उपाय कसे काढता येईल हे पाहणार आहोत. १०० दिवसाच्या या कार्यक्रमाची घोषणा झाली आहे. आय ए एस आणि इतर अधिकारी राज्यातल्या शेतकऱ्यांच्याकडे जातील. पूर्ण डेटा जमा करतील शेतकऱ्यांच्या एक दिवसाच्या उत्पन्न आणि खर्चाचा लेखाजोगा मंडला जाईल. शेतकऱ्यांच्या अडचणींवर उपाय काढला जाईल असे सत्तार म्हणाले.

    असा असेल आजचा कार्यक्रम

    कृषीमंत्री सत्तार हे आज सकाळी दत्तात्रय पटेल यांच्यासोबत शेतात जातील. तिथे सोयाबीन फवारणी होईल आणि त्यांच्याशी चर्चा करतील. त्यांनतर बाजूलाच असलेल्या राजेश डावलकर यांच्या शेतात कापूस डवरणी/फवारणी होईल. नंतर बाबूलाल जावरकर यांच्या शेतात विद्युत पंप दिले त्याची पाहणी आणि सोयाबीन फवारणी होईल. तिथून ते किशोरीलाल धांडे यांच्या शेतात जाऊन त्यांच्या शेतात असलेल्या संत्रा बागेची पाहणी आणि संत्र्याची छाटणी, खत देणे, फवारणी होऊ शकते. त्यांनतर नंदलाल बेठेकर यांना विहीर दिली त्याची पाहणी करतील. तिथून अशोक पटेल यांच्या शेतात ठिंबक संच पाहणी करणार आणि रामगोपाल भिलावेकर यांच्या शेतात तुषार संच पाहणी. आणि मग बाटु धांडे यांच्या शेतात रोटावेटरची पाहणी आणि नथु गाडगे यांच्या शेतात अतिवृष्टीमुळे झालेल्या नुकसानाची ते पाहणी करतील आणि मग पुरुष बचत गट यांची अवजार बँक पाहणी कृषीमंत्री अब्दुल सत्तार करणार आहेत.

  • बहुजन नायक ललई सिंह यादव की 111 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा –इतिहास वह नहीं जो हमको बताया जाता है, बल्कि इतिहास वह है जिसको हमारे समाज, हमारे महापुरुषों नें सहा है और जिसके लिए संघर्ष किया और जिसे कभी लिखा ही नहीं गया। इसलिए हमारा असल इतिहास वही है जो हमारे महापुरुषों नें लिखा है, इसलिए अपनें इतिहास और हकीकत को जानने के लिए अपने महापुरुषों द्वारा लिखे इतिहास का अध्ययन करना अपनी नैतिक जिम्मेदारी है।
    शिक्षित मनुष्य वही माना जा सकता है जो जागरुक है, जिसे सच और झूठ का पता है जिसे दोस्त और दुश्मन की पहचान है, जिसे शोषक और शोषित की पहचान है, जिसे जानने की जिज्ञासा है अन्यथा सच को झूँठ और झूँठ को सच मान लेना बुद्धिमत्ता नहीं, निरा मूर्खता के सिवाय और कुछ भी नहीं है, मेरी नजर में बुद्धिमान वही है जो अपना नुकसान न करे, अन्यथा अपना नुकसान खुद करने वाला सबसे बड़ा महामूर्ख होता है।
    सच में इंसान वही है जिसे इतिहास,महापुरुष,समाज और समाज में रह रहे दूसरे लोगों के दर्द का एहसास हो, यही इंसान की जिंदादिली है, इसीलिए कहा गया है कि जीना है तो दूसरों के लिये भी जियो, अन्यथा अपने लिए तो जानवर भी जी लिया करते हैं।
    असल में जिंदा रहना है तो लोगों के दिलों में जगह बनाओ। अन्यथा खुद के लिए चलते फिरते जिंदा रहने को जिंदा नहीं कहा जा सकता,यह काम तो जानवर भी बखूबी करता है। जंगली कुत्ते को भी अगर एक बार रोटी खिला दो तो जिंदगी भर एहसान नहीं भूलता, लेकिन हमारे समाज के अधिकांश जिम्मेदार लोगों ने समाज इतिहास और महापुरुषों का सबकुछ फ्री में हजम कर लिया और डकार तक नहीं ली, खाया अपना और हलाली दुश्मनों की, जिसकी सजा समाज सदियों तक भुगतेगा, आज हमारे पास जो भी उपलब्ध है वह महापुरुषों के कठिन संघर्षों की वजह से मिला हुआ है।

                               बहुजन नायक ललई सिंह यादव का जन्म और परिवारिक जीवन

    देश का सबसे बड़ा राज्य है उत्तर प्रदेश। इस प्रदेश ने कई नायकों को जन्म दिया। यही वह प्रदेश है, जहां से पिछड़े समाज को जगाने वाले नायक बड़ी संख्या में निकले। ललई सिंह यादव का नाम उसमें प्रमुखता से शामिल है। ये अंधविश्वास-सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ तर्क व मानवतावाद की बात करने वाला नेता थे। बहुजन नवजागरण में इनका बहुत बड़ा योगदान था।
    दलितों और पिछड़ों का मसीहा बहुजन नायक ललई सिंह यादव का जन्म 01 सितंबर, 1911 को कानपुर के कठारा गांव के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। पिता का नाम था चौधरी गज्जू सिंह यादव जो कि आर्यसमाजी थे। और माता मूला देवी उस क्षेत्र के मकर दादुर गाँव के जनप्रिय नेता साधौ सिंह यादव बेटी थीं। उन्हें जाति-भेद की भावना उन्हें छू भी नहीं सकी थी। उनकी गिनती गाँव-जवार के प्रभावशाली व्यक्तियों में होती थी। माता मूला देवी के पिता साधौ सिंह भी खुले विचारों के थे। समाज में उनकी प्रतिष्ठा थी। पेरियार ललई सिंह के जुझारूपन के पीछे उनके माता-पिता के व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव था। ललई सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। ललई सिंह यादव ने 1928 में उर्दू के साथ हिन्दी से मिडिल पास किया। उन दिनों दलितों और पिछड़ों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी थी। हालांकि सवर्ण समाज का नजरिया अब भी नकारात्मक था। उन्हें यह डर नहीं था कि दलित और शूद्र पढ़-लिख गए तो उनके पेशों को कौन करेगा। असली डर यह था कि पढ़े-लिखे दलित-शूद्र उनके जातीय वर्चस्व को भी चुनौती देंगे। उन विशेषाधिकारों को चुनौती देंगे जिनके बल पर वे शताब्दियों से सत्ता-सुख भोगते आए हैं। इसलिए दलितों और पिछड़ों की शिक्षा से दूर रखने के लिए वह हरसंभव प्रयास करते थे। ऐसे चुनौतीपूर्ण परिवेश में ललई सिंह ने 1928 में आठवीं की परीक्षा पास की। उसी दौरान उन्होंने फारेस्ट गार्ड की भर्ती में हिस्सा लिया और चुन लिए गए। वह 1929 का समय था। 1931 में मात्र 20 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह सरदार सिंह की बेटी दुलारी देवी हुआ। दुलारी देवी पढ़ी-लिखी महिला थीं। उन्होंने टाइप और शार्टहेंड का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। ललई सिंह को फारेस्ट गार्ड की नौकरी से संतोष न था। 1929 से 1931 तक ललई यादव वन विभाग में गार्ड रहे। सो 1933 में वे सशस्त्र पुलिस कंपनी में कनिष्ठ लिपिक बनकर चले गए। वहां उनकी पहली नियुक्ति भिंड मुरैना में हुई। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई की। 1946 में पुलिस एण्ड आर्मी संघ ग्वालियर कायम करके उसके अध्यक्ष चुने गए। ललई सिंह का पारिवारिक जीवन बहुत कष्टमय था। उनकी पत्नी जो उन्हें कदम-कदम पर प्रोत्साहित करती थीं, वे 1939 में ही चल बसी थीं। परिजनों ने उनपर दूसरे विवाह के लिए दबाव डाला, जिसके लिए वे कतई तैयार न थे। सात वर्ष पश्चात 1946 में उनकी एकमात्र संतान, उनकी बेटी शकुंतला का मात्र 11 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। कोई दूसरा होता तो कभी का टूट जाता। परंतु समय मानो बड़े संघर्ष के लिए उन्हें तैयार कर रहा था। निजी जीवन दुख-दर्द उन्हें समाज में व्याप्त दुख-दर्द से जोड़ रहे थे।

                          ललई सिंह यादव का विद्रोह और “सिपाही की तबाही” पुस्तक की रचना

    वर्ष 1946 में उन्होंने “सिपाही की तबाही” पुस्तक की रचना की। “सिपाही की तबाही” छप न सकी। भला कौन प्रकाशक ऐसी पुस्तक छापने को तैयार होता! सो ललई सिंह ने टाइप कराकर उसकी प्रतियां अपने साथियों में बंटवा दीं। पुस्तक लोक-सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले सिपाहियों के जीवन की त्रासदी पर आधारित थी। परोक्षरूप में वह व्यवस्था के नंगे सच पर कटाक्ष करती थी। पुस्तक में सिपाही और उसकी पत्नी के बीच बातचीत के माध्यम से घर की तंगहाली को दर्शाया गया था।
    पुस्तक में आजादी और लोकतंत्र दोनों की मांग थी। पुस्तक के सामने आते ही पुलिस विभाग में खलबली मच गई। सैन्य अधिकरियों को पता चला तो पुस्तक की प्रतियां तत्काल जब्त करने का आदेश जारी कर दिया। उस घटना के बाद ललई सिंह अपने साथियों के ‘हीरो’ बन गए। मार्च 1947 में जब आजादी कुछ ही महीने दूर थी, उन्होंने अपने साथियों को संगठित करके “नान-गजेटेड पुलिस मुलाजिमान एंड आर्मी संघ” के बैनर तले हड़ताल करा दी। सरकार ने ‘सैनिक विद्रोह’ का मामला दर्ज कर, भारतीय दंड संहिता की धारा 131 के अंतर्गत मुकदमा दायर कर दिया। ललई सिंह को पांच वर्ष के सश्रम कारावास तथा 5 रुपये का अर्थदंड सुना दिया। वे जेल में चले गए। इस बीच देश आजाद हुआ। अन्य रजबाड़ों की तरह ग्वालियर स्टेट भी भारत गणराज्य का हिस्सा बन गया। 12 जनवरी को 1948 को लगभग 9 महीने की सजा काटने के बाद, ललई सिंह को कारावास से मुक्ति मिली। वे वापस सेना में चले गए।

                         ललई सिंह यादव का सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर संघर्ष

    ललई सिंह यादव 1950 में सेना से सेवानिवृत्त होने के पश्चात उन्होंने अपने पैतृक गांव झींझक को स्थायी ठिकाना बना लिया। वैचारिक संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए वहीं उन्होंने “अशोक पुस्तकालय” नामक संस्था गठित की। साथ ही “सस्ता प्रेस” के नाम से प्रिंटिंग प्रेस भी आरंभ किया। कारावास में बिताए नौ महीने ललई सिंह के नए व्यक्तित्व के निर्माण हुआ। जेल में रहते हुए उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन किया। धीरे-धीरे हिंदू धर्म की कमजोरियां और ब्राह्मणवाद के षड्यंत्र सामने आने लगे। जिन दिनों उनका जन्म हुआ था, भारतीय जनता आजादी की कीमत समझने लगी थी। होश संभाला तो आजादी के आंदोलन को दो हिस्सों में बंटे पाया। पहली श्रेणी में अंग्रेजों को जल्दी से जल्दी बाहर का रास्ता दिखा देने वाले नेता थे। उन्हें लगता था वे राज करने में समर्थ हैं। उनमें से अधिकांश नेता उन वर्गों से थे जिनके पूर्वज इस देश में शताब्दियों से राज करते आए थे। लेकिन आपसी फूट, विलासिता और व्यक्तिगत ऐंठन के कारण वे पहले मुगलों और बाद में अंग्रेजों के हाथों सत्ता गंवा चुके थे। देश की आजादी से ज्यादा उनकी चाहत सत्ता में हिस्सेदारी की थी। वह चाहे अंग्रेजों के रहते मिले या उनके चले जाने के बाद। 1930 तक उनकी मांग ‘स्वराज’ की थी। ‘राज’ अपना होना चाहिए, ‘राज्य’ इंग्लेंड की महारानी का भले ही रहे। स्वयं गांधी जी ने अपनी चर्चित पुस्तक “हिंद स्वराज” का शीर्षक पहले “हिंद स्वराज्य” रखा था। बाद में उसे संशोधित कर, अंग्रेजी संस्करण में “हिंद स्वराज” कर दिया था। “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” नारे के माध्यम से तिलक की मांग भी यही थी। वर्ष 1930 में, विशेषकर भगत सिंह की शहादत के बाद जब उन्हें पता चला कि जनता ‘स्वराज’ नहीं, ‘स्वराज्य’ चाहती है, तब उन्होंने अपनी मांग में संशोधन किया था। आगे चलकर जब उन्हें लगा कि औपनिवेशिक सत्ता के बस गिने-चुने दिन बाकी हैं, तो उन्होंने खुद को सत्ता दावेदार बताकर, संघर्ष को आजादी की लड़ाई का नाम दे दिया। अब वे चाहते थे कि अंग्रेज उनके हाथों में सत्ता सौंपकर जल्दी से जल्दी इस देश से चले जाएं।
    दूसरी श्रेणी में वे नेता थे, जो सामाजिक आजादी को राजनीतिक आजादी से अधिक महत्त्व देते थे। मानते थे कि बिना सामाजिक स्वाधीनता के राजनीतिक स्वतंत्रता अर्थहीन है। कि राजनीतिक स्वतंत्रता से उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है। उनकी दासता और उसके कारण हजारों साल पुराने हैं। नई शिक्षा ने उनके भीतर स्वाभिमान की भावना जाग्रत की थी। उनकी लड़ाई अंग्रेजों से कम, अपने देश के नेताओं से अधिक थी। वे सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर साथ-साथ जूझ रहे थे। महामना फुले, संतराम बी.ए., अय्यंकालि, डॉ. आंबेडकर, पेरियार जैसे नेता इसी श्रेणी में आते हैं। स्वयं ललई सिंह इस श्रेणी से थे और जिस परिवेश से जूझते हुए वे निकले थे, उसमें अपना मोर्चा चुन लेना कोई मुश्किल बात न थी।

                       जेल में रहते हुए ललई सिंह यादव ने डा. आंबेडकर के भाषणों को सुना

    जेल में रहते हुए ललई सिंह यादव ने डा. आंबेडकर के भाषणों को सुना था, जिन्होंने हिंदू धर्म को धर्म मानने से ही इन्कार कर दिया था। आंबेडकर स्वयं हिंदू धर्म तथा उसके ग्रंथों को राजनीति मानते थे। कांग्रेसी नेताओं के व्यवहार से यह सिद्ध भी हो रहा था। 1930 के आसपास दलितों और पिछड़ी जातियों में राजनीतिक चेतना का संचार हुआ था। “त्रिवेणी संघ” जैसे संगठन उसी का सुफल थे। उसकी काट के लिए कांग्रेस ने पार्टी में पिछड़ों के लिए अलग प्रकोष्ठ बना दिया था। उसका मुख्य उद्देश्य था, किसी न किसी बहाने पिछड़ों को उलझाए रखकर उनके वोट बैंक को कब्जाए रखना।
    दूसरा कारण पिछड़ी जातियों में शिक्षा का बढ़ता स्तर तथा उसके फलस्वरूप उभरती बौद्धिक चेतना थी। उससे पहले पंडित अपने प्रत्येक स्वार्थ को ‘शास्त्रोक्त’ बताकर थोप दिया करते थे। बदले समय में बहुजन उन ग्रंथों को सीधे पढ़कर निष्कर्ष निकाल सकते थे। इसलिए महाकाव्य और पौराणिक कृतियां जिनका प्रयोग ब्राह्मणादि अल्पजन बहुजनों को फुसलाने के लिए करते थे, जिनमें बहुजनों के प्रति अन्याय और अपमान के किस्से भरे पड़े थे- वे अनायास ही आलोचना के केंद्र में आ गईं। हमें याद रखना चाहिए कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों में निर्णायक राजनीतिक शक्ति बन चुके यादवों को क्षत्रिय मानने पर ब्राह्मणादि अल्पजन आज भले ही मौन हों, मगर उससे पहले वे उनकी निगाह ‘क्षुद्र’ यानी शूद्र ही थे। महाभारत जिसमें कृष्ण को अवतार के रूप में प्रस्तुत किया गया है, उसमें भी ऐसे अनेक प्रसंग हैं जब कृष्ण का उसकी जाति के आधार पर मखौल उड़ाया जाता है। डी. आर. भंडारकर यादवों को भारतीय वर्ण-व्यवस्था से बाहर का गण-समूह यानी पंचम वर्ण का मानते हैं।

                                        ललई सिंह यादव द्वारा सच्ची रामायण लिखना

    ललई सिंह यादव सच्चे मानवतावादी थे। आस्था से अधिक महत्त्व वे तर्क को देते थे। सच्ची रामायण के प्रकाशन के पीछे उनका उद्देश्य हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को खारिज करना न होकर, मिथों की दुनिया से बाहर निकलकर जीवन-जगत के बारे तर्क संगत ढंग से सोचने और उसके बाद फैसला करने के लिए प्रेरित करना था। ललई सिंह यादव सच्ची रामायण के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास, कर्मकांड को दूर करके नई समाज की रचना कराई। ललई सिंह का कहना था कि बलि बकरे को दी जाती है शेर को नहीं। हमें शेर बनना होगा।

                                 ललई सिहं यादव ने सामाजिक न्याय के लिए पुस्तकों की रचना की

    ललई सिहं यादव ने सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया और सामाजिक न्याय के अपने लक्ष्य के लिए अनेक पुस्तकों की रचना की। श्री ललई सिंह यादव को उत्तर भारत का ‘पेरियार’ कहा जाता है। उन्होंने 5 नाटक लिखे- (1) अंगुलीमाल नाटक, (2) शम्बूक वध, (3) सन्त माया बलिदान, (4) एकलव्य, और (5) नाग यज्ञ नाटक. गद्य में भी उन्होंने 3 पुस्तके लिखीं – (1) शोषितों पर धार्मिक डकैती, (2) शोषितों पर राजनीतिक डकैती, और (3) सामाजिक विषमता कैसे समाप्त हो? एशिया के सुकरात कहे जाने वाले दक्षिण भारत के महान क्रांतिकारी पैरियार इरोड वेंकट नायकर रामासामी जी उस समय उत्तर भारत में कई दौरे हो रहे थे जिनसे ललई सिंह यादव जी उनके सम्पर्क में आये थे।

  • BSNL यूजर्स का जीता दिल – महज 50 रूपये 50 दिन तक चलेगा मोबाइल, Jio-Airtel मान ली हार..


    डेस्क : भारत में Jio, Airtel और V-i का दबदबा कम करने के लिए BSNL लगातार नए और आकर्षक प्लान पेश कर रहा है। BSNL के कई प्लान निजी ऑपरेटरों की तुलना में काफी सस्ते हैं लेकिन फायदों के मामले में एकदम अवल हैं। BSNL द्वारा पेश किए गए कुछ ऐसे प्रीपेड प्लान के बारे में बता रहे हैं जिनकी कीमत 50- 250 रुपये के बीच है।

    BSNL 49 और 999 रुपये के प्लान:

    BSNL 49 और 999 रुपये के प्लान: BSNL के 49 रुपये वाले प्लान में 24 दिनों के लिए कुल 2GB डेटा के साथ 100 मिनट की वॉयस कॉल मुफ्त प्रदान करता है। दूसरी ओर कंपनी STV_99 पैक 22 दिनों की वैधता अवधि के लिए 99 रुपये में बेसिक अनलिमिटेड वॉयस कॉल प्रदान करता है। वॉयस_135 पैक भी है जो 135 रुपये में 24 दिनों की वैधता अवधि के लिए 1440 मिनट की वॉयस कॉल प्रदान करता है। यह प्लान ग्राहकों के लिए बेहतरीन साबित हो सकता है।

    BSNL 118 और 147 प्लान:

    BSNL 118 और 147 प्लान: डेटा ऑफर के साथ आने वाले पैक की बात करें तो BSNL का STV_118 प्लान 118 रुपये के प्राइस टैग पर आता है और 26 दिनों की अवधि के लिए अनलिमिटेड वॉयस कॉल के साथ प्रतिदिन 0.5GB डेटा प्रदान करता है। दूसरी ओर, टेल्को का STV_147 पैक, 147 रुपये में 30 दिनों कीअवधि के लिए असीमित वॉयस कॉल और BSNL ट्यून्स तक पहुंच के साथ कुल 10GB डेटा प्रदान करता है। यह प्लान काफी बढ़िया साबित हो सकता है। सभी ग्राहकों कको यह प्लान काफी पसंद आ रहे हैं।

    BSNL 185 और 187 Plan: 

    BSNL 185 और 187 Plan:  BSNL के 185 रुपये में 28 दिनों की अवधि के लिए रोजाना 100 SMS के साथ-साथ 1GB डेटा के साथ असीमित वॉयस कॉल प्रदान करता है। यह plan BSNL ट्यून्स तक पहुंच भी प्रदान करती है। टेल्को का Voice_187 पैक, हालांकि, 28 दिनों की वैधता अवधि के लिए 100 SMS/ दिन के साथ असीमित वॉयस कॉल प्रदान करता है, लेकिन 187 रुपये में प्रति दिन 2GB डेटा प्रदान करता है। यह प्लान उन लोगों के लिए है जो आम बजट में रिचार्ज ढूंढते हैं। यह प्लान काफी बढ़िया साबित हो सकता है। सभी ग्राहकों को यह प्लान काफी पसंद आ रहे हैं।

    BSNL 198 Plan:

    BSNL 198 Plan: इस Plan में रोजाना 2 GB डेटा मिलता है, अगर अवधी की बात की जाए तो इस प्लान की वैधता 50 दिनों की है। इसके हिसाब से महीने में कुल 100 GB डेटा मिलता है। वॉयस कॉलिंग की बात की जाए तो इस प्लान में अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग मिलती है। बता दें कि ये कंपनी का डेटा प्लान है। आप इस प्लान से लंबे समय टाक फायदा उठा सकते हैं। यह प्लान आपके लिए बहुत काम का साबित हो सकता है। 198 रूपए का यह प्लान सभी के लिए उपलब्ध है इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है बल्कि आप घर से रिचार्ज करके सारे बेनिफिट उठा सकते हैं।

    [rule_21]

  • ललन सिंह का BJP पर हमला, कहा- सुशील जी, ‘चलनी दूसे सूप को जिसमें खुद बहत्तर छेद’

    लाइव सिटीज, पटना: नीतीश कुमार की सरकार में विवादों में आने पर कानून मंत्री से गन्‍ना मंत्री बनाए गए कार्तिक कुमार चौथे ऐसे मंत्री बन गए हैं, जिन्हें इस्तीफा देना पड़ा है. जिसके बाद बिहार की सियासत गर्म हो गय़ी है. बीजेपी बिहार सरकरा पर हमलावर है. वहीं जेडीयू भी बीजेपी पर पलटवार कर रही है. बीजेपी को घेरने के लिए जेडीयू ने अब यूपी सरकार  का सहारा लेते हुए हमला किया है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सुशील कुमार मोदी पर गुरुवार को ट्वीट कर हमला बोला. उन्होंने यूपी कैबिनेट के मंत्री राकेश सचान को निशाने पर लिया और कहावत के जरिए बीजेपी पर निशाना साधा. ललन सिंह ने कहा कि सुशील कुमार मोदी सीएम नीतीश कुमार को चुनौती देने से पहले अपने गिरेबान में झांक लें.

    ललन सिंह ने कहा- सुशील जी, उत्तर प्रदेश सरकार के कारनामों को देख लें. यूपी के मंत्री राकेश सचान को कितने साल की सजा हुई है? सजायाफ्ता होने के बाद भी मंत्री बने हैं कि नहीं? मंत्री राकेश सचान अदालत से सजा की कॉपी लेकर भाग गए. कुछ बोलने से पहले थोड़ी तो शर्मिंदगी का अहसास कीजिए. नीतीश कुमार को ज्ञान देने की जरूरत नहीं है. एक कहावत है, ‘चलनी दूसे सूप को जिसमें खुद बहत्तर छेद’.

    ललन सिंह ने आगे लिखा- नैतिकता का पाठ पढ़ाने से पहले अपनी नैतिकता का भी आकलन कर लें। लखीमपुर खीरी का जवाब भी जनता आपसे जानना चाहती है। जरा मुंह तो खोलिए, कुछ तो बोलिए..! और जरा यह भी बताइये कि लखीमपुर खीरी की घटना पर सर्वोच्च न्यायालय ने क्या-क्या टिप्पणियां की थी आपकी उत्तरप्रदेश सरकार पर. आत्ममंथन कीजिए, चिंतन-मनन कीजिए….. तब बोलिए.

    The post ललन सिंह का BJP पर हमला, कहा- सुशील जी, ‘चलनी दूसे सूप को जिसमें खुद बहत्तर छेद’ appeared first on Live Cities.

  • सावधान! आपके Browser से चोरी हो सकता है आपका डाटा, ये 5 Extensions चुरा सकते हैं आपका डेटा-जानिए


    मार्केट में कई सारे इंटरनेट ब्राउजर्स हैं, पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला ब्राउजर है गूगल क्रोम (Google Chrome) है। गूगल क्रोम पर कई ऐप्स और फीचर्स को इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स गूगल क्रोम एक्सटेंशन्स का इस्तेमाल करते हैं।

    आज अपनी इस रिपोर्ट में आपको बताते हैं पांच ऐसे एक्सटेंशन्स (Extensions) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आप किसी भी हाल में इस्तेमाल न करें। ऐसा इसीलिए, क्योंकि McAfee की रिपोर्ट्स के मुताबिक ये यूजर्स का डेटा चुराते हैं। इन पॉपुलर गूगल क्रोम एक्सटेंशन्स को अगर आपने भी डाउनलोड किया है तो तुरंत हटा दें।

    नेटफ्लिक्स पार्टी :

    नेटफ्लिक्स पार्टी : आपको जानकर हैरानी होगी कि ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स का गूगल क्रोम एक्सटेंशन नेट लीक्स पार्टी भी इस लिस्ट में मौजूद है। अब तक के सबसे ज्यादा 800,000 डाउनलोड्स वाले इस एक्सटेंशन को सिक्योरिटी के नजरिए से खतरनाक बताया गया है।

    फुल पेज स्क्रीनशॉट कैप्चर-स्क्रीनशॉटिंग :

    फुल पेज स्क्रीनशॉट कैप्चर-स्क्रीनशॉटिंग : 200,000 डाउनलोड्स वाले इस एक्सटेंशन पर आरोप लगाया गया है कि ये यूजर्स का डेटा चुराता है और बेहद खतरनाक एक्सटेंशन है। ये एक्सटेंशन आपको स्क्रीन की एक बार में पूरी तरह PNG फाइल फॉर्मैट में स्क्रीनशॉट लेने में मदद करता है।

    फ्लिपशोप- प्राइस ट्रैकर एक्सटेंशन :

    फ्लिपशोप- प्राइस ट्रैकर एक्सटेंशन : ये भी काफी कॉमन गूगल क्रोम एक्सटेंशन है जिसकी मदद से आप अलग-अलग प्रोडक्ट्स के दाम की तुलना कर सकते हैं और अपने मनपसंद प्रोडक्ट को सबसे सस्ते में खरीद सकते हैं। 80 हजार डाउनलोड्स वाले इस एक्सटेंशन का इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है।

    ऑटोबाइ फ्लैश सेल्स:

    ऑटोबाइ फ्लैश सेल्स: ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स पर हो रही फ्लैश सेल्स में सस्ते में समान खरीदने के लिए इस एक्सटेंशन का इस्तेमाल लोग करते हैं। अब तक 20 हजार से ज्यादा लोगों ने इसको डाउनलोड कर लिया है। आपको बता दें कि ये खतरनाक है और इसे डाउनलोड न करें।

    नेटफ्लिक्स पार्टी 2 :

    [rule_21]