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  • जीबीएम काॅलेज की मेजबानी में एमयू के अन्तर-महाविद्यालय टेबल टेनिस टूर्नामेंट-2022 का रोमांचक आयोजन

    गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट

    महिला वर्ग में गया कॉलेज तथा पुरुष वर्ग में मिर्जा गालिब कॉलेज ने मारी बाजी गया। गौतम बुद्ध महिला महाविद्यालय की मेजबानी में गाँधी मैदान, गया स्थित इंडोर स्टेडियम में आयोजित मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के अंतर-महाविद्यालय टेनिस टूर्नामेंट-२०२२ (महिला वर्ग) में प्रथम स्थान प्राप्त कर गया काॅलेज, गया विनर तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कर मिर्जा गालिब काॅलेज, गया रनर रहा। वहीं अन्तर-महाविद्यालय टेनिस टूर्नामेंट-२०२२ (पुरुष वर्ग) में प्रथम स्थान प्राप्त कर मिर्जा गालिब काॅलेज, गया विनर तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कर गया कॉलेज, गया रनर रहा। जीबीएम काॅलेज के प्रधानाचार्य प्रो. जावेद अशरफ ने विजेता तथा उपविजेता रहे प्रतिभागियों को टूर्नामेंट कप तथा मेडेल्स देकर सम्मानित किया। विजेता प्रतिभागियों में मानसी शर्मा, कुमारी चंचला भारती, सुमन, ब्यूटी, अनिकेत करन, मो. तबरेज़ अली व सौरव रहे तथा उपविजेता प्रतिभागियों में मोहित राज, अश्विनी, अमृता, सेहा व सारा भगत रहे। आयोजन-स्थल पर उपस्थित खेलकूद प्रभारी डॉ. पूजा राय, मुख्य अंपायर पुष्कर प्रियम, प्रो. अफ्शाँ सुरैया, कॉलेज की जन संपर्क अधिकारी-सह-मीडिया प्रभारी डाॅ. कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी, डाॅ. जया चौधरी, डाॅ. पूजा, डॉ. नगमा शादाब, डॉ. अनामिका कुमारी, प्रीति शेखर, डॉ. शिल्पी बनर्जी, डॉ. फरहीन वजीरी, डॉ. रुखसाना परवीन, डॉ. बनिता कुमारी, रौशन कुमार, अभिषेक कुमार, राजेश कुमार ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्द्धन किया।

    प्रधानाचार्य प्रो. अशरफ ने सभी खिलाड़ियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि खेल में हार-जीत होती ही रहती है। इस दिशा में किया गया अनुशासनबद्ध प्रयास ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने डॉ. पूजा राय सहित सभी सहयोगियों तथा छात्र-छात्राओं को कार्यक्रम की सफलता हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।  पीआरओ डॉ. रश्मि ने बतलाया कि विगत रविवार को कॉलेज की छात्रा रागिनी, सोनी, प्रीति, आरती एवं कुमारी प्रियंवदा खेलकूद प्रभारी डॉ. पूजा राय के संरक्षण में एथलेटिक्स हेतु गया कॉलेज खेल परिसर गयी थीं,  तथा मंगलवार को अन्तर-महाविद्यालय खो-खो प्रतियोगिता के लिए औरंगाबाद तथा बुधवार को अन्तर-महाविद्यालय चेस प्रतियोगिता के लिए दाउदनगर जायेंगी।

  • आइए जानते हैं फसलों पर ठंड का असर

    हैलो कृषि ऑनलाइन: इस साल इतनी निराशाजनक प्रकृति के साथ कृषि और किसान को तगड़ा झटका लगा। गर्मी का मानसून और अब सर्दियों में भी जलवायु परिवर्तन के संकट से किसान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। किसान बढ़ती ठंड और जलवायु परिवर्तन से कैसे निपटें? बढ़ेगी ठंड की मार! ऐसे समय में किसान फसलों का क्या ध्यान रखें? ऐसा प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है।

    बदलते मौसम के कारण इसका असर फसलों पर पड़ रहा है। देखा जा रहा है कि किसान सहमे हुए हैं। पिछले महीने हुई बेमौसम बारिश से अंगूर और अनार जैसे बागों को नुकसान पहुंचा है। बदलते मौसम में कभी अधिक गर्मी महसूस होती है तो कभी अधिक ठंड का असर फसलों पर पड़ा है। मौसम में बदलाव के कारण अचानक मेघाच्छादित वातावरण बन जाता है। इसलिए किसान चिंतित हैं। इस वातावरण के कारण बागों को नुकसान पहुंचा है। बढ़ती ठंड में किसान फसलों का क्या ध्यान रखें? किसानों को ठंड से बचाने के लिए शाम के समय बागों और फसलों को कुएं के पानी से गीला करना चाहिए, क्योंकि कुएं के पानी का तापमान नहर के पानी के तापमान से कुछ अधिक होता है। इससे बगीचे में मिट्टी का तापमान बढ़ाने में मदद मिलेगी। ठंड से बचाव के लिए केले के पौधे को 2 से 6% सरंध्रता वाले सफेद प्लास्टिक बैग से ढक देना चाहिए। इससे फसलों को ठंड से बचाव करने में मदद मिलेगी। ठंड की वापसी से किसान संतोष व्यक्त कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से छाए रहने से फसलों पर असर पड़ने की संभावना है। लेकिन अब ठंड की वापसी से गेहूं, चना, प्याज आदि रबी फसलों को इससे फायदा होगा.


    केसर पर फल गिरने की संभावना है

    ठंड का रबी फसलों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव और उपाय आने वाली ठंड का रबी फसलों पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। तदनुसार, ज्वार की फसल वर्तमान में पुष्पन अवस्था में है। आने वाली ठंड का इस फसल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही किसानों को इस पर गिरने वाले कीड़ों पर भी ध्यान देना होगा। ठंड के कारण ज्वार पर मावा रोग का प्रकोप बढ़ने की आशंका है। उसके लिए, किसानों को उचित निवारक उपाय करने की आवश्यकता है। सोलापुर जिले में ज्वार का क्षेत्र बड़ा है। वर्तमान में, ज्वार की फसल फ्लोरा अवस्था से दाना भरने की अवस्था में है। न्यूनतम तापमान में कमी इस फसल के लिए उपयोगी है। यह वातावरण फसल की आगे की वृद्धि के लिए फायदेमंद होगा। गेहूं की फसल इस समय अंकुरण और अंकुरण की अवस्था में है। यह माहौल इस फसल के लिए फायदेमंद रहने वाला है। इस फसल पर मावा और झाग की वृद्धि की संभावना है। चने की फसल वर्तमान में वनस्पति अवस्था से लेकर घाटे की स्थिति में है। ठंड का यह मौसम इस फसल के काम आएगा। सर्दी के इस मौसम में अचानक बादल छा जाते हैं और कभी ठंड। इस जलवायु परिवर्तन का असर रबी फसलों पर पड़ रहा है। यह कुछ हद तक सकारात्मक और नकारात्मक है।

    लेखक – शरद केशवराव बोंडे
    ता अचलपुर जिला अमरावती


  • अब रांची से पटना पहुंचेंगे 8 घंटा में- जल्द बनकर तैयार होगा शानदार रेल लाइन, जानें – पूरा रूट..


    डेस्क : रांची से पटना के लिए एक नया रेल रूट बनकर तैयार हो गया है. वाया बरकाकाना, हजारीबाग, कोडरमा इस नयी रेल लाइन के जरिये रांची से पटना के बीच की दूरी 13 घण्टे की जगह 11 घंटे में तय हो सकेगी. रांची और पटना के बीच चलनेवाली ट्रेनों को अब गोमो और प बंगाल के झालदा नहीं जाना पड़ेगा.

    बरकाकाना से ही अब सीधे हजारीबाग, कोडरमा होते हुए ट्रेनें पटना तक निकल जायेंगी. गौरतलब है कि नवनिर्मित सिधवार-सांकी (27 Km) रेलखंड पर 18 नवंबर को सफलतापूर्वक इंजन का ट्रायल भी रन किया जा चुका है. इस रेल खंड में 4 टनल, 32 मोड़ और पांच बड़े पुलों का निर्माण किया गया है.

    यह रेल रूट का उदघाटन होगा जल्द

    यह रेल रूट का उदघाटन होगा जल्द

    इस संबंध में रांची रेल मंडल के DRM प्रदीप गुप्ता ने बताया कि फिलहाल रांची-मुरी-बरकाकाना रूट पर जो ट्रेनें चल रहीं हैं, उन्हें कुल 118 Km की यात्रा करनी पड़ती है. नयी लाइन रांची-बरकाकाना की दूरी महज 75 Km रह जायेगी. ट्रेनों को 43 Km कम यात्रा करना पड़ेगी. इस नये रेल रूट का उदघाटन भी जल्द होगा.

    64 Km का सफर बेहद रोमांचक होगा

    64 Km का सफर बेहद रोमांचक होगा

    नये रेल रूट पर टाटीसिलवे से बरकाकाना तक 64 Km का सफर अब बेहद रोमांचक होगा. यात्रियों को बड़े हिल स्टेशन जैसा दृश्य भी देखने को मिलेगा. अंधेरी सुरंगों के बीच से गुजरती ट्रेन उनके बाद ऊंची पहाड़ियां और खूबसूरत वादियां अब यात्रियों को रोमांचित भी करेंगे. नयी रेल लाइन 3 सुरंगों से हाेकर गुजरेगी.

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  • महापंचायत को सफल बनानेकेलिए राजगीर के होटल हिल क्वीन में समीक्षा बैठक

    राजगीर के होटल हिल क्वीन में संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वधान में किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए समीक्षा बैठक की गई इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता सुरेंद्र प्रसाद यादव ने की इस मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि 26 नवंबर को राजगीर के मेला मैदान में लाखों लाख की संख्या में किसानों को उपस्थित कर किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए आह्वान किए। नालंदा जिला के अलावे बिहार के दूसरे जिलों में भी बैनर पोस्टर स्टीकर लगा कर प्रचार प्रसार किया जा रहा है।कल से गाड़ी बैनर पोस्टर लगाकर प्रचार करेंगे

    किसान महापंचायत के द्वारा मांग पत्र :-भारत सरकार पूरे देश में एमएसपी(msp)न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी दे किसान आंदोलन में 785 शहीद हुए किसानों के परिजनों को 15/ 15 लाख रुपए दे एवं उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जाए तथा अंदोलन के तहत किसानों पर जो केस हुए उन्हें अविलंब वापस लिए जाएं अग्निपथ योजना को वापस लिया जाए बिहार में व्यापार बाजार समिति पुन:चालू किया जाए भारत के 60 वर्ष के ऊपर वाले किसानों के लिए ₹10000 प्रत्येक माह पेंशन योजना लागू हो। किसानों की कृषि ऋण माफ किया जाए। कृषि कार्य हेतु बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाए। जमीन सर्वे अंचल कार्यालयों में दाखिल खारिज एवं परिमार्जन व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए। दक्षिण बिहार को अकाल क्षेत्र एवं उत्तरी बिहार को दहाड़ क्षेत्र घोषित किया जाए गन्ना उत्पादकों को बकाया राशि का अविलंब भुगतान किया जाए।

    मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ा जाए। कोयल परियोजना को पूरा किया जाए। राजगीर के वर्षो से बंद पड़े कृषि महाविद्यालय को चालू किया जाए। इस मौके पर किसान महापंचायत के संयोजक चंद्रशेखर प्रसाद उमराव प्रसाद निर्मल शाहनवाज जिला प्रवक्ता रामदेव चौधरी जवाहर निराला उमेश शर्मा महेंद्र प्रसाद मंजय कुमार कल्लू सिंह रामावतार सिंह चंद्रशेखर प्रसाद यादव वीरेंद्र कुमार कुशवाहा जयराम सिंह अशोक कुमार हिमांशु मोहम्मद जफर बारी अंसारी उर्फ छोटू मियां परमेश्वर प्रसाद राजेंद्र प्रसाद प्रोफेसर शिव कुमार सिद्धनाथ कुमार अरविंद कुमार आदि लोग उपस्थित थे

  • क्या आपके खेत में खाद डालने के कुछ ही दिनों में फसल तेजी से बढ़ती है? यानी आपकी जमीन चेतावनी दे रही है

    हैलो कृषि ऑनलाइन: आज हम सभी रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। कभी सोचा पेट्रोल एक ही सामान से बनी खाद एक जीवित फसल को कैसे खिला सकती है? इन रासायनिक उर्वरकों को मिट्टी के जीवाणुओं द्वारा फसल को खिलाने और फसल को खाने योग्य बनाने के लिए संसाधित किया जाता है।

    जरा याद कीजिए आज से 20-30 साल पहले एक थैला रासायनिक खाद डालने से जो परिणाम मिलता था, उसके लिए हमें कम से कम 2-3 थैलियां लगानी पड़ती थीं.. अब सोचिए ऐसा क्यों हुआ? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले कार्बनिक पदार्थों के कारण हमारी मिट्टी जीवाणुओं से समृद्ध हुआ करती थी। आठवीं से पहले हमारे घर में कई गाय-भैंस हुआ करते थे, उनका गोबर निकालकर जमा कर देते थे, घर में चूल्हे की राख को खेतों में फेंक देते थे,


    यदि कोई पशु घर में मर जाता था तो उसे खेत में गाड़ देते थे। इन सबके कारण मिट्टी के जीवाणुओं की संख्या अधिक थी। हम तो यही कहते थे कि जमीन जिंदा है। अब हम जैविक खाद की मात्रा कम कर रहे हैं और कुछ लोगों ने जैविक खाद बिल्कुल बंद कर दिया है। इससे मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या कम हुई है और रासायनिक खाद का परिणाम कम हुआ है। हमारे भोजन में जीवाणुओं की संख्या बहुत अधिक होती है। ये जीवाणु मिट्टी में दिए गए रासायनिक खादों को मिलाकर फसल को खिलाते हैं। इस वजह से अनुपयोगी रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाता है।

    आप जानते हैं कि यूरिया की एक थैली को देखें तो उस पर 46:00:00 लिखा होता है। इसका मतलब है कि इस थैले में 46% सोडियम, 0% फॉस्फोरस और पलाश है। यानी 50 किलो के बैग में 23 किलो नाइट्रोजन होता है। इस यूरिया को मिलाने के बाद लगभग 12-14 किग्रा यूरिया शीघ्रता से उपयोग हो जाता है और शेष यूरिया मिट्टी में पर्याप्त जीवाणु न होने के कारण बर्बाद हो जाता है और फसल द्वारा उपयोग नहीं किया जा सकता है। पहले 7 दिनों में फसल जोरदार ढंग से बढ़ती है और फिर यह संदेह होता है कि विकास रुक गया है या नहीं।


    इस वजह से हम महंगे सूक्ष्म पोषक तत्वों का सेवन करते हैं। वास्तविकता यह है कि हम महसूस करते हैं कि उर्वरकों का पूरा उपयोग न होने के कारण फसल की वृद्धि रुक ​​जाती है। यदि हमारे खाद का प्रयोग किया जाता है तो रासायनिक खाद सही मात्रा में और लम्बे समय तक फसल को खिलाया जाता है। चूंकि हमारे उर्वरक में अपना नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम होता है, इसलिए फसल को सामान्य से अधिक पोषक तत्व मिलते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वृद्धि और उपज में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

    मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए जैविक, जैविक, जैविक के अलावा कोई विकल्प नहीं है। किसान मित्रों, हम कृषि में केवल रासायनिक कीटनाशक और कवकनाशी का छिड़काव कर रहे हैं, हमें कम से कम एक बार खेतों में ऐसे जैविक कीटनाशक और कवकनाशी का उपयोग अवश्य करना चाहिए।


    जैविक किसान
    शरद केशवराव बोंडे।
    एच अचलपुर जिला। अमरावती।
    9404075628


  • Patna Junction पर दिखेगा यूरोप के स्‍टेशनों जैसा नजारा, पहले फ्लोर से मिलेगा आटो और कैब, जानें –


    न्यूज डेस्क: बिहार की राजधानी पटना में जाम को लेकर लोग काफी परेशान रहते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से लोगों से राहत दिलाने के लिए प्रयास किया की जा रही है। इसके लिए पटना जंक्शन के नजदीक की पूरी सूरत बदलने वाली है।

    इस संबंध में प्रशासन दावा कर रही है कि इन बदलाव के बाद जंक्शन गोलंबर पर जाम से स्थाई रूप से छुटकारा मिल जाएगी। पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा बकरी मंडी में जी2 मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब बनाने की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इस योजना पर 68.8 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

    मिली जानकारी मुताबिक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब का निर्माण 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना पर पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड काम कर रही है, जिसे जून 2023 तक पूरा किया जाना है। इतना ही नहीं, पटना जंक्शन को मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट और मल्टी लेवल पार्किंग से जोड़ने के लिए मेट्रो के निर्माण कार्य ने भी रफ्तार पकड़ ली है।

    जंक्शन के ग्राउंड फ्लोर पर मिल जाएगी सिटी बस

    जंक्शन के ग्राउंड फ्लोर पर मिल जाएगी सिटी बस

    पटना जंक्शन से 440 मीटर लंबे मेट्रो के जरिए लोग मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब तक पहुंच सकेंगे. पांच एकड़ में बन रहे मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब का ग्राउंड फ्लोर सिटी बस सेवा के लिए उपलब्ध होगा। इसका भवन दो एकड़ में होगा और अन्य हिस्से खुले रहेंगे। यहां इलेक्ट्रिक चार्जिंग प्वाइंट भी बनने जा रहा है।

    फर्स्ट फ्लोर से कैब और आटो की सुविधा

    इन स्थान पर बनेगा प्रवेश द्वार

    इन स्थान पर बनेगा प्रवेश द्वार

    मेट्रो में प्रवेश के लिए पटना जंक्शन के स्टीम इंजन के पास एक प्रवेश द्वार बनने जा रहा है। एस्केलेटर, ट्रैवलेटर, लिफ्ट और रैंप होगा। पटना जंक्शन से यात्री एस्केलेटर, ट्रैवलेटर लिफ्ट और रैंप की मदद से बकरी मंडी में बन रहे मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब तक पहुंच सकेंगे।

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  • सूखाग्रस्त क्षेत्र में किसान ने लगन से सीताफल के बाग को फुलाया और लाखों का मुनाफा कमाया

    हैलो कृषि ऑनलाइन: औरंगाबाद के पैठण तालुक के कुछ हिस्से पिछले कई दिनों से सूखे और सूखे के संकट का सामना कर रहे हैं। खेतकगार पर है। इसलिए किसानों को कृषि में लगातार असफलता का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन जिले के रहने वाले संजय कांसे ने आधा एकड़ सीताफल को दृढ़ संकल्प, उचित योजना और मेहनत से लगाकर लाखों का मुनाफा कमाया है। वहीं, उनके बगीचे से करीब 11 टन सीताफल की बिक्री हो चुकी है।

    संजय कांसे धनगांव के एक छोटे किसान हैं। पहले पारंपरिक फसल उगाने वाले कांसे ने कुछ अलग करने का फैसला किया और 2016 में अपने आधे एकड़ के खेत में धनिया का बाग लगाया। इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी मौसम्बी की खेती की जाने लगी है। जिसमें कांसे ने सोलह बाई सोलह फीट पर 600 पौधे रोपे। इस दौरान सूखे जैसे संकट भी आए। लेकिन इसके माध्यम से मिला और आसपास की योजना के साथ बगीचे को बनाए रखना जारी रखा। अब उनकी मेहनत रंग ला रही है। आज एक पेड़ पर 35 से 40 किलो फल लगते हैं।


    किसान को अच्छी कीमत मिल रही है

    तीन साल से किसान कर रहे मक्का का उत्पादन, इस साल आधा एकड़ क्षेत्र में सीताफल लगाकर करीब 20 टन उत्पादन किया जा सकता है। पंद्रह दिन पहले संजय कांसे के सीताफल के पहले व दूसरे फल की छंटाई की गई है। इसमें उन्हें 110 रुपये प्रति किलो का रेट मिला और किसान को सालाना 12 लाख रुपये का अच्छा मुनाफा हो रहा है. वहीं अब तक करीब 11 टन सीताफल की बिक्री हो चुकी है। अन्य 9 से 10 टन फलों का उत्पादन होगा।

    इसका मूल्य कितना है?

    एक फल का वजन 500 से 700 ग्राम होता है। किसान ने इसकी खेती पर 80 से 90 हजार रुपए खर्च किए हैं। इस पौधे की ख़ासियत यह है कि मिलीबग रोग के अलावा कोई अन्य कीट इस फसल को प्रभावित नहीं करते हैं। लेकिन इस साल जब फूलों की बुआई शुरू हुई तो शुरुआत में तेज बारिश हुई तो फल लगने में बड़ी दिक्कतें आईं। लेकिन कृषि के क्षेत्र के जानकारों की सलाह से किसान कांसे ने सीताफल की खेती करने में सफलता हासिल की है.


  • Gujarat Assembly Election : आसान नहीं होगा हार्दिक के लिए ‘वीरमगाम’ सीट से जीत हासिल करना


    गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हार्दिक पटेल को वीरमगाम विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। साल 2015-16 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का चेहरा बनकर उभरे हार्दिक के लिए वीरमगाम तक पहुंचने की राह आसान नहीं रहने वाली।

    बीजेपी शासित राज्य की वीरमगाम सीट पर पिछले दो बार से कांग्रेस का कब्जा है। राजनीति छुआछूत से मुक्त वीरमगाम से हर समुदाय और जाति के नेता प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं हार्दिक पटेल का ये पहला विधानसभा चुनाव है। हार्दिक का जन्म और पालन-पोषण अहमदाबाद के वीरमगाम शहर में ही हुआ। बावजूद उनके लिए इस सीट से जीत हासिल करना आसान नहीं रहने वाला।

    आगामी विधानसभा चुनाव में हार्दिक का सामना कांग्रेस के मौजूदा विधायक लाखभाई भारवाड़ से होगा, जिन्होंने 2017 में बीजेपी की तेजश्री पटेल को 6,500 से अधिक मतों के अंतर से हराया था। कांग्रेस के पूर्व नेता और मौजूदा कांग्रेस विधायक के बीच ये मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है।

    कब और कैसे हुए हार्दिक का ‘उदय’ :

    कब और कैसे हुए हार्दिक का ‘उदय’ : साल 2015 में पाटीदार आंदोलन का आगाज हुआ था। इस आंदोलन का मकसद पाटीदारों को आरक्षण दिलाना था। आंदोलन के दौरान अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड में एक सभा आयोजित हुई जिसमें 5 लाख लोग शामिल हुए। एक साथ किसी आंदोलन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एकत्रित होने अपने आप में रिकॉर्ड था।

    इसी आंदोलन में हार्दिक पटेल नाम के युवा नेता का उदय हुआ जिसने इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। और आज वही नेता खुब चर्चा में बना हुआ है। इस आंदोलन के दौरान 14 लोगों की मौत हुई थी और यहीं से हार्दिक को राजनीति में मजबूती मिली। जाति के लिए शुरू हुआ सामाजिक आंदोलन कब राजनीतिक आंदोलन बन गया पता ही नहीं चला।

    इस आंदोलन के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और विजय रूपानी को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से सम्मानित किया गया। जिसके बाद हार्दिक पटेल सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का प्रमुख हथियार बन गए। नतीजन वह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के खास बन गए।

    इसकी सबसे बड़ी वजह थी की पार्टी के सीनियर नेताओं को हार्दिक रास नहीं आ रहे थे। तो दूसरी तरफ पाटीदार आंदोलन के दौरान राज्य में अलग-अलग हिस्सों में हार्दिक पर दर्ज हुए मामले हार्दिक के गले की फांस बनते जा रहे थे जिसके चलते हार्दिक पटेल सत्ताधारी बीजेपी के करीब आने लगे और 2022 में जब राज्य में चुनाव की आहट सुनाई पड़ी तो हार्दिक बीजेपी में शामिल हो गए।

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  • बढ़ गई लाल मिर्च! मिल रही रेकॉर्ड कीमत, किसानों को राहत

    हैलो कृषि ऑनलाइन: वर्तमान में राज्य में मिर्चऐसा लग रहा है कि खेती कर रहे किसानों को राहत मिल रही है। प्रदेश के कई जिलों में किसानों को लाल मिर्च के अच्छे दाम मिल रहे हैं. दिवाली के बाद से बाजार में मिर्च की आवक कम हो गई है। इस साल मिर्च के दाम दोगुने हो गए हैं। डोंबिवली, मुंबई सहित कई मंडी बाजारों में लाल मिर्च की भारी मांग है। इस समय कई मंडियों में लाल मिर्च के भाव 12000 रुपये से लेकर 20000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहे हैं. लेकिन साथ ही दाम बढ़ने से उपभोक्ताओं को मिर्ची खरीदनी पड़ रही है।

    लौटती बारिश ने लाल मिर्च के उत्पादन को प्रभावित किया है और इस वजह से इस साल मिर्च की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। सब्जियों और फलों के साथ ही मिर्च के उत्पादन में बड़ी गिरावट आई है और लाल मिर्च काफी महंगी हो गई है. मांग बढ़ने से मिर्च की आवक कम होने से मिर्च के दाम बढ़ रहे हैं। जानकारों ने संभावना जताई है कि आने वाले समय में लाल मिर्च के दाम और बढ़ेंगे। कुछ दिनों पहले हुई बेमौसम तेज बारिश से मिर्च की फसल को काफी नुकसान हुआ है। चूंकि नई फसल की कटाई का समय आ गया है, इसलिए मिर्च के दाम बढ़ने की संभावना है।


    ये राज्य अधिक उत्पादन करते हैं

    आमतौर पर मिर्च का नया सीजन तीन महीने मार्च से मई तक चलता है। और इनमें से महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश राज्यों में मिर्च का सबसे अधिक उत्पादन होता है। लेकिन इस साल महाराष्ट्र में लंबे समय से हो रही बारिश से फसलों को भारी नुकसान हुआ है. अक्टूबर में हुई बेमौसम भारी बारिश ने मिर्च के उत्पादन को कम कर दिया है।

    बेड़गी मिर्ची भी महंगी हुई

    इस समय बाजार में बेड़गी मिर्च, जो कि एक अच्छी किस्म की लाल मिर्च होती है, के भाव में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है। इस समय बेड़गी मिर्च का अधिकतम भाव 47 हजार रुपये प्रति क्विंटल है। दो महीने पहले इस मिर्च का भाव 30 हजार रुपए प्रति क्विंटल था। लिहाजा फुटकर बाजार में मिर्च 550 से 600 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। अच्छी किस्म की मिर्च का पुराना स्टॉक खत्म हो गया है। दूसरी श्रेणी की मिर्च कम मात्रा में उपलब्ध होती है। इससे मिर्च के दाम बढ़ गए हैं और विक्रेताओं का कहना है कि दिसंबर तक दाम ऐसे ही बने रहने की संभावना है.


    राज्य में बाजार मूल्य क्या हैं?

    बाजार समिति जाति/कॉपी आयाम आय न्यूनतम दर अधिकतम दर सामान्य दर
    21/11/2022
    नागपुर स्थानीय क्विंटल 698 12000 20000 18000
    19/11/2022
    अहमदनगर क्विंटल 5 8779 19490 14134
    18/11/2022
    नंदुरबार हाइब्रिड क्विंटल 2 12770 12770 12770
    भिवापुर हाइब्रिड क्विंटल 23 8000 10000 9000
    मुंबई स्थानीय क्विंटल 382 20000 35000 27500
    द्वैत का ओली क्विंटल 42 1000 7000 5111
    नंदुरबार ओली क्विंटल 2869 3700 7951 5825
    17/11/2022
    सोलापुर स्थानीय क्विंटल 19 5000 20000 12500
    नागपुर स्थानीय क्विंटल 1587 12000 20000 18000
    मुंबई स्थानीय क्विंटल 371 20000 35000 27500
    16/11/2022
    अहमदनगर क्विंटल 16 17945 21922 19933
    धूल क्विंटल 21 5050 8011 5550
    धूल हाइब्रिड क्विंटल 30 9100 21000 12000
    नंदुरबार हाइब्रिड क्विंटल 2 16075 16075 16075
    सोलापुर स्थानीय क्विंटल 37 5000 22100 13100
    मुंबई स्थानीय क्विंटल 314 20000 35000 27500
    एगी पंडी क्विंटल 1 6325 6325 6325
    गढ़िंग्लज शंखेश्वरी क्विंटल 25 15000 121000 50000
    नंदुरबार ओली क्विंटल 2188 4600 9100 6850
    15/11/2022
    अहमदनगर क्विंटल 1 1 7760 22310 15035
    नंदुरबार हाइब्रिड क्विंटल 33 9600 19600 14600
    सोलापुर स्थानीय क्विंटल 35 8500 20900 13800
    नागपुर स्थानीय क्विंटल 1212 12000 20000 18000
    मुंबई स्थानीय क्विंटल 497 20000 35000 27500
    नंदुरबार ओली क्विंटल 1452 4000 11850 7925
    14/11/2022
    अहमदनगर क्विंटल 62 12125 12610 12367
    नंदुरबार हाइब्रिड क्विंटल 50 9400 22000 15700
    नागपुर स्थानीय क्विंटल 665 12000 20000 18000
    अजनगाँव सुरजी स्थानीय क्विंटल 32 6000 12000 9000
    नंदुरबार ओली क्विंटल 1199 4000 13000 8500

  • Ration Card : आखिर गरीब लोगों को सरकार राशन क्यों देती है? अभी तक नहीं जानते होंगे आप..


    डेस्क : देशभर में महंगाई धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है और हर प्रकार की चीज के दामों में भी उछाल देखने को मिल रहा है. ऐसे में गरीब तबके के लिए काफी दिक्कतें भी सामने आ रही है. सरकार की तरफ से गरीबों की मदद के लिए कई उपाय भी किए जा रहे हैं. वहीं सरकार भी यहचाहती है कि कोई भी गरीब इस देश में भूखा न रहे, इसके लिए सरकार की तरफ से राशन कार्ड भी जारी किए जाते हैं.

    हर राज्य सरकार की तरफ से वहां के योग्य परिवारों के लिए राशन कार्ड जारी किए जाते हैं. हालांकि अगर आप के पास अभी तक राशन कार्ड नहीं है तो आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि आखिर आपको राशन कार्ड (Rarion Card) की जरूरत क्यों है.

    Online भी कर सकते हैं आवेदन

    Online भी कर सकते हैं आवेदन

    राशन कार्ड भारत में रहने वाले हर एक व्यक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है. यह दस्तावेज राज्य सरकार के आदेश या अधिकार पर ही प्रदान किया गया है. अब आप बहुत ही सरल तरीके से ऑनलाइन राशन कार्ड (Online Ration Card) के लिए आवेदन भी कर सकते हैं और आप राशन कार्ड की स्थिति Online देख भी सकते हैं.

    राशन कार्ड क्यों हैं जरूरी?

    राशन कार्ड क्यों हैं जरूरी?

    राशन कार्ड विवरण देश के नागरिकों की पहचान और निवास का एक महत्वपूर्ण प्रमाण भी प्रदान करता है. राशन कार्ड का उपयोग निवास प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मतदाता पहचान पत्र आदि दस्तावेजों को बनाने के लिए आवेदन करने के प्रमाण के रूप में भी किया जाता है. इसके अलावा आप नाम से भी राशन कार्ड का विवरण आसानी से देख सकते हैं.

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