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राकेश बिहारी शर्मा – बिहारशरीफ के ऐतिहासिक किले के भग्नावशेष के मध्य में स्थित, प्राचीन उदन्तपुरी विश्वविद्यालय की स्मृति से जुड़ा बिहारशरीफ का नालन्दा कॉलेज, जिसकी गणना कभी राज्य के गिने-चुने श्रेष्ठ कॉलेजों में होती थी, राय बहादुर बाबु ऐदल सिंह की अमर धरोहर के रूप में आज भी खड़ा है। यद्यपि राज्य में उच्च शिक्षा की बिगड़ती हुई हालत और जनजीवन में गिरावट आने के साथ इस कॉलेज ने भी अपनी पूर्व प्रतिष्ठा खोयी है, यह आज भी क्षमतावान है और यह उस महापुरुष का पुण्य ही है, जिसने इसे पूरी तरह विनष्ट होने से बचा रखा है।
वर्तमान नालन्दा जिला तथा प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की बीच के कड़ी का नाम है नालंदा कॉलेज बिहारशरीफ इस कॉलेज की स्थापना 1920 ईस्वी में कर्मयोगी रायबहादुर बाबु ऐदल सिंह के सौजन्य से किया गया जो बिहार का सातवां कालेज था। जिसका संबद्धन तत्कालीन पटना विश्वविद्यालय से मिला था। नालन्दा कालेज बिहारशरीफ के संस्थापक व दानदाता अधिष्ठाता कर्मयोगी रायबहादुर बाबू ऐदल सिंह का जन्म 13 फरवरी 1836 ईस्वी में रामी विगहा (अस्थावां) गांव में हुआ था। उनका निधन 83 वर्ष के उम्र में 14 अगस्त 1919 को हुआ था।
राय बहादुर बाबु ऐदल सिंह के पिता का नाम यदु नारायण सिंह था। वे एक अत्यन्त ही उद्यमी एवं कर्मठ व्यक्ति थे। यदु नारायण सिंह ने राय बहादुर बाबु ऐदल सिंह की पहली शादी यमहरा में कराई थी। पहली शादी से उन्हें एक पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। जिनका नाम एकादश रूद्र प्रसाद नारायण सिंह रखा गया था। शादी के बाद उन्हें एक पुत्र पैदा हुआ, ये खुद और पत्नी सहित पुत्र की मृत्यु हो गई। तब राय बहादुर बाबु ऐदल सिंह ने दूसरी शादी खुटहा (बढिया- पटना जिला) में किया। दूसरी पत्नी से कुमार कृष्ण बल्लभ नारायण सिंह उर्फ़ बौआजी का जन्म हुआ। जिसने उनके सुयश को बढ़ाया और एक आदर्शनिष्ठ व्यवसायी के रूप में पर्याप्त ख्याति अर्जित की। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बिहार राज्य के शाखा के प्रधान रहे हैं। राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने कभी राजनीति को व्यवसाय नहीं बनाया और न ही अपने धन और शक्ति का उपयोग अनुचित लाभ कमाने के लिये किया।
बौआजी का दो पुत्र एक गोगा सिंह और दूसरा अशोक सिंह हुए। गोगा सिंह का एक पुत्र रौशन सिंह हुआ। और बुआजी के दुसरे पुत्र अशोक सिंह से भी एक पुत्र सोनु सिंह हुआ जिनका शादी उद्योगपति सम्प्रदा बाबु की पोती से हुआ।
बाबु ऐदल सिंह को अपने पूर्वजों से विरासत में एक छोटी सी जमींदारी मिली थी, जिसकी आय मात्र 250 रूपये वार्षिक थी। उन्होंने अपनी लगन-मेंहनत और उद्यम के बल पर अल्पकाल में ही उसे लगभग-75000/- (पचहत्तर हजार रूपये) की वार्षिक आय वाली जमींदारी में बदल डाला तथा इसके साथ बहुत अधिक भू-सम्पत्ति भी अर्जित की, जिसका वर्तमान मूल्य कई करोड़ रुपये होंगे। वे एक लाइसेंस शुदा महाजन भी थे और उनका लेन-देन का बहुत बड़ा कारोबार था। उनकी उपलब्धियों और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘राय बहादुर’ की उपाधि देकर सम्मानित भी किया था।
यह तस्वीर कुछ लोगों के मन में उनकी एक ऐसी छवि उत्पन्न कर सकती है, जो एक धनी सामन्त और सूदखोर महाजन की होती है। पर यह पूरी तरह एक भ्रान्त समझदारी होगी। राय बहादुर ऐदल सिंह की भौतिक उपलब्धियाँ इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं थीं कि वे कुछ दिनों में ही एक अत्यन्त धनी व्यक्ति बन गये। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि केवल अपने पुरुषार्थ के बल पर उन्होंने यह अर्थोपार्जन किया तथा जीवन में जिन सिद्धान्तों को उन्होंने ग्रहण किया उनका अन्त तक दृढ़ता से पालन किया। उन्हें एक कंजूस व्यक्ति कहा जाता था, क्योंकि वे स्वयं अत्यन्त सादगी से रहते थे। विशाल सम्पत्ति अर्जित करने के बावजूद उन्होंने अपने खान-पान की आदतें नहीं बदलीं थीं।
यह कहा जाता है कि उनकी रसोई में साग और आलू का भुर्ता अनिवार्य रूप से बनता था तथा उनके लिये अलग से विशेष भोजन की कोई व्यवस्था नहीं रहती थी। वे अपने निकट सम्बन्धियों और सम्पर्क के लोगों को हमेशा फजूल खर्ची से बचने की सलाह देते थे। वे स्वयं आडम्बर और तड़क-भड़क से कितनी दूर रहने की चेष्टा करते थे, इसका अनुमान उनके जीवन की एक घटना से लगाया जा सकता है। उन्हें जब ‘राय बाहादुर’ की उपाधि से सम्मानित करने का निर्णय सरकार ने लिया, तो उच्चाधिकारियों ने इसकी सूचना दी और उनसे यह कहा कि यह समारोह उनके घर पर ही होगा।
उस महापुरुष ने विनम्रता पूर्वक यह अनुरोध किया कि अच्छा हो, यदि इसका आयोजन स्थानीय डाकबंगले में ही किया जाय, क्योंकि उनका घर उन अधिकारियों के स्वागत के उपयुक्त नहीं है। यह वास्तव में उस महापुरुष की विनम्रता और वैराग्यपूर्ण उदासीनता ही थी, जिसके कारण उन्होंने इस मौके का उपयोग अपनी शान-शौकत दिखाने के लिए नहीं करना चाहा। ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ का ढिंढोरा उन्होंने नहीं पीटा। पर अपने कार्यों से इसे प्रमाणित कर दिया कि उनका जीवन इस आदर्श का मूर्तिमान रूप था। उन्हें स्कूल या कॉलेज में कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं हुई थी, पर उन्हें उर्दू और फारसी का अच्छा ज्ञान था। वे सही अर्थों में एक शिक्षित, उदार एवं परोपकारी व्यक्ति थे। उनके जीवन में कुछ अत्यन्त दुःखद घटनायें हुईं।
राय बहादुर ऐदल सिंह के महान् व्यक्तित्व एवं दुर्लभ गुणों का ठोस एवं व्यक्त रूप ‘नालन्दा कॉलेज’ है। राय बहादुर ने इस कॉलेज की स्थापना का निर्णय उस समय लिया, जब वे जीवन के सर्वाधिक कष्टदायक क्षणों से गुजर रहे थे। उनका उत्तराधिकारी विलुप्त हो चुका था।
उनकी वृद्धावस्था की संतान ‘श्री कृष्ण बल्लभ नारायण सिंह’ की उम्र मात्र 2 वर्ष की थी और राय बहादुर स्वंय जीवन की उस बेला में पहुँच चुके थे जब किसी भी समय उनका जीवन-द्वीप बुझ सकता था। परन्तु उस दृढ निश्चयी पुरुष पर इन झंझावातों का कोई असर नहीं पड़ा। बिहार उस समय शैक्षिक संक्रमण काल से गुजर रहा था। उन्होंने लम्बे समय से संजोई अपनी ‘विद्यादान’ की आकांक्षा को मूर्त रूप देने का निश्चय किया। सन् 1919 में उन्होंने एक वसीयत की, जिसमें इस पूरे क्षेत्र और निकटवर्ती स्थानों में किसी कॉलेज के न रहने पर चिन्ता प्रकट करते हुए उन्होंने बिहारशरीफ में एक कॉलेज की स्थापना का निर्णय लिया।
इसके लिये उन्होंने 12000/- (बारह हजार) रु. मूल्य की शुद्ध वार्षिक आय की जमींदारी कॉलेज को दान-स्वरूप दी, जिसका तत्कालीन मूल्य लगभग 2 लाख रु.था। साथ ही उन्होंने 30,000 रु. नगद दिये। इसकी व्सवस्था के लिये उन्होंने जिस ट्रस्ट का निर्माण किया, उसके सदस्य समाज के विभिन्न वर्गों के सम्मानित प्रतिनिधि थे। सदस्यों में जिनकी संख्या 8 थी, राय बहादुर ऐदल सिंह के अतिरिक्त केवल एक व्यक्ति उनकी जाति के थे। शेष छ: सदस्य पदेन एवं अन्य जातियों के थे। यह उल्लेखनीय है कि इन में से कोई भी व्यक्ति उनका निकट सम्बन्धी नहीं था। उन्होंने ट्रस्ट के सदस्यों को इसका पूर्ण अधिकार दिया कि वे अपने विवेक के अनुसार इस धन राशि एवं सम्पति का उपयोग शिक्षा के उत्थान के लिए करें। यह तथ्य भी उस महापुरुष की त्यागपूर्ण दानशीलता का अनुपम उदाहरण है।
उन्होंने इस कॉलेज का नामकरण अपने, या अपने किसी पूर्वज या जाति या वंश के नाम पर नहीं किया, बल्कि इसे एक ऐसा नाम दिया, जो इसे भारत के गौरवशाली अतीत के एक अतिविशिष्ट नाम से जोड़ देता है। लोगों का कहना है कि वे कहा करते थे कि इसे कोई ऐसा नाम न दो, जिससे अन्य लोगों को इसे भविष्य में अपनाने में कोई संकोच हो। जैसा उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा है, उनके लिए यह अत्यन्त पीड़ा का विषय था कि एक उच्च शिक्षण संस्था के अभाव में क्षेत्र की अनेक प्रतिभाएँ नष्ट हो जाती हैं। उन्हें अपने पैतृक गाँव से असीम प्रेम था।
अतः उन्होंने यह विशेष प्रावधान किया कि रामी बीघा के सभी छात्र जो इस कॉलेज में पढ़ना चाहेंगे, उनका नामांकन यहाँ सुनिश्चित किया जाएगा और उन्हें निःशुल्क शिक्षा मिलेगी। यह सुविधा उस गाँव के सभी छात्रों को बिना जाति और धर्म का भेद भाव रखे दी गई। पर साथ ही यह शर्त भी रखी गई कि यह सुविधा उन्हीं छात्रों को मिलती रहेगी, जो अपनी पढ़ाई-लिखाई में प्रगति करते हैं और जिनके चरित्र में कोई दोष नहीं है। किसी भी महापुरुष की पहचान उसके महान कृत्यों से नहीं, बल्कि उसके आचरण के साधारण पक्षों से होती है। राय बहादुर के व्यक्तित्व का आकलन केवल दान की उस राशि से नहीं किया जा सकता जो उन्होंनें कॉलेज के निर्माण के लिये दी, यद्यपि उस समय की दृष्टि से यह एक बड़ी राशि थी, अपितु उन छोटी-छोटी बातों से किया जा सकता है, जिसका ध्यान उन्होंने कॉलेज के निर्माण के सन्दर्भ में रखा।
अपनी वसीयत में उन्होंने इसका भी स्पष्ट उल्लेख कर दिया था कि यदि किसी कारणवश यह कॉलेज नहीं खुल पाया तो ट्रस्टी अपने विवेक के अनुसार इसका उपयोग किसी अन्य शैक्षणिक कार्य के लिये कर सकते हैं। किसी भी स्थिति में दान में दी हुई इस सम्पत्ति में रद्दो बदल का अधिकार उन्हें या उनके किसी उत्तराधिकारी को नहीं होगा। उस महापुरुष की स्मृति, बिहार के वर्तमान बिगड़े हुए माहौल में, हमें उनके जीवन से बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा देती है। हम इन विभूतियों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए, यह कामना करते हैं कि राज्य में उच्च शिक्षा के वर्तमान शीर्षस्थ व्यक्ति इस उदाहरण से कुछ सीखने की चेष्टा करें।
बिहार शरीफ में बहुजन सेना के कार्यकर्ताओं ने राजस्थान के जालोर जिला में सवर्ण शिक्षक छैल सिंह द्वारा सार्वजनिक मटके से पानी पीने के कारण एक दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल की हत्या के विरोध में नाला रोड से अस्पताल चौराहा तक आक्रोश मार्च निकाला तथा अस्पताल चौराहा पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा भारत के गृहमंत्री अमित शाह का पुतला दहन किया।
इस अवसर पर बहुजन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा कि आज भी हमारे समाज में ऐसे लोगों की भरमार है जो मनुवादी सोच से ग्रसित हैं और हम बहुजनों को हीन भावना से देखने का काम करते हैं। हम मूल निवासियों को आज भी ये मुट्ठी भर लोग कीड़ा मकोड़ा समझने का काम करते हैं तथा समाज में ऊंच-नीच की भावना फैलाने का काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर प्रदेश महासचिव रामदेव चौधरी ने कहा कि हम लोग राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार से मांग करते हैं कि इस घटना को गंभीरता से ले और दोषी शिक्षक छैल सिंह को स्पीडी ट्रायल चला कर जल्द से जल्द फांसी दिलाने का काम करे।
इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश कुमार दास ने कहा कि इस घटना से पूरा बहुजन वर्ग आहट है और जब तक आरोपी शिक्षक को फांसी की सजा नहीं मिल जाती तब तक बहुजन सेना इस आंदोलन को जारी रखेगी।
आज के इस आक्रोश मार्च में डा. भीम राव अम्बेडकर विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान, अमोद कुमार, मो. शहनवाज, मो. चांद आलम, सुबोध पंडित, महेन्द्र प्रसाद, बाल्मीकि पासवान, रविशंकर दास, राजेन्द्र प्रसाद, अखिलेश कुमार, अमर कुमार, सुनैना देवी, आशा देवी, बासमती देवी, सुरेश रविदास, रोहित रविदास, सरयुग रविदास, उमेश रविदास इत्यादि लोगों ने भाग लिया।
लाइव सिटीज, पटना: राजधानी पटना में कोचिंग से लौट रही एक 9वीं कक्षा की छात्रा को अपराधी ने सरेआम गोली मार दी. गोली लगने के बाद छात्रा जख्मी हो गई, उसका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. वारदात इंद्रपुरी में हुई. पुलिस का कहना है कि मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ है और आरोपी पूर्व प्रेमी फरार है. मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरे का फुटेज भी सामने आया है, जिसमें आरोपी लड़की को गोली मारकर भागता हुआ दिखाई दे रहा है.
जानकारी के मुताबिक यह वारदात पटना के बेऊर थाना इलाके के इंद्रपुरी रोड नंबर 4 पर बुधवार दोपहर में हुई. गोली चलते ही आसपास के इलाके में अफरातफरी मच गई. छात्रा के पिता सब्जी बेचते हैं. उसका घर मौके से करीब 200 मीटर ही दूर है.
पुलिस का कहना है कि प्रथमदृष्टया यह मामला प्रेम प्रसंग का लग रहा है. छात्रा पहले किसी और कोचिंग संस्थान में पढ़ाई करने जाती थी. वहीं पर एक युवक के साथ उसका प्रेम प्रसंग चल रहा था. बाद में दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया. फिर छात्रा ने दूसरे कोचिंग संस्थान में जाना शुरू कर दिया. इससे उसका पूर्व प्रेमी नाराज हो गया और उसने छात्रा को गोली मार दी.
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जिलाधिकारी श्री शशांक शुभंकर ने आज बिहारशरीफ कृषि कार्यालय के पास जैविक उत्पाद बिक्री केंद्र का निरीक्षण किया। इस केंद्र में फ्रिज की व्यवस्था नहीं होने के कारण उत्पादों की बिक्री में कठिनाई हो रही है।जिलाधिकारी ने जिला कृषि पदाधिकारी को पूर्व में ही फ्रिज की व्यवस्था सुनिश्चित कराने का निदेश दिया था। इस संबंध में उनसे स्पष्टीकरण पूछते हुए फ्रिज की व्यवस्था हेतु विभाग को संसूचित करने का निदेश दिया।
इसके बाद जिलाधिकारी ने जिला कृषि कार्यालय का निरीक्षण किया। कार्यालय में संचालित उर्वरक नियंत्रण कक्ष का निरीक्षण किया गया।नियंत्रण कक्ष में संधारित शिकायत पंजी का उन्होंने बारीकी से अवलोकन किया।पंजी में दर्ज 15 शिकायतों के अनुपालन की प्रविष्टि से संबंधित जाँच रिपोर्ट का उन्होंने रैंडम अवलोकन किया।
जाँच रिपोर्ट की गुणवत्ता को लेकर उन्होंने असंतोष व्यक्त किया क्योंकि इसमें शिकायतकर्ता का पक्ष दर्ज नहीं किया गया था। जिलाधिकारी ने इन सभी शिकायतों की जाँच गुरुवार को वरीय पदाधिकारियों के क्षेत्र भ्रमण के क्रम में सुनिश्चित कराने को कहा।इसमेंशिकायतकर्त्ता के पक्ष के साथ ही संबंधित उर्वरक बिक्री प्रतिष्ठान की जांच की जाएगी।
जिले में उर्वरक की उपलब्धता/आपूर्ति से सम्बन्धित संचिका का भी जिलाधिकारी ने अवलोकन किया।प्रखंडवार उर्वरक के आवंटन/वितरण की पद्धति के बारे में जानकारी ली गई। वर्तमान खरीफ मौसम में उर्वरकों के प्रखंडवार आवंटन का समेकित रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया।
निरीक्षण के उपरांत जिलाधिकारी द्वारा आत्मा सभागार में कृषि टास्क फोर्स की बैठक की गई। जिला में धान का आच्छादन लगभग 84 प्रतिशत बताया गया।धान,मक्का एवं अन्य सभी फसलों के आच्छादन का वास्तविक आंकड़े में भिन्नता नहीं हो, इसे सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया। उन्होंने धान के आच्छादन का किसानवार सूची तैयार करने को कहा।
धान/मक्का के आच्छादन का स्थल जाँच प्रखंडों के वरीय पदाधिकारियों के क्षेत्र भ्रमण के क्रम में कराने का निदेश दिया गया।विशेष रूप से वेन,बिंद, हिलसा,इसलामपुर,परवलपुर, सरमेरा आदि प्रखंडों में फसल आच्छादन का जाँच कराने को कहा गया।
डीजल अनुदान योजना के तहत हर पात्र किसान से आवेदन सृजित कराकर लाभान्वित करने का निदेश दिया गया।
उर्वरक की कालाबाजारी पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित रखने का स्पष्ट रूप से निदेश कृषि विभाग के सभी संबंधित पदाधिकारियों को दिया गया।
आकस्मिक फसल योजना से प्रत्येक पात्र किसान को आवश्यकतानुसार आच्छादित करने की व्यवस्था सुनिश्चित रखने को कहा गया।
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त, जिला कृषि पदाधिकारी, सहायक निदेशक उद्यान, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, प्रखंड उद्यान पदाधिकारी सहित कृषि विभाग के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
कुछ दिनों पूर्व एसएफसी के चावल के साथ एक ट्रक के बिहार शरीफ बायपास में संदिग्ध रूप से खड़े रहने की जानकारी प्राप्त हुई थी। इसकी प्रारंभिक जाँच के आधार पर जिलाधिकारी के निदेशानुसार
एसएफसी द्वारा उक्त वाहन के चालक, खलासी, वाहन मालिक तथा एकंगर सराय के टीपीडीएस गोदाम के ऑपरेटर के विरुद्ध दीपनगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
एसएफसी के परिवहन अभिकर्ता (ट्रांसपोर्टर) से भी इकरारनामा की शर्तों के उल्लंघन के आधार पर स्पष्टीकरण पूछा गया था।
पूरे प्रकरण की सूक्ष्मता से जांच के लिए जिलाधिकारी ने उप विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था। इस समिति के अन्य सदस्य के रूप में जिला आपूर्ति पदाधिकारी एवं जिला प्रबंधक एसएफसी को नामित किया गया था।
जाँच समिति द्वारा समर्पित जाँच प्रतिवेदन के आधार पर जिलाधिकारी-सह- अध्यक्ष जिला परिवहन समिति द्वारा एसएफसी के परिवहन-सह-हथालन अभिकर्ता (मुख्य) विश्वजीत कुमार का इकरानामा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है। साथ ही ट्रांसपोर्टर को ब्लैकलिस्ट करते हुए अगले 5 वर्षों के लिए परिवहन कार्य से वंचित किया गया है।
इकरानामा की शर्तों के अनुरूप जप्त किये गए ट्रक पर लोड खाद्यान्न के मूल्य का 5 गुणा राशि पेनाल्टी के रूप में वसूली का आदेश दिया गया है।
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लाइव सिटीज, मुजफ्फरपुर/ अभिशेक: मुजफ्फरपुर का MIT एक बार फिर रनक्षेत्र में तब्दील हो गया है. पुलिस और एमआईटी के छात्र के बीच जबरदस्त झड़प हो गई. उग्र छात्र ने एक सिपाही का पिस्टल तक छीन लिया. बवाल बढ़ता देख एसएसपी समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाल लिया.
जानकारी के अनुसार बुधवार की शाम ड्यूटी खत्म कर सिपाही रमीश राजा पुलिस लाइन जा रहा था. इसी दौरान छात्रों का एक पार्टी एमआईटी में चल रहा था. तभी वहां गुजर रहे सिपाही से छात्र गुट ने बहस करना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं बहस होते होते MIT के छात्रों ने पुलिसकर्मी को हॉस्टल में ले जाकर जमकर पिटाई कर दी और सर्विस रिवाल्वर भी छीन लिया.
बवाल की सूचना पर पुलिस लाइन के दर्जनों सिपाही वहां पहुंचे. उन पर भी MIT के छात्रों ने रोड़ेबाजी करना शुरू कर दिया. एमआईटी के छात्रों और पुलिस के बीच झड़प की सूचना पर एसएसपी जयंत का टाउन DSP राम नरेश पासवान समेत कई थानो की पुलिस एमआईटी पहुंच गई. छात्रों ने एक बार फिर से पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. फिर क्या था पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. रोड़ेबाजी मे लगभग आधा दर्जन पुलिसकर्मी चोटिल है.
वहीं पुलिस ने एक दर्जन से ज्यादा छात्र को हिरासत में ले लिया है. सिपाही से चीनी के पिस्टल देर रात तक बरामद नहीं हो सकी है. पिस्टल बरामद के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है SSP ने कहा की लॉयन आर्डर बिगाड़ने वालो को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा.
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पूर्णियाँ/डिम्पल सिंह
बनमनखी थाना अंतर्गत जीवचपुर में जमीनी विवाद में दो पक्षों में हुई मारपीट में 1 की मृत्य हो गई तथा उसी पक्ष के 3 और व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों तथा शव को पूर्णियाँ के सदर अस्पताल लाया गया था।
गौरतलब है कि विवादित जमीन पर पहले से ही धारा 144 लागू थी। मारपीट की घटना तब शुरू हुई जब मृतक रंजीत दास अपने पिता ज्ञानी दास और भाई संजीत एवं बसंत दास विवादित जमीन पर फसल बोआई के उद्देश्य से जोत के लिए गए क्योंकि आरोपी पक्ष पहले ही विवादितजमीन पर घर बना चुके थे। उनपर कोई प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई थी। पीड़ित पक्ष अपने हिस्से की जमीन पर गए थे लेकिन आरोपी पक्ष के सुबोध दास, सुभाष दास एवं अन्य अपने अपने पुत्र एवं परिवार के महिला सदस्यों के साथ लोहे के रॉड और लाठी डंडे से हमला कर दिया।
मरने वाले के सिर पर रॉड से वार किया गया था और घायलों के भी सिर पर ही गंभीर चोटें हैं तथा एक का हाथ भी टूटा है। घायलों के मुताबिक आरोपी पक्ष आग्नेयास्त्र से भी लैस थे। वही घटना की खबर पाकर पुलिस घटनास्थल पर जाकर शव को पोस्टमार्टम हेतु पूर्णिया भेज दिया वही आरोपियों के धरपकड़ में जुट गई है।