Author: Biharadmin

  • गर्व! बिहार की महिला BJP विधायक ने 2 मेडल्स पर लगाया निशाना..


    डेस्क : अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित, अंतराष्ट्रीय कॉमनवेल्थ गेम के शूटिंग इवेंट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली गोल्डन गर्ल श्रेयसी सिंह राजनीति में उतरने के बाद भी खेल में अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं हैं. विधायक रहते हुए भी अंतराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह ने अब नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में 2 मेडल अपने नाम कर अपनी प्रतिभा का एक बार फिर लोहा मनवा लिया है.

    श्रेयसी सिंह ने यह साबित कर दिया हैं कि राजनीति में आने के बाद से विधायक बन कर क्षेत्र के लोगों की परेशानी को समझते और अपनी पार्टी को मजबूती देते हुए खेल के दुनिया में वो भी लगातार बेहतर कर रही हैं.

    नई दिल्ली में आयोजित हो रहे नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में एक विधायक का अलग-अलग इवेंट में 2 मेडल अपने नाम करना दूसरे खिलाड़ियों के लिए किसी आदर्श से कम नहीं हैं. जमुई से बीजेपी विधायक श्रेयसी सिंह ने गुरुवार को हुए भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप के डबल ट्रैप स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया है,

    इससे पहले बीते मंगलवार को श्रेयसी सिंह ने नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप के इसी आयोजन में शॉटगन इवेंट में भी कांस्य पदक जीता था. मतलब यह कह सकते हैं कि नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप के एक ही आयोजन में अभी तक श्रेयसी सिंह ने 2 अलग-अलग इवेंट में 2 कांस्य पदक अपने नाम कर सफलता का परचम लहरा दिया है.

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  • चने में मृत्यु का प्रबंधन कैसे करें?

    हैलो कृषि ऑनलाइन: चना रबी मौसम में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण दाल है। चने के उत्पादन में कमी का मुख्य कारण चने के फफूंद जनित रोग एवं उसके कीट हैं, अतः चने की वृद्धि के समय पछेती झुलसा, पछेती झुलसा एवं अन्य कीट जैसे रोगों के लक्षणों की पहचान एवं नियंत्रण करना अति आवश्यक है।

    मरना

    डेथ ब्लाइट फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम कवक के कारण होता है। यह रोग मिट्टी और बीजों के माध्यम से फैलता है। यह पौधे की पोषक तत्वों को ले जाने वाली कोशिकाओं को मारता है। झुलसा कवक 6 साल तक मिट्टी में जीवित रह सकता है। लेकिन यह उन क्षेत्रों में कम होता है जहां की जलवायु ठंडी होती है।


    लक्षण

    पेड़ के ऊपर का हिस्सा, तना और पत्तियां सूख जाती हैं और पेड़ सूख कर मर जाता है।
    युवा पौधे मुरझा जाते हैं।
    जमीन के नीचे तने का रंग कम हो जाता है।
    रोगग्रस्त वृक्ष की जड़ों में उर्ध्वाधर कटने से हल्का पीला काला रंग दिखाई देता है।

    प्रबंधन

    बुवाई समय पर करनी चाहिए।
    सरसों या अलसी को अंतरफसल के रूप में लेना चाहिए।
    रोग प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करना चाहिए।
    पीकेवी, हरिता, बीडी एनजी 797, दिग्विजय, जेएससी 55


    बोने की प्रक्रिया

    3 ग्राम कार्बेन्डाजिम (बाविस्टीन) या कार्बोक्सिन + 2 ग्राम थीरम + 4 ग्राम ट्राइकोडेना विराइड / किग्रा बीज


  • मुस्लिम लड़की बोली- मांग में सिंदूर लगाना अच्छा लगता है, हिंदू युवक के साथ आश्रम में लिए सात फेरे..


    डेस्क : कहते है कि प्यार अंधा होता हैं जाति धर्म ऊंच नीच सबसे परे. एक ऐसा ही प्यार दो मुस्लिम लड़कियों ने किया हैं. मुस्लिम समुदाय की 2 लड़कियों ने अपना प्यार पाने के लिए अब हिंदू धर्म अपना लिया और अपने प्रेमियों के साथ आश्रम में शादी भी रचा ली. इतना ही नहीं दोनों ने अपने नाम भी अब बदल लिए.

    दोनों का पहले शुद्धिकरण कराया गया, इसके बाद सनातन धर्म की दीक्षा दी गयी. बाद में दोनों ने विधि-विधान से 7 फेरे लिए. इरम जैदी जहां अब स्वाति बन गई तो शहनाज ने अपना नाम सुमन रख लिया हैं. दोनों का यह कहना है कि मुस्लिम समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं मिलता, इसलिए वह हिंदू धर्म को अपना रही हैं.

    दोनों ने कहा कि उनकी गहरी आस्था भी हिंदू धर्म में हैं. दोनों ने बरेली के मढ़ीनाथ स्थित अगस्त मुनि आश्रम में दोनों ने अपने प्रेमियों के साथ 7 फेरे लिए. मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र और विधिवत हिंदू रीति रिवाज से शादी की दोनों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.

    यूपी के बरेली में मुस्लिम समुदाय की 2 लड़कियों हिंदू धर्म स्वीकार करके विधि-विधान से हिंदू लड़कों के साथ शादी के बंधन बंध गईं हैं. बरेली के मढ़ीनाथ स्थित अगस्त मुनि आश्रम में पंडित केके शंखधार ने दोनों लड़कियों का विवाह संपन्न कराया हैं. पहले इन दोनों लड़कियों का शुद्धिकरण किया गया. उसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवाकर नाम को बदला गया. फिर दोनों लड़कियों का हिंदू लड़कों से विधि विधान के साथ विवाह संपन्न कराया गया. दोनों जोड़ो ने 7 फेरे लिए. लड़कों ने लड़कियों के मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र पहनाया.

    दोनों लड़कियों ने हिंदू धर्म में गहरी आस्था जताते हुए कहा कि मुस्लिम समाज में जब चाहें तब 3 बार तलाक बोल देते हैं और फिर हलाला भी करते हैं, इसलिए हम हिंदू धर्म को अपना रहे हैं. भोजीपुरा की निवासी शहनाज अब नए नाम से पहचानी जाएगी. अब से उसका नाम सुमन देवी हो गया है. शहनाज को अजय नाम के लड़के से मोहब्बत हो गयी जिसके बाद उसने हिंदू धर्म अपनाकर अजय से विवाह भी कर लिया हैं.

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  • नो-टिल फार्मिंग: नो टिलेज, नो फर्टिलाइजर्स, बंपर क्रॉप प्रोडक्शन! नो-टिल फार्मिंग सिस्टम क्या है? पता लगाना

    हैलो कृषि ऑनलाइन: बदलते समय के साथ कृषि(NO-टिल फार्मिंग) तकनीक भी बदल रही है। आमतौर पर किसान फसल बोने से पहले खेत की कई बार जुताई करते हैं। जुताई के लिए ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों का उपयोग किया जाता है। लेकिन कई बार अधिक खेती के दुष्प्रभाव भी सामने आ जाते हैं। ऐसे में किसानों ने अब NO-टिल फार्मिंग तकनीक को अपनाया है।

    नो-टिल फार्मिंग (NO-Till Farming) का अर्थ है बिना जुताई वाली कृषि। इस तकनीक में जमीन की जुताई की जाती है और कई वर्षों तक फसलें उगाई जाती हैं। यह कृषि की नई तकनीक है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है। आइए जानते हैं नो-टिल फार्मिंग के फायदे और नुकसान।

    बिना जुताई के कृषि

    नो-टिल खेती के कई फायदे हैं। खेत में मुख्य फसल (NO-टिल फार्मिंग) की कटाई के बाद बची हुई भूमि में बिना जुताई के फसलें बो दी जाती हैं। ऐसे में पुरानी फसल के अवशेषों से नई फसल को पोषक तत्व मिलते हैं। इस तकनीक से आप चना, मक्का, धान, सोयाबीन उगा सकते हैं।

    नो-टिल फार्मिंग के मुख्य सिद्धांत

    1) नो-टिल फार्मिंग नो-टिल फार्मिंग का पहला सिद्धांत है। मिट्टी नहीं मोड़ना। इस तकनीक में मिट्टी को प्राकृतिक रूप से पौधों की जड़ों में घुसकर और केंचुओं, छोटे जानवरों और सूक्ष्मजीवों द्वारा जोता जाता है।

    2) दूसरा सिद्धांत है किसी भी प्रकार के खाद या रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करना है। जुताई और खाद डालने से पौधे कमजोर हो जाते हैं और कीट असंतुलन की समस्या बढ़ जाती है।

    3) तीसरा सिद्धांत सतह पर कार्बनिक अवशेषों की उपस्थिति है – जैविक अवशेषों को पहले एकत्र किया जाता है। फिर यह अवशेष मिट्टी की सतह पर फैल जाता है। यह खेत में पर्याप्त पानी रखता है और सूक्ष्म जीवों के लिए भोजन का काम करता है। यह विघटित होता है। इससे खाद बनाई जाती है। इसलिए पेड़ों में खरपतवार नहीं उगते हैं।

    4) चौथा सिद्धांत फसल चक्र अपनाना है अर्थात एक फसल के बाद दूसरी फसल उगाई जाती है।

    5) पांचवां सिद्धांत है खेत में निराई-गुड़ाई न करें। इसका सिद्धांत है कि खरपतवारों को पूरी तरह से खत्म करने की बजाय नियंत्रित किया जाना चाहिए। थोड़ी मात्रा में खरपतवार मिट्टी की उर्वरता को संतुलित करने में मदद करते हैं।

    नो-टिल फार्मिंग के लाभ?

    1) मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, मिट्टी का कटाव बहुत कम हो जाता है। फसलों की उत्पादकता बढ़ती है।

    2) सिंचाई अंतराल बढ़ता है, मिट्टी की नमी बरकरार रहती है।

    3) मिट्टी के जल स्तर में सुधार होता है, मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है, मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण कम हो जाता है।

    4) किसी भी खेती से समय और धन की बचत होती है। रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होती है, लागत भी कम आती है।

    5) मिट्टी के अंदर और बाहर पाए जाने वाले लाभकारी सूक्ष्मजीवों को नुकसान नहीं होता है।

    6) नो-टिल खेती जैविक, रसायन मुक्त, शुद्ध उत्पाद प्रदान करती है, जिनकी उपज बाजार की अच्छी मांग के कारण बढ़ती है।

    7) फसल अवशेषों का उपयोग खाद बनाने में करने से कीट कम हो जाते हैं। चोरी की घटनाओं में कमी आएगी।

    नो-टिल फार्मिंग के कारण नुकसान

    1)बुवाई में कठिनाई– फसल कटने के बाद खेत में मिट्टी सख्त हो जाती है, जिससे दूसरी फसल के बीज बोना मुश्किल हो जाता है।

    2)शाकनाशियों का उपयोग-कई बार किसान फसलों के बीच से खरपतवार निकालने के लिए शाकनाशियों का प्रयोग करते हैं जो अच्छा नहीं है। लेकिन खेत की जुताई के दौरान यह समस्या नहीं आती है।

  • पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर चीफ सेक्रेट्री को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया

    दिसम्बर 2, 2022 । पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार के वकीलों की फीस में पिछले 14 सालों से कोई बढ़ोतरी नहीं होने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य के चीफ सेक्रेट्री को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता एस एस सुंदरम की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

    कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार सहित अन्य राज्य राज्य सरकार के वकीलों की तुलना में यहाँ के सरकारी वकीलों को काफी कम फीस का भुगतान किया जाता है।
    कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि 2 हफ्ते के अंदर इस जनहित याचिका पर विस्तृत जवाब दे।

    याचिककर्ता की ओर से पूर्व महाधिवक्ता एवं सीनियर एडवोकेट पी के शाही ने बहस करते हुए कहा कि पटना हाई कोर्ट में ही केंद्र सरकार के वकीलों की जहाँ रोजाना फीस न्यूनतम 9 हज़ार रुपये है, वहाँ बिहार सरकार के वकीलों को इसी हाई कोर्ट में रोजाना अधिकतम फीस रू 2750 से 3750 तक ही है।

    वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को जानकारी दी कि पंजाब व हरियाणा, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्य झारखंड और बंगाल में भी वहाँ के सरकारी वकीलों का फीस बिहार के सरकारी वकीलों से ज्यादा है।

    एडवोकेट विकास कुमार ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ( कैट) पटना बेंच में तो मूल वाद पत्र दायर कर उसपे बहस करने वाले केंद्र सरकार के वकीलों को रोजाना हर मामले पर 9 हज़ार रुपये फीस मिलता है।

    सबसे दयनीय स्थिति राज्य के सहायक सरकारी वकीलों की है, जिन्हे रोजाना मात्र 1250 रुपये फीस पर ही काम करना पड़ता है।

    कोर्ट ने इस मामले को एक गंभीर जनहित याचिका करार देते हुए मुख्य सचिव को शीघ्र प्रभावी कदम उठाने को आदेश दिया है।कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को भी कहा कि हाईकोर्ट के आज के आदेश को फौरन मुख्य सचिव तक प्रेषित करें ।
    बिहार में राज्य सरकारों के वकीलों के फीस में वृद्धि 14 साल पहले बिहार के महाधिवक्ता पी के शाही के ही कार्यकाल में ही हुई थी।

    इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर,2022 को की जाएगी।।

  • खुशखबरी! अभी और घटेंगे CNG-PNG के दाम, जानें – कितना होगा सस्ता..


    डेस्क : प्राकृतिक गैस की संपदा बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। इस समय सरकार का ध्यान CNG और PNG के दामों पर है। अब सरकार CNG और पाइपलाइन से आने वाली रसोई गैस यानी की PNG की कीमतों में कमी लाने के लिए ठोस कदम उठाने की तैयारी में है। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के माध्यम से पुराने क्षेत्रों से निकलने वाली प्राकृतिक गैस की कीतमो पर 5 साल के लिए प्राइस लिमिट लगाने पर भी विचार कर सकती है। सरकार ने किरीट पारेख की अध्यक्षता में नियुक्त किए गए समिति ने इस कदम की सिफारिश भी की है।

    केंद्र ले सकता है फैसला

    केंद्र ले सकता है फैसला

    सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) को सरकार 4 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट और 8.57 डॉलर वर्तमान न्युनतम दर के मुकाबले अब 6.5 डॉलर पर करेगी। सरकार ने किरीट एस पारेख की अध्यक्षता वाली समिति भी बनाई थी। अब समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप भी दिया है। समिति अगले कुछ दिनो में एक रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। केंद्र सरकार सिफारिशों के समीक्षा के बाद फैसला लेगी।

    गैस की कीमते अब रहेंगी नियंत्रित

    गैस की कीमते अब रहेंगी नियंत्रित

    केंद्र सरकार ने पारेख समिति को ‘भारत में गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने बाजार के मुताबिक किफायती मुल्य निर्धारण’ को सुनिश्चित करने के लिए रिसर्च के साथ सुझाव भी तय करने का काम दिया था। समिति को इस बात का भी ध्यान रखना था कि उपभोक्ताओं को उचित मुल्य पर गैस उपलब्ध होती रहे। कुछ सुत्रो के मुताबिक समिति ने न्यूनतम प्राइस लिमटि को 5 साल के लिए तय करने का भी सुझाव दिया है, इससे CNG और PNG के दाम नियंत्रित रहेंगे।

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  • नीतीश का साख दाव पर

    कुढ़नी विधानसभा चुनाव निलाभ और ओवैसी के बीच फंसा गया है वैसे नीतीश कुमार की अलोकप्रियता और राजद के वोटर का आक्रामक ना होना बीजेपी को रेस में बनाये हुए हैं।वैसे तेजस्वी के सभा के बाद बदलाव जरूर हुआ है लेकिन स्थिति ऐसी नहीं है कि महागठबंधन की जीत तय हो।

    कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव के बहाने काफी लम्बे अरसे बाद गांव के लोगों के बीच घंटों रहने का मौका मिला इस दौरान सभी वर्ग जाति और समुदाय से जुड़े लोगों से हर मुद्दे पर खुलकर चर्चा हुई, हैरान करने वाली बात यह रही कि चुनाव जदयू लड़ रही है लेकिन नीतीश कुमार कहीं चर्चा में नहीं है,नीतीश को लेकर एक अजीब तरह की बेरुखी देखने का मिला ,नीतीश पर चर्चा करने को तैयार नहीं है।

    महिला वोटर नीतीश का नाम सुनते ही उसके चेहरे का भाव बदल जाता था और उनमें नीतीश के नाम के साथ एक अलग तरह का विश्वास झलकता था लेकिन उसके चेहरे से वो विश्वास और भरोसा खत्म हो गया है एक अजीब तरह का निराशा देखने को मिला ।

    कुढ़नी के दलित बस्ती में लोगों से बात करने के बाद समझ में आया कि मांझी शराबबंदी को लेकर बार बार क्यों बयान दे रहे हैं भ्रष्टाचार और अफरशाही से कहीं अधिक लोग शराबबंदी के नाम पर उत्पाद विभाग और पुलिस के जुल्म से परेशान है जो शराब नहीं भी पीता है वह भी गुस्से में है गांव शराब माफिया के हवाले हो गया है और सब कुछ वही तय कर रहा है नीतीश की अलोकप्रियता के पीछे शराबबंदी एक बड़ी वजह है।

    हालांकि कुढ़नी विधानसभा मुजफ्फरपुर शहर और पटना समस्तीपुर फोरलेन पर होने के कारण शहरीकरण काफी तेजी से हुआ है और उसका असर यहां रहने वाले लोगों के मानसिकता पर साफ दिखता है और इसका लाभ स्वाभाविक तौर पर बीजेपी को है लेकिन निलाफ अभी भी मैदान में बहुत ही मजबूती से डटा हुआ है और उसके साथ का भूमिहार का युवक अभी भी डटा हुआ और उसी अंदाज में साहनी वोटर भी निलाफ के साथ खड़ा है इस वजह से बहुत कुछ अभी भी स्पष्ट नहीं है।

    वही मुसलमान का युवक ओवैसी के साथ है लेकिन इन सबके बीच नीतीश की अलोकप्रियता महागठबंधन के लिए भारी पड़ रहा है क्यों कि अति पिछड़ा वोटर भी नीतीश के साथ उस मजबूती के साथ खड़ा नहीं है महंगाई को लेकर जनता त्रस्त है और वो बोल भी रहा है कि मुफ्त में चावल गेहूं देकर दाल और खाने वाले तेल का दाम बढ़ा दिया है।

    महंगाई बड़ा मुद्दा है और 2024 का चुनाव कुछ अलग होगा ऐसा महसूस हो रहा है लेकिन नीतीश महागठबंधन के लिए लायबिलिटी ना बन जाए इसका खतरा साफ दिख रहा है वैसे नीतीश इस तरह की स्थिति से बाहर निकलने के माहिर खिलाड़ी रहे हैं ।

  • गर्व! बिहार की बेटी ने न्यूजीलैंड में लहराया परचम – 6 स्वर्ण पदक जीत बढ़ाया मान..


    न्यूज डेस्क: बिहारवासी हमेशा से हर क्षेत्र में परचम लहराने के लिए जाने जाते हैं। इसी कड़ी में राज्य की एक होनहार बेटी कृति राज सिंह ने कॉमन वेल्थ पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 6 गोल्ड मेडल जीते हैं। बता दें कि न्यूजीलैंड में आयोजित इस प्रतियोगिता में ये मुकाम हासिल की है। कृति ने सब-जूनियर 57 किग्रा भार वर्ग में तीन इवेंट जीते, रो बैंड प्रेस में एक गोल्ड, इरेक्ट बेंच प्रेस में एक गोल्ड और होल पावर लिफ्टिंग में 95 किग्रा वजन उठाया।

    साधारण किसान की बेटी कृति

    साधारण किसान की बेटी कृति

    कृति राज सिंह पटना के खुसरूपुर प्रखंड के बड़ा हसनपुर की निवासी है। इनके पिता का नाम ललन सिंह है जो कि पेशे से एक साधारण किसान हैं। कृति कुल 8 भाई-बहन है जिसमें पांच बहने और तीन भाई है। बिहार की यह बेटी असम के गुवाहाटी के रानी लक्ष्मीबाई फिजिकल एजुकेशन कॉलेज से फिजिकल एजुकेशन कर रही है। कृति अभी फर्स्ट ईयर में है। यह अपनी दसवीं तक की पढ़ाई अपने गांव से की।

    सीएम की बधाई पर कृति ने कही ये बात

    सीएम की बधाई पर कृति ने कही ये बात

    कृति के इस कामयाबी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बधाई दी है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि कृति की जीत से पूरा राज्य गौरवान्वित है। इसके अलावा कृति ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि खेल जगत को मदद करें ताकि होनहार खिलाड़ी अपने प्रतिभा दुनिया में दिखा सके। कृति बताती है कि वह कई मंत्री मिनिस्टर के पास सहायता लेने गई लेकिन कहीं भी सहारा नहीं मिला। इसके बाद आईपीएस पंकज राज के पास गई, जो कि कृति का मदद किए। उन्होंने कहा कि आईपीएस पंकज राज ने मदद के रूप में 1 लाख रुपए दिए उनके लिए संजीवनी साबित हुआ।

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  • लोहरा गांव के समीप ऑटो पलटने से एक वृद्ध महिला की हुई मौत।

    नालंदा ( हरनौत) लोहरा गांव से हरनौत के लिए बुधवार को ऑटो आ रही थी। इसी दौरान मुख्य मार्ग पर लोहरा पुल के समीप ऑटो पलट गई। जिसपर सवार कई लोग जख्मी हो गए थे। जिसमें से लोहरा गांव के नंदकिशोर प्रसाद की पत्नी सोमंती देवी गंभीर रूप से जख्मी हो गई।

    आनन-फानन में उन्हें स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर कर दिया गया था। जहां इलाज के दौरान गुरुवार की उनकी मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने लोहरा गांव के समीप एनएच पर शव को रखकर सड़क जाम कर दिया। मुआवजा के आश्वासन के बाद जाम हटाया गया। थानाध्यक्ष देवानंद शर्मा ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया है।

  • ग्राम पंचायत से संसद तक लड़नी होगी गारंटी कानून की लड़ाई : राजू शेट्टी

    हैलो कृषि ऑनलाइन: राज्य में शिंदे सरकार की ओर से फैसला लिया गया कि एक बार फिर वन टाइम एफआरपी का कानून लाया जाएगा. स्वाभिमानी शेतकरी संघट ने इन मुद्दों पर बड़ी लड़ाई लड़ी थी। उसके बाद गारंटी कानून को लेकर स्वाभिमानी किसान संघ ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. शेट्टी ने कहा कि अगर देश के किसानों की गारंटी का कानून पारित करना है तो ग्राम पंचायत स्तर से लेकर संसद तक की लड़ाई सड़कों के साथ-साथ सभाग्रह में भी लड़ी जानी चाहिए. शेट्टी पुणे में स्वाभिमानी शेतकर संगठन की ओर से देश भर के किसान नेताओं और पदाधिकारियों की एक दिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे।

    इस बारे में बात करते हुए राजू शेट्टी ने कहा, हमें हर चीज के लिए मार्च करना पड़ता है. सरकार को सब कुछ दबा कर रखना पड़ता है। इसलिए राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार को गारंटी कानून बनाना चाहिए. शेट्टी ने कहा कि इस कानून को लागू करने के लिए किसानों सहित सभी को सहयोग करने की जरूरत है. कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए किसान अधिकार विधेयक 2018, देश के किसान नेताओं द्वारा एक साथ लाया गया, जिसमें सभी अनाज, सभी दालें, सभी फल, सभी मसाले वाली फसलें, कंद, औषधीय पौधे, सभी प्रकार के दूध शामिल हैं। सभी वन उत्पाद, फूल। . इसके अलावा चारा घास, पेड़ उत्पादन, नर्सरी उत्पादन, सभी पशुधन और पशु उत्पाद जैसे मटन, अंडे और पोल्ट्री, सभी मत्स्य पालन, शहद, रेशमकीट प्रजनन शामिल हैं।


    किसानों को गारंटी सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है ताकि वे ऋणी न बनें। शेट्टी ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए. सरकार ने गारंटी मूल्य का डेढ़ गुना करने का वादा किया था। हालाँकि, यह अभी तक नहीं किया गया है। शेट्टी ने कहा कि सरकार को उस वादे को लागू करना चाहिए। भारतीय किसान प्रकृति पर निर्भर कृषि करते हैं। शेट्टी ने कहा कि कुदरत का बर्ताव हमारे हाथ में नहीं है, किसानों पर कड़ा प्रहार है। शेट्टी ने कहा कि अगर खाद्यान्न की कीमतें स्थिर रहती हैं तो इससे किसानों, सरकार और उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।