न्यूज डेस्क : सरकार सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए लगातार काम कर रही है। इसके लिए राज्य के सभी जिलों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाने को लेकर कार्य चरम पर है। बता दें कि प्रदेश के 6 जिलों में ट्रैक का काम संपन्न हो गया है।
इसका उद्घाटन किया जाना बाकी है। इसके अलावा 8 जिलों में काम जोरों से चल रही है। वहीं सूबे की और 10 जिलों में ट्रैक बनाने को लेकर जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा। बता दें कि केवल वैशाली ही एक जिला ऐसा है जहां ट्रैक बनाने के लिए जमीन की व्यवस्था नहीं हो सकी।
बीते दिनों ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक की समीक्षा की गई थी। फिलहाल राज्य के पटना और औरंगाबाद में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से पहले परीक्षा की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। वहीं, मोतिहारी, भागलपुर, पूर्णिया, नवादा, बांका और कैमूर में इस तरह के ट्रैक पूरे हो चुके हैं। जल्द ही इसका उद्घाटन किया जाएगा। सीतामढ़ी, कटिहार, दरभंगा, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, किशनगंज, नालंदा और मधुबनी में काम चल रहा है. वहीं सारण, बेतिया, समस्तीपुर, रोहतास, शिवहर, जहानाबाद, जमुई, लखीसराय, गया और मुंगेर में पटरियों के निर्माण के लिए जल्द टेंडर किया जाएगा।
वहीं, वैशाली में ट्रैक बनाने के लिए परिवहन विभाग ने जिला प्रशासन से जमीन की जल्द तलाशी लेने को कहा है। ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के अभाव में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में तरह-तरह के खेल खेले जा रहे हैं. यातायात नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण विभाग अंधाधुंध लाइसेंस जारी कर रहा है। ट्रैक पर कुशलता से वाहन चलाने वालों को ही लाइसेंस मिलेगा। इससे सड़क हादसों में भी कमी आएगी।