Category: कार्यक्रम

  •  हर घर तिरंगा कार्यक्रम को लेकर निकाली गई प्रभात फेरी।

    आज आज दिनांक 13 अगस्त 2022 को प्रातः 7:30 बजे पूर्वाहन में नेहरू युवा केंद्र नालंदा , एन सी सी कैडेट, राष्ट्रीय सेवा योजना किसान कॉलेज के संयुक्त तत्वाधान में आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर हर घर तिरंगा जागरूकता प्रभातफेरी का आयोजन किसान कॉलेज के प्रांगण से किया गया। डॉ अशोक कुमार प्राचार्य ने प्रभात फेरी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ अनुज कुमार सिंह नोडल अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना, लेफ्टिनेंट अनुज कुमार, डॉ संजय कुमार, एपीएस शिवनारायण दास ने संयुक्त रूप से किया। हर घर तिरंगा यात्रा किसान कॉलेज से प्रारंभ होकर हॉस्पिटल मोड़ से होते हुए शहर के विभिन्न मोहल्लों से गुजरते जिला समाहरणालय होते हुए कॉलेज में समाप्त किया गया।

    इस अवसर पर प्राचार्य ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में महाविद्यालय के प्रांगण में समाप्त किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ अशोक कुमार ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में महाविद्यालय के प्रांगण में ऐसे कार्यक्रम होना सौभाग्य की बात है, स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु, सुखदेव, लाला लाजपत राय, राम प्रसाद बिस्मिल, अस्पाक उल्ला खान ने बढ़ चढ़कर देश को आजाद कराने में काफी योगदान रहा ।गांधी जी के आने के पहले इन स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध काम करने पर इन्हें उग्रवादी बताया जाता था जो कि हम भारतीयों के लिए एक स्वतंत्रता सेनानी हैं अमृत महोत्सव के उपलक्ष में तमाम स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए उनका त्याग और बलिदान का याद करने का मौका है आशा करता हूं कि नई पौध की युवा पीढ़ी राष्ट्र के लिए तन मन धन से अपने को समर्पित करेंगे।

    ए पी एस शिव नारायण दास ने कहा कि 13 अगस्त से 15 अगस्त के बीच हर घर तिरंगा कार्यक्रम के तहत नेहरू युवा केंद्र नालंदा के कार्यालय में झंडा तोलन कर सभी युवाओं के बीच एक एक तिरंगा देकर अधिक से अधिक लोगों के बीच तिरंगा फहराने का आवाह्न किया गया और स्वतंत्रता सेनानियों के याद कर,बाबा भीमराव अंबेडकर के द्वारा दिया गया संविधान के का पालन करने का भी शपत दिलाया गया। इस अवसर पर नेहरू युवा केंद्र नालंदा के जिला युवा अधिकारी सुश्री पिंकी गिरी, राधेश्याम प्रसाद, राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक पिंटू कुमार, विकाश वर्मा , पंकज कुमार, धर्मेंद्र कुमार ,राजीव कुमार, रिचा कुमारी, ज्योति कुमारी, सोनी कुमारी, गौतम कुमार ,पंकज कुमार, अमन कुमार, विकास कुमार, सुजीत कुमार उपस्थित रहें l

  • नालंदा जिले के रिसर्च स्कॉलर अनुज कुमार ने भारत का प्रतिनिधित्व किया

    बिहार के नालंदा जिले के रिसर्च स्कॉलर सिंगापुर में ‘एक्शन फॉर अर्थ – ग्लोबल लीडर्स समिट 2022’ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए
    अनुज कुमार, प्रो. पी.के. वैद, लोक प्रशासन विभाग, आईसीडीईओएल, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के रिसर्च स्कॉलर को सिंगापुर में आयोजित होने वाले “एक्शन फॉर अर्थ – ग्लोबल लीडर्स समिट 2022” में भाग लेने के लिए चुना गया है। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित वैश्विक गोलार्ध द्वारा आयोजित 23 से 25 अगस्त 2022।

    अनुज कुमार इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में एचपी विश्वविद्यालय की तुलना में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र भारतीय हैं। “एक्शन फॉर अर्थ – ग्लोबल लीडर्स समिट (GLS-2022) सिंगापुर में प्लाजा में आयोजित होने वाला एक 3 दिवसीय शिखर सम्मेलन है, संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ ग्लोबल कम्युनिटी लीडर्स के लिए नेशनल लाइब्रेरी बोर्ड।
    आसियान, अफ्रीका, एशिया और यूरोप के प्रतिनिधियों से पानी के नीचे जीवन, भूमि पर जीवन, स्वच्छ जल और स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन, समुदायों और शहरों में जीवन आदि पर ध्यान केंद्रित करते हुए संयुक्त राष्ट्र एसडीजी पर सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा और प्रदर्शन करने के लिए एक संवादात्मक संवाद में भाग लेने की उम्मीद है। .
    अनुज कुमार ने लोक प्रशासन, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अनुशासन में प्रो. पी.के. वैद के मार्गदर्शन में “हिमाचल प्रदेश में विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन” विषय पर अपना पीएचडी शोध कार्य प्रस्तुत किया है। शिमला-05. वह सक्रिय रूप से शिक्षण सीखने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं और समाज के उत्थान के लिए काम करते हैं। वह बिहार राज्य के नालंदा जिले के नूरसराय प्रखंड के रतनपुरा गांव के रहने वाले हैं.

  • श्रीरामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती है।

    राकेश बिहारी शर्मा – आज श्रीरामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती है। तुलसीदास के विषय में सुनते ही हमारे सामने सबसे पहले उस ग्रंथ का नाम आता है जो आज भारत के हर घर में पवित्रता के साथ रखा गया है। यह ग्रंथ आज भी पूज्यनीय है। इस ग्रंथ का नाम ‘रामचरितमानस’ है। तुलसीदास को अनेक प्रकार से हम याद कर सकते हैं भक्त के रूप में कवि के रूप में या फिर एक सामान्य मनुष्य जो गृहस्थ जीवन और सन्यास के अंतर्द्वंद में रह गया।

    कवि के रूप में इन्हें हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के रामभक्ति शाखा के अन्तर्गत रखा गया है।गोस्वामी तुलसीदास जी मानवीय चेतना के ऐसे प्रखर हस्ताक्षर थे जिनका सम्पूर्ण काव्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को समर्पित है।
    तुलसी काव्य खास तौर पर रामचरितमानस 450 वर्षों से देश के मूर्धन्य विद्वानों के साथ ही साधारण जनों को भी प्रभावित करता आ रहा है। रामचरितमानस की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हिंदी में इसके जितने संस्करण छपे हैं, उस पर जितने शोध प्रबंध छपे हैं, जितनी टीकाएं लिखी गयी हैं, उतनी किसी अन्य काव्यकृति पर नहीं। अकेले गीता प्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित होकर रामचरितमानस के सिर्फ मंझले साइज की बत्तीस लाख चालीस हजार प्रतियां अब तक बिक चुकी हैं।

    तुलसीदास लोकजीवन के व्याख्याता और साहित्य शिल्पी थे। उनकी रचनाओं में सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक चेतना का सत्यतः विनियोग हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास भक्ति रस तथा हिन्दी और अवधि भाषा के अप्रतिम कवि थे। गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति के महान संत एवं काव्य-सर्जक कवि थे। सम्पूर्ण भारतवर्ष में गोस्वामी तुलसीदास के स्मरण में तुलसी जयंती मनाई जाती है।

    गोस्वामी तुलसीदास ने सगुण भक्ति की रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि वह धारा आज भी प्रवाहित हो रही है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना ही जीवन कृतार्थ किया वरन सभी को श्रीराम के आदर्शों से बांधने का प्रयास किया। वाल्मीकि जी की रचना ‘रामायण’ को आधार मानकर गोस्वामी तुलसीदास ने लोक भाषा में राम कथा की रचना की। तुलसीदास का नाम स्मरण में आते ही प्रभु राम का स्वरुप भी सामने उभर आता है।

    महान कवि तुलसीदास की प्रतिभा-किरणों से न केवल हिन्दू समाज और भारत, बल्कि समस्त संसार आलोकित हो रहा है। बड़ा अफसोस है कि उसी कवि का जन्म काल विवादों के अंधकार में पड़ा हुआ है। अब तक प्राप्त शोध निष्कर्ष भी हमें निश्चितता प्रदान करने में असमर्थ दिखाई देते हैं। मूलगोसाई-चरित के तथ्यों के आधार पर डा० पीताम्बर दत्त बड़वाल और श्यामसुंदर दास तथा किसी जनश्रुति के आधार पर 1554 का ही समर्थन करते हैं। इसके पक्ष मे मूल गोसाई-चरित की निम्नांकित पंकियों का विशेष उल्लेख किया जाता है।

    तुलसीदास जी का जन्म विक्रम संवत 1554 को उत्तर प्रदेश के बाँदा ज़िला के राजापुर ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसीदास जी ने अपने बाल्यकाल में अनेक दुख सहे युवा होने पर इनका विवाह रत्नावली से हुआ, अपनी पत्नी रत्नावली से इन्हें अत्याधिक प्रेम था परंतु अपने इसी प्रेम के कारण उन्हें एक बार अपनी पत्नी रत्नावली की फटकार “लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ” ‘अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति ! नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?’ हाड़ माँस को देह मम, तापर जितनी प्रीति।

    तिसु आधो जो राम प्रति, अवसि मिटिहि भवभीति।। ये सूना तो उनके जीवन की दिशा ही बदल दी और तुलसी जी राम जी की भक्ति में ऐसे डूबे कि उनके अनन्य भक्त बन गए। बाद में इन्होंने गुरु बाबा नरहरिदास से दीक्षा प्राप्त की। तुलसीदास जी का अधिकांश जीवन चित्रकूट, काशी और अयोध्या में व्यतीत हुआ। तुलसी दास जी अनेक स्थानों पर भ्रमण करते रहे उन्होंने अनेक कृतियों की रचना किये हैं।

    तुलसीदास जी ने रामनवमी (यानि त्रेतायुग के आधार पर राम-जन्म) के दिन प्रातःकाल ‘रामचरितमानस’ की रचना प्रारम्भ की। 966 दिन में तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखा था। उन्होंने संवत् 1631 में रामचरित मानस लिखनी शुरू की थी। संवत् 1633 के अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर ये ग्रंथ पूरा हो गया। इस महान ग्रंथ को सम्पन्न होने में दो वर्ष, सात महीने और छब्बीस दिन का समय लगा था।

    1680 ई० में, शनिवार को “राम-राम” का उच्चारण करते हुए, तुलसीदास जी का देहावसान हो गया था। भारत सरकार ने 1 अक्टूबर 1952 को, गोस्वामी तुलसीदास को महान कवि के रूप में सम्मानित करते हुए, एक डाक टिकट जारी की। तुलसीदास जी हिंदी और संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान थे, अपने जीवनकाल में उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की थी।

    तुलसीदास जी रचित श्री रामचरितमानस को बहुत भक्तिभाव से पढ़ा जाता है, रामचरितमानस जिसमें तुलसीदास जी ने भगवान राम के चरित्र का अत्यंत मनोहर एवं भक्तिपूर्ण चित्रण किया है। दोहावली में तुलसीदास जी ने दोहा और सोरठा का उपयोग करते हुए अत्यंत भावप्रधान एवं नैतिक बातों को बताया है। कवितावली इसमें श्री राम के इतिहास का वर्णन कवित्त, चौपाई, सवैया आदि छंदों में किया गया है।

    श्रीरामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में सात काण्ड मौजूद हैं। गीतावली सात काण्डों वाली एक और रचना है जिसमें में श्री रामचन्द्र जी की कृपालुता का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त विनय पत्रिका कृष्ण गीतावली तथा बरवै रामायण, हनुमान बाहुक, रामलला नहछू, जानकी मंगल, रामज्ञा प्रश्न और संकट मोचन जैसी कृत्तियों को रचा जो तुलसीदास जी की छोटी रचनाएँ रहीं। रामचरितमानस के बाद हनुमान चालीसा तुलसीदास जी की अत्यन्त लोकप्रिय साहित्य रचना है।

    जिसे सभी भक्त बहुत भक्ति भाव के साथ गाते और सुनते हैं। तुलसीदास जी ने उस समय में समाज में फैली अनेक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया अपनी रचनाओं द्वारा उन्होंने विधर्मी बातों, पंथवाद और सामाज में उत्पन्न बुराईयों की आलोचना की उन्होंने साकार उपासना, गो-ब्राह्मण रक्षा, सगुणवाद एवं प्राचीन संस्कृति के सम्मान को उपर उठाने का प्रयास किया वह रामराज्य की परिकल्पना करते थे।

    आज भी भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है तथा देश के कोने कोने में रामचरित मानस और उनके निर्मित ग्रंथों का पाठ किया जाता है। तुलसीदास जी ने अपना अंतिम समय काशी में व्यतित किया और वहीं विख्यात अस्सी घाट पर 126 वर्ष की अवस्था में संवत् 1680 श्रावण शुक्ल सप्तमी, शनिवार को अपने प्रभु श्रीराम जी के नाम का स्मरण करते हुए तुलसीदास ने अपना शहरी त्याग दिया।

  • बाल विकास परियोजना कार्यालय अस्थावां में विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम

    बाल विकास परियोजना कार्यालय अस्थावां में विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया , जिसमे बाल विकास परियोजना पदाधिकारी श्रीमती पूजा किरण द्वारा बताया गया कि दिनांक 1 अगस्त से 7 अगस्त तक स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाना है, इस दौरान प्रसूता एवं शिशुवती महिलाओं के बीच स्तनपान को बढ़ावा देने ,शिशुओं को बीमारी एवं कुपोषण से बचना और मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है। 1 आगस्त से 7 अगस्त तक सभी केन्द्रों पर स्तनपान सप्ताह में कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम किये जायेंगे । इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी ,महिला पर्यवेक्षिका सरिता ,सुमन ,मनोरमा,सेविकाएँ एवं धात्री महिला उपस्थित है।

  • सावन महोत्सव में खूब जम के झूमी प्रदेश भर की महिलाएं

    पिछले दस वर्षों से लगातार महिलाओं व पुरुषों पे हो रहे अत्याचार के खिलाफ उठा रहे संगठन महिला विकास मंच द्वारा
    रविवार को सावन महोत्सव का आयोजन किया गया। रविवार को पटना में आयोजित सावन महोत्सव में संगठन से जुड़ी हुई प्रदेश भर से लगभग 500 महिलाओं ने हिस्सा लिया । मौजूद सभी महिलाएं खूब जम कर नाच गा कर सावन का स्वागत किया। बैठक में संगठन की संरक्षक वीणा मानवी की अगुवाई में पूरे प्रदेश से आये महिलाओं द्वारा एक से एक प्रस्तुत दी गयी। मौजूद तमाम महिलाओं के बीच कई तरह की प्रतियोगिता भी करवाई गई। जिसमें सावन क्वीन का खिताब श्वेता कृष्ना के हाथ रहीं। सावन क्वीन प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर नेहा सलूजा और तीसरे स्थान पर रूपम रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर की गई। मुख्य अतिथि के रूप में पी के चौधरी, नीतीश कृष्णा व विमल प्रकाश ने दीप जला कार्यक्रम का विधिवत शुरुआत किया।

    सावन महोत्सव में खूब जम के झूमी प्रदेश भर की महिलाएं

     

    संगठन की संरक्षक वीणा मानवी के अनुसार आज प्रदेश भर से लगभग 500 महिलाएं मौजूद रहीं। कार्यक्रम खूब सफल रहा। कोविड आपदा के बाद ये पहला मौका है जब खुल के तमाम महिलाओ ने इंजॉय किया । हम और हमारे सहयोगी पिछले 10 वर्षों में महिला विकास मंच द्वारा लगभग 500 से अधिक मामलों का निष्पादन किया गया है। पिछले कुछ महीनों से संगठन के प्रति सूबे के लोगो का विस्वास और बढ़ा है। वीणा मानवी आगे कहती हैं बिहार में अभी तक महिला आयोग का गठन नही हो पाने से महिला विकास मंच में शिकायकर्ताओ की भीड़ में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मौजूदा सरकार से अनुरोध है इस ओंर भी ध्यान दे। सरकार महिलाओ की सुरक्षा के प्रति थोड़ा कम ध्यान दे रही है जरूरत है सरकार इस ओर कठोर कदम उठाए।कार्यक्रम का संचालन पूनम सलूजा, फाहिमा खातून द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महिला विकास मंच की संरक्षक वीणा मानवी,राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुणिमा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष निशि जैसवाल,राष्ट्रीय प्रवक्ता उषा सिन्हा, दिल्ली की अध्यक्ष कुमकुम,यूपी की अध्यक्ष अमिता गुप्ता,केरल की अध्यक्ष अटल गुप्ता व झारखंड अध्यक्ष सहित देश भर से सैकड़ो पदाधिकारी मौजूद रहे।