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  • हिलसा जेल में कैदियों की मौज-मस्ती के वीडियो वायरल होने के बाद एसडीओ की खानापूर्ति पर उठे सवाल – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। हिलसा जेल का वीडियो वायरल होने से पुलिस-प्रशासन सकते में है। वीडियो में बैरक के अंदर का हाल दिखाया गया है। इसमें कई बंदी ताश खेलते व गांजा बनाते दिख रहे हैं। चिलम के साथ आधा दर्जन मोबाइल भी दिख रहे हैं।

    बंदियों ने आरोप लगाया कि जेलर रुपये लेकर बैरक में हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। खाने व पीने के पानी के लिए भी रुपये लिये जाते हैं।After the video of the prisoners having fun in Hilsa Jail went viral questions were raised on the skepticism of the SDO 1

    वीडियो के वायरल होते ही एसडीओ सुधीर कुमार के नेतृत्व में जेल के अंदर छापेमारी की गयी। हैरत की बात है कि दो घंटे की छापेमारी में पुलिस को कुछ भी हासिल नहीं हुआ।

    एसडीओ का कहना है कि वीडियो पुराना है। उनका हास्यापद बयान है कि जेल प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए वीडियो बनाया गया है। शायद वह भूल गये कि जेल में मोबाइल प्रतिबंधित है।

    तीन वीडियो में दिख रहा जेल के अंदर का हाल: जेल के अंदर का तीन वीडियो वायरल हुआ है। पहले वीडियो में आधा दर्जन मोबाइल, गांजा व चिलम दिख रहे हैं।After the video of the prisoners having fun in Hilsa Jail went viral questions were raised on the skepticism of the SDO 1 1

    वीडियो बनाने वाला बता रहा है कि किस मोबाइल के लिए जेलर कितने रुपये लेते हैं। गांजा व चिलम के लिए कितने रुपये लिये जाते हैं। वह हाथ में रखा गांजा भी दिखा रहा है।

    दूसरे वीडियो में बैरक के अंदर ताश खेल रहे व अपने बिस्तर पर सो रहे बंदियों को दिखाया जा रहा है। तीसरे वीडियो में एक बंदी कच्ची रोटियां, टंकी भी भरा गंदा पानी व खाने-पीने का सामान दिख रहा है।

    बंदी यह भी कह रहा है कि अच्छे खाने के लिए प्रति माह दो हजार रुपये लिये जाते हैं। रुपये नहीं देने पर घर से खाना मंगाकर खाते हैं।

    शनिवार की देर शाम हुई छापेमारी: वीडियो वायरल होने के बाद एसडीओ के नेतृत्व में शनिवार की शाम जेल में छापेमारी की गयी। दो घंटे की सघन तलाशी में पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा।After the video of the prisoners having fun in Hilsa Jail went viral questions were raised on the skepticism of the SDO 3

    छापेमारी के बाद एसडीओ ने कहा कि वीडियो के संज्ञान में आते ही छापेमारी की गयी। कुछ भी आपत्तिजनक सामान नहीं मिला।

    पूछताछ में पता चला कि अपराधी प्रवृत्ति वाले कुछ बंदियों का हाल में ही दूसरे जेल में भेजा गया है। इसके विरोध में जेल प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए वीडियो वायरल किया गया है। सुनियोजित तरीके से किसी बंदी ने इसे बनाया है। वीडियो करीब महीनेभर पुराना है।

    छापेमारी में जेल अधीक्षक संदीप कुमार, सीओ सोनू कुमार सिंह, थानाध्यक्ष गुलाम सरवर, कुणाल सिंह, नीरज कुमार, शकुंतला कुमारी, धर्मेश गुप्ता, रवि कुमार सिंह आदि शामिल थे।

    After the video of the prisoners having fun in Hilsa Jail went viral questions were raised on the skepticism of the SDO 2

    कौन देगा इन सवालों के जवाब: करीब-करीब हर महीने पुलिस-प्रशासन जेलों में छापेमारी की खानापूर्ति करता है। छापेमारी में कुछ भी हासिल नहीं होता है। जबकि, यह बच्चा-बच्चा जानता है कि जेलों में मोबाइल इस्तेमाल किया जाता है। वायरल वीडियो कई सवाल खड़े कर रहा है।

    इसका जबाव प्रशासन के पास नहीं है। जेल के अंदर ताश, गांजा व मोबाइल कैसे पहुंचा। इसका जिम्मेवार कौन है। बंदी तो साफ-साफ जेलर पर आरोप लगा रहे हैं। क्या प्रशासन उनके आरोपों की जांच करेगा।After the video of the prisoners having fun in Hilsa Jail went viral questions were raised on the skepticism of the SDO 4

    एक-दो नहीं जेल में आधा दर्जन से अधिक मोबाइल दिख रहे हैं। जिससे वीडियो बनाया गया वह स्मार्ट फोन जेल के अंदर कैसे पहुंचा।

    बंदियों का आरोप है कि रुपये देने पर जेल के अंदर हर सुविधा मिलती है। नहीं देने पर कच्ची रोटियां व गंदा पानी मिलता है। इसका जबाव कौन देगा।

    एसडीओ शायद यह भूल गये कि जेल में मोबाइल इस्तेमाल करना मना है। इसके बाद भी वह कह रहें है कि जेल प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए वीडियो बनाया गया है। प्रश्न यह है कि जेल में मोबाइल आखिर पहुंचा कैसे। (इनपुट- लाइव हिन्दुस्तान)

  • सरकारी शिक्षा व्यवस्था के प्रशासनिक दावों के हकीकत की पोल खोलते चंडी प्रखंड में ऐसे विद्यालय – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। संविधान के अनुच्छेद 51-अ में देश के प्रत्येक बच्चों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली समान शिक्षा की व्यवस्था दी गई है। अमेरिका, इंग्लैंड जैसे दुनिया के अमीर देशों में सरकारी स्कूल ही बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था की नींव माने जाते हैं।

    वहां की शिक्षा व्यवस्था पर आम जनता का नियंत्रण होता है। इसके ठीक विपरीत पिछड़े देशों में प्राइवेट स्कूलों की शिक्षा पर लोग ज्यादा भरोसा करते हैं।

    इसलिए भारत में यह शिक्षा के निजीकरण का दौर है। यह देश के अभावग्रस्त परिवारों के बच्चों से उनके डाक्टर, इंजीनियर बनने के सपनों के छीन जाने का दौर है। यह महंगी फीस, महंगे स्कूल और उम्दा पढ़ाई के नाम पर अमीर तथा गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की खाई को और भी चौड़ा कर देने का दौर है।

    यह अमीरों के बच्चों के लिए निजी स्कूलों का दौर है। इसलिए,यह गरीब बच्चों के लिए सरकारी स्कूलों को उनके हाल पर छोड़ देने का दौर है। इस दौर में हम देख रहें हैं कि सरकारी स्कूलों की हालत किस तरह बद से बद्तर बना दी जा रही है।

    सरकार के कागजी दावों की धरातल पर सरकारी स्कूलों की बदहाल तस्वीरें आती रहती है। चंडी प्रखंड में शिक्षा व्यवस्था कब की पटरी से उतर चुकी है। खासकर प्रखंड में प्राथमिक शिक्षा सिसक रही है।

    कहने को तो त्रिवेणी में गंगा और यमुना दोनों हैं लेकिन सरस्वती लुप्त हो चुकी है। वैसे भी चंडी में सरस्वती कब को खत्म हो चुकी है। प्रखंड में दर्जन भर ऐसे स्कूल है, जहां बच्चों की संख्या कम देखते हुए या फिर जर्जर भवन रहने की वजह से दूसरे स्कूलों में हस्तांतरित कर दिया गया है।

    चंडी प्रखंड के बेलछी पंचायत के अंतर्गत मोकिमपुर में एक ऐसा ही प्राथमिक विद्यालय है जो पिछले चार से जर्जर भवन की वजह से उस स्कूल के बच्चों की पढ़ाई नजदीक के स्कूल प्राथमिक विद्यालय,मतेपुर में हो रही है।

    ऐसे में दोनों स्कूलों के व्यवस्था के बीच बच्चे और शिक्षक पीस रहें हैं। कहा जा रहा है कि प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर में भवन बनने के लिए राशि भी आया लेकिन प्रभारी प्रधानाध्यापक के तबादले के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

    चार साल से बंद है प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर: सरकारी शिक्षा व्यवस्था का हाल यह है कि पिछले चार साल से प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर बंद पड़ा हुआ है। यहां कक्षा एक से पांच तक पढ़ने वाले लगभग एक सौ छात्र बगल के गांव मतेपुर में पढ़ने के लिए जा रहें हैं। यहां तक कि इस स्कूल के सभी छह शिक्षकों को भी बच्चों के साथ मतेपुर शिफ्ट कर दिया गया है।

    प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर का भवन जर्जर हो चुका है, स्कूल के खिड़की -दरवाजे गायब है। यहां बच्चों को पढ़ाने की जगह बकरियां बांधी जाती है। स्कूल का शौचालय ध्वस्त हो गया है। स्कूल और शौचालय की दीवार पर ग्रामीण महिलाएं उबले थाप रही है।

    भवन निर्माण की राशि का बंदरबांट: ग्रामीण बताते हैं कि इस स्कूल के निर्माण के लिए लगभग 12लाख की राशि आया था। लेकिन राशि कहां गया किसी को जानकारी नहीं है और न ही पदाधिकारी कोई सुध लें पाएं हैं।

    मतेपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक विकास कुमार का कहना है कि मोकीमपुर स्कूल के जो प्रधानाध्यापक थे, उनका कहना है कि उनसे पहले जो थें उनका तबादला इस्लामपुर हो गया। जहां से वे भवन निर्माण का कार्य करा रहें थें लेकिन उनकी तबीयत खराब हुई और उनका निधन हो गया। उसके बाद भवन निर्माण अधूरा रह गया।

    एक कमरे में 98 बच्चों को पढ़ाते हैं पांच शिक्षक: प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर का भवन जब जर्जर हुआ तो यहां के  कक्षा पांच तक के सभी छात्रों एवं छह शिक्षकों को प्राथमिक विद्यालय मतेपुर भेज दिया गया।

    हालांकि स्कूल के पास चार कमरे हैं जिनमें तीन कमरों में वहां के 132 बच्चे तीन कमरों में पढ़ते हैं,तो मोकिमपुर स्कूल के 98 बच्चे एक ही कमरे में पढ़ते हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए पांच शिक्षक हैं।ऐसे में मोकीपुर स्कूल के छात्रों के साथ पढ़ाई के नाम पर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ चल रहा है।

    बाथरूम नहीं रहने से शिक्षिकाओं को परेशानी: प्राथमिक विद्यालय मतेपुर में शौचालय की सुविधा नहीं रहने से शिक्षिकाओं को परेशानी हो रही है।

    शिक्षिका रूपा मनानी, अर्पणा कुमारी की मानें तो स्कूल में वाशरूम नहीं रहने से परेशानी का सामना करना पड रहा है। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल के रख-रखाव के लिए अभी तक एक पैसा भी नहीं मिला है। प्रखंड विकास पदाधिकारी और शिक्षा पदाधिकारी से की बार शिकायत की गई। लेकिन इन पदाधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है।

    जर्जर भवन की वजह से ज़िले में 80 स्कूलों पर लटके ताले: नालंदा जिला में 80 ऐसे प्राथमिक और मध्य विद्यालय है जिन्हें इसलिए बंद कर दिया गया कि उसके भवन काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए इन स्कूलों के बच्चों को दूसरे स्कूलों में हस्तांतरित कर दिया गया है। जिससे बच्चों को दूसरे गांव में आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

    प्राथमिक विद्यालय,दस्तूरपुर को भी जर्जर भवन की वजह से बंद कर उसे योगिया शिफ्ट कर दिया गया है। जहां बच्चे बिहटा-सरमेरा सड़क पार कर आते जाते हैं।

    आरटीआई एक्टिविस्ट उपेंद्र प्रसाद सिंह कहते हैं कि किसी दिन कोई बड़ी घटना हो सकती है। उन्होंने कहा कि वरीय पदाधिकारी को स्कूल भवन निर्माण के लिए लिखा है। उसपर सुनवाई भी हुई है, लेकिन सरकार का तर्क ही अजीब है।ऐसी व्यवस्था में सरकारी शिक्षा सुधरने वाली नहीं है।

    ‘ स्कूल चले हम’ कहते वक्त,अलग-अलग स्कूलों में पल रही गैरबराबरी पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है।एक ओर जहां क,ख,ग लिखने के लिए ब्लैकबोर्ड तक नहीं पहुंचा है,ऐसे में सरकारी स्कूलों के सरकारी दावों की हकीकत की पोल खोलती जरूर दिख रही है प्राथमिक विद्यालय मोकिमपुर और मतेपुर की हालत !

  • गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्राया हिलसा का कोचिंग जोन, नशेड़ी-बदमाशो का अड्डा बना एसयू कॉलेज का खंडहरनुमा छात्रावास भवन

    हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा शहर के सूर्य मंदिर तालाब परिसर में लगातार दूसरे दिन बदमाशो ने फायरिंग किये जाने की घटना को अंजाम दिया। मंगलवार की सुबह गोलियों की गूंज सुनाई देने के साथ लोगो की नींद खुली। गोलियों की तड़तड़ाहट से कोचिंग जॉन बना मोहल्ला थर्रा उठा।

    गोलीबारी में भले किसी को हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन सुवह में कोचिंग पढ़ने बाले हजारों की संख्या में छात्र छात्राओं के साथ साथ मॉर्निंग वाक करने बाले लोगो के बीच भगदड़ मच गया। लोग अपनी जान बचाने के लिये इधर उधर भागकर छुपते नजर आए।

    गोली की आवाज सुन आसपास के कोचिंग क्लास में भी पढ़ाई की शोर थम गया।लोग कुछ समझ पाते कि बदमाश पिस्तौल से फायरिंग करते हुए भाग खड़ा हुआ।

    प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सूर्य मंदिर तालाब के उत्तर-पश्चिम कोने पर स्थित एसयू कॉलेज का खंडहरनुमा छात्रावास के पास बाइक लगाकर बदमाश खड़ा थे। कोई सिगरेट धुक रहा था तो कोई पिस्तौल चमका रहा था।

    सुबह के समय मॉर्निंग वॉक करने बाले बूढ़े, बच्चे जवान व महिलाएं के साथ साथ उक्त रास्ते से कोचिंग जाने बाले हजारों की संख्या में छात्र छात्राओं की भीड़ उक्त रास्ते से आ- जा रहा था। तभी बदमाशो ने अचानक ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे।

    गोली चलने के बाद लोगो के बीच अफरातफरी का माहौल बन गया लोग इधर उधर भागने लगे। गोलियों की आवाज़ सुनाई देने के साथ मोहल्ले के लोगो को नींद खुली। खिड़की से झांक कर देखा तो पढ़ने वाले बच्चे के साथ साथ आम लोग भाग रहे है।

    मोहल्ले के लोगो मे खौप इतना कि बाहर निकलने की हिम्मत नही जुटा पाया। फिर क्या बदमाश बाइक पर सवार होकर पिस्तौल लहराते व फायरिंग करते भाग खड़े हुए। गनीमत यह रहा कि गोलीबारी में किसी प्रकार की  हताहत नही हुआ।लोगो ने बताया कि बदमाशों ने करीब आठ राउंड फायरिंग किया है।

    लगातार दूसरे दिन बदमाशो ने किया गोलीबारीः मोहल्ला के लोगो ने बताया कि सूर्य मंदिर परिषर इन दिनों असमाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है। खासकर एसयू कॉलेज के खंडहरनुमा छात्रावास भवन गलत कार्य करने बालो का सेफ जॉन बन गया है, जहां से अपराध की योजना बनाने से लेकर नशीले पदार्थो की बिक्री की जाती है।

    इतना ही नही उक्त रास्ते से आने जाने वाले  लड़किया व महिलाएं सहमी हुई रहती है कब क्या कर बैठे यह कहना मुश्किल है। यहां पर मारपीट व गोलीबारी की घटना आम बात हो गई है।

    दो दिन पहले ही यहां पर एक युवक को बेरहमी से मारपीट करने के साथ साथ दहशत फैलाने के उद्देश्य से बदमाशो ने तीन राउंड हवाई फायरिंग किया गया था।चर्चा है कि उसी के प्रतिशोध में आज दूसरे गुट के द्वारा गोलीबारी की गई है।

    गोली की आवाज थाना तक गूंजी फिर भी घण्टो बाद पहुची पुलिसः थाना से पीछे महज सौ मीटर की दूरी पर घटनास्थल है। गोली चलने की आवाज थाना में गूंजी, फिर भी घण्टो बाद पुलिस पहुची तबतक बदमाश भाग खड़ा हुए थे।

    लोगो को इस बात का डर है कि जिस तरह से बदमाश बेखौफ हो गए है कही अनहोनी की घटना न कर दे चुकी सुवह से लेकर शाम तक छात्र छात्राओं की भारी भीड़ होती है।

    बदमाश लगातार मारपीट व फायरिंग की घटना को अंजाम दे रहा है उसके बाबजूद भी पुलिस प्रशासन कुछ नही कर पा रही है।

    पहले हो चुकी है कई बड़ी घटनाः सूर्य मंदिर परिसर के समीप पहले कई बड़ी घटना हो चुकी है फिर भी प्रशासन चौकना नही हो पाई है।

    बीते साल हिलसा व्यवहार न्यायलय के जज के वाहन पर पथराव व हमला, कोर्ट के एक लिपिक की गोली मारकर हत्या जैसे मोहल्ला में दर्जनों चोरी, डकैती, व लूट की घटना हो चुकी है। जज की गाड़ी पर पथराव व हमला के बाद कुछ दिनों तक पुलिस ने गस्ती बढ़ाई, फिर स्थिति जस की तस रह गयी।