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  • निकाय चुनाव टलने से चंडी में औंधे मुंह गिरे पड़े हैं प्रत्याशी – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    चंडी (नालंदा दर्पण)। बिहार में नगर निकाय चुनाव पर पटना हाईकोर्ट के आदेश बाद पहले चरण के मतदान के कुछ दिन पूर्व चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तिथि स्थगित कर दिए जाने के बाद चंडी नगर पंचायत के मुख्य पार्षद और उप पार्षद प्रत्याशी बुधवार से औंधें मुंह गिरे पड़े हैं।

    मतदान के ऐन वक्त चुनाव स्थगित किए जाने के बाद प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ने के साथ रातों की नींद उड़ गई है। प्रत्याशियों की मेहनत और सभी उम्मीदों पर पटना हाईकोर्ट और चुनाव आयोग ने  पानी फेर दिया है।

    प्रत्याशियों को समझ में नहीं आ रहा है कि वे हंसे या रोये।उन पर हार से ज्यादा तुषारापात दिख रहा है। प्रत्याशी कह रहे हैं कि वे हार जाते तो कुछ ज्यादा ग़म नहीं होता लेकिन इतना खर्च और मेहनत के बाद फिर से खर्च, परेशानी और मेहनत करना पड़ेगा। वैसे उम्मीदवार जिनकी हवा दिख रही थी, वे मायूस दिख रहे हैं। उनका अब क्या होगा।

    चंडी में पहली बार नगर पंचायत चुनाव को लेकर काफी उत्साह दिख रहा था। यहीं कारण था कि नगर पंचायत में जितने वार्ड नहीं है उससे ज्यादा मुख्य पार्षद उम्मीदवार खड़ा हो गये थे। वहीं हाल मुख्य उप पार्षद का रहा। चुनाव प्रचार भी इतना तेज रहा कि लोग कानफाड़ू लाउडस्पीकरों की आवाज से परेशान हो चुके थे। लेकिन बुधवार से सब की आवाजें थम सी गई है।

    वातावरण में एक अजीब से चुप्पी छाई हुई है। कल तक पूजा पंडालों के चक्कर लगा रहें प्रत्याशी नजर नहीं आ रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे करें तो क्या,एक तरफ दशहरा पूजा फीका रहा गया तो वही, दिपावली व छठ जैसे पर्व भी इनके लिए फीके पड़ते दिख रहें है।

    एक तरफ लोग धूमधाम से पर्व मना रहे हैं, वहीं प्रत्याशियो में अजीब खामोशी और उदासी की लहर है। जो प्रत्याशी सुबह से लेकर रात तक प्रचार प्रसार के लिए दिन रात एक कर दिए थे, वे हाईकोर्ट के आदेश बाद मायूस होकर घर में बैठे है।

    नगर पंचायत चंडी में बुधवार से प्रचार का शोर थम गया है। सुबह से लेकर देर शाम तक लाउडस्पीकरों की आवाजें और प्रत्याशी समर्थकों के नारे सुनाई पड़ते थे, प्रत्याशी गली गली घूमकर अपने चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव प्रचार कर रहें थे। वे भी काफी अनोखे ढंग से।

    एक मुख्य पार्षद उम्मीदवार जिनका चुनाव चिह्न टमटम था,वे एक आलीशान टमटम के साथ चुनाव प्रचार में लगें थें। लेकिन अब घोड़े की टाप सुनाई नहीं पड़ती। नल छाप वाले प्रत्याशी और उनके समर्थक काफी मायूस दिख रहें हैं,कल तक हर घर नल लगा देने का वादा कर रहें थे, उस नल से पानी की जगह आंसू टपक रहा है।

    एक अन्य उम्मीदवार जिनका चुनाव चिह्न चरखा था, नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से गली गली चुनाव प्रचार कर रहें थें,उनका चरखा बंद हो गया है। सिलाई मशीन वाले भी शांत पड़े हुए हैं। कुछ ऐसे प्रत्याशी के बारे में कहा जा रहा है कि वे जमीन गिरवी रखकर चुनाव मैदान में थे। लाखों खर्च कर चुके हैं। ऐसे में चुनाव टलने से उन प्रत्याशियों की नींद हराम हो गई है।

    चुनाव स्थगित होने के बाद नालंदा दर्पण ने कुछ प्रत्याशियों से बात करना चाहा लेकिन किसी ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। हालांकि उनके समर्थक कह रहें हैं कि सारा दोष राज्य सरकार का है। उन्हें अपने प्रत्याशी से ज़्यादा दुख है चुनाव रद्द होने का।

    एक प्रत्याशी ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर बात की उनका कहना है कि राज्य सरकार के गलतियो का खामियाजा आज प्रत्याशियो को भुगतना पड़ रहा है। बिना जातीय जनगणना के ही चुनाव की घोषणा कर दी। जब जातीय जनगणना नहीं की तो आरक्षित सीट कैसे कर दिया। सरकार की गलती से आज सभी प्रत्याशी मानसिक रूप से प्रताड़ित है। प्रत्याशियो से लेकर कार्यकर्ता और वोटर भी मायूस है।

    वोटरों ने लगभग अपने अपने पसंद का उम्मीदवारो को भी मन ही मन चयन कर लिया था। चुनाव स्थगित होने से वोटर भी मायूस जरूर है, लेकिन उन वोटरों में खुशी ज्यादा देखी जा रही है, जिन्हें चुनाव एक पर्व नजर आता है।

  • मुख्य पार्षद उम्मीदवार धनंजय कुमार का जनसंपर्क अभियान में मिल रहा जनसमर्थन – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    चंडी (नालंदा दर्पण)। चंडी में पहली बार हो रही नगर पंचायत चुनाव में मुख्य पार्षद पद के उम्मीदवार के रूप में पूर्व जिला परिषद सदस्य  प्रतिनिधि रहे धनंजय कुमार चुनाव मैदान में हैं।

    उनके समर्थन में जहां युवाओं की टोली है, वहीं समाज के सभी वर्गों के लोगों का जनसमर्थन मिलता दिख रहा है। अपने नामांकन में ताकत तो उन्होंने दिखाई ही थी, जिस वार्ड में जाते हैं, लोग उन्हें देखने के लिए दौड़ पड़ते हैं।

    चूंकि धनंजय कुमार चंडी शिक्षक कालोनी के निवासी हैं। सामाजिक कार्यों में वे शुरू से ही जुड़े रहें हैं।

    उन्होंने प्रखंड के कई गांवों में कंबल वितरण, स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर चुके हैं। क्षेत्र की जनता के सुख दुख में हमेशा तत्पर रहते हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन्होंने अपने स्तर से क्षेत्र के सैकड़ों लोगों का भला किया है।

    धनंजय कुमार ने बताया कि वें सभी वार्डों में भ्रमण कर चुके हैं। लोगों के बुलावे पर ही मैं मुख्य पार्षद पद के लिए चुनाव मैदान में आया हूं।

    योगिया गांव के लोगों ने बताया कि धनंजय कुमार सरल ,सादगी के प्रतीक हैं, मिलनसार है। समय पर काम आते हैं।

    दस्तूर पर के एक ग्रामीण ने कहा कि धनंजय बौआ के तो हम उनकर बचपने से पहचानते आ रहें हैं,उनकर बाबूजी भी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं।

    इसी गांव के सुधीर कुमार ने बताया कि धनंजय कुमार हमारे अभिन्न मित्र हैं,हम उनके सामाजिक कार्यों में साथ रहें हैं। दलित बस्तियों में लोग उन्हें ईश्वर की तरह देखते हैं।

    चंडी बाजार के प्रफुल्लचंद्र, प्रभाषचंद, कृष्णा प्रसाद,सनोज कुमार,चंद्रमणि प्रसाद,प्रमोद कुमार, मनोज कुमार सहित कई लोगों ने कहा कि चंडी का मुख्य पार्षद धनंजय कुमार को ही होना चाहिए। हमसब उनके समर्थन में हैं। वैसे और भी उम्मीदवार हैं लेकिन उनकी पृष्ठभूमि ठीक नहीं है। परिपक्वता नहीं है।

    मुख्य पार्षद उम्मीदवार धनंजय कुमार के समर्थन में युवाओं, बुद्धिजीवी, समाजसेवी, बुजुर्गों की अलग अलग टोली अन्य जगहों पर जाकर चुनाव प्रचार में लगीं हुई है। जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है।

  • रेत की आंधी में दफन हो रहीं है जिंदगी, प्रशासन बेखबर, 24 घंटे में पूर्व मुखिया के पुत्र सहित दो की मौत – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    चंडी (नालंदा दर्पण)। चंडी थाना क्षेत्र के एन एच 431 धर्मपुर गांव की सीमा में घुसते हुए आपको आधा किलोमीटर की दूरी में आजकल रेत की आंधी चल रही है। यह रेत की आंधी कोई प्राकृतिक नहीं बल्कि मानवजनित है। इस रेत की आंधी में एन एच पर चलना आजकल काफी सफर हो गया है, खासकर बाइक सवारों के लिए। रेत की धूल और आंधी की वजह से जहां चलना मुश्किल हो रहा है। यहां रेत का अवैध कारोबार भी चल रहा है। वहीं धर्मपुर में जिंदगियां सड़क हादसे का शिकार हो रही है इस रेत की आंधी ने अब तक आधा दर्जन लोगों को‌‌ पिछले कुछ माह में लील चुका है।

    सोमवार को धर्मपुर धर्मकांटा के पास हुए हादसे में पूर्व मुखिया यदुनंदन प्रसाद के पुत्र मिथलेश कुमार की मौत हो गई।

    चंडी थाना के एनएच 431 के धरमपुर गांव के धर्म कांटा के पास पिकअप गाड़ी ने विपरीत दिशा से आ रही बाइक में  जबरदस्त टक्कर मार दी। बाइक सवार महकार विगहा निवासी स्वर्गीय यदुनंदन प्रसाद के 40 वर्षीय पुत्र मिथलेश कुमार की मौत हो गई।

    घटना के संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि मृतक मिथलेश कुमार अपने घर महकार विगहा से चंडी जा रहा था कि धरमपुर के धर्म कांटा के पास विरीत दिशा माधोपुर की ओर से तेज़ रफ़्तार से आ रही पिकअप गाड़ी ने सामने से बाइक में जबरदस्त टक्कर मारते हुए फरार हो गया। इतना जबरदस्त टक्कर मारा था कि पल्सर गाड़ी बर्बाद हो गया। दुर्घटना के बाद ग्रामीण के सहयोग से मृतक को रेफरल अस्पताल लाया गया तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

    घटना की खबर सुनते ही महकार पंचायत के मुखिया अजय कुमार सिन्हा उर्फ मुन्ना, हसनी पंच्यायत के मुखिया वीरू सहित ग्रामीण रेफरल अस्पताल पहुंच चुके थे वही परिवार के रोने की चीत्कार से अस्पताल परिसर गमगीन हो गया था वही मृतक की पत्नी रिंकू कुमारी का रो रोकर बुरा हाल था।

    थानाध्यक्ष अभय कुमार ने कहा कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बिहार शरीफ भेज दिया गया है।रविवार को भी धर्मपुर के पास एक मवेशी व्यवसायी की मौत एक डंपर की चपेट में होने से हो गई थी।

    ग्रामीणों का कहना है कि धर्मपुर धर्मकांटा में बाहर से रेत भरी ट्रक वजन के लिए आता है। जहां तहां रेत फैला हुआ है। कुछ दिन पूर्व चंडी थानाध्यक्ष अभय कुमार ने लोगों को डांट डपट किया तब जाकर कहीं कहीं से रेत उठाया गया। लेकिन अब भी रेत जगह -जगह भरा पड़ा हुआ है।

    बाइक सवारों का चलना मुश्किल हो रहा है। धूल की आंधी की वजह से सामने से कुछ नहीं दिखता है। ऐसे स्थिति में दुर्घटनाएं तेज हो गई है। दूसरी तरफ बख्तियारपुर-रजौली मार्ग निर्माण की वजह से ज्यादातर ट्रक इसी बरास्ते जा रही है।जिससे स्थिति और भी दुर्घनाजनक बनी हुई है।

  • नगर पंचायत चुनाव: चंडी लैंड करने लगे हैं अध्यक्ष पद के दावेदार, बरसाती मेंढक छाप भी खुश – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    चंडी (नालंदा दर्पण)। बिहार में नगरपालिका चुनाव की अधिघोषणा के साथ ही चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। नगरपालिका चुनाव लड़ने को इच्छुक उम्मीदवार अब सीधे मैदान में आ गए हैं। इस बार बिहार में दो चरणों में नगर निकाय के चुनाव कराए जाएंगे। पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर को होना है जिसके लिए अधिसूचना सोमवार को जारी हो जाएगी।

    चंडी प्रखंड का चंडी में पहली बार निकाय चुनाव होने जा रहा है। जिसे लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। हालांकि यह सरगर्मी एक साल पहले से ही थी, लेकिन चुनाव को उहापोह को लेकर प्रत्याशी थोड़े उदासीन थे। लेकिन जैसे ही नगरपालिका चुनाव की घोषणा हुई अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवार चंडी लैंड करने लगे हैं।

    ऐसे में उनके साथ रहने वाले बरसाती मेंढक भी खुश दिख रहें हैं।अपने अपने समर्थकों के समर्थन में आ गए हैं। यहां वार्ड सदस्य से ज्यादा अध्यक्ष के चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों में उत्साह है। अबतक दर्जन भर चेहरे उभर कर सामने आया है।

    ऐसे में लोगों का कहना है कि चंडी नगर पंचायत में जितनी गलियां नहीं है, उससे ज्यादा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में उतरने वालों की संख्या सोशल मीडिया से भरी पड़ीं है। जिन्हें समाजसेवी का ‘स’ नहीं पता वो भी उम्मीदवार घोषित किए घूम रहे हैं। जिन्होंने कभी अपने पड़ोसी तक कि मदद नहीं की है वे भी बड़का समाजसेवी होने का दंभ भर रहे है।

    चंडी नगर पंचायत चुनाव भले ही अगले महीने होंगे लेकिन पिछले दशहरा-दीपावली से नगर पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार सोशल मीडिया पर छाये हुए हैं। लोगों को नववर्ष, 26 जनवरी, सरस्वती पूजा और आनेवाली होली की शुभकामनाएं दे रहे हैं।

    सिर्फ इतना ही नहीं अपने आप को सबसे बड़ा स्वघोषित ‘समाजसेवी’ का तमगा तक दें रहें हैं। ‘हम हैं बड़े समाजसेवी’ की होड़ मची हुई है। समाजसेवी होने का चोला ओढ़कर चुनाव मैदान में आने का ऐलान कर रहे हैं।

    वैसे देखा जाए तो पंचायत चुनाव हो या विधानसभा, लोकसभा का चुनाव छुटभैय्ए नेताओं की बाढ़ आ ही जाती है।

    छुटभैय्ए नेता और समाज सेवक इंसानो की यह वह नस्ल है,जो हर गली,नुक्कड,चौराहे पर आपको आसानी से घूमती नजर आ जाएगी। कभी किसी चाय की टपरी पर तो कभी पान की दुकान  पर झक्कास  सफ़ेद कुर्ते मे खडे हुए नजर आ जाता है। ये शहर मे भी मिलते हैं और गांव में भी पाए जाते हैं। ये हर जगह उपलब्ध होते हैं।

    जैसे ही कोई चुनाव नजदीक आता है ,लोगो को कहना शुरु कर देते हैं कि चुनाव लड़ने के जरा भी इच्छुक नही है,अब भले ही अंदर से चुनाव लड़ने की इच्छा जोर मार रही हो, ऐसा कहने से लोगो मे जिज्ञासा पैदा होती है। फिर धीरे से,पीछे से अपने चमचों को सोशल मीडिया पर अपनी मुनादी करवाने के लिए तैयार कर लेते हैं कि आप भावी पार्षद है।ऐसे में छुटभैय्ए नेताओं की  अपनी बात भी रह जाती है और बेइज्जती भी नही होती। इलाके में उनकी भौकाल तो बन ही जाता है।

    कुछ ऐसे भी समाजसेवी है जो पुलिस स्टेशनों,सरकारी दफ्तरों मे अपने आस पास के लोगो का काम करवाते रहते हैं। लोग भले इन से  खुश रहें, मगर पीछे से अपना कमीशन लेना वाला ही असली समाजसेवी कहलाता है। आखिर समाज सेवकी और नेतागिरी भी तो चमकानी है, बिना कमीशन के पैसो के काम कैसे चलेगा भला ?

    अगर काम नहीं भी कर सके तो कोई बात नहीं है, बस बंदर की तरह इधर उधर उछलते- कूदते रहते हैं ताकि लोगो को लगे कि समाजसेवी लोग काम करने की कोशिश मे लगे है।

    चंडी नगर पंचायत में चुनाव लड़ने वाले कुछ लोगों पर तुषारापात भी हो रहा है। उनकी इच्छा पर निर्वाचन आयोग ने पानी फेर दिया है। पहले से चुनाव लड़ने का मंसूबा पाल‌ रखें, उम्मीदवार अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

    इसका कारण है कि निकाय चुनाव में पहले से दो बच्चों की नीति लागू है।चाहे वह महिला उम्मीदवार हो या फिर पुरुष जिन्हें दो से अधिक बच्चे हैं, ऐसे में वे चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।ऐसे में पहले से चुनाव की तैयारी कर रहे, कुछ भावी उम्मीदवार से उनके सिर से अब समाजसेवा का भूत पूरी तरह उतर गया है। ऐसे लोगों में कुछ पंचायत चुनाव में हार चुके उम्मीदवार भी थे।

    चंडी नगर पंचायत में कुल 11 वार्ड हैं जिनमें वार्ड संख्या एक पिछड़ा वर्ग महिला, वार्ड दो, अनारक्षित महिला, वार्ड तीन अनुसूचित जाति महिला,वार्ड चार पिछड़ा वर्ग अन्य, वार्ड पांच, अनारक्षित महिला, वार्ड छह, अनारक्षित अन्य, वार्ड सात अनारक्षित महिला, वार्ड आठ अनारक्षित अन्य,वार्ड नौ अनुसूचित जाति अन्य,वार्ड दस अनारक्षित अन्य तथा वार्ड ग्यारह को अनुसूचित जाति अन्य के लिए घोषित किया गया है।

    ऐसे में जहां संभावित प्रत्याशी की दाल नहीं गल रही है, वे अपने खास को चुनाव मैदान में उतारने की जुगत भिड़ा रहें हैं।

    चंडी नगर पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित रखा गया है, जिस वजह से बड़ी संख्या में उम्मीदवार अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। ऐसे में चुनाव पर धनबल प्रभावी रहेगा। जो जितना वोटरों को अपने पक्ष में करेगा जीत उसकी सुनिश्चित होगी। कहीं-कहीं अभी से ही संभावित उम्मीदवारों से मंदिर निर्माण कराने की कसमें खिलाई जा रही है।

  • नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज में नकल करने से रोका तो यूं गुंडागर्दी पर उतरे विम्स पावापुरी के मेडिकल छात्र

    बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। चंडी स्थित नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज में विम्स पावापुरी के छात्रों की चल रही परीक्षा नुराकुश्ती में बदल गई। नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज अचानक रणक्षेत्र में बदल गया।There was a lot of kicking and fighting between engineering and medical students in Nalanda Engineering College campus 1

    छात्रों ने परीक्षा देने के बजाए कालेज में जमकर उत्पात मचाया। मेडिकल और इंजीनियरिंग छात्रों के भिड़ंत से परिसर में भगदड़ सी मच गई।

    बताया जाता है कि नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज में विम्स पावापुरी के छात्रों का थर्ड ईयर का प्रोफेशनल परीक्षा चल रही है। पावापुरी के छात्र परीक्षा में नकल करना चाह रहे थे, लेकिन इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राध्यापकों की सख्ती की वजह से उनकी दाल नहीं गल पा रही थी।

    छात्र परीक्षा में नकल से बाज नहीं आ रहे थे। प्राध्यापक उन्हें रोक रहे थे। इसी बीच छात्र उन्हें उतंडता से पेश आने लगे।

    There was a lot of kicking and fighting between engineering and medical students in Nalanda Engineering College campusयह देखकर नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र अपने शिक्षकों के बचाव में आकर छात्रों की हरकत का विरोध करने लगे। इससे विम्स के छात्र आग बबूला हो उठे और स्थानीय छात्रों से भिड़ गए।

    फिर क्या था। देखते ही दोनों पक्षों में कहासुनी होते मामला मारपीट पर आ गई। दोनों ओर से छात्र भिड़ गए। कुछ देर पहले जहां कालेज में परीक्षा चल रही थी वह कालेज परिसर छात्रों का अखाड़ा बन चुका था। छात्र इधर उधर भागने लगे।

    घटना की सूचना पाकर चंडी पुलिस पहुंची। थानाध्यक्ष अभय कुमार ने विम्स के छात्रों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि वे सभी कालेज परिसर से निकल जाएं, नहीं तो उनपर कार्रवाई की जाएगी।

    पुलिस की भारी बल और चेतावनी को देखते हुए छात्र कालेज परिसर से निकल गये। फिलहाल पुलिस के हस्तक्षेप से मामला निपट गया है।