Category: छठ पुजा

  • उदीयमान भगवान भास्कर को व्रतियो ने दिया अर्घ्य,चार दिवसीय छठ पूजा संपन्न

    बिहारशरीफ : लोक गीतों और उगते हुए सूर्य की रौशनी के बीच सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान भाष्कर भगवान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ वर्त संपन्न हो गया।
    साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा व वरीय सदस्य सरदार वीर सिंह, शिक्षाविद भारत मानस, डॉ शौरभ शंकर पटेल एवं महेन्द्र कुमार यादव इत्यादि सदस्यों के साथ मोरा तालाब के छठ घाट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया तथा जिले एवं राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की। मोरा तालाब के छठ घाट पर आज सामापन हो गया। आज घाट पर छठ की अद्भुत छठा बिखरी हुई नजर आई। लोकआस्था के इस महापर्व पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा नजर आया। व्रतियों ने उदयगामी (उगते हुए) सूर्य को तालाब में खड़े होकर अर्घ्य दिया।
    छठ घाटों पर सुबह से ही लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया था। जैसे ही भगवान भास्कर ने दर्शन दिए व्रतियों ने अर्घ्य के साथ भगवान से सुख शांति और समृद्धि का आशीर्वाद लिया। जिले में उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक छठ का अद्भुत रंग नजर आया। जिले में गांव से लेकर शहर तक के नदियों, तालाबो, आहर, पोखर और पइन के किनारे बने छठ घाटों पर छठ पर्व को लेकर उमड़ने वाली भारी भीड़ देखी गई।

    जिले के सभी घाटों पर व्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया

    छठ पूजा के लिए औंगारी धाम, बडगांव सूर्य मंदिर, सोहसराय सूर्य मंदिर तथा कोसुत नदी से लेकर मोरा तालाब और साथ ही साथ नालंदा जिले के सभी छठ घाटों पर काफी संख्या में व्रती और श्रद्धालुओं ने सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। इस दौरान प्रशासन और स्थानीय पूजा समितियों द्वारा श्रद्धालुओ की सुविधा के लिए व्यापक बंदोबस्त किए गये थे। रौशनी से नहाए घाट के हर जगह व्रतियों ने पूरी श्रद्धाभाव के साथ पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया और छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत भी मांगी। इस के साथ छठ पूजा आज सम्पन्न हुई।

    शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ था छठ पर्व

    छठ की शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हुई थी। शनिवार को खरना हुआ। पर्व के तीसरे दिन रविवार व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया था और चौथे दिन यानी सोमवार उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया, जिसके बाद प्रसाद वितरण भी हुआ। इन सबके बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं।

    छठ पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठ मैया की उपासना का है महत्व

    बेहद पवित्र माने जाने वाले छठ पर्व पर सूर्यदेव और उनकी बहन छठ मैया की उपासना का बहुत महत्व है। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत पूर्ण हो जाता है। ये व्रत परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।

  • चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठपूजा का समापन

    उगते हुए सूर्य को अर्घ देते के साथी नालंदा जिले में चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठपूजा का समापन हो गया। इस छठपूजा के मौके पर राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता देवीलाल यादव के द्वारा कोसुक़ छठघाट पर मुफ्त चाय वितरण का स्टॉल लगाया गया। यह चाय का मुफ्त स्टॉल छठवर्तियों को ध्यान में रखते हुए लगाया गया था इस मुफ्त चाय की स्टाल पर खुद राजद नेता देवीलाल यादव छठव्रतियों एवं श्रद्धालुओं के बीच चाय का वितरण करते हुए दिखे। इस मौके पर राजद नेता देवी लाल यादव ने कहा कि छठपूजा लोक आस्था का महापर्व है। इसीलिए हर किसी को छठर्तियों के लिए कुछ ना कुछ सामाजिक कार्य करना चाहिए। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि नालंदा जिला का कोसुक छ्ठघाट में पहली बार गंगा उद्गम योजना के तहत गंगा का पानी लाया गया है। पहली बार कोसुक़ छठघाट में छठ व्रतियों ने गंगाजल में अर्ध्य दिया। यह कठिन कार्य सिर्फ और सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही संभव कर दिखाया है। जिन्होंने मोकामा मराचि से होते हुए गंगाजल को राजगीर में लाने का काम किया। राजद नेता देवीलाल यादव ने कहा कि आने वाले वक्त में यह कोसुक़ छठघाट ओगारी बड़गांव छठघाट की तरह काफी प्रसिद्ध होगा क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा घोड़ा कटोरा से गंगाजल को कोसुक़ छठ घाट में लाने का काम किया। इस मौके पर कई सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजद कार्यकर्ताओं ने भी अपना अहम योगदान दिया

     

  • राजू दानवीर ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देकर किया प्रणाम

    नालंदा जिला के रहुई प्रखंड क्षेत्र के मोरा तालाब में : जन अधिकार युवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष राजू दानवीर ने छठ घाट पर जाकर महापर्व छठ के अवसर पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ दिया। इस मौके पर उन्होंने छठ व्रतियों से भी मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लोक आस्था, प्रकृति प्रेम, पवित्रता और सूर्य उपासना के महापर्व छठ पर मेरी तरफ से आप सभी माता-बहनों और सम्पूर्ण बिहार वासियों को मंगल कामना देता हूं। छठी मइया की कृपा से हमारे प्रदेश में सबके जीवन में सुख और खुशहाली बनी रहे। छठी मइया की कृपा से लोक आस्था का यह महापर्व संपूर्ण सृष्टि के लिए सुख-समृद्धि तथा आरोग्यता का कारक बने, यही कामना है।

    वहीं, पत्रकारों से एक सवाल के जवाब में राजू दानवीर ने कहा कि हमारे नेता ने स्पष्ट कह दिया है कि भाजपा के लोगों ने झूठे वादे कर प्रदेश की जनता को ठगने का काम किया है। झूठे चुनावी वादे करने वाली भाजपा उपचुनाव में अगर कहती है कि वे कुछ देंगे कुछ करेंगे, तो ये सरासर झूठ है। हमारे नेता श्री पप्पू यादव जी ने साफ कहा है कि हमारा समर्थन प्रदेश हित में है। उन्होंने कहा कि उप चुनाव कहीं न कहीं देश को बड़ा संदेश देगा। भाजपा ने हर बार झूठे वादे से लोगों को गुहमराह करने का काम किया। जनता इस बात को बखूबी समझती है, इसलिए इस चुनाव का परिणाम भाजपा के खिलाफ आएगा और उनकी करारी हार होगी।

  • छठ के तीसरे दिन रविवार को छठव्रती अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया

    सूर्योपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन रविवार को छठव्रती अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। अपने परिवार के सुख शांति एवं समृद्धि के लिए छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया। सोमवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य के बाद व्रती हवन और पारण करने के बाद चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाएगा।

    इस महापर्व को लेकर बिहार शरीफ शहर के सभी छठघाट को पूरी तरह से सजाया गया। छठ पूजा को लेकर कौसुक मोरा तालाब बड़गांव औगारी मंगराही छठघाट की साफ सफाई भी किया गया। ईस बार छठ व्रतियों के लिए छठ घाट पर चेंजिंग रूम भी बनाया गया है एवं सभी छात्र घाट पर सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से नाव और गोताखोरों की व्यवस्था की गई है। नालंदा जिला अधिकारी एवं नालंदा पुलिस कप्तान खुद छठपूजा को लेकर पूरी तरह से नजर बनाए हुए हैं।

  • चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है।

    चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है। शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद अगले दिन को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प पूरा होगा।

    छठ पर्व के मद्देनजर शहर व आसपास के विभिन्न इलाकों के छठ घाटों पर विशेष व्यवस्था की गई है। साफ-सफाई के साथ घाट रोशनी से जगमगा उठे हैं। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन चौकस है। प्रमुख घाटों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी से नजर रखी जाएगी। छठ के प्रमुख घाटों पर सुरक्षा के लिए जवानों की तैनाती थानावार की गई है, जो घाट पर सुरक्षा के अलावा वहां जाने वाले रास्तों पर ट्रैफिक व विधि व्यवस्था को दुरुस्त रखेंगे। घाटों पर भ्रमणशील पुलिस अधिकारी वायरलेस सेट के साथ रहेंगे, जो समय-समय पर पर खैरियत रिपोर्ट पेश करते रहेंगे। शहर के प्रत्येक प्रमुख प्वाइंट पर मजिस्ट्रेट के अलावा पुलिस अधिकारी एव जवान तैनात रहेंगे।

    छठ का त्योहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा और उपासना का त्योहार है। इसमें व्रत रखने वाला व्यक्ति 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखता है और अपनी संतान की लंबी आयु और अरोग्यता के लिए छठी माता से आशीर्वाद प्राप्त करता है।

  • बड़गांव छठ महोत्सव में कविता और लोक संगीत कार्यक्रम को लोगों ने सराहा।

    महापर्व छठ के पहले दिन नहाय-खाय की शाम ऐतिहासिक सूर्य नगरी के बड़गांव में “बड़गांव छठ महोत्सव” में कविता और लोक संगीत का अर्घ्य दिया गया। सूर्यनारायण जगृति मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों के शब्द जब लोक आस्था से जुड़े तो महोत्सव का रंग और गाढ़ा हो गया। शुक्रवार की शाम की शुरुआत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से हुई जिसमें देश भर के ख्यातिलब्ध कवि व बिहार के युवा कवियों ने अपनी कविताओं से अमिट छाप छोड़ी। इसके बाद फोक स्टार ऑफ इंडिया प्रसिद्ध लोक गायक सत्येंद्र संगीत व उनकी टीम के लोकसंगीत ने छठ की शाम को सुरों से सजा दिया।

    महोत्सव का रंग ऐसा सजा कि देर रात तक दर्शकों की तालियां गूंजती रहीं।
    कवियों और कलाकारों को श्री काली साह ऑनलाइन सिलाव का खाजा, अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह से नालंदा अंतररष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी श्वेता शाही व सूर्यसेवकों द्वारा किया गया। मंच का संचालन राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष प्रभाकर कुमार राय के किया जबकि कवि सम्मेलन कम मंच का संचालन प्रशांत बजरंगी ने किया।

    कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए मंच के अध्यक्ष अखिलेश कुमार ने मंच की रूपरेखा और आगे के कार्यक्रम व उद्देश्य की चर्चा की। धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री पंकज कुमार ने किया। इस अवसर पर बबलू सिंह, संजीव गुप्ता, संजय सिंह, बिपिन कुमार, अभय कुमार, कृष्णकांत कश्यप, प्रेस सागर पासवान सहित अन्य सक्रिय सदस्यों की अहम भूमिका रही।

    बैठक में समाजसेवी बबलू सिंह, संजीव गुप्ता, संजय सिंह, बिपिन कुमार, अभय कुमार, कृष्णकांत कश्यप, प्रेस सागर पासवान सहित अन्य सक्रिय सदस्यों की उपस्थिति थी।

    बड़गांव छठ महोत्सव में कविता और लोक संगीत कार्यक्रम को लोगों ने सराहा।  बड़गांव छठ महोत्सव में कविता और लोक संगीत कार्यक्रम को लोगों ने सराहा।

    संस्कृति कार्यक्रम में सत्येंद्र संगीत का चला जादू
    सुगवा के पात पर उग हो सुरुज देव…… मरबऊ से सुगबा धनुष से…. के पारम्पारिक लोक गीत के साथ मधुर संगीत ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा। नालंदा की दीपिका कुमारी द्वारा माँ छठ की समर्पित गीत से प्रारंभ हुआ संस्कृति कार्यक्रम में जब सत्येंद्र संगीत की मंच पर प्रस्तुति हुई तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। युवा गायक सागर सम्राट ने भी शानदार भक्ति गीतों से श्रद्धालुओं को झुमाया।

    अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कविताओं पर खूब बजी तालियाँ-

    पटियाला से आये प्रसिद्ध ओज कवि दिनेश देवघरिया ने जब पंक्तियाँ पढ़ी
    सिंह नहीं डरा करते हैं, कभी खून की होली से
    हम बम भोले करने वाले, क्या डरना बम गोली से ।

    काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्र प्रशांत बजरंगी के पढ़ा-
    रावण का जो दंभ हरे मैं उस दर्पण का दासी हूँ
    रग में जिसके राम बहें मैं उस भारत का वासी हूँ

    नालंदा के युवा कवि संजीव मुकेश ने पढ़ा-
    अलंगों, आरिओं, पगडंडियों सा
    गांव का लड़का
    शहर के चौक, ऊँचे मंज़िलों सा
    गांव का लड़का
    जो नासा, इसरो, गूगल सहित मेटा को भी भाये
    वो दिल से है अभी भी मंडियों सा
    गांव का लड़का

    पटना से आए कुमार रजत ने पढ़ा,
    ये छठ ज़रूरी है..
    धर्म के लिए नहीं, समाज के लिए।
    हम आप के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं।
    ये छठ ज़रूरी है…
    उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है।
    उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं।
    उस परिवार के लिए जो टुकड़ों में बंट गया है।

    पटना से आए चंदन द्विवेदी ने पढ़ा,
    ठेकुआ, सुथनी और मखाना अच्छा लगता है
    भोर की सिहरन, घाट सजाना अच्छा लगता है
    गमछा हाथे दउरा माथे सारा तीरथ छठी घाट
    हर छठ में हठकर घर आना अच्छा लगता है

    दरभंगा के का कवयित्री अल्पना आनंद ने शानदार पंक्तियाँ पड़ी
    झूठ आडंबर भरे संसार में सत्य की जयकार मेरे राम हैं।
    जो रचयिता से मनुजता को मिला श्रेष्ठतम उपहार मेरे राम हैं।

  • बड़गांव सूर्य मंदिर देश की धरोहर एवं अनूठी विरासत है

    राकेश बिहारी शर्मा – भारतवर्ष पर्व-त्यौहारों की एक लम्बी एवं समृद्ध श्रृंख्ला वाला देश है। साल भर देश के अलग-अलग हिस्सों में भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मो एवं संप्रदाय के लोगों द्वारा उनके पर्व त्यौहारों को काफी हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है। बिहार का महापर्व ‘छठ’ ऐसा ही एक पर्व है। गौतम और महावीर की धरती से शुरू हुआ लोक आस्था का यह महापर्व विशेष रूप से भगवान सूर्य को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि सृषिट के सुचारू रूप से चलाने में उनके योगदान के लिए धन्यवाद स्वरूप प्राचीन काल से ही बिहार की धरती पर इसे मनाया जाता है। इस तालाब के विषय में यह भी मान्यता है कि यहां स्नान करने से सफेद दाग की बीमारी सहित अनेक प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते है। वही तालाब के किनारे पर कई छोटे-बड़े मंदिर है। बदलते समय-काल के साथ इस महापर्व की महिमा देश विदेश में फैल चुकी है। भारत का शायद ही कोर्इ ऐसा कोना बचा हो जो इससे अछूता हो। गौरतलब है कि, भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल के तरार्इ क्षेत्र में भी बड़ी आस्था के साथ ‘छठ’ मनाया जाता है। ऐसे में बिहार के बडगांव स्थित प्राचीन “बड़गांव सूर्य मंदिर” के बारे में जाने बिना ‘छठ’ पर्व का ज्ञान अधूरा सा है। विदित है कि “बड़गांव सूर्य मंदिर” भारत का एक ऐसा सूर्य मंदिर है जहां एक साथ लाखों लोग हर वर्ष ‘छठ’ पर्व मनाते है। यह परंपरा सदियों से यहां निभार्इ जा रही है। “बड़गांव सूर्य मंदिर” बिहारशरीफ से 15.2 किलोमिटर तथा पटना से 87.6 किलोमिटर की दुरी पर है। ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के साथ-साथ प्रसिद्ध मान्यताओं के कारण यहां छठ व्रत करने बिहार के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि पूरे देश से लोग यहां आते हैं और काफी परेशानियों को सहकर भी सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत करते हैं।
    वर्तमान में पौराणिक सूर्य तालाब जमींदोज हो गया है। ऐसी मान्यता है कि उसी तालाब के ऊपर एक विशाल तालाब वर्तमान में मौजूद है। चीनी यात्री ह्वेनसांग की डायरी में इस सूर्यपीठ का वर्णन मिलता है। डायरी के अनुसार यहां सूर्य उपासक इस तालाब में स्नान और अर्घ्यदान करते थे। इस तालाब के उत्तर-पूर्व होने पर पत्थर की एक मंदिर हुआ करती थी। मंदिर में भगवान सूर्य की भव्य प्रतिमा थी। इस मंदिर का निर्माण पाल राजा नारायण पाल ने 10 वीं सदी में कराया था। वर्तमान में वह मंदिर अस्तित्व में नहीं है। 1934 ई. के भूकंप में वह मंदिर ध्वस्त हो गया था। दूसरे स्थान पर इस सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। इस मंदिर में पुरानी मंदिर की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। यहां स्थापित सभी प्रतिमाएं पाल कालीन बताई जाती है। शायद छठ ही एक ऐसी पूजा और व्रत है, जिसमें ब्राह्मण की कोई जरूरत नहीं होती है। इस व्रत में जजमान ही स्वयं ब्राह्मण होते हैं। यह पूजन कोई पंडित द्वारा नहीं कराया जाता है। बल्कि सूर्य उपासक स्वयं करते हैं। ईश्वर और आस्था के बीच सीधे संवाद का यह व्रत माना जाता है। इस पर्व में जीवनदायिनी की आराधना की जाती है। चाहे वह जल की हो या सूर्य या फल के रूप में वनस्पतियों की। महापर्व छठ साल में दो बार यानी कार्तिक और चैत्र माह में होता है, जिसमें लोग भगवान भास्कर की पूजा करते हैं। छठ पर्व के मौके पर यहां लाखों लोग भगवान भास्कर की अराधना के लिए आते हैं। छठ पूजा के दिन माता छठी की पूजा की जाती है। जिन्हें छठी मैयां कहते है। शास्त्रों के अनुसार छठी मैयां को सूर्य भगवान के बहन कहा गया है। इसलिए इस दिन सूर्य भगवान के पूजा का काफी महत्त्व है। सूर्य भगवान के कारण ही इस जगत पर जीवन है। मार्कण्डय पुराण में सृष्टि के अधिष्ठात्री देवी प्रकृति ने खुद को छः भागों में बांटा हुआ है और इसके छठे अंश को मातृ देवी के रूप में पूजा जाता है जो भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री है। बच्चे के जन्म के छठवें दिन बाद भी छठी मैया की पूजा की जाती है और उनसे प्रार्थना की जाती है की वो बच्चे को स्वस्थ, सफलता और दीर्घ आयु का वरदान दें।

    बड़गांव सूर्य मंदिर देश की धरोहर एवं अनूठी विरासत है

    चार दिविसीय छठ महापर्व का आयोजन

    छठ पर्व वर्ष भर में दो बार कार्तिक छठ पर्व और चैती छठ पर्व, दोनों माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। पहले दिन शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की साफ सफाई कर स्वच्छ व पवित्र बनाया जाता है। इसके बाद छठव्रति नदी तालाब या कुआं के जल मे स्नान कर पवित्र तरीके से कदू, चने की दाल और अरवा चावल का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाने के बाद व्रती को प्रसाद ग्रहण करने के बाद अन्य लोगों को प्रसाद खिलाया जाता है। दूसरे दिन शुक्ल पक्ष पंचवी को व्रति दिनभर उपवास रहकर मीठा चावल, घी चुपड़ी रोटी और चावल का पीठा बनाकर शाम को भगवान भास्कर को भोग लगाकर व्रती भोजन प्रसाद ग्रहण करती हैं उसके बाद लोगों को लोहंडा का प्रसाद ग्रहण करवाया जाता है। इस दिन नमक या चीनी का प्रयोग नही किया जाता है। इसी समय के बाद व्रती लोग क 36 घंटे का निर्जल उपवास व्रत शुरू हो जाता है। तीसरे दिन शुक्ल पक्ष षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते है। इसके अलावा प्रसाद के रूप में फल भी चढ़ाया जाता है। बांस की टोकरी में प्रसाद सजाकर अर्ध्य का सूप सजाया जाता है। व्रती लोग सपरिवार के साथ अस्ताचल गामी सूर्य भगवान को विधिवत पूजा करते हुए जल और दूध के अर्ध्य देती है। चौथे दिन शुक्ल पक्ष सप्तमी को सुबह उगते उदयाचल सूर्य को व्रती लोग सपरिवार पुनः सूर्य भगवान को विधिवत पूजा करते हुए जल और दूध के अर्ध्य देती है। खरना के बाद शुरू हुआ व्रतियों का 36 घंटों का निर्जला उपवास अस्ताचलगामी सूर्य एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न हो जाता है। इसके बाद व्रती लोग निर्जल उपवास को कच्चे दूध का शरबत और प्रसाद ग्रहण कर पूर्ण करती है। जिसे पारण कहते है। कहा जाता है कि जो श्रद्धालु भक्त मन से इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यहां मंदिर के समीप स्थित सूर्यकुंड तालाब का विशेष महत्व है। इस तालाब में स्नान कर व्रती सूर्य भगवान की आराधना करते हैं।प्रति रविवार को असंख्यं श्रधालु भक्ततगण बड़गांव सूर्य मंदिर आकर तालाब में स्नान के बाद भगवान भास्कार का पूजन करते हैं। यहाँ सालभर देश के विभिन्न जगहों से लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते रहते हैं और मनौतियां मांगते हैं, मनौती पूरी होने पर यहां लोग भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए विशेषकर आया करते है।

    भगवान कृष्ण ने अपने पुत्र को दिया था शाप

    ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब काफी रूपवान थे। उन्हें देखकर रानियां भी मोहित हो जाती थीं। एक बार की बात है कि वे सरोवर में रानियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी उधर से नारद मुनि गुजरे। रास रचाने में व्यस्त साम्ब ने उनका अभिवादन नहीं किया, जिससे वे कुपित हो गए और उन्होंने जाकर श्रीकृष्ण से इसकी शिकायत की। श्री कृष्ण को इस पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन नारद मुनि के बहुत कहने पर जब वे सरोवर की ओर गए तो उन्हें भी यह दृश्य दिखा। कुपित होकर उन्होंने अपने पुत्र को कुष्ठ रोग का शिकार होने का श्राप दे दिया।

    शाप से मुक्ति का भगवान सूर्य ने ही बताया उपाय

    धार्मिक मान्यताओं एवं आस्थाओं के अनुसार राजा साम्ब द्वारा अपने पिता कृष्ण से काफी क्षमा याचना के बाद श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हें दिया गया श्राप तो वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन इसका उपाय नारद मुनि ही बता सकते हैं। तब वे नारद मुनि के पास गए और उनसे श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। नारद अपने साथ साम्ब को लेकर श्रीकृष्ण के दरबार में पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने कहा कि इसके लिए सूर्य भगवान की उपासना करनी होगी। साम्ब ने सूर्य भगवान की उपासना की। तब जाकर सूर्य भगवान प्रकट हुए और 12 जगहों पर सूर्य धाम की स्थापना कर वहां अपनी प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने को कहा। जिससे कंचन काया प्राप्त होगी। सूर्य देव द्वारा शाप मुक्ति के बताए गए रास्ते पर चलकर 12 वर्षों में देश के 12 स्थानों पर सूर्य धाम की स्थापना की गई। जिसमें औंगारी और बड़गांव सूर्य धाम शामिल है। प्रचलित धारणाओं के अनुसार राजा साम्ब ने ही बड़गांव सूर्य तालाब में दो कुण्ड बनवाये थे, जो आज भी जीर्ण-शीर्ण हालत में तालाब में मौजूद है। राजा साम्ब ने इस स्थल की खुदाई कराई तो भगवान सूर्य की मूर्ति मिली, जो सात घोड़े के रथ पर सवार, रथ के दोनों तरफ कमल का फूल और बीच में सूर्य भगवान के भाई श्यमदित, बांयी ओर कल्पादित, दाहिनी ओर माता अदिति की प्रतिमाएं मिली जो आज मंदिर में स्थापित है।

    इन 12 जगहों पर हुई थी सूर्य धाम की स्थापना : – लोलार्क, चोलार्क, अलार्क, अंगारक वर्तमान में औंगारी, पून्यार्क, बरारक वर्तमान में बड़गांव, देवार्क, कोणार्क, ललितार्क, यामार्क, खखोलार्क और उतार्क में सूर्य धाम की स्थापना साम्ब ने कराई थी।

  • बड़गांव तालाब के किनारे सूर्यनारायण जगृति मंच द्वारा आयोजित

    ‘बड़गांव छठ महोत्सव’: सूर्य नगरी के आँगन में आज बहेगी कविताओं और लोकगीतों की धारा

    बड़गांव तालाब के किनारे सूर्यनारायण जगृति मंच द्वारा आयोजित “अखिल भारतीय कवि सम्मेलन” व “सांस्कृतिक संध्या में देश भर के नामचीन कवि करेंगें काव्यपाठ, फोक स्टार ऑफ इंडिया सत्येंद्र संगीत व युवा लोकगायक सागर सम्राट के लोकगीतों पर झूमेंगे श्रद्धालु

    कार्यक्रम का आयोजन सूर्य नारायण जागृति मंच बड़गांव कर रहा है।

    ऐहिसाहिक सूर्य नगरी बड़गांव को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनः स्थापित करने के उद्देश्य एवं बडगांव छठ करने के लिए आने वाले भक्तों की सेवा हेतु विगत 4 वर्ष पूर्व बड़गांव इलाके के युवाओं द्वारा ‘सूर्य नारायण जागृति मंच’ की स्थापना की गयी थी। युवाओं द्वारा स्थापितसंस्था के प्रयास से ‘बड़गांव छठ महोत्सव’ की शुरुआत की गई है। महोत्सव का उद्देश्य बड़गांव की महत्ता को भारत के अलावे विदेशों में भी प्रचारित-प्रसारित करना है। महोत्सव को भव्यता प्रदान करने के हेतु इस वर्ष कवि सम्मेलन व लोक गीत का कार्यक्रम रखा गया है। संस्था के मार्गदर्शक युवा कवि संजीव कुमार मुकेश ने बताया कि साहित्य और संस्कृति का सम्बंध बहुत गहरा होता है। साहित्य से संस्कृति का संवाक होता है। इसी उद्देश्य से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें देश भर से प्रसिद्ध शालीन कवियों को आमंत्रित किया गया है। सूर्य नारायण जागृति मंच के संयोजक अखिलेश कुमार, महामंत्री पंकज कुमार एवं मंच के सभी सक्रिय सदस्यों द्वारा कार्यक्रम की भव्यता हेतु मंच के स्वरूप व श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु लगातार प्रतास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 10000 श्रोताओं के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। श्री कुमार के बताया कि इस महोत्सव को सफल बनाने में बड़गांव एवं आस-पास के गांव के आम नागरिकों के साथ-साथ शिक्षाविद, समाजसेवी एवं प्रबुद्ध जनों का मार्गदर्शन एवं सार्थक सहयोग निरंतर मिल रहा है।

    श्री मुकेश ने बताया कि साहित्य संस्कृति का सबसे बड़ा संबाहक होता है। कविताओं और गीतों के माध्यम से हम जन-जन तक सूर्यनगरी की महिमा पहुंचा सकते हैं। बड़गांव छठ महोत्सव की परिकल्पना ऐतिहासिक सूर्यनगरी बडगांव की महिमा को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्स्थापित करने का सार्थक साझा प्रयास है। सबों का सहयोग और मार्गदर्शन से ही हम इसे उत्कृष्टता प्रदान कर सकते हैं। इस वर्ष का आयोजन अन्य वर्षों से और भव्य होगा। देश भर से अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर ख्याति प्राप्त कवि-कवयित्री के साथ-साथ बिहार प्रसिद्ध गायक फोक स्टार ऑफ इंडिया सत्येंद्र संगीत और उनकी टीम द्वारा लोकगीतों का भी आनंद उठाया जा सकेगा।

    कवि सम्मेलन में शालिम होने वाले कवियों के नाम:

    दिनेश देवघरिया, राष्ट्रीय ओज कवि, पटियाला (पंजाब)
    अनंत महेंद्र, युवा गीतकार, धनबाद झारखंड
    यह छठ जरूरी है फेम कुमार रजत, पटना (बिहार)
    चंदन द्विवेदी, प्रसिद्ध कवि, पटना (बिहार)
    रंजीत दुधु, मगही हास्य कवि
    प्रशांत बजरंगी, युवा ओज कवि, बनारस
    आराधना अन्नू, बेगूसराय
    केशव प्रभाकर, बाल कवि, बेगूसराय
    अध्यक्षता – उमेश प्रसाद उमेश, वरिष्ठ साहित्यकार व कवि
    संचालन – संजीव कुमार मुकेश, युवा कवि , नालंदा

    लोकगायन हेतु:
    सत्येंद्र संगीत एवं सागर सम्राट एवं टीम

    50 सूर्य सेवक भी ड्रेस में रहेंगे तैनात

    गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी 50 सूर्य सेवक ड्रेस कोड में पहचान पत्र के साथ सूर्य घाट एवं मंदिर परिसर में तैनात रहेंगें। सभी सूर्य सेवकों की सूची प्रशासन को भी उपलब्ध कराया जाएगा। सूर्य सेवक छठ व्रती माताओं-बहनों की सेवा के साथ-साथ प्रशासन के दिशा निर्देशों का अक्षरसः पालन करेंगें। मंच के सूर्यसेवक कोरोना सम्बन्धी नियमों के पालन हेतू जगह-जगह सूचना व पोस्टर के माध्यम से लोगों को जागरूक करेंगे। मंच द्वारा फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था भी की जा रही है। पेयजल, छठव्रती माताओं के लिये चेंजिंग रूम इत्यादि की व्यवस्था भी सूर्यनारायण जगृति मंच द्वारा किया जाएगा।

    बैठक में समाजसेवी बबलू सिंह, संजीव गुप्ता, संजय सिंह, बिपिन कुमार, अभय कुमार, कृष्णकांत कश्यप, प्रेस सागर पासवान, कृष्णा जी , अजीत कुमार , गोपाल जी सहित अन्य सक्रिय सदस्यों की उपस्थिति थी।

  • जिलाधिकारी ने किया विभिन्न छठ घाटों का निरीक्षण

    नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने बिहार शरीफ में विभिन्न छठ घाटों का निरीक्षण किया।
    सबसे पहले उन्होंने आशानगर सूर्य मंदिर छठ घाट का निरीक्षण किया। घाट पर बैरिकेडिंग का कार्य किया जा रहा है। जलस्तर में कुछ वृद्धि हुई है। जलस्तर के अनुरूप बैरिकेडिंग को व्यवस्थित करने का निदेश दिया गया। 29 अक्टूबर तक कंट्रोल रूम, चेंजिंग रूम आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया।

    कोसुक छठ घाट के निरीक्षण के क्रम में गेल के भंडारित पाइप को किनारे से हटाने तथा पाइपलाइन बिछाने के क्रम में हुए गड्ढे को भराने का निदेश दिया गया। इस घाट पर डबल बैरिकेडिंग कराया जा रहा है। लाइट टावर भी बनाया जा रहा है।इस घाट पर एसडीआरएफ की तैनाती की जाएगी।नियंत्रण कक्ष एवं पर्याप्त संख्या में चेंजिंग रूम बनाने का निदेश दिया गया। बाबा मनीराम अखाड़ा छठ घाट पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था रखने को कहा गया।यहाँ की सड़क की मरम्मती कार्य को जल्द पूरा करने का निदेश दिया गया।यहाँ घाट के किनारे ओपन जिम बनाने के अनुरोध पर कला संस्कृति एवं युवा विभाग को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया।

  • दीपावली और छठ पूजा के अवसर पर कार्यशाला तथा रंगोली प्रतियोगिता

    बिहारशरीफ के सुंदरगढ़ स्थित ब्रिलियंट कान्वेंट में दीपावली और छठ पूजा के अवसर पर कार्यशाला तथा रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जिसमें बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया इस शुभ अवसर पर छोटे-छोटे बच्चों ने लव कुश प्रसंग “हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की” मैं राम की भूमिका आरव दयाल, सीता की भूमिका श्रेया मिश्रा, लक्ष्मण की भूमिका अनिकेत, हनुमान की भूमिका रणवीर सिंह, ऋषि मुनि की भूमिका अंकुश राज एवं लव-कुश की भूमिका आर्यन पटेल एवं धनुष कुमार ने निभा कर अपनी कला का प्रदर्शन किया।

    इस गीत पर छोटे बच्चों का प्रदर्शन मंत्रमुग्ध करने वाला था। कुछ बच्चों ने छठ पूजा का गीत गाकर सभा को और शुभ व पावन बना दिया। विद्यालय के चेयरमैन सर ने कैसे दिवाली मनाए, पटाखों का उपयोग ना करें, अपने आसपास गरीब लोगों की दिवाली मनाने में मदद करें, एक सुखमय वातावरण बनाए जैसी बातें बताई। इस कार्यक्रम में बच्चों ने डांस व गीत गाकर इको फ्रेंडली दिवाली मनाने का संदेश दिया।

    इस कार्यक्रम के बाद विद्यालय के प्रांगण में वर्ग पंचम से लेकर वर्ग दशम तक रंगोली की प्रतियोगिता रखी गई। इस प्रतियोगिता में चेयरमैन सर, प्राचार्य महोदया ने वर्ग दशम के विद्यार्थियों के द्वारा बनाई गई रंगोली जिसका मूल विषय “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” पर चेयरमैन सर एवं प्राचार्य महोदया ने बताया कि वर्ग दशम के विद्यार्थियों ने रंगोली के माध्यम से समाज में बेटियों की अस्तित्व को बनाए रखने का संदेश दिया है और इसलिए वर्ग दशम के विद्यार्थियों को प्रथम पुरस्कार देने की घोषणा की।

    विद्यालय के इंचार्ज रंजय सिंह एवं अन्य शिक्षक विजय प्रसाद, गांगुली सर, पवन कुमार, किशोर कुमार पांडे एवं राजकुमार सिंह ने बच्चों को दीपावली एवं छठ के शुभ अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की एवं बच्चों के द्वारा प्रस्तुत की गई कला की सराहना करते हुए कहा कि सभी एक से बढ़कर एक हैं। सभी बच्चे विजेता हैं किंतु क्योंकि यह स्पर्धा है तो विजेता किसी एक को ही चुनना होगा।