Category: जन्मोत्सव

  • डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल,कैंपस में बच्चों ने मनाया चाचा नेहरू का जन्म दिन

    बिहारशरीफ के हृदय में अवस्थित स्थानीय डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल पावर ग्रीड कैंपस तथा एस.पी.आर्य डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल में बच्चों ने बाल दिवस के उपलक्ष्य पर खूब धूम मचाई। आज बाल दिवस के शुभ अवसर पर विद्यालय प्रांगण में खूब चहल-पहल रही। इस बाल दिवस में बच्चों तथा शिक्षक – शिक्षिकाओं की भागीदारी देखने योग्य,तथा उनकी भूमिका सराहनीय थी।डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल,कैंपस में बच्चों ने मनाया चाचा नेहरू का जन्म दिन
    १४ नवंबर को भारत के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन मनाया जाता है। नेहरू बच्चों के अधिकार और शिक्षा प्रणाली के समर्थक थे। उनका मानना था कि बच्चे देश का भविष्य और समाज की नींव होते हैं, इसलिए उनकी भलाई का ध्यान रखा जाना चाहिए। नेहरू बच्चों में चाचा बतौर लोकप्रिय थे इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
    जहाँ इस कार्यक्रम की शुरुआत डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल,पावर ग्रीड कैंपस में चाचा नेहरू की तस्वीर पर विद्यालय के प्राचार्य वी. के. पाठक के माल्यार्पण करने के साथ साथ शिक्षक शिक्षिकाओं के द्वारा पुष्पांजलि देने से हुई तो वही एस.पी.आर्य में बच्चों ने दीप प्रज्ज्वलन एवं मंत्रोच्चारण के बाद पुष्पांजलि से चाचा नेहरू को याद किया।

    डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल,कैंपस में बच्चों ने मनाया चाचा नेहरू का जन्म दिन

    इस अवसर पर डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल पावर ग्रीड कैंपस में विद्यालय के बहुतेरे छात्र-छात्राओं ने अपने सुयोग्य शिक्षक-शिक्षिकाओं के समुचित मार्गदर्शन में विभिन्न प्रकार के मनोरंजक एवं उत्साहवर्धक खेल कार्यक्रम यथा बालक,बालिका के वर्ग में कबड्डी, तथा बालिकाओं ने म्यूजिकल चेयर में भाग लिया। डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल पावर ग्रीड कैंपस के प्राचार्य वी के पाठक स्वयं खेल कूद में बालक बालिकाओं का उत्साह बर्धन करते दिखे जिससे बच्चों में गज़ब का उत्साह दिखा।

  • बिहार शरीफ के बड़ी पहाड़ी पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने काटा केक

    बिहार के लोकप्रिय उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के जन्मदिन को लेकर सुबह से ही बिहार शरीफ स्थित बड़ी पहाड़ी पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं की भीड़ देखी गई। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के जन्मदिन के मौके पर पार्टी कार्यालय में केक काटकर मनाया गया। इस दौरान राजद कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को खिलाकर जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए अपने नेता तेजस्वी यादव के लंबी आयु की कामना की। डिप्टी सीएम के जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रीय जनता दल के वक्ताओं ने कहा सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की अगुवाई में लगातार बिहार आगे बढ़ रहा है। सबका साथ सबका विकास की राह पर महागठबंधन की सरकार लगातार काम कर रही है। तेजस्वी यादव ने जो गांधी मैदान जो घोषणा की थी उसे पूरा करने के लिए सरकार लगातार गंभीर है।

    तेजश्वी यादव ने सिंचाई, कमाई,दवाई,पढ़ाई और युवाओं के रोजगार के लिए जो वादा किया था उन वादों पर खरा उतरने के लिए लगातार सरकार काम कर रही है। महागठबंधन की सरकार बनते ही तेजस्वी यादव ने 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का जो वादा किया था बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेतृत्व में युवाओं को रोजगार देने के काम पर लगातार काम किया जा रहा है। इसका फलाफ़ल भी बहुत जल्द बिहार में देखने को मिलेगा। इस मौके पर जिलाध्यक्ष अशोक कुमार हिमांशु के अलावे राजद नेता मनोज मुखिया, अरुणेश यादव ,जितेंद्र यादव, वीरमणि यादव उर्फ वीरेन गोप,अजित गोप, शेखर यादव, पवन यादव, श्रवण यादव, अमरजीत उर्फ गुड्डू यादव, ललित यादव, अरविंद यादव, रमेश राम ,अजय ठाकुर, विनय चौहान, राम कुमार यादव ,छोटेलाल यादव ,सोनू यादव के अलावे कई गण्यमान लोग मौजूद रहे।

  • मोगलकुआं में गुरुनानक देव महाराज की 554 वाँ जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई

    बिहारशरीफ : 8 नवम्बर 2022 (कार्तिक पूर्णिमा, विक्रम संवत् 2079) को श्री गुरुनानक देव जी शाही संगत मोगलकुआँ बिहारशरीफ में मंगलवार को बड़े ही श्रद्धा के साथ भाई रवि सिंह ग्रंथी जी के देख-रेख में समारोहपूर्वक गुरुनानक देव महाराज की 554 वां (जयंती) पावन प्रकाश उत्सव मनाया गया। गुरुद्वारा में सुबह पांच बजे के करीब गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया तथा पंच वाणी एवं सुखमणि साहब का पाठ किया गया। भाई रवि सिंह ग्रंथी जी ने अपनी मधुर वाणी से शत गुरु नानक प्रकटया मिट धुंध जग चानन होआ…, जोड़ा तार प्रभु दे नाल… नानक नाम जहाज तुम शरणाई आयो…, चीम चीम करदे अमृताधार…, गुरुनानक ने लियो अवतार… कौन जाने गुण तेरे सतगुरु…, तुम शरणाई आया ठाकुर… के बोल पर शबद कीर्तन से गुरुद्वारा में आस्था और भक्ति की धारा प्रावहित कर दी। भाई रवि सिंह ग्रंथी के साथ भाई सरदार वीर सिंह, शंखनाद के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत सिंह, महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने भी राग में राग मिलाकर शबद कीर्तन किया। गुरुवाणी के पाठ से मोहल्ले का माहौल गुरुमय हो गया। अरदास के बाद उपस्थित लोगों के बीच खीर और कड़ा प्रसाद का वितरण किया गया।

    मौके पर गुरुद्वारा में शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि सिखों के पहले गुरु और सिख समुदाय के संस्थायपक गुरुनानक देवजी की आज जयंती है। अंग्रेजी कैलेंडर में उनका जन्मं साल 1469 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन माना जाता है। इस वर्ष यह तिथि 8 नवंबर को यानी आज है। आज विश्व में उनकी जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से सिख समुदाय के भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। और इस पावन अवसर पर, हम सब अपने आचरण में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का पालन करें। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव ने लोगों को एकता, समरसता, बंधुता, सौहार्द और सेवाभाव का मार्ग दिखाया और परिश्रम, ईमानदारी तथा आत्मसम्मान पर आधारित जीवनशैली का बोध कराने वाला आर्थिक दर्शन दिया। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं, समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा पुंज हैं।

    साहित्यिक मंडली शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि गुरुनानक देव ने एक ऐसे विकट समय में जन्म लिया जब भारत में कोई केंद्रीय संगठित शक्ति नहीं थी। विदेशी आक्रमणकारी भारत देश को लूटने और अराजकता फैलाने में लगे थे। धर्म के नाम पर अंधविश्वास और कर्मकांड चारों तरफ फैले हुए थे। ऐसे समय में नानक एक महान दार्शनिक, विचारक साबित हुए। गुरुनानक ने अपनी सुमधुर सरल वाणी से जनमानस के हृदय को जीत लिया। लोगों को बेहद सरल भाषा में समझाया सभी इंसान एक दूसरे के भाई है। ईश्वर सबके पिता हैं, फिर एक पिता की संतान होने के बावजूद हम ऊंच-नीच कैसे हो सकते हैं? गुरू नानक देव ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए, एक निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश दिया था।

    भाई सरदार वीर सिंह के द्वारा गुरू साहब की वाणी का गुणगान किया और मौके पर लोगों के बीच अपने उद्गार में कहा कि गुरुनानक देव जी अपनी यात्रा के क्रम में पंजाब, बनारस, काशी, गया नवादा, राजगीर होते हुए बिहारशरीफ के मोगलकुआं, भरावपर, अंबेर मोहल्ला की पावन धरती पर आए थे। उनके सम्मान में ही यहां के स्थानीय लोगों ने यह भूमि उन्हें दी थी, जिसपर गुरूद्वारे की स्थापना की गई। 1934 के भूकंप में यहां का पुराना गुरुद्वारा ध्वस्त हो गया। तब जनसहयोग से गुरुद्वारे का निर्माण किया गया। लंबे समय से इसके निर्माण की मांग की जा रही थी। अब तख्त हरिमंदिर पटना साहिब के सौजन्य से नए गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया है।
    उन्होंने कहा- बिहारशरीफ के मोगलकुआं, भरावपर, अम्बेर मोहल्ला में गुरूनानक देवजी आये और यहां बहुत दिनों तक रह कर लोगों को ज्ञान दिए। उन्होंने बिहार सरकार से मांग किया है कि रजौली संगत नवादा की तरह बिहारशरीफ के सभी जीर्ण गुरुद्वारा को जीर्णोद्धार कर बिहार सरकार ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करे। और उन्होंने किरत करो नाम जपो वंड के खाओ पर अमल करने पर बल दिया।

    वैज्ञानिक व साहित्यकार डॉ. आनंद वर्द्धन ने बताया कि गुरुनानक देव जी ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने के लिए लंगर की परंपरा चलाई। जहां कथित अछूत और उच्च जाति के लोग एक साथ लंगर में बैठकर एक पंक्ति में भोजन करते थे। आज भी सभी गुरुद्वारों में यही लंगर परंपरा कायम है। लंगर में बिना किसी भेदभाव के संगत सेवा करती है। गुरु नानक देव ने भारत सहित अनेक देशों की यात्राएं कर धार्मिक एकता के उपदेशों और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार कर दुनिया को जीवन का नया मार्ग बताया।

    गुरुद्वारा में उपस्थित पंजाब-पटियाला जिले नाभा शहर के अभियंता सरदार भाई प्रदीप सिंह जी ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने कुरीतियों और बुराइयों को दूर कर लोगों के जीवन में नया प्रकाश भरने का कार्य किया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए अपने पारिवारिक जीवन और सुख का त्याग करते हुए दूर-दूर तक यात्राएं कीं। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। गुरु नानक देव जी ने परमेश्वर एक है, हमेशा इमानदारी और परिश्रम से ही अपना पेट भरना चाहिए आदि का संदेश दिए।

    शिक्षाविद राज हंस ने कहा गुरुनानक देवजी से हम सभी को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। गुरु नानक देव जी ना सिर्फ सिक्ख धर्म के गुरु है बल्कि सर्व धर्म के गुरु है। श्री गुरुनानक देवजी ने मानवता के कल्याण के लिए लंगर की प्रथा चलाई जिसमें सब धर्म के लोग ऊच-नीच मिटा कर समानता से प्रसादी ग्रहण करते हैं।

    इस दौरान योग गुरु रामजी प्रसाद यादव, सरदार शिव कुमार यादव, युवराज सिंह, भाई दीप सिंह जी, सतनाम सिंह, विनोद कुमार सिंह, रघुवंश सिंह, महेंद्र सिंह, विजय कुमार, राजदेव पासवान धीरज कुमार, सतनाम सिंह, सुरेश प्रसाद, सुनीता देवी, सुमन कुमार, रितीक कुमार, रिंकू कौर, प्रियंका कुमारी, एकामनी कौर, जसप्रीत कौर सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहकर इंसानियत और परोपकार की शिक्षा ली एवं गुरुनानक देव जी के अनमोल संदेशों का आत्मसात किया।

  • लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 147 वी जयंती मनाई गई।

    नेहरू युवा केंद्र नालंदा के तत्वाधान में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 147 वी जयंती समारोह सोगरा स्कूल बिहार शरीफ के प्रांगण में धूमधाम से मनाई गई। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ भीमराव अंबेडकर विचार परिषद के अध्यक्ष डॉ अमित कुमार पासवान अधिवक्ता ने की। डॉ अमित कुमार पासवान ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने खेड़ा संघर्ष को लेकर देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई जब खेडा क्षेत्र सूखे की चपेट में था और वहां के किसानों ने अंग्रेजी हुकूमत से कर में छूट की मांग की तो अंग्रेजों ने मानने से इनकार किया तो सरदार वल्लभभाई पटेल एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं अन्य नेताओं ने मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ किसान आंदोलन का शंखनाद किया और तब अंग्रेजों को झुकना पड़ा l और किसानों की मांगों को पूरा करना पड़ा था। डॉ पासवान ने कहा कि उन्होंने बतौर देश के पहले उप प्रधानमंत्री व व गृह मंत्री का पद संभालते हुए उन्होंने पहली प्राथमिकता के तौर पर भारत को रिहायसी इलाकों में शामिल करना था और उन्होंने बिना किसी विवाद के इस कार्य को सफलतापूर्वक निभाया था। सरदार बल्लभ भाई पटेल हर भारतीयों के लिए पथ प्रदर्शक व मार्गदर्शक थे।

    विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर पंचायत सिलाव व नगर परिषद राजगीर के ब्रांड एम्बेसडर लोक गायक भैया अजीत ने कहा कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी आधुनिक भारत के निर्माता , प्रखर राष्ट्रवादी थे उनके अथक परिश्रम ने देश की अखंडता को सुनीश्चित किया और भारत को एक सूत्र में पिरोया। उनकी देश भक्ति और कर्तव्यपरायण के कारण भारत सदैव ऋणी रहेगा उनकी सपनों को साकार करने के लिए हम युवाओं को आज संकल्प लेना चाहिए आज देश को प्रेम , शांति, भाईचारा, एकता और सद्भाव की जरूरत है जिसे नेहरू युवा केंद्र देश के कोने कोने में महापुरुषों के प्रति युवाओं में जागृति पैदा कर रहा है हम कोटि कोटि धन्यवाद व आभार व्यक्त करते हैं नेहरू युवा केंद्र के पदाधिकारियों को जो ऐसे मौके पर समाज के प्रबुद्ध वर्ग एवम युवाओं के समकक्ष कार्यक्रम कराते रहते है।साथ ही युवाओ को एक जुट होने के लिए गीत के माध्यम से प्रेरित किया
    मिलजुल के रहिये साथ साथ चलिए,
    मत लड़िये, मत डरिये,भाई बन कर रहिये।
    मिलजुल के रहिये……………….।
    वही समाजसेवी डॉ आशुतोष कुमार ने कहा कि पूर्व की सरकारो ने देश के लिए त्याग और बलिदान देने वाले महापुरुषों को अनदेखी किया है वही नेहरू युवा केन्द्र ने देश के कोने कोने एवम ग्रामीण इलाकों के प्रतिभाओ उभरने एवम मंच प्रदान करे में लगा है इनके कार्यो हम सराहना करते है।
    नेहरू युवा केंद्र के लेखापाल शिव नारायण दास ने कहा की देश के कोने कोने में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है आज लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा के कारण उपस्थित भले ही कम है परन्तु आप प्रबुद्ध जनो के आ जाने से यह कार्यक्रम सफल हो गया यह कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलेगा।इस मौके पर डॉ. रुपम खत्री, विकाश कुमार निराला, शुभम कुमार, सहित दर्जनों समाजसेवियों ने अपने- अपने विचार व्यक्त किए ।

  • मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की 91 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा – ‘सपने वे नहीं होते, जो आपको रात में सोते समय नींद में आए बल्कि सपने वे होते हैं, जो रात में सोने ही न दें।’ ऐसी बुलंद सोच रखने वाले ‘मिसाइलमैन’ अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम (एपीजे अब्दुल कलाम) भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं। जब कलाम ने देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली थी तो देश के हर वैज्ञानिक का सर फख्र से ऊंचा हो गया था। वे ‘मिसाइलमैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोकप्रिय हुए।

    संयुक्‍त राष्‍ट्र संगठन ने वर्ष 2010 से डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के शिक्षा और छात्रों के लिए उनके प्रयासों को स्‍वीकारते हुए उनकी जन्‍म तिथि 15 अक्‍टूबर को ‘विश्व छात्र दिवस’ के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। तब से हर साल 15 अक्‍टूबर को छात्र इसे एक जश्‍न के तौर पर मनाते आ रहे हैं। कलाम जी एक वैज्ञानिक और एक इंजिनियर के रूप में विख्यात है। कलाम जी ने हमेशा अपनी ज्ञान और शिक्षा के माध्यम से छात्रो से जुड़े रहे और उनके भाषण, वो खुद छात्रो के लिए एक प्रेरणा थे। अब्दुल कलाम जी विद्यार्थियों के बीच बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय थे। उनका व्यवहार, आचरण और उनके द्वारा दिया जाने वाला भाषण सबको प्रभावित करता था।

    आज मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम जी की 91वीं जयंती है। प्रख्यात वैज्ञानिक, अभियंता, श्रेष्ठ शिक्षक, भारत रत्न से सम्मानित देश के पूर्व ग्यारहवें राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम का देश हमेशा आभारी रहेगा। भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने का सपना देखने वाला ये कर्मवीर योद्धा मरते दम तक देश के लिए काम करते रहे एवं आखिरी क्षणों में भी विद्यार्थियों व बच्चों को हमेशा से अपने ओजस्वी भाषण से प्रेरित करते रहे।आज से छह साल पहले 27 जुलाई 2015 को उनका निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था। यहां वे एक कॉलेज लेक्चर देने गए थे। मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा, आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अफसोस डॉक्टरों की टीम उन्हें बचा नहीं सकी। 83 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा था।
    एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे – ‘मैं शिक्षक हूं और इसी रूप में पहचाना जाना चाहता हूं।’ और सचमुच अपनी अंतिम श्वास लेते समय वे विद्यार्थियों के बीच ही तो थे एक शिक्षक के रूप में। वे हमारी आंखों में आंसू नहीं, स्वप्न देखना चाहते थे। वे कहा करते थे- ‘सपने वे नहीं होते जो सोते वक्त आते हैं, बल्कि सपने तो वे होते हैं जो कभी सोने ही नहीं देते।’ युवाओं के बूते देश में नई क्रांति लाने का उनका यह ध्येय नवीन भारत की आधारशिला थी। सचमुच डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसा व्यक्तित्व का इस धरती पर जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है।

    एक बार डॉ. कलाम जब स्कूल के बच्चों को लेक्चर दे रहे थे तभी बिजली में कुछ गड़बड़ी हो गई।डॉ. कलाम उठे और सीधा बच्चों के बीच चले गए और उन्हें घेरकर खड़े हो जाने के लिए कहा। इस तरह से उन्होंने लगभग चार सौ बच्चों के साथ बिना माइक के संवाद किया। राष्ट्रपति बनने के कुछ दिन बाद वो किसी इवेंट में शरीक होने केरल राजभवन त्रिवेंद्रम गए। उनके पास अपनी तरफ से किन्हीं दो लोगों को बुलाने का अधिकार था, और आप जानकर हैरान होंगे कि उन्होंने किसे बुलाया – एक मोची को और एक छोटे से होटल के मालिक को। दरअसल, डॉ. कलाम बतौर वैज्ञानिक काफी समय त्रिवेंद्रम में रहे थे, और तभी से वे इन लोगों को जानते थे, और किसी नेता या सेलेब्रिटी की बजाए उन्होंने आम लोगों को महत्व दिया। ऐसी ऊँची सोच रखने वाले ‘मिसाइलमैन’ अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं।

    अब्दुल कलाम के विचार आज भी विद्यार्थियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। एक मछुआरे का बेटा ट्रेन के द्वारा फेंके गए अखबारों के बंडल को सही करके वितरण करने के बाद स्कूल जाया करता था। बचपन में अखबार बांटने वाला वही बच्चा अपने जीवन में ऐसी ऊंचाई छू लेता है कि वो एक दिन दुनिया के समस्त अखबारों की सुर्खियां बटोरता नजर आता है। वास्तव में डॉ. कलाम का जीवन, समाज के अंतिम व्यक्ति के राष्ट्र का प्रथम नागरिक बनने की एक प्रेरणादायक कहानी है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति, मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम्-तमिलनाडु के एक गरीब परिवार में हुआ था।

    एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम मसऊदी था। शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने फिजिक्स और विज्ञान से जुड़े अन्य विषयों का अध्ययन किया। उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के नागरिक सम्मान के रूप में 1981 में पद्मभूषण, 1990 में पद्मविभूषण तथा 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया था। कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति रहे हैं जिन्हें ‘भारतरत्न’ का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर जाकिर हुसैन हैं। ये प्रथम वैज्ञानिक थे, जो राष्ट्रपति बने थे और प्रथम राष्ट्रपति भी रहे हैं, जो अविवाहित थे। अब्दुल कलाम एक राष्ट्रपति के अलावा वे एक आम इंसान के तौर पर वे युवाओं की पहली पसंद और प्रेरक रहे हैं।

    उनकी बातें, उनका व्यक्तित्व, उनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में हैं बल्कि जब भी लोग खुद को कमजोर महसूस करते हैं, कलाम का नाम ही उनके लिए प्रेरणा बन जाता है। भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा विलक्षण व्यक्तित्व का स्वामी थे। डॉक्टर कलाम साहब भारतीयता के आदर्श थे। यूं तो डॉक्टर अब्दुल कलाम जी राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे। लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जाता है।

    अपने इस मिसाइलमैन को भारत सरकार के पद्मभूषण और भारत रत्न देकर इन सम्मानों की ही गरिमा बढ़ाई है। वे कहते थे मैं शिक्षक हूँ और इसी रूप में पहचाना जाना चाहता हूँ और सचमुच 27 जुलाई 2015 को अपनी अंतिम साँसे लेते समय वे विद्यार्थियों के बीच ही तो थे, एक शिक्षक के रूप में। कलाम साहब ने ही 2009 में चंद्रयान की नींव रखी थी। उन्होंने ही ISRO के वैज्ञानिकों को चंद्रयान -2 मिशन पर काम शुरू करने के लिए कहा था। कलाम साहब आज हमारे बीच नहीं है लेकिन वो जहां भी होंगे आज बहुत खुश होंगे। कलाम सही मायने में एक ‘जनता के राष्ट्रपति’ थे, जिन्होंने हर भारतीय विशेषकर युवाओं को अपना समर्थन दिया। वे सादगी, ईमानदारी और समझदारी के प्रतीक थे।

    डॉ. कलाम का मानवीय पक्ष बहुत मज़बूत था

    डॉ. कलाम का विचार इतना नेक की अपने परिवार को राष्ट्रपति भवन में ठहराने के लिए साढ़े तीन लाख का चेक काटा। डॉ. कलाम को अपने बड़े भाई एपीजे मुत्थू मराइकयार से बहुत प्यार था। लेकिन उन्होंने कभी उन्हें अपने साथ राष्ट्रपति भवन में रहने के लिए नहीं कहा। उनके भाई का पोता ग़ुलाम मोइनुद्दीन उस समय दिल्ली में काम कर रहा था जब कलाम भारत के राष्ट्रपति थे। लेकिन वो तब भी मुनिरका में किराए के एक कमरे में रहते थे। एक बार एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति भवन में मई 2006 में कलाम ने अपने परिवार के करीब 52 लोगों को दिल्ली आमंत्रित किया. ये लोग आठ दिन तक राष्ट्रपति भवन में रुके थे। कलाम ने उनके राष्ट्रपति भवन में रुकने का किराया अपनी जेब से दिया था।

    यहाँ तक कि एक प्याली चाय तक का भी हिसाब रखा गया। वो लोग एक बस में अजमेर शरीफ़ भी गए जिसका किराया कलाम ने भरा। उनके जाने के बाद कलाम ने अपने अकाउंट से तीन लाख बावन हज़ार रुपयों का चेक काट कर राष्ट्रपति भवन कार्यालय को भेजा। दिसंबर 2005 में उनके बड़े भाई एपीजे मुत्थू मराइकयार, उनकी बेटी नाज़िमा और उनका पोता ग़ुलाम हज करने मक्का गए। जब सऊदी अरब में भारत के राजदूत को इस बारे में पता चला तो उन्होंने राष्ट्रपति को फ़ोन कर परिवार को हर तरह की मदद देने की पेशकश की। कलाम का जवाब था, ‘मेरा आपसे यही अनुरोध है कि मेरे 90 साल के भाई को बिना किसी सरकारी व्यवस्था के एक आम तीर्थयात्री की तरह हज करने दें ।

    डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा रचित ये पुस्तकें हैं :- 1. इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम 2. विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी 3. इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया 4. द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स 5. गाइडिंग सोल्स: डायलॉग्स ऑन द पर्पस ऑफ लाइफ 6. मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ 7. इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज 8. यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड 9. द साइंटिफिक इंडियन: ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस 10. फेलियर टू सक्सेस: लीजेंडरी लाइव्स 11. टारगेट 3 बिलियन 12. यू आर यूनिक: स्केल न्यू हाइट्स बाई थॉट्स एंड एक्शंस 13. टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस 14. इन्डोमिटेबल स्प्रिट 15. स्प्रिट ऑफ इंडिया 16. थॉट्स फॉर चेंज: वी कैन डू इट 17. माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शंस 18. गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया 19. मैनीफेस्टो फॉर चेंज 20. फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंग 21. बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया 22. द गायडिंग लाइट: ए सेलेक्शन ऑफ कोटेशन फ्रॉम माई फेवरेट बुक्स 23. रिग्नाइटेड: साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर 24. द फैमिली एंड द नेशन 25. ट्रांसेडेंस माई स्प्रिचुअल एक्सपीरिएंसेज इत्यादि है।

    देश के पहले कुंवारे राष्ट्रपति कलाम का हेयर स्टाइल अपने आप में अनोखा था, और एक राष्ट्रपति की आम भारतीय की परिभाषा में फिट नहीं बैठता था। लेकिन देश के वह सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने एक वैज्ञानिक और एक राष्ट्रपति के रूप में अपना अतुल्य देकर देश सेवा की। ऐसे स्वर्णिम भारत की कल्पना करने वाले भारत के महान वैज्ञानिक एवं देश के पूर्व राष्ट्रपति ‘मिसाइल मैन’ डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

  • भरतीय आजादी की लड़ाई का एक विस्मृत योद्धा नक्षत्र मालाकार

    बिहारशरीफ,बबुरबन्ना-नालंदा 09 अक्टूबर 2022 : स्थानीय सोहसराय के साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना मोहल्ले में सविता बिहारी निवास स्थित साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता में भारत के रॉबिनहुड, मानव धर्म के सच्चे उपासक नक्षत्र मालाकार की 117 वीं जयंती समारोह मनाई गई। जिसका संचालन शंखनाद के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने किया। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, महासचिव राकेश बिहारी शर्मा एवं साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर तथा दीप प्रज्वलित कर किया।

    भारत में साम्राज्यवाद और सामंतवाद विरोध के जीवंत मिसाल थे नक्षत्र मालाकार

    मौके पर शंखनाद के सचिव साहित्यसेवी साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने समारोह में विषय प्रवेश कराते नक्षत्र मालाकार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि अमीरों से लूटकर गरीबों में बांटने वाले नक्षत्र मालाकार भारत के रॉबिनहुड थे। नक्षत्र मालाकार का जन्म तत्कालीन पूर्णिया जिले के समेली गांव में 9 अक्टूबर 1905 को एक गरीब माली परिवार में हुआ था। आज वह स्थान कटिहार जिले की सीमा में है।

    नक्षत्र मालाकार के पिता लब्बू माली अत्यंत गरीब गृहस्थ थे। लब्बू माली की दो शादियां हुई थी। पहली पत्नी सरस्वती से दो पुत्र- जगदेव और द्वारिका हुए। पहली पत्नी के निधन के बाद दूसरी पत्नी लक्ष्मी देवी से दो पुत्र- नक्षत्र मालाकार और बौद्ध नारायण एवं तीन पुत्री- तेतरी देवी, सत्यभामा एवं विद्योतमा हुआ। पहले हुए नक्षत्र मालाकार। अपने 82 साल के जीवन का हर लम्हा उन्होंने सामंती शक्तियों के विरुद्ध लोहा लेते बिताया था। उन्होंने कहा भारत में साम्राज्यवाद और सामंतवाद विरोध के जीवंत मिसाल थे नक्षत्र मालाकार।

    ये अंग्रेजी शासन में 9 बार जेल गए और सामंती, महाजनी, प्रतिगामी शक्तियों के विरोध के कारण आजादी के बाद कांग्रेसी शासन में भी आजीवन कारावास की सजा पाई। लेकिन यह बिडम्बनापूर्ण सच है कि उन पर न तो कोई किताब है, न ढंग के कोई शोध ही हुए। 20वीं सदी के तीसरे दशक से छठे दशक तक उतर बिहार में बस नक्षत्र थे और उनकी तलाशी में पूर्णिया के गांवों-कस्बों के चप्पे-चप्पे की तलाशी लेती पुलिस। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कटिहार में बी.एम.पी.बटालियन-7 की स्थापना की गई थी। सरकार ने पूरे उतर बिहार के सिनेमा हॉल के पर्दे पर उन्हें गिरफ्तार करवाने के इश्तेहार छपवाए जाते थे। और 25 हजार रुपए इनाम की घोषणा की गई। बिहार के लोग मार खा लेते, पुलिस की यातना सह लेते, लेकिन नक्षत्र की सुराग नहीं बतलाते थे। उन्होंने बताया कि भारत के महान कथाकार एवं रिपोतार्ज उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु ने नक्षत्र मालाकार को चलित्तर कर्मकार बनाकर अमर कर दिया। उनके रॉबिनहुड और सुल्ताना डाकू वाले चरित्र ने कई लेखकों को सम्मोहित किया। उनके ही गाँव के अनूपलाल मंडल ने उनपर एक पूरा उपन्यास ही लिख डाला-तूफान और तिनके जो काफी लोकप्रिय उपन्यास है। भरतीय आजादी की लड़ाई का एक विस्मृत योद्धा हैं नक्षत्र मालाकार।

    बिहार ही नहीं पुरे देश में नक्षत्र मालाकार का डंका बजता था

    जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि 40 और 50 के दशक में बिहार ही नहीं पुरे देश में नक्षत्र मालाकार के नाम का डंका बजता था। जमींदारों को उसके नाम से रात भर नींद नहीं आती थी। पुलिस वाले दहशत के मारे थाने के अंदर सहमे हुए बैठे रहते थे। सिनेमा घरों में उनके फ़ोटो के साथ इनामी इश्तेहार दिखाए जाते थे। बिहार मिलिटरी पुलिस की एक बटालियन और बलूच सिपाहियों का एक दस्ता उन्हे पकड़ने कटिहार भेजा गया था। लोग मार खा लेते, लेकिन नछत्तर का पता नहीं बताते थे।

    अमीरों से अनाज लूटने की शुरुआत मालाकार ने भारत में पड़े भयानक अकाल में की। बड़े-बड़े किसानों और व्यापारियों ने बखारों में अनाज दबा लिया था। वे न केवल गोदाम लुटवा कर अनाज गरीबों में बँटवा देते थे बल्कि सरकार के खबरी का काम करने वालों के नाक-कान काट लेते थे। कोई अगर अपना नाक-कान गमछा से ढँक कर घूमता तो लोग समझ जाते थे कि हो न हो, ये आदमी नछत्तर के हत्थे चढ़ा होगा।

    उन्होंने कहा- नक्षत्र मालाकार नमक सत्याग्रह, विदेशी कपड़ों की होली और शराब दुकानों की पिकेटिंग से शुरू उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस से होते हुए सोशलिस्ट पार्टी की तरफ मुड़ा और सीपीएम पर खत्म हुआ। वर्ष 1936 में वे सोशलिस्ट पार्टी में भर्ती हुए तो जयप्रकाश नारायण ने प्यार से नाम बदल कर नछत्तर माली से नक्षत्र मालाकार कहने लगे। आजादी के पहले नक्षत्र मालाकार पर पचासों मुकदमे चले, नौ बार गिरफ्तार हुए, पर कभी सजा नहीं हुई। गवाह नहीं मिलते थे। कौन नकटा बने! उनके रॉबिनहुड और सुल्ताना डाकू वाले चरित्र ने कई लेखकों को सम्मोहित किया।

    साहित्यसेवी सरदार वीर सिंह व प्रमोद कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी नक्षत्र मालाकार कांग्रेस, कांग्रेस सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट तीनों पार्टियों में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता थे, इसलिए ये कई बदनामियों से बेदाग रहे। लेकिन आज बिहार की नई पीढ़ी के लोग क्रांतिकारी योद्धा नक्षत्र मालाकार को नहीं जानती है। इनके द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में किए गये काम का कोई विधिवत संरक्षण नहीं किया गया। यह सब इसलिए नहीं हुआ क्योंकि ये बिहार के पिछड़े समुदाय माली जाति के थे।

    साहित्यकार अभियंता आनंद वर्द्धन एवं मिथिलेश प्रसाद चौहान ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले उच्च वर्ग के स्वतंत्रता सेनानियों, राजा-महाराजाओं के योगदान को अभिलेखों के माध्यम से आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन दलितों और पिछड़ों के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को धीरे-धीरे मिटाने की कोशिश की जा रही है।

    इस अवसर पर समाजसेवी धीरज कुमार, राजदेव पासवान, कॉमरेड विजय कुमार, व्रज भूषण प्रसाद,युगेश्वर यादव, सविता बिहारी सहित कई लोगों ने नक्षत्र मालाकार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

  • महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई

    महात्मा गांधी के बताए रास्तों पर चलकर मानव जाति का कल्याण हो सकता है। सादगी और ईमानदारी के प्रतिमूर्ति थे लाल बहादुर शास्त्री:- श्रवण कुमार। नालंदा जिला जनता दल यूनाइटेड के द्वारा बिहार शरीफ के गांधी मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनता दल यू के जिला अध्यक्ष सिया शरण ठाकुर ने की इस अवसर पर बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार सांसद कौशलेंद्र कुमार बिहार विधान परिषद के सचेतक रीना यादव ने दोनों के तैल्य चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित की। इस अवसर पर मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए मार्गो पर ही चल कर मानव जाति का कल्याण हो सकता है राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी थी।

    उन्होंने सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर चलकर भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया था।गांधी जयंती को हर भारतवासी को उल्लास से मनाना चाहीए बापू’ के नाम से लोकप्रिय गांधी जी के सिद्धांत अहिंसा और सत्याग्रह पर आधारित थे। अहिंसा, सत्य, शांति और उच्च नैतिक मानकों में उनके अटूट विश्वास ने उन्हें एक बहुत प्रभावी स्वतंत्रता आंदोलन का नेता बना दिया।लाल बहादुर शास्त्री अपनी उदात्त निष्ठा एवं क्षमता के लिए लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए। विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। वे दूरदर्शी थे जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आये। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे। अपने गुरु महात्मा गाँधी के ही लहजे में एक बार उन्होंने कहा था मेहनत प्रार्थना करने के समान है।उन्होंने अपने विनम्र स्वाभाव, मृदुभाषी व्यवहार और आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी थी।लाल बहादुर शास्त्री को “शांति के प्रतीक” के रूप में जाना जाता है

    क्योंकि उन्होंने हमेशा आक्रामकता के बजाय अहिंसा का रास्ता पसंद किया। महात्मा गांधी के सपनों को बिहार में धरातल पर उतारने का काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने करने का काम किया है न्याय के साथ विकास कर हर वर्गों का हर क्षेत्रों का समुचित विकास किया है आज तो महात्मा गांधी की जयंती गॉडसे को भी पूजने वाले लोग मना रहे हैं। एक तरफ गॉडसे को राष्ट्रभक्त बताते हैं दूसरे तरफ महात्मा गांधी की पूजा करने का ढोंग करते हैं देश में जुमलेबाजी करने वाली सरकार जुमलेबाजी कर भोली भाली जनता को ठगने का काम कर रही है काम की बात की जगह मन की बात होती है अमन चैन शांति को भंग करने का संप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का हर संभव प्रयास बीजेपी करती रहती है। बी जे पी की दोहरी नीति को जान चुकीं है समझ चुकी है एवं इनके दोहरे चरित्र को समझ चुकी है

    उनके बताए मार्ग को अपनाकर पर चलकर ही उनके सपनों का भारत बना सकते हैं उनकी याद में आज हम लोगों ने पौधारोपण करने का काम किया है। इस अवसर पर असगर शमीम नगर जदयू के अध्यक्ष गुलरेज अंसारी मुख्य प्रवक्ता धनंजय देव महमूद बख्खो रंजीत कुमार अरविंद कुमार विनोद कुमार सिंह अब्दुल हक अमजद सिद्धकी रंजीत चौधरी श्रवण स्वर्णकार युगलकिशोर मुखिया आकाश कु काजल सनी पटेल आदित्य कुमार विकास मेहता राजेश कुमार सोनू शर्मा सूरज कुमार डॉक्टर बृजनंदन प्रसाद मोहम्मद इमरान रिजवी किशोर कुणाल मेराजुद्दीन पवन शर्मा संजीत यादव रोशन गुप्ता सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे

  • भारत के पहले अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री थे भोला पासवान शास्त्री

    बिहारशरीफ,-  साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना मोहल्ला में साहित्यिक मंडली शंखनाद के तत्वावधान में शंखनाद के वरीय सदस्य समाजसेवी सरदार वीर सिंह के आवास पर हिंदी-संस्कृत और उर्दू के प्रकांड विद्वान, भारत के पहले अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री व कर्मयोगी स्वतंत्रता सेनानी भोला पासवान शास्त्री की 108 वीं जयंती मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह तथा संचालन मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने किया। समारोह में साहित्यिक और सामाजिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा का विषय था- “भोला पासवान के विचार और सामाजिक उपलब्धि”। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्वलित तथा उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने स्वर्गीय शास्त्री जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया।

    जयंती समारोह में विषय प्रवेश कराते हुए साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री के तैल चित्र पर पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी का जन्म पूर्णिया जिले के केनगर प्रखंड में पंचायत गणेशपुर के काझा कोठी स्थित बैरगाछी में 21 सितंबर 1914 को हुआ था। ये बचपन से हीं कुशाग्र बुध्धि के थे। भोला पासवान अपने गांव बैरगाछी में संस्कृत पाठशाला में पढ़े और आगे बढ़े थे। इनके पिता का नाम धुसर पासवान था ये दरभंगा महाराज के यहाँ सिपाही की नौकरी करते थे। उन्होंने कहा- शास्त्री जी अपने राजनैतिक जीवन में तीन बार मुख्यमंत्री रहे। ये भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन वो बिहार की राजनीतिक इतिहास में विदेह कहे जाने वाले एक मात्र नेता हैं। शास्त्री जी सादा जीवन और उच्च विचार के लिए बिहार की राजनीति में जाने जाते हैं। स्वतंत्रता संग्राम से आजादी के बाद कांग्रेस के साथ जुड़कर कई महत्वपूर्ण पदों सहित मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी भोला पासवान शास्त्री ने कोई भी निजी धन संपत्ति इकट्ठा नहीं की। यही कारण है कि उन्हें सादगी के लिए जाना जाता है। शास्त्री जी की ईमानदारी अतुलनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है। उन्होंने बतायाकि शास्त्री जी पहली बार 22 मार्च 1968 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। अपने इस कार्यकाल में वह 100 दिनों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद उन्होंने 22 जून 1969 को दोबारा राज्य की सत्ता संभाली, लेकिन इस बार वह मात्र 13 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बन सके। 2 जून 1971 को उन्होंने तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसबार वह 9 जनवरी 1972 तक बिहार की गद्दी पर बने रहे।

    मौके पर अध्यक्षीय सम्बोधन में शंखनाद के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने स्व. भोला पासवान शास्त्री के जीवन वृतांत पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि हर व्यक्ति अपने बच्चों को शिक्षा की ओर ले जायें तभी समाज से गरीबी मिटेगी। स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी सादगी के प्रतिमूर्ति थे और उनका सादगीपूर्ण जीवन आज भी प्रासंगिक हैं। दिवंगत शास्त्री जी एक कुशल राजनेता और स्वतंत्रता आंदोलन के साहसिक योद्धा थे। जिन्होंने समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया। उन्होंने कहा- वर्तमान समय में समाज को अपने महापुरुषों के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण नये दौर के बच्चे उनके त्याग व बलिदान से अवगत नहीं हैं, जो दु:ख की बात है। हमें अपने महापुरुषों के बारे में उनके त्याग और बलिदान की कहानी को समाज के पटल पर रखना होगा, ताकि हमारी नई पीढ़ी जान सके।

    कार्यक्रम संचालन करते हुए “शंखनाद” के मल्टीमीडिया प्रभारी राष्ट्रीय गजलकार नवनीत कृष्ण ने कहा- बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्व० भोला पासवान शास्त्री जी ईमानदारी की मिसाल थे। शास्त्री जी बिहार ही नहीं, बल्कि देश के बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे। वे सभी वर्गों के रहनुमा थे। केवल दलितों के नहीं बल्कि वें अकलियतों और पिछड़ों सहित सभी वर्गों के नेता थे। उन्होंने सभी के लिए बगैर भेदभाव के काम किया।

    शंखनाद के वरीय सदस्य सरदार वीर सिंह ने कहा- भोला पासवान शास्त्री एक बेहद ईमानदार और देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे। वह महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय हुए थे। बहुत ही गरीब परिवार से आने के बावजूद वह बौद्धिक रूप से काफी सशक्त थे। भोला पासवान जी दलितों ही नहीं अपितु गरीब, गुरूबों, पिछड़ों अतिपिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के सर्वमान नेता थे।

    शिक्षाविद् साहित्यसेवी राजहंस कुमार ने कहा कि आज हमलोग महामानव भोला पासवान शास्त्री की जयंती मना रहे हैं, उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में शोषितों, पीड़ितों, पिछड़ों एवं दलितों के उत्थान के लिए उनके अधिकार और समता के अस्तित्व के लिए काम किए और गरीबों के बीच शिक्षा के लिए अलख जगाने का काम किए।

    साहित्यसेवी सुरेश प्रसाद ने कहा कि भोला पासवान शास्त्री वास्तव में भोला थे। वे एक बेहद ईमानदार और देश भक्त थे। गरीबी की आग में तप कर शिक्षा अध्ययन करने वाले स्व० शास्त्री के जीवन से आज के पीढ़ियों के युवाओं को सिख लेने की जरूरत है। तभी इनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

    साहित्यसेवी प्रमोद कुमार ने कहा कि स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी का जीवन राजनीतिक स्वच्छता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि आज राजनीति में इतनी गंदगी आ गई है कि राजनेता के पावर में आने का निहितार्थ बेशुमार दौलत संग्रह हो गया है। शास्त्री जी त्याग की प्रतिमूर्ति थे।

    इस दौरान परिचर्चा में साहित्यसेवी डॉ. हजारी लाल, समाजसेवी विजय कुमार, समाजसेवी राजदेव पासवान, धीरज कुमार, ललितेश्वर चौधरी, विद्या भूषण सिंह, अर्जुन प्रसाद, राजीव कुमार, रविन्द्र पासवान, यशपाल सिंह, मुन्नीलाल यादव, सुनिता देवी, शोभा देवी, युवराज सिंह, गोलू कुमार, अंजीत पासवान, बैजू कुमार सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर केंद सरकार द्वारा चलाये गए

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिन के अवसर पर केंद सरकार द्वारा चलाये गए विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के द्वारा लिखे गए शुभकामना संदेश सह धन्यवाद पोस्टकार्ड को कार्यक्रम जिला नालंदा प्रभारी सुधीर कुमार जिला उपाध्यक्ष, शैलेंद्र भाजपा मंत्री डॉ आशुतोष कुमार ,नगर अध्यक्ष अमरेश कुमार ,मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, युवा मोर्चा अध्यक्ष सूरज कुमार ,नगर बिहार शरीफ ,युवा मोर्चा जिलानालंदा अध्यक्ष धीरज कुमार ,सोनू कुमार ,अमितगौरवजी, बिहारशरीफ पोस्ट ऑफिस से भेजते हए।,

  • मंत्री श्रवण कुमार के जन्मदिन पर दीर्घायु होने के लिए मांगी दुआएं

    बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार के जन्मदिन पर दीर्घायु होने के लिए मांगी दुआएं:- जिला जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ नालंदा के द्वारा बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के जन्मदिन के अवसर पर बड़ी दरगाह के मखदूम साहब के मजार पर चादर पोशी कर उनके लंबी उम्र एवं दीर्घायु होने की कामना की कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला के अध्यक्ष इमरान रिजवी उर्फ लालबाबू महानगर अल्पसंख्यक अध्यक्ष पप्पू खान रोहिल्ला ने की।

    इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मंत्री श्रवण कुमार कार्यकर्ताओं के दुख सुख में हमेशा शरीक होने का काम करते हैं उनके हालचाल जाने का काम करते हैं ऐसे जमीनी स्तर के नेताओं के प्रति कार्यकर्ता में उत्साह का माहौल है।

    मंत्री श्रवण कुमार के जन्मदिन पर दीर्घायु होने के लिए मांगी दुआएं

    वे कार्यकर्ताओं से नेता बने हैं अल्लाह उन्हें इतनी शक्ति प्रदान करें कि वह नेता नीतीश कुमार जी के कारवां को उनके झंडे को हमेशा बुलंद रखें उनके नीतियों को उनके सिद्धांतों को सरकार के माध्यम से जनता के बीच पहुंचाने का काम करें कार्यकर्ता उनके जन्मदिन के अवसर पर यही कामना करते हैं।

    पूरे सूबे एवं मुल्क के अमन शांति एवं भाईचारे की के लिए प्रार्थना भी की केक काटकर उनका जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर मोहम्मद ताबिश नेहाल मोहम्मद अशरफ मोहम्मद नियाज अहमद मुमताज फारूकी मोहम्मद शहजाद मोहम्मद इफ्तहार मोहम्मद जैनुल हक मोहम्मद अब्दुल्ला आदि लोग उपस्थित रहे