Category: धर्म

  • धनेश्वर घाट तालाव में गंगा आरती देव दीपावली ,मनाने की एक अभूतपूर्व परंपरा

    बिहार शरीफ़ / डॉ.मधुप रमण . याद आ गया पूर्व का साल। देव दीपावली की शाम। एक साल में ही कोरोना की बजह से बहुत कुछ बदल चुका था । हालांकि इस साल कोरोना की समाप्ति के बाद इस सांस्कृतिक परंपरा का बेहतर तरीक़े निर्वहन किया जाना था । बाद में भी सांस्कृतिक परम्पराएं अक्षुण्ण ही रहेंगी यह विश्वास है।प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व आस्था का जन सैलाब लेकर आता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु स्नानार्थियों की भीड़ अपनी चरमसीमा पर होती है। पावन नदियों में स्नान एवं पूजा- पाठ का नजा़रा अवलोकनीय होता है। श्रद्धालुगण आस्था की सारी सीमाएँ लांघकर सावन के मेघ की तरह लाखों की संख्या में उमड़ पड़ते हैं। पावन नदी घाटों पर तिल रखने की भी जगह नहीं होती। भजन- कीर्तन एवं भक्ति गीतों से सारा वातावरण गुंजायमान रहता है।

    बिहार शरीफ देव दीपावली : कई सालों से बिहार शरीफ़,स्थित धनेश्वर घाट तालाब में भी काशी के तर्ज़ पर कार्तिकपूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के पवित्र दिन को भी पर देव दीपावली मनाने की एक अभूतपूर्व परंपरा रही है।देव दीपावली की दैविक रीत है,भगवान उस दिन काशी के अस्सी घाटों पर अवतरित होते हैं हम मानव कार्तिक अमावस की रात दीपोत्सव मनाते है तो देवों की दीपावली कार्तिक पूर्णिमा को होती हैं,इस विशेष दिन काशी के घाटों की अतुलनीय शोभा विश्व विख्यात है सर्वत्र चर्चित है।

    गुरु पूर्णिमा या कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र दिन के एक दिन पहले यहां की सजावट भी देखते ही बनी । क्योंकि ८ नवम्बर को ग्रहण लगना था। इसलिए पूर्णिमा के एक दिन पूर्व यह आयोजन होना था। सुबह कब की हो भी चुकी थी । तिमिर हट चुका था । बिहार शरीफ देव दीपावली के सदस्य गण जाग चुके थे । कहना मात्र यह है कि इस अवसर पर काशी की तर्ज़ पर ही इस छोटे से शहर बिहार शरीफ़ में भी सांस्कृतिक आयोजन के निमित भजन का भी गायन वादन होना था जो याद करने योग्य होता है।

    शाम होने की कगार पर थी । मधुर मधुर दीपक मेरे जल जल जल कर मेरे पथ आलोकित कर ..उन दीयों के जलने कि तैयारी हो चुकी थी । शनैः शनैः स्वेच्छा से कुछेक लोग तालाब परिसर में जुटने लगे थे ,दीप जलने मात्र से
    बिहार शरीफ़ के धनेश्वर घाट स्थित तालाब के गलियारे को जो आलोकित होना था। माहौल भक्ति पूर्ण हो गया था ।
    विश्व ज्ञान की धरती नालंदा के जिला मुख्यालय बिहार शरीफ़ में भी कमो वेश यही दृश्य था जैसा बनारस में होता है । वैसी ही शोभा थी। तालाब की काया इस साल पलट चुकी थी। देखने से यह प्रतीत हो रहा था कि बिहार शरीफ़ स्मार्ट सिटी बनने की राह पर कदम बढ़ा चुका है। शाम होते ही भजन कीर्तन की आवाज़ें आने लगी। आमंत्रित गायक अपने अपने फ़न आज़माने लगे।

    तब देर संध्या बनारस से आए पंडितों यथा आचार्य दीपक शास्त्री ,पंडित संतोष पांडे ,पंडित राकेश प्यासी ,पंडित प्रवेंद्र तिवारी ने वैदिक मंत्रो च्चारण के साथ आयोजन समिति के सदस्यों अधिवक्ता रवि रमण , पूर्व बार्ड पार्षद परमेश्वर महतो, वर्तमान बार्ड पार्षद रीना महतो तथा प्रोफेसर आशुतोष शरण के द्वारा जल श्रोतों की विधिवत पूजा की विधि आरम्भ करवाई। तत्पश्चात गंगा आरती संपन्न हुई । इस घटना के साक्षी रणजीत कुमार सिन्हा ,सीमा सिन्हा, अभिमन्यु आदि अन्य उपस्थित श्रद्धालूगण रहें ।
    इसके बाद धनेश्वर घाट तालाब की सीढ़ियों पर रखे दीओं को प्रकाशित करने का कार्य शुरू किया गया। वहां उपस्थित तमाम आए श्रद्धालुओं ने घाटों पर सजाए गए अपने अपने आस्था के दीप जलाएं।
    सर्वत्र जोत से जोत जलाने की अद्भुत परम्परा में प्रेम की गंगा बहाते चलो का मनोभाव सबके भीतर जैसे उमड़ पड़ा था। भक्ति में पूजा के उपरांत आम लोगों के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया ।

    बताते चले इस धनेश्वर घाट तालाब परिसर में ८ नवम्बर को ग्रहण लगने की बजह से कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पूर्व ७ नवम्बर को ही गंगा आरती का आयोजन किया गया था। इस दिन हुए देव दीपावली के आयोजन के उपलक्ष्य पर देव दीपावली आयोजन समिति के सदस्य वरीय अधिवक्ता रवि रमण ,प्रोफ़ेसर आशुतोष शरण, पूर्व बार्ड कमिश्नर परमेश्वर महतो, गोल इंस्टिट्यूट के संचालक संजय कुमार तथा आर्य समाजी अभिमन्यु ने भक्ति भाव से अपने अपने दीप जलाकर गंगा का आह्वाहन करते हुए गंगा की आरती की तथा जल श्रोतों को अक्षुण्ण साफ़ सुथरा बनाये रखने का संकल्प भी लिया जो जल संरक्षण के निहित सन्देश को लेकर महत्वपूर्ण है ।इस बार भी यह आयोजन भीड़ भाड़ के साथ बिहार शरीफ़,स्थित धनेश्वर घाट देव दीपावली आयोजन समिति ने देवदीपोत्सव का कार्यक्रम सदस्यीय स्तर पर ही सपन्न करने का निर्णय लिया जो सफलता पूर्वक पूर्ण भी हुआ ।

  • गुरु नानक देव जी का 554 वां प्रकाशोत्सव समारोह हर्षोल्लास के साथ संपन्न

    राजगीर में गुरु नानक देव जी का 554 वां प्रकाशोत्सव समारोह हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। तीन दिवसीय प्रकाश उत्सव के समापन के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरु नानक शीतलकुंड पहुंच कर नवनिर्मित गुरुद्वारा एवं गुरुद्वारा की नई भवन एवं यात्री निवास का उद्घाटन किया। बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुद्वारे पहुंचकर मत्था टेका एवं बिहार में अमन चैन एवं तरक्की की कामना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरु नानक देव जी के जीवनी पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी राजगीर में बहुत दिन तक यहां रहे। राजगीर में सभी कुंडों से गर्म पानी निकलता था गुरु नानक जी की कृपा से यहां शीतल कुंड निकलने लगा। उन्होंने कहा कि राजगीर सभी धर्मों की स्थली रही है। उन्होंने कहा कि राजगीर में पर्यटकों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि बिहार गरीब राज्य होते हुए भी यहां के इंतजाम काफी बेहतर होते है। उन्होंने कहा कि राजगीर के पर्यटन स्थलों एवं यहां के निवासियों के लिए जल्द ही गंगा जल की आपूर्ति इस माह कर दी जाएगी।

  • आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा नालंदा जिला में धूमधाम से मनायी

    कायस्थों के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा नालंदा जिला में धूमधाम से मनायी गयी। शहर के भरावपर स्थित मंदिर में श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजा वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। इस अवसर पर कायस्थ परिवारों ने बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार भरावपर स्थित चित्रगुप्त मंदिर में आकर पूजा अर्चना की।

    उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जा रही है। उन्होंने कहा कि भगवान चित्रगुप्त से विनती है कि राज्य में अमन चैन शांति भाईचारा कायम रहे। बिहार राज्य तरक्की करें। ऐसी मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं। इस दिन कायस्थ परिवारों ने कलम और दवात की पूजा की। चित्रगुप्त भगवान को यमराज का सहयोगी माना जाता है।

  • पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता विवेचना का कार्यक्रम

    दिव्य ज्योति जाग्रति स्थान द्वारा पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता विवेचना का कार्यक्रम हाई स्कूल हरनौत मैदान मे संपन्न हुआ । कथा के अंतिम दिन संस्थान के संस्थापक एवं संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री अमृता भारती जी ने पूर्ण गुरु की कसौटी को बड़े ही सारगर्भित तरीके से भक्त श्रद्धालुओं के समक्ष प्रस्तुत किए । उन्होंने बताया कि हमारे हर शास्त्र ग्रथ में पूर्ण गुरु की पहचान मात्र और मात्र ईश्वर के दर्शन से बताई गई है, जो गुरु मानव तन रूपी घट के भीतर परमात्मा के प्रकाश स्वरूप का दर्शन करा दे उसे ही पूर्ण गुरु मानो । इतिहास बताता है कि स्वामी विवेकानंद पूर्ण गुरु की इसी कसौटी को लेकर अनेक तथाकथित संत के पास जाते थे और उनसे यह प्रश्न करते थे क्या आपने ईश्वर दर्शन किया है , क्या आप मुझे भी करा सकते हैं, मगर उनकी यह जिज्ञासा स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी ने पूरी की । यही वह ज्ञान था जो सामान्य से नरेंद्रनाथ को स्वामी विवेकानंद के रूप में तब्दील कर गया, जो आज कई दशकों बाद भी एक आदर्श युवा के रूप में समाज में प्रतिष्ठित है ।
    श्रीमद्भागवत गीता में भी भगवान कृष्ण अर्जुन को युद्ध के मैदान में इसी सनातन ज्ञान को प्रदान कर परमात्मा के योग स्वरूप, प्रकाश स्वरूप का घट के भीतर दर्शन कराते हैं, अर्जुन परमात्मा के स्वरूप का साक्षात्कार कर ही मोह रूपी विकार से मुक्त हो पाया था । उन्होंने आगे बताया कि आज संपूर्ण समाज मूलतः पांच विकारों काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से ग्रसित है और समाज की संपूर्ण समस्या की तह में यही पांच विकार देखने को मिलते हैं अगर आज हम भी समाज की इन समस्याओं से समाधान चाहते हैं तो ईश्वर के ज्ञान रूपी प्रकाश से ही अंतर्मन के अज्ञानता रूपी अंधकार को नष्ट कर सकता है। इसी कड़ी में आज सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ब्रह्म ज्ञान के दीक्षा प्रदान कर ईश्वरीय चेतना का साक्षात्कार करा समाज को श्रेष्ठ समाज बनाने के निमित्त संकल्पित हैं । स्वामी रघुनन्दनानंद जी ने आगे समझाया कि गुरु की पहचान वेश-भूषा , बाहरी लिबास , पहनावे , त्रिपुंड से नहीं होती , जिस तरीके से रावण भी संत के भेष में मां सीता का हरण कर गया था आज भी रावण रूपी कपटी संत सीता रूपी भोले भाले समाज को ठगने को तैयार बैठे हैं । एक पुरानी कहावत है “गुरु करो जान के पानी पियो छान के” । इसी ब्रह्म ज्ञान की जिज्ञासा को ले कई भक्त श्रद्धालुओं कथा समाप्ति के बाद संत समाज से मुलाकात की । सैकङौ भक्त श्रद्धालुओं ने कथा के अंतिम दिवस सु मधुर भजनों के सत्संग विचारों का आनंद लिया।

  • संत आश्रम राजाकुआं में 48 घंटे का अखंड हरिकीर्तन का समापन

    बिहारशरीफ,6 अक्टूबर 2022 : बिहारशरीफ प्रखंड अंतर्गत राजाकुआं स्थित संत बाबा आश्रम में श्री संत आश्रम न्यास समिति के सौजन्य से सोमवार 3 अक्टूबर 2022 से बुधवार 5 अक्टूबर 2022 तक 48 घंटे का अखंड हरिकीर्तन संपन्न हुआ। अखंड हरिकीर्तन का उद्घाटन श्री संत आश्रम न्यास समिति के संरक्षक पूर्व एमएलसी राजू यादव ने किया।
    मौके पर उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन से जहां लोगों में भक्ति और मानवीय संवेदनाओं का संचार होता है, वहीं पर्यावरण भी शुद्ध होता है। उन्होंने कहा कि जनमानस में अच्छी सोच और आपसी भाईचारा के लिए किया जा रहा अखंड हरिकीर्तन श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत होगा। उन्होंने आह्वान भी किया कि इस भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्लोरबल वॉर्मिंग) के मौके पर लोग खाली स्थलों पर पौधारोपण करें जिससे लोगों को ऑक्सीजन या शुद्ध प्राणवायु भी मिलेगा। वहीं बरसात के पानी का संचयन भी करें। वर्तमान समय में कृषि के लिए उचित बारिश नहीं होने की वजह से स्थिति भयावह हो रही है। ऐसे में जलस्तर में भी गिरावट हो रही है। इसलिए आनेवाले पीढ़ी के लिए जल बचाने की जरूरत है और लोगों को जल बचाने के लिए जागरूक करें।
    कार्यक्रम के दौरान बाबा नवदीप ने कहा कि वातवरण शुद्ध हो और सभी गांव एवं समाज में एकता बनी रहे इसी उद्देश्य से श्री संत आश्रम में प्रत्येक वर्ष 3 अक्टूबर संत बाबा के पूण्यतिथि पर अखंड हरिकीर्तन का आयोजन किया जाता है। अखंड हरीकीर्तन के समापन के अवसर पर महाप्रसाद का आयोजन किया गया। तीन दिवसीय हरीकीर्तन में नालंदा ही नहीं बल्कि पड़ोसी जिले के लोग संत बाबा का दर्शन करने और हरे रामा-हरे कृष्णा का हरीकीर्तन में भाग लेने के लिए पधारे हैं।
    इस हरीकीर्तन में अध्यक्ष राजेश्वर यादव, आनंदी प्रसाद, जागेश्वर यादव, राकेश बिहारी शर्मा, सुरेश प्रसाद, सरदार वीर सिंह, विजय कुमार, महंथ बबाली साधु, अवधेश प्रसाद,मारो देवी,बिंदा देवी,शबनम कुमारी, शिवानी कुमारी, विनोद बाबा, टुनि बाबा, रामेश्वर सिंह, द्वारिका बाबा आदि सैकड़ो महिला-पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे।

  • संत बाबा में अलौकिक दैविक शक्ति, वो अपने समय के महान संत थे

    राकेश बिहारी शर्मा – बिहारशरीफ़ प्राचीन काल में मगध की राजधानी था। अद्भुत ज्ञान परंपरा का केंद्र बिहारशरीफ, समृद्ध कला, धार्मिक और संस्कृति की झलक तथा ज्ञान की पावन भूमि से दुनिया के लोगों को महापुरुषों द्वारा ज्ञान प्राप्त हुआ है। यहाँ पर भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, बाबा मणिराम, सूफी संत मखदूम बिहारी तथा संत बाबा ने भी उपदेश दिए थे।

    तेतर दास उर्फ़ संत बाबा का जन्म और पारिवारिक जीवन – 
    तेतर दास उर्फ़ संत बाबा का जन्म बिहार राज्य के नालंदा जिले व बिहारशरीफ प्रखंड के इमादपुर ग्राम में बाबू छेदी गोप जी के घर में हुआ था। हालाँकि, उनके जन्म की तारीख को लेकर विवाद है। इनके माता जी धर्मपरायण महिला थी। सदाचार का पाठ ये अपने माता-पिता से ही सीखे थे। संत बाबा उर्फ़ बाबु तेतर दास जी तीन बहन और एक भाई थे। संत बाबा के पिता जी साधरण किसान थे और बाबा खुद खेती में सहयोग करते और समय मिलने पर भगवत-भजन किया करते थे। बाबा बचपन से ही बेहद बहादुर और ईश्वर के बहुत बड़े भक्त थे। बाबा अपने व्यवहार व लोक-रीति के द्वारा लोगों को जीवन के इस सही तथ्य से अवगत कराते थे।

    समाज सेवा, संत सेवा व गौसेवा ईश्वरीय शक्ति व भक्ति है – संत बाबा जनसेवा तथा गौसेवा को सर्वोपरि-धर्म मानते थे तथा प्रत्येक दर्शनार्थी को लोगों की सेवा, गौमाता की रक्षा करने तथा भगवान की भक्ति में रत रहने की प्रेरणा देते थे। जब किसी के भाग्य का उदय होता है तो उसका जन्म बिहार की पवित्र भूमि पर होता है, क्योंकि बिहार की भूमि कोई सामान्य भूमि नहीं है। यह धर्म की भूमि है। अध्यात्म की भूमि है। संस्कृति व संस्कार की भूमि है, जहाँ अनेक देवी-देवताओ और साधु संतो ने जन्म लिया है। इसी परम्परा में बिहार के नालंदा जिले के इमादपुर ग्राम में संत तेतर दास उर्फ संत बाबा का जन्म हुआ। ये बाल्यकाल से ही धार्मिक, समाजिक, अध्यात्मिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। ये अपना सम्पूर्ण जीवन असहाय निर्बल व बिहार सहित भारत के सुदूर ग्रामों में रहने वाले दीन-दुखियों के सेवा में लगाया। लोग उनके व्यवहार से बहुत प्रभावित रहते थे। वे सादा-जीवन उच्च विचार के हिमायती थे। महात्मा संत बाबा के जन्म के समय में वातावरण में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। लोग धर्मांन्धता से परेशान थे। आपसी भाईचारा धर्म का ह्रास हो रहा था। लोगों में भक्ति-भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में ही, बाबा का प्रार्दुभाव हुआ।

    संत बाबा को 12 वर्ष की अवस्था में ज्ञान प्राप्त हुआ –संत बाबा स्वाधीनचेता महापुरुष थे और इनका परिचय, प्राय: इनके जीवनकाल से ही, इन्हें सफल साधक, भक्त, मतप्रवर्तक अथवा समाज सुधारक मानकर दिया जाता रहा है। 12 वर्ष की अवस्था में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। ज्ञान प्राप्ति के बाद संत बाबा के नाम से जाने जाने लगे। जिस जगह उन्हेंञ ज्ञान प्राप्तव हुआ उसे राजा कुआँ के नाम से जाना जाता है। संत बाबा ने अपना पहला उपदेश राजाकुआँ में किसान, मज़दूर व व्यापारी को दिया। बहुत ही कम समय में संत बाबा अपने कर्म एवं व्यक्तित्व से एक सिद्ध महापुरुष के रूप में प्रसिद्ध हो गए। संत बाबा के दर्शन के लिए प्रतिदिन विशाल जन समूह उमड़ने लगा तथा बाबा के सानिध्य में शांति और आनन्द पाने लगा। बाबा श्रद्धालुओं को योग और साधना के साथ-साथ ज्ञान की बातें बताने लगे। बाबा का जीवन सादा और एकदम संयासी था। बाबा नित्य 4 बजे भोर में ही स्नान आदि से निवृत होकर ईश्वर ध्यान में लीन हो जाते थे और अपने आसनी पर आसीन होकर श्रद्धालुओं को दर्शन देते और ज्ञानलाभ कराते थे। नकटपुरा ग्रामवासी धरम सिंह यादव के पुत्र नन्दू यादव के घर से संत बाबा के लिए प्रत्येक दिन सात्विक भोजन की व्यवस्था की जाती थी और। बाबा 24 घण्टा में एक ही बार भोजन करते थे। लेकिन भोजन करते हुए किसी ने भी नहीं देखा था। वृद्धावस्था में संत बाबा को नवदीप बाबा अपने हाथ से भोजन कराते थे।

    संत बाबा में अलौकिक दैविक शक्ति, वो अपने समय के महान संत थे – संत बाबा के भक्त आज भी इन्हें एक अलौकिक अवतारी पुरुष मानते हैं और इनके संबंध में बहुत-सी चमत्कारपूर्ण कथाएँ भी सुनी जाती हैं। उनके चमत्कारी व्यक्तित्व को देखकर त्रिकाल दर्शी स्वरुप आभाषित होता था। इनका कोई प्रामाणिक जीवनवृत्त आज तक नहीं मिल सका है। बाबा आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे। वह कर्म प्रधान समाज के पैरोकार थे। लोक कल्याण हेतु ही मानो उनका समस्त जीवन था। बाबा को वास्तव में एक सच्चे विश्व-प्रेमी का अनुभव था। बाबा की सबसे बड़ी विशेषता उनकी प्रतिभा में अबाध गति और अदम्य प्रखरता थी। समाज में बाबा को वर्तमान जागरण युग का अग्रदूत कहा जाता है। संत बाबा में अलौकिक दैविक शक्ति था। वो अपने समय के महान संत थे और एक आम व्यक्ति की तरह जीवन को जीने की वरीयता देते है। कई बड़े किसान व व्यापारी और दूसरे समृद्ध लोग उनके बड़े अनुयायी थे लेकिन वो किसी से भी किसी प्रकार का धन या उपहार नहीं स्वीकारते थे। उनके कई भक्त साधारण झोपड़े की जगह बड़ी इमारतें बनाने को कहा। लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। श्रद्धालुओं के कथनानुसार संत बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे। प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही आसनी के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे जबकि आसनी पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी। श्रद्धालुओं को कौतुहल होता था कि आखिर यह प्रसाद बाबा के हाथ में कहाँ से और कैसे आता है। लोगों का मानना है कि बाबा को सब पता रहता था कि कब, कौन, कहाँ उनके बारे में क्या चर्चा हुई। वह अवतारी व्यक्ति थे। उनका जीवन बहुत सरल और सौम्य था। वह फोटो कैमरे और टीवी जैसी चीजों से दूर रहते थे। वे अपना फोटो नहीं खिचवाते थे। लेकिन यदि कोई जबरन फोटो खिचता भी तो आश्चर्य की बात यह थी कि उनका फोटो नहीं बनता था।

    संत बाबा ने जनमानस के लिए उपदेश दिए, सबका मालिक एक है – संत बाबा ने हमेशा लोगों को सिखाया कि अपने पड़ोसियों को बिना भेद-भेदभाव किये प्यार करो। सभी जीवों में ईश्वर का वास है और सभी में ईश्वरीय शक्ति है। उनका मानना था कि, मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है, इसलिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा में लगा दिया। ये भूमि साधु, संतों की भूमि है। ईश्वर एक है हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका मालिक एक है। मनुष्य तन ईश्वर का दिया हुआ स्वरूप है, इसे व्यर्थ न गवाना चाहिए। इसे अच्छे कर्मों में लगाना चाहिए। त्याग, तपस्या ईश्वर में दो मिनट समय निकालकर भगवान की चरणों में व माता-पिता के चरणों में समर्पित करना चाहिए। यह संस्कार आने वाले पीढ़ी का हमेशा मार्गदर्शन करेगा। गृहस्थ आश्रम में रहकर भी आप संत है। दीन, दुखियों, पीड़ितों, असहायों साथ ही साधु-संतों व माता-पिता का सेवा करना मानव धर्म की पहली पूंजी है। संत बाबा ने हमेशा अपने अनुयायीयों को सिखाया कि कभी धन के लिये लालची मत बनो, धन कभी स्थायी नहीं होता, इसके बजाय आजीविका के लिये कड़ी मेहनत करो और सदाचारी बनों। बाबा कहा करते थे कि लोगों को समाज में बराबरी का अधिकार मिलना चाहिये क्योंकि उनके शरीर में भी दूसरों की तरह खून का रंग लाल और पवित्र आत्मा होती है। उनका मानना था समाज में सभी का स्थान बराबर है, सभी एक ही भगवान के संतान हैं। संत बाबा महान समाज सुधारक थे। वर्तमान समय में इंसानियत, और बाबा की अच्छाई, निर्लोभ और बहुत से कारणों की वजह से बदलते समय के साथ संत बाबा के अनुयायीयों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। बाबा भक्तों के भावनाओं और मनोदशा की जानकारी अपने दैवीय शक्ति से वो पहले ही जान जाते थे और बाबा उनके भावनाओं के अनुसार ही उनका जवाब देते थे। बिहारशरीफ के मीरदाद मोहल्ला के लोकप्रिय जमींदार बशु बाबू का 19 डिसमिल जमीन में “बड़ी बाग” नाम से राजा कुआं के दक्षिणी छोर पर संत बाबा का आश्रम है। आश्रम के विकसित व रमणीक बनाने के लिए बाद में उनके भक्तों ने कुछ और जमीन खरीद कर घेराबंदी कर दिया है। जो आज मनोरम रमणीक आश्रम का रूप ले लिया है। आश्रम में जो बड़ और पीपल का पेड़ है उसे बाबा ने ही लगाया था। उस आश्रम में पतुआना के सेवक डेगन गोप के चौथे पुत्र नवदीप गोप लगातार उनके सेवा में लगे हुए हैं।

    मंगलकारी प्रज्ञा पुरूष संत शिरोमणि संत बाबा का निधन – संत शिरोमणि संत बाबा ने 3 अक्तूबर 1999 की रात 11:45 बजे प्राण त्यागे तब से प्रत्येक वर्ष बाबा की समाधि पर मेला, पूजा-पाठ तथा संत प्रवचन होता आ रहा है। बाबा में चमत्कारी शक्ति थी। संत बाबा ने कभी भी किसी से सेवा नहीं लिया। राजा कुआँ गांव के समीप सटे दक्षिणी दिशा में पीपल और बड़ पेड़ के बीच खुले आसमान में या छाते के नीचे वे रहते थे। आश्रम के प्रांगण में एक कुआं है। कुएं का पानी किसी अमृत से कम नहीं है। आज भी पानी का स्तर लगभग 10 से 15 फिट पर ही हैं। चाहे कितनी भी गर्मी पड़े पानी ठंडा व मीठा ही रहता है और पानी का जलस्तर नही घटता हमेशा उतना ही रहता है। ग्रामीणों का ऐसा मानना है कि सांप व बिच्छु काट लेने पर इस कुएं के पानी से स्नान करने व पीने मात्र से ही लोग ठीक हो जाते है। इस दरम्यान हुमाद व अगरबत्ती भी जलाया जाता है। बाबा को रामायण कंठस्थ याद था। 3 अक्तूबर 2002 से लगातार प्रत्येक वर्ष तीन दिनों तक रामायण का पाठ और 48 घंटे तक का रामधुनी यज्ञ होता है। वहां के लोग तीन दिनों तक मीठा भोजन करते हैं। बाबा की समाधि पर जाकर जो लोग सच्चे मन से कुछ मांगता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

    संत बाबा के करोडों अनुयायी भारत में – संत बाबा जी का आश्रम राजा कुआँ में है। इनके करोडों अनुयायी भारत में हैं। इनके शिष्यों में करोड़ों गरीब एवं साधारण व्यक्तियों के साथ-साथ राजनेता, चिकित्सक, प्रोफेसर, व्यवसायी आदि हैं। संत बाबा के आश्रम राजा कुआँ में हर कोई आ सकता है। इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं है। इस मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क नहीं है और न ही किसी से किसी किस्म का चन्दा ही मांगा जाता है। अगर किसी की इच्छा कुछ दान देने की हुई तो उसके लिए प्रतिबंध यह है कि अगर वह अण्डा, मांस, मछली, शराब खाता-पिता है तो कृपा करके दान पात्र में रुपये-पैसे न डाले जाते हैं। पुरे भारत के लोग मंदिर में आते हैं, यहां इतनी शांति मिलती है कि यहां से जाने की इच्छा नहीं होती है।

    रामलखन सिंह यादव व लालू यादव भी आये थे संत बाबा का दर्शन और आशीर्वाद लेने – संत बाबा एक महान पुरुष थे जिनका राजा कुआँ स्थित पीपल पेड़ समीप समाधि स्थल है। इनकी ख्याति इतनी है की बाबा के शरीर त्यागने के बाद उनको मानने वालों ने समाधि पर मंदिर का निर्माण करा दिया। इस भव्य मंदिर का दर्शन करने के लिए न केवल नालंदा बल्कि राज्य के अन्य जिलों से भी लोग आते हैं। खासकर प्रत्येक रविवार को इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के कुएं का जल और मिट्टी ले जाने से लोगों को कष्टों से छुटकारा मिलता है। संत बाबा के दर्शन के लिए देश के लोकप्रिय नेता रामलखन सिंह यादव और तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय श्री लालू प्रसाद यादव जी भी पहुंचे थे। संत बाबा मर कर भी आज अमर हैं। संत बाबा में दैविक शक्ति था।

  • धनेश्वरघाट मंदिर में हवन व पूजा के साथ 48 घंटे का अष्टयाम महायज्ञ सम्पन्न

    बिहारशरीफ के धनेश्वरघाट हनुमान मंदिर में गुरुवार को हवन व सत्यनारायण पूजा के साथ ही 48 घंटे का दो दिवसीय 32वां अष्टयाम महायज्ञ सम्पन्न हुआ। हनुमान मंदिर यज्ञ समिति की ओर से आयोजित इस अष्टयाम महायज्ञ का शुभारंभ 6 सितंबर को हुआ था। दो दिनों तक निर्बाध रूप से भैंसासुर, सोसन्दी, बेलदारबीघा, लोदीपुर व हुड़ारि गांवों की कीर्तन मंडली द्वारा “हरे राम, हरे कृष्णा” के उद्घोष से पूरा माहौल भक्तिमय बना हुआ रहा।

    धनेश्वरघाट मंदिर में हवन व पूजा के साथ 48 घंटे का अष्टयाम महायज्ञ सम्पन्न

    यज्ञ समिति के वरिष्ठ सदस्य आनन्द कुमार ने बताया कि अष्टयाम का अर्थ है आठ पहर। एक दिन-रात में आठ याम होते हैं इसलिए इसे अष्टयाम से अभिहित किया जाता है। महायज्ञ समष्टि प्रधान होता है। अत: इसमें व्यक्ति के साथ जगत कल्याण और आत्मा का कल्याण निहित रहता है। इसलिए महर्षि भारद्वाज ने कहा है कि सुकौशलपूर्ण कर्म ही यज्ञ है और समष्टि सम्बन्घ से उसी को महायज्ञ कहते हैं।
    यज्ञ समिति के अध्यक्ष ने बताया कि धनेश्वरघाट मन्दिर में अष्टयाम महायज्ञ का शुभारंभ 1992 में हुआ। हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी इसकी शुरुआत तथा 48 घण्टे बाद त्रयोदशी को हवन-पूजा के साथ संपन्न होता है।

    धनेश्वरघाट मंदिर में हवन व पूजा के साथ 48 घंटे का अष्टयाम महायज्ञ सम्पन्न

    इसकी शुरुआत यज्ञ मंडप में 6 सितंबर मंगलवार को कलश स्थापित कर भगवान की पूजा-अर्चना से की गई। सर्व कल्याण, जन हिताय, चंहुओर सुख-समृद्धि की विचारधारा को आगे बढ़ाने सहित विश्व शांति के लिए आयोजित इस दो दिवसीय अष्टयाम यज्ञ के दूसरे और अंतिम दिन 8 सितंबर गुरुवार को धनेश्वरघाट मन्दिर परिसर में हवन व सत्यनारायण पूजा की गई। इस अवसर पर हनुमान मंदिर यज्ञ समिति की ओर से प्रसाद वितरण व भंडारा का भी आयोजन किया गया। इसमें श्रद्धालु नर-नारियों सहित हजारों लोगों ने भोजन किया। अष्टयाम महायज्ञ के सफल आयोजन में यज्ञ समिति के कुमार माधवेन्द्र सिंह, रामकृष्ण प्रसाद, उदय प्रसाद, कुमार मयंक, कौशलेन्द्र कुमार, दीपू कुमार, शैलेन्द्र कुमार, उपेन्द्र कुमार, राकेश कुमार, मुन्ना सिंह व पुजारी सूरज कुमार आदि सक्रिय रूप से लगे रहे।

  • युवा लोजपा (रा) नालंदा द्वारा अभिनंदन समारोह आयोजित

    अजीत कुशवाहा को युवा लोजपा ( रा ) का प्रदेश महासचिव बनाए जाने पर युवाओं में खुशी की लहरस्थानीय बाबा मनीराम अखाड़ा पर स्थित महादेव मैरिज हॉल सभागार में आज युवा लोजपा (रा) द्वारा अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया।

    इस अभिनंदन समारोह के मौके पर युवा लोजपा के प्रदेश महासचिव अजीत कुशवाहा को मनोनीत किए जाने पर नेताओं की ओर से सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया ।

    इस मौके पर लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय महासचिव सतीश कुमार,प्रदेश सचिव संजय लाल, युवा प्रदेश उपाध्यक्ष राहुल कुमार उर्फ गोपी, जिला अध्यक्ष सतेंद्र मुकुट जी,युवा जिला अध्यक्ष पवन कुमार, के अलावा दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे ।

    इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बिहार में युवा लोजपा का गठन को मजबूत करना है। अजीत कुशवाहा को प्रदेश महासचिव बनाए जाने को लेकर कार्यकर्ताओं द्वारा अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया । अजीत कुशवाहा को युवा का प्रदेश महासचिव बनाए जाने पर कार्यकर्ताओं में काफी जोश देखने को मिला ।

    युवा लोजपा (रा) नालंदा द्वारा अभिनंदन समारोह आयोजित  युवा लोजपा (रा) नालंदा द्वारा अभिनंदन समारोह आयोजित

    इस दौरान राष्ट्रीय महासचिव सह पूर्व विधायक सतीश कुमार ने कहा कि जनता के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बुलाया गया है। उनका जो भी मान सम्मान है उसे बरकरार रखने के लिए हम शामिल हुए हैं । लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को मजबूत करने के लिए यहां आए हैं । उन्होंने कहा कि आज बिहार घोर निराशा की स्थिति में है। यहां सांप और सीढ़ी का खेल चल रहा है ।

    जो आज सत्ता पक्ष में रहता है कल वह विपक्ष में चला जाता है और जो कल विपक्ष में रहता है आज सत्ता में चला जाता है। राज्य में अपराध चरम पर है। अफसरशाही व्याप्त है। शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क बदहाल है।

    इस मौके पर अजीत कुशवाहा नवनिर्वाचित युवा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास ) के प्रदेश महासचिव ने जनता का अभिनंदन स्वीकार करते हुए कहां की इस बार बिहार में मुख्यमंत्री का फेस चिराग पासवान जी होंगे । क्योंकि उन्ही में बिहार की दशा और दिशा दोनो बदलने झमता है । उनकी नीति और सिद्धांतों पर हम सभी युवा खरे उतरने की कोशिश करेंगे ।

    उन्होंने यह भी कहा कि हमारे नेता का मकसद जाति ,धर्म, ऊंच-नीच के भेदभाव को समाप्त कर समाजिक बुराइयों को खत्म करने के साथ बिहार में बिहारी फर्स्ट बिहार फास्ट चिराग पासवान जी का जो विजन है उसे पूरे बिहार प्रदेश में बढ़ाना है ।

    इस अभिनंदन समारोह के जरिए बिहार में चिराग पासवान को मुख्यमंत्री की गद्दी तक पहुंचाने के लिए हम सभी लोग पूरे जोश से लगे रहेंगे । सभी युवा को 2024 और 2025 में लोक जनशक्ति पार्टी ( रामविलास) को ऊंचाइयों पर पहुंचाना है ।

    इस मौके पर सतीश जी के अध्यक्षता में 70 लोगो को सदस्यता ग्रहण कराया गया ।इस कार्यक्रम मे साइना यादव, लल्लू यादव ,सूरज कुशवाहा,भोला पासवान ,राजीव कुशवाहा ,प्रभाकर आनंद,संजीत पासवान,सुमन,अनिल,छोटे महतो,मुकेश आदि के अलावे सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।

  • राजगीर के पिलखी गावँ में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन।

    साईं धाम ट्रस्ट राजगीर की ओर से बिहार के सुप्रसिद्ध दन्त चिकित्सक डॉ धर्मेंद्र कुमार के सौजन्य एवं ग्रामीणों के सहयोग से पिलखी में 7 दिवसीय श्री मद्भागवत कथा का आज छठा दिन है।
    मौके पर श्री वृंदावन धाम से चलकर आए कथावाचक श्री हरि ओम दास जी महाराज ने लोगों को श्री कृष्ण का रास लीला पर खूब झुमाया।

    मौके पर लौह पुरुष जैन सन्त सोहम मुनि जी महाराज भी उपस्थित थे ।

    इस अवसर पर अरुण कुमार उर्फ चंचुल जी , पैक्स अध्यक्ष मेयार, राजगीर प्रखंड के पूर्व प्रखंड प्रमुख सुधीर कुमार पटेल ने भी आकर ठाकुर जी के दरबार में आशीर्वाद प्राप्त किया ।इस अवसर पर समाजसेवी पप्पू कुमार, कार्यक्रम समन्वयक व साईं धाम ट्रस्ट राजगीर के सचिव रमेश कुमार पान, केडी सिंह, मिठू राजवंशी, चंदन कुमार, स्मिता पांडे, समाजसेवी अनिता कुमारी गुप्ता मंटू कुमार, गोपाल भदानी, रंजू कुमार, गौतम वर्मा सहित हजारों लोगों ने श्रीमद् भागवत कथा का आनंद लिया एवं भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त किया।

  • रक्षाबंधन का त्यौहार की महत्ता पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया

    ब्रिलियंट कान्वेंट के भव्य सभागार में रक्षाबंधन का त्यौहार की महत्ता पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया इस अवसर पर बच्चों ने काफी हर्ष उल्लास के माहौल में आनंद उठाया। आज रक्षाबंधन या राखी बंधन केवल भाई-बहन के बीच का ही माहौल होकर नहीं रह गया है वरन रक्षाबंधन देश की रक्षा पर्यावरण की रक्षा सामाजिक हितों की रक्षा तथा आपसी भाईचारा आदि के भेदभाव को बुलाकर सुमित एक धागे में पिरो कर संभालने की प्रक्रिया को रक्षाबंधन कहा जाने लगा है। यूं तो हम जानते हैं

    कि रक्षाबंधन पर बहने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी है और तिलक लगाती है और उनसे अपनी रक्षा का संकल्प लेती है। राखी रक्षाबंधन की व्यापकता इससे भी कहीं ज्यादा है राखी बांधना भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप केवल नहीं रह गया है। इस अवसर पर विद्यालय के चेयरमैन डॉ शशि भूषण कुमार ने बताया कि हमारे देश में विभिन्न धर्म और संप्रदाय का मिलाजुला देश है। इस देश में हर साल सावन पूर्णिमा के दिन त्यौहार राखी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत ठीक है कैसा देश है

    जहां पर यह पर्व मानवीय मूल्यों से भी बढ़कर लोग सेना के जवानों के लिए राखी डाक के द्वारा भेजना पेड़ पौधे में रक्षा सुंदर बांधना तथा विभिन्न धर्मावलंबियों के लोगों के बीच राखी बांधकर भाईचारा एवं प्रेम का रास्ता अपनाते हैं। हमारा देश भारत ही एक ऐसा देश है जो पुरानी परंपरा को आज भी हर्ष एवं उल्लास के साथ जीवंत रखे हुए हैं। विद्यालय में उपस्थित सभी शिक्षकों ने बल्कि सभी छात्राओं ने छात्रों के दाईं कलाई पर राखी एवं रक्षा सूत्र बांधने। जो विद्यालय का निरंतर पारंपरिक परंपरा रही है। कुछ छात्राओं ने विद्यालय के रूप गार्डन पर जाकर पौधों को भी रक्षा सूत्र से बांधे। विद्यालय के सभी शिक्षक गण इस रक्षाबंधन के आयोजन को मिलजुल कर और खूबसूरत बनाया। जिसमें सर्व श्री रंजय कुमार सिंह किशोर कुमार पांडे विजय कुमार आनंद कुमार सृष्टि मैम नाजिया मैम निशा मेम अंकिता मैम तथा राजकुमार सिंह एवं सोनम मैं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और इस कार्यशाला को सुशोभित किया। धन्यवाद