Category: नालंदा

  • मोटी कमाईः नालंदा का मगही पान पर ही चढ़ाया जा रहा बनारसिया रंग – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। नालंदा के इस्लामपुर और राजगीर प्रखंड की 5 पंचायतों में मगही पान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां के मगही पान की मांग बिहार के अलावा कई राज्यों में है।

    यहां का मगही पान ही बनारस और यूपी की मंडियों में पहुंचते ही बनारसी हो जाता है। वहां के कारोबारी मगही पान के पत्ते को प्रोसेसिंग कर बनारसी पान का नाम देते हैं।

    दो घंटे तक कोयले की गर्मी में इन मगही पान के पत्तों को रखा जाता है। इसके बाद ये पीले रंग के हो जाते हैं। जिसे यूपी में बनारसी पान कहा जाता है।

    इस खेती पर बीस हजार परिवार हैं आश्रितः  नालंदा के किसानों से व्यापारी सस्ते दाम पर पत्ते खरीदते हैं, लेकिन बाद में इसे ही बनारसी का नाम देकर कारोबारी मोटी कमाई कर लेते हैं। मेहनत किसान करते हैं और मुनाफा कोई और कमा ले जाता है।

    खेती का रकबा करीब 400 बीघा है। मौसम का साथ मिलता है तो हर साल करीब 16 हजार क्विंटल पान के पत्ते की उपज किसान कर लेते हैं।

    हालांकि खेतों में लागत अधिक और मुनाफा कम होने के कारण अब युवा पीढ़ी पान की खेती से मुंह मोड़ रही है।

    खेती की जगह युवा दूसरे प्रदेशों में जाकर काम-धंधा करने लगे हैं, फिर भी करीब 20,000 चौरसिया परिवार की जीविका का मुख्य साधन अभी भी पान की खेती है।

    एक पेड़ से 2 साल तक मिलते हैं पत्तेः पान मसाला का क्रेज बढ़ने से पान के पत्ते की मांग घटने लगी है। खासकर युवा पीढ़ी पान मसाला को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।

    इससे किसानों को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है। प्रति कट्ठा बांस का बरेजा बनाने और खेतों में 20 से 22 हजार खर्च आता है।

    पहले की तरह पत्ते की मांग मंडियों में कम हो रही है। पान की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि हर साल अप्रैल-मई और जून में पान की खेती होती है।

    एक साल में फसल तैयार होती है 15 जनवरी से सीजन शुरू होकर मार्च तक पत्ते की तुड़ाई की जाती है। एक बार खेती करते हैं तो दो साल तक पत्ते मिलते हैं।

    पत्ते की होती हैं 3 वैरायटीः पान की पत्तों को तोड़ने के बाद उसकी छटाई की जाती है। 3 वैरायटी के पत्ते निकलते हैं, इनकी कीमतें भी अलग-अलग तय की जाती हैं।

    सबसे निम्न क्वालिटी के पत्ते को कटपीस की श्रेणी में रखा जाता है। मध्यम क्वालिटी वाले को हेरूआ या बरूसी कहते हैं, जबकि सबसे अच्छी क्वालिटी वाले को गांठ कहा जाता है।

    एक ढोली में होते हैं 200 पत्तेः साधारण पान के पत्ते गया कि मंडी में बिक जाते हैं। उच्च गुणवत्ता के पान के पत्ते की मांग बनारस में सबसे ज्यादा है।

    औसतन एक ढोली (200) पत्ते की कीमत 100 से 150 रुपए है। वहीं 1 बीघा में फसल अच्छी रही तो 130 से 150 ढोली पत्ते की उपज होती है।

    इस्लामपुर में भी है प्रोसेसिंग यूनिटः इस्लामपुर के पान अनुसंधान केंद्र में भी पत्ते की प्रोसेसिंग करने की दो यूनिट लगी हुई है, लेकिन कारोबारी पत्ते की प्रोसेसिंग करने में रुचि नहीं लेते हैं।

    किसानों के समक्ष बड़ी मंडी की समस्या है। इस्लामपुर से प्रोसेसिंग कर बनारस की मंडी तक पत्ते को पहुंचाने में कई समस्याएं आती है।

    यही कारण है कि नालंदा के किसान पत्ते की प्रोसेसिंग नहीं करते हैं। गया में बड़ी मंडी बन जाए तो किसान जरूर पत्ते की प्रोसेसिंग करेंगे।

    कैसे होती है प्रोसेसिंगः 5 फीट ऊंचे 3 फीट लंबे और 4 फीट चौड़े कमरे में छोटी-छोटी डलियों में पान के पत्ते तख्ता बनाकर रख दिए जाते हैं। कमरे में लोहे के चूल्हे में लकड़ी का कोयला जला दिया जाता है।

    उसके बाद पूरी तरह से एयरटाइट कमरे को बंद कर डेढ़ से 2 घंटे तक छोड़ दिया जाता है। जलते कोयले की गर्मी से पान के हरे पत्ते हल्के पीले हो जाते हैं इसे ही व्यापारी बनारसी पान का नाम देते हैं।

    प्रोसेसिंग के बाद पत्ते 3 माह तक खराब नहीं होते हैं। शर्त यह की पत्तों को शीतगृह में रखा जाए हवा नहीं लगनी चाहिए।

     

  • नालंदा डीएम-एसपी ने अवैध शराब-खनन की रोकथाम को लेकर की वीडियो कॉन्फ्रेंस मीटिंग – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर एवं पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने आज मद्य निषेध एवं अवैध खनन की रोकथाम को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की।

    अवैध शराब के निर्माण, बिक्री एवं सेवन को लेकर पूर्व से चिन्हित हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों में लगातार सघन छापामारी अभियान चलाने का निर्देश सभी थाना प्रभारियों को दिया गया। अवैध शराब के कारोबार से जुड़े लोगों के विरुद्ध विशेष रुप से कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया।

    अवैध शराब के कारोबार में जप्त वाहन एवं भवन / भूखंड  अधिहरण के लंबित मामलों का निष्पादन समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित करने का निर्देश संबंधित प्राधिकार के पदाधिकारियों को दिया गया। वर्तमान में वाहन आधिहरण के 80 तथा भवन / भूखंड अधिकरण से संबंधित 298 मामले लंबित पाए गए, जिनका निष्पादन सुनिश्चित करने को कहा गया।

    जप्त शराब के  विनष्टीकरण हेतु समय से प्रस्ताव भेजकर विनष्टीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

    भूमि विवादों के निराकरण के लिए प्रत्येक शनिवार को थाना स्तर पर लगाए जाने वाले विशेष शिविर का प्रत्येक निर्धारित दिवस पर आयोजन करने तथा इससे संबंधित बैठक की कार्यवाही निर्धारित पोर्टल पर नियमित रूप से अपलोड करने का निर्देश सभी थाना प्रभारी एवं अंचलाधिकारियों को दिया गया।

    अवैध खनन, भंडारण तथा ओवरलोडिंग के मामलों में सघन  कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश खनिज विकास पदाधिकारी एवं सभी थाना प्रभारियों को दिया गया।

    बैठक में अपर समाहर्ता, उत्पाद अधीक्षक, खनिज विकास पदाधिकारी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी आदि जुड़े थे।

     

     

  • राजगीर में वीरायतन के आतंक से आक्रोशित हुए फुटपाथ दुकानदार, दिया धरना – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। 24 नवम्बर 2022 स्वयं सेवी संस्था वीरायतन राजगीर के द्वारा लगातार सरकारी भूमि को अतिक्रमण करने एवं दुकानदारों को उजाड़ने के मामला को लेकर नालंदा फुटपाथ दुकानदार अधिकार मंच के राज्य समन्वयक सह केकेसी के  प्रदेश अध्यक्ष  डॉ अमित कुमार पासवान के नेतृत्व में वीरायतन राजगीर के मुख्य द्वार पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना का आयोजन किया गया।

    Hundreds of pavement shopkeepers were agitated by the terror of Veerayatan in Rajgir 1मौके पर डॉ पासवान ने कहा कि पथ विक्रेता कानून अधिनियम 2014 का वीरायतन के द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। इनके  द्वारा लगातार सरकारी जमीन को  कब्जा किया जा रहा है और दुकानदारों को उनके रोजगार से बेदखल किया जा रहा है। प्रशासनिक व्यवस्था भी वीरायतन को ही सहयोग करने में जुटी है, जिसके कारण आज गुरुवार को दुकानदारों का गुस्सा फूटा है।

    फुटपाथ दुकानदार जो लगातार 40 से 50 वर्षों  से एक ही स्थान पर अपनी रोजी-रोटी का व्यवस्था कर रहे दुकानदारों को हटाने का साजिश रची जा रही है, इसे संगठन कतई बर्दास्त नहीं करेगा।

    आज एक दिवसीय सांकेतिक धरना का आयोजन किया गया है तथा अपनी मांग को कार्यपालक पदाधिकारी के पास सौंपा जाएगा। वीरायतन के द्वारा इस तरह के रवैया रहा तो आने वाले दिनों में नालंदा फुटपाथ दुकानदार अधिकार मंच के तमाम दुकानदार राजगीर शहर में अपने-अपने दुकानों को बंद कर वीरायतन के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे।

    डॉ पासवान ने कहा कि वर्ष 2012 में  भी नगर परिषद राजगीर के तत्कालीन  कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा नगर निवेशन प्राधिकार के द्वारा अर्जित 00.61 एकड़ भूमि को जैन धर्म की सबसे बड़ी संस्था वीरायतन राजगीर नालन्दा के द्वारा कब्जा कर लिया गया। जिसे अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए नगर पंचायत राजगीर के पत्रांक – 631 दिनांक-21.12.2012 के द्वारा  नोटिस  कर खानापूर्ति  तो की गई लेकिन आज तक कोई भी पदाधिकारी उक्त जमीन को वीरायतन से अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पाया।

    वीरायतन  सेवा के नाम पर खानापूर्ति के लिए  शुल्क राशि को डोनेशन दिखाकर  बिहार सरकार/भारत सरकार, इंडियन  जैन डोनर, विदेशी जैन डोनर, एवं आम जन मानस को ठग रहा है तथा सरकार के टैक्स को भी चूना लगा रहा है। इस तरह से व्यापार का सिलसिला जारी है ।

    इस अवसर पर जन कल्याण मंच एक आवाज़ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र पासवान, भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष रजनीश पासवान, अधिवक्ता आलोक कुमार, रंजीत चौधरी, नरेश प्रसाद, राकेश पासवान, रवि कुमार, उपेंद्र कुमार, अजय यादव, राघो देवी, भूषण राजवंशी, इंदल राजवंशी, नगर विक्रय समिति के सदस्य रेखा देवी सहित सैकड़ों की संख्या में फुटपाथ दुकानदार उपस्थित थे।

     

  • रामचन्द्रपुर बस स्टैंड में वर्चस्व को लेकर हुई रोड़ेबाजी और फायरिंग में कई जख्मी – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क।  नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ अवस्थित रामचन्द्रपुर बस स्टैंड में बस मालिकों के बीच आपसी वर्चस्व को लेकर जमकर मारपीट और फायरिंग किए जाने से कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

    खबरों के मुताबिक, लहेरी थाना क्षेत्र के रामचंद्रपुर बस स्टैंड से लेकर देवीसराय मोड़ तक दो पक्षों में जमकर मारपीट हुई। दोनों पक्षों के बीच मारपीट के साथ साथ जमकर फायरिंग भी की गई है। जिसके कारण लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।

    स्थानीय लोगों की मानें तो बस में सवारी बैठाने को लेकर दो बस कर्मियों और मालिकों के बीच बहस हुई। जिसके बाद बहस मारपीट में बदल गई। इसी दौरान दर्जनों लोगों ने लोहे के रड से एक दूसरे की जमकर पिटाई की। बदमाशों ने दहशत फैलाने के लिए 5 राउंड फायरिंग भी की।

    बता दें कि  इससे 15 दिन पहले भी कुछ इसी प्रकार का हादसा बस स्टैंड में हुआ था, जहां दो पक्षों के बीच मारपीट की घटना के बाद बिहारशरीफ-बख्तियारपुर मार्ग में दर्जनों बसों का परिचालन ठप पड़ गया था।

    जानकारी के अनुसार दोनों घटनाओं में एक बस कंपनी के संचालकों के शामिल होने की बात सामने आ रही है। सूचना पाकर भारी संख्या में पुलिस के जवान घटनास्थल पर पहुंचे।

    लहेरी थानाध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि दो गुटों के बीच मारपीट व फायरिंग की सूचना मिलने के बाद घटनास्थल पर पहुंच जांच की जा रही है। गोलीबारी की भी सूचना  मिली है। लेकिन एक भी खोखा बरामद नहीं किया गया है। फिलहाल सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच की जा रही है।

     

  • दिल्ली पुलिस ने ओला कंपनी के नाम पर 55 करोड़ की ठगी के आरोपी को कतरीसराय से दबोचा – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। दिल्ली पुलिस ने नालंदा जिले के कतरीसराय थाना क्षेत्र से ओला कंपनी की एजेंसी देने के नाम पर करोड़ों की ठगी के आरोप में एक युवक को गिरफ्तार कर लिया है।

    उसके साथ एक अन्य सहयोगी को भी शेखपुरा जिला से गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस दोनों को अपने साथ ले गई। दोनों को दिल्ली में करीब 55 करोड़ की ठगी के मामले में पकड़ा गया है।

    कतरीसराय थानाध्यक्ष शरद कुमार रंजन ने बताया कि कतरीसराय थाना पुलिस के सहयोग से दिल्ली साइबर सेल की टीम ने कार्रवाई करते हुए करोड़ों की ठगी में संलिप्त एक फ्रॉड को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपित लक्ष्मीनारायण प्रसाद का पुत्र मनीष कुमार बताया गया है।

    दिल्ली पुलिस आरोपित को ट्रांजिट रिमांड पर कोर्ट में पेशी के बाद अपने साथ ले गई। उसके साथ एक अन्य सहयोगी को शेखपुरा जिला से गिरफ्तार किया गया है।

    दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर जगदीप प्रसाद ने बताया कि फ्रॉड्स ने दिल्ली में ओला कंपनी की एजेंसी देने का झांसा देकर करीब 55 करोड़ की ठगी की है। जांच में 125 फ्रॉड्स की संलिप्ता सामने आई है। जिनमें बिहार के दो युवक भी शामिल हैं।

     

  • इसलामपुरः अधेड़ की मौत या हत्या, सड़क जाम-हंगामा के बाद जांच में जुटी पुलिस – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। इसलामपुर थाना क्षेत्र के बड़ी पैठना मोड़ समीप टोटो पलटने से एक अधेड़ की मौत हो गई। जबकि मृतक के परिजन टोटो मालिक पर पीट-पीटकर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। मृतक पीरबिगहा ओपी क्षेत्र के खेंदुबिगहा निवासी जगदीश ठाकुर का 47 वर्षीय पुत्र धनंजय ठाकुर है।

    मृतक के परिजन की मानें तो मंगलवार को जब धनंजय दुकान में काम कर रहे थे। उसी दौरान टोटो चालक विकास कुमार ने उन्हें घर जाने के बहाने बिठा लिया और रास्ते में ले जाकर जान मारने की नीयत से बेरहमी से पिटाई कर सड़क किनारे छोड़ कर फरार हो गया।

    काफी देर बीत जाने के बाद जब वे घर नहीं लौटे तो परिजन खोजबीन करने लगे इसी दौरान सड़क किनारे बेहोशी हालत में उन्हें देखा। आनन फानन में उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जा रहे थे, इसी बीच उन्होंने दम तोड़ दिया। मरने पहले उन्होंने अपने बच्चे को टो टो चालक पर पिटायी करने का आरोप लगाया था।

    मौत के बाद परिजन ने जब इसकी सूचना पुलिस को दी तो पुलिस कई घंटे तक टालमटोल करती रही। जिसके बाद ग्रामीण सड़क जाम कर हंगामा करने लगे। सड़क जाम और बढ़ते हंगामे को देखते हुए आनन-फानन में पीरबिगहा ओपी पुलिस मौके पर पहुंचकर कार्रवाई का भरोसा देते हुए आक्रोशित लोगों को शांत कराया।

    पीरबिगहा ओपी प्रभारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया टोटो पलटने से मौत की सूचना मिली थी। परिजन पीट-पीटकर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो सकेगा। पुलिस सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है। जल्दी ही मामले का खुलासा कर लिया जाएगा ।

     

  • नालंदा के ग्रामीण आँचल में बिखरे ऐतिहासिक विरासत को संरक्षण की जरूरत – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। इतिहास के अवशेषों से जब भी हम गुजरते हैं। सच में आश्चर्य होता है कि हम पहले क्या थे और आज क्या हैं? बीता हुआ कल काफी महत्वपूर्ण होता है। भले ही बीता हुआ समय वापस नहीं आता, किन्तु अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के तौर पर कहीं पुस्तकों तो कहीं इमारतों के रूप में संजो कर रखा गया है।

    The need to preserve the historical heritage scattered in the rural area of Nalanda 1हमारे पूर्वजों ने निशानी के तौर पर तमाम तरह के मंदिर, किले,इमारतें, कुएँ तथा अन्य चीजों का सहारा लिया, जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें।लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान पहुँचा।

    उनकी यादों को पहले स्वयं हमने भी नजर अंदाज किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गयी और उनका अस्तित्व भी संकट में पड़ गया।

    भारत की विरासत ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बिखरी पड़ी है। जिन्हें संरक्षित सहेजना चुनौतीपूर्ण है। देश के ग्रामीण अंचलों में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों की भरमार है।

    इन विरासतों की सार संभाल के साथ इन्हें ग्रामीण पर्यटन से जोड़ दिया जाए तो ना केवल क्षेत्र का समुचित विकास हो सकेगा। इससे क्षेत्र की कायापलट हो सकती है।इससे एक तरफ जहाँ अमूल्य विरासत संरक्षित होगी वहाँ दो हाथों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन सरकारी उपेक्षा एवं उदासीनता की वजह से ग्रामीण अंचलों में फैले पुरातात्विक विरासत बिखरे हुए हैं, जिसे सहेजने की आवश्यकता है।

    नालंदा के चंडी अंचल में ऐसे ही कई अवशेष बिखरे हुए है, विरासत और अपने इतिहास से अंजान। सिर्फ यहाँ बौद्ध कालीन सभ्यता ही नहीं मुगलिया वंश के नायाब किस्से-कहानियाँ बिखरी पड़ी हुई है। जहाँ कभी गंगा-जमुना तहजीब की धारा बहती थी।

    चंडी अंचल में कई ऐसे गाँव हैं, जिनके नामों में ध्वन्यात्मक है। इन गाँवों के नामों का अंत ‘गढ़’ या ‘आमा’ शब्द से होता है। जहाँ ऐसा माना जाता है कि ऐसे गाँव में बौद्ध कालीन इतिहास समाहित है। जहाँ के खेतों, खलिहानों, तालाबों, टीलों, मंदिरों, ब्रह्म बाबा गोरैया स्थानों पर प्राचीन मूर्तियों तथा अवशेष विधमान है।

    चंडी प्रखंड में ‘गढ़’ से शुरू होने वाले गाँव तुलसीगढ,रूखाईगढ,माधोपुर गढ़, दयालपुर गढ़, हनुमान गढ़, के अलावा ‘आमा ‘नामधारी गाँव में सिरनामा, विरनामा, अरियामा, कोरनामा, आदि कई गांव हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि बौद्धकालीन, मौर्य, गुप्त और पाल वंश के शासन काल की झलक मिलती है।

    चंडी अंचल के रूखाई और तुलसीगढ में विशालकाय स्तूप संरचना नजर आती है।हालाँकि रूखाई गढ़ में पुरातत्व विभाग की खुदाई में कई सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं।इसके अलावा इस गाँव के खेतों-खलियानों में बेशकीमती प्राचीन मूर्तियां बिखरी पड़ी हुई है। जहाँ कहीं भी कुदाल-फावडे पड़ते हैं, रूखाई की जमीन से कोई न कोई मूर्ति निकल ही जाती है।जबकि देखरेख और संरक्षण के अभाव में दर्जनों बेशकीमती मूर्ति या तो चोरी हो गई या फिर नष्ट हो गया।

    रूखाई में पुरातत्व विभाग ने 13 दिन तक दफन इतिहास को खोद कर निकालने का प्रयास किया।भगवान बुद्ध से लेकर, मौर्य वंश,शुंग,कुषाण, गुप्त, पालवंश एवं मुगल काल सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए।जिसकी कल्पना गाँव वालों ने भी नहीं किया था।यहाँ बौद्ध काल से पूर्व की एक समृद्ध नगरीय व्यवस्था थी।

    वर्ष 2009 में  इसी गाँव के आगे राजाबाद गाँव में एक सरकारी तालाब खुदाई के दौरान भी एक प्राचीन स्थापत्य कला के भग्नावशेष मिले थे। तालाब खुदाई के दौरान 21 फीट लंबा व 16 फुट चौड़ा चबूतरा मिला था। इसके अलावा लकड़ी का विशाल कालम तथा लकड़ी का एक विशाल खंभा भी मिला था।

    रूखाई गढ़ में वर्ष 2015 में खुदाई के दौरान कई महत्वपूर्ण अवशेष मिलें थें।उसके बाद इसी साल 28 फरवरी को एक तालाब की खुदाई के दौरान एक खंडित बौद्ध प्रतिमा मिली थी। साथ ही दीवारों के अवशेष भी मिले। वहीं 9 मई को फिर से तालाब खुदाई के दौरान एक बेशकीमती मूर्ति बरामद हुई। इससे पहले भी यदा -कदा खेतों की जुताई के दौरान भी मूर्ति निकल जाती है।

    इधर चंडी अंचल के तुलसीगढ में भी एक विशालकाय स्तूप संरचना है। जिसकी उंचाई 30-35 फीट है व व्यास लगभग 60मीटर है। इस टीले के बारे में किंवदंती है कि पहले लोग इस टीले के आसपास ही जीवन यापन करते थे। इस टीले के चारों ओर जलाशय था।यहाँ भी लगभग 400 वर्ष पूर्व की सभ्यता का पता चल सकता है।

    इसके अलावा चंडी अंचल के कई ऐसे गाँव हैं, जहाँ पर मुगलकालीन समय की झलक आज भी देखने को मिल जाता है।उस समय ‘जागीरदारी’ उन गाँवों में चलती थी। मुगलिया सल्तनत के कई ऐसे लोग बाहर से आकर चंडी के कई गाँव को अपना बसेरा बनाया। जिसका उदाहरण प्रखंड का माहो गाँव हैं। इसका प्राचीन नाम ‘मुस्तफापुर’ माना जाता है।

    इसके अलावा मोसिमपुर, इमामगंज, सालेपुर, विरनामा, लोदीपुर, अफजलबिगहा, ओली बिगहा, हब्बीबुलाचक जैसे गाँव इसके उदाहरण है। सिर्फ इतना ही नहीं ये गाँव गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल भी रहे हैं।

    इन गाँवों की अपनी ही कहानी हैं। लेकिन नयी पीढ़ी के लोग अपने ही विरासत से अंजान हैं।भागदौड़ की इस जिंदगी में उन्हें यह सोचने का साहस ही नहीं बचा।उम्र के हेर फेर में विरासत को भूल चुके हैं।

    कहने की जरूरत नहीं है कि अंचल में बिखरे ऐतिहासिक विरासत को संरक्षण की जरूरत है। लेकिन सरकार की लापरवाही और उदासीनता से अनमोल विरासत काल कवलित हो जा रही है।

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  • वेशक, नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में ऐसा जल प्रबंधन एक चमत्कार है ! – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। करीब साढ़े चार हजार लोग, पर भूगर्भीय जल की एक बूंद भी प्रयोग नहीं। इतना ही नहीं, डेढ़ वर्ष तक बारिश न हो, फिर भी यहां जल का कोई संकट नहीं होगा। यह नालंदा विश्वविद्यालय के जल प्रबंधन का चमत्कार है।

    Such water management of Veshak Nalanda University is a miracle 3पटना से लगभग सौ किलोमीटर दूर 456 एकड़ में बन रहे नालंदा विश्वविद्यालय परिसर के सौ एकड़ क्षेत्र में सिर्फ तालाब और वाटर स्टारेज प्लांट है। इनकी गहराई पांच मीटर तक है। इनमें 8.5 करोड़ लीटर पानी संरक्षित है। सौ एकड़ में 12 तालाब हैं।

    यहां भूगर्भ से एक बूंद जल नहीं लिया जाता है। विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य में इस समय यहां करीब साढ़े तीन हजार श्रमिक आदि रह रहे हैं। छात्र-शिक्षकों की संख्या भी करीब एक हजार है। इस समय यहां 32 देशों के छात्र अध्ययन कर रहे हैं। पानी की सारी आपूर्ति तालाबों से होती है।

    यहां 20 लाख लीटर क्षमता का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है। परिसर में एक भी बोरिंग नहीं है। नहाने से लेकर भोजन पकाने व पीने तक में इसी पानी का प्रयोग किया जाता है।

    यहाँ एक व्यक्ति प्रतिदिन औसत 235 लीटर पानी खर्च करता है। विश्वविद्यालय में पानी को रिडायरेक्ट, रियूज, रिसाइकिल, रिनेटवर्किंग, इंटरकनेक्ट व लो फ्लो फिक्शर के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के अनुपात में 100 लीटर तक की बचत कर ली जाती है। आवश्यकताओं को कम नहीं किया जाता है, बल्कि उसी पानी को पुन: व्यवहार में लाया जाता है।Such water management of Veshak Nalanda University is a miracle 2

    बेसिन व नहाने वाले पानी का प्रयोग फ्लश में किया जाता है। पानी में थोड़ी एयर मिक्स करके फ्लशिंग में भी पानी का खर्च कम करते हैं। एयर मिक्स करने से आधा लीटर पानी करीब एक लीटर पानी के बराबर काम करता है। प्रेशर के साथ पानी फैल जाता है, जिससे पानी व्यर्थ नहीं जाता।

    पानी को शुद्ध करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट और चैंबर के किनारे पौधे भी लगाए गए हैं। केला समेत अन्य 27 तरह के पौधे पानी को साफ करने में मदद करते हैं। पौधों की जड़ें पानी में घुले नाइट्रेट व फास्फेट को खींच लेती हैं।

    वाटर ट्रीटमेंट मशीन में भेजे जाने से पहले अधिक गंदे पानी को इन पौधों से गुजारा जाता है। इस तरीके से साफ हुए पानी का प्रयोग पौधों को सिंचित करने, परिसर में छिड़काव व फ्लश में किया जाता है। जहां तेजी से वाटर ट्रीटमेंट करना है, उसे मशीन में भेज दिया जाता है।

  • नालंदा डीएम ने की लोक शिकायत-सेवाओं का अधिकार के तहत निष्पादित मामलों की समीक्षा – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने आज आरटीपीएस एवं लोक शिकायत की समीक्षा की। आरटीपीएस की समीक्षा के क्रम में 28 आवेदन निर्धारित समय सीमा की अवधि पार करने के उपरांत लंबित पाए गए।

    जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी आवेदन निर्धारित समय सीमा के बाद लंबित नहीं रहना चाहिए। आरटीपीएस काउंटर पर ऑफलाइन आवेदन भी लिया जाना है। किसी भी परिस्थिति में किसी भी ऑफलाइन आवेदक को लौटाया नहीं जा सकता है। अगर कहीं से ऐसी सूचना प्राप्त होगी तो संबंधित कर्मी/ पदाधिकारी के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।

    जिलाधिकारी ने ऑफलाइन आवेदन प्राप्त करने संबंधी सूचना का प्रदर्शन सभी आरटीपीएस काउंटर पर सुनिश्चित रखने को कहा ।वर्तमान में जिला में लगभग 84 प्रतिशत आवेदन ऑनलाइन, 15 प्रतिशत काउंटर पर तथा 1 प्रतिशत सीएससी के माध्यम से प्राप्त हो रहे हैं।

    लोक सेवाओं के कार्य के लिए अक्टूबर माह में नालंदा जिला को राज्य में सातवां रैंक दिया गया है। लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकार के स्तर से सेवाओं को नियमानुसार उपलब्ध नहीं कराने के कारण दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध समय-समय पर शास्ति अधिरोपित किया गया है। कई पदाधिकारियों के अन्य जिलों में स्थानांतरण हो जाने के कारण शास्ति की राशि जमा नहीं हो सकी है।

    अरुण कुमार सिंह तत्कालीन अंचलाधिकारी अस्थावां, सुरेश कुमार तत्कालीन अंचलाधिकारी रहुई, विजय कुमार सिंह तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी वेन, अजीत कुमार प्रसाद तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी सिलाव, नरेंद्र कुमार तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी वेन एवं चंद्र मोहन तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राजगीर से शास्ति  राशि की वसूली के लिए संबंधित विभागों को भी सूचित किया गया है। बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन को भी इन पदाधिकारियों के संबंध में सूचित करने का निर्देश दिया गया।

    लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत वर्ष 2022 में जिला में 4864 आवेदनों का निष्पादन किया गया है। सभी लोग शिकायत निवारण पदाधिकारियों को अतिक्रमण से संबंधित ऐसे मामलों को सूचीबद्ध करने को कहा गया जिसमें संबंधित अंचलाधिकारी के स्तर से अतिक्रमण वाद की प्रक्रिया चलाए जाने के कारण वाद को बंद कर दिया गया।

    परंतु वास्तविक रुप से अतिक्रमण हटाने के लिए नियमानुकूल कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे सभी मामलों में 5 दिसंबर तक संबंधित अंचलाधिकारियों को नियमानुसार जमीनी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

    प्राप्त शिकायतों का निवारण निर्धारित 60 दिवस की अवधि के अंतर्गत ही सुनिश्चित किया जाए। अधिनियम में निर्धारित पॉजिटिव एवं निगेटिव विषय वस्तु के आधार पर अस्वीकृत किए गए आवेदनों की समीक्षा करने का आदेश निर्देश सभी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारियों को दिया गया। कोई भी आवेदन अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप ही स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाना चाहिए, ऐसा सुनिश्चित करने को कहा गया।

    शिकायत वादों की सुनवाई के क्रम में संबंधित लोक प्राधिकार की यथा संभव व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा गया। सुनवाई के क्रम में एक से अधिक बार अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकार के पदाधिकारियों के विरुद्ध अधिनियम के प्रावधान के तहत शास्ति अधिरोपित करने का निदेश दिया गया।

    पूर्व में शास्ति अधिरोपित पदाधिकारियों, जिनके द्वारा शास्ति की राशि जमा नहीं की गई और जिनका स्थानांतरण अन्य जिलों में हो गया हो है, इस संबंध में बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन को प्रतिवेदित करने का निर्देश दिया गया।

    बैठक में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, सभी अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, जिला प्रबंधक आईटी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अंचलाधिकारी जुड़े थे।

     

  • हरनौत थाना में शराब के नशे में हंगामा करने वाला चौकीदार रामाधीन पासवान बर्खास्त – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। हरनौत थाना क्षेत्र के चौकीदार रामाधीन पासवान को वर्ष 2020 में मिरदाहाचक (हरनौत) में शराब के नशा में हंगामा एवं गाली-गलौज करते हुए गिरफ्तार किया गया था। वे अपनी सेवा अवधि में लगातार 47 दिनों तक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित भी रहे थे।

    नशे की हालत में गिरफ्तारी के उपरांत जांच में उनके द्वारा शराब सेवन किये जाने की पुष्टि हुई थी।

    इन आरोपों को लेकर उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही का संचालन किया गया। विभागीय कार्यवाही के संचालन में उनके विरुद्ध दोनों आरोपों की पुष्टि हुई।

    तदालोक में बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियमावली-2005 यथा संशोधित नियमावली 2007 के प्रावधान के तहत जिलाधिकारी द्वारा रामाधीन पासवान को तत्काल प्रभाव से सरकारी सेवा से बर्खास्त करने का दंड अधिरोपित किया गया है।