Category: पटना हाईकोर्ट न्यूज

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य में पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर नाराजगी जाहिर की

    पटना हाईकोर्ट ने राज्य में पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड स्थित अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इन बच्चे की सही ढंग से पढ़ाई के लिए क्यों नहीं सोचते है।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड एकमात्र स्कूल है।

    उन्होंने कोर्ट को बताया कि पहले यहाँ पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया,इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।

    उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।

    इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है,तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं।इस मामलें पर आगे की सुनवाई की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया से रोक हटा ली

    पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया से रोक हटा ली है । जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया को जारी रख सकती है, लेकिन इनकी बहाली अपील याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगी।

    गौरतलब है कि 15 सितम्बर,2022 को एक अन्य खंडपीठ ने इन शिक्षकों के बहाली पर रोक लगा दिया था।राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रियदर्शी मातृशरण ने बहस किया।

    ये मामला हाई स्कूलों शिक्षक नियोजन के छठे चरण से जुड़ा है।
    इसी वर्ष 09 फ़रवरी को पटना हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने प्रीति प्रिया एवं अन्य की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फ़ैसला सुनाया था ।

    कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जिन उम्मीदवारों का बीएसआईटीईटी परिणाम वर्ष 2012 में प्रकाशित हुआ था और जिन्होंने खुद को बीएड के लिए नामांकित किया है, वे सत्र 2016-18 तक नवीनतम पाठ्यक्रम और बी.एड. नियुक्ति के छठे चरण के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि होने की अंतिम तिथि से पहले डिग्री पात्र होंगे।

    Patnahighcourt

    इस कोर्ट ने अपने फ़ैसले में यह भी कहा था कि जिन उम्मीदवारों के परिणाम वर्ष 2012 में प्रकाशित हुए हैं, लेकिन उन्होंने बी.एड. में अपना नामांकन कराया है। सत्र 2017-19 में पाठ्यक्रम के बावजूद कि उन्होंने बी.एड प्राप्त किया है।

    कट-ऑफ तिथि से पहले डिग्री पात्र नहीं होंगे, लेकिन उन्हें चयन / नियुक्ति के लिए अपने मामलों पर विचार करने के लिए संबंधित प्रतिवादी से संपर्क करने की स्वतंत्रता होगी।
    इसके साथ -साथ
    जिन उम्मीदवारों का बीएसआईटीईटी परिणाम वर्ष 2013 में प्रकाशित हुआ है और जिन्होंने बी.एड. सत्र 2017-19 तक नवीनतम पाठ्यक्रम और अपना बी.एड. कट-ऑफ तिथि से पहले की डिग्री फिर से उसी सिद्धांत पर पात्र होंगे।

  • मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं के महंतो, पुजारियों,साधुओं और सेवकों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए दायर जनहित पर सुनवाई दूसरे बेंच द्वारा की जाएगी

    पटना हाईकोर्ट में राज्य के मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं के महंतो, पुजारियों,साधुओं और सेवकों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए दायर जनहित पर सुनवाई दूसरे बेंच द्वारा की जाएगी। पंकज प्राणरंजन द्विवेदी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए इस जनहित याचिका को दूसरे बेंच के समक्ष रखने का निर्देश दिया।

    इस जनहित याचिकाकर्ता में ये शिकायत की गई है कि असामाजिक तत्वों द्वारा मंदिर,मठ और संस्थाओं से देवी देवता की मूर्तियों को हटाया जा रहा है और मठों व मंदिरों के लोगों की हत्या की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।

    साथ ही इनकी सम्पत्ति और भूमि पर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध कब्ज़ा करने की घटनाएं राज्य के विभिन्न जिलों में होती रही है।इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी न तो राज्य सरकार और न ही बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा ही कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

    इस जनहित याचिका में ये माँग की गई है कि मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं की भूमि,संपत्तियों की रक्षा के प्रभावी और सख्त कदम राज्य सरकार व बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड उठायें।साथ ही मठों और मंदिरों में रहने वाले महन्त, पुजारियों और साधु के जान माल की सुरक्षा की प्रभावकारी व्यवस्था की जाए।

    इस जनहित याचिका में ये भी माँग की गई है कि असामाजिक तत्वों और स्थानीय दबंगो के विरुद्ध सख्त और प्रभावी कार्रवाई की जाए,क्योंकि इनके लिए न तो कानून का डर है और ना ही सम्मान है।

    इस जनहित याचिका पर अब दूसरे बेंच द्वारा सुनवाई की जाएगी।

  • मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया हलफनामा दायर करने का निर्देश

    पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट को हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया।

    मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के आपरेशन में कई लोगों की आँखों की रोशनी चली गयी थी।इस मामलें में कोर्ट ने राज्य सरकार को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

    आज राज्य सरकार ने कोर्ट में जांच के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत किया। इस पर कोर्ट ने 6 दिसम्बर, 2022 तक हलफनामा दायर करने निर्देश राज्य सरकार को दिया।

    पूर्व की सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एस एस पी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया था।मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है।पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में कहा था कि इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह मे अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

    इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं।साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया था,लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया था कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें की रोशनी खोनी पड़ी।

    याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी ऑंखें गंवानी पड़ी।

    इस जनहित याचिका पर अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने याचिकाकर्ता की ओर से पक्षों को रखा,जबकि कोर्ट द्वारा कोर्ट के सहायता के लिए नियुक्त एमिकस क्यूरी अधिवक्ता आशीष गिरि ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया।

    इस मामले पर अगली सुनवाई 6 दिसंबर,2022 को की जाएगी।

  • आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के मेडिकल अंतिम वर्ष के स्नातकोत्तर छात्रों की उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन के मामले पर सुनवाई करते हुए यूनिवर्सिटी से जवाबतलब किया

    नवम्बर 25, 2022 । जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने राजू कुमार की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने एक सप्ताह में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।

    याचिकाकर्ता का कहना था कि जो छात्र इस परीक्षा में शामिल हुए थे, वे पहले से ही पटना मेडिकल कॉलेज, नालंदा मेडिकल कॉलेज में पहले से ही स्थापित मेडिकल प्रैक्टिशनर हैं। कोर्ट के समक्ष मामले को दायर करने से पूर्व विश्विद्यालय के कुलपति के समक्ष अनेकों अभ्यावेदन दिए गए, इसके बावजूद न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही कोई जवाब दिया गया।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आनंद वर्धन ने बताया कि यहां तक कि जांच का परिणाम भी लंबित है।

    विश्वविद्यालय पीजी(एम डी/एम एस) 12 दिसंबर , 2022 से पूरक परीक्षा प्रारंभ होने जा रहा है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यूनिवर्सिटी के वकील से पूछा कि बार-बार आवेदन देने पर भी वाईस चांसलर ने कोई जवाब नहीं दिया।अब यह पूरी परीक्षा फिर से हो रही है। उसके लिए एक पेपर में उन्हें यह पूरक परीक्षा का चार पेपर फिर सब देना पड़ रहा है।

    उसके कारण यदि इनके मार्क्सशीट पर पूरक जुड़ता है ,तो ये लोग, जो पहले से ही पीएमसीएच और एनएमसीएच में डॉक्टर हैं, ये लोग अपोलो और एम्स जैसे बड़े अस्पताल में नहीं चुने जाएंगे। यह मेडिकल प्रैक्टिशनर के जिंदगी के साथ खिलवाड़ है।इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

  • मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि इलेक्ट्रॉनिक मोड से दिए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग के सचिव को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के आलोक में कार्रवाई करने का निर्देश दिया

    पटना हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि इलेक्ट्रॉनिक मोड / आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से दिए जाने के मामले पर सुनवाई की।जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग के सचिव को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के आलोक में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है ।

    कोर्ट ने आईसीआईसीआई लॉमबर्ड की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दुर्गेश नंदन सिंह ने बिहार राज्य में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 173 का हवाला देते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि है मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि को इलेक्ट्रॉनिक मोड / आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से पीड़ितों या लाभार्थियों दिए जाने प्रावधान होना चाहिए।

    एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मृगांक मौली ने सुप्रीम कोर्ट के केस का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा करने का आदेश सभी राज्यों को दिया जा चुका है, लेकिन बिहार में यह लागू नहीं है ।

    राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि मुआवज़ा राशि को इलेक्ट्रॉनिक एवं अन्य माध्यम से दिया जा सकता है। ऐसा करने में राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है, बीमा कंपनी ऐसा कर सकती है ।

    इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर,2022 को होगी ।

  • सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एम आर शाह ने वर्चुअल माध्यम से पटना हाई कोर्ट में चार पेपरलेस कोर्ट, जस्टिस क्लॉक व ई-जस्टिस क्लॉक का उदघाटन किया

    नवम्बर 24, 2022 । पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल व अन्य जजों की उपस्थिति में जस्टिस शाह ने महिलाओं के विरुद्ध योन उत्पीड़न रोकने के लिए वेबसाइट, क्रेच (शिशु गृह – 1 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए), शी- बॉक्स और बिहार के जिलों में 31 ई सेवा केंद्र, अनुमंडल तथा पंचायत में उदघाटन भी किया।

    पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ई कमेटी की दृष्टि के साथ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए समाज के सभी लोगों तक न्याय पहुंचाने के लिए समर्पित है।

    जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, जस्टिस आशुतोष कुमार, जस्टिस मधुरेश प्रसाद व जस्टिस मोहित कुमार शाह का कोर्ट पेपरलेस कोर्ट की तरह भी काम करना आरंभ कर चुका है। ई सेवा केंद्रों के जरिये केस की स्थिति, फैसले और आदेश की प्रति व अभिप्रमाणित प्रति के लिये ऑनलाइन आवेदन देने के अलावा फ़्री लीगल सहयोग लेने के लिए लोगों को गाइड किया जाएगा।

    जस्टिस क्लॉक न्याय पद्धति में पारदर्शिता को बढ़ाएगा। जस्टिस क्लॉक को ई सेवा केन्द्र के पास लगाया गया है, जिसे पटना हाई कोर्ट के गेट नंबर 3 से देखा जा सकता है।

    कार्य स्थल पर महिलाओं से जुड़े यौन उत्पीड़न की शिकायत ऑनलाइन करने की भी व्यवस्था की गई है। इसके लिए पटना हाई कोर्ट में 14 शिकायत पेटी लगाई गई है। इस तरह से पटना हाई कोर्ट, चीफ जस्टिस संजय करोल के नेतृत्व में सभी वर्गों को सुलभ न्याय दिलाने की दिशा में अनवरत कार्यरत है।

  • पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को 1 दिसंबर 2022 को कोर्ट में तलब किया

    पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को 1 दिसंबर 2022 को कोर्ट में तलब करते हुए उनसे यह जानना चाहा है कि जब राज्य में नगर निकाय के विघटन की अवधि 6 माह से ज्यादा हो गई है ,तो किस कानून के तहत एडमिनिस्ट्रेटर निकायों में कार्य कर रहे हैं।जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने अंजू कुमारी व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।

    कोर्ट ने उनसे जानना चाहा है कि क्यों नहीं प्रावधानों और कानूनों के उल्लंघन को मानते हुए एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किए जा रहे कार्यों पर कोर्ट द्वारा रोक लगा दिया जाए।

    कोर्ट को राज्य सरकार के अधिवक्ता किंकर कुमार ने बताया कि डेडीकेटेड कमीशन का गठन हाई कोर्ट के निर्देशानुसार कर दिया गया है।उसका रिपोर्ट आते ही राज्य में नगर निकाय का चुनाव करा लिया जाएगा।

    याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले नगर निकाय का चुनाव हर हाल में करा लेना है। लेकिन बिहार में बहुत ऐसे नगर निकाय हैं, जिनको विघटित हुए एक बरस से ज्यादा की अवधि हो गई है ।इसके बावजूद इसके अभी भी उन नगर निकायों में एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कार्य कराया जा रहा है, जो कानूनी रूप से सही नहीं है।

    कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह के कार्यों को गैरकानूनी माना है।याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जिस प्रकार पंचायत में परामर्श दात्री समिति का गठन किया गया है ,उसी प्रकार नगर निकाय में भी परामर्श दात्री समिति का गठन किया जाए। इससे नगर निकाय का कार्य सुचारू रूप से चुनाव संपन्न होने तक हो सकेगा।

    चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता संजीव निकेश ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के निर्देशानुसार डेडिकेटेड कमीशन की रिपोर्ट आ जाने के बाद नगर निकाय का चुनाव सम्पन्न करा लिया जाएगा।

    गौरतलब है कि राज्य में नगर निकाय की अवधि 3 सितंबर 2021 और 9 जून 2022 को पूरी हो जाने के बाद संबंधित नगर निकाय का कार्य एडमिनिस्ट्रेटर की देख रेख में हो रहा है।ये 9 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रही है।अभी तक डेडीकेटेड कमीशन का रिपोर्ट अति पिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में अभी सरकार को नहीं मिला है ।उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक आयोग का रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध हो जाएगा।

    इस मामले पर 1 दिसंबर 2022 को फिर सुनवाई की जाएगी।

  • पटना समाहरणालय बार एसोसिएशन भवन को तोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई 29 नवंबर,2022 तक के लिए टली

    नवम्बर 24, 2022 । पटना हाईकोर्ट में पटना समाहरणालय बार एसोसिएशन भवन को तोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई 29 नवंबर,2022 तक के लिए टली। उपेंद्र नारायण सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से वकीलों के लिए आधुनिक और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने को कहा।

    वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि पटना समाहरणालय बार एसोसिएशन के भवन को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है।लेकिन वकीलों के बैठने और काम करने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।

    राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशन के भवन या तो है ही नहीं या काफी बुरी स्थिति में है।पिछली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित पटना के प्रमंडलीय आयुक्त ने बताया कि पटना के जिलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में बैठक किया।

    उस बैठक की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया।इसमें कहा गया कि वकीलों के बैठने के लिए भवन निर्माण किया जाएगा।जबतक वकीलों को बैठने के लिए विकास भवन में बैठने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

    कोर्ट ने बिहार राज्य बार कॉउन्सिल और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशनों के भवनों की हालत के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा। वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में वकीलों को बैठने और कार्य करने के लिए न तो उचित व्यवस्था है और न ही भवन हैं।

    ऐसे में वकीलों के पेशागत कार्य करने में बहुत कठिनाई होती हैं।इस मामलें पर अगली सुनवाई 29 नवंबर,2022 को की जाएगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना के मामले में सुपौल के जिलाधिकारी पर पाँच हजार रुपये का अर्थदण्ड लगाया

    इस अर्थ दंड को उन्हें अपने पॉकेट से पटना उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने शम्भू प्रसाद उर्फ़ शम्भू स्वर्णकार की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया।

    इस मामले में हाई कोर्ट ने दिनांक 08.08.2018 को सुपौल के ज़िलाधिकारी से अपना हलफनामा देने का निर्देश दिया था,लेकिन इस निर्देश के बावजूद उन्होंने अपना हलफ़नामा दायर नहीं किया।

    इसके बाद दिनांक 23.09.2022 को हाई कोर्ट ने पुनः उन्हेें हलफनामा देने का निर्देश दिया।उसके बाद भी जब मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ,तो कोर्ट ने यह पाया कि उक्त दोनों तिथि को पारित आदेश का अनुपालन सुपौल के जिलाधिकारी द्वारा नहीं किया गया।

    गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त समय देने की माँग की गई । इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए उन पर 5000 रुपये का अर्थ दंड लगाया।