Category: पटना हाईकोर्ट न्यूज

  • पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि आम जनता का आपराधिक न्याय व्यवस्था ( क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) में विश्वास बना रहे,ये सबसे आवश्यक बात है

    जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग से व स्तरीय जांच नहीं किये जाने के मामलें पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज कोर्ट ने सुनाया है।
    अधिवक्ता ओम प्रकाश की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य में पुलिस बल में रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए। कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के वर्तमान प्रशिक्षण को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि आज जिस तरह के अपराध हो रहे हैं, उसके मद्देनजर पुलिसकर्मियों को व्यवहारिक ,स्तरीय और प्रभावी प्रशिक्षण की जरूरत है।

    कोर्ट ने अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने और सख्त कार्रवाई करने की जरूरत पर जोर दिया,ताकि आम जनता को न्यायिक और प्राशासनिक व्यवस्था पर विश्वास मजबूती से बना रहे।

    कोर्ट ने पुलिस बल द्वारा जांच की प्रक्रिया को प्रभावी और व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया,ताकि अपराध करने के पहले अपराधियों के अंदर कानून का भय हो।कोर्ट ने इस आदेश की प्रति को राज्य मुख्य सचिव, गृह सचिव और डी जी पी को भेजने का आदेश दिया।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में अपराधियों के सजा पाने से बच जाने के कारण लोगों का आपराधिक न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होते जा रहा है।पुलिस अधिकारियों द्वारा किये जा रहे जांच में त्रुटियों और कमी के कारण अपराधियों को सजा से बच जाते है।

    सुनवाई के दौरान बिहार पुलिस एकेडमी के निदेशक ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारियों को जांच और अन्य आपराधिक मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाता है।उनका समय समय पर परीक्षा ली जाती हैं और उनके प्रगति का मूल्यांकन होता है।इसमें लगातार सुधार किया जा रहा हैं।

    पुलिस आधुनकिकरण के ए डी जी के के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण और त्रुटियों पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी के कारण भी समस्याएं हैं।फॉरेंसिक लेबोरेट्री में आवश्यक सुधार और सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत हैं।

    उन्हों कोर्ट को बताया था कि एक फॉरेंसिक लैब पटना में है।दो क्षेत्रीय फॉरेंसिक लैब मुजफ्फरपुर और भागलपुर में भी है।दरभंगा में फॉरेंसिक लैब की स्थापना होने जा रहा है।

    कोर्ट ने कहा कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को प्रभावी ढंग से जारी रखने के लिए पुलिसकर्मियों सही ढंग से प्रशिक्षित करने की जरूरत हैं।साथ ही उनकी जांच में जिम्मेदारी तय करना भी आवश्यक है।

    इसी सुनवाई में बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कहा था कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि अपराधियों को सजा देने का अनुपात बढ़े।पुलिस कि संवेदनशील बनाने के साथ ही उनकी कार्यक्षमता और कुशलता बढ़ाने के समय समय पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाए ।

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    कोर्ट ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग, वैज्ञानिक और स्तरीय जांच नहीं करने के कारण अपराधियों को सजा नहीं मिलने पर गहरी चिंता जाहिर की थी।

    उन्होंने कहा था कि जहां पुलिस अधिकारियों को सही ढंग से आपराधिक मामलों की जांच के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराया जाना जरूरी है।सही तरीके से जांच करने,ठोस सबूत और पक्के गवाह उपलब्ध कराने पर ही अपराधियों को कोर्ट द्वारा सजा दी जा सकेगी।

    कोर्ट ने कहा था कि जबतक अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी,कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता हैं।इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस के जांच आधुनिक,स्तरीय और वैज्ञानिक हो,जिसमें अपराधियों को सजा मिलना सुनिश्चित हो।

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  • पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में; मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया

    21 अक्टूबर 2022 ।  पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने 13अक्टूबर,2022 सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा लिया था।

    चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि निगम के सी और डी श्रेणी की नियुक्ति का अधिकार पूर्ववत निगम के अधिकार क्षेत्र में होगा।

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शक्ति प्राप्त स्टैंडिंग कमिटी एक स्वतन्त्र निर्वाचित संस्था है।उसे राज्य सरकार या कोई अन्य संस्था उनका निरीक्षण नहीं कर सकती हैं।कोर्ट ने ये भी कहा कि 74वें संवैधानिक संशोधन के बाद नगर निकाय सांविधानिक हैसियत रखती हैं।उनकी शक्ति को कम करना या। खत्म करना असंवैधानिक होगा।

    यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

    अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है। उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।

    कोर्ट को आगे यह भी बताया गया था कि चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

    31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

    कोर्ट ने इस संशोधन को रद्द करते हुए सी और डी श्रेणी के कर्माचारियों की नियुक्ति का अधिकार नगर निगमों को पहले की भांति दे दिया हैं।

  • पटना हाइकोर्ट में 24अक्टूबर, 2022 से 31अक्टूबर, 2022 तक अवकाश रहेगा

    दिवाली,दावात पूजा एवं छठ पर्व के अवसर पर पटना हाइकोर्ट में 24अक्टूबर,2022 से 31अक्टूबर,2022 अवकाश रहेगा। 1 नवंबर,2022 को हाईकोर्ट खुलेगा और उसके बाद सामान्य अदालती कामकाज प्रारम्भ हो जाएगा।

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  • पटना हाईकोर्ट ने बिहार की एक अभ्यर्थी के NEET परीक्षा की ओएमआर आंसर शीट पेश करने का आदेश दिया

    देश भर के मेडिकल संस्थानों मे दाखिले हेतु , इस वर्ष आयोजित हुई राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट ) मे बिहार की एक अभ्यर्थी के ओ एम आर एनसर शीट मे प्रथम द्राष्ट्या गड़बड़ी की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए, पटना हाई कोर्ट ने उक्त छात्रा की ओएमआर एनसर शीट पेश करने का आदेश दिया है।

    न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने श्रेया प्रसाद की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए परीक्षा लेने वाली एजेंसि एन टी ए को निर्देश दिया कि 16 नवम्बर को मांगी गयी ओएमआर उत्तर फलक को कोर्ट मे पेश करे।

    केंद्र सरकार की तरफ से पटना हाई कोर्ट में एडीशनल सोलिसिटर जेनरल को भी इस मामले की नोटिस लेने को कहा गया ताकि उनके जरिये परीक्षा लेने वाली एजेंसि को जल्दी सूचना दी जा सके।

    याचिकाकर्ता के वकील अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को दर्शाया कि श्रेया की ओएमआर एनसर शीट, जो नीट की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई उसमे क्रम संख्या एक से लेकर 101 तक के उत्तर दिखाई ही नही दे रहे, जिसके परिणाम मे उनके मुवक्किल् को पहले 100 प्रश्नो मे शून्य अंक मिले हैं . जबकि आगे के प्रश्नो को श्रेया ने सफलता पूर्वक हल किया है. एक साथ 100 से भी अधिक प्रश्नो के उत्तर ओ एम आर शीट मे नहीं दिखना, परीक्षा व्यवस्था मे गंभीर गड़बड़ी की और इंगित करता है और साथ ही याचिका कर्ता की दक्षता और पात्रता को चोट पहुंचाता है।

    अभिनव ने देश के अन्य हाई कोर्ट से पारित आदेशों के हवाले से, न्यायमूर्ति शर्मा की एकलपीठ को दर्शाया कि बिल्कुल इसी प्रकार गड़बड़ियों को अन्य हाई कोर्ट मे उजागर किया जा चुका है।

    हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से दी गयी दलील को स्वीकार करते हुए श्रेया की ओएमआर शीट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    मामले पर अगली सुनवाई 16 नवम्बर ,2022 को होगी।

  • पटना हाईकोर्ट ने 11 साल की बच्ची से दुष्कर्म मामले में फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया

    पटना हाईकोर्ट ने 11 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के मामले में फाँसी की सजा पाए सजायफ़्ता को राहत देते हुए उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। साथ ही इसी मामले एक अन्य अभियुक्त को रिहा कर दिया।

    जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह एवं जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने अरविंद कुमार एवं अभिषेक कुमार की अपील याचिका पर सुनवाई करते स्वीकृति दे दी ।

    19.09.2018 को इन दोनों अभियुक्तों के खिलाफ पीड़िता की माँ ने आईपीसी की धारा 376, 376b, 120(B), 504, 506, 354(D) एवं पॉक्सो एक्ट की धारा 4,6 ऐवं 12 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई थी ।

    शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि फुलवारीशरीफ़ स्थित न्यू सेंट्रल पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल ने कक्षा पाँच में पढ़ने वाली छात्रा के साथ यौन शोषण किया।साथ ही उसका वीडियो वायरल करने के नाम पर ब्लैकमेल किया करते थे ।

    इस कांड में स्कूल के एक अन्य शिक्षक ने भी उसका साथ दिया । जब लड़की की माँ को शक हुआ तो उसने स्कूल के प्रिंसिपल एवं शिक्षक के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई । इस पर संज्ञान लेते हुए निचली अदालत ने स्कूल के प्रिंसिपल को फाँसी की सजा सुनाई और शिक्षक को उम्रक़ैद की सजा सुनाई।

    इस निचली अदालत के आदेश को अपीलकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । अपीलकर्ताओं का पक्ष वरीय अधिवक्ता बख्शी एस आरपी सिन्हा ने रखा।

    मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह पाया कि अभियोजन पक्ष पीड़ित बच्ची की उम्र 12 वर्ष के कम साबित करने में विफल रहे और संदेह का लाभ देते हुए अभियुक्त अरविंद कुमार की फाँसी की सजा को उम्रकैद की सजा में तबदील कर दिया। अभियुक्त अभिषेक कुमार को उम्रक़ैद की सजा से बरी कर दिया ।

  • बिहार में नगर निकाय के चुनाव का रास्ता साफ; सरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे वर्ग के राजनीतिक पिछडेपन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है

    राज्य में नगर निकाय के चुनाव का रास्ता साफ, अति पिछडे के आरक्षण के साथ साफ कर दिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई की।

    राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे वर्ग के राजनीतिक पिछडेपन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है।

    ये कमीशन राज्य में अतिपिछडे वर्ग में राजनीतिक पिछडेपन पर अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी।

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    इसके बाद राज्य सरकार के रिपोर्ट के आधार पर राज्य चुनाव आयोग राज्य में नगर निकायों का चुनाव कराएगा। कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार व अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को निष्पादित कर दिया।

  • बिहार के पूर्व कानून मंत्री कार्तिक सिंह की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई पटना हाइकोर्ट में टल गई

    बिहार के पूर्व कानून मंत्री व विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका पटना हाइकोर्ट में सुनवाई टल गई। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को केस डायरी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।इस अग्रिम जमानत की याचिका पर जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने सुनवाई की।

    ये मामला बिहटा के राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह के अपहरण से सम्बंधित मामला है।14नवम्बर,2014 को बिहटा पुलिस स्टेशन में थाना कांड संख्या 859/2014 रजिस्टर किया गया।

    ये मामला दानापुर के जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास, अजय कुमार के समक्ष सुनवाई हेतु लंबित हैं।
    इस मामलें में सूचक सचिन कुमार ने बिहटा थाना में 14 नवंबर,2014 को सूचना दी कि उन्हें टेलिफोन पर ये पता चला है कि उनके चाचा राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह का अपहरण हो गया है।

    अपहर्ता 18 की संख्या में थे,जो पाँच scorpio गाड़ी से आये थे।उन्होंने राजू को बलपूर्वक ले गए।ये आरोप लगाया गया कि मोकामा के विधायक अनंत सिंह,बंटू सिंह व अन्य सोलह व्यक्तियों ने इसे अंजाम दिया।इससे पहले भी दस करोड़ रुपए की फिरौती मांगे जाने का आरोप लगाया गया था,जिसकी सूचना कृष्णापुरी थाने को दी गई थी।

    याचिकाकर्ता ने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में कोर्ट को बताया है कि उनके विरुद्ध जो अन्य आपराधिक मामलें है,उनमें वे जमानत पर है।पटना हाईकोर्ट में 2017 में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी,लेकिन उसे 16 फरवरी,2017 को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया।

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    उसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत की कोई याचिका पटना हाइकोर्ट में नहीं दायर की।उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में ये बताया है कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था।साथ ही पीड़ित और सूचक ने उनका नाम इस घटना के सम्बन्ध में नहीं लिया था।

    उन्होंने बताया कि घटना के दिन 14 नवंबर,2014 को वे सरकारी स्कूल में अपनी ड्यूटी में थे।उनके हस्ताक्षर भी उपस्थिति रजिस्टर में अंकित है।

    इस अग्रिम जमानत की याचिका पर दिवाली अवकाश के सुनवाई की जाएगी।

  • बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद कानून ,2016 को सही ढंग से लागू नहीं करने पर पटना हाइकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की

    18 अक्टूबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने राज्य की जनता के स्वास्थ्य,जीवन खतरे में डाल कर राज्य मशीनरी द्वारा बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद कानून ,2016 को सही ढंग से नहीं लागू करने पर नाराजगी जाहिर की। जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने एक जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए टिप्प्णी की।

    कोर्ट ने इसे बड़ा जनहित याचिका मानते हुए इस पर संज्ञान लेने हेतु पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष भेजा हैं। उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण इससे जुड़े कई अपराधों में बढोतरी हुई हैं।उ न्होंने कहा कि जहरीली शराब को नष्ट करने का तरीके का भूमि की उर्वरता पर घातक प्रभाव डालता हैं।

    शराब में मिले हुए रासायनिक पदार्थ micro organism पर असर डालता है,जिससे भूमि की उपजाऊ होने पर बुरा असर पड़ता है।इसका बुरा असर पेय जल पर भी पड़ता है,जिससे कैंसर और अन्य घातक बीमारियां हो जाती हैं।

    राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इसके घातक प्रभाव को देखते हुए शराब की बोतलों और प्लास्टिक से चूडियां बनायीं जाने लगी हैं।कोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी कि पर्यावरण को देखते हुए नीति बनायीं जाए,जिससे इसके दुष्प्रभाव को रोका जा सके।

    इसे मद्यनिषेध को सही और प्रभावी ढंग से लागू नहीं करने के कारण शराब की तस्करी होने लगी।इसमें नेपाल और अन्य देशों तक शराब की तस्करी होने लगी हैं। इसमें विधि व्यवस्था सम्भालने में पुलिस बल को इन अपराधियों से जूझना पड़ता है।

    साथ ही इससे कानून व्यवस्था पर भी असर पड़ता हैं।
    साथ ही शराब की तस्करी के लिए अवैध वाहनों का इस्तेमाल किया जाने लगा,जिसका रेजिस्ट्रेशन नंबर,इंजन नंबर आदि फर्जी होने लगे। साथ ही पुलिस जब इन वाहनों को पकड़ लेती है,तो फिर अदालत में ही आना होता है।

    शराब के अवैध कारोबार में छोटे उम्र के किशोरों को शामिल कर लिया जाता हैं।इससे अपराध और अपराधियों की संख्या और गम्भीरता बढ़ते जा रही हैं।

    साथ ही जांच करने वाली एजेन्सी भी अपने कर्तव्य को सही ढंग से नहीं निभाती है।पुलिस शराब स्मग्लरों और गैंग ऑपरेट करने वालोंं के खिलाफ चार्ज शीट दायर नहीं करती।

    वह ड्राइवर,क्लीनर,खलासी जैसे लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर देती है, जिनका इसमें कोई सीधी भागीदारी नहीं होती हैं।
    जो इस मामले में दोषी अधिकारी है,उनके विरुद्ध सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती है।

    पुलिस,ट्रांसपोर्ट,उत्पाद और अन्य सम्बंधित विभागों के दोषी और जिम्मेदार अधिकारियो के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिये।

    जहरीली शराब से भी बड़े पैमाने पर लोगों की मौत होती है।इस पर भी सरकार को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।जो भी लोग इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार और दोषी हो,उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने की आवश्यकता है।

    मद्यनिषेध और उत्पाद कानून से सम्बंधित मामलें बड़े पैमाने पर राज्य की अदालतों सुनवाई हेतु लंबित है।इससे अदालतों के सामान्य कामकाज को भी प्रभावित करता है।

  • पटना हाईकोर्ट ने नेत्र सहायक(ऑप्थलमिक असिस्टेंट) के पद पर बहाली प्रक्रिया में गणित से आईएससी पास अभ्यर्थियों को भी शामिल होने की अनुमति दी

    पटना हाईकोर्ट ने नेत्र सहायक(ऑप्थलमिक असिस्टेंट) के पद पर बहाली प्रक्रिया में गणित से आईएससी पास अभ्यर्थियों को भी शामिल होने की अनुमति देते हुए राहत दी। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने रणधीर कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।

    बिहार पारा मेडिकल/पारा डेंटल शिक्षा संस्थान रुल 2005 के अनुसार नेत्र सहायक के पद के लिए फिजिक्स,केमिस्ट्री,जीव विज्ञान,अंग्रेजी के साथ गणित इंटर पास उम्मीदवार योग्यता रखते थे।

    2011 में ये स्पष्ट किया गया कि 2012 से नेत्र सहायक के पद के लिए इंटर में गणित को हटा दिया गया।फिजिक्स, केमिस्ट्री,बायोलॉजी और अंग्रेजी विषय में इंटर उत्तीर्ण उमीदवार ही नेत्र सहायक के पद के योग्य माना गया।

    कोर्ट ने ये आदेश बिहार तकनीकी सेवा आयोग, पटना के उप सचिव के हस्ताक्षर से निकाले गए विज्ञापन संख्या 01/ 2021 के मामले में दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार ने कोर्ट को बताया कि बिहार पारा मेडिकल/ पारा डेंटल शिक्षा संस्थानों की स्थापना की अनुमति) रूल, 2005 व इस रूल के रूल 26 का हवाला दिया गया है।

    इसके तहत इन पदों पर नियुक्ति की योग्यता साइंस में इंटर पास या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मैथ और अंग्रेजी विषयों में इंटर पास बताया गया है।

  • पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई कल तक टली

    19 अक्टूबर 2022 । राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई कल तक टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।

    पिछली सुनवाई में महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल,2022 में इन मामलों के निष्पादन का दर शून्य था।लेकिन जब से कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई और निगरानी प्रारम्भ किया,जुलाई,2022 तक ऐसे 164 मामलों को निष्पादित किया जा चुका है।ये प्रगति काफी सकारात्मक है।

    पूर्व की सुनवाई में महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध 78 आपराधिक मामलों में 12 मामलों पर आरोप पत्र और 4 मामलों पर अंतिम प्रपत्र दायर किया जा चुका है।

    उन्होंने कोर्ट को ये भी बताया था कि 280 मामलों में कुल 481 गवाहों का परिक्षण किया जा चुका है | पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एमपी और एमएलए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है।

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    लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 19अक्टूबर,2022, को होने की संभावना है।