Category: पटना हाईकोर्ट न्यूज

  • बिहार सरकार ने नगर निकाय में आरक्षण मामले में पुनर्विचार याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर की

    पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार नगर निकाय में आरक्षण मामले में एक पुनर्विचार याचिका दायर की है। इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की तिथि 19 अक्टूबर,2022 को की जाएगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर 29 सितम्बर,2022 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे कोर्ट ने 4 अक्टूबर,2022 फैसला सुनाया था।

    हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद नगर निकायों के चुनाव स्थगित करना पड़ा था। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि प्रावधानों के अनुसार ओबीसी/इबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक राज्य सरकार 2010 मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच की अहर्ताएं पूरी नहीं कर लेती है।

    गौरतलब है कि स्थानीय निकायों के चुनाव 10अक्टूबर,2022 से शुरू होने वाले थे,लेकिन पटना हाइकोर्ट के निर्णय के आलोक में इस चुनाव को फिलहाल स्थगित करना पड़ा।

    सुप्रीम कोर्ट ने तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी/इबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफारिश के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकायों में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।
    साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीट के पचास फीसदी की सीमा को पार नहीं करें।

    राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट में ये पुनर्विचार याचिका दायर करते कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस मामलें में कई बिंदुओं पर तथ्य रखने के लिए पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की जाए।

  • पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर जिला के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत राजन साह की 6 वर्षीय पुत्री खुशी कुमारी के अपहरण के मामलें को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया

    पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर जिला के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत राजन साह की 6 वर्षीय पुत्री खुशी कुमारी के अपहरण के मामलें को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया है। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामलें पर सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई और निर्देशक,सी एफ एस एल,नई दिल्ली को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान एसएसपी मुज़फ़्फ़रपुर जयंतकांत ऑनलाइन उपस्थित रहे थे।

    अपहृता के वकील ओम प्रकाश कुमार ने कोर्ट को बताया कि एसएसपी,मुजफ्फरपुर द्वारा आज़तक सिर्फ कागजी कार्रवाई किया गया है। लगभग 3 महीना से सिर्फ पॉलीग्राफी टेस्ट का बहाना बना कर कोर्ट का समय बर्बाद किया जा रहा है।

    पिछली सुनवाई मे अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि एक ऑडियो रेकॉर्डिंग है ,जिसमे संदिग्ध राहुल कुमार की आवाज है।वह अपहृत खुशी के बारे में जानता है।

    इस पर कोर्ट ने आदेश दिया था कि वह ऑडियो क्लिप एस एस पी को दिया जाए। एसएसपी ऑडियो की पुष्टि करके करवाई करें।लेकिन जो शपथ पत्र एसएसपी के द्वारा हाई कोर्ट में फ़ाइल किया गया है ,उसमे ऑडियो क्लिप का कोई जिक्र नही किया गया।

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    कोर्ट ने पाया कि इस कांड का उद्भेदन अब एस एस पी, मुज़फ़्फ़रपुर द्वारा नही हो सकता है।कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि 14.10.2022 तक सभी कागजात सीबीआई को मुहैया करवाई जाए।कोर्ट ने सीबीआई के वकील को भी कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था।

    यह मामला 16 फरवरी 2021 को 5 साल की खुशी का अपहरण से जुड़ा है। इसका सुराग आज तक नहीं मिला है। खुशी के पिता मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली से संतुष्ट नही थे, जिसके कारण खुशी के पिता राजन साह ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर किया था।ये याचिका अधिवक्ता ओमप्रकाश कुमार ने याचिकाकर्ता की ओर से दायर किया था। इसमे याचिकाकर्ता ने मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए बच्ची को जल्द से जल्द ढूंढ़वाने का आग्रह किया था।

  • राज्य के दिव्यांग स्कूलों की दयनीय अवस्था पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई दीपावली के अवकाश के बाद की जाएगी

    राज्य के दिव्यांग ( दृष्टिहीन,मूक व बधिरों के लिए) स्कूलों की दयनीय अवस्था पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई दीपावली के अवकाश के बाद की जाएगी।राज कुमार रंजन की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की जा रही है।

    ये जनहित याचिका भागलपुर के जगदीशपुर प्रखंड स्थित गिरिजा शंकर दृष्टिहीन बालिका विद्यालय के दयनीय हालत के सम्बन्ध में दायर किया गया था।कोर्ट ने इस जनहित याचिका का दायरा बढ़ा कर राज्य के सभी दिव्यांग स्कूलों की अवस्था की सुनवाई के लिए कर दिया।

    6जनवरी,2020 में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को पार्टी बनाने का आदेश देते हुए उन्हें हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।उन्हें ये बताने को कहा गया कि क्या दिव्यांग छात्रों को प्रावधानों के अनुसार मिलने वाली सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।

    इस मामलें पर 25 जुलाई,2022 को कोर्ट ने सुनवाई की थी।इसमें जो जवाब राज्य सरकार की ओर से दिया गया था, उसमें स्पष्ट था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों के काफी पद रिक्त पड़े हैं।

    जो स्वीकृत पद रिक्त पड़े थे,उन पर शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं हुई थी।इन स्कूलों में या तो शिक्षक ही नहीं थे या एक या दो शिक्षक थे।दृष्टिहीन छात्रों के शिक्षा को बहुत हल्के ढंग से लिया गया।

    कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और राज्य दिव्यांग आयोग को इन स्कूलों की स्थापना और स्कूलों में चल रही व्यवस्था का पूरा ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।

    इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है और पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भी काफी कमी है।इस मामलें पर अब दीपावली के अवकाश के सुनवाई की जाएगी।

  • ⚖️गैर कानूनी तरीके से मकान मालिक अपने किराएदार को जबरन बेदखल नहीं कर सकता: पटना हाईकोर्ट

    14 अक्टूबर 2022 । पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में ये स्पष्ट किया है कि गैर कानूनी तरीके से कोई मकान मालिक असामाजिक तत्त्वों की सहायता से अपने किराएदार को जबरन बेदखल नहीं कर सकता है। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने पटना स्थित फ्रेजर रोड एक होटल को राहत देते हुए बात कही।

    यदि मकान मालिक के साथ पुलिस की भी मिली भगत भी हो, तब भी हाई कोर्ट इसकी अनदेखी नहीं कर सकता है।

    कोर्ट ने उसकी आपराधिक रिट याचिका मंजूर करते हुए पटना के एसएसपी तथा कोतवाली के थाना प्रभारी को याचिकाकर्ता होटल कम्पनी को तुरंत उसके होटल परिसर का दखल वापस दिलाने का निर्देश दिया है।

    कोर्ट को बताया गया कि गत 24 फरवरी, 2022 की आधी रात में मकान मालिक ने असामाजिक तत्वों की सहायता से जबरन कम्पनी की ऑफिस को खाली करा दिया और ताला जड़ दिया।पुलिस ने पीड़ित किराएदार की शिकायत सुनने की बजाय मकान मालिक का ही साथ दिया।

    कोर्ट ने इसे गम्भीर घटना माना और कहा कि यह पुलिस की विफलता का अजीब उदाहरण है।पुलिस को कानून के अनुसार पीड़ित व्यक्ति का साथ देना चाहिए था, न कि कानून को अपने हाथ में लेने वाले मकान मालिक का।

    कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऐसी घटना का संज्ञान नहीं लिया जाएगा, तो कानून का अनादर करने वालों का हौसला और भी बढ़ जाएगा ।

  • पटना हाईकोर्ट ने औरंगाबाद में अतिक्रमण हटाने में अधिकारियों द्वारा अनियमितता बरतने के मामलें पर सुनवाई की

    13 अक्टूबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने औरंगाबाद में अतिक्रमण हटाने में अधिकारियों द्वारा अनियमितता बरतने के मामलें पर सुनवाई की।जस्टिस मोहित शाह ने इस मामलें पर सुनवाई की।

    कोर्ट में उपस्थित डी एम और एस पी, औरंगाबाद ने कोर्ट को बताया कि ओबरा के सी ओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर लिया गया।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने औरंगाबाद के डी एम और एस पी को निर्देश दिया था कि अतिक्रमण नहीं हटाने के मामलें में गड़बड़ी करने वाले ओबरा के सीओ और खुदवा के थानाध्यक्ष के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर 48 घंटों में गिरफ्तार किया जाए।कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते डी एम और एस पी को सख्त चेतावनी दी थी कि अगर कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ,तो औरंगाबाद के डी एम और एस पी को कस्टडी में लिया जा सकता है।

    ये अधिकारीगण आज कोर्ट में उपस्थित हो कर इस मामलें में किए गए कार्रवाई का ब्यौरा पेश किया।कोर्ट ने इस मामलें पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के गलत कार्य करने वाले सरकारी अधिकारियो और कर्मचारियों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।कोर्ट इस प्रकार की घटनाओं पर काफी सख्त कार्रवाई करेगा।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि खुदवा थानाध्यक्ष एक महिला को सहयोग दे कर जिनके भूमि पर अतिक्रमण था,उनके पूरे परिवार के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के तहत औरंगाबाद सिविल कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया है।

    उन्होंने बताया कि जिनकी भूमि है,उन्हें तरह तरह से धमकाया जा रहा था।साथ ही सीओ की भूमिका संदिग्ध है।कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई कर मामलें को निष्पादित कर दिया।

  • पटना हाईकोर्ट ने जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के निर्माण,विकास एवं नवीनीकरण के मामले सुनवाई की

    13 अक्टूबर 2022 । चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जानना चाहा कि वे राज्य में ग्रीनफ़ील्ड एयरपोर्ट बनाने के लिए कितने गंभीर है ?

    कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह विभिन्न एयरपोर्ट के निर्माण से संबंधित प्रगति और रिकॉर्ड को अगली सुनवाई में कोर्ट में पेश करे ।

    कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री व पायलट राजीव प्रताप रूडी बताया कि बिहार में एक भी ग्रीनफ़ील्ड ऐयरपोर्ट नहीं है। राज्य सरकार ने राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने के सम्बन्ध में अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है । उन्होंने कहा कि 70 वर्ष से पटना अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आज तक एक भी अंतराष्ट्रीय विमान का परिचालन नहीं हुआ है ।

    उन्होंने कहा कि गया अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर भी आज तक कोई अंतर्राष्ट्रीय विमान का परिचालन नहीं हुआ है।अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट होने के बावजूद यहां अंतर्राष्ट्रीय विमान नहीं चलते हैं । राज्य सरकार भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर अपना स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है ।

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    इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों से जानना चाहा कि ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट एवं अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट स्थापित करने के लिए क्या क्या अनिवार्यता हैं ? कोर्ट ने सभी पक्षों को अपने अपने पक्ष अगली सुनवाई तक कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।इस मामलें पर दीपावली अवकाश के बाद सुनवाई की जाएगी।

  • राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों की खस्ताहाल स्थिति को पटना हाईकोर्ट ने काफी गम्भीरता से लिया

    13 अक्टूबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंतर्गत कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों की खस्ताहाल स्थिति को काफी गम्भीरता से लिया।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को सभी कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों में उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं के सम्बन्ध में ब्यौरा तलब किया है।

    कोर्ट ने कोर्ट में उपस्थित शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, से जानना चाहा कि राज्य के सरकारी कालेजों,सेकंड्री और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का इतना अभाव क्यों है। कोर्ट ने ये भी पूछा कि राज्य के स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र क्यों पढ़ना छोड़ देते है।

    कोर्ट ने उपस्थित अधिकारी से जानना चाहा कि राज्य में शिक्षा के मद में कितना बजट रखा गया है।कोर्ट को बताया गया कि राज्य में शिक्षा के लिए 51 हज़ार करोड़ रुपए है,जो कि कुल बजट के बीस फी सदी से अधिक है।

    पिछली सुनवाई में पटना के दानापुर स्थित बीएस कॉलेज में बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराए जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को तलब किया था।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि कालेज में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के कारण छात्राओं को काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस जनहित याचिका में ये भी माँग की गई कि छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन मुहैया कराने के लिए कॉलेज परिसर में वेंडिंग मशीन भी लगाया जाना चाहिए।

    कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि बी एस कालेज,दानापुर के बाउंड्री निर्माण का काम छह माह में पूरा कर लिया जाएगा।कालेज में शौचालय बनाने का काम 30अक्टूबर,2022 तक पूरा हो जाएगा।साथ ही लेबोरेट्री बनाने का कार्य भी तीन माह में पूरा हो जाएगा।

    इस मामलें पर अगली सुनवाई 30 नवंबर,2022 को होगी।

  • पटना हाईकोर्ट में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किये जाने के मामलें पर सुनवाई 17 नवंबर,2022 को की जाएगी

    13 अक्टूबर 2022 । रणजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल और राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया था।इस जनहित याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार के कई विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा किया गया है।

    याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि ये राशि लगभग एक लाख बारह हज़ार करोड़ का हैं,जिसका उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दायर किया गया है।ये आंकड़े 31अगस्त,2022 तक का हैं।

    ये राशि 2002 – 03 से ले कर 2020 – 21तक सामंजित किया जाना लंबित हैं।कोर्ट ने अकाउंटेंट जनरल के पक्ष प्रस्तुत कर रहे अधिवक्ता से जानना चाहा कि इस सन्दर्भ में अकाउंटेंट जनरल की क्या शक्तियां हैं।

    राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस सम्बन्ध में अकाउंटेंट जनरल और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के सचिवों के बीच माह में एक बार इस मुद्दे पर बैठक किये जाने की योजना है।

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    साथ ही राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भी व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा2003 -04 से 2020- 21 तक उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा करने पर क्या कार्रवाई की।

  • पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के मार्च, 2021 मे राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा

    13 अक्टूबर 2022 । चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों की लम्बी सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।

    यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है।कोर्ट को अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है।

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    उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।कोर्ट को आगे यह भी बताया गया की चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

    31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

  • पूर्व कानून मंत्री के अग्रिम जमानत याचिका पर आज पटना हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई

    जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने इस मामले में पुलिस से केस डायरी की मांग कर दी है। अब केस डायरी की स्टडी करने के बाद ही कार्तिकेय सिंह की अग्रिम जमानत याचिका पर आगे की सुनवाई होगी।

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