एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार पटना के निर्देशानुसार संविधान दिवस के अवसर पर आज दिनांक 26 नवंबर 22 को विधिक सेवा सदन व्यवहार न्यायालय नालंदा बिहारशरीफ में संविधान की प्रस्तावना पढ़ने के कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में रचना अग्रवाल, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार नालंदा के निर्देशन में पैनल अधिवक्ताओं और पर विधिक स्वयंसेवक और विधि संकाय के छात्रों द्वारा संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई।
इस अवसर पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार और मूल कर्तव्यों के बारे में उपस्थित लोगोंको जागरूक किया गया।
इस मौके पर पैनल अधिवक्ता बिरमानी कुमार, सोनाली स्वरूप, गौरव कुणाल, संजीव कुमार, आदि और विधि संकाय छात्रों में प्रभात, सबिला, सनोवार, सुप्रिया आदि और पारा विधिक स्वयंस्ववक के रूप में राजीव कुमार, राजेश कुमार पांडेय, अभिषेक कुमार आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के सहयोग के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सहायक मुहम्मद आतिफ, कौशल, मंजीत, मधुसूदन, ने सहयोग किया।
इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ने बताया की संविधान सप्ताह जो आज से 2 दिसंबर 22 तक मनाया जाना है। इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी, नालंदा को निर्देशित किया गया है कि वे सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों में संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार और मूल कर्तव्यों पर निबंध लेखन प्रतियोगिता, पेंटिंग प्रतियोगिता, डिबेट आदि का आयोजन करवाना सुनिश्चित करेंगे।
उधर, इधर संविधान दिवस पर हिलसा व्यवहार न्यायालय परिसर में एडवोकेट के साथ प्रस्तावना को पढ़ कर सुनाया गया। जिसमें मूल अधिकार, कर्तव्य , अनुच्छेद , अनुसूचियाँ आदि के बारे में जानकारी दी गयी। यह जानकारी पीएलवी आलोक कुमार ने दी।
बेन (रामावतार कुमार)। बेन अंचल कार्यालय में अंचलाधिकारी के संरक्षण में अनाधिकृत व्यक्ति (दलाल) कर्मचारी के दायित्वों का निर्वहन करते नजर आते हैं। मजबूरी में लोगों को अपने कार्य के लिए इन दलालों का हीं सहारा लेते हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि हरेक कर्मचारी एक-एक दलाल रखते हैं। यह सब कार्य अंचलाधिकारी के अधिनस्थ कर्मचारी के रूप में होता है। जाहिर है कि इन्हें वेतन तो सरकार देती नहीं, भ्रष्टाचार कर ये लोग मोटी रकम वसूलते और आम आदमी का काम बिना पैसे का नहीं होता।
हद तो यह है कि राजस्व कर्मचारी भी सरकारी दस्तावेजों को दलालों को सौंप देते हैं। जिसके कारण अनाधिकृत व्यक्ति, गैर जिम्मेदार लोग सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करते हैं।
दलालों को सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ करने का हक देना कैसे न्याय संगत है। इन सारे सवाल पर अंचलाधिकारी कुछ नहीं बता पाते तो दूसरी ओर जिले एवं अनुमंडल के पदाधिकारियों द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाता।
बहरहाल आप भी देख सकते हैं कि संध्या काल में नाजीर संतोष कुमार के कक्ष में एवं अंचल कार्यालय में किस प्रकार दलाल पप्पू कुमार नामक व्यक्ति रजिस्टर टू एवं अन्य दस्तावेजों को उलटफेर करते हैं।
इस बाबत एकसारा पंचायत के खेदुविगहा निवासी सतेन्द्र सिंह, खैरा पंचायत के विवेक कुमार व अन्य ने कहा कि अंचल में ज्यादातर कार्य दलालों के माध्यम से हीं होता है।
उन्होंने अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा सरकारी कार्य किए जानें पर भी आपत्ति जताई और कहा कि अवैध तरीके से इन लोगों द्वारा कार्य किया जाना रजिस्टर से छेड़छाड़ किया जाना कतई उचित नहीं है।
नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर एवं पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने आज मद्य निषेध एवं अवैध खनन की रोकथाम को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की।
अवैध शराब के निर्माण, बिक्री एवं सेवन को लेकर पूर्व से चिन्हित हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों में लगातार सघन छापामारी अभियान चलाने का निर्देश सभी थाना प्रभारियों को दिया गया। अवैध शराब के कारोबार से जुड़े लोगों के विरुद्ध विशेष रुप से कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया।
अवैध शराब के कारोबार में जप्त वाहन एवं भवन / भूखंड अधिहरण के लंबित मामलों का निष्पादन समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित करने का निर्देश संबंधित प्राधिकार के पदाधिकारियों को दिया गया। वर्तमान में वाहन आधिहरण के 80 तथा भवन / भूखंड अधिकरण से संबंधित 298 मामले लंबित पाए गए, जिनका निष्पादन सुनिश्चित करने को कहा गया।
जप्त शराब के विनष्टीकरण हेतु समय से प्रस्ताव भेजकर विनष्टीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।
भूमि विवादों के निराकरण के लिए प्रत्येक शनिवार को थाना स्तर पर लगाए जाने वाले विशेष शिविर का प्रत्येक निर्धारित दिवस पर आयोजन करने तथा इससे संबंधित बैठक की कार्यवाही निर्धारित पोर्टल पर नियमित रूप से अपलोड करने का निर्देश सभी थाना प्रभारी एवं अंचलाधिकारियों को दिया गया।
अवैध खनन, भंडारण तथा ओवरलोडिंग के मामलों में सघन कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश खनिज विकास पदाधिकारी एवं सभी थाना प्रभारियों को दिया गया।
बैठक में अपर समाहर्ता, उत्पाद अधीक्षक, खनिज विकास पदाधिकारी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी आदि जुड़े थे।
नालंदा दर्पण डेस्क। इतिहास के अवशेषों से जब भी हम गुजरते हैं। सच में आश्चर्य होता है कि हम पहले क्या थे और आज क्या हैं? बीता हुआ कल काफी महत्वपूर्ण होता है। भले ही बीता हुआ समय वापस नहीं आता, किन्तु अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के तौर पर कहीं पुस्तकों तो कहीं इमारतों के रूप में संजो कर रखा गया है।
हमारे पूर्वजों ने निशानी के तौर पर तमाम तरह के मंदिर, किले,इमारतें, कुएँ तथा अन्य चीजों का सहारा लिया, जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें।लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान पहुँचा।
उनकी यादों को पहले स्वयं हमने भी नजर अंदाज किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गयी और उनका अस्तित्व भी संकट में पड़ गया।
भारत की विरासत ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बिखरी पड़ी है। जिन्हें संरक्षित सहेजना चुनौतीपूर्ण है। देश के ग्रामीण अंचलों में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों की भरमार है।
इन विरासतों की सार संभाल के साथ इन्हें ग्रामीण पर्यटन से जोड़ दिया जाए तो ना केवल क्षेत्र का समुचित विकास हो सकेगा। इससे क्षेत्र की कायापलट हो सकती है।इससे एक तरफ जहाँ अमूल्य विरासत संरक्षित होगी वहाँ दो हाथों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन सरकारी उपेक्षा एवं उदासीनता की वजह से ग्रामीण अंचलों में फैले पुरातात्विक विरासत बिखरे हुए हैं, जिसे सहेजने की आवश्यकता है।
नालंदा के चंडी अंचल में ऐसे ही कई अवशेष बिखरे हुए है, विरासत और अपने इतिहास से अंजान। सिर्फ यहाँ बौद्ध कालीन सभ्यता ही नहीं मुगलिया वंश के नायाब किस्से-कहानियाँ बिखरी पड़ी हुई है। जहाँ कभी गंगा-जमुना तहजीब की धारा बहती थी।
चंडी अंचल में कई ऐसे गाँव हैं, जिनके नामों में ध्वन्यात्मक है। इन गाँवों के नामों का अंत ‘गढ़’ या ‘आमा’ शब्द से होता है। जहाँ ऐसा माना जाता है कि ऐसे गाँव में बौद्ध कालीन इतिहास समाहित है। जहाँ के खेतों, खलिहानों, तालाबों, टीलों, मंदिरों, ब्रह्म बाबा गोरैया स्थानों पर प्राचीन मूर्तियों तथा अवशेष विधमान है।
चंडी प्रखंड में ‘गढ़’ से शुरू होने वाले गाँव तुलसीगढ,रूखाईगढ,माधोपुर गढ़, दयालपुर गढ़, हनुमान गढ़, के अलावा ‘आमा ‘नामधारी गाँव में सिरनामा, विरनामा, अरियामा, कोरनामा, आदि कई गांव हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि बौद्धकालीन, मौर्य, गुप्त और पाल वंश के शासन काल की झलक मिलती है।
चंडी अंचल के रूखाई और तुलसीगढ में विशालकाय स्तूप संरचना नजर आती है।हालाँकि रूखाई गढ़ में पुरातत्व विभाग की खुदाई में कई सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं।इसके अलावा इस गाँव के खेतों-खलियानों में बेशकीमती प्राचीन मूर्तियां बिखरी पड़ी हुई है। जहाँ कहीं भी कुदाल-फावडे पड़ते हैं, रूखाई की जमीन से कोई न कोई मूर्ति निकल ही जाती है।जबकि देखरेख और संरक्षण के अभाव में दर्जनों बेशकीमती मूर्ति या तो चोरी हो गई या फिर नष्ट हो गया।
रूखाई में पुरातत्व विभाग ने 13 दिन तक दफन इतिहास को खोद कर निकालने का प्रयास किया।भगवान बुद्ध से लेकर, मौर्य वंश,शुंग,कुषाण, गुप्त, पालवंश एवं मुगल काल सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए।जिसकी कल्पना गाँव वालों ने भी नहीं किया था।यहाँ बौद्ध काल से पूर्व की एक समृद्ध नगरीय व्यवस्था थी।
वर्ष 2009 में इसी गाँव के आगे राजाबाद गाँव में एक सरकारी तालाब खुदाई के दौरान भी एक प्राचीन स्थापत्य कला के भग्नावशेष मिले थे। तालाब खुदाई के दौरान 21 फीट लंबा व 16 फुट चौड़ा चबूतरा मिला था। इसके अलावा लकड़ी का विशाल कालम तथा लकड़ी का एक विशाल खंभा भी मिला था।
रूखाई गढ़ में वर्ष 2015 में खुदाई के दौरान कई महत्वपूर्ण अवशेष मिलें थें।उसके बाद इसी साल 28 फरवरी को एक तालाब की खुदाई के दौरान एक खंडित बौद्ध प्रतिमा मिली थी। साथ ही दीवारों के अवशेष भी मिले। वहीं 9 मई को फिर से तालाब खुदाई के दौरान एक बेशकीमती मूर्ति बरामद हुई। इससे पहले भी यदा -कदा खेतों की जुताई के दौरान भी मूर्ति निकल जाती है।
इधर चंडी अंचल के तुलसीगढ में भी एक विशालकाय स्तूप संरचना है। जिसकी उंचाई 30-35 फीट है व व्यास लगभग 60मीटर है। इस टीले के बारे में किंवदंती है कि पहले लोग इस टीले के आसपास ही जीवन यापन करते थे। इस टीले के चारों ओर जलाशय था।यहाँ भी लगभग 400 वर्ष पूर्व की सभ्यता का पता चल सकता है।
इसके अलावा चंडी अंचल के कई ऐसे गाँव हैं, जहाँ पर मुगलकालीन समय की झलक आज भी देखने को मिल जाता है।उस समय ‘जागीरदारी’ उन गाँवों में चलती थी। मुगलिया सल्तनत के कई ऐसे लोग बाहर से आकर चंडी के कई गाँव को अपना बसेरा बनाया। जिसका उदाहरण प्रखंड का माहो गाँव हैं। इसका प्राचीन नाम ‘मुस्तफापुर’ माना जाता है।
इसके अलावा मोसिमपुर, इमामगंज, सालेपुर, विरनामा, लोदीपुर, अफजलबिगहा, ओली बिगहा, हब्बीबुलाचक जैसे गाँव इसके उदाहरण है। सिर्फ इतना ही नहीं ये गाँव गंगा-जमुनी तहजीब के मिसाल भी रहे हैं।
इन गाँवों की अपनी ही कहानी हैं। लेकिन नयी पीढ़ी के लोग अपने ही विरासत से अंजान हैं।भागदौड़ की इस जिंदगी में उन्हें यह सोचने का साहस ही नहीं बचा।उम्र के हेर फेर में विरासत को भूल चुके हैं।
कहने की जरूरत नहीं है कि अंचल में बिखरे ऐतिहासिक विरासत को संरक्षण की जरूरत है। लेकिन सरकार की लापरवाही और उदासीनता से अनमोल विरासत काल कवलित हो जा रही है।
नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने आज आरटीपीएस एवं लोक शिकायत की समीक्षा की। आरटीपीएस की समीक्षा के क्रम में 28 आवेदन निर्धारित समय सीमा की अवधि पार करने के उपरांत लंबित पाए गए।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी आवेदन निर्धारित समय सीमा के बाद लंबित नहीं रहना चाहिए। आरटीपीएस काउंटर पर ऑफलाइन आवेदन भी लिया जाना है। किसी भी परिस्थिति में किसी भी ऑफलाइन आवेदक को लौटाया नहीं जा सकता है। अगर कहीं से ऐसी सूचना प्राप्त होगी तो संबंधित कर्मी/ पदाधिकारी के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने ऑफलाइन आवेदन प्राप्त करने संबंधी सूचना का प्रदर्शन सभी आरटीपीएस काउंटर पर सुनिश्चित रखने को कहा ।वर्तमान में जिला में लगभग 84 प्रतिशत आवेदन ऑनलाइन, 15 प्रतिशत काउंटर पर तथा 1 प्रतिशत सीएससी के माध्यम से प्राप्त हो रहे हैं।
लोक सेवाओं के कार्य के लिए अक्टूबर माह में नालंदा जिला को राज्य में सातवां रैंक दिया गया है। लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत सक्षम प्राधिकार के स्तर से सेवाओं को नियमानुसार उपलब्ध नहीं कराने के कारण दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध समय-समय पर शास्ति अधिरोपित किया गया है। कई पदाधिकारियों के अन्य जिलों में स्थानांतरण हो जाने के कारण शास्ति की राशि जमा नहीं हो सकी है।
अरुण कुमार सिंह तत्कालीन अंचलाधिकारी अस्थावां, सुरेश कुमार तत्कालीन अंचलाधिकारी रहुई, विजय कुमार सिंह तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी वेन, अजीत कुमार प्रसाद तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी सिलाव, नरेंद्र कुमार तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी वेन एवं चंद्र मोहन तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राजगीर से शास्ति राशि की वसूली के लिए संबंधित विभागों को भी सूचित किया गया है। बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन को भी इन पदाधिकारियों के संबंध में सूचित करने का निर्देश दिया गया।
लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत वर्ष 2022 में जिला में 4864 आवेदनों का निष्पादन किया गया है। सभी लोग शिकायत निवारण पदाधिकारियों को अतिक्रमण से संबंधित ऐसे मामलों को सूचीबद्ध करने को कहा गया जिसमें संबंधित अंचलाधिकारी के स्तर से अतिक्रमण वाद की प्रक्रिया चलाए जाने के कारण वाद को बंद कर दिया गया।
परंतु वास्तविक रुप से अतिक्रमण हटाने के लिए नियमानुकूल कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे सभी मामलों में 5 दिसंबर तक संबंधित अंचलाधिकारियों को नियमानुसार जमीनी कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।
प्राप्त शिकायतों का निवारण निर्धारित 60 दिवस की अवधि के अंतर्गत ही सुनिश्चित किया जाए। अधिनियम में निर्धारित पॉजिटिव एवं निगेटिव विषय वस्तु के आधार पर अस्वीकृत किए गए आवेदनों की समीक्षा करने का आदेश निर्देश सभी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारियों को दिया गया। कोई भी आवेदन अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप ही स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाना चाहिए, ऐसा सुनिश्चित करने को कहा गया।
शिकायत वादों की सुनवाई के क्रम में संबंधित लोक प्राधिकार की यथा संभव व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा गया। सुनवाई के क्रम में एक से अधिक बार अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकार के पदाधिकारियों के विरुद्ध अधिनियम के प्रावधान के तहत शास्ति अधिरोपित करने का निदेश दिया गया।
पूर्व में शास्ति अधिरोपित पदाधिकारियों, जिनके द्वारा शास्ति की राशि जमा नहीं की गई और जिनका स्थानांतरण अन्य जिलों में हो गया हो है, इस संबंध में बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन को प्रतिवेदित करने का निर्देश दिया गया।
बैठक में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, सभी अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, जिला प्रबंधक आईटी तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अंचलाधिकारी जुड़े थे।
नालंदा दर्पण डेस्क। राजस्व से संबंधित कार्यों में विभागीय नियमों की अनदेखी करने को लेकर भूमि सुधार उपसमाहर्ता राजगीर से प्राप्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर जिलाधिकारी शशांक शुभांकर द्वारा राजगीर अंचल के दो राजस्व कर्मचारी शैलेन्द्र कुमार एवं संजय कुमार सिन्हा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया तथा एक अन्य पुनर्नियोजित राजस्व कर्मचारी आनंद कुमार की सेवा समाप्त की गई है।
इनके द्वारा राजगीर अंचल की कुछ विवादित भूमि के दाखिल खारिज की स्वीकृति हेतु प्रतिवेदित किया था जबकि उक्त मामले में स्वत्त्व वाद ( title suit) सक्षम न्यायालय में चल रहा है।
साथ ही इनके द्वारा रेलवे, पुरातत्व विभाग, जिला परिषद आदि से संबंधित भूमि को भी किसी अन्य रैयत के नाम पर दाखिल खारिज की स्वीकृति हेतु प्रतिवेदित किया गया। इनके विरुद्ध प्रपत्र ‘क’ गठित करते हुए विभागीय कार्यवाही भी शुरू की गई है।
विदित हो कि इसी मामले में राजगीर अंचल अधिकारी संतोष कुमार चौधरी के विरुद्ध भी प्रपत्र ‘क’ गठित करते हुए विभाग से कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है।
जिले में राजस्व संबंधी कार्यों यथा- दाखिल खारिज, परिमार्जन, अतिक्रमणवाद, RTPS सेवा आदि को निर्धारित नियम के तहत अपनाई गई प्रक्रिया के अनुसार निष्पादित करने का निदेश जिला पदाधिकारी, अपर समाहर्ता एवं राजस्व प्रभारी द्वारा बार बार दिए जाते रहे हैं।
इसके लिए जिला स्तर पर “मानक प्रक्रिया” के अनुरूप प्रपत्र(SOP) भी सभी अंचलों में उपलब्ध कराया गया है। फिर भी कतिपय राजस्व कर्मचारी व अधिकारी द्वारा इनका पालन नहीं किया जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की गईं है।
जिलाधिकारी का स्पष्ट निदेश है कि विभिन्न परिवाद/वाद का नियमसंगत तरीके से समयबद्ध निपटारा सुनिश्चित किया जाय।
नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार और उनके कुनबे के विकास आसमान छू रहा हो, लेकिन उस क्षेत्र में शिक्षा की हालत काफी दयनीय है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंत्री का गृह प्रखंड बेन के एकसारा पंचायत के बीरबल विगहा गांव में प्राथमिक विद्यालय का भवन ही नहीं है।
यहाँ मासूम बच्चे पेड़ के नीचे खुले आसमान के नीचे बैठ कर शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं। इन बच्चों को धूप और बरसात का भी सामना करना पडता है।
स्कूल के प्रभारी अजय पटेल ने बताया कि इस स्कूल में 53 बच्चों का नामांकन है और मात्र एक शिक्षक है। स्कूल की भवन बनवाने के लिए कई बार विभाग से गुहार लगाया है, लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है।
ग्रामीण बेबी देवी ,नयनतारा देवी, रामाश्रय कुमार बार्ड पार्षद ब्रजेश कुमार आदि ने बताया कि स्कूल का जमीन उपलब्ध है। लेकिन भवन निर्माण को लेकर कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। इसका खामियाजा मासूम बच्चों के साथ शिक्षक को भुगतना पड़ रहा है।
हालत यह है कि यहाँ सरकारी स्तर पर सामुदायिक भवन भी नहीं बनवाया गया है। जिस भवन में बैठकर बच्चें पढ़ सके। मिड डे मिल भी यहाँ खुले में ही बनाए-खिलाए जाते हैं….
नालंदा दर्पण डेस्क। राजगीर नगर परिषद बोर्ड का गठन वर्ष 2017 के 9 जून को हुआ था। बोर्ड के पूरे पांच साल बीत जाने पर जब पूरे कार्यकाल का मूल्यांकन किया जाय तो पता चलता है कि पूरे पांच साल के काले कारनामों से लगातार बदनामी का दंश ही इस नगर परिषद कार्यालय को देखना पड़ा है।
जून 2017 के बोर्ड गठन के साथ ही नगर परिषद के बोर्ड बैठक में अलोकतांत्रिक फैसला लेते हुए महत्त्वपूर्ण संचिका को नगर परिषद उपाध्यक्ष के पास पहले भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया।
जाहिर है कि ऐसा करके अध्यक्ष को पूरे पांच साल के लिए रिमोट से कंट्रोल करने का प्रयास किया गया। बोर्ड की अध्यक्ष बनी उर्मिला चौधरी को लॉकडाउन की अवधि में ही पद से हटा दिया गया, जिसपर अध्यक्ष ने विभागों में शिकायत दर्ज कराई की उन पर अवैध निकासी का दबाव बनाया जा रहा था।
इन पांच सालों के कार्यकाल में सबसे बड़ा लूटकांड का आरोप मलमास मेला 2018 के आयोजन पर लगा, जिसमे टेंट पंडाल के नाम पर कुल 3,23,341,96 (तीन करोड़ तेईस लाख चौंतीस हजार एक सौ छियानवे) लाख रुपए की निकासी की गई, जबकि बाढ़ डेकोरेटर नाम की यही कंपनी वर्ष 2015 में लगभग पचास साठ लाख में ही टेंट पंडाल का पूरा काम किया था।ऐसे में मेला के नाम पर अवैध निकासी ने नगर परिषद के काले कारनामों पर जनता की नजरो में मुहर लगा दी।
खरीददारी के मामले में तो नगर परिषद की सशक्त कमिटी ने जमकर खरीदारी की।लगभग छः करोड़ से अधिक के वाहन, जेटिंग मशीन, सुपर शकर मशीन, लोडर,हैंड कार्ट, ट्रैक्टर, ट्राई साइकिल आदि की खरीददारी बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदे गए।
पांच सालों के कार्यकाल में नगर परिषद ने कई लोगो को जलापूर्ति योजना में बिना कार्य किए वेतन भी देकर काफी लोकप्रियता हासिल की है। सूत्रों के अनुसार जनप्रतिनिधियों के खासम खास समर्थको को ही इसका लाभ मिलता है।
राजगीर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में अयोग्य लोगो को बहाली से यह प्लांट अब गंदगी बदबू देने लगा है। जनप्रतिनिधि और नगर परिषद में कार्यरत कर्मियों के द्वारा अपने परिवार की बहाली कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है। अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को हमेशा उजाड़ने वाली नगर परिषद बड़े बड़े अतिक्रमण को संरक्षण भी देने का कार्य की है।
यही नहीं भले ही लॉक डाउन में किसी की होल्डिंग टैक्स माफ नही हुई हो, लेकिन नगर परिषद अपने खास लोगो के एक साल का वाहन पार्किंग जरूर माफ कर देती हैं।ऐसा पहली बार हुआ है कि नगर परिषद द्वारा जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने पर होल्डिंग टैक्स की वसूली करती है।
इन पांच सालों के कार्यकाल ने नगर परिषद क्षेत्र में निर्माण कार्य में भी अभी तक का सबसे खराब कार्य देखा है। शहर में नाली,सड़क आदि की योजना बंदरबाट की भेंट चढ़ कर बर्बाद दिखती नजर आती है। शहर के संवेदकों पर कमीशन लेने का दबाव ही शहर की योजनाओं को बर्बाद कर डाला है।
इन सबके बीच नगर परिषद की लापरवाह व्यवस्था से नागरिक सुविधाएं शून्य के बराबर हैं।जल संकट से जूझ रहे राजगीर के लोग त्राहिमाम कर रहे लेकिन नगर परिषद का भ्रष्ट सिस्टम कान में रुई डालकर सोया हुआ है।
जल जीवन हरियाली के नाम पर मृत कुंए को डेटिंग पेंटिंग कर पैसे की निकासी हुई लेकिन वैतरणी नदी की सुध लेने को कोई तैयार नहीं हुआ। वोट बैंक की राजनीति के तहत लेदुआ पुल के पास तो नदी में ही मकान और नदी में ही रास्ता बनवा दिया गया, जिससे भविष्य में वैतरणी नदी की जलधारा अनेकों स्थान पर पहुंचने से वंचित रहेगी। पंडितपुर तालाब और लेनीन नगर तालाब का जिर्णोदार कराने में भी नगर परिषद लापरवाह साबित हुई।
पांच साल के कार्यकाल ने ऐसे अनेकानेक कुकृत्यो की वजह से ही नगर परिषद काफी बदनाम हो गई है। बिना कार्य किए राशि की निकासी, अवैध निकासी, टेंडर घोटाला, विभागीय कार्य में अनियमित्तता आदि ने नगर परिषद को लूटकांड का पर्याय बना दिया है।
बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला में कार्य योजना की समीक्षा के दौरान पाया गया कि नल-जल की 2313 योजनाओं के विरुद्ध महज 1192 योजनाओं की पूर्ण प्रविष्टि, गली-नाली की 3527 योजनाओं के विरुद्ध महज 1805 योजनाओं की पूर्ण प्रविष्टि एवं मात्र 39 पंचायत सरकार भवनों की प्रविष्टि निश्चय सॉफ्ट पोर्टल पर की गई है।
बिन्द, एकंगरसराय, सिलाव, चंडी एवं हिलसा प्रखंडों में एक भी पंचायत सरकार भवन की पूर्ण प्रविष्टि नहीं की गई है। गली-नाली योजना में जिले की औसत प्रविष्टि 88.66 प्रतिशत के मुकाबले हिलसा प्रखण्ड में प्रविष्टि का प्रतिशत मात्र 58 प्रतिशत है।
नल-जल योजना में जिले की औसत प्रविष्टि 93.21 प्रतिशत के मुकाबले बिन्द प्रखण्ड में प्रविष्टि का प्रतिशत मात्र 71 प्रतिशत है। बोरिंग स्टेज पर 1551 योजनाओं, मोटर अधिष्ठापन स्टेज पर 1079 योजनाओं, पाइपलाइन स्टेज पर 1484 एवं जल निर्माण स्टेज पर मात्र 1145 योजनाओं की प्रविष्टि की गई।
समीक्षा के दौरान यह भी पाया गया कि विश्व बैंक मद से एवं 13वीं वित आयोग मद से निर्मित एवं निर्माणाधीन पंचायत सरकार भवनों के भौतिक/वित्तीय प्रगति से संबंधित आंकड़ों को एल ए इओ के द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जिससे कि योजनाओं की प्रविष्टि निश्चय सॉफ्ट पोर्टल पर नहीं की जा सकी है।
इस संदर्भ में एलएइओ के सभी कनीय वह सहायक अभियंताओं से शो कॉज़ किया गया है। दूसरी ओर एक सप्ताह के अंदर पूर्ण प्रविष्टि नहीं करने पर सभी संबंधित पंचायतों के पंचायत कार्यपालक सहायकों, लेखापालों, तकनीकी सहायकों एवं पंचायत सचिवों का वेतन बंद कर दिया गया है।
पोर्टल पर योजनाओं की शत प्रतिशत प्रविष्टि के पश्चात योजनाओं के भौतिक एवं वित्तीय प्रगति से संबंधित आँकड़े एक क्लिक पर निश्चय सॉफ्ट पोर्टल पर सभी प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों एवं जन जानकारी के लिए उपलब्ध रहेगी।
साथ ही, अनुश्रवण फॉर्मेट के माध्यम से जिन स्थानों पर योजनाओं के क्रियान्वयन में अवरोध पैदा हो रहा है , उसका भी अनुश्रवण किया जा सकेगा। समय समय पर सभी योजनाओं से संबंधित विभिन्न प्रपत्र भी अनुश्रवण हेतु जोड़े जाएंगे, ताकि योजनाओं से संबंधित सभी भौतिक एवं वित्तीय आंकड़ों का ऑनलाइन संधारण सुनिश्चित किया जा सके।
इन योजनाओं की प्रविष्टि निश्चय सॉफ्ट पोर्टल पर की जानी है। मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण गली-नाली पक्कीकरण निश्चय योजना, पंचायत सरकार भवन निर्माण जिला पंचायत संशाधन केंद्र निर्महेल्थ सब सेंटर निर्माण व ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना शामिल हैं।
बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने आज भूमि विवाद से संबंधित 4 संवेदनशील अलग-अलग मामलों की सुनवाई की।
राजगीर अंचल के प्रहलाद उपाध्याय बनाम अकबर शाह से संबंधित मामले में अंचलाधिकारी राजगीर तथा अनुमंडल पदाधिकारी राजगीर को कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ अगली तिथि को तलब किया गया।
सिलाव अंचल के प्रवीण तमोली बनाम दिलीप तमोली के बटवारा से संबंधित मामले में थाना प्रभारी को आदेशित कार्रवाई सुनिश्चित कर प्रतिवेदित करने को कहा गया।
बिहार शरीफ अंचल के राजबल्लभ सिंह बनाम अर्जुन कुमार से संबंधित मामले में मापी के आधार पर विधि सम्मत कार्रवाई कर भूमि सुधार उप समाहर्ता बिहारशरीफ को प्रतिवेदन के साथ अगली तिथि को उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।
बिहार शरीफ अंचल के सोहडीह के रागिब पाश बनाम राजाराम पासवान से संबंधित मामले में अनुमंडल पदाधिकारी बिहारशरीफ को स्थल निरीक्षण कर चहारदीवारी के निर्माण के लिए स्पष्ट नक्शा के साथ अगली तिथि को उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया।
सुनवाई में अनुमंडल पदाधिकारी बिहार शरीफ, भूमि सुधार उप समाहर्ता बिहार शरीफ, जिला राजस्व शाखा प्रभारी, अंचलाधिकारी बिहार शरीफ तथा वाद से संबंधित विभिन्न पक्षकार उपस्थित थे।