Category: ब्रेकिंग न्यूज़

  • प्रकाश पर्व की तैयारी को लेकर गुरुनानक कुंड में निरीक्षण

    गुरुनानक देव के 554वां प्रकाश गुरु पर्व की तैयारी का जायजा बुधवार को ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने लिया। उन्होंने गुरुद्वारा के व्यवस्थापक से मिलकर तैयारी के बारे में जानकारी ली। मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि सरकार के द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था की है। ठहरने के लिए भी व्यवस्था की गयी है। वहीं उनकी सुविधा व सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है। इसके लिए जगह-जगह पर हेल्प डेस्क बनाया गया है। मेडिकल कैम्प लगाकर लोगों की हेल्थ चेकअप भी की जा रही है। मंत्री ने कहा कि देश व विदेश से आने वाले अतिथियों की सेवा यहां के लोगों से अपेक्षा है।

    अतिथि देवो भव: को साकार कर दिखाना है। राजगीर के लिए यह गौरव की बात है कि विश्व के विभिन्न जगहों से यहां पर लोग आयें हैं। उन्हें यह जताना है कि शांति की नगरी में आने वाले लोगों की सेवा में कभी भी यहां के लोग पीछे नहीं हटते। श्री कुमार ने कहा कि पटना से श्रद्धालुओं को राजगीर आने के लिए बसों की व्यवस्था की गयी है। वहीं ठहरने वाले होटलों से गुरुनानक कुंड तक आने के लिए नि:शुल्क ई-रिक्शा की व्यवस्था की गयी है ताकि लोगों को कोई परेशानी न हो सके।

    जगह-जगह पर दंडाधिकारी व पुलसि पदाधिकारी तैनात किये गये हैं। यहां के लोग आने वाले अतिथि की ऐसी आवभगत करें कि वे इस नगरी को कभी न भूलें। यहां बार-बार आने को चाहें। यहां से पूरी दुनिया में भारत के अतिथि देवो भव: का संदेश जाये। बिहार का गौरव पूरे विश्व में हो। कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार तेजी से विकास कर रहा है। राजगीर सर्वधर्म स्थली रही है।

    गुरुनानक देव इस पावन धरा पर 1506 ई. में आये थे। उनकी महत्ता के कारण ही यहां का पानी शीतल हो गया था। उस समय यहां पर काफी गर्मी थी। लोगों को लगा था कि गुरुनानक देवी जी काफी यशी हैं। यहां के कुंड का पानी गर्म था। लोगों ने उनसे अनुरोध किया कि गर्म को शीतल कुंड में बदल दीजिये। गुरुनानक देव जी ने लोगों के अनुरोध पर गर्म कुंड में जैसे ही अपना चरण दिया वह शीतल में बदल गया। उसके बाद से ही यह पावन कुंड है। इसकी सेवा बाबा अजायब सिंह ने सालों तक की। वे रिटायर आर्मी मैन थे। बाबा अजायब सिंह ने वर्ष 2016 में मुक्ति पायी।

    प्रकाश पर्व में यूके, रांची, धनबाद, बंगाल, पंजाब, दिल्ली, बिहार सहित अन्य जगहों से श्रद्धालु आये हैं। मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि हमारी सभ्यता व संस्कृति में अतिथियों का स्वागत करने का प्रचलन पुराने समय से है। लोगों को ऐसी आवभगत हो कि यहां से पूरी दुनिया में भारत के अतिथि देवो भव: का संदेश जाये। बिहार के गौरव को फिर से विश्व में फैलाना है। इस मौके पर त्रिलोकी सिंह निषाद, जदयू नेता मुन्ना कुमार, जदयू नगर अध्यक्ष राकेश कुमार, संतोष प्रसाद सहित अन्य मौजूद थे।

  • फुटबॉल एसोसिएशन के द्वारा डॉ आर इसरी अरशद ट्रॉफी लीग मैच खेला जा रहा है

    टाउन हाई स्कूल के मैदान में जिला फुटबॉल एसोसिएशन के द्वारा डॉ आर इसरी अरशद ट्रॉफी लीग मैच खेला जा रहा है जिसमें आज 1 नवम्बर एसएस इंग्लिश स्कूल फुटबॉल क्लब एवंअखाडा रिजेमेनट क्लब के बीच खेला गया जिसमें अखाड़ा रेजीमेंट ने ०२गोल से जीत हासिल की इस मैच के रेफरी नजमी मलिक छोटी लाल जी एवं दीपक कुमार पाठक थे यह मैच फुटबाल सचिव सरवर अरमान एवं वसीम अहमद के नेतृत्व में कराया गया

  • जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव एकदिवसीय दौरे को लेकर नालंदा जिला पहुंचे।

    जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव एकदिवसीय दौरे को लेकर नालंदा जिला पहुंचे। इस दौरान पप्पू यादव ने अपने पार्टी के कार्यकर्ता मनीष कुमार के दादा स्वर्गीय शिवकुमार प्रसाद के श्राद्ध कर्म में शिरकत की एवं परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना भी दिया। इस दौरान जन अधिकार पार्टी के युवा नेता राजू दानवीर भी मौजूद रहे। वही राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने मोकामा और गोपालगंज उपचुनाव पर चुटकी लेते हुए कहा कि सब जातियों का अपराधी उपचुनाव को लेकर मोकामा पहुंच रहा है। यादव का जितना भी अपराधी ललन सिंह को जिताने की बात कर रहे हैं वहीं भूमिहार का जितना अपराधी है वह अनंत सिंह को जिताने की बात कर रहा है। मोकामा उपचुनाव में सब बटवारा पहले ही हो चुका है।

    पूरा दिन माफियाओं को डरा धमकाकर नेताओं को ठीक करके पैसा देकर सोसाइटी में आते हैं और फिर एक के फोर्टी सेवन पर पूरी सोसाइटी चली जाती है। यदि नीतीश कुमार को देश का लीडरशिप बनना है तो उन्होंने मोकामा उपचुनाव में जो परहेज किया है वह बिल्कुल अच्छा काम किया है। हम तो नीतीश कुमार को इस चीज के लिए धन्यवाद देंगे। वही गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे में बीजेपी पर भी जमकर निशाना साधते हुए कहा कि 134 लोगों के मरने के बाद भी प्रधानमंत्री दिन भर में 3 बार कपड़े बदलते हैं शायद पीएम मोदी का रोते-रोते कपड़ा भीग गया होगा।

    आज जब यह मोदी का गुजरात दौरा है तो वहां अस्पताल की रंगारंग रोहन हो रहा है। जो लोग इस हादसे में बचे हैं उसके लिए दवाई उपलब्ध नहीं है और जो लोग इस हादसे में मर चुके हैं। उसे देने के लिए दो लाख से ज्यादा और घायलों को 50,000 से ज्यादा देने की आपकी औकात भी नहीं है। 50000 तो पप्पू यादव सभी जगह जाकर लोगों को देने का काम करता है आपकी सरकार को तो हमसे भी कम औकात है । इसका मतलब सरकार का इंटेंशन सही नहीं है।

  • जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अनाज उठाव में अनियमितता बरती जाने का आरोप

    बिहारशरीफ। नालंदा जिला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष राजकुमार पासवान ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अनाज उठाव में अनियमितता बरती जाने का आरोप लगाया है। दिये गये पत्र में कहा है कि प्रभारी जिला आपूर्ति पदाधिकारी एवं प्रभारी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी बिहारशरीफ द्वारा मिलीभगत कर अनाज का उठाव में अनियमितता बरती जा रही है। प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी सरमेरा जो वर्तमान में बिहारशरीफ प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी के प्रभार में है जो कि सरमेरा और बिहारशरीफ की दूरी करीब 40 किलोमीटर है को बिहारशरीफ प्रखंड पदाधिकारी का प्रभार दिया गया है

    जिससे इन्हें अनुश्रवण करने में काफी दिक्कत हो रही है जिसके लिए पूर्व में भी पत्र लिख कर अगल बगल के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी का प्रभार देने की मांग किया था जिस पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा कोई कारवाई नहीं किया गया जिसके कारण जिला आपूर्ति पदाधिकारी के शह पर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी के द्वारा सितंबर 2022 का बिहारशरीफ में अनाज उठाव में काफी भारी अनियमितता बरती गयी है तथा रोस्टर का भी पालन नहीं किया गया है। एक हीं वार्ड में किसी को उसना चावल तो किसी को अरबा चावल दिया गया। विभागीय तय तिथि समाप्त होने के बाद भी बिहारशरीफ के कई डीलरों को पर्व के समय भी अनाज नहीं दिया गया जो जॉच का विषय है तथा दोनों पदाधिकारियों का कार्य पर प्रश्न चिन्ह खडा करता है।

  • रहुई में 5 केजी गांजा बरामद

    रहुई थाना पुलिस ने की कार्रवाई।रहुई के खिरौना मोड़ के पास से भारी मात्रा में गांजा के साथ एक गांजा तस्कर को किया गिरफ्तार।पुलिस जानकारी देने से कर रही परहेज।

  • भारत के 6वें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 38 वीं पूण्यतिथि पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा – भारत के 6वें प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी, भारतीय राजनीति के इतिहास में एक प्रमुख व्यक्ति, आयरन लेडी, भारत की तीसरी प्रधान मंत्री थीं। जवाहरलाल नेहरू उनके पिता थे, जो भारत के पहले प्रधान मंत्री और स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के सहयोगी थे।इंदिरा गाँधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक प्रतिष्ठित शख्सियत थीं और देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधान मंत्री थीं।

    इंदिरा गाँधी का प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा-दीक्षा

    इंदिरा गांधी जी 19 नवंबर, 1917 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद शहर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी और कमला नेहरू जी के यहां प्रियदर्शनी के रुप में जन्मीं थी। इंदिरा गांधी जी आर्थिक रुप से संपन्न, देश के जाने-माने राजनैतिक परिवार एवं देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत परिवार से संबंध रखती थी, उनके दादा मोतीलाल नेहरू और उनके पिता जवाहरलाल नेहरू जी दोनों ने ही देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं अपने परिवार को देख इंदिरा गांधी जी के अंदर देशभक्ति की भावना बचपन से ही आ गई थी। इंदिरा गांधी का स्वतंत्रता संग्राम से गहरा नाता था। इंदिरा गांधी ने बचपन में ‘मंकी ब्रिगेड’ के नाम से जाने जाने वाले बच्चों का एक समूह बनाया था, जो भारतीय झंडे बांटते थे और पुलिस की जासूसी करते थे। वहीं जब इंदिरा गांधी 18 साल की थी, तब उनकी मां कमला नेहरू जी की तपेदिक बीमारी के कारण मृत्यु हो गई। इंदिरा गाँधी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं और इलाहाबाद में अपनी पारिवारिक संपत्ति आनंद भवन में पली-बढ़ीं। उनके बचपन के दिन काफी अकेले थे, उनके पिता राजनीतिक गतिविधियों के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं के कारण दूर रहते थे या जेल में बंद रहते थे। उनकी माँ हमेशा बीमार रहती थी। वह अंततः तपेदिक से पीड़ित कम उम्र में ही मर गई। उस समय पत्र ही उसके पिता के साथ संपर्क का एकमात्र साधन थे।

    इंदिरा प्रियदर्शनी 1934 में मैट्रिक तक रुक-रुक कर स्कूल जाती थी, और उसे अक्सर घर पर पढ़ाया जाता था। उन्होंने शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया। हालाँकि, उसने विश्वविद्यालय छोड़ दिया और अपनी बीमार माँ की देखभाल के लिए यूरोप चली गई। अपनी माँ के निधन के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए बैडमिंटन स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद 1937 में उन्होंने आगे की शिक्षा के लिए सोमरविले कॉलेज में दाखिला लिया। वह अस्वस्थता के कारण और लगातार डॉक्टरों के पास जाने के चलते उसकी पढ़ाई बाधित हो गई क्योंकि उसे ठीक होने के लिए स्विट्जरलैंड की बार-बार यात्रा करनी पड़ी। अपने खराब स्वास्थ्य और अन्य व्यवधानों के कारण, उन्हें ऑक्सफोर्ड में अपनी पढ़ाई पूरी किए बिना भारत लौटना पड़ा था। हालांकि बाद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद उपाधि से सम्मानित किया था।

    इंदिरा एवं फिरोज गांधी से शादी और परिवार

    फिरोज गांधी भारतीय संसद के एक अहम सदस्य थे, बल्कि उन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म करने का बीड़ा उठाया था। लोकतंत्र में ऐसे बहुत कम शख़्स होंगे जो खुद एक सांसद हों, जिनके ससुर देश के प्रधानमंत्री बने, जिनकी पत्नी देश की प्रधानमत्री बनीं और उनका बेटा भी प्रधानमंत्री बना। इसके अलावा उनके परिवार से जुड़ी हुई मेनका गांधी केंद्रीय मंत्री हैं, वरुण गांधी सांसद हैं और राहुल गाँधी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। इन सबने लोकतंत्र में इतनी बड़ी लोकप्रियता पाई। तानाशाही और बादशाहत में तो ऐसा होता है लेकिन लोकतंत्र में जहाँ जनता लोगों को चुनती हो, ऐसा बहुत कम होता है। जिस नेहरू गांधी वंश परंपरा (डायनेस्टी) की बात की जाती है, उसमें फिरोज का बहुत बड़ा योगदान था, जिसका कोई ज़िक्र नहीं होता और जिस पर कोई किताबें या लेख नहीं लिखे जाते।

    इंदिरा ने फिरोज गांधी से 26 मार्च 1942 को शादी की, जो गुजरात के एक पारसी परिवारके थे। उनके पिता का नाम जहांगीर एवं माता का नाम रतिमाई था, और वे बम्बई के खेतवाड़ी मोहल्ले के नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे। फिरोज के पिता जहांगीर किलिक निक्सन में एक इंजीनियर थे, जिन्हें बाद में वारंट इंजीनियर के रूप में पदोन्नत किया गया था। फिरोज उनके पांच बच्चों में सबसे छोटे थे, उनके दो भाई दोराब और फरीदुन जहांगीर, और दो बहनें, तेहमिना करशश और आलू दस्तुर थी। फ़िरोज़ का परिवार मूल रूप से दक्षिण गुजरात के भरूच का निवासी है, जहां उनका पैतृक गृह अभी भी कोटपारीवाड़ में उपस्थित है।1920 के दशक की शुरुआत में अपने पिता की मृत्यु के बाद, फिरोज अपनी मां के साथ इलाहाबाद में उनकी अविवाहित मौसी, शिरिन कमिसारीट के पास रहने चले गए, जो शहर के लेडी डफरीन अस्पताल में एक सर्जन थी। इलाहबाद में ही फ़िरोज़ ने विद्या मंदिर हाई स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, और फिर ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इंदिरा और फिरोज गांधी इलाहाबाद से एक-दूसरे को जानते थे और बाद में ब्रिटेन में मिले जब वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ रहे थे। दोनों में जान-पहचान व प्रेम के कारण ही इंदिरा गाँधी की शादी फिरोज के साथ हुई थी। इंदिरा गाँधी ने अपने छोटे बेटे संजय गांधी को राजनीति में अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना लेकिन 23 जून 1980 को एक जहाज दुर्घटना में उनकी आकस्मिक मृत्यु के बाद, इंदिरा गाँधी ने अपने बड़े बेटे राजीव गांधी को राजनीति में शामिल होने के लिए राजी कर लिया। उस समय राजीव गांधी एक पायलट थे जिन्होंने फरवरी 1981 में राजनीति में शामिल होने के लिए अनिच्छा से अपनी नौकरी छोड़ दी।

    इंदिरा गाँधी की राजनितिक यात्रा

    इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी। इंदिरा 1947 से 1964 तक वह जवाहरलाल नेहरू के प्रशासन की चीफ ऑफ स्टाफ रहीं जो अत्यधिक केंद्रीकृत थी। 1964 में वह पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं। उन्होंने श्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व वाली सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में कार्य किया। 19 जनवरी 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी ने वह कुर्सी संभाली जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार उनके पिता जवाहर लाल नेहरू ने संभाली थी। वह 1967 से 1977 और फिर 1980 से 1984 में उनकी मृत्यु तक इस पद पर रहीं। इंदिरा गांधी देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। दृढ़ निश्चयी और अपने इरादों की पक्की इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी को उनके कुछ कठोर और विवादास्पद फैसलों के कारण याद किया जाता है। उन्होंने 1977 तक इस पद पर कार्य किया। इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने असाधारण राजनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया। इस शब्द ने पार्टी में आंतरिक असंतोष का भी अनुभव किया, जिससे 1969 में विभाजन हो गया। एक प्रधान मंत्री के रूप में, उन्होंने देश की राजनीतिक, आर्थिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में आमूल-चूल परिवर्तन लागू किए। 14 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण उस अवधि में लिए गए महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णयों में से एक था। यह कदम अत्यंत फलदायी साबित हुआ, जिसमें बैंकों की भौगोलिक कवरेज 8,200 से बढ़कर 62,000 हो गई, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू क्षेत्र से बचत में वृद्धि हुई और कृषि क्षेत्र और छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों में निवेश हुआ। उनका अगला कदम स्टील, तांबा, कोयला, सूती वस्त्र, रिफाइनिंग और बीमा उद्योगों जैसे कई उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करना था, जिसका उद्देश्य संगठित श्रमिकों के रोजगार और हितों की रक्षा करना था। निजी क्षेत्र के उद्योगों को सख्त नियामक नियंत्रण में लाया गया। पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के बाद 1971 के तेल संकट के दौरान, इंदिरा गाँधी ने तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया, जिसमें हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (HPCL), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (BPCL) जैसी तेल कंपनियों का गठन हुआ। उनके नेतृत्व में हरित क्रांति ने देश की कृषि उपज में उल्लेखनीय प्रगति की। नतीजतन, आत्मनिर्भरता की डिग्री में वृद्धि हुई।

    एक बार उड़ीसा में एक जनसभा के समय में श्रीमती गांधी पर भीड़ ने पथराव किया। एक पत्थर उनकी नाक पर लगा और खून बहने लगा। इस घटना के बावजूद इंदिरा गांधी का हौसला कम नहीं हुआ। वह वापस दिल्ली आई। नाक का उपचार करवाया और तीन चार दिन बाद वह अपनी चोटिल नाक के साथ फिर चुनाव प्रचार के लिए उड़ीसा पहुंची गईं। उनके इस हौसले के कारण कांग्रेस को उड़ीसा के चुनाव में काफी लाभ मिला था।

    इंदिरा गाँधी ने भारत के लिए कई साहसिक कार्य किये

    इंदिरा गाँधी ने 1971 में पाकिस्तान गृहयुद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान का पुरजोर समर्थन किया, जिसके कारण बांग्लादेश का गठन हुआ। उनकी प्रशासनिक नीति के तहत मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब को राज्य घोषित किया गया। इंदिरा गाँधी ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य करने और राजनयिक प्रतिष्ठानों को फिर से खोलने की कोशिश की, जिसे पाकिस्तान के जुल्फिकार अली भुट्टो ने सराहा, लेकिन 1978 में जनरल जिया-उल-हक के सत्ता में आने से बेहतर संबंध के लिए सभी प्रयास विफल हो गए। उन्होंने भारतीय संविधान में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए किए गए काम के लिए समान वेतन की धारा लाकर सामाजिक सुधार किए। विपक्षी दलों ने उन पर 1971 के चुनावों के बाद अनुचित साधनों का उपयोग करने का आरोप लगाया। उनके खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया गया था, जिसमें उन्हें चुनाव प्रचार के लिए राज्य मशीनरी को नियोजित करने का दोषी पाया गया था। जून 1975 को अदालत ने चुनावों को शून्य और शून्य घोषित कर दिया और उन्हें लोकसभा से हटा दिया गया और अगले छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस समय के दौरान देश उथल-पुथल में था, पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध से उबर रहा था, हमलों, राजनीतिक विरोध और अव्यवस्था का सामना कर रहा था। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, उन्होंने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को जून 1975 से मार्च 1977 तक 21 महीने तक चलने वाले आपातकाल की स्थिति घोषित करने की सलाह दी। इसने उन्हें डिक्री या डिग्री, डिगरी’ या ‘आज्ञप्ति’ द्वारा शासन करने की शक्ति दी, चुनावों को निलंबित कर दिया और सभी अन्य नागरिक अधिकार। पूरा देश केंद्र सरकार के अधीन आ गया। इस कदम का परिणाम अगले चुनावों में परिलक्षित हुआ जब कांग्रेस पार्टी को पर्याप्त अंतर से हार का सामना करना पड़ा, जिसमें इंदिरा गाँधी और संजय गांधी दोनों अपनी सीटों से हार गए।
    1980 से प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल का अगला कार्यकाल ज्यादातर पंजाब के राजनीतिक मुद्दों को हल करने में व्यतीत हुआ। जरनैल सिंह बिंद्रावाले और उनके सैनिकों ने 1983 में एक अलगाववादी आंदोलन शुरू किया और खुद को स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में स्थापित किया, जो सिखों के लिए सबसे पवित्र माना जाता है।
    इंदिरा गाँधी ने आतंकवादी स्थिति को नियंत्रित करने और रोकने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया था। ऑपरेशन, हालांकि जरनैल सिंह भिंडरवाले और अन्य आतंकवादियों को सफलतापूर्वक वश में कर लिया, लेकिन कई नागरिकों की जान चली गई और धर्मस्थल को नुकसान हुआ। इसके परिणामस्वरूप सिख समुदाय में आक्रोश फैल गया, जिन्होंने उसकी निंदा की और जरनैल सिंह बिंद्रावाले को 21वीं सदी का शहीद घोषित कर दिया।

    इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार संभाली थी देश की बागडोर

  • भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल की 147 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा- भारत रत्न से सम्मानित सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म क्रांतिकारी परिवार में हुआ था। स्वतंत्र भारत को एक सूत्र में बाँधने का श्रेय भी सरदार वल्लभ भाई पटेल को ही जाता है। सरदार पटेल एक सच्चे राष्ट्रभक्त ही नहीं थे, अपितु वे भारतीय संस्कृति के महान् समर्थक थे। सादा जीवन उच्च विचार, स्वाभिमान, देश के प्रति अनुराग, यही उनके आदर्श थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश की सभी छोटी-बड़ी 565 रियासतों को विलय कर उन्हें भारतीय संघ बनाने में उनकी अति महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल जी सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर खदेड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह एक जन्मजात नेता थे और उन्हें अपने समर्पण पर दृढ़ विश्वास था। भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने थे। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा जाता है। कोइ मनुष्य महान बनकर पैदा नहीं होता है। इन्होने 200 वर्षो की गुलामी के फँसे देश के अलग-अलग राज्यों को संगठित कर भारत में मिलाया और इस बड़े कार्य के लिए इन्हें सैन्य बल की जरुरत तक नहीं पड़ी। यही इनकी सबसे बड़ी ख्याति थी, जो इन्हें सभी नेताओं से पृथक करती हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल जी भारतीय एकता के शिखर पुरुष थे।

    वल्लभ भाई पटेल का जन्म और शिक्षा-दीक्षा

    महान स्वतंत्रता सेनानी लौहपुरूष सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को ग्राम करमसद में हुआ था। इनके पिता झबेरभाई पटेल थे जिन्होंने 1857 में रानी झांसी के समर्थन में युद्ध किया था। इनकी मां का नाम लाडोबाई था। इनके पिता बहुत ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। ये गुजरात में एक लेवा पटेल (पाटीदार) जाति अर्थात कुर्मी जाति में हुआ था। वल्लभ भाई पटेल की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल में हुई थी। आगे की पढ़ाई के लिए वह पेटलाद गांव के स्कूल में भर्ती हुए। यह उनके मूल गांव से छह से सात किलोमीटर की दूरी पर था। वल्लभ भाई पटेल को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। वल्लभ भाई की हाईस्कूल की शिक्षा उनके ननिहाल में हुई। उनके जीवन का वास्तविक विकास ननिहाल से ही प्रारम्भ हुआ था। वे अपने पिता झवेरभाई पटेल तथा माता लाडबा देवी की चौथी संतान थे। भाइयों में सोम भाई, बिट्ठल भाई, नरसी भाई एवं एक बहन दहिबा थी। वल्लभ भाई का विवाह 16 साल की उम्र में झावेरबा पटेल से हुआ। उन्हें एक बेटा दह्याभाई और एक बेटी मणिबेन हुई थी। वल्लभ भाई ने नडियाद, बड़ौदा व अहमदाबाद से प्रारंभिक शिक्षा लेने के उपरांत इंग्लैंड मिडल टैंपल से लॉ की पढ़ाई पूरी की व 22 साल की उम्र में जिला अधिवक्ता की परीक्षा उत्तीर्ण कर बैरिस्टर बने, और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। उसी समय महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया।

    सरदार वल्लभ भाई पटेल का राजनैतिक सफर

    वल्लभ भाई ने सबसे पहले अपने स्थानीय क्षेत्रो में शराब, छुआछूत एवं नारियों के अत्याचार के खिलाफ लड़ाई की। इन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बनाये रखने की पुरजोर कोशिश की। सरदार पटेल का राजनैतिक सफर 1917 में खेड़ा किसान सत्याग्रह से हुआ था। 1923 में नागपुर झंडा सत्याग्रह, 1924 में बोरसद सत्याग्रह और बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान माह जून 1928 गुजरात में हुआ यह एक प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने ही किया था। उस समय सरकार ने किसानों के लगान में 22 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया और इसको लेकर अपनी राष्ट्रीय पहचान कायम की।
    इसी बारदोली सत्याग्रह में उनके सफल नेतृत्व से प्रभावित होकर महात्मा गांधी और वहां के किसानों ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी। वहीं 1922, 1924 तथा 1927 में सरदार पटेल अहमदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गये। 1930 के गांधी के नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आन्दोलन की तैयारी के प्रमुख शिल्पकार सरदार पटेल ही थे। 1931 के कांग्रेस के कराची अधिवेशन में सरदार पटेल को अध्यक्ष चुना गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में सरदार पटेल को जब 1932 में गिरफ्तार किया गया तो उन्हें गांधी के साथ 16 माह जेल में रहने का सौभाग्य हासिल हुआ। 1939 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में जब देशी रियासतों को भारत का अभिन्न अंग मानने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया तभी से सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण की दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर दिया तथा अनेक देशी रियासतों में प्रजा मण्डल और अखिल भारतीय प्रजा मण्डल की स्थापना करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    सरदार पटेल ने 565 देशी रियासतों का भारत में शांतिपूर्ण विलय करवाया

    विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो। 5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी। लौह पुरुष सरदार पटेल ने बुद्धिमानी और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए वी.पी. मेनन और लार्ड माउंट बेटन की सलाह व सहयोग से अंग्रेजों की सारी कुटिल चालों पर पानी फेरकर नवंबर 1947 तक 565 देशी रियासतों में से 562 देशी रियासतों का भारत में शांतिपूर्ण विलय करवा लिया। भारत की आजादी के बाद भी 18 सितंबर 1948 तक हैदराबाद अलग ही था लेकिन लौह पुरुष सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को पाठ पढ़ा दिया और भारतीय सेना ने हैदराबाद को भारत के साथ रहने का रास्ता खोल दिया।

    नेहरू से ज्यादा लोकप्रिय थे सरदार वल्लभ भाई पटेल

    भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने थे। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा जाता है। आजादी के पहले कांग्रेस कार्य समिति ने प्रधानमंत्री चुनने के लिए प्रक्रिया बनाई थी, जिसके तहत आंतरिक चुनावों में जिसे सबसे अधिक मत मिलेंगे वही कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा और वही प्रथम प्रधानमंत्री भी होगा। कांग्रेस के 15 प्रदेश स्तर के अध्यक्षों में से 13 वोट पटेल को मिले थे और केवल एक वोट जवाहरलाल नेहरू को मिला था। लेकिन गांधी का पुरजोर पक्ष जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष व प्रधानमंत्री बनाने को लेकर था। चूंकि गांधी को आधुनिक विचार बहुत पसंद थे, इन विचारों की झलक उन्हें पटेल की जगह विदेश में पढ़े-लिखे नेहरू में अधिक दिखती थी। वहीं गांधी विदेश नीति को लेकर पटेल से असहमत थे। इस कारण उन्होंने पटेल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने से इंकार कर दिया व अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल नेहरू के पक्ष में किया। इसको लेकर भारतीय राजनीति में राजेंद्र प्रसाद का यह कथन प्रासंगिक है ‘एक बार फिर गांधी ने अपने चहेते चमकदार चेहरे के लिए अपने विश्वासपात्र सैनिक की कुर्बानी दे दी।’ लेकिन सवाल पटेल को लेकर भी उठते हैं कि उन्होंने इसका विरोध क्यों नहीं किया। आखिर उनके लिए गांधी महत्वपूर्ण था या देश? निश्चित ही भारत के 2/5 भाग क्षेत्रफल में बसी देशी रियासतों जहां तत्कालीन भारत के 42 करोड़ भारतीयों में से 10 करोड़ 80 लाख की आबादी निवास करती थी, उसे भारत का अभिन्न अंग बना देना कोई मामूली बात नहीं थी। कई इतिहासकार सरदार पटेल की तुलना बिस्मार्क से भी कई आगे करते है क्योंकि बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण ताकत के बल पर किया और सरदार पटेल ने ये विलक्षण कारनामा दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस के बल पर कर दिखाया था।
    भारत की आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी व प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल में जमीन आसमान का अंतर था। जब की दोनों ने इंग्लैण्ड जाकर बैरिस्टरी (वकालत) की डिग्री प्राप्त की थी लेकिन वल्लभ भाई पटेल वकालत में पं॰ नेहरू से बहुत आगे थे तथा उन्होंने सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के विद्यार्थियों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था। जवाहर लाल नेहरू जी केवल सोचते रहते थे इधर सरदार वल्लभ भाई पटेल उस काम को कर डालते थे। कहा जाता है की नेहरू शास्त्रों के ज्ञाता थे, पटेल शस्त्रों के पुजारी थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी ऊंची शिक्षा पाई थी उच्च स्तर की पढ़ाई की थी लेकिन उनमें चींटी बराबर भी अहंकार नहीं था। वे स्वयं कहा करते थे, मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरीं। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।

    भारत के आदर्श सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन

    वल्लभ भाई पटेल अपने जीवन के माध्यम से ताकत के प्रतीक थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी महात्मा गांधी जी को बहुत मानते थे उनकी इज्जत करते थे, महात्मा गांधी जी की कही हुई बातों को सर्वोपरि मानते थे। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी जी की हत्या कर दी गयी। इस बात का वल्लभ भाई पटेल पर बहुत गहरा असर पड़ा और कुछ समय के बाद करीब 19-20 महीनों के बाद उन्हें हृदयाघात (हार्ट अटैक) या दिल का दौरा आ गया और 15 दिसम्बर 1950 को निधन हो गया।
    भारत का इतिहास हमेशा इस महान्, साहसी, निर्भयी, दबंग, अनुशासित, अटल, शक्ति सम्पन्न महान् पुरुष को याद करेगा। 565 रियासतों का विलय कराने वाले लौह पुरुष को भारतवर्ष हमेशा याद रखेगा।

    पटेल के विचारों एवं आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता

    मौजूदा आर्थिक संकट, राजनीति में पनप रहे चमचावाद, स्तरहीनता के फलस्वरूप समाज में हर स्तर पर हास तथा देशभक्ति की भावना लोगों में लगातार लुप्त होते देख हम सब आज बाध्य हो रहे हैं, सरदार पटेल को याद करने के लिए। माखनलाल चतुर्वेदी जी की ये पंक्तियाँ हमें याद आ रही हैं- “दुनिया की मर्दुम शुमारी गलत हो रही है। यथार्थ में दुनिया में दो चार ही गिने-चुने जीव रहते हैं। उन्हीं की गिनती दुनिया भी करती है और उन्हीं का मत दुनिया का मत।”
    इसलिये आज जरूरत है सरदार पटेल के विचारों एवं आदर्शों को घर-घर तथा जन-जन तक पहुँचाने की, क्योंकि देश की एकता और अखण्डता की रक्षा के लिये एकजुट रहने की आवश्यकता है, ताकि भारत माँ के निकट बेड़ियों की झनझनाहट तक नहीं पहुँचने पाए। जब-जब देश को खण्डित करने वाली शक्तियाँ अपना सर ऊपर उठाती हैं, भारत के लौहपुरुष तथा राष्ट्र की एकता के प्रतीक सरदार पटेल की याद बरबस हम सभी देशवासियों के मानस-पटल पर छा जाती है। किंतु दुख की बात यह है कि आज हर मंच से देश की एकता तथा अखण्डता के नारे नेताओं द्वारा लगाए जा रहे हैं पर नाम उनका लिया जा रहा है जिनका भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान करने की बात तो दूर, उन दिनों उनकी पैदाइश भी नहीं हुई थी। यह कैसी विडंबना है।
    आज जहाँ एक तरफ हमारे यहाँ लोग राष्ट्रीय एकता की दुहाई देते नहीं थकते और दूसरी ओर बेशर्मी से ऐसे काम करते हैं जो राष्ट्रीय एकता की जड़ों पर प्रहार करने वाले हैं। मुश्किल यह है कि हमारे मन में आज राष्ट्रीयता का एक मूल आधार हमारा संविधान है। उसकी प्रस्तावना में स्वतंत्रता और समता के साथ बंधुता का अल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह मूल्य व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तभी मजबूत हो सकती है। जब देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उचित सम्मान मिले और साथ ही हममें भाईचारे का विकास हो। इसका एक निहितार्थ यह है कि यदि देश के किसी नागरिक को चोट पहुँचाई जायगी, उसके साथ भेद-भाव किया जायगा, तो राष्ट्रीय एकता कभी मजबूत नहीं होगी।
    वर्तमान दौर की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर सरदार पटेल की प्रासंगिकता इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि आज की भौतिकवादी दुनिया में जहाँ नैतिक संकट है, वहीं हमारे देश भारत में देशभक्ति की भावना का तेजी से ह्रास हो रहा है। जाति, धर्म, भाषा तथा क्षेत्रीयता के नाम पर हम एक-दूसरे से दूर होते चले जा रहे हैं।

  • पशुपालकों को गौ वंश में फैली लंपी बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता

    उत्तर प्रदेश/हमीरपुर में पशुपालकों को गौ वंश में फैली लंपी बीमारी से बचाव के लिए जागरूकता के लिये किसान संघोष्ठी में कई जानकारियां दिये गए। इसअवसर पर महिला किसानों की भागीदारी व जागरूकता के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।यह आयोजन मौदहा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय, रमना/ किशनपुर में किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि पशुपालन विभाग से हेमंत पांचाल (पशुधन प्रसार अधिकारी )और अतिथि के रूप में अवधेश (ग्राम प्रधान) कृषि विभाग से सत्यनारायण सिंह (कृषि रक्षा प्रभारी )तथा प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ममता देवी,
    कृत्रिम गर्भाधान केंद्र प्रभारी,छिरका शिवेद्र प्रताप, की उपस्थिति में कार्यक्रम हुआ। इस मौके पर बाएफ के जिला प्रभारी एस के सिंह ने बाएफ का परिचय देते हुए बाएफ की स्थापना व संस्थापक मणिभाई देसाई के बारे में जानकारी दी और फील्ड कोऑर्डिनेटर गीता कौर ने रमना ग्राम में चल रहे महिला साक्षरता कार्यक्रम के बारे में बताया और महिलाओं को कार्यक्रम में जुड़ने के लिए प्रेरित किया साथ ही बताया कि बुंदेलखंड स्पेशल प्रोजेक्ट में बायफ महिला साक्षरता कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के 3 जिले बांदा, चित्रकूट और हमीरपुर के 50 गांव में चल रहा है जिसमे 25 असाक्षर महिलाएं चिन्हित करके उन्हे व्यवहार शिक्षा खेल खेल के माध्यम से दिया जाता है जिसमे वे अपने काम के महत्व को जानना, अंको का ज्ञान,अक्षरों का ज्ञान, डिजिटल उपकरणों के बारे में समझ, डिजिटल में मोबाइल के माध्यम से, कालकुलेट, थर्मामीटर आदि । साथ ही आपातकालीन/हेल्प लाइन नंबर के विषय में जानकारी विस्तृत जानकारी दी ।

    इसके पश्चात कृषि विभाग से सत्यनारायण सिंह ने फसलों में लगने वाले रोग व खरपतवार के बारे में बताया तथा उनकी रोकथाम के बारे में जानकारी दी जिसमें कुछ कीटनाशक, खरपतवार नाशक में दवाओं के बारे में बताया । पशुपालन विभाग से हेमंत पांचाल ने ग्राम वासियों को समय समय पर रोगों से बचाव के टीके लगवाने और पशुओं को रोगो से किस प्रकार बचा सकते हैं की जानकारी दी और लम्पी स्किन रोग से पशुओं को बचाने के लिए उपाय भी बताएं।
    रमना के ग्राम प्रधान ने ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए ग्रामीण इलाके में चल रहे योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कहा। मेल मोटीवेटर ऋतुराज त्रिपाठी ने अतिथियों एवं ग्रामवासियों तथा महिलाओं का आभार व्यक्त किया।
    इस कार्यक्रम के संचालक श्याम नारायण और सहयोगी हरिओम, , गोविंद पांचाल, राजेश कुमार त्रिपाठी, शैलेश कुमार मेहता कार्यक्रम में सहयोगी रहे। वही दूसरी तरफ
    बायफ महिला साक्षरता केंद्र दरियापुर (नारायणपुर) मे महिला साक्षरता कार्यक्रम के तहत कृषक गोष्ठी का आयोजन भी संस्था द्वारा किया गया जिसमें मुख्य अतिथि योगेन्द्र कुमार (इंडियन बैंक -ग्रामीण रोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थान, हमीरपुर) ग्राम प्रधान आशाराम प्रजापति, पंचायत सहायक सचिव एवं गर्भाधान केंद्र प्रभारी सी एल शर्मा शामिल हुए।
    कार्यक्रम प्रारंभ मुख्य अतिथि द्वारा डा मणि भाई देसाई की तस्वीर पर माला अर्पण कर व दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
    योगेन्द्र कुमार ने बताया कि यह स्वरोजगार संस्थान जिला में केवल एक मात्र है जिसमें स्वरोजगार सम्बन्धी 56 कार्यक्रम चलाए जा रहे है। इसमें सिलाई, ब्यूटी पार्लर, टेडी बीयर बनना, मोमबत्ती बनाना आदि कई प्रकार के प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि
    •एक योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति जॉब कार्ड के माध्यम से मनरेगा में 100 दिन काम के पूरा करता है तो उसका प्रशिक्षण नमामि गंगे के तहत करवाया जा रहा है, इसमें प्रशिक्षित व्यक्ति को हर घर नल जल योजना के लिए गांव में 2 प्लंबर नियुक्ति की जानी है।शिक्षिका साधना देवी और मोटीवेटर निर्दोष कुमार ने सभी उपस्थिति प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किये।इस अवसर पर
    सहयोगी कार्यकर्ता विमल कुमार, रामकुमार, ऐश कुमार, अशोक कुमार,श्याम नारायण उपस्थित रहे।
    महिला साक्षरता केंद्र इन्गोहटा में महिला साक्षरता कार्यक्रम के तहत कृषक गोष्टी एवं जागरूकता कार्यक्रम में
    मुख्य अतिथि डा० सोमवंशी वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा हमीरपुर एवं अंकुर सचान पशु चिकित्साधिकारी एवं पशु धन प्रसार अधिकारी रामबहादुर पशु चिकित्शालय सुमेरपुर से तथा जिला उद्द्यान विभाग हमीरपुर से ज्ञानेंद्र तिवारी उद्द्यान निरीक्षक ग्राम इन्गोहटा के प्रधान प्रतिनिधि कल्लू सिंह उपस्थित रहे ।
    बाएफ़ के तरफ से प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर वंश नारायण विश्वकर्मा बाँदा , बाएफ़ केंद्र प्रभारी इन्गोहटा बेनी माधव तिवारी व शिक्षिका पद पर तैनात संध्या देवी, मेल मोटिवेटर अशोक कुमार एवं ग्रामीण महिलाये एवं किसान बन्धु उपस्थित रहे |
    इस मौके पर जिला उद्द्यान विभाग से आये हुए उद्द्यान निरीक्षक ज्ञानेंद्र तिवारी के द्वारा विभाग द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाओ के बारे में जानकारी दी गयी एवं विभाग की वेबसाईट पर पंजीकरण कराकर अधिक से अधिक किसान भाइयो को योजनाओ का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया गया।
    अंकुर सचान पशु चिकित्साधिकारी सुमेरपुर के द्वारा लम्पी स्किन डिजीज लक्षण बचाव एवं टीकाकरण के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी एवं पशुधन बीमा के बारे में एवं कीड़े की दवा के लाभ के बारे में भी चर्चा की गयी ।
    श्री रामबहादुर पशु चिकित्सालय सुमेरपुर के द्वारा मुर्गी पालन, पैकयार्ड पोल्ट्री योजना, पशु पालन, पशुधन बीमा इत्यादि के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी।
    कल्लू सिंह प्रधान इन्गोहटा के द्वारा महिलाओं एवं किसान भाइयों को जागरूक करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा जो भी योजनायें चलायी जा रही है उनका रजिस्ट्रेशन करवा करके लाभ लें |
    प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, बाँदा के द्वारा महिला साक्षरता कार्यक्रम के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी एवं आजीविका मिशन के बारे में चर्चा की गयी ,
    मुख्य अतिथि डा० सोमवंशी वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र कुरारा हमीरपुर के द्वारा पशुपालन प्रबंधन, नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान के फायदे, रोग नियंत्रण पशुधन के फायदे कम्पोस्ट खाद इत्यादि के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा की गयी
    इस मौके पर सहयोगी राम कुमार, निर्दोष कुमार, ऐश कुमार एवं ग्रामीण किसान भाई एवं महिलाये भारी संख्या में उपस्थित रही । अध्यक्षता कर रहे मेल मोटिवेटर अशोक कुमार द्वारा आये हुए सभी अतिथियों, महिलाओं एवं किसानों का धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया |

  • जल पुरूष ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया

    जल के क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार विजेता वह जल पुरूष के नाम से सुविख्यात श्री राजेन्द्र सिंह जी ने नवनियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ गणेश शंकर पाण्डेय के आवास पर खरना का प्रसाद ग्रहण किया। वे दो दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। कल वे जल संचयन को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की।

    जल पुरूष ने खरना का प्रसाद ग्रहण किया

    आज वे नालंदा के सूर्य महोत्सव जो राष्ट्र कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास द्वारा आयोजित है,उसका उदधाटन करेंगे। उनके साथ प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ गिरीश पंकज जी, वरीय पत्रकार श्री पुरूषोत्तम नवीन जी एवं न्यास अध्यक्ष नीरज कुमार जी न्यास सचिव परीक्षित नारायण सुरेश जी ने भी डॉ पाण्डेय के आवास पर खरना का प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने प्रसाद ग्रहण करने के दौरान छठ पर्व व खरना के प्रसाद की महत्ता पर भी चर्चा की।

  • ज़िला परिषद अध्यक्षा पिंकी कुमारी की अगुवाई में हुई अहम बैठक

    जिला परिषद कार्यालय में अध्यक्षा पिंकी कुमारी की अध्यक्षता में अस्थाई एवं वित्त अकेक्षण समिति की बैठक की गई।इस बैठक में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी मंजीत कुमार तथा उप मख्य कार्यपालक पदाधिकारी नवीन कुमार पांडे ने शिरकत की। वही इस बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई एवं कई एजेंडे को भी पारित किया गया।

    कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि षष्टम एवं 15 वी वित्त कि जो भी राशि उपलब्ध है उसे भी 2022 के दिसंबर माह तक खर्च कर दिया जाएगा या फिर यूं कहें कि जो भी योजना संबंधित कार्य लंबित है उसे दिसंबर माह तक पूरा कर लिया जाएगा। इस बैठक में मुख्य रूप से जिला परिषद सदस्य उमा देवी के अलावे जिला परिषद सदस्य उदय नंदन प्रसाद कौशलेंद्र प्रसाद प्रीति देवी स्थाई समिति के सदस्य अजय कुमार विपिन कुमार अर्चना कुमारी नविता सिन्हा उपस्थित हुए।