Category: ब्रेकिंग न्यूज़

  • जिलाधिकारी के समक्ष होने वाले पैदल मार्च को सफल बनाने के लिए तैयारी पूरी

    बिहारशरीफ के गांव एवं शहर में 3 सितंबर को जिलाधिकारी के समक्ष होने वाले पैदल मार्च को सफलता के लिए बैठक कर जनसंपर्क जोरों से चल रही है यह पैदल मार्च निचली अदालत द्वारा कांड संख्या 30/ 2019 के आजीवन कारावास के फैसले के समान में पचासा मोड़ से समय 10:00 बजे निकाली जाएगी बैठक में नगरनौसा हजत थाना म’ गणेश रविदास की हत्या कर दी गई थी 5 अगस्त को रामकृष्णा रविदास को अपराहन का हत्या कर दिया गया

    विजवनपर के विनोद कुमार के पुत्र अंकित कुमार उर्फ अंशु को अपराहन कर अपराधियों द्वारा हत्या कर दिया गया एवं अन्य मुद्दों को लेकर चर्चा की गई बैठक की अध्यक्षता अनुश्रवण समिति सदस्य एवं अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण के सदस्य सत्येंद्र पासवान ने की बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा की गणेश रविदास की हत्या एक सोची-समझी षड्यंत्र के अंतर्गत घर से बुलाकर नगरनौसा थाने में हत्या कर दी गई

    जिलाधिकारी के समक्ष होने वाले पैदल मार्च को सफल बनाने के लिए तैयारी पूरी

    जिसकी सजा निचली अदालत के द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई पैदल मार्च के द्वारा आजीवन कारावास की जगह फांसी की सजा मांग की जाएगी 5 अगस्त को रामकृष्णा रविदास को घर से अपराहन कर बेरहमी से पीटकर हत्या कर कुएं में हाथ पैर बांधकर डाल दिया था जिसकी सूचना सिलाव थाना को दी गई थी और सिलाव थाना के थानाप्रभारी समय रहते सक्रिय हो जाता तो रामकृष्ण रविदास की हत्या नहीं होती दूसरे तरफ गांव विजवनपर के निवासी विनोद कुमार के पुत्र अंकित कुमार उर्फ अंशु को अपहरण कर 24/7/2022 को हत्या कर दिया गया

    जिसे दीपनगर थाना प्रभारी आज तक अंकित कुमार उर्फ अंशु के हत्यारे का पता नहीं किया अंकित कुमार उर्फ अंशु के हत्यारे की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग करते हैं बैठक में रेहड़ी पटरी फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष व बहुजन सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष तथा संयुक्त किसान मोर्चा के जिला प्रवक्ता रामदेव चौधरी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान रविदासिया धर्म के जिला अध्यक्ष बलराम दास बहुजन सेना के जिला सचिव एवं किसान नेता महेंद्र प्रसाद जन कल्याण संघ एक आवाज के जिलाध्यक्ष राकेश पासवान अंकित कुमार पिंटू कुमार बिट्टू कुमार अनुप मांझी सुबोध मांझी नरेश मांझी धर्मेंद्र मांधी उमेश मांझी रविंद्र सिंह शशि भूषण कुमार ममता देवी संजू देवी पिंकी देवी फूलमती देवी लालती देवी बॉबी देवी बासु पासवान विपिन पासवान रविंद्र पासवान आदि लोग उपस्थित थे

  • जिला पदाधिकारी ने समीक्षा की शुरुआत कार्मिक कोषांग के समीक्षा से किया।

    हरदेव भवन सभागार में आगामी नगर निकाय चुनाव हेतु गठित बिभिन्न कोषांगों के वरीय एवं नोडल पदाधिकारियों की समीक्षात्मक वैठक जिला पदाधिकारी नालन्दा श्री शशांक शुभंकर के द्वारा की गई।जिला पदाधिकारी ने समीक्षा की शुरुआत कार्मिक कोषांग के समीक्षा से किया।

    अपर समाहर्ता इस कोषांग के वरीय प्रभारी हैं। चुनाव तथा मतगणना में लगाये जाने वाले कर्मियों की एंट्री तथा प्रशिक्षण कोषांग से समन्वय बनाकर टाइम लाइन तैयार किये जाने के निदेश दिए गए।निर्वाचन कोषांग जिसके वरीय पदाधिकारी अपर समाहर्ता हैं को आयोग से प्राप्त सभी पत्रों,अनुदेशों तथा मार्गदर्शिका को सभी कोषांगों को उपलब्ध कराने के निदेश दिए गए।

    वाहन कोषांग जिसके वरीय प्रभारी उप विकास आयुक्त हैं को वाहनों की आवश्यकता,अधिगृहति वाहन रखने की जगह तथा वाहनों की उपलब्धता हेतु टाइम लाइन बनाने के निदेश दिए गए।विधि – व्यवस्था कोषांग को सभी रिपोर्ट एवं फॉरमेट को ससमय अपलोड करने तथा सामग्री कोषांग को सामग्री का मूल्यांकन,सामग्री प्राप्त करने की प्रक्रिया इत्यादि के निदेश दिए गए।

    जिला पदाधिकारी ने समीक्षा की शुरुआत कार्मिक कोषांग के समीक्षा से किया।

    मतपत्र कोषांग को प्रेस अधिग्रहण करने तथा वज्रगृह सह मतगणना कोषांग को बज्रगृह का चयन,मतगणना हॉल का चयन,वीडियोग्राफी तथा सी सी टी वी अधिष्ठापन हेतु टाइम लाइन बनाने के निदेश दिए गये।मीडिया कोषांग को वांछित प्रेस ब्रीफिंग कराने के निदेश दिए गए।

    प्रशिक्षण कोषांग को प्रशिक्षण हेतु कैलेंडर बनाने तथा मास्टर ट्रेनर तैयार करने के निदेश दिए गए।
    ई वी एम कोषांग को ई वी एम तैयार करके एफ एल सी कराने से लेकर क्यू आर टी टीम बनाने तथा ई वी एम को भेजने की व्यवस्था करने हेतु टाइम लाइन बनाने के निदेश दिए गए।

    जिला पदाधिकारी ने संचार रुट तथा वेबकास्टिंग,जन शिकायत,कार्मिक कल्याण,कोविड अनुपालन कोषांग सहित अन्य कोषांगों के वरीय पदाधिकारियों को टाइम लाइन दो दिनों के अंदर बनाकर समर्पित करने का निदेश दिया।

  • अभियंताओं के साथ गंगा जल आपूर्ति पर समीक्षात्मक वैठक

    जिला पदाधिकारी नालन्दा श्री शशांक शुभंकर द्वारा जल संसाधन तथा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण के अधीक्षण अभियंता सहित अन्य अभियंताओं के साथ गंगा जल आपूर्ति पर समीक्षात्मक वैठक की गई।
    बताया गया कि घोड़ा कटोरा रिजरवायर तथा जापानी मन्दिर संप तक पानी पंहुँच गया है।संप हाउस से नगर के 19 वार्डों के सभी घरों में जलापूर्ति हेतु पाईप का कनेक्शन कर दिया गया है।छूटे 478 घरों में संकीर्ण गली के कारण कनेक्शन नहीं हो सकने के कारण बताया गया कि जी आई पाइप से कनेक्शन करा दिया जाएगा।जिला पदाधिकारी ने इन छूटे घरों में कनेक्शन एक सप्ताह के अंदर करा लेने के निदेश दिए।
    जल संसाधन विभाग द्वारा बताया गया कि सी आर पी एफ कैम्प तथा पुलिस ट्रेनिंग अकादमी तक पाइप लाइन बिछाने का कार्य सम्पन्न हो चुका है।जल संसाधन द्वारा पाइप लाइन बिछाने में जो सड़कों की खुदाई की गई थी उसकी मरम्मती करा दी गयी है।
    लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण द्वारा बताया गया कि जापानी मंदिर संप हाउस से बस स्टैंड तक लीकेज ठीक करा लिया गया है।इस संबंध में जिला पदाधिकारी द्वारा पूर्व के वैठक में आदेश दिए गए थे।जिला पदाधिकारी द्वारा पिछले वैठक में दिए गए आदेश के अनुपालन में बताया गया कि शहर के 19 वार्डों में बने नए घरों में भी कनेक्शन करा दिया गया है तथा और नए बने घरों में भी कनेक्शन करा दिया जाएगा।
    अधीक्षण अभियंता ने बताया कि शहर के अतिरिक्त 13 वार्डों में
    अभी पुरानी योजना से ही जलापूर्ति होगी तथा आगे इसमें गंगा जल आपूर्ति करने हेतु बृहत योजना बनाकर बिभाग को भेजा जाएगा। बताया गया कि जापानी मंदिर सम्प हाउस में जेनरेटर स्थापित करा दिया गया है।
    जिला पदाधिकारी ने सभी होटलों में सम्प हाउस बनबाने के आदेश दिए तथा अनुमंडल पदाधिकारी को इसके अनुपालन कराने के निदेश दिए।

  • हरनौत उच्च विद्यालय तथा स्टेडियम का निरीक्षण किया गया।

    जिला पदाधिकारी नालन्दा श्री शशांक शुभंकर द्वारा हरनौत उच्च विद्यालय तथा स्टेडियम का निरीक्षण किया गया।
    हरनौत उच्च विद्यालय में 30 कमरों का निर्माण किया जाना है तथा विद्यालय परिसर को ऊँचा किया जाना है।
    बताते चलें कि अभी विद्यालय में मात्र 06 कमरे ही हैं तथा विद्यालय परिसर में जल जमाव की भी शिकायत रहती है।
    जिला पदाधिकारी द्वारा विद्यालय से सटे स्टेडियम का भी निरीक्षण किया गया।
    भवन निर्माण के कार्यपालक अभियंता ने साइट प्लान दिखाते हुए स्टेडियम में होने बाली निर्माण से जिला पदाधिकारी को अवगत कराया।
    जिला पदाधिकारी ने स्टेडियम के चारों तरफ बाउंड्री निर्माण तथा बाउंड्री के निकट अंदर में चारों तरफ रास्ता निर्माण का निदेश दिया।
    अंचलाधिकारी को नाले निकालने हेतु जमीन का सर्वे कर प्रतिवेदन का आदेश दिया गया।
    स्टेडियम जाने हेतु पंहुँच पथ बनाने का आदेश नगर निकाय को दिया गया।

  • डिजिटल सेवा के क्षेत्र मे डाकघर की अनोखी पहल।

    स्पीड पोस्ट , रजिस्ट्री, पार्सल एवं ई एम ओ के लिए अब ग्राहक क्युआर कोड को स्कैन करके पेमेंट कर सकेंगे।
    डाक अधीक्षक नालंदा श्री मनोज कुमार पाण्डेय ने बताया की ग्राहकों को स्पीड पोस्ट , रजिस्ट्री आदि के लिए अब नगद खर्च नहीं करने होंगे ब डिजिटल माध्यम से क्यू कोड स्कैन करके भुगतान् कर सकेंगे । ये सुविधा जिले के सभी उप डाकघरों मे उपलब्ध है। डिजिटल भुगतान होने से ग्राहकों को गूगल पे, फोन पे , पेटम, भीम ऐप जैसे सारे डिजिटल एप्लिकेशन से भुगतान् करने मे सुविधा मिलेगी।
    *इनकी करा सकते है बुकिंग
    स्पीडपोस्ट
    रजिस्ट्री
    पार्सल
    ई एम ओ
    *
    उक्त बातों की जानकारी देते हुए डाक अधीक्षक ने लोगो से डिजिटल भुगतान करने की अपील की है एवं कैशलेस लेन देन को प्राथमिकता देने की बात कही।

    डिजिटल सेवा के क्षेत्र मे डाकघर की अनोखी पहल।

  • वरीय पदाधिकारी गण एवं जनता जनार्दन के साथ विचार गोष्ठी का आयोजन

    अपने विधानसभा क्षेत्र बिहार शरीफ शहर को विकसित करने एवं आम जनों की समस्याओ के निदान हेतु जिला अधिकारी , नगर आयुक्त ,वरीय पदाधिकारी गण एवं जनता जनार्दन के साथ विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसमें विभिन्न मुद्दा पर चर्चा किया गया।
    1.भरावपर फ्लाईओवर के निर्माण कार्य का प्रारंभ कमरुद्दीन गंज जाने वाले पथ को छोड़ कर किए जाने के प्रस्ताव पर चर्चा।
    2.मेरे द्वारा अनुशंसा किए गए 1 करोड़ 72 लाख मोगलकुआ से इमादपुर तक रोड निर्माण प्रगति पर चर्चा।
    3. शहर में बन रहे नाला रोड का समय सीमा तय।
    और कई मुद्दों पर विशेष चर्चा एवं सभी अधिकारियों का शक्त निर्देश दिया गया। जिससे जनता की प्रत्येक समस्याओं का निदान हो सके।

  • कैसे होगा मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रॉजेक्ट पूरा जब डी0आर0सी0सी0 कर्मियों का भविष्य ही है अधर में

    जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री, बिहार सरकार के सात निश्चय के तहत अतिमहत्वकांक्षी निश्चय ’’ आर्थिक हल, युवाओं को बल ’’ के अन्तर्गत बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना एवं कुशल युवा कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जाता है। लेकिन इस कार्य को सफल बनाने की जिम्मेवारी जिन लोगों के कंधे पर है वही लोग अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं।

    नालन्दा डी0आर0सी0सी0 में कार्यरत एस0डबल्यू0ओ0 एवं एम0पी0ए0 ने अपनी मांगों को लेकर आज से अपने कार्यालय में एक सप्ताह तक काले पट्टी लगाकर कार्य करना शुरू कर दिया है। ये कर्मी 7 सितम्बर तक काले पट्टी लगाकर कार्य करेंगे।

    बिहार राज्य सिंगल विण्डो ऑपरेटर/मल्टी परपस असिस्टेंट संघ के द्वारा संविदा कर्मियों के लिए माननीय मुख्यमंत्री, बिहार के द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू करने, वेतन बढ़ोतरी, गृह जिला/गृह जिला के आस-पास के जिला में स्थानांतरण करने, ग्यारह महीने के बाद सेवा विस्तार की प्रक्रिया को निरस्त करने एवं सिक्योरिटी राशि को ब्याज सहित वापस करने से संबंधित माँगों को पूरा नहीं होने की स्थिति में जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र के सभी swo/mpa दिनांक-01.09.2022 से 07.09.2022 तक काली पट्टी लगाकर अपने दैनिक कार्यों का निर्वहन करते हुये विरोध प्रकट किया गया। संघ के जिला अध्यक्ष के द्वारा बताया गया कि इसके उपरांत भी इनकी माँगों को बिहार विकास मिशन तथा बिहार सरकार पूर्ण नहीं करती है तो सभी कर्मी swo/mpa सामूहिक हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होगें।

    बिहार राज्य सिंगल विण्डो ऑपरेटर/मल्टी परपस असिस्टेंट संघ के जिला अध्यक्ष द्वारा यह भी बताया गया है कि अपनी माँगों से संबंधित पत्राचार पूर्व में भी बिहार विकास मिशन, बिहार, पटना, माननीय मुख्यमंत्री, बिहार तथा मुख्य सचिव महोदय, बिहार सरकार को किया गया है परन्तु अभी तक उक्त माँगों पर बिहार विकास मिशन के द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता रहा है। इस परिस्थिति में बिहार विकास मिशन एवं बिहार सरकार की उदासीनता से सभी कर्मी निराश एवं मर्माहत हैं।

  • हत्या के विरोध में 3 सितंबर को जिलाधिकारी के समक्ष पैदल मार्च की जाएगी।

    बिहारशरीफ के रहुई प्रखंड के मोरा पचासा स्थित शंकर बसेरा होटल बी एन पहाड़ी अमरपुर गांव में बैठक की गई बैठक में गणेश रविदास की हत्या कांड, रामकृष्णा रविदास एवं अंकित कुमार उर्फ अंशु की हत्या के बारे में चर्चा की गई। जिले में हो रहे बहुजनों की हत्या पर लगाम लगे आदि मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता अनुश्रवण समिति सदस्य एवं अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण के सदस्य सत्येंद्र पासवान ने की बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वक्त की पुकार है कि सभी बहुजन एक हो जाएं ताकि वहुजनों पर हो रहे अत्याचार शोषण पर लगाम लग सके और वहुजनों के उत्थान के लिए निस्वार्थ भाव से सहयोग करना चाहिए।

     

    बैठक में उपस्थित लोगों ने एक स्वर से कहा कि दिनांक 3 सितंबर समय 10:00 बजे अधिक से अधिक संख्या में पचासा मोड़ पर उपस्थित होबे और पैदल मार्च को सफल बनावे यह पैदल मार्च बिहारशरीफ के भिन्न-भिन्न चौक चौराहों से गुजरते हुए नालंदा जिलाअधिकारी के मुख्य द्वार पर समाप्त होगी और जिलाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम से एक ज्ञापन सौंपा जाएगा जिसमें मांग की जाएगी कि गणेश रविदास के हत्यारे को आजीवन करावास के बदले फांसी की सजा हो रामकृष्णा रविदास के हत्यारे को स्पीड ट्रायल के तहत फांसी की सजा हो अंकित कुमार उर्फ अंशु के हत्यारे की गिरफ्तारी जल्द से जल्द हो इस बैठक में बहुजन सेना के प्रदेश महासचिव एवं रेहड़ी पटरी फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष तथा संयुक्त किसान मोर्चा के जिला प्रवक्ता रामदेव चौधरी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवानजन कल्याण संघ एक आवाज के जिला अध्यक्ष राकेश पासवान अंकित कुमार पिंटू पासवान विक्कू कुमार पासवान शामगोरी देवी चानो देवी रिझो मांझी बहुजन सेना के जिला सचिव महेंद्र प्रसाद गिलानी मांझी आदि लोग उपस्थित थे।

  • पप्पू खा बजरंग दल के विरोध में दिए गए बयान बजरंग दल मर्माहत

    प्रेस विज्ञप्ति
    बिहार शरीफ के पूर्व विधायक नौशादून नबी उर्फ़ पप्पू खा बारा बजरंग दल के विरोध में दिए गए बयान समाचार पत्र एवं सोशल मीडिया पर जो आया है उससे बजरंग दल मर्माहत एवं आक्रोशित है।
    सच्चाई है कि पूर्व विधायक के नेतृत्व में एक भू माफिया का टीम गठित हुआ है जो अभी अभी नालंदा जिले के विभिन्न प्रखंड में
    जालसाजी कर जमीन रजिस्ट्री कराकर कब्जा दिलाने का काम चल रहा है । बहुत सारा जमीन पप्पू खा ने अपने पत्नी आफरीन सुल्ताना के नाम भी रजिस्ट्री कराए हैं।
    अभी-अभी नहीं प्रखंड के बेना में पांच व्यक्तियों के एक एकड़ 18 डिसमिल जमीन इन लोगों ने ऐसे लोगों से रजिस्ट्री करा लिए है जिनका जमीन कभी नहीं था जमीन पर जबरन कब्जा कर के दयान जो पप्पू खान का बेटा है इसके नाम होटल बनाने का बोर्ड लगा दिया है।
    दुखद बात यह है कि पप्पू खा के व्यक्तित्व में आया है कि जमीन पर मेरा कोई वास्ता नहीं है। एक सजाबार व्यक्ति पप्पू खा से बजरंग दल ऐसे सामाजिक संगठन का शिक्षा लेने की कोई जरूरत नहीं है।
    प्रशासनिक पदाधिकारियों से बजरंग दल नालंदा आग्रह करती है कि भू माफिया गिरोह पर अभिलंब कार्रवाई करें एवं गरीब लोगों का जमीन उन्हें वापस दिलाने की कार्रवाई करें। जिला सयोजक कुंदन कुमार ,विश्व हिंदू परिषद सह मंत्री धर्मवीर कुमार,प्रांत सह प्रशासनिक प्रमुख राम बहादुर सिंह नगर के सायोजक त्रिलोकी भारद्वाज जिला के सह सयोजक रोहित कुमार के साथ अन्य करता भी शामिल थे !

     

  • बहुजन नायक ललई सिंह यादव की 111 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा –इतिहास वह नहीं जो हमको बताया जाता है, बल्कि इतिहास वह है जिसको हमारे समाज, हमारे महापुरुषों नें सहा है और जिसके लिए संघर्ष किया और जिसे कभी लिखा ही नहीं गया। इसलिए हमारा असल इतिहास वही है जो हमारे महापुरुषों नें लिखा है, इसलिए अपनें इतिहास और हकीकत को जानने के लिए अपने महापुरुषों द्वारा लिखे इतिहास का अध्ययन करना अपनी नैतिक जिम्मेदारी है।
    शिक्षित मनुष्य वही माना जा सकता है जो जागरुक है, जिसे सच और झूठ का पता है जिसे दोस्त और दुश्मन की पहचान है, जिसे शोषक और शोषित की पहचान है, जिसे जानने की जिज्ञासा है अन्यथा सच को झूँठ और झूँठ को सच मान लेना बुद्धिमत्ता नहीं, निरा मूर्खता के सिवाय और कुछ भी नहीं है, मेरी नजर में बुद्धिमान वही है जो अपना नुकसान न करे, अन्यथा अपना नुकसान खुद करने वाला सबसे बड़ा महामूर्ख होता है।
    सच में इंसान वही है जिसे इतिहास,महापुरुष,समाज और समाज में रह रहे दूसरे लोगों के दर्द का एहसास हो, यही इंसान की जिंदादिली है, इसीलिए कहा गया है कि जीना है तो दूसरों के लिये भी जियो, अन्यथा अपने लिए तो जानवर भी जी लिया करते हैं।
    असल में जिंदा रहना है तो लोगों के दिलों में जगह बनाओ। अन्यथा खुद के लिए चलते फिरते जिंदा रहने को जिंदा नहीं कहा जा सकता,यह काम तो जानवर भी बखूबी करता है। जंगली कुत्ते को भी अगर एक बार रोटी खिला दो तो जिंदगी भर एहसान नहीं भूलता, लेकिन हमारे समाज के अधिकांश जिम्मेदार लोगों ने समाज इतिहास और महापुरुषों का सबकुछ फ्री में हजम कर लिया और डकार तक नहीं ली, खाया अपना और हलाली दुश्मनों की, जिसकी सजा समाज सदियों तक भुगतेगा, आज हमारे पास जो भी उपलब्ध है वह महापुरुषों के कठिन संघर्षों की वजह से मिला हुआ है।

                               बहुजन नायक ललई सिंह यादव का जन्म और परिवारिक जीवन

    देश का सबसे बड़ा राज्य है उत्तर प्रदेश। इस प्रदेश ने कई नायकों को जन्म दिया। यही वह प्रदेश है, जहां से पिछड़े समाज को जगाने वाले नायक बड़ी संख्या में निकले। ललई सिंह यादव का नाम उसमें प्रमुखता से शामिल है। ये अंधविश्वास-सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ तर्क व मानवतावाद की बात करने वाला नेता थे। बहुजन नवजागरण में इनका बहुत बड़ा योगदान था।
    दलितों और पिछड़ों का मसीहा बहुजन नायक ललई सिंह यादव का जन्म 01 सितंबर, 1911 को कानपुर के कठारा गांव के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। पिता का नाम था चौधरी गज्जू सिंह यादव जो कि आर्यसमाजी थे। और माता मूला देवी उस क्षेत्र के मकर दादुर गाँव के जनप्रिय नेता साधौ सिंह यादव बेटी थीं। उन्हें जाति-भेद की भावना उन्हें छू भी नहीं सकी थी। उनकी गिनती गाँव-जवार के प्रभावशाली व्यक्तियों में होती थी। माता मूला देवी के पिता साधौ सिंह भी खुले विचारों के थे। समाज में उनकी प्रतिष्ठा थी। पेरियार ललई सिंह के जुझारूपन के पीछे उनके माता-पिता के व्यक्तित्व का गहरा प्रभाव था। ललई सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। ललई सिंह यादव ने 1928 में उर्दू के साथ हिन्दी से मिडिल पास किया। उन दिनों दलितों और पिछड़ों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी थी। हालांकि सवर्ण समाज का नजरिया अब भी नकारात्मक था। उन्हें यह डर नहीं था कि दलित और शूद्र पढ़-लिख गए तो उनके पेशों को कौन करेगा। असली डर यह था कि पढ़े-लिखे दलित-शूद्र उनके जातीय वर्चस्व को भी चुनौती देंगे। उन विशेषाधिकारों को चुनौती देंगे जिनके बल पर वे शताब्दियों से सत्ता-सुख भोगते आए हैं। इसलिए दलितों और पिछड़ों की शिक्षा से दूर रखने के लिए वह हरसंभव प्रयास करते थे। ऐसे चुनौतीपूर्ण परिवेश में ललई सिंह ने 1928 में आठवीं की परीक्षा पास की। उसी दौरान उन्होंने फारेस्ट गार्ड की भर्ती में हिस्सा लिया और चुन लिए गए। वह 1929 का समय था। 1931 में मात्र 20 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह सरदार सिंह की बेटी दुलारी देवी हुआ। दुलारी देवी पढ़ी-लिखी महिला थीं। उन्होंने टाइप और शार्टहेंड का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। ललई सिंह को फारेस्ट गार्ड की नौकरी से संतोष न था। 1929 से 1931 तक ललई यादव वन विभाग में गार्ड रहे। सो 1933 में वे सशस्त्र पुलिस कंपनी में कनिष्ठ लिपिक बनकर चले गए। वहां उनकी पहली नियुक्ति भिंड मुरैना में हुई। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई की। 1946 में पुलिस एण्ड आर्मी संघ ग्वालियर कायम करके उसके अध्यक्ष चुने गए। ललई सिंह का पारिवारिक जीवन बहुत कष्टमय था। उनकी पत्नी जो उन्हें कदम-कदम पर प्रोत्साहित करती थीं, वे 1939 में ही चल बसी थीं। परिजनों ने उनपर दूसरे विवाह के लिए दबाव डाला, जिसके लिए वे कतई तैयार न थे। सात वर्ष पश्चात 1946 में उनकी एकमात्र संतान, उनकी बेटी शकुंतला का मात्र 11 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। कोई दूसरा होता तो कभी का टूट जाता। परंतु समय मानो बड़े संघर्ष के लिए उन्हें तैयार कर रहा था। निजी जीवन दुख-दर्द उन्हें समाज में व्याप्त दुख-दर्द से जोड़ रहे थे।

                          ललई सिंह यादव का विद्रोह और “सिपाही की तबाही” पुस्तक की रचना

    वर्ष 1946 में उन्होंने “सिपाही की तबाही” पुस्तक की रचना की। “सिपाही की तबाही” छप न सकी। भला कौन प्रकाशक ऐसी पुस्तक छापने को तैयार होता! सो ललई सिंह ने टाइप कराकर उसकी प्रतियां अपने साथियों में बंटवा दीं। पुस्तक लोक-सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले सिपाहियों के जीवन की त्रासदी पर आधारित थी। परोक्षरूप में वह व्यवस्था के नंगे सच पर कटाक्ष करती थी। पुस्तक में सिपाही और उसकी पत्नी के बीच बातचीत के माध्यम से घर की तंगहाली को दर्शाया गया था।
    पुस्तक में आजादी और लोकतंत्र दोनों की मांग थी। पुस्तक के सामने आते ही पुलिस विभाग में खलबली मच गई। सैन्य अधिकरियों को पता चला तो पुस्तक की प्रतियां तत्काल जब्त करने का आदेश जारी कर दिया। उस घटना के बाद ललई सिंह अपने साथियों के ‘हीरो’ बन गए। मार्च 1947 में जब आजादी कुछ ही महीने दूर थी, उन्होंने अपने साथियों को संगठित करके “नान-गजेटेड पुलिस मुलाजिमान एंड आर्मी संघ” के बैनर तले हड़ताल करा दी। सरकार ने ‘सैनिक विद्रोह’ का मामला दर्ज कर, भारतीय दंड संहिता की धारा 131 के अंतर्गत मुकदमा दायर कर दिया। ललई सिंह को पांच वर्ष के सश्रम कारावास तथा 5 रुपये का अर्थदंड सुना दिया। वे जेल में चले गए। इस बीच देश आजाद हुआ। अन्य रजबाड़ों की तरह ग्वालियर स्टेट भी भारत गणराज्य का हिस्सा बन गया। 12 जनवरी को 1948 को लगभग 9 महीने की सजा काटने के बाद, ललई सिंह को कारावास से मुक्ति मिली। वे वापस सेना में चले गए।

                         ललई सिंह यादव का सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर संघर्ष

    ललई सिंह यादव 1950 में सेना से सेवानिवृत्त होने के पश्चात उन्होंने अपने पैतृक गांव झींझक को स्थायी ठिकाना बना लिया। वैचारिक संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए वहीं उन्होंने “अशोक पुस्तकालय” नामक संस्था गठित की। साथ ही “सस्ता प्रेस” के नाम से प्रिंटिंग प्रेस भी आरंभ किया। कारावास में बिताए नौ महीने ललई सिंह के नए व्यक्तित्व के निर्माण हुआ। जेल में रहते हुए उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन किया। धीरे-धीरे हिंदू धर्म की कमजोरियां और ब्राह्मणवाद के षड्यंत्र सामने आने लगे। जिन दिनों उनका जन्म हुआ था, भारतीय जनता आजादी की कीमत समझने लगी थी। होश संभाला तो आजादी के आंदोलन को दो हिस्सों में बंटे पाया। पहली श्रेणी में अंग्रेजों को जल्दी से जल्दी बाहर का रास्ता दिखा देने वाले नेता थे। उन्हें लगता था वे राज करने में समर्थ हैं। उनमें से अधिकांश नेता उन वर्गों से थे जिनके पूर्वज इस देश में शताब्दियों से राज करते आए थे। लेकिन आपसी फूट, विलासिता और व्यक्तिगत ऐंठन के कारण वे पहले मुगलों और बाद में अंग्रेजों के हाथों सत्ता गंवा चुके थे। देश की आजादी से ज्यादा उनकी चाहत सत्ता में हिस्सेदारी की थी। वह चाहे अंग्रेजों के रहते मिले या उनके चले जाने के बाद। 1930 तक उनकी मांग ‘स्वराज’ की थी। ‘राज’ अपना होना चाहिए, ‘राज्य’ इंग्लेंड की महारानी का भले ही रहे। स्वयं गांधी जी ने अपनी चर्चित पुस्तक “हिंद स्वराज” का शीर्षक पहले “हिंद स्वराज्य” रखा था। बाद में उसे संशोधित कर, अंग्रेजी संस्करण में “हिंद स्वराज” कर दिया था। “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” नारे के माध्यम से तिलक की मांग भी यही थी। वर्ष 1930 में, विशेषकर भगत सिंह की शहादत के बाद जब उन्हें पता चला कि जनता ‘स्वराज’ नहीं, ‘स्वराज्य’ चाहती है, तब उन्होंने अपनी मांग में संशोधन किया था। आगे चलकर जब उन्हें लगा कि औपनिवेशिक सत्ता के बस गिने-चुने दिन बाकी हैं, तो उन्होंने खुद को सत्ता दावेदार बताकर, संघर्ष को आजादी की लड़ाई का नाम दे दिया। अब वे चाहते थे कि अंग्रेज उनके हाथों में सत्ता सौंपकर जल्दी से जल्दी इस देश से चले जाएं।
    दूसरी श्रेणी में वे नेता थे, जो सामाजिक आजादी को राजनीतिक आजादी से अधिक महत्त्व देते थे। मानते थे कि बिना सामाजिक स्वाधीनता के राजनीतिक स्वतंत्रता अर्थहीन है। कि राजनीतिक स्वतंत्रता से उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है। उनकी दासता और उसके कारण हजारों साल पुराने हैं। नई शिक्षा ने उनके भीतर स्वाभिमान की भावना जाग्रत की थी। उनकी लड़ाई अंग्रेजों से कम, अपने देश के नेताओं से अधिक थी। वे सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर साथ-साथ जूझ रहे थे। महामना फुले, संतराम बी.ए., अय्यंकालि, डॉ. आंबेडकर, पेरियार जैसे नेता इसी श्रेणी में आते हैं। स्वयं ललई सिंह इस श्रेणी से थे और जिस परिवेश से जूझते हुए वे निकले थे, उसमें अपना मोर्चा चुन लेना कोई मुश्किल बात न थी।

                       जेल में रहते हुए ललई सिंह यादव ने डा. आंबेडकर के भाषणों को सुना

    जेल में रहते हुए ललई सिंह यादव ने डा. आंबेडकर के भाषणों को सुना था, जिन्होंने हिंदू धर्म को धर्म मानने से ही इन्कार कर दिया था। आंबेडकर स्वयं हिंदू धर्म तथा उसके ग्रंथों को राजनीति मानते थे। कांग्रेसी नेताओं के व्यवहार से यह सिद्ध भी हो रहा था। 1930 के आसपास दलितों और पिछड़ी जातियों में राजनीतिक चेतना का संचार हुआ था। “त्रिवेणी संघ” जैसे संगठन उसी का सुफल थे। उसकी काट के लिए कांग्रेस ने पार्टी में पिछड़ों के लिए अलग प्रकोष्ठ बना दिया था। उसका मुख्य उद्देश्य था, किसी न किसी बहाने पिछड़ों को उलझाए रखकर उनके वोट बैंक को कब्जाए रखना।
    दूसरा कारण पिछड़ी जातियों में शिक्षा का बढ़ता स्तर तथा उसके फलस्वरूप उभरती बौद्धिक चेतना थी। उससे पहले पंडित अपने प्रत्येक स्वार्थ को ‘शास्त्रोक्त’ बताकर थोप दिया करते थे। बदले समय में बहुजन उन ग्रंथों को सीधे पढ़कर निष्कर्ष निकाल सकते थे। इसलिए महाकाव्य और पौराणिक कृतियां जिनका प्रयोग ब्राह्मणादि अल्पजन बहुजनों को फुसलाने के लिए करते थे, जिनमें बहुजनों के प्रति अन्याय और अपमान के किस्से भरे पड़े थे- वे अनायास ही आलोचना के केंद्र में आ गईं। हमें याद रखना चाहिए कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों में निर्णायक राजनीतिक शक्ति बन चुके यादवों को क्षत्रिय मानने पर ब्राह्मणादि अल्पजन आज भले ही मौन हों, मगर उससे पहले वे उनकी निगाह ‘क्षुद्र’ यानी शूद्र ही थे। महाभारत जिसमें कृष्ण को अवतार के रूप में प्रस्तुत किया गया है, उसमें भी ऐसे अनेक प्रसंग हैं जब कृष्ण का उसकी जाति के आधार पर मखौल उड़ाया जाता है। डी. आर. भंडारकर यादवों को भारतीय वर्ण-व्यवस्था से बाहर का गण-समूह यानी पंचम वर्ण का मानते हैं।

                                        ललई सिंह यादव द्वारा सच्ची रामायण लिखना

    ललई सिंह यादव सच्चे मानवतावादी थे। आस्था से अधिक महत्त्व वे तर्क को देते थे। सच्ची रामायण के प्रकाशन के पीछे उनका उद्देश्य हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को खारिज करना न होकर, मिथों की दुनिया से बाहर निकलकर जीवन-जगत के बारे तर्क संगत ढंग से सोचने और उसके बाद फैसला करने के लिए प्रेरित करना था। ललई सिंह यादव सच्ची रामायण के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास, कर्मकांड को दूर करके नई समाज की रचना कराई। ललई सिंह का कहना था कि बलि बकरे को दी जाती है शेर को नहीं। हमें शेर बनना होगा।

                                 ललई सिहं यादव ने सामाजिक न्याय के लिए पुस्तकों की रचना की

    ललई सिहं यादव ने सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया और सामाजिक न्याय के अपने लक्ष्य के लिए अनेक पुस्तकों की रचना की। श्री ललई सिंह यादव को उत्तर भारत का ‘पेरियार’ कहा जाता है। उन्होंने 5 नाटक लिखे- (1) अंगुलीमाल नाटक, (2) शम्बूक वध, (3) सन्त माया बलिदान, (4) एकलव्य, और (5) नाग यज्ञ नाटक. गद्य में भी उन्होंने 3 पुस्तके लिखीं – (1) शोषितों पर धार्मिक डकैती, (2) शोषितों पर राजनीतिक डकैती, और (3) सामाजिक विषमता कैसे समाप्त हो? एशिया के सुकरात कहे जाने वाले दक्षिण भारत के महान क्रांतिकारी पैरियार इरोड वेंकट नायकर रामासामी जी उस समय उत्तर भारत में कई दौरे हो रहे थे जिनसे ललई सिंह यादव जी उनके सम्पर्क में आये थे।