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Category: ब्रेकिंग न्यूज़
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डकैत कुसुमा नाइन की 58 वीं जन्मदिन पर विशेष
राकेश बिहारी शर्मा—-इंसान के साथ हो रहे अन्याय को न्याय व्यवस्था द्वारा न्याय देने की परंपरा हमेशा से चली आई है। लेकिन कुछ लोग होते हैं जो अपने साथ हुए अन्याय के बाद न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं कर पाते। जो लोग कानून को हाथ में ले कर अपना बदला खुद लेते हैं, उनकी समाज में दो तरह की छवि बन जाती है, साधु या सैतान। ‘दस्यु सुन्दरी कुसुमा नाइन’ एक ऐसा ही नाम है, जो सोचने पर मजबूर कर देती है कि उसके बारे में कौन सा राय बनाना उचित रहेगा? कुछ लोगों के लिए कुसुमा सच में देवी थीं, तो कुछ के लिए आज भी वह एक कुख्यात डकैत और कई लोगों के लिए हत्यारन हैं।
माथे पर काला टीका, सिर पर लाल पट्टी, हाथ में बंदूक और बदन पर खाकी वर्दी। कुसुमा नाइन नाजुक हाथों ने जब हथियार उठाये तो चंबल के बड़े-बड़े डाकू उसके बागी तेवरों से डरते नजर आये। बीहड़ पट्टी से लेकर पूरे चंबल के चप्पे-चप्पे तक उसके नाम से ही बड़े-बड़े डकैत खौफजदा हो जाते थे।
कुसुमा नाइन ने बीहड़ में दो दशक तक राज किया। इस दौरान आमजनों से लेकर धन्नासेठों तक में उसके नाम की खौफ थी। वह पुलिस की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शुमार हो गई लेकिन उसे न कानून का खौफ था और न ही पुलिस का डर।कुसुमा नाइन का जन्म और माधव मल्लाह से शादी
कुसुमा नाइन का जन्म भगवान बलराम जयंती के दिन शुक्रवार दिनांक 28 अगस्त 1964, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष षष्ठी, अश्विनी नक्षत्र में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टिकरी गांव में बेहद गरीब नाई परिवार के कटासी नाई के घर हुआ था। ज्योतिष के अनुसार अश्विनी नक्षत्र में जन्मे बच्चे ऊर्जावान के साथ-साथ सक्रिय भी रहते हैं। इनको छोटे-मोटे काम से संतुष्टि नहीं मिलती, ये हमेशा बड़े और महत्वपूर्ण कार्यों को करने में ही ज्यादा आनंद प्राप्त करते हैं। हर काम को समय पर और तेजी से निपटाना इनकी आदत होती है। अपनी फूर्ति और सक्रियता के चलते कार्यस्थल पर हर किसी की नजर में रहते हैं। ये जिद्दी स्वभाव के साथ-साथ शांत प्रवृति के भी होते हैं।
कुसुमा नाइन के पिता मजदूर थे और उनके पास में थोडीशी जमीन थी। थोड़ी बड़ी होने पर कटासी नाई की एकलौती बेटी कुसुमा ने स्कूल जाना शुरू किया और कुछ सालों बाद ही उसे एक लड़के से प्यार हो गया।
कुसुमा जब महज तेरह साल की थी तभी वह अपने घर के बगल वाले पड़ोसी प्यार यानी माधव मल्लाह के साथ घर से भाग गई। लेकिन पिता कटासी नाई की शिकायत पर पुलिस ने उन्हें दिल्ली में पकड़ लिया। फिर माधव मल्लाह पर डकैती का केस लगा और कुसुमा के पिता ने उसकी शादी करौली गांव के केदार नाई से कर दी। बता दें कि माधव मल्लाह चंबल के कुख्यात डकैत विक्रम मल्लाह का साथी था। शादी की खबर पाने के कुछ माह बाद माधव गैंग के साथ कुसुमा के ससुराल पहुंचा और उसे अगवा कर लिया और फिर माधव मल्लाह और गैंग के साथीयों ने कुसुमा के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया। माधव, उसी विक्रम मल्लाह का साथी था, जिसके साथ फूलन देवी का नाम जुड़ता था।विक्रम से दुश्मनी व लालाराम से दोस्ती और 15 मल्लाहों की हत्या
डकैत विक्रम मल्लाह की गैंग में रहने के दौरान ही उसे फूलन के जानी दुश्मन डकैत लालाराम को मारने का काम दिया गया। लेकिन फूलन से अनबन के कारण बाद में कुसुमा नाइन, डकैत लालाराम के साथ ही जुड़ गई। फिर विक्रम मल्लाह से बलात्कार का बदला लेने के लिए उसे मार दी। इसी कुसुमा नाइन और लालाराम ने बाद में सीमा परिहार का अपहरण किया था, जो कि कुख्यात डकैत के रूप में उभरकर सामने आई थी। 14 मई 1981 को फूलन देवी ने बेहमई कांड में 22 राजपूतों को गोलियों से भुन दिया था। बेहमई कांड के बाद फूलन ने सरेंडर कर दिया था। इसके बाद बीहड़ में कुसुमा नाइन का दबदबा तो बढ़ा ही बल्कि लूट, डकैती और हत्या की सैकड़ों घटनाओं को अंजाम भी दिया। वह अपनी क्रूरता के लिए भी कुख्यात थी। जिसमें वह किसी को जिंदा जला देती थी तो किसी की आंखें निकाल लेती थी। 26 मई 1984 को कुसुमा का नाम सुर्खियों में तब आया, जब उसने बेहमई कांड का बदला लेने के लिए मइअस्ता गांव में 15 मल्लाहों को एक साथ गोली मार दी थी।
इसी घटना के बाद उसकी डकैत लालाराम से भी अनबन हो गई और वह डकैतों के सरदार गुरु रामाश्रय (रामआसरे) तिवारी उर्फ फक्कड़ बाबा से जुड़ गई। उस पर एक रिटायर्ड एडीजी समेत कई पुलिसवालों की हत्या का भी आरोप था। कई सालों बाद उसका बीहड़ों से मन उब गया। 8 जून 2004 को कुसुमा नाइन और फक्कड़ ने अपनी पूरी गैंग के साथ पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। अभी कुसुमा जिला कारागार कानपुर में है और उम्रकैद की सजा काट रही है।
यह कहानी डाकू फूलन देवी की नहीं है। पर असल जिंदगी में वो फूलन देवी से कहीं ज्यादा खूंखार रही। ये उस महिला डाकू की कहानी है जिसकी हनक में फूलन देवी की परछाई तो है। पर गुस्से में वो फूलन से कहीं आगे रही। बेशक फूलन देवी ने 22 राजपूत लोगों को एक साथ लाइन में खड़ा कर गोली मार दी थी। तो इस महिला डाकू कुसुमा नाइन ने 15 मल्लाहों को एक साथ गोली मारी थी। और किसी से बदला लेने के लिए ये दुश्मन की आंखें ही निकाल लेती थी। तो किसी को जिंदा ही जला देती थी। जिस डकैत के गैंग में इसका रुतबा था। उसने एक बार बहस करते हुए इस कुसुमा डाकू को मां की गाली दे दी। फिर क्या हुआ? उस कुसमा ने तुरंत कहा कि… अभी तुम्हें गोली से उड़ा दूंगी। फिर डाकुओं का सरगना कहता है… मैंने तुझे जमीन से आसमां पर पहुंचाया है। मत भूल अपनी औकात। तब कुसमा कहती है कि… तुम्हारी औकात नहीं कि अब मुझे आसमान से नीचे ला सको। आज अब जेल में रहते हुए पुजारिन बन गई है।बेहद खतरनाक और जिद्दी है डकैत कुसुमा नाइन
कुसुमा नाइन बेहद खतरनाक डकैत थी अपने जमानें की। इनका बीहड़ के साथ आसपास के जिलों में आतंक था। इनके उपर 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें ज्यादातर मामले अपहरण और फिरौती न मिलने पर कत्ल करने के मामले हैं। ये अपने गैंग के साथ पकड़ खरीदकर फिरौती वसूलते थे। कानपूर-राजपुर के खोजारामपुर निवासी हरदेव सिंह का गांव के ही मानसिंह से जमीनी विवाद चल रहा था। मानसिंह का पुत्र करन दस्यु लालाराम का दामाद था। 28 अगस्त 1983 की शाम डकैत लालाराम अपने गिरोह के साथ समधी के जमीन विवाद को निपटाने के लिए गांव पहुंचा। हरदेव सिंह मिले तो डकैतों ने घेर लिया और उन्हें गोली मार दी। इस मामले में सिकंदरा थाने (अब राजपुर थाना) में लालाराम, उसके भाई श्रीराम, कुसुमा नाइन और ओमप्रकाश के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। अब कुसुमा को छोड़कर अन्य सभी की मौत हो चुकी है। गोली मारने के मामले में वादी नरेंद्र सिंह ने अदालत में अपने बयान दर्ज कराए। अदालत में मौजूद कुसुमा को उसने पहचानते हुए कहा कि इसी महिला डकैत ने हरदेव सिंह को पहली गोली मारी थी। उसके बाद अन्य डकैतों ने गोलियां चलाई।
अपर्हित को छोडनें के लिए 50 लाख के साथ बीहड़ में बुलाया था
हरदेव मर्डर केस में आरोपी फक्कड़ बाबा और कुसुमा नाइन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। इन्होंने कल्याणपुर निवासी हरदेव आदर्श शर्मा को अपर्हित कर 50 लाख की फिरौती मांगी थी। रकम न मिलने पर हरदेव का मर्डर कर दिया था। कोर्ट ने सजा के साथ 35-35 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कल्याणपुर निवासी हरदेव आदर्श शर्मा कृषि भवन (नई दिल्ली) में उप-निदेशक गृह के पद से रिटायर हुए थे। 4 जनवरी 1995 को हरदेव आदर्श शर्मा एक शादी में गए, वहीं से डकैत राम आसरे उर्फ फक्कड़ बाबा और कुसुमा नाइन ने अपहरण कर लिया था। कुछ दिनों के बाद डकैत राम आसरे ने हरदेव आदर्श शर्मा के पास लेटर भेजा जिसमें लिखा था- अपने पापा को छुड़वाना चाहते हो तो 50 लाख रुपए लेकर बीहड़ में मिलो। फिरौती की रकम बड़ी थी, घर वाले लोग इंतजाम नहीं कर सके। कुछ दिन बाद उनका शव इटावा के सहसो गांव पास सड़क पर पड़ा मिला था।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाया डकैत फक्कड़ और कुसुमा नाइन का फैसला
लगभग 22 साल तक चले केस का फैसला जज अफसा की फास्ट ट्रैक कोर्ट नं. 52 में सुनाया गया। केस में बेटे पवन कुमार शर्मा ने ही फक्कड़ बाबा और कुसुमा नाइन की पहचान की थी। उसकी गवाही के बेसिस पर सजा सुनाई गई।
दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन और फक्कड़ बाबा का पूरे गिरोह समेत आत्मसमर्पण
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात डकैत रामआसरे चौबे उर्फ फक्कड़ बाबा उसकी खास सहयोगी डकैत सुंदरी कुसमा नाइन सहित पूरे गिरोह ने 8 जून 2004 को भिंड जिले के दमोह पुलिस थाने की रावतपुरा चौकी पर समर्पण किया। पिछले कई साल से फक्कड़ बाबा गिरोह पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहा था। भिंड के पुलिस अधीक्षक साजिद फरीद शापू के समक्ष गिरोह के सभी सदस्यों ने बिना शर्त समर्पण किया। फक्कड़ बाबा पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक लाख और मध्य प्रदेश पुलिस ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। कुसमा नाइन पर उत्तर प्रदेश ने 20 हजार और मध्य प्रदेश ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था। गिरोह ने उत्तर प्रदेश में करीब 200 से अधिक और मध्य प्रदेश में 35 अपराध किए हैं। समर्पण करने वाले गिरोह के अन्य सदस्यों में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का राम चंद वाजपेयी, इटावा के संतोष दुबे, कमलेश वाजपेयी, घूरे सिंह यादव और मनोज मिश्रा, कानपुर का कमलेश निषाद और जालौन का भगवान सिंह बघेल शामिल रहे। इस समर्पण के पीछे किसी ने मध्यस्थ की भूमिका नहीं निभाई है। फक्कड़ बाबा और उसके गिरोह ने अपनी इच्छा से आत्मसमर्पण किया है। फिलहाल इन्हें कानपूर जेल में रखा गया है। गिरोह के खिलाफ अपहरण के अलावा हत्या व डकैती के आरोप भी हैं। कुसमा नाइन, फक्कड़ बाबा गिरोह ने कई विदेशी हथियार भी पुलिस को सौंपे हैं। इनमें अमेरिका निर्मित 306 बोर की तीन सेमी-ऑटोमेटिक स्प्रिंगफील्ड राइफलें, एक ऑटोमेटिक कारबाइन, बारह बोर की एक डबल बैरल राइफल और कुछ दूसरे हथियार शामिल हैं। ये नेपाल और पाकिस्तान के रास्ते तस्करी के जरिए डकैत गिरोहों तक पहुंचते हैं।
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स्मृति विशेषांक पत्रिका का लोकार्पण समारोह का आयोजन
उच्च माध्यमिक विद्यालय भतहर थरथरी नालंदा के परिसर में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पूर्व महासचिव बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ विज्ञान प्रेमी महान समाज सुधारक स्मृति शेष चंद्रशेखर प्रसाद जी के प्रतिमा अनावरण तथा इनकी स्मृति विशेषांक पत्रिका का लोकार्पण समारोह का आयोजन है
इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जनता दल यू के श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह माननीय मंत्री श्री सरवन कुमार ग्रामीण विकास विभाग श्री केदारनाथ पांडे सदस्य बिहार विधान परिषद अध्यक्ष एवं श्री शत्रुघ्न प्रसाद सिंह पूर्व सांसद सचिव बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ श्री कौशलेंद्र कुमार माननीय सांसद नालंदा श्री हरिनारायण माननीय पूर्व मंत्री विधायक हरनौत माननीय श्री नीरज कुमार सदस्य बिहार विधान परिषद सर प्रवक्ता जनता दल यू श्रीमती रीना यादव सदस्य बिहार विधान परिषद आदि के नेताओं का आगमन हो रहा है इस अवसर पर आप सबो की गरिमामय उपस्थिति प्रार्थनीय है
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मुंबई 2 आगरा का संजय पैलस इस्थित यूथ होस्टल आगरा मे किय़ा गया,
विराट फिल्म प्रोडक्शन के ओनर लखन चौधरी ने हिंदी फिल्म मुंबई 2 आगरा का संजय पैलस इस्थित यूथ होस्टल आगरा मे किय़ा गया, इस प्रोग्राम को सफल बनाने मे रवी परिहार और महेश धाकड़ जी का विशेष योगदान रहा
आई एस के फिल्म एंटरटेनमेंट के बैनर तले बन रही है। हिन्दी फिचर फिल्म मुंबई 2 आगरा इसी साल हिंदी भोजपुरी भाषा मे देश भर के सिनेमा हाल मे रिलिज होगी
उक्त जानकारी निर्माता व एक्टर सुजैल खान ने देते हुए बताया कि ये फिल्म मुम्बई में स्ट्रगल करने बाले कलाकारों और ओ टी टी पर फिल्म वेब सिरीज के नाम पर गंदगी फैला रहे लोगो की असलियत से जुड़ी हुई है। फिल्म की अधिकांश शूटिंग मुम्बई व गुजरात में हुई है। सुसेन फिल्म एंटरटेनमेंट और डीएमजी फिल्म प्रोडक्शन के विशेष सहयोग से बनाई गई हैं इस फिल्म में लीड रोल में सुजैल खान,भूपेंद्र सिंह, चाईल्ड आर्टिस्ट शनाया शर्मा, अली खान, दृश्या राजपुत, जावेद हेदर , शिरीन फरीद, पंकज धिरज, हैं और फिल्म के सुपर हीट आईटम सोंग आगरा का घाघरा मे माधवी लावरे और कुलदीप सोनी नज़र आयेंगे और फिल्म मे स्पेशल किरदारों में राजा कापसे, सत्यव्रत मुद्गल, रोजलीन खान, सोनिया मित्तल, संजीव शर्मा, राज कुमार नागर, गिरीश थापर, अरमान ताहिल, रवि परियार, शब्बीर मांडवीवाला, चाईल्ड आर्टिस्ट हीमान्द्री धिरज, अनीषा श्रीवस्तावा, कजल धिरज, श्रद्धा सिंह,अवनेश कुमार, जोनी शेख,माजिद खान, राजा राणा, अनुज श्रीवस्तावा, शिल्पी श्रीवस्तावा, दिया तिवारी, श्रिया तिवारी, धर्मवीर शर्मा,आर के गोस्वामी, रिया सिंह, अशफाक खान, राजीव अग्रवाल अफसर कुरेशी, लालता प्रसाद त्यागी, गौरब गॉड़, निहाल शेख, सतेन्द्र सिंह डी एस राघुवनशी, आदि नजर आएंगे। फिल्म के निर्देशक अमिताभ कुमार एव इमरान सुजैल खान हैं.। निर्माता इमरान सुजैल खान, सह निर्माता कुलदीप सोनी, सलमाम खान, पंकज धीरज, भूपेन्द्र सिंह, म्यूजिक डायरेक्टर बाबा जागीरदार, केमरा मैन कमल लोखण्डवाला सददाम शेख, प्रभात ओझा, पटकथा लेखक व डाईलोग इमरान सुजैल खान, सुहैल अनवर, गीतकार डी.एस. रघुवंशी, राम कुमार, सवन हुसैन, और गायका खुशबू जैन, गायक शाहीद मालिया, सावन हुसैन, कुमार सानू , हैं ,कोस्टियुम डिज़ाईनर दिया तिवारी, एडिटर प्रभात ओझा हैँ,!
फिल्म की शूटिंग मुंबई गुजरात अलीगढ़ के अलावा आगरा में भी की गई हैं -
बीजेपी शासित राज्य मध्यप्रदेश में बिक रहा लहसुन 71पैैसा
संयुक्त किसान मोर्चा के जिला प्रवक्ता एवं रेहड़ी पटरी फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने प्रेस जारी कर कहा कि आजादी के बाद भी किसानों को अपने उपजाए फसल को दाम लगाने का अधिकार नहीं प्राप्त है जिसे किसानों के उपजाए फसल को व्यापारी औने पौने दाम में खरीद रहें हैं जिसे खेती घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं।भारत के प्रधानमंत्री 2014 के पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य का समर्थन करने वाली बीजेपी सरकार आज एमएसपी पर कानून बनाने का कोई पहल नहीं कर रही है
एमएसपी के कानून नहीं बनने के कारण मध्यप्रदेश के किसानों को लहसुन प्याज का वास्तविक मूल्य नहीं मिल रहा है प्याज लहसुन कौड़ियों के भाव मध्य प्रदेश के मंडियो में बिक रहा है मंदसौर से लेकर इंदौर अकोदिया कालापीपल नरसिंहगढ़ नीमचा बेरछा मनासा रतलाम शाजापुर सुजालपुर सैलाना में 50 से लेकर ₹1 में प्याज लहसुन खरीदा गया उज्जैन में ₹2 भोपाल और खंडवा में ₹7 किलो प्याज खरीदा गया लहसुन प्याज की कम कीमत पर मध्यप्रदेश के किसानों को रुलाने लगी है साफ जाहिर है कि कम कीमत से किसान नाराज हैं और सड़कों पर उतर कर विरोध जता रहे हैं
सच में प्याज की प्रतीकात्मक अर्थी निकाल दी गई है इसके बावजूद किसान बड़ी तादाद में माल मंडी लाने को मजबूर हैं क्योंकि प्याज के स्टोरेज की समस्या है इसे खराब होने का डर है नतीजा किसानों ने औने पौने दाम पर बेच रहे हैं किसानों को लहसुन का भाव नहीं मिलने के कारण नदी में फेंक दिए 100 बोरा लहसुन लगभग 50 क्विंटल किसानों के प्याज लहसुन घाटे का सौदा साबित हो रहे हैं किसानों को भाड़े का दाम भी नहीं निकल रहा है जिससे किसान मंडियों में प्याज लहसुन छोड़कर जा रहे हैं हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि एमएसपी पर कानून बने जो पूरे देश में लागू हो और किसानों द्वारा उत्पादन किए गए फसलों का दाम डेढ़ गुना मिल सके जिसे किसान खुशहाल हो सके और आत्महत्या करने पर किसान मजबूर न हो।
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पिछड़ा वर्ग के आइकॉन बीपी मंडल की 104 वीं जयंती पर विशेष
राकेश बिहारी शर्मा – पिछड़ों के मसीहा एवं हमदर्द बिहार के 7 वीं पूर्व मुख्यमंत्री और मंडल आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल (बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल) को पिछड़ा वर्ग के आइकन के रूप में याद किया जाता है। बीपी मंडल को मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का एक बड़ा नायक माना गया है। उनके प्रयासों की वजह से केंद्र सरकार की नौकरियों और केंद्रीय शिक्षा संस्थानों के दाखिलों में पिछड़े वर्गों को 27 परसेंट रिज़र्वेशन मिलने का रास्ता साफ हुआ।
बीपी मंडल का जन्म, शिक्षा एवं पारिवारिक जीवन
बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को बनारस में हुआ था। बीपी मंडल को लोग बिंदेश्वरी बाबू (बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल) के नाम से भी जानते थे। वे जाने-माने अधिवक्ता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रासबिहारी मंडल व श्रीमती स्वर्गीय सीतावती मंडल की सातवीं संतान थे। बीपी मंडल का बचपन बिहार राज्य के मधेपुरा के मुरहो गांव में बीता। बीपी मंडल का ताल्लुक बिहार के मधेपुरा ज़िले के मुरहो गांव के एक जमींदार परिवार से था ही। मधेपुरा से पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर बसा है मुरहो गांव। इसी गांव के किराई मुसहर साल 1952 में मुसहर जाति से चुने जाने वाले पहले सांसद थे। मुसहर अभी भी बिहार की सबसे वंचित जातियों में से एक है। किराई मुसहर से जुड़ी मुरहो की पहचान अब लगभग भुला दी गई है। अब ये गांव बीपी मंडल के गांव के रूप में ही जाना जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग-107 से नीचे उतरकर मुरहो की ओर बढ़ते ही बीपी मंडल के नाम का बड़ा सा कंक्रीट का तोरण द्वार है। गांव में उनकी समाधि भी है। बीपी मंडल की शुरुआती पढ़ाई मुरहो और मधेपुरा में हुई थी।
हाई स्कूल की पढ़ाई दरभंगा स्थित राज हाई स्कूल से की। स्कूल से ही उन्होंने पिछड़ों के हक़ में आवाज़ उठाना शुरू कर दिया था। बीपी मंडल राज हाई स्कूल के हॉस्टल में रहते थे। वहां पहले अगड़ी कही जाने वाली जातियों के लड़कों को खाना मिलता उसके बाद ही अन्य छात्रों को खाना दिया जाता था। उस स्कूल में अगड़ी अगड़ी जाति के लडके बेंच पर बैठते थे और पिछड़ी जाति के लडके नीचे। उन्होंने इन दोनों बातों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और पिछड़ों को भी बराबरी का हक मिला। स्कूल के बाद की पढ़ाई उन्होंने बिहार की राजधानी के पटना कॉलेज से की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कुछ दिन तक भागलपुर में मजिस्ट्रेट के रूप में भी सेवाएं दीं और साल 1952 में भारत में हुए पहले आम चुनाव में वे मधेपुरा से कांग्रेस के टिकट पर बिहार विधानसभा के सदस्य बने।
बीपी मंडल का राजनैतिक सफरनामा
मंडल जी जमींदार परिवार से होने के बावजूद हमेशा पिछड़ों के पैरोकार रहे। ये मुरहो एस्टेट के ज़मींदार होते हुए भी उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन में जमकर हिस्सा लिया। वे बिहार प्रांतीय कांग्रेस कमिटी और एआईसीसी के बिहार से निर्वाचित सदस्य रासबिहारी लाल मंडल के सबसे छोटे पुत्र थे। रासबिहारी बाबू ने यादवों के लिए संघर्षपूर्ण जनेऊ धारण आन्दोलन चलाया था। यह आंदोलन प्रतिक्रियावादी लग सकता है, लेकिन दरअसल ये स्वाभिमान का आंदोलन था। 1917 में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड समिति के समक्ष यादवों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए उन्होंने वायसरॉय को परंपरागत ‘सलामी’ देने की जगह उनसे हाथ मिलाया था। उन्होंने सेना में यादवों के लिए रेजिमेंट की मांग भी की थी। उस समय ज्यादातर नेता अपने समुदाय के हितों के साथ जुड़े थे। रासबिहारी बाबू के कामों को भी उसी नजरिए से देखने की जरूरत है। इस पृष्ठभूमि में बी.पी. मंडल की परवरिश हुई थी। वे मधेपुरा विधान सभा से 1952 के प्रथम चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी बने और 1952 में बहुत कम उम्र में मधेपुरा से विधानसभा के लिए सदस्य चुने गए। सन 1962 में वे दूसरी बार विधायक बने। इस बीच, 1965 में मधेपुरा क्षेत्र के पामा गांव में दलितों पर सवर्णों एवं पुलिस द्वारा अत्याचार के खिलाफ उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए। वे 1967 में मधेपुरा से लोकसभा सदस्य चुने गए। बड़े ही नाटकीय राजनैतिक उतार-चढ़ाव के बाद 1 फ़रवरी, 1968 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने थे।
इसके लिए उन्होंने सतीश प्रसाद को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनवाया। उस समय बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। वे राम मनोहर लोहिया एवं श्रीमती इंदिरा गाँधी की इच्छा के विरुद्ध बिहार में पहले पिछड़े समाज के मुख्यमंत्री बनने जा रहे थे। परन्तु विधानसभा में बहुमत के बावजूद तत्कालीन राज्यपाल एम.ए.एस अयंगार रांची जाकर बैठ गए और मंडल जी को शपथ दिलाने से इस आधार पर इंकार कर दिया कि बीपी मंडल बिहार में बिना किसी सदन के सदस्य बने 6 महीने तक मंत्री रह चुके है। परन्तु बी.पी. मंडल ने राज्यपाल को चुनौती दी और इस परिस्थिति से निकलने के लिए तय किया गया कि सतीश बाबू एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बन कर इस्तीफा देंगे, जिससे बी.पी. मंडल के मुख्यमंत्री बनने में आ रही अड़चन दूर हो। उन्ही दिनों बरौनी रिफायनरी में तेल का रिसाव गंगा में हो गया और उसमें आग लग गयी। बिहार विधान सभा में पंडित बिनोदानंद झा ने कहा कि शुद्र मुख्यमंत्री बना है तो गंगा में आग ही लगेगी! इस प्रकरण का साक्ष्य बिहार विधानसभा के रिकार्ड में है। इस उस समय के राजनीतिक-सामाजिक वातावरण का अंदाजा लगाया जा सकता है।
बी.पी. मंडल ने विधानसभा में जातिसूचक शब्दों पर लगवाया प्रतिबंध
बी.पी. मंडल ने यादवों के लिए विधान सभा में ‘ग्वाला’ शब्द के प्रयोग पर आपत्ति की थी। सभापति सहित कई सदस्यों ने कहा कि यह असंसदीय कैसे हो सकता है क्योंकि यह शब्दकोष में लिखा हुआ है। मंडल ने कुछ गालियों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये भी तो शब्दकोष (डिक्शनरी) में है, फिर इन्हें असंसदीय क्यों माना जाता है। सभापति ने मंडल की बात मानते हुए, यादवों के लिए ‘ग्वाला’ शब्द के प्रयोग को असंसदीय मान लिया। 1968 में उपचुनाव जीत कर बी.पी. मंडल पुनः लोकसभा सदस्य बने। 1972 में वे मधेपुरा विधान सभा से सदस्य चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर मधेपुरा लोक सभा से सदस्य बने। 1977 में जनता पार्टी के बिहार संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के नाते लालू प्रसाद को कर्पूरी ठाकुर और सत्येन्द्र नारायण सिंह के विरोध के बावजूद छपरा से लोकसभा टिकट मंडल जी ने ही दिया। 1 जनवरी, 1979 को प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई ने बी.पी. मंडल को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया, जिस जबाबदेही को उन्होंने बखूबी निभाया। इस रिपोर्ट को लाख कोशिश के बावजूद सर्वोच्च न्यायलय में ख़ारिज नहीं किया जा सका।उनके योगदान का सही मूल्यांकन होना अभी भी बाकी है।
● बीपी मंडल ने मंडल कमीशन रिपोर्ट लिख कर बदल दी करोड़ों बहुजनों की तकदीर
आज जो लोग ओबीसी आरक्षण का लाभ लें रहें हैं। शायद उन्हें पता नहीं होगा कि किनके प्रयास से आज आरक्षण का लाभ लें रहें हैं। आरक्षित वर्गो को यह जानना जरूरी होगा कि मंडल आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल ने दो वर्षों तक देश के लगभग 640 जिलों में भ्रमण के बाद आकड़ा तैयार किया कि 3,743 जातियां पिछड़े वर्ग के मापदंड पर हैं। इस आंकड़ा के लिए उन्होंने 1931 के जनगणना के आधार पर रिपोर्ट तैयार किया,और 12 दिसम्बर 1980 को तत्कालीन गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह को रिपोर्ट सौंपा। जिसके बाद 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री बीपी सिंह ने 7 अगस्त 1990 में इसे लागू किया। ओबीसी वर्ग को समाज में बराबरी का हिस्सा दिलाने के लिए बीपी मंडल ने एक लंबी लड़ाई लड़ी तब जाकर 52 फीसदी ओबीसी आबादी को राष्ट्र निर्माण में हिस्सेदार बनने का अहम मौका मिला है। इस रिपोर्ट में शिक्षा, नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण की अनुशंसा की गई। जिसके बाद आखिरकार पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना जारी की गई। हालांकि देश भर में मंडल कमीशन का विरोध किया गया लेकिन 16 नवंबर,1992 को सुप्रीम कोर्ट ने इस कमीशन को लागू करने का फैसला उचित ठहराया। मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आने के साथ ही खासकर उत्तर भारत में पिछड़े वर्गों की महत्वाकांक्षा का भी विस्फोट हुआ। राजनीति में उनकी दावेदारी मजबूत हुई और अपनी तकदीर खुद लिखने का जज्बा उनमें पैदा हुआ। 1980 के बाद उत्तर भारत में लालू-मुलायम-नीतीश और पिछड़ी जातियों के तमाम नेताओं की आगे आना इसी पृष्ठभूमि में हुआ है। इसे भारतीय राजनीति की मूक क्रांति या साइलेंट रिवोल्यूशन भी कहा गया क्योंकि इसके जरिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विशाल आबादी की हिस्सेदारी बढ़ी। इस मायने में मंडल कमीशन की रिपोर्ट का युगांतकारी महत्व है।
मंडल कमीशन की रिपोर्ट भारत में सामाजिक लोकतंत्र लाने और 52 फीसदी ओबीसी आबादी को राष्ट्र निर्माण में हिस्सेदार बनाने की आजादी के बाद की सबसे बड़ी पहल साबित हुई, जिससे इन वर्गों के लाखों लोगों को नौकरियां मिलीं और शिक्षा संस्थानों में दाखिला मिला। इससे पिछड़े वर्गों की भारतीय लोकतंत्र में आस्था मजबूत हुई और उनके अंदर ये भरोसा पैदा हुआ कि देश के संसाधनों और अवसरों में उनका भी हिस्सा है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बी.पी मंडल साहब, सामाजिक न्याय आंदोलन के महान विचारक, वंचितों, उपेक्षितों को मुख्यधारा में लाने के लिए जीवनपर्यंत संघर्षरत रहे थे।
मंडल आयोग देश में नये युग की शुरूआत कीपिछड़े वर्ग के लोगों के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट युगांतकारी घटना साबित हुई है। हालांकि इस रिपोर्ट को एक दशक तक दबाकर रखा गया। फिर वह दिन भी आ ही गया जब विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार ने 13 अगस्त 1990 को मंडल कमीशन के सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में से एक को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी। अब पिछड़ा वर्ग के लिए सरकारी सेवा में जाने के लिए बंद दरवाजे खुल चुके थे। विरोध प्रदर्शनों और थोड़ी अड़ंगेबाजी के बाद सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगकर 8 सितम्बर, 1993 को फाइनल अधिसूचना भी जारी कर दी गई। मंडल आयोग की दूसरी महत्वपूर्ण सिफारिश के अनुसार केंद्रीय शिक्षण, तकनीकी एवं व्यावसायिक संस्थानों में पिछड़ा वर्ग के लिए प्रवेश के द्वार भी आखिरकार 20 अगस्त, 2008 को खोल दिए गए।
मंडल आयोग की सिफारिशों पर प्रकाश डालते हुए बी.पी. मंडल ने कहा था कि- सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने की जंग को पिछड़ी जातियों के ज़ेहन में जीतना ज़रूरी है। भारत में सरकारी नौकरी पाना सम्मान की बात है। ओबीसी वर्ग की नौकरियों में भागीदारी बढ़ने से उन्हें यकीन होगा कि वे सरकार में भागीदार हैं। पिछड़ी जाति का व्यक्ति अगर कलेक्टर या पुलिस अधीक्षक बनता है तो ज़ाहिर तौर पर उसके परिवार के अलावा किसी और को लाभ नहीं होगा पर वह जिस समाज से आता है, उन लोगों में गर्व की भावना आएगी, उनका सिर ऊंचा होगा कि उन्हीं में से कोई व्यक्ति ‘सत्ता के गलियारों’ में है। वे सामाजिक न्याय के स्वप्नद्रष्टा तथा पिछड़ा वर्ग के मसीहा रहे। मूक क्रांति के नायक के रूप में मशहूर बी.पी. मंडल का 13 अप्रैल, 1982 को हृदय गति रुक जाने से पटना में निधन हो गया। वे जीते जी अपने सिफारिशों को लागू होते हुए नहीं देख पाए, परंतु जब भी पिछड़ा वर्ग के उन्नायकों की सूचि बनेगी, उनका नाम हमेशा आगे रखा जायेगा। वे जमींदार परिवार से होने के बावजूद हमेशा पिछड़ों के पैरोकार रहे। आज जिस तरीके से आरक्षण को खत्म किया जा रहा है। संविधान पर अतिक्रमण हो रहा है। इसलिए वर्तमान समय में मंडल जी और ज्यादा प्रांसगिक है। -
बिहारशरीफ प्रखंड आपूर्ति प्राधिकारी का प्रभार हटाने की मांग की है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष राजकुमार पासवान ने आज जिलाधिकारी नालंदा को एक आवेदन देकर सरमेरा के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को बिहारशरीफ प्रखंड आपूर्ति प्राधिकारी का प्रभार हटाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि बिहारशरीफ से सरमेरा की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है इतने दूरी पर रहने वाले प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को बिहारशरीफ का भी प्रभार देना उचित नहीं है क्योंकि गरीबों का अनाज वितरण में अनुश्रवण हो करने में कठिनाई होगी।
उन्होंने कहा कि बिहारशरीफ के अगल बगल के प्रखंड में पदस्थापित प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को बिहारशरीफ प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी का प्रभार देने की मांग की है।
राजकुमार पासवान अध्यक्ष-राष्ट्रवादी कांग्रेंस पार्टी नालंदा। -
अभिनंदन समारोह कार्यक्रम का आयोजन
भारतीय जनता पार्टी के द्वारा छोटे मुखिया के पार्टी में पुनः वापसी एवं राज्यसभा सांसद शंभू शरण पटेल को मनोनीत होने पर अभिनंदन समारोह कार्यक्रम का आयोजन बिहार शरीफ से आए में हॉल में किया गया था। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में नव मनोनीत राज्यसभा सांसद शंभू शरण पटेल ने शिरकत की। इस अभिनंदन समारोह के बहाने भारतीय जनता पार्टी ने मोटरसाइकिल जुलूस निकालकर शक्ति प्रदर्शन भी किया। अभिनंदन समारोह के दौरान मीडिया से मुखातिब होते हुए राजसभा सांसद शंभू शरण पटेल ने कहा कि अभी जनता दल यूनाइटेड 43 सीटों पर विधानसभा चुनाव में आकर सिमट गई है 2025 तक आते-आते पुनः जितने सीटों से जनता दल यूनाइटेड अपने राजनीतिक शुरुआत की थी उतने ही सीटों पर आकर सिमट जाएगी। जदयू भ्रष्टाचारियों के साथ गठबंधन करने का काम किया है। प्रधानमंत्री बनने का जो दिवा स्वप्न दिखाया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बार बार जब प्रधानमंत्री बनने का सपना आता है तभी वह पलटी मारने का काम करते हैं। इसके पूर्व भी नीतीश कुमार पलटी मारकर पुनः भारतीय जनता पार्टी में आने को लेकर कहा था कि भ्रष्टाचारियों के साथ मेरा दिल नहीं लग रहा है मैं भटक गया था इसीलिए मैं फिर से भारतीय जनता पार्टी में आना चाहता हूं। भारतीय जनता पार्टी का दिल बड़ा होने के कारण नीतीश कुमार को पुनः एनडीए में शामिल किया गया।
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सरकारी काम में बाधा डालने पर धारा 107 के तहत दो हिरासत में
तत्कालीन तौर पर नगर निगम द्वारा चकरसलपुर में बिहार शरीफ नगर निगम का कचरा गिराया जा रहा था। यह एक तत्कालीन व्यवस्था है जिसमें कि जब तक कोई भूमि चिन्हित नहीं हो जाती तब तक नगर निगम द्वारा यहां पर नगर क्षेत्र का कचरा गिराया जाएगा।
इसी क्रम में 15 अगस्त के करीब कुछ लोगों के द्वारा नगर निगम के कार्य में बाधा डालना उत्पन्न कर दिया। इस विषय को लेकर के नगर निगम के पदाधिकारी, अंचल अधिकारी बिहारशरीफ एवं थानाध्यक्ष दीपनगर ने लोगों के साथ बैठक कर उन्हें समझाने का प्रयास किया।
बाधा डालने वाले लोगों को भी समझाया गया कि उपद्रव ना फैलाएं और किसी भी तरह से सरकारी काम में बाधा ना डालें। अगर किसी को किसी भी तरह की समस्या है, तो वह परिवाद के साथ पदाधिकारी से इसका शिकायत कर सकते हैं। जिसके आलोक में अग्रेतर कार्रवाई की जा सकेगी। परंतु वहां पर कुछ उपद्रवी तत्वों ने कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश की एवं उनके द्वारा सरकारी कर्मियों से दुर्व्यवहार किया गया।
अनुमंडल पदाधिकारी के संज्ञान में मामला आने पर उन्होंने थाना अध्यक्ष को निर्देश दिया कि उपद्रव तत्वों को चिन्हित कर उन पर धारा 107 के तहत कार्रवाई की जाए। उक्त आरोप में थाना अध्यक्ष, दीपनगर ने 7 लोगों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्रवाई करने का प्रस्ताव दिया।
नोटिस तमिला के बावजूद जब कल नगर निगम के कर्मचारी वहां पर कचरा गिराने के लिए गए तब फिर से उपद्रवी तत्व द्वारा उन्हें तंग और परेशान किया गया। जिसके आलोक में वहां पर पुलिस बल को भेजा गया। जिसका नेतृत्व नगर प्रबंधक, अंचल अधिकारी एवं थानाध्यक्ष कर रहे थे।
घटना की पुष्टि होने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने वैसे सभी व्यक्ति जिन पर निरोधात्मक कार्रवाई की गई थी, उन सभी को हिरासत में लेते हुए उन्हें बंद पत्र भरवाने का निर्देश दीपनगर थाना अध्यक्ष को दे दिया।
हिरासत में आने के बाद आज दिनांक 24/08/2022 को उन दो व्यक्तियों द्वारा बंधपत्र भरा गया एवं उनके द्वारा क्षमा मांगी गई। उनके द्वारा अनुमंडल न्यायालय में अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष उनको भरोसा दिलाया गया, आगे से किसी भी तरह से इस तरह के कार्य में संलिप्त नहीं होंगे और किसी भी सरकारी काम में बांधा नहीं डालेंगे। उन्होंने अपने अधिवक्ता द्वारा एक आखरी मौका देने के लिए विनती की।
एक आखरी मौका देते हुए अनुमंडल पदाधिकारी ने उन सभी से ₹300000 का निजी बंध पत्र भरवाया, और चेतावनी दी कि अगर दोबारा ऐसी शिकायत आती है तो बंद पत्र को एग्जीक्यूट कर दिया जाएगा।
ज्ञातव्य हो कि अगर चकरसलपुर में नगर निगम द्वारा किए जा रहे कार्य में फिर से अगर यह बाधा डालते हैं तो उन्हें ₹300000 का जुर्माना भरते हुए 1 साल के अवधि के लिए जेल में अनुमंडल पदाधिकारी के आदेश पर बिताना पड़ सकता है। -
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की जिला परिषद का बैठक संपन्न
बिहारशरीफ के बड़ी पहाड़ी स्थित राहुल भवन में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सम्मेलन की तैयारी मैं कमेटी की बैठक कॉमरेड शिवलाल पंडित की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में राज्य कमेटी की ओर से राष्ट्रीय परिषद के सदस्य जानकी पासवान राज्य संगठन मंत्री कॉमरेड बीएन मिश्रा राज्य कार्यकारिणी सदस्य कॉमरेड अर्जुन प्रसाद सिंह भाग लिया बैठक को संबोधित करते हुए बीएन मिश्रा ने बताया कि जिस तरह से देश के अंदर बीजेपी कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन मॉल जोल करके विधायकों को खरीद फरोख्त करके करोड़ों में सत्ता परिवर्तन किया था उसका बदला बिहार ने महागठबंधन के रूप में सरकार बना कर दिया हम लोग सरकार के साथ हैं सरकार में मंत्री बनना नहीं बनना यह कोई बात नहीं हम लोग मजबूत के साथ सरकार के साथ रहेंगे तथा 2024 के चुनाव में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की सख्त आवश्यकता है जिससे आज महंगाई चरम सीमा पर है बेरोजगारी चरम सीमा पर है भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है और खास करके जो राष्ट्रीय संपत्ति को बेच करके अपने कुछ चहेते इजारेदार को बांटने का काम किया है इस पर रोक रोक लगाने की अत्यंत आवश्यकता है बैठक में जिला सम्मेलन की तैयारी पर 12 एवं 13 सितंबर को कतरी सराय के कटौना गांव में होना है उसकी तैयारी के सवाल पर डॉ मनोज कुमार ने बताया कि हमारी तैयारी विराट रूप से चल रही है और हजारों प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे जिसकी व्यवस्था व खान-पान से लेकर ठहरने की व्यवस्था हमारी स्वागत समिति करेगी बैठक को संबोधित करते हुए खेत मजदूर यूनियन के राज्य मंत्री जानकी पासवान ने कहा कि मजदूरों और किसानों के हालात उनकी आर्थिक तथा सामाजिक अत्यंत कठिन परिस्थिति में गुजर रहा जो उनके ऊपर जुल्म और अत्याचार हो रहे हैं महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं उसको रोकने की आज सख्त आवश्यकता है और यह भी होगा जब हम कम्युनिस्ट पार्टी के संगठन को मजबूती से पूरे देश के अंदर मजबूत करेंगे बैठक को संबोधित करते हुए राज्य कार्यकारिणी सदस्य अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि कि यह सम्मेलन दिशा तय करेंगे पूरे देश के अंदर किस तरह से भाजपा के शासन को उखाड़ के फेंक देना है बैठक को सीबीआई के वरिष्ठ नेता राज किशोर प्रसाद ने संबोधित करते हुए बताया कि लाल झंडे की एकता एवं लाली को बरकरार रखते हुए हम सारी लड़ाई को जीतेंगे और देश के अंदर समाजवाद की स्थापना करेंगे तथा इसके अलावा जिला मंत्री नरेश प्रसाद राज किशोर प्रसाद सकलदेव प्रसाद यादव विजय पासवान शिव कुमार यादव रामप्रवेश सिंह मकसूदन पासवान राजेंद्र पंडित दिगंबर वकील हिमांशु मीना देवी अजय पासवान कॉमरेड अलाउद्दीन रामनरेश पंडित आदि ने संबोधित किया तथा संकल्प लिया कि इस जिला सम्मेलन में हम आगे की लड़ाई किसानों और मजदूरों की समस्याओं पर विचार करते हुए देश के अंदर जो फिरका परस्ती ताकते हैं जो समाज को बांटने की साजिश की जा रही है उससे लड़ाई को जीत कर के सत्ता किसान और मजदूरों के हाथ में सौंपने का काम करेंगे