सोमवार की सुबह अचानक जहानाबाद शहर के बड़ी संगत इलाके में एक आग लगी की घटना हो गई । इसके बाद स्थानीय मोहल्ले वासियों ने तुरंत इसकी सूचना फायर ब्रिगेड टीम को दी तो फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंचकर आग को काबू करने में जुटी हुई है।
फिलहाल फायर ब्रिगेड की टीम और स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू भी पा लिया गया है। इस घटना के संबंध में गोदाम के मालिक मोहम्मद जलालुद्दीन ने बताया कि अचानक दवाई गोदाम में सुबह सुबह आग लग गई। जिसकी सूचना मोहल्ले वासियों ने हमें दी तो हम लोग मौके पर पाहुचे। आग लगी घटना में ₹200000 का नुकसान हुआ है ।
वही अगलगी की घटना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शायद पटाखे की चिंगारी के वजह से ही आग लगी है। क्योंकि मोहल्ले वासी ऐसा बता रहे हैं कि पटाखे की आवाज के बाद ही आग लगी है।
7 लाख की लूट का सीसीटीवी फुटेज आया सामने। दरअसल जहानाबाद जिले के घोसी थाना क्षेत्र के बंधु गंज बाजार में रिटायर्ड दरोगा से सात लाख की लूट हो गई थी।
नइमा गांव निवासी गेंदी पासवान एकंगर सराय से बैंक से रुपया निकालकर अपने घर जा रहे थे। बंधु गंज बाजार में बस से उतर कर अपने घर जाने की तैयारी कर रहे थे । इस दौरान बाइक पर सवार होकर दो अपराधी आए और थैला लेकर फरार हो गया।
अब सीसीटीवी सामने आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि अपराधियों की गिरफ्तारी जल्द से जल्द होगी।
कटिहार में बड़ा हादसा बिजली तार गिरने से 3 पिकअप भेंन और एक दुकान जलकर राख।कोढ़ा थाना क्षेत्र के NH31 जुराब गंज के पास हुए इस घटना के बाद आक्रोशित लोग NH31 जाम कर मुआवजे के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
बताया जा रहा है बगल में ट्रांसपोर्ट होने के कारण पिकअप भेंन खाली हो चुका था और बिजली तार गिरने से आग के चपेट में आने से तीनों की का पिकअप भेंन सहित एक दुकान जलकर राख हो गया है।
फिलहाल पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर आग पर काबू पा लिया है और अब सड़क जाम हटाने की कोशिश किया जा रहा है।
पटना जिला में हत्या की वारदात थमने का नाम नहीं ले रहा ताजा मामला मसौढ़ी से आ रहा है जहां प्रॉपर्टी डीलर पप्पू सिंह उर्फ रणविजय सिंह की गोली मारकर अपराधियों ने हत्या कर दिया है।
पप्पू सिंह एक जमीन की नापी करने के लिए पहुंचे थे उसी दौरान बुलेट से आए अपराधियों ने पप्पू सिंह की पहचान कर एक के बाद एक चार गोलियां सीने में उतार दिया और फायरिंग करते हुए फरार हो गए। घटनास्थल पर गोली के 3 बुलेट भी बरामद हुआ है। मृतक के शरीर में गोलियों के निशाना भी है।
घटना से दहशत का माहौल बन गया स्थानीय लोगों की भीड़ लग गई हत्या के पीछे किसका हाथ है अभी पता नहीं चला है पुलिस घटनास्थल पर पहुंची है और मृतक के परिजन भी घटनास्थल पर पहुंचे हैं। जहां उनका रो रो कर बुरा हाल है और पुलिस के प्रति ग्रामीण काफी खफा हैं जमीनी विवाद का मामला भी सामने आ रहा है।
लेकिन यह विवाद किससे है यह भी खुलकर सामने नहीं आया है लेकिन जिस तरह से हत्या किया गया है वह भी दिनदहाड़े हत्या किया गया है उसे पुलिस पर भी सवाल उठते हैं और यह भी बात सामने आई है कि यह विवाद जमीन का था और उसी की नापी के लिए जब पहुंचे थे तो वहां अपराधी बुलेट से आए और गोलियों की बौछार करते हुए चार गोली पप्पू सिंह के सीने में उतार दिया मसौढ़ी पुलिस घटना की जानकारी वह भी मौके पर पहुंची और मामले की तफ्तीश में जुट गई है।
बताया जाता है की मृतक रणविजय उर्फ पप्पू सिंह तरेगना कुम्हार टोली का रहनेवाला था और मसौढ़ी के दिनकर नगर में जमीन की नापी करा रहा था। उसी दौरान हत्या की वारदात हुई है।
मार्बल दुकान के सामने दो बाइक सवार हथियार से लैस अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग की है। रंगदारी को लेकर फायरिंग की गई है। पुलिस ने घटनास्थल से करीब आधा दर्जन गोली का खोखा बरामद कर मामले की जांच कर रही है।
सीवान। सीवान में बेखौफ अपराधियों ने व्यवसाई के दुकान के सामने अंधाधुंध फायरिंग की है जिससे दहशत का माहौल हो गया। घटना बड़हरिया मीरगंज मुख्य सड़क पर खानपुर मोड़ की है।
बताया जा रहा है कि मार्बल शोरूम के मालिक खानपुर निवासी धर्मनाथ सिंह ने बताया है की उनका पुत्र सुनील कुमार अपने मार्बल के शोरूम पर बैठा हुआ था तभी अनजान नंबर से एक फोन आया और फोन के द्वारा रंगदारी मांगी गई। रुपये नहीं देने की स्थिति में अंजाम भुगतने की धमकी दी गई।
उसके ठीक आधे घंटे के बाद चार युवक 2 अपाची मोटरसाइकिल से मुंह बांधे हुए शोरूम पर आए और अंधाधुंध फायरिंग कर फरार हो गए। इस घटना से इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है तो पुलिस घटनास्थल पर पहुंच मामले की जांच में जुट गई है।
लेकिन जिस तरह से फायरिंग की गई है पुलिस के लिए चुनौती है।
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वरीय अधिकारियों के साथ स्टीमर पर सवार होकर विभिन्न गंगा घाटों का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने दानापुर के नासरीगंज घाट से लेकर पटना सिटी के गायघाट तक विभिन्न गंगा घाटों का निरीक्षण किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने गंगा के बढ़े जल स्तर को देखते हुए वरीय अधिकारियों को कई आवश्यक दिशा निर्देश भी जारी किया। मुख्यमंत्री ने घाटों की साफ-सफाई और सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों को भी कई निर्देश जारी किए। बाद में मुख्यमंत्री गायघाट जेटी उतरकर पटना के लिए रवाना हो गए। इस मौके पर जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर, प्रमंडलीय आयुक्त कुमार रवि, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय अग्रवाल, जिलाधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह, एसएसपी मानव जीत सिंह ढिल्लों के अलावे जिला प्रशासन के कई आला अधिकारी मौजूद थे।
हालांकि इस दौरान वरीय पुलिस अधिकारियों ने मीडिया कर्मियों को कवरेज करने से रोक दिया। गौरतलब है कि छठ पूजा की तैयारी को लेकर मुख्यमंत्री का यह पहला घाट निरीक्षण है। मुख्यमंत्री आगे भी छठ घाट की तैयारियों का जायजा लेंगे। गंगा के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि होने से राजधानी पटना के कई घाट अभी डूबे हैं। लोक आस्था का चार दिवसीय छठ महापर्व 28 से 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। छठ पूजा में अब महज दो सप्ताह से भी कम समय बचा है, ऐसे में छठ पूजा को शांतिपूर्ण संपन्न कराना राज्य सरकार और जिला प्रशासन के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को स्टीमर से छठ के घाटों का जायजा ले रहे थे. इस दौरान सीएम हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बच गए. रिपोर्ट के मुताबिक जायजा लेने के दौरान मुख्यमंत्री का स्टीमर गंगा नदी के किनारे स्थित छठ घाट के निरीक्षण के दौरान जेपी सेतु के एक खंभे से टकरा गया. थोड़ी देर के लिए अफरा-तफरी मच गई. हालांकि सीएम सहित नाव में सवार सभी लोग सुरक्षित हैं. फिलहाल गंगा में जलस्तर काफी बढ़ गया है. कई जगह नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इसके कारण समस्या आई।
एनएमसीएच के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह किए गए निलंबित, डेंगू नियंत्रण में अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन नहीं करने, और कार्यों में लापरवाही बरतने के आरोप में किए गए निलंबित।
अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ रेणु रोहतगी बनाई गई एनएमसीएच की अधीक्षक। औषधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अजय कुमार सिन्हा अस्पताल के बनाए गए उपाधीक्षक। स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश।
कल उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने एनएमसीएच का किया था औचक निरीक्षण, औचक निरीक्षण के दौरान अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से खासे नाराज थे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव।
बिहार में ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर जो खेल चल रहा है पूर्णिया एसपी उसका एक प्यादा है और इस प्यादा के सहारे इस खेल को समझा जा सकता है, दयाशंकर 2014 बैच का आईपीएस अधिकारी है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 2016 में उसकी पोस्टिंग अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के रूप में आरा जिला में हुआ और फिर वही से इसे शेखपुरा जिला का एसपी बनाया गया।
शेखपुरा जिला एक अनुमंडल और 9 थाने का जिला है लेकिन अवैध पहाड़ खनन के कारण बिहार का यह धनबाद है । तीन वर्ष से अधिक समय तक ये शेखपुरा का एसपी रहाइस दौरान एसपी के संरक्षण में अवैध खनन की लगातार शिकायतें पुलिस मुख्यालय को मिल रही थी ,हुआ क्या इस पर कार्यवाही होने के बजाय इन्हें 31 दिसम्बर 2021 को शेखपुर से सीधे उठा कर चार अनुमंडल 40 थाना और प्रमंडल मुख्यालय पूर्णिया जिला का एसपी बना दिया गया।
जबकि एसपी की पोस्टिंग करने के समय पटना,मुजफ्फरपुर, दरभंगा,भागलपुर,गया और पूर्णिया में जो सीनियर आईपीएस अधिकारी होते हैं जिनके पास तीन चार जिले में पुलिसिंग का अनुभव रहता है उन्हें पोस्ट किया जाता है । ऐसे में दयाशंकर को सीधे शेखपुरा से पूर्णिया का एसपी बनाये जाना साधारण बात नहीं है क्यों कि नीतीश कुमार के यहां ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर एक व्यवस्था है फाइल हमेशा डीजीपी के यहां से मूव होता है और उसमें डीजीपी को पूरी स्वतंत्रता रहती है किसको कहां पोस्ट करना है और उस अधिकारी का कार्यक्षमता कैसा है वो लिखनी पड़ती है इतना ही नहीं अगर किसी तरह की शिकायत है तो वह भी उस फाइल पर दर्ज करना है और पोस्टिंग से पहले खुल कर चर्चा होती है बहुत कम ऐसे मौके आये हैं जब सीधे सीएम के यहां से नाम डीजीपी को भेजा गया हो। फिर उस लिस्ट पर सीएम,मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ साथ सीएम के प्रधान सचिव बैठ कर निर्णय लेते हैं जिसका पैरवी रहता है उस अधिकारी के नाम के सामने उस नेता का नाम लिखा रहता है ।
पैसा वाला खाता अलग रहता है जो पूरी तौर पर अधिकारी के स्तर पर ही चलता है और उसका अलग अलग तरीका है चाहे आरसीपी का ही जमाना क्यों ना रहा हो है। कौन किस कोटा से हैं इसकी जानकारी सीएम को जरूर रहती है । साथ ही एसपी और डीएसपी स्तर के अधिकारियों के तबादले में नीतीश कुमार डीजीपी के पसंद को नजरअंदाज नहीं करते हैं अभयानंद के बाद जो भी डीजीपी बने सीएम के इस शैली का खूब लाभ उठाया है और जमकर वसूली किया है।
जहां तक मेरी जानकारी है दयाशंकर मामले में नाम डीजीपी कार्यालय से ही आया था और इसके उपर खनन माफिया से साठगांठ और थाना बेचने का जो आरोप लगा था बैठक में इसकी चर्चा तक नहीं हुई ।कहा ये जा रहा है कि दयाशंकर को शेखपुरा से सीधे पूर्णिया पोस्टिंग पर सवाल भी उठे थे लेकिन बैठक में मौजूद अधिकारी दयाशंकर के साथ खड़े थे ।
दयाशंकर बिहार का रहने वाला है लेकिन इसकी कोई ऐसी राजनीतिक पैरवी नहीं है जिसके सहारे शेखपुरा से सीधे पूर्णिया पहुंच जाये हालांकि दयाशंकर के पूर्णिया एसपी बनने के कुछ ही दिनों के बाद सीएम तक यह खबर पहुंचने लगी थी कि पूर्णिया एसपी शराब माफिया से जुड़ कर डालखोला से ट्रक से शराब का तस्करी करावा रहा है और इस सूचना के बाद ही सीएम ने एसपी पूर्णिया पर एक्शन लेने को कहा ।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसे अधिकारियों का फिल्ड में पोस्टिंग कैसे हो जा रहा है जबकि जिला जाने की स्थिति में सौ से ज्यादा आईपीएस अधिकारी सरकार के पास नहीं है कौन क्या है क्या कर सकता है बिहार का बच्चा बच्चा जानता है ऐसे में मुख्यमंत्री जिस विभाग के मंत्री हो वहां इस तरह का खेल हो तो सवाल उठना लाजमी है वैसे इस एक्शन से आईपीएस अधिकारियों में भय तो जरूर व्याप्त हुआ है और पुलिस मुख्यालय स्तर से इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के फील्ड में भेजने से जुड़ी एक फाइल जो काफी तेजी से मूवमेन्ट कर रहा था कल सुबह ही रुक गया देखिए आगे आगे होता है क्या वैसे इस एक्शन के बाद तबादले नीति में बदलाव आएगा ऐसा दिख रहा है।
स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने पूर्णिया के एसपी दया शंकर के कम से कम आठ ठिकानों पर रेड किया है। इस छापेमारी में उनके पास से उनकी आय से 71 लाख 42 हजार अधिक रुपए के सबूत मिले हैं।
एसवीयू ने भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर कोर्ट से सर्च वारंट मिलने के बाद कार्रवाई की है।
दया शंकर, साल 2014 बैच के आईपीएस अफसर हैं। बिहार के कई जिले में एसपी रहे हैं। उनका पदस्थापन विवादित रहा है और उनके खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार की शिकायत मिलती रही है। एसवीयू को लगातार मिली शिकायतों के बाद एडीजी नैय्यर हसनैन खां ने एक जांच टीम गठित किया था। जांच में यह पुष्टि हुई कि आईपीएस दया शंकर ने कई चल -अचल संपत्तियां बनाई हैं, जो उनके आय स्रोत से अधिक है।
प्रथम दृष्टया मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा पाया गया है। प्राथमिक जांच में 71 लाख 42 हजार के सबूत एसवीयू के हाथ लगे हैं।
कोर्ट से सर्च वारंट मिलने के बाद एसवीयू की टीम ने मंगलवार की सुबह पूर्णिया एसपी दया शंकर के पटना स्थित घर और अन्य ठिकानों पर रेड किया। बताया जाता है कि जांच के क्रम में उनसे जुड़े दूसरे लोगों से भी पूछताछ हो सकती है।
बिहार में किसी आईपीएस पर लंबे समय के बाद इस तरह की कार्रवाई हुई है।
बताया जा रहा है कि एसपी के साथ ही उनके रीडर सावन और सदर थाने के एसएचओ संजय सिंह के आवास पर भी छापेमारी चल रही थी।