Category: भ्रष्टाचार

  • प्रखंड प्रमुख पति के दबंगई को लेकर प्रखंड कार्यालय पर उप प्रमुख समेत 13 पंसस का धरना – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    इसलामपुर (नालंदा दर्पण)। इसलामपुर प्रखंड कार्यालय परिसर में प्रखंड प्रमुख मीणा देवी के पति मिथलेश यादव के खिलाफ पंचायत समिति सदस्यों ने धरना दिया।

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    प्रखंड प्रमुख मीणा देवी के पति मिथलेश यादव…

    पंचायत समिति सदस्यों ने कहा कि प्रखंड प्रमुख पति दबंग प्रवृति के है। प्रखंड के कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार करते है। जिससे प्रखंड में भ्रष्टाचार चरम सीमा है और इनके द्वारा योजनाओं का चयन एंव क्रियान्वन में भी भारी पैमाने पर गड़बड़ी की जा रही है।

    पिछले वर्ष भी एक करोड़ से अधिक रुपये का मनमाने ढंग से योजनाओं का चयन और राशि खर्च की गयी। जिसका आज तक उपयोगिता शायद ही दी गयी है। इस वर्ष योजना के चयन में अपनी दबंगता दिखाते हुए विपक्षी पंचायत समितियों के पंचायत के पंचायत योजनाओं से वंचित करने का काम किया जा रहा है।

    किसी पंचायत समिति को योजना भी दी गयी है तो राशि बहुत कम है। जिसकी शिकायत जिला उपविकास आयुक्त और जिला पदाधिकारी और अनुमंडलाधिकारी से पूर्व में किया जा चुका है। फिर भी कुछ नहीं हो सका है।

    21 नवंबर को योजनाओं की जानकारी लेने हेतु वौरीडीह पंचायत समिति सदस्य प्रवीण कुमार प्रखंड के वीपीआरओ के कार्यालय पहुंचे।

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    इस बीच प्रमुख पति अपने सहयोगियों के साथ वीपीआरओ के साथ अभद्र व्यवहार किया  और कहा कि तुम सभी सदस्यों को प्रखंड मे घुसने नहीं देगे। प्रखंड मेरा है। हम जो चाहेंगे। वही होगा।

    प्रमुख पति द्वारा वीपीआरओ और कर्मचारियों को धमकाने और अभद्र व्यवहार की जाने से लोकतंत्र की हत्या व जनता की अधिकार का गला घोटने का काम किया जा रहा है।

    इस प्रमुख पति के हिटलर शाही रवैया के कारण लोकतंत्र बचाने के लिए 26 पंचायत समिति सदस्यों मे 13 पंचायत समिति सदस्य धरना पर बैठे हैं।  जिसमें पंचायत समिति सह उपप्रमुख सुरेंद्र कुमार, पंचायत समित सदस्य ववीता देवी, नीलम देवी, अमरीका देवी, शीला देवी, मुखिया पवन कुशवाहा आदि शामिल हैं।

    इधर, प्रखंड प्रमुख पति मिथलेश यादव ने कहा कि लगाया जा रहा आरोप गलत है।

     

  • शिक्षा विभाग के अफसरों की मिलीभगत से फर्जी सर्टिफिकेट धारी को शिक्षक बना देता है यह मास्टर माइंड – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    बेन  (रामावतार कुमार)। नालंदा  जिले के बेन प्रखंड में दर्जनों ऐसे व्यक्ति हैं जो फर्जी सर्टिफिकेट पर सरकारी शिक्षक बने हैं। जिसमे कई पकड़े गए हैं और उनपर जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा प्राथमिकी भी दर्ज हुई है। फर्जी सर्टिफिकेट धारियों को नौकरी दिलाने के पीछे जिस मास्टर माइंड का हाथ रहा वो कोई और नहीं एक शिक्षक हीं है।

    ★ क्या है मामला:

    फर्जी शिक्षक बहाली मामले में मनीष कुमार, उ० मध्य विद्यालय रामगंज, निरंजन कुमार, मध्य विद्यालय एकसारा, रीना कुमारी, प्रा० विद्यालय रसुल्ला, सत्या कुमारी, प्राथमिक विद्यालय लालगंज की गिरफ्तारी के बाद अन्य फर्जी शिक्षकों में खलबली मच गई थी।

    बीआरसी से लेकर प्रखंड क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। चर्चा यह भी होने लगा कि फर्जी बहाली में बीआरसी का एक शिक्षक हीं मुख्य सरगना है। जो दर्जनों फर्जी सर्टिफिकेट धारी को शिक्षक बना दिया और अकूत संपत्ति बना ली।

    इतना हीं नहीं प्रखंड क्षेत्र में शिक्षक बहाली मामले में भारी गड़बड़ी की शिकायत है। सूत्रों की मानें तो अभी भी मनीष कुमार जैसे दर्जनों से अधिक फर्जी शिक्षक ड्यूटी कर रहे हैं और वेतन उठा रहे हैं।

    ★ क्या है पूरा मामला:

    cruption 1पंचायती राज व्यवस्था में सरकार ने नियोजित शिक्षकों की बहाली करने का जिम्मा पंचायत सचिव, बीडीओ, बीईओ, प्रमुख एवं मुखिया को दिया गया था। लेकिन प्रखंड के पदाधिकारियों, नियोजन इकाईयों एवं सरगना शिक्षक के इशारे पर शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंक अयोग्य अभ्यर्थियों को सरकारी शिक्षक बना दिया और मोटी रकम लेकर फर्जी सर्टिफिकेट धारी को गुरुजी बना दिया।

    बीडीओ, बीईओ, प्रमुख, पंचायत सचिव एवं अन्य समिति में शामिल लोगों ने मनीष कुमार समेत दर्जनों की बहाली कर दी। जब वर्ष 2019 में फर्जी सर्टिफिकेट धारियों की रिपोर्ट जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं प्रमण्डलीय आयुक्त पटना को दी गई तो जांच में पाया गया कि मनीष कुमार एवं अन्य का प्रमाणपत्र किसी दूसरे व्यक्ति का है।

    तत्पश्चात पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार ने मनीष कुमार, सत्या कुमारी, निरंजन कुमार एवं रीना कुमारी के विरुद्ध बेन थानें में कई सुसंगत धाराओं 420, 467, 468, 471, 477A, 193, 120 बी के तहत 134/19 प्राथमिकी दर्ज कराई गई। गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया।लेकिन आज के दिनों में पुनः फर्जी प्रमाण पत्र धारी मनीष कुमार सरकारी शिक्षक बन बैठा है।

    ★ इन शिक्षकों पर हुआ मामला दर्ज:

    1.मनीष कुमार, प्रखंड शिक्षक उ० म० विद्यालय, रामगंज, बेन थाना।

    2.निरंजन कुमार, प्रखंड शिक्षक मध्य विद्यालय एकसारा, बेन थाना।

    3.सत्या कुमारी, पंचायत शिक्षिका प्राथमिक विद्यालय लालगंज, बेन थाना।

    4.रीना कुमारी, पंचायत शिक्षक प्राथमिक विद्यालय, रसुल्ला, बेन थाना।

    इस संबंध में जब बीडीओ अजमल परवेज से बात की गई तो कहा कि जिला शिक्षा पदाधिकारी के ज्ञापांक 1457 दिनांक 5/8/2022 के आदेशानुसार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को अग्रतर कार्रवाई के लिए भेजा गया।

    वहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी किरण ने बताया कि न्यायालय के आदेशानुसार जिला शिक्षा पदाधिकारी के ज्ञापांक 1457 दिनांक 5/8/22 के आलोक में ज्ञापांक 359 दिनांक 8/8/22 निर्गत कर प्रधानाध्यापक को योगदान लेने का निर्देश दिया गया है।

     

     

  • बेन अंचल में सरकारी दस्तावेज में छेड़छाड़ करते दलाल, देखिए वीडियो – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    बेन (रामावतार कुमार)। बेन अंचल कार्यालय में अंचलाधिकारी के संरक्षण में अनाधिकृत व्यक्ति (दलाल) कर्मचारी के दायित्वों का निर्वहन करते नजर आते हैं। मजबूरी में लोगों को अपने कार्य के लिए इन दलालों का हीं सहारा लेते हैं।

    सबसे बड़ी  बात यह है कि हरेक कर्मचारी एक-एक दलाल रखते हैं। यह सब कार्य अंचलाधिकारी के अधिनस्थ कर्मचारी के रूप में होता है। जाहिर है कि इन्हें वेतन तो सरकार देती नहीं, भ्रष्टाचार कर ये लोग मोटी रकम वसूलते और आम आदमी का काम बिना पैसे का नहीं होता।

    हद तो यह है कि राजस्व कर्मचारी भी सरकारी दस्तावेजों को दलालों को सौंप देते हैं। जिसके कारण अनाधिकृत व्यक्ति, गैर जिम्मेदार लोग सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करते हैं।

    दलालों को सरकारी दस्तावेज से छेड़छाड़ करने का हक देना कैसे न्याय संगत है। इन सारे सवाल पर अंचलाधिकारी कुछ नहीं बता पाते तो दूसरी ओर जिले एवं अनुमंडल के पदाधिकारियों द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाता।

    बहरहाल आप भी देख सकते हैं कि संध्या काल में नाजीर संतोष कुमार के कक्ष में एवं अंचल कार्यालय में किस प्रकार दलाल पप्पू कुमार नामक व्यक्ति रजिस्टर टू एवं अन्य दस्तावेजों को उलटफेर करते हैं।

    इस बाबत एकसारा पंचायत के खेदुविगहा निवासी सतेन्द्र सिंह, खैरा पंचायत के विवेक कुमार व अन्य ने कहा कि अंचल में ज्यादातर कार्य दलालों के माध्यम से हीं होता है।

    उन्होंने अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा सरकारी कार्य किए जानें पर भी आपत्ति जताई और कहा कि अवैध तरीके से इन लोगों द्वारा कार्य किया जाना रजिस्टर से छेड़छाड़ किया जाना कतई उचित नहीं है।

    देखिए वीडियो…

     

  • राजगीर अंचल के दो राजस्व कर्मचारियों को नालंदा डीएम ने किया सस्पेंड, एक अन्य राजस्व कर्मचारी बर्खास्त – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क।  राजस्व से संबंधित कार्यों में विभागीय नियमों की अनदेखी करने को लेकर भूमि सुधार उपसमाहर्ता राजगीर से प्राप्त जांच प्रतिवेदन के आधार पर जिलाधिकारी शशांक शुभांकर द्वारा राजगीर अंचल के दो राजस्व कर्मचारी  शैलेन्द्र कुमार एवं संजय कुमार सिन्हा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया तथा एक अन्य पुनर्नियोजित राजस्व कर्मचारी आनंद कुमार की सेवा समाप्त की गई है।

    इनके द्वारा राजगीर अंचल की कुछ विवादित भूमि के दाखिल खारिज की स्वीकृति हेतु प्रतिवेदित किया था जबकि उक्त मामले में स्वत्त्व वाद ( title suit) सक्षम न्यायालय में चल रहा है।

    साथ ही इनके द्वारा  रेलवे, पुरातत्व विभाग, जिला परिषद आदि से संबंधित भूमि को भी किसी अन्य रैयत के नाम पर दाखिल खारिज की स्वीकृति हेतु प्रतिवेदित किया गया। इनके विरुद्ध प्रपत्र ‘क’ गठित करते हुए विभागीय कार्यवाही भी शुरू की गई है।

    विदित हो कि इसी मामले में राजगीर अंचल अधिकारी संतोष कुमार चौधरी के विरुद्ध भी प्रपत्र ‘क’ गठित करते हुए विभाग से कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है।

    जिले में राजस्व संबंधी कार्यों यथा- दाखिल खारिज, परिमार्जन, अतिक्रमणवाद, RTPS सेवा आदि को निर्धारित नियम के तहत अपनाई गई प्रक्रिया के अनुसार निष्पादित करने का निदेश जिला पदाधिकारी, अपर समाहर्ता एवं राजस्व प्रभारी द्वारा बार बार दिए जाते रहे हैं।

    इसके लिए जिला स्तर पर “मानक प्रक्रिया” के अनुरूप प्रपत्र(SOP) भी सभी अंचलों में उपलब्ध कराया गया है। फिर भी कतिपय राजस्व कर्मचारी व अधिकारी द्वारा इनका पालन नहीं किया जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की गईं है।

    जिलाधिकारी का स्पष्ट निदेश है कि विभिन्न परिवाद/वाद का नियमसंगत तरीके से समयबद्ध निपटारा सुनिश्चित किया जाय।

     

  • पिछले पांच सालों में लूटकांड का पर्याय बना रहा राजगीर नगर परिषद ! – Nalanda Darpan – गाँव-जेवार की बात।

    नालंदा दर्पण डेस्क। राजगीर नगर परिषद बोर्ड का गठन वर्ष 2017 के 9 जून को हुआ था। बोर्ड के पूरे पांच साल बीत जाने पर जब पूरे कार्यकाल का मूल्यांकन किया जाय तो पता चलता है कि पूरे पांच साल के काले कारनामों से लगातार बदनामी का दंश ही इस नगर परिषद कार्यालय को देखना पड़ा है।

    Rajgir Municipal Council remained synonymous with loot in the last five years 1जून 2017 के बोर्ड गठन के साथ ही नगर परिषद के बोर्ड बैठक में अलोकतांत्रिक फैसला लेते हुए महत्त्वपूर्ण संचिका को  नगर परिषद उपाध्यक्ष के पास पहले भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया।

    जाहिर है कि ऐसा करके अध्यक्ष को पूरे पांच साल के लिए रिमोट से कंट्रोल करने का प्रयास किया गया। बोर्ड की अध्यक्ष बनी उर्मिला चौधरी को लॉकडाउन की अवधि में ही पद से हटा दिया गया, जिसपर अध्यक्ष ने विभागों में शिकायत दर्ज कराई की उन पर अवैध निकासी का दबाव बनाया जा रहा था।

    इन पांच सालों के कार्यकाल में सबसे बड़ा लूटकांड का आरोप मलमास मेला 2018 के आयोजन पर लगा, जिसमे टेंट पंडाल के नाम पर कुल 3,23,341,96 (तीन करोड़ तेईस लाख चौंतीस हजार एक सौ छियानवे) लाख रुपए की निकासी की गई, जबकि बाढ़ डेकोरेटर नाम की यही कंपनी वर्ष 2015 में लगभग पचास साठ लाख में ही टेंट पंडाल का पूरा काम किया था।ऐसे में मेला के नाम पर अवैध निकासी ने नगर परिषद के काले कारनामों पर जनता की नजरो में मुहर लगा दी।

    खरीददारी के मामले में तो नगर परिषद की सशक्त कमिटी ने जमकर खरीदारी की।लगभग छः करोड़ से अधिक के वाहन, जेटिंग मशीन, सुपर शकर मशीन, लोडर,हैंड कार्ट, ट्रैक्टर, ट्राई साइकिल आदि की खरीददारी बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदे गए।

    पांच सालों के कार्यकाल में नगर परिषद ने कई लोगो को जलापूर्ति योजना में बिना कार्य किए वेतन भी देकर काफी लोकप्रियता हासिल की है। सूत्रों के अनुसार जनप्रतिनिधियों के खासम खास समर्थको को ही इसका लाभ मिलता है।

    Rajgir Municipal Council remained synonymous with loot in the last five years2राजगीर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में अयोग्य लोगो को बहाली से यह प्लांट अब गंदगी बदबू देने लगा है। जनप्रतिनिधि और नगर परिषद में कार्यरत कर्मियों के द्वारा अपने परिवार की बहाली कर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है। अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को हमेशा उजाड़ने वाली नगर परिषद बड़े बड़े अतिक्रमण को संरक्षण भी देने का कार्य की है।

    यही नहीं भले ही लॉक डाउन में किसी की होल्डिंग टैक्स माफ नही हुई हो, लेकिन नगर परिषद अपने खास लोगो के एक साल का वाहन पार्किंग जरूर माफ कर देती हैं।ऐसा पहली बार हुआ है कि नगर परिषद द्वारा जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने पर होल्डिंग टैक्स की वसूली करती है।

    इन पांच सालों के कार्यकाल ने नगर परिषद क्षेत्र में निर्माण कार्य में भी अभी तक का सबसे खराब कार्य देखा है। शहर में नाली,सड़क आदि की योजना बंदरबाट की भेंट चढ़ कर बर्बाद दिखती नजर आती है। शहर के संवेदकों पर कमीशन लेने का दबाव ही शहर की योजनाओं को बर्बाद कर डाला है।

    इन सबके बीच नगर परिषद की लापरवाह व्यवस्था से नागरिक सुविधाएं शून्य के बराबर हैं।जल संकट से जूझ रहे राजगीर के लोग त्राहिमाम कर रहे लेकिन नगर परिषद का भ्रष्ट सिस्टम कान में रुई डालकर सोया हुआ है।

    जल जीवन हरियाली के नाम पर मृत कुंए को डेटिंग पेंटिंग कर पैसे की निकासी हुई लेकिन वैतरणी नदी की सुध लेने को कोई तैयार नहीं हुआ। वोट बैंक की राजनीति के तहत लेदुआ पुल के पास तो नदी में ही मकान और नदी में ही रास्ता बनवा दिया गया, जिससे भविष्य में वैतरणी नदी की जलधारा अनेकों स्थान पर पहुंचने से वंचित रहेगी। पंडितपुर तालाब और लेनीन नगर तालाब का जिर्णोदार कराने में भी नगर परिषद लापरवाह साबित हुई।

    पांच साल के कार्यकाल ने ऐसे अनेकानेक कुकृत्यो की वजह से ही नगर परिषद काफी बदनाम हो गई है। बिना कार्य किए राशि की निकासी, अवैध निकासी, टेंडर घोटाला, विभागीय कार्य में अनियमित्तता आदि ने नगर परिषद को लूटकांड का पर्याय बना दिया है।