Category: फ़िल्म

  • बिहार नेशनल एक्सलेंस अवार्ड 2022 से नवाजा गया

    सर्वेश कश्यप को आईपीएस विकास वैभव द्वारा ग्लोबल बिहार नेशनल एक्सलेंस अवार्ड 2022 से नवाजा गया

    भावुक कर देने वाला क्षण अवार्ड देने व लेने वाले दोनों बेगूसराय जिले के मूल निवासी

    फ़िल्म पीआरओ सर्वेश कश्यप को गृह विभाग के विशेष सचिव आईपीएस विकास वैभव द्वारा ग्लोबल बिहार नेशनल एक्सलेंस अवार्ड 2022 से सम्मानित किया गया। सर्वेश कश्यप को यह अवार्ड फ़िल्म – मनोरंजन उद्योग में उनके उल्लेखनीय कार्यो के लिए दिया गया। यह अवार्ड उन्हें शुक्रवार को शाम पटना में आयोजित भव्य कार्यक्रम के दौरान गृह विभाग के विशेष सचिव विकास वैभव के हाथों दी गयी। कार्यक्रम में देश के कोने कोने में विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रहे बिहारी मूल के कई बड़े चेहरे और प्रदेश सरकार से कई बड़े अधिकारी भी मौजूद रहें।

    सम्मान मिलने पर सर्वेश उत्साहित हैं और कहते हैं अभी और मेहनत करनी है । अपने समाज अपने क्षेत्र और अपने माता पिता का नाम ऊंचा करना है। जनसंपर्क के क्षेत्र में कमाल का स्कोप है अधिक से अधिक युवा इस क्षेत्र में आये। बिहार में जनसंपर्क के क्षेत्र अभी और भी कई प्रयोग भी करने हैं। अभी हाल ही में वैशाली मोशन पिक्चर्स नामक फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी की शुरुआत की है। बीते 4 नबम्बर को वैशाली मोशन पिक्चर्स द्वारा ही प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता राहुल देव,अतुल श्रीवास्तव,अहम शर्मा,समीक्षा भटनागर स्टारर हिंदी फिल्म धूप छाँव का पैन इंडिया डिस्ट्रीब्यूशन किया गया। भविष्य की कई अन्य बड़ी योजनाओं पर भी कार्य कर रहा हूँ।

    आईपीएस विकास वैभव ने भी सर्वेश कश्यप को अवार्ड देते वक्त कहा खूब मेहनत से आगे बढ़ो व अपने क्षेत्र जिला बेगूसराय का नाम रौशन करो। ये क्षण काफी भावुक करने वाला था जब अवार्ड देने वाले और लेने वाले दोनों बेगूसराय जिले से ही थे।

    सर्वेश कश्यप फ़िल्म उद्योग में पी. आर.ओ के रूप में प्रसिद्ध हैं। वे लगभग 90 क्षेत्रीय भाषा व दर्जन भर हिंदी फ़िल्म सहित कई बड़े सितारे एवम बिहार झारखंड के विभिन्न चैनलों में पीआरओ के रूप में कार्य कर चुके हैं। जिसमे महुआ ,महुआ प्लस ,ढिशुम,भोजपुरी सिनेमा, बिग गंगा सहित प्रसिद्ध कलाकार राहुल देव,अतुल श्रीवास्तव, अहम शर्मा, गुरमीत चौधरी,बॉलीवुड सिंगर तोचि रैना,बॉलीवुड गायिका शिल्पा राव, भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ,पवन सिंह, यश कुमार, अरविंद अकेला कल्लू, अभिनेत्री मोनालिसा,अक्षरा सिंह, पूनम दुबे,निधि झा, निर्देशक अभिषेक कुमार, मिस इंडिया यूनिवर्स शिल्पा सिंह, विक्रांत सिंह, फ़ॉर एवर बिग एंटरटेनमेंट, सेवन विंग्स इंटरटेनमेंट,आदिशक्ति फिल्म्स के निजी जनसंपर्क अधिकारी रह चुके हैं ।

  • यश कुमार की पहेली, चौकाने वाला है फर्स्ट लुक

    अलग अलग सब्जेक्ट पर फिल्मे करना इनकी विशेषता है। आम फिल्मो से अलग यश ने हमेशा यूनिक कन्टेन्ट ही चुना। तभी तो इनके फैन्स ने इन्हें यूनिक स्टार का उपनाम दिया है। यूनिक स्टार यश कुमार ने अपने ऑफिसियल सोशल मीडिया आईडी से अपने अपकमिंग फिल्म पहेली का फर्स्ट लुक जारी किया है। यश के पहेली का ये फर्स्ट लुक काफी चौकाने वाला है। फर्स्ट लुक में यश 2 शेड में दिख रहे हैं। एक मे ठेठ गवई अंदाज और दूसरे में शहरी लुक काफी रोमांचित करने वाला है। फर्स्ट लुक रिवील होते ही सोशल मीडिया व व्हाट्सएप ग्रुप्स में खूब शेयर किये जा रहे हैं।

    पहेली के विषय मे यश कहते हैं, पहेली एक अनोखी फ़िल्म है। सस्पेंस थ्रिलर फिल्में भोजपुरी में कमतर देखने को मिलती हैं। दर्शको की उम्मीदें अब काफी बढ़ गयी हैं और ये फ़िल्म उनके उम्मीदों पर खड़ा उतरेगी। पहेली हमारे बेहतरीन फिल्मो में से एक है। वर्तमान में यश भोजपुरी सिनेमा उद्योग के सबसे व्यस्ततम अभिनेता हैं। इनकी फिल्मे लगातार सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। यश की दर्जनों फिल्मे रिलीज के लिए तैयार हैं। पहेली के निर्माता कमल यादव व कपिल पांडे और निर्देशक शिवजीत कुमार हैं।

  • टेलीविजन इंडिया से दूरदर्शन और रामानंद सागर ,फिर देवी देवताओं के दिव्यदर्शन

    एक दिलचस्प कहानी :-(साभार इंटरनेट) संकलन-कुमुद रंजन सिंह,:—- भारत मे टीवी 1959 में शुरू हुआ। तब इसे टेलीविजन इंडिया कहा जाता था। बहुत ही कम लोगों तक इसकी पहुंच थी। 1975 में इसे नया नाम मिला दूरदर्शन। तब तक ये दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता तक सीमित था, जब तक कि 1982 में एशियाड खेलों का प्रसारण सम्पूर्ण देश मे होने लगा था। 1984 में ‘बुनियाद’ और ‘हम लोग’ की आशातीत सफलता ने टीवी की लोकप्रियता में और बढ़ोतरी की।

    कहानी 1976 में शुरू हुई।फ़िल्म निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर अपनी फिल्म ‘चरस’ की शूटिंग के लिए स्विट्जरलैंड गए। एक शाम वे पब में बैठे और रेड वाइन ऑर्डर की। वेटर ने वाइन के साथ एक बड़ा सा लकड़ी का बॉक्स टेबल पर रख दिया। रामानंद ने कौतुहल से इस बॉक्स की ओर देखा। वेटर ने शटर हटाया और उसमें रखा टीवी ऑन किया। रामानंद सागर चकित हो गए क्योंकि जीवन मे पहली बार उन्होंने रंगीन टीवी देखा था। इसके पांच मिनट बाद वे निर्णय ले चुके थे कि अब सिनेमा छोड़ देंगे और अब उनका उद्देश्य प्रभु राम, कृष्ण और माँ दुर्गा की कहानियों को टेलेविजन के माध्यम से लोगों को दिखाना होगा।

    टेलीविजन इंडिया से दूरदर्शन और रामानंद सागर ,फिर देवी देवताओं के दिव्यदर्शन

    इधर रामानंद सागर उत्साह से रामायण की तैयारियां कर रहे थे। लेकिन टीवी में प्रवेश को उनके साथी आत्महत्या करने जैसा बता रहे थे। सिनेमा में अच्छी पोजिशन छोड़ टीवी में जाना आज भी फ़िल्म मेकर के लिए आत्महत्या जैसा ही है। रामानंद इन सबसे अविचलित अपने काम मे लगे रहे। उनके इस काम पर कोई पैसा लगाने को तैयार नहीं हुआ।

    जैसे-तैसे वे अपना पहला सीरियल ‘विक्रम और वेताल’ लेकर आए। सीरियल बहुत सफल हुआ। हर आयुवर्ग के दर्शकों ने इसे सराहा। यहीं से टीवी में स्पेशल इफेक्ट्स दिखने लगे थे। विक्रम और वेताल को तो दूरदर्शन ने अनुमति दे दी थी लेकिन रामायण का कांसेप्ट न दूरदर्शन को अच्छा लगा, न तत्कालीन कांग्रेस सरकार को। यहां से रामानंद के जीवन का दुःखद अध्याय शुरू हुआ।

    दूरदर्शन ‘रामायण’ दिखाने पर सहमत था किंतु तत्कालीन कांग्रेस सरकार इस पर आनाकानी कर रही थी। दूरदर्शन अधिकारियों ने जैसे-तैसे रामानंद सागर को स्लॉट देने की अनुमति सरकार से ले ली। ये सारे संस्मरण रामानंद जी के पुत्र प्रेम सागर ने एक किताब में लिखे थे। तो दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में रामायण को लेकर अंतर्विरोध देखने को मिल रहा था। सूचना एवं प्रसारण मंत्री बीएन गाडगिल को डर था कि ये धारावाहिक न केवल हिन्दुओं में गर्व की भावना को जन्म देगा अपितु तेज़ी से उभर रही भारतीय जनता पार्टी को भी इससे लाभ होगा। हालांकि राजीव गांधी के हस्तक्षेप से विरोध शांत हो गया।

    टेलीविजन इंडिया से दूरदर्शन और रामानंद सागर ,फिर देवी देवताओं के दिव्यदर्शन

    इससे पहले रामानंद को अत्यंत कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। वे दिल्ली के चक्कर लगाया करते कि दूरदर्शन उनको अनुमति दे दे लेकिन सरकारी घाघपन दूरदर्शन में भी व्याप्त था। घंटों वे मंडी हाउस में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतज़ार करते। कभी वे अशोका होटल में रुक जाते, इस आस में कि कभी तो बुलावा आएगा। एक बार तो रामायण के संवादों को लेकर डीडी अधिकारियों ने उनको अपमानित किया। ये वहीं समय था जब रामानंद सागर जैसे निर्माताओं के पैर दुबई के अंडरवर्ल्ड के कारण उखड़ने लगे थे। दुबई का प्रभाव बढ़ रहा था, जो आगे जाकर दाऊद इंडस्ट्री में परिवर्तित हो गया।

    1986 में श्री राम की कृपा हुई। अजित कुमार पांजा ने सूचना व प्रसारण का पदभार संभाला और रामायण की दूरदर्शन में एंट्री हो गई। 25 जनवरी 1987 को ये महाकाव्य डीडी पर शुरू हुआ। ये दूरदर्शन की यात्रा का महत्वपूर्ण बिंदु था। दूरदर्शन के दिन बदल गए। राम की कृपा से धारावाहिक ऐसा हिट हुआ कि रविवार की सुबह सड़कों पर स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू लगने लगा।

    इसके हर एपिसोड पर एक लाख का खर्च आता था, जो उस समय दूरदर्शन के लिए बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। राम बने अरुण गोविल और सीता बनी दीपिका चिखलिया की प्रसिद्धि फिल्मी कलाकारों के बराबर हो गई थी। दीपिका चिखलिया को सार्वजनिक जीवन मे कभी किसी ने हाय-हेलो नही किया। उनको सीता मानकर ही सम्मान दिया जाता था।

    अब नटराज स्टूडियो साधुओं की आवाजाही का केंद्र बन गया था। रामानंद से मिलने कई साधु वहां आया करते। एक दिन कोई युवा साधु उनके पास आया। उन्होंने ध्यान दिया कि साधु का ओज बहुत तेजस्वी है। साधु ने कहा वह हिमालय से अपने गुरु का संदेश लेकर आया है। तत्क्षण साधु की भाव-भंगिमाएं बदल गई। वह गरज कर बोला ‘ तुम किससे इतना डरते हो, अपना घमंड त्याग दो। तुम रामायण बना रहे हो, निर्भिक होकर बनाओ। तुम जैसे लोगों को जागरूकता के लिए चुना गया है। हिमालय के दिव्य लोक में भारत के लिए योजना तैयार हो रही है। अतिशीघ्र भारत विश्व का मुखिया बनेगा।’

    आश्चर्य है कि रामानंद जी को अपने कार्य के लिए हिमालय के अज्ञात साधु का संदेश मिला।

    सत्यमशिवमसुन्दरम

  • जानवर और इंसान,फर्स्ट लुक जारी होते ही हो रहे हैं

    भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री में हर साल तरह-तरह की फिल्में बनाई जाती हैं। एक्शन, लव स्टोरी, हॉरर, कॉमेडी आदि। लेकिन एक फ़िल्म बेहद खास विषय पर बनाई गई है। यह बेहद खास फ़िल्म जानवरों के ऊपर बनाई गयी हैं,जिनमें इंसान और जानवर के बीच के प्रेम को दर्शाया गया है। इस प्रकार की फिल्में हर दर्शक वर्ग को पसंद आती है। भारतीय फिल्मो में शुरू से ही पशु प्रेम को दर्शाया गया है।

    तेरी मेहरबानियां, जंगली, परिवार आदि कई ऐसी फिल्मे हैं जिनमे जानवर और इंसान के प्रति प्रेम को देखते ही दर्शकों की आंखें नम हो जाती हैं। अब भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री में भी ऐसी बेहतरीन फिल्मो का निर्माण किया जा रहा है। प्रयोग करने में माहिर अभिनेता यश कुमार की फ़िल्म जानवर और इंसान का फर्स्ट लुक जारी किया जा चुका है और पोस्टर में यश दो कुत्ते के साथ नजर आ रहे हैं। फर्स्ट लुक को सोशल मीडिया पर धराधर शेयर किया जा रहा है। यश कुमार की यह फ़िल्म जानवर और इंसान के बीच एक मार्मिक प्रेम को दर्शायेगा। फ़िल्म का निर्माण यश कुमार इंटरनेटमेन्ट द्वारा किया गया है और निर्देशक राज किशोर प्रसाद हैं।

    फर्स्ट लुक से ही इस फ़िल्म को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। अब देखना ये दिलचस्प होगा फ़िल्म कितना कमाल कर पाती है। फ़िल्म के विषय मे यश कहते हैं पारिवारिक फिल्मो के दुसरे दौर की शुरुआत करने का श्रेय लोग मुझे देते हैं तो मैंने सोचा जानवर भी तो हमारे परिवार का हिस्सा होते हैं ।

    क्यों न हम उनके जज्बात को भी पर्दे पर दिखाए। ये हर परिवार की कहानी है जिसे देख दर्शको को अपनी परिवार याद आने वाली है और मैं ये दावा करता हूँ मेरी अन्य फिल्मो के तरह इस फ़िल्म को भी बेहतरीन रेटिंग मिलेगी। फ़िल्म का निर्माण जिस भव्यता से किया गया है उसी भव्यता से इसके प्रदर्शन की तैयारी भी जारी है। फ़िल्म के लेखक राकेश त्रिपाठी,डीओपी जहांगीर शैयद,कार्यकारी निर्माता शैलेन्द्र सिंह व पीआरओ सर्वेश कश्यप हैं।

  • भोजपुरी फ़िल्म प्यार काहे बनाया राम ने भव्य पैमाने पर रिलीज हो रही है।

    5 अगस्त को भोजपुरी फ़िल्म प्यार काहे बनाया राम ने भव्य पैमाने पर रिलीज हो रही है। फ़िल्म को ले कर बिहार विधानसभा सदस्य व प्रसिद्ध गीतकार संगीतकार विनय बिहारी के आवास पर एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। फ़िल्म के विषय मे विनय बिहारी ने अपने संबोधन में कहा विडंबना है हमारी इंडस्ट्री के दो बड़े सुपरस्टार आज इसे गर्त में ले के जा चुके हैं।इन लोगो ने गंदगी का सहारा ले स्टारडम पाई है इसीलिए इन्हें इसकी कद्र नही है। इन्ही बातों से आहत हो हमने कई वर्षों बाद एक ऐसी फिल्म बनाई जिससे मैं पूरी तरह संतुष्ट हूँ। दावे के साथ कह सकता हूँ फ़िल्म पूरी परिवार के साथ देखने लायक है साथ भोजपुरी दर्शको को इस फ़िल्म पर गर्व होने वाला है। इस फ़िल्म के जरिये भोजपुरी इंडस्ट्री में हो रहे असली बदलाव को महसूस किया जा सकता है।

    भोजपुरी फ़िल्म प्यार काहे बनाया राम ने भव्य पैमाने पर रिलीज हो रही है।

    विधायक विनय बिहारी ने बिहार के थिएटरों के प्रति सरकार की उदासीनता पर भी सवाल खड़े किए हैं। सड़क, बिजली और शिक्षा के अलावे मनोरंजन भी समाज के प्रगति का एक अहम हिस्सा है। सूबे के युवाओं के चहुमुखी विकास हेतु सरकार को थियेटर, नाट्य संस्था, फ़िल्म पॉलिसी आदि पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जब मैं कला संस्कृति मंत्री था सिर्फ इन्ही विषयो पर काम करता रहा। कभी मनोरंजन का हव था ये राज्य आज कई जिले थियेटर विहीन हो चुके हैं। आज बिहार में चालू सिनेमाघरों की संख्या 100 भी नही रहा , अकेले हैदराबाद में शहर में 122 थियेटर हैं। नीतीश की हम तो आग्रह कर सकते हैं कि इस ओर ध्यान दीजिए नही तो वो दिन दूर नही जब आपको यहाँ के कलाप्रेमी आपको अपने से दूर कर देगी। इतनी विषम परिस्थिति में भी हमने एक साफ सुथरी और उम्दा फ़िल्म बनाई है और भव्यता के साथ रिलीज करने की योजना है। ट्रेलर और गानों को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं उम्मीद है फ़िल्म यहाँ की सबसे बड़ी साबित होने वाली है। फ़िल्म में निर्माता अमित कुमार सिंह, संयोग कुमार व लेखक निर्देशक राजीव मिश्रा,पीआरओ सर्वेश कश्यप भी मौजूद रहें। फ़िल्म में राकेश मिश्रा, अविनाश शाही,हॉट केक अंजना सिंह,विनय बिहारी,पायल बंसल प्रसिद्ध खलनायक संजय पांडे,देव सिंह,आर.के.बाबा, सुवंती बनर्जी, रूपा सिंह, पिंकी सिंह ,जयंत सिंह अहम भूमिका में नजर आएंगे। फ़िल्म 5 अगस्त को वैशाली मोशन पिक्चर्स द्वारा रिलीज की जा रही है।