Category: Bihar News

  • CM नीतीश कुमार पर आपत्तिजनक पोस्ट करना पड़ा भारी, पुलिस ने किया गिरफ्तार, 20 लोगों पर FIR

    लाइव सिटीज पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करना एक व्यक्ति को भारी पड़ गया है. दरअसल सीएम को लेकर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए फेसबुक पोस्ट करने वाले व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बताया जा रहा है कि व्यक्ति ने एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है. सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो गया. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने आरोपी व्यक्ति पर एक्शन लिया है. पुलिस के अनुसार आरोपी व्यक्ति नवादा का रहने वाला है.

    CM नीतीश कुमार पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर पुलिस नें जिस व्यक्ति गिरफ्तार किया है. उसका नाम टिंकल कुमार बताया जा रहा है. वो नवादा के रजौली का रहने वाला है. उसके पिता का नाम अजय पांडेय है. वायरल वीडियो में मास्क लगाकर कुछ लोग अनाप-शनाप बातें कर रहे हैं और सीएम के खिलाफ नारे भी लगा रहे हैं. इस आपत्तिजनक वीडियो को देखकर कई लोगों ने लाइक किया है. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के साथ ही 20 अन्य लोगों पर भी एफआईआर किया है. अभद्र भाषा का प्रयोग को लेकर आईटी एक्ट सहित अन्य कई धाराओं में पुलिस के द्वारा केस दर्ज किया गया है.

    आरोपी टिंकल कुमार ने पुलिस को बताया कि उसे वो वीडियो सोशल मीडिया से मिली थी. इसके बाद उसे वीडियो के पोस्ट कर दिया. पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई तेज कर दी है. दर्ज एफआईआर के आधार पर अन्य लोगों की तलाश की जा रही है. बता दें कि फेसबुक पर किसी भी सामग्री को पोस्ट करने के लिए एक कम्यूनिटी गाइडलाइन बनाया गया है. इसका पालन नहीं करने पर विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस कार्रवाई कर सकती है. वहीं इसके साथ ही फेसबुक भी अपने स्तर से एक्शन ले सकता है.

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  • स्वतन्त्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल

    स्वतन्त्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल सैकड़ों लोगों को ग्राम नियोजन केन्द्र बस्ती हरनौत द्वारा तिरंगा झण्डा वितरण किया गया और लोगों को आजादी के वीर सपूतों को याद किया गया।।

  • स्वतंत्रता दिवस के पूर्व से ही नालंदा जिले में देशभक्ति कार्यक्रमों का आयोजन

    देश की 75वीं आजादी दिवस पूरे भारत में सबसे खास हो गया है। देशभक्ति के रंगो में पूरा भारत रंग चुका है। ठीक स्वतंत्रता दिवस के एक सप्ताह पूर्व से ही नालंदा जिले में देशभक्ति कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी दौरान शनिवार को पावापुरी स्थित तीर्थकर महावीर विद्या मंदिर स्कूल के प्रांगण में नालंदा सहोदया क्लस्टर के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि जगदीश बर्मन ( क्षेत्रीय अधिकारी, सीबीएसई पटना ), सज्जन कुमार (सहायक सचिव, सीबीएसई पटना), अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह, सचिव आशीष रंजन, कोषाध्यक्ष कौशल किशोर, समन्वयक टी टी जोसेफ एवं विरायतन की साध्वी माता द्वारा के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

    उसके बाद नालंदा सहोदया क्लस्टर के अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम में आए सभी गणमान्य अथितियों व स्कूली बच्चों का स्वागत किया। अरविन्द कुमार सिंह ने कहा कि देश पर कुर्बान हो जाने वाले शहीदों के कारण ही हम आज आजादी की खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। हम सभी का कर्तव्य है कि शहीदों को न भूलें और बच्चों व युवाओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित करें।

    और फिर एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम को अपनी सुरीली आवाज से “भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं” गाने से कार्यक्रम को आगे बढ़ाया उसके बाद कार्यक्रम में जिले भर के स्कूलों के छात्र छात्राओं ने देशभक्ति भरी गीत, संगीत नृत्य व नाटक की प्रस्तुति कर हमारे देश के आज़ादी में अहम भूमिका निभाने वाले वीर शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित किया।

    जिसमें जिले के नालंदा विद्या मंदिर स्कूल, साबरमती ज्ञान निकेतन, संत जोसेफ एकेडमी, जेपी इंटरनेशनल स्कूल, आरपीएस स्कूल कचहरी, सीता सरण मेमोरियल स्कूल, मदर टेरेसा हाई स्कूल, सदर आलम मेमोरियल स्कूल, विद्या ज्योति स्कूल, संत पॉल इंग्लिश स्कूल, तीर्थकर महावीर विद्या मंदिर, आरपीएस मकनपुर, संत मैरी स्कूल, डैफोडिल पब्लिक स्कूल, मानस भूमि सीनियर सेकेंडरी स्कूल, कैंब्रिज स्कूल, विकास इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, रोज़मेरी लैंड स्कूल के बच्चो ने अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर कार्यक्रम में आए अथितियो को देशभक्ति के रंगो में रंग दिया।कार्यक्रम में पटना व दिल्ली के कई जाने माने किताबों के प्रकाशक भी शामिल हुए साथ ही जिले भर के स्कूलों के निर्देशक, प्राचार्य, शिक्षक, अभिभावक व छात्र छात्राएं शामिल हुए।

  • आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान

    आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री रितुराज सिन्हा नालंदा जिले के भागन बीघा इलाके में पहुंचे। जहां से उन्होंने 13-15 अगस्त तक चलने वाले हर घर तिरंगा यात्रा का शुभारंभ किया।
    इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह हर भारतवासियों के लिए गर्व का अवसर है कि हमारा देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है।

    अगर हर भारतवासी अपने घरों पर झंडा फहराएँगे तो तो सही मायने में भारत का गौरव बढ़ेगा। वहीं राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी और कहा तेजश्वी यादव ने खुद कही कहा है कि मैं डिप्टी सीएम हुआ हूं सीएम नहीं बना हूं।

    आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान  आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान

    उन्होंने कहा कि अगर आप डिप्टी सीएम बने हैं तो 10 लाख तो नहीं कम से कम आधा वादा तो पूरा कीजिए साढे 4 लाख पद जो सरकारी रिक्त हैं। जो खुद आप बार-बार यह कह कर याद दिला रहे हैं। आप से बिहार की युवाओं को आशा है कि आप अपने पहले कैबिनेट की बैठक में है इन साढ़े चार लाख पदों की नियुक्ति करवाने का काम करेंगे। तब जाकर बिहार की युवा मानेगा कि सही मायने में युवा हमारा डिप्टी सीएम हुआ है।

  • बिहार में नालंदा का भारत छोडो आंदोलन और हिलसा थाना गोलीकांड

    राकेश बिहारी शर्मा – सन् 1857 में भारत में पहला स्वतंत्रता संग्राम आरंभ हुआ, जिसमें अंग्रेजों के विरुद्ध व्यापक स्तर पर सशस्त्र संघर्ष हुआ, लेकिन इसका क्षेत्र सीमित था। अंग्रेजों के विरुद्ध यह संघर्ष दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों तक सीमित रहा। देश के अन्य क्षेत्रों से अंग्रेजों की सहायता के लिए शीघ्र ही भारी मात्रा में मदद पहुँच गई। यह विद्रोह दबा दिया गया, लेकिन संघर्ष चलता रहा। 9 अगस्त, 1942 को अंग्रेजों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन आरंभ हुआ। बिहार में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की सुगबुगाहट द्वितीय विश्वयुद्ध के आरंभिक दौर से शुरू हुई, जब ब्रितानी सरकार ने बिना घोषणा और स्थानीय नेताओं को विश्वास में लिये भारतीय फौज को विश्वयुद्ध में झोंक दिया।

    अंग्रेज सरकार की इस कारगुजारी का देश सहित बिहार में भी विरोध हुआ 7 व 8 अगस्त, 1942 को बंबई में आयोजित कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित हुआ और तीन मुख्य बातें उभरकर सामने आईं। पहली, ‘करो या मरो’; दूसरी, ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ और तीसरी, ‘आज से हर भारतवासी अपने को स्वतंत्र समझे।’ भारत आजाद कराने के लिए अब वह अपना नेता स्वयं है उसे अन्य किसी नेतृत्व की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद देश भर में अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन आरंभ हो गया। बिहार में भी जगह-जगह आंदोलन हो रहे थे। आंदोलनों का नेतृत्व जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया, रामवृक्ष बेनीपुरी, बाबू श्यामनंदन, कार्तिक प्रसाद आदि क्रांतिकारी नेताओं के हाथों में था।

    अंगरेजी सरकार के विरुद्ध बिहार में क्रांतिकारियों का आजाद दस्ता

    क्रांतिकारियों ने ‘आजाद दस्ता’ नाम का एक संगठन बना लिया था। इसकी स्थापना जयप्रकाश नारायण ने नेपाल की तराई के जंगलों में रहकर की थी। यह दस्ता क्रांतिकारियों को छापामार युद्ध एवं विदेशी शासन के विरुद्ध लड़ाई का प्रशिक्षण देता था। इसने ब्रितानी सरकार को नाकों चने चबवा दिए थे। काफी धर पकड़ के बाद आखिर मई 1943 में जयप्रकाश नारायण, डॉ. लोहिया, रामवृक्ष बेनी पुरी आदि नेताओं को गिरफ्तार कर हनुमान नगर जेल में डाल दिया गया।

    क्रांतिकारी सियाराम ब्रह्मचारी दल

    इस दल का गठन सियाराम सिंह ने किया। वे सुल्तानगंज के तिलकपुर गाँव के निवासी थे। यह दल सरकारी खजाने को लूटकर उनसे अस्त्र-शस्त्र खरीदता था और युवा क्रांतिकारियों को प्रशिक्षित करके आजादी की लड़ाई में शामिल करता था। ज्यादातर यह दल अपनी गतिविधियाँ गुप्त रूप से संचालित करता था, लेकिन पुलिस के साथ इसकी खूनी झड़पें आम थीं। इस संगठन का प्रभाव मुंगेर, बलिया, भागलपुर, सुल्तानगंज, पूर्णिया आदि जिलों में व्याप्त था। बाँका-देवघर के पहाड़ों में खौजरी पहाड़, मंदार, बाराहाट और ढोलपहाड़ी जैसे दुर्गम स्थान इन आंदोलनकारियों के छिपने के ठिकाने थे, जहाँ बैठकर ये भारत को आजाद कराने की योजनाएँ बनाया करते थे।

    सचिवालय गोलीकांड और आंदोलनकारियों द्वारा राष्ट्रीय झंडा फहराना

    अंग्रेजो, भारत छोड़ो के राष्ट्रीय आह्वान पर 11 अगस्त, 1942 के दिन बिहार की राजधानी पटना में छात्रों का एक समूह जुलूस निकालता हुआ सचिवालय की ओर बढ़ रहा था। इनका इरादा सचिवालय भवन के सामने विधायिका की इमारत पर राष्ट्रीय झंडा फहराना था। जुलूस में प्राथमिक छात्रों से लेकर कॉलेज के सीनियर छात्र तक शामिल थे। सभी छात्र हाथों में तख्तियाँ लिये आजादी के तराने गाते हुए आगे बढ़ रहे थे कि सहसा उनकी ओर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार होने लगी। एकाएक जैसे आसमान टूट पड़ा हो। किसी की समझ में नहीं आया, क्या और कैसे हुआ ? जब तक समझे, तब तक देर हो चुकी थी। पटना के जिलाधिकारी डब्ल्यू. जी. आर्थर ने निहत्थे छात्रों पर गोली चलवा दी थी। पुलिस ने 13-14 राउंड गोलियाँ बरसाईं। चीख-पुकार और खून से सचिवालय का इलाका थर्रा उठा। 25 से ज्यादा छात्र गंभीर रूप से घायल हुए और 7 छात्र शहीद हो गए।
    इस घटना के बाद भारत छोड़ो आंदोलन ने बिहार में और भी उग्र रूप ले लिया। राज्य भर में पुलिस और आंदोलनकारियों में खूनी झड़पें होने लगीं। 9 नवंबर, 1942 को दीवाली थी। पुलिस की निष्क्रियता का लाभ उठाकर जयप्रकाश नारायण, रामनंदन मिश्र, योगेंद्र शुक्ला, सूरज नारायण सिंह आदि क्रांतिकारी नेता हजारीबाग जेल की दीवार फाँदकर भाग निकले।
    सचिवालय कांड के विरोध में सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए। अनिश्चितकालीन हड़ताल हो गई। स्कूल-कॉलेज के युवा आंदोलन में कूद पड़े । सरकार ने सख्ती की तो वे गुप्त रूप से अपनी गतिविधियाँ चलाने लगे। तब ऐसा लगा कि शीघ्र ही अंग्रेजी सरकार को भारत से खदेड़कर, हिंद महासागर में डुबोकर उसका अंत कर दिया जाएगा, किंतु ऐसा हुआ नहीं। फिर भी इस संघर्ष और कुछ अन्य अनुकूल परिस्थितियों के कारण ब्रितानी साम्राज्य का अंत नजदीक दिखाई देने लगा था। यद्यपि इसके लिए बिहार सहित पूरे देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी। राज्य में गुप्त रूप से आंदोलन जारी था, क्योंकि राज्य के डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मथुरा बाबू, श्रीकृष्ण सिंह, अनुग्रह बाबू, जयप्रकाश नारायण, डॉ. लोहिया आदि बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया था।

    अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलन और हिलसा थाना का गोलीकांड

    ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान 15 अगस्त 1942 को हुआ हिलसा गोलीकांड ‘जलियाँवाला बाग कांड’ से भी बर्बर था, जो अंग्रेजों की दमन-नीति की जीती-जागती मिसाल है। आजादी के मतवाले बिहार के रणबांकुरे पूरे प्रदेश में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे थे। ऐसे में नालंदा जिले के हिलसा थाने पर तिरंगा फहराने के लिए सैकड़ों क्रांतिकारी आ जुटे। क्रांतिकारियों के हाथों में तिरंगा, होंठों पर ‘वंदे मातरम्’ था और बीच-बीच में ‘भारतमाता की जय’ से आसमान गूँज उठता था। ऐसे देशभक्तिपूर्ण माहौल को अंग्रेज अफसर बरदाश्त नहीं कर सके। उन्होंने निहत्थे देशभक्तों पर गोली चलाने का हुक्म दे दिया। इस गोलीकांड में 11 क्रांतिकारी शहीद हुए। मातृभूमि की रक्षा के लिए जान देनेवाले और जान लेनेवाले, दोनों तरह के सेनानियों ने अंग्रेज सरकार की नाक में दम कर रखा था। देश को आजाद कराने के लिए चली लंबी स्वतंत्रता आंदोलन में लाखों देशवासियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। इसमें हिलसा के वीर सपूत भी पीछे नहीं थे। यहां तो अगस्त क्रांति के दौरान देश को आजाद कराने के दीवाने नौजवानों ने न केवल हिलसा थाने पर तिरंगा लहराया था बल्कि ब्रिटिश हुकूमत के सिपाहियों की वर्दी भी उतरवा ली थी। इससे बौखला कर ब्रिटिश सिपाहियों द्वारा चलाई गई अंधाधुंध गोली से 11 नौजवान शहीद हो गए थे। वहीं, अनुमंडल के कई स्वतंत्रता सेनानियों की जिदगी जेल में कटी थी। उन वीर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता है। कहा जाता है कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान पटना में एक साथ सात युवा शहीद हो गए थे। 11 अगस्त 1942 को पटना से आए छात्रों ने पटना में हुए गोलीकांड में शहीद साथियों को याद करते हुए हिलसा के रामबाबू हाई स्कूल के मैदान में एकत्रित होकर हिलसा थाना पर चढ़ाई करने की योजना बनाई थी। 15 अगस्त 1942 को हिलसा के देशभक्त नौजवानों ने अंग्रेजों भारत छोड़ो के जोश पूर्ण इंकलाबी नारों के साथ विशाल जुलूस निकालकर हिलसा थाने पर धावा बोल दिया था। इसमें आजादी के दीवाने 11 छात्र नौजवान वहीं पर शहीद हो गए तथा दर्जनों जख्मी हो गए थे। उस समय की यादों को संजोए बुजुर्गो से सुनी बातों के अनुसार, संध्या समय भीड़ हटने पर 12 नौजवानों का लहूलुहान शरीर हिलसा थाने के ठीक सामने जमीन पर पड़ा था। उसी जमीन पर 12 नौजवानों का शरीर एकत्रित कर जलाने के लिए पुलिस ने पेट्रोल छिड़क दिया था। पेट्रोल की शीतलता से मियां बीघा गांव के घायल नौजवान राम बिहारी त्रिवेदी की तंद्रा भंग हुई थी। वे कराहते हुए पानी की रट लगा रहे थे। निकट के दुकानदार रामचंद्र साहब ने पहचाना था कि ये तो पोस्ट मास्टर बाबू के लड़के हैं। तब सिपाहियों ने चिता पर से उन्हें अलग कर पानी पिलाया था। पानी पीने के बाद होश आने पर उन्होंने चिता पर पड़े अपने 11 साथियों की गिनती की थी। उन्हें उपचार के लिए पटना पहुंचाया गया था। इसके बाद वही पर 11 शहीदों को आग के हवाले कर दिया गया था। इसमें हिलसा थाने के कछियावां निवासी 28 वर्षीय बालगोविद ठाकुर एवं कछियावां के ही 18 वर्षीय नारायण पांडेय, बढ़नपुरा के 20 वर्षीय सदाशिव महतो, बनबारा के 32 वर्षीय केवल महतो, हिलसा के 18 वर्षीय सुखारी चौधरी, गन्नीपुर के 21 वर्षीय दुखन राम, बनबारीपुर के 18 वर्षीय रामचरित्रर दुसाध , हिलसा के 25 वर्षीय शिवजी राम, मलावां के 19 वर्षीय हरिनंदन सिंह, बनबारा के 21 वर्षीय भोला सिंह, इंदौत के 20 वर्षीय भीमसेन महतो शहीद हुए थे। बताया जाता है कि उसी दिन हिलसा के श्री भगवान सिंह, जमुआरा के सहदेव सिंह एवं अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर हाजत में बंद कर रखा था। दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी राम बिहारी त्रिवेदी के परिवार के पौत्र उमाशंकर त्रिवेदी ने बताया कि दादा आजादी के समय के अपने काम को बताया करते थे। उस समय उन्हें पुलिस की गोली पैर में गोली लगी थी, जिसका निशान मरते दम तक शरीर पर था।

    साइमन कमीशन का विरोध

    18 दिसंबर, 1928 को ‘साइमन कमीशन’ बिहार आया तो हार्डिंग पार्क (पटना) के सामने बने विशेष प्लेटफॉर्म के सामने तीस हजार से अधिक राष्ट्रभक्तों ने ‘साइमन कमीशन’ के खिलाफ नारे लगाए। इस आंदोलन की अध्यक्षता बाबू राजेंद्र प्रसाद ने की। बिहार के देशभक्तों ने इस अवसर पर नारा दिया – “जवानो, सबेरा हुआ, साइमन भगाने का बेरा हुआ।”
    इस आंदोलन ने प्रांत में आजादी की क्रांति की चिनगारी को और भड़का दिया। पटना में दानापुर रोड पर एक राष्ट्रीय पाठशाला खोली गई, जहाँ शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्र-चेतना सिखाई जाती थी। मियाँ खैरुद्दीन के मकान को अस्थायी स्कूल में बदलकर छात्रों को पढ़ाया जाने लगा। बाद में यह जगह ‘सदाकत आश्रम’ के नाम से विख्यात हुई, जहाँ प्रांतीय और राष्ट्रीय नेता अकसर आजादी की लड़ाई की योजना बनाया करते थे।

    बिहार में ब्रिटिश युवराज का विरोध

  • जेल में बंद आनंद मोहन की तस्वीर वायरल होते ही महागठबंधन की सरकार पर उठने लगे सवाल, BJP बोली-जंगल राज आ गया

    लाइव सिटीज पटना: आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की एक तस्वीर वायरल हो रही है. जिसको लेकर महागठबंधन की नई सरकार पर सवाल उठने लगे हैं. बीजेपी का कहना है कि बिहार में फिर भी जंगल राज वापस आ गया है. दरअसल गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई गई थी हालांकि ऊपरी अदालत ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. तब से वे जेल में बंद हैं. बताया जा रहा है कि बीते दिनों आनंद मोहन को पुलिस अभिरक्षा में पेशी के लिए पटना लाया गया था. लेकिन पूर्व सांसद लाव-लश्कर के साथ पटना वाले अपने आवास पहुंच गए और वहां अपना दरबार सजा लिया.

    मिली जानकारी के अनुसार यह घटना रक्षाबंधन के दिन यानी 12 अगस्त की बताई जा रही है. उस दिन आनंद मोहन को पुलिस अभिरक्षा में सिविल कोर्ट में एक मामले में पेशी के लिए लाया गया था. इसी बीच आनंद मोहन ने पुलिस सुरक्षा में ही अपने परिवार के लोगों से मिलने पहुंच गए. अपने पाटलीपुत्र स्थित आवास पहुंचने के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन ने अपने समर्थकों के साथ बैठक भी की. आनंद मोहन के साथ उनकी पत्नी और उनके राजद से विधायक बेटे चेतन आनंद भी मौजूद रहे. ऐसे में इस तस्वीर के सामने आने पर लोह कह रहे हैं कि जेल में रहते हुए भी उनके क्या जलवे हैं. वहीं पुलिस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि जब पेशी के लिए लाया गया था तो आनंद मोहन अपने निजी आवास पर कैसे पहुंच गए?

    आनंद मोहन के अपने पटना स्थित आवास पहुंचने के लेकर पुलिस पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं. जब पुलिस अभिरक्षा में पूर्व सांसद को पेशी के लिए लाया गया था, तो वे अपने निजी आवास पर कैसे पहुंच गए. जानकार की माने तो जेल मैन्यु्अल के मुताबिक किसी कैदी को अपने वर्तमान जेल से बाहर के जिलों के कोर्ट में सीधे पेशी के लिए लाया जाता है. यदि किसी वजह से देर हुई या अगले दिन बहस होने की नौबत आती है तो कैदी को उसी स्थानीय कोर्ट के अंदर पड़ने वाले जेल में ले जाना होता है.

    आनंद मोहन मामले पर आरजेडी उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता तनवीर हसन ने कहा कि आनंद मोहन की तस्वीर परिवार व समर्थकों के साथ जो आई है वह 12 तारीख की है या उसके पहले की इसकी जांच होनी चाहिए. महागठबंधन सरकार को बीजेपी बेवजह बदनाम कर रही है. सत्ता से बाहर होने के बाद से बीजेपी बौखलाई हुई है. वहीं बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि महागठबंधन सरकार बनते ही जंगलराज वापस आ गया है. आनंद मोहन का इस तरह खुलेआम घूमना उसका ताजा उदाहरण है. उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. अन्य अपराधी भी अब इसी तरह खुलेआम घूमेंगे. आम जनता डरी हुई है.

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  • आधुनिक भारत में शिक्षा देने वाला ही मटकी से पानी पीने की सजा मौत दी।

    रेहड़ी पटरी फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष एवं संयुक्त किसान मोर्चा के जिला प्रवक्ता रामदेव चौधरी ने घटना को निंदा करते हुए ब्यान जारी कर कहा कि राजस्थान के जालोर जिले सुराणा स्थित सरस्वती विद्यालय के कक्षा तीसरी के दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल ने शनिवार को अमदाबाद के अस्पताल में इलाज के क्रम में मृत्यु हो गई इस दलित छात्र का इतना ही कसूर था कि प्रधानाध्यापक की मटकी से पानी पिया था

    जिसकी सजा इस दलित छात्र को जान देकर चुकानी पड़ी घटना 23 दिन पहले घटी थी यानी यह घटना 20 जुलाई की है छात्र के चाचा ने शनिवार को केस दर्ज करवाया चाचा किशोर मेघवाल के मुताबिक प्रधानध्यापक के मटकी से पानी पीने पर छैल सिंह इतना गुस्सा हो गया कि इंद्र को जातिसूचक देते हुए बुरी तरह से पीट दिया

    जिसे कान के नीचे गहरी चोट लग गई वह दलित छात्र कराहता हुआ घर पहुंचा तो परिजन इलाज के लिए अस्पताल ले गए स्थानीय अस्पताल के बाद उदयपुर में इलाज करवाया आराम ना मिलने पर अमहदाबाद रेफर कर दिया जहां शनिवार को इलाज के क्रम में इस दलित छात्र ने दम तोड़ दिया डॉक्टर ने इंद्र के कान के नीचे गहरी चोट बताई जिसके कारण मृत्यु हो गई इस घटना में प्रधानाध्यापक की गिरफ्तारी कम है हम राजस्थान के सरकार से मांग करते हैं कि इस घटना के दोषी प्रधानाध्यापक को स्पीड ट्रायल के अंतर्गत फांसी की सजा हो और पीड़िता के परिवार को एक करोड़ रुपैया मुआवजा मिले एवं एक परिवार को सरकारी नौकरी मिले।

  • बहुजन विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया।

    बिहारशरीफ के नाला रोड स्थित सामुदायिक भवन में बहुजन सेना द्वारा बहुजन विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। आज के इस विचारगोष्ठी में नालंदा जिला के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।इस अवसर पर बहुजन सेना के रामदेव चौधरी ने कहा कि आज हम आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे हैं,

    लेकिन सच्चाई यह है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम बहुजनों (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यकों) की स्थिति गुलामों जैसी ही बनी हुई है। आज भी देश के सत्ता एवं संस्थानों पर सिर्फ एक वर्ग का ही एकाधिकार बना हुआ है, खासतौर पर न्यायपालिका में कॉलरीजम सिस्टम बने रहने के कारण जजों की नियूक्ति में सिर्फ एक वर्ग का ही बोल वाला बना हुआ है जो कि सरासर गलत है।

    इस अवसर पर अनिल पासवान ने कहा कि हमारी आबादी 85% परसेंट होने के बावजूद भी हम शासक नहीं बल्कि शोषक बनकर जिंदगी जी रहे हैं। वर्तमान समय में देश के सत्ता पर आसीन सरकार तो और भी हम लोगों की जिंदगी में तबाही लाने के लिए अग्रसर है।जब हमलोग पढ़ने-लिखने लगे तो सरकारी शिक्षण संस्थानों को बर्बाद कर दिया और जब हमें कुछ नौकरिया लगने लगी तो सरकारी संस्थानों को निजीकरण कर रही है ताकि हमलोग नौकरी से वंचित हो जाएं
    आज के इस विचारगोस्ठी में कल्याण कुमार उर्फ कल्याण जी अधिवक्ता अनिल क्रांति अधिवक्ता अमोद कुमार, समाजसेवी मोहम्मद जाहिद अंसारी रविशंकर दास, ऋषिराज कुमार, मो. असगर भारती, दीपक कुमार, अखिलेश कुमार, अनिल कुमार,, मो. चांद आलम, नगीना पासवान, सुबोध पंडित, मोहन चौधरी, शफीक बिहारी राईन, देवेन्द्र रविदास, बाल्मीकिटन कुमार, महेन्द्र प्रसाद, अजय कुमार, एकलब्य बौद्ध इत्यादि

  • महादलित रविदास परिवार के रामकृष्ण रविदास की निर्मम हत्या

    नालंदा जिला के प्रखण्ड सिलाव के अंतर्गत ग्राम सिकंदरा में महादलित रविदास परिवार के रामकृष्ण रविदास की निर्मम हत्या, उनके घर से दिन १२ बजे उठा के ले जाकर कर, कुछ दिन पूर्व कर दी गई, बगल के गांव के आरोपी शराब माफिया रविदास जी द्वारा विरोध किए जाने पर यह घटना अंजाम तक पहुंचाया गया, ओर पीड़िता के परिवार वालों को जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है,पीड़िता से उनके घर पर जाकर बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष, पूर्व विधायक माननीय श्री राजीव रंजन बाबू द्वारा सांत्वना के साथ हर संभव मदद का भी आश्वासन दिया

    मुलाकात किया तथा सहायता राशि दिया

    मैं प्रशासन से मांग करता हूं जल्द से जल्द अपराधियों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेजा जाए,,,,, नालंदा पुलिस प्रशासन एकदम निष्क्रिय अपराधियों के साथ एवं शराब माफियाओं के साथ मिलकर काम करती है सिर्फ कहने का है शराबबंदी कोई ऐसा गांव नहीं जहां शराब नहीं बनती है इसलिए जल्द से जल्द अपराधियों को पकड़ने का काम करें जिससे गरीब परिवार एवं महादलित परिवारों को डर एवं पूरा परिवार सदमे में समा हुआ घर की बच्चियां डर रही है उन्हें बार-बार धमकियां दिया जा रहा है कि अगर गवाही दोगे तुम्हारी बच्ची को उठाकर ले जाएंगे,इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष सुधीर कुमार, जिला मंत्री मनोज कुमार चौधरी, अनुसूचित जाति मोर्चा जिला अध्यक्ष संजय रविदास, सिलाव ग्रामीण मंडल अध्यक्ष धीरज कुमार सिंह,पूर्व युवा मोर्चा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष पिंटू सिंह,अमरेश कुमार सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे

  • आजादी की गौरव यात्रा पदयात्रा के रूप में निकाली गई

    जिला कांग्रेस कमिटी नालन्दा के अध्यक्ष दिलीप कुमार की अध्यक्षता में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर आजादी की गौरव यात्रा पदयात्रा के रूप में निकाली गई या पदयात्रा जिला कांग्रेस कमिटी कार्यालय राजेंद्र आश्रम से चलकर अनुग्रह पार्क में गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए भराव पर चौक चौराहों से होते हुए कारगिल पार्क में शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए करीब 16 किलोमीटर पदयात्रा कर नालंदा के मोहनपुर गांव में अवस्थित स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी की प्रतिमा एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पदयात्रा समाप्त किया गया

    आज का यह पदयात्रा कई मायनों में अलग दिख रहा था सैकड़ों लोग अपने हाथों में देश का तिरंगा लिए आजादी के गीत गाते हुए बहुत ही संयमित तरीके से पदयात्रा कर रहे थे मोहनपुर में ही 95 वर्षीय राजेन्द्र सिंह जी जिन्होंने आजादी की लड़ाई के समय महात्मा गांधी जी ,नेहरू जी पटेल साहब एवं कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ सत्याग्रह में भाग लिया था इनके द्वारा ही इस गांव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा लगाई गई है जिला कांग्रेस कमिटी के द्वारा आजादी के सिपाही राजेन्द्र सिंह जी को शॉल मोमेंटो एवं कांग्रेस पार्टी का तिरंगा अंग वस्त्र देकर उन्हें सम्मानित किया गया

    इस सम्मान से वह काफी भावविभोर हो गए और उन्होंनेअपनी आंखों के आंसुओं को रोकते हुए बताया कि मैं आजादी के समय का साक्षात गवाह हूं उन्होंने कहा कि आज जिस अवस्था में हम लोग इस उम्र में आजाद हिंदुस्तान को देख रहे हैं वह कहीं से भी आजाद नहीं दिख रहा है आज हिंदुस्तान पूरी तरह से मतलबी एवं फरेबी नेताओं के चंगुल में फंसा हुआ है उन्होंने यह भी बताया कि शायद जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई में अपनी कुर्बानी दी अगर वह जानते कि देश को इस हाल में करने वाला भी शासक आएगा तो कभी वह लोग देश को आजाद नहीं करवाते उनलोगों ने अपनी एवं अपने परिवार की जान की चिंता किये बगैर अपनी शहादत देकर काफी मुश्किलों से इस देश को आजाद करवाया था,

    जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार ने बताया कि आज जिस तरह से तिरंगे का प्रचार प्रसार किया जा रहा है शायद वर्तमान की सरकार यह भूल चुकी है कि हमारा तो इतिहास ही रहा है तिरंगा में लिपट कर जाने का इसी तिरंगे को लेकर आजादी के लाखों दीवाने हिंदुस्तान को आजादी दिलाने में शहीद हुए हैं उन्होंने वर्तमान की सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिन लोगों ने 70 वर्षों तक अपने कार्यालय में तिरंगे को घुसने नहीं दिया जिस तिरंगे का अपमान वह आजादी के पहले से करते आ रहे हैं और अपनी सत्ता आने पर जिन्होंने हिंदुस्तान की इस पहचान को मिटाने की सोच ली थी लेकिन हिंदुस्तान की जनता ने यह दिखा दिया की तिरंगा ही हमारी शान है तो वर्तमान की सरकार की चाभी जिसके पास है वह आर एस एस ने समझ लिया की अब इसे बदला नहीं जा सकता है तो आज वह देश भक्ति का गीत गा रहे हैं

    आज वह अपने आप को देशभक्त साबित करने में लगे हुए हैं पूरा हिंदुस्तान जानता है की 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को हर घर में बच्चे से लेकर बूढ़े और नौजवान सभी लोग अपने अपने हाथों में पूर्व से ही तिरंगा लेकर चलते आ रहे हैं आज जिस तरह से तिरंगा का प्रचार प्रसार किया जा रहा है कहीं न कहीं वह सरकार की नाकामी को दिखाता है उन्होंने आजादी की चर्चा करते हुए कहा कि यह देश सभी संप्रदायों का एक जीता जागता हुआ उदाहरण है यह देश जितना हिंदुओं का है उतना ही मुसलमानों का भी है उतना ही सिख धर्मावलंबियों का भी है और उतना ही ईसाई धर्मावलंबियों का भी है हमारे देश को आजादी दिलवाने वाले महानायकों ने पहले से ही यह नारा दे रखा है कि हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में है भाई भाई जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार ने बताया कि हम कांग्रेसी इसी तरह पदयात्रा कर जनता को यह बताने का काम करेंगे कि हमारे आजादी के दीवानों ने किस तरह अपनी शहादत इस देश की जनता के लिए दिए लेकिन वर्तमान की सरकार उस शहादत को मिटाने में लगी हुई है |

    दिलीप कुमार ने जिले वासियों एवं प्रदेशवासियों के साथ-साथ देशवासियों को 75 वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देते हुए कहा की आप लोग भी देश के लिए बलिदान होने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को कभी नहीं भूलें एवं साथ ही साथ अपने घर के अगले पीढ़ी के नौजवानों नौनिहालों को भी यह बताने का काम करें की हमारे देश के वीर सपूतों ने किस तरह अपने एवं अपने परिवार की चिंता किए बगैर अपनी शहादत देकर हमें आजाद कराया हमें उनकी कुर्बानियों को कभी भूलाना नहीं चाहिए अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय संयोजक नारायण कुमार जो पदयात्त्रा में सिरकत कर रहे थे उन्होंने कहा कि की आज पूरे देश में इस तरह की पद यात्रा की जरुरत आ गयी है |

    चूँकि देश का नौजवान इस झूठे चमक दमक में वर्तमान के चक्कर में अपने अतीत को भूलता जा रहा है और इस देश की सरकार भी उसे भुलवाने में लगी हुई है यह सरकार आपसी भाईचारे को मिटाकर सभी सम्प्रदाय को एक दूसरे से लड़वाकर फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रही है आज जिस सम्प्रदाय के लोगों ने यानी मुसलमानों ने आजादी की लड़ाई में अपने हिंदू भाइयों के साथ कदम से कदम मिलाकर देश को आजाद कराने में अपनी शहादत दी आज उसी मुसलमान को ये संघी लोग देशद्रोही बता रहे हैं आज मुसलमानों से ही देशभक्ति का सबूत माँगा जा रहा है आज की यह आजादी की गौरव पदयात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रहा किसी भी पार्टी या संगठन के द्वारा इस जिले में इस तरह तिरंगा लेकर स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए इतनी लंबी पदयात्रा नहीं की गई है यह जिला कांग्रेस नालंदा के द्वारा एक मिसाल पेश किया गया है

    इस पदयात्रा में जिला कांग्रेस कमिटी के सभी पदाधिकारी गण मोर्चा संगठनों के सभी पदाधिकारी गण सभी प्रखंड अध्यक्ष एवं प्रखंड कांग्रेस कमिटी के पदाधिकारियों के साथ साथ कांग्रेसियों का जन सैलाब सा नालंदा की सड़कों पर अपने देश के बलिदानियों के लिए उमड़ पड़ा था जिसमें उनके साथ देने के लिए शहर एवं गांव की जनता ने भी अच्छी संख्या में इस पदयात्रा में भाग लिया॥