Category: Bihar News

  • वीरांगना फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष : सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    वीरांगना फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष : सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    ● बागी से सांसद बनी फूलन देवी शोषितों की राजनेता थी
    ● वीरांगना फूलन देवी ने चंबल से लेकर संसद तक तय किया सफर

    लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव साहित्यिक मंडली शंखनाद

    अंतरराष्ट्रीय फलक पर दस्यु सुंदरी नाम से ख्यात फूलन देवी का असली नाम फुलवा था। विश्व की 16 क्रांतिकारी महिलाओं में फूलन देवी का नाम चौथे स्थान पर है। आपने काफी महिलाओं और उनसे जुड़े किस्सें-कहानियों के बारें में पढ़ा होगा या सुना भी होगा लेकिन आज जिस महिला की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं अगर आप उनके बारें में नहीं जानतें तो यकीन मानिए यह आलेख आपको हैरान कर देगा। जी हां, हैरान और परेशान कर देने वाली कहानी है उस औरत की जिसने अपने उम्र के हर पड़ाव पर एक नयीं दास्तां लिख डाली। जिसके लिए औरत होना जीवन भर एक श्राप की तरह रहा लेकिन इस औरत की ज़िद और ताकत ने अपने दुश्मनों की सांसे ज्यादा समय तक नहीं चलने दी। तो, आईए जानते है आखिर कौन थीं ये निर्भीक महिला और कैसी रही इनकी ज़िंदगानी। यह कहानी है वीरांगना फूलन देवी की।
    माता जानकी जी को उठा ले जाने वाले दैत्येंद्र रावण की लंका जलाई जाती है, उसे श्रीराम द्वारा मारा जाता है और उसके बाद आज भी बुराई का प्रतीक मानकर दैत्येंद्र रावण का पुतला जलाया जाता है। दूसरी तरफ एक पिछड़े, लाचार समाज की बेटी फूलन को बलात उठा ले जाकर जातिवादी गुंडे बलात्कार करते हैं, गांव में नंगा घुमाते हैं, सालों-साल अत्याचार करते हैं, फिर भी उनकी लंका कोई नहीं जलाता। फिर वही औरत जब हथियार उठाती है, उनकी लंका भी जलाती है और उनका पुतला भी। लेकिन ये औरत सामाजिक न्याय की ‘देवी’ नहीं कहलाती, ये ‘डकैत फूलन देवी’ कहलाती है।
    जहां सहनशीलता की सीमा समाप्त होती है, वहीं से क्रांति का उदय होता है। आताताइयों ने जब जुल्म की हदें पार कर दीं तो पूर्व सांसद फूलन देवी ने उनके विनाश के लिए हथियार उठा लिया। उन्होंने क्रांति का बिगुल फूंकते हुए जालिमों को मौत की नींद सुलाने का काम किया। हम सभी को फूलन के संघर्ष और वीरता पर गर्व है।

    फूलन देवी का जन्म और परिवारिक जीवन

    कभी चंबल घाटी में अपने आतंक से बड़े-बड़ों की चूलें हिला देने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी को पहली राजनैतिक महिला डाकू कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ठाकुरों के प्रति बेहद तल्ख रही फूलन देवी को चंबल इलाके के एक ठाकुर राजनेता की बदौलत ही राजनीति के शीर्ष तक जाने का मौका मिला। फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कालपी थाना पुरवा (गोरहा) गांव में हुआ था। फूलन के पिता का नाम देवी दीन और माता का नाम मूला देवी केवट जो मल्लाह जाति के थे। फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से चर्चित थीं। जब फूलन 11 साल की थीं तो उनके चचेरी भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी। दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं। फूलन का पति उन्हें प्रताड़ित करता रहता था। जिसकी वजह से परेशान होकर फूलन देवी ने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के साथ रहने का फैसला किया।

    गैंगरेप के बाद फूलन बनीं डकैत

    फूलन देवी जब 15 साल की थीं तब श्रीराम ठाकुर के गैंग ने उनका गैंगरेप किया। इतना ही नहीं यह गैंगरेप उन्होंने फूलन के माता-पिता के समाने किया। फूलन देवी ने कई जगह न्याय की गुहार लगाई लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा का सामना करना पड़ा। नाराज दबंगों ने फूलन का चर्चित दस्यु गैंग से कहकर अपहरण करवा लिया। डकैतों ने लगातार 3 हफ्तों तक फूलन का रेप किया। जिसकी वजह से फूलन बहुत ही कठोर बन गईं। अपने ऊपर हुए जुल्मों सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गिरोह बनाने का फैसला किया। हालात ने ही फूलन देवी को इतना कठोर बना दिया कि जब उन्होंने बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या की तो उन्हें ज़रा भी मलाल नहीं हुआ। बदला लेने के लिए फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था। तब से फूलन के प्रति ठाकुरों में नफरत है, लेकिन, यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था।
    बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित और कमजोर वर्ग के लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया।

    फूलन देवी का आत्मसमर्पण और राजनीतिक जीवन

    फूलन देवी एक ऐसा नाम जिसने ना केवल डकैती की दुनिया में बल्कि सियासत के गलियारों में भी खूब नाम कमाया। फूलन देवी ने 1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 10 हजार लोगों और 300 पुलिस वालों के सामने आत्म समर्पण कर लिया। उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा। आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 सालों की सजा दी गई। फूलन के जेल से छूटने के बाद उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई। जेल से छूटने के बाद ही उन्होंने राजनीति में एंट्री ली। वह दो बार चुन कर संसद पहुंची। पहली बार वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बनी थीं।
    इलाके के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर ने बेहमई कांड के बाद फूलन देवी जब गैंग के साथ जंगलों में दर-दर भटक रही थीं तब सेंगर साहब ने ही महीनों उन्हें शरण दी। उन्होनें खाने पीने से लेकर अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवाए थे। फूलन भी जसवंत सिंह की काफी इज्जत करती थीं। जसवंत के कहने पर बतौर सांसद फूलन ने क्षेत्र में कई विकास के काम करवाए थे। चंबल के बीहड़ से उत्तर प्रदेश की राजनीति में दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने जो कर दिखाया, वो न उनसे पहले किसी ने किया और न ही आगे कोई कर सकता है।
    चंबल की धरती पर कभी अंग्रेजों और सिंधिया स्टेट के अन्याय के खिलाफ हथियार उठाने वाले बागियों से लेकर मौजूदा समय में अपहरण को उद्योग बनाने वाले डाकुओं की कहानियां बिखरी पड़ी हैं। पुलिस की नजर में ये डकैत बर्बर अपराधी हैं, लेकिन वे अपने इलाके में रॉबिनवुड हैं। अपनी जाति के हीरों हैं, अमीरों से पैसा ऐठना और गरीबों खासकर अपनी जाति के लोगों की मदद करना इनका शगल है, लेकिन दुश्मनों और मुखबिरों के साथ ये ऐसा बर्बर रवैया अपनाते हैं कि देखने वालों के दिल दहल जाएं। पुलिस भी मानती है कि जिस जाति का व्यक्ति अपराध कर डाकू बन जाता है उसे उस विशेष जाति समुदाय के लोग अपना हीरो मानने लगते हैं, उसके साथ नायक जैसा व्यवहार करते हैं। यह परंपरा आज की नहीं है, जब से यहां डाकू पैदा हुए तब से चली आ रही है। यही कारण है कि मानसिंह से लेकर दयाराम गडरिया और ददुआ तक अपनी जाति के हीरो रहे। डाकुओं की पैदा करने में प्रतिष्ठा, प्रतिशोध और प्रताड़ना तो कारण हैं ही लेकिन सबसे अहम भूमिका पुलिस की होती है। चंबल के दस्यु सरगनाओं का इतिहास देखें तो डाकू मानसिंह से लेकर फूलन देवी तक सभी लोग अमीरों या रसूख वाले लोगों के शोषण के शिकार रहे हैं और इस शोषण में पुलिस और व्यवस्था ने इनकी बजाय रसूखवालों का ही साथ दिया। ऐसे में ये लोग न्याय की उम्मीद किससे करें। इसके कई उदाहरण है, जिनमें कभी चंबल में पुलिस की नाक में दम करने वाले पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह भी शामिल हैं। कहा जाता है कि गांव के सरपंच ने मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया और विरोध करने पर उन्होंने मलखान सिंह के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर जेल भिजवा दिया और फिर विरोध करने वाले मलखान सिंह के एक साथी की हत्या भी कर दी। सरपंच तब के एक मंत्री का रिश्तोदार था जिसके घर पर दरोगा और सिपाही हाजिरी बजाते थे। ऐसे में वह किससे न्याय मागता। बंदूक उठाने के अलावा उसके पास कोई रास्ता ही नहीं था। जगजीवन परिहार को डकैत बनाने के लिए तो पुलिस ही जिम्मेदार थी। वह पुलिस का मुखबिर था, निर्भय गूजर को मारने के लिए पुलिस ने जगजीवन को हथियार मुहैया कराया और डाकू बना दिया। ऊपर से दबाव या फिर डाकू के पकड़े जाने पर भेद खुल जाने के डर से पुलिस वाले इनका इनकाउंटर कर देते हैं और फिर एक दूसरा गैंग तौयार करवा देते हैं। पुलिस भी मानती है कि इनकाउंटर स्पेस्लिस्ट लोगों की इसमें खास भूमिका होती है। ऐसे लोग जब एक गैंग को मार गिराते हैं तो उनकी चहलकदमी बंद हो जाती है। ऐसे में वे दूसरा गैंग तौयार कर देते हैं।
    चंबल में डकैत समस्या के पनपने के लिए कहीं न कहीं यहां की प्राकृतिक संरचना भी जिम्मेदार है। चंबल के किनारे के मिट्टी के बड़े-बड़े टीले डाकुओं की छुपने की जगह है, अगर सरकार इन्हें समतल कर लोगों में बांट दे तो इससे न केवल डाकू समस्या पर लगाम लग सकती है, बल्कि लोगों को खेती के लिए जमीन मिल जाएगी, लेकिन टीलों के समतलीकरण की योजना भ्रष्टाचार की वजह से परवान नहीं चढ़ पा रही है। यही कारण है कि डाकुओं के अलावा अब चंबल में नक्सली भी सक्रिय हो रहे हैं। पुलिस भी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नक्सलियों का प्रशिक्षण शिविर कहां चल रहा है। शोषण और बेरोजगारी ही दस्यु समस्या की तरह नक्सल समस्या की भी जड़ है, अगर इस समस्या से निपटना है तो गांवों में विकास की गंगा बहानी हागी। लोगों को शिक्षा के साथ ही रोजगार भी मुहैया कराना होगा, अन्यथा चंबल का दायरा घटने के बजाय पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लेगा और देशभर में ऐसे बागियों की जमात पैदा हो जाएगी, जो देश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी।1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं। मिर्जापुर से सांसद बनीं। चम्बल में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगी। फूलन 1998 में हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीत गईं।

    रॉबिनवुड क्रांतिकारी फूलन देवी का निधन

    25 जुलाई 2001 को संसद का सत्र चल रहा था। दोपहर के भोजन के लिए संसद से फूलन 44 अशोका रोड के अपने सरकारी बंगले पर लौटी। बंगले के बाहर सीआईपी 907 नंबर की हरे रंग की एक मारुति कार पहले से ही खड़ी थी। 25 जुलाई 2001 को ही शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया। इच्छा जाहिर की कि फूलन के संगठन ‘एकलव्य सेना’ से जुड़ेगा। जैसे ही फूलन घर की दहलीज पर पहुंची। तीन नकाबपोश अचानक कार से बाहर आए और फूलन पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां चलाई। एक गोली फूलन के माथे पर जा लगी। गोलीबारी में फूलन देवी का एक गार्ड भी घायल हो गया था। इसके बाद हत्यारे उसी कार में बैठकर फरार हो गए। उसने कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है। 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपने कुल 38 साल के जीवन में फूलन की कहानी भारतीय समाज की हर बुराई को समेटे हुए है और फूलन देवी की जीवनी प्रत्येक नारी के लिए प्रेरणा श्रोत बनीं। फूलन ने जुल्म के खिलाफ सभी को लड़ने का संदेश दिया।

  • बिहार में बन गई महागठबंधन की सरकार, डिप्टी सीएम बनते ही तेजस्‍वी यादव को जेड (+) सुरक्षा के साथ मिली बुलेट प्रूफ गाड़ी

    लाइव सिटीज, पटना: बिहार में महागठबंधन की सरकार बन गई है. राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्‍वी यादव इस सरकार में उपमुख्‍यमंत्री बन गए हैं. इसके साथ ही उनपर बढ़े खतरे को देखते हुए गृह विभाग  ने उनकी सुरक्षा बढ़ा दी है। तेजस्‍वी यादव को जेड (+) श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. उन्‍हें बुलेट प्रूफ गाड़ी भी मिली है. इसके पहले उन्‍हें वाई (+) श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी.

    विदित हो कि‍ बिहार में बीते मंगलवार को NDA सरकार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्‍तीफा देकर राज्‍यपाल फागू चौहान के पास आरजेडी, कांग्रेस व अन्‍य सहयोगी दलों के साथ महागठबंधन की सरकार बनाने का दावा किया था. इसके बाद उन्‍होंने बुधवार को महागठबंधन की सरकार में मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली. महागठबंधन के सरकार में उनके साथ आरजेडी नेता तेजस्‍वी यादव ने उपमुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद उनकी सुरक्षा में इजाफा किया गया है.

    बिहार में राज्‍यपाल फागू चौहान, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, सुशील मोदी एवं जीतन राम मांझी सहित कुछ अन्‍य नेताओं को पहले से जेड (+) सुरक्षा मिली हुई है. इसे श्रेणी में अब तेजस्‍वी यादव भी शामिल हो गए हैं. राज्यपाल फागू चौहान व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को जेड (+) सुरक्षा के साथ एडवांस सिक्यूरिटी लाइजनिंग (एएसएल) का सुरक्षा घेरा भी दिया गया है.

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  • फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    वीरांगना फूलन देवी की 59 वीं जयंती पर विशेष : सामाजिक न्याय की ‘देवी’ फूलन देवी

    ● बागी से सांसद बनी फूलन देवी शोषितों की राजनेता थी
    ● वीरांगना फूलन देवी ने चंबल से लेकर संसद तक तय किया सफर

    लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव साहित्यिक मंडली शंखनाद

    अंतरराष्ट्रीय फलक पर दस्यु सुंदरी नाम से ख्यात फूलन देवी का असली नाम फुलवा था। विश्व की 16 क्रांतिकारी महिलाओं में फूलन देवी का नाम चौथे स्थान पर है। आपने काफी महिलाओं और उनसे जुड़े किस्सें-कहानियों के बारें में पढ़ा होगा या सुना भी होगा लेकिन आज जिस महिला की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं अगर आप उनके बारें में नहीं जानतें तो यकीन मानिए यह आलेख आपको हैरान कर देगा। जी हां, हैरान और परेशान कर देने वाली कहानी है उस औरत की जिसने अपने उम्र के हर पड़ाव पर एक नयीं दास्तां लिख डाली। जिसके लिए औरत होना जीवन भर एक श्राप की तरह रहा लेकिन इस औरत की ज़िद और ताकत ने अपने दुश्मनों की सांसे ज्यादा समय तक नहीं चलने दी। तो, आईए जानते है आखिर कौन थीं ये निर्भीक महिला और कैसी रही इनकी ज़िंदगानी। यह कहानी है वीरांगना फूलन देवी की।
    माता जानकी जी को उठा ले जाने वाले दैत्येंद्र रावण की लंका जलाई जाती है, उसे श्रीराम द्वारा मारा जाता है और उसके बाद आज भी बुराई का प्रतीक मानकर दैत्येंद्र रावण का पुतला जलाया जाता है। दूसरी तरफ एक पिछड़े, लाचार समाज की बेटी फूलन को बलात उठा ले जाकर जातिवादी गुंडे बलात्कार करते हैं, गांव में नंगा घुमाते हैं, सालों-साल अत्याचार करते हैं, फिर भी उनकी लंका कोई नहीं जलाता। फिर वही औरत जब हथियार उठाती है, उनकी लंका भी जलाती है और उनका पुतला भी। लेकिन ये औरत सामाजिक न्याय की ‘देवी’ नहीं कहलाती, ये ‘डकैत फूलन देवी’ कहलाती है।
    जहां सहनशीलता की सीमा समाप्त होती है, वहीं से क्रांति का उदय होता है। आताताइयों ने जब जुल्म की हदें पार कर दीं तो पूर्व सांसद फूलन देवी ने उनके विनाश के लिए हथियार उठा लिया। उन्होंने क्रांति का बिगुल फूंकते हुए जालिमों को मौत की नींद सुलाने का काम किया। हम सभी को फूलन के संघर्ष और वीरता पर गर्व है।

    फूलन देवी का जन्म और परिवारिक जीवन

    कभी चंबल घाटी में अपने आतंक से बड़े-बड़ों की चूलें हिला देने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी को पहली राजनैतिक महिला डाकू कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ठाकुरों के प्रति बेहद तल्ख रही फूलन देवी को चंबल इलाके के एक ठाकुर राजनेता की बदौलत ही राजनीति के शीर्ष तक जाने का मौका मिला। फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कालपी थाना पुरवा (गोरहा) गांव में हुआ था। फूलन के पिता का नाम देवी दीन और माता का नाम मूला देवी केवट जो मल्लाह जाति के थे। फूलन देवी बैंडिट क्वीन के नाम से चर्चित थीं। जब फूलन 11 साल की थीं तो उनके चचेरी भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी। दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं। फूलन का पति उन्हें प्रताड़ित करता रहता था। जिसकी वजह से परेशान होकर फूलन देवी ने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के साथ रहने का फैसला किया।

    गैंगरेप के बाद फूलन बनीं डकैत

    फूलन देवी जब 15 साल की थीं तब श्रीराम ठाकुर के गैंग ने उनका गैंगरेप किया। इतना ही नहीं यह गैंगरेप उन्होंने फूलन के माता-पिता के समाने किया। फूलन देवी ने कई जगह न्याय की गुहार लगाई लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा का सामना करना पड़ा। नाराज दबंगों ने फूलन का चर्चित दस्यु गैंग से कहकर अपहरण करवा लिया। डकैतों ने लगातार 3 हफ्तों तक फूलन का रेप किया। जिसकी वजह से फूलन बहुत ही कठोर बन गईं। अपने ऊपर हुए जुल्मों सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गिरोह बनाने का फैसला किया। हालात ने ही फूलन देवी को इतना कठोर बना दिया कि जब उन्होंने बहमई में एक लाइन में खड़ा करके 22 ठाकुरों की हत्या की तो उन्हें ज़रा भी मलाल नहीं हुआ। बदला लेने के लिए फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था। तब से फूलन के प्रति ठाकुरों में नफरत है, लेकिन, यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था।
    बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित और कमजोर वर्ग के लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया।

    फूलन देवी का आत्मसमर्पण और राजनीतिक जीवन

    फूलन देवी एक ऐसा नाम जिसने ना केवल डकैती की दुनिया में बल्कि सियासत के गलियारों में भी खूब नाम कमाया। फूलन देवी ने 1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर 10 हजार लोगों और 300 पुलिस वालों के सामने आत्म समर्पण कर लिया। उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा। आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 सालों की सजा दी गई। फूलन के जेल से छूटने के बाद उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई। जेल से छूटने के बाद ही उन्होंने राजनीति में एंट्री ली। वह दो बार चुन कर संसद पहुंची। पहली बार वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बनी थीं।
    इलाके के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर ने बेहमई कांड के बाद फूलन देवी जब गैंग के साथ जंगलों में दर-दर भटक रही थीं तब सेंगर साहब ने ही महीनों उन्हें शरण दी। उन्होनें खाने पीने से लेकर अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवाए थे। फूलन भी जसवंत सिंह की काफी इज्जत करती थीं। जसवंत के कहने पर बतौर सांसद फूलन ने क्षेत्र में कई विकास के काम करवाए थे। चंबल के बीहड़ से उत्तर प्रदेश की राजनीति में दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने जो कर दिखाया, वो न उनसे पहले किसी ने किया और न ही आगे कोई कर सकता है।
    चंबल की धरती पर कभी अंग्रेजों और सिंधिया स्टेट के अन्याय के खिलाफ हथियार उठाने वाले बागियों से लेकर मौजूदा समय में अपहरण को उद्योग बनाने वाले डाकुओं की कहानियां बिखरी पड़ी हैं। पुलिस की नजर में ये डकैत बर्बर अपराधी हैं, लेकिन वे अपने इलाके में रॉबिनवुड हैं। अपनी जाति के हीरों हैं, अमीरों से पैसा ऐठना और गरीबों खासकर अपनी जाति के लोगों की मदद करना इनका शगल है, लेकिन दुश्मनों और मुखबिरों के साथ ये ऐसा बर्बर रवैया अपनाते हैं कि देखने वालों के दिल दहल जाएं। पुलिस भी मानती है कि जिस जाति का व्यक्ति अपराध कर डाकू बन जाता है उसे उस विशेष जाति समुदाय के लोग अपना हीरो मानने लगते हैं, उसके साथ नायक जैसा व्यवहार करते हैं। यह परंपरा आज की नहीं है, जब से यहां डाकू पैदा हुए तब से चली आ रही है। यही कारण है कि मानसिंह से लेकर दयाराम गडरिया और ददुआ तक अपनी जाति के हीरो रहे। डाकुओं की पैदा करने में प्रतिष्ठा, प्रतिशोध और प्रताड़ना तो कारण हैं ही लेकिन सबसे अहम भूमिका पुलिस की होती है। चंबल के दस्यु सरगनाओं का इतिहास देखें तो डाकू मानसिंह से लेकर फूलन देवी तक सभी लोग अमीरों या रसूख वाले लोगों के शोषण के शिकार रहे हैं और इस शोषण में पुलिस और व्यवस्था ने इनकी बजाय रसूखवालों का ही साथ दिया। ऐसे में ये लोग न्याय की उम्मीद किससे करें। इसके कई उदाहरण है, जिनमें कभी चंबल में पुलिस की नाक में दम करने वाले पूर्व दस्यु सरगना मलखान सिंह भी शामिल हैं। कहा जाता है कि गांव के सरपंच ने मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया और विरोध करने पर उन्होंने मलखान सिंह के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कर जेल भिजवा दिया और फिर विरोध करने वाले मलखान सिंह के एक साथी की हत्या भी कर दी। सरपंच तब के एक मंत्री का रिश्तोदार था जिसके घर पर दरोगा और सिपाही हाजिरी बजाते थे। ऐसे में वह किससे न्याय मागता। बंदूक उठाने के अलावा उसके पास कोई रास्ता ही नहीं था। जगजीवन परिहार को डकैत बनाने के लिए तो पुलिस ही जिम्मेदार थी। वह पुलिस का मुखबिर था, निर्भय गूजर को मारने के लिए पुलिस ने जगजीवन को हथियार मुहैया कराया और डाकू बना दिया। ऊपर से दबाव या फिर डाकू के पकड़े जाने पर भेद खुल जाने के डर से पुलिस वाले इनका इनकाउंटर कर देते हैं और फिर एक दूसरा गैंग तौयार करवा देते हैं। पुलिस भी मानती है कि इनकाउंटर स्पेस्लिस्ट लोगों की इसमें खास भूमिका होती है। ऐसे लोग जब एक गैंग को मार गिराते हैं तो उनकी चहलकदमी बंद हो जाती है। ऐसे में वे दूसरा गैंग तौयार कर देते हैं।
    चंबल में डकैत समस्या के पनपने के लिए कहीं न कहीं यहां की प्राकृतिक संरचना भी जिम्मेदार है। चंबल के किनारे के मिट्टी के बड़े-बड़े टीले डाकुओं की छुपने की जगह है, अगर सरकार इन्हें समतल कर लोगों में बांट दे तो इससे न केवल डाकू समस्या पर लगाम लग सकती है, बल्कि लोगों को खेती के लिए जमीन मिल जाएगी, लेकिन टीलों के समतलीकरण की योजना भ्रष्टाचार की वजह से परवान नहीं चढ़ पा रही है। यही कारण है कि डाकुओं के अलावा अब चंबल में नक्सली भी सक्रिय हो रहे हैं। पुलिस भी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नक्सलियों का प्रशिक्षण शिविर कहां चल रहा है। शोषण और बेरोजगारी ही दस्यु समस्या की तरह नक्सल समस्या की भी जड़ है, अगर इस समस्या से निपटना है तो गांवों में विकास की गंगा बहानी हागी। लोगों को शिक्षा के साथ ही रोजगार भी मुहैया कराना होगा, अन्यथा चंबल का दायरा घटने के बजाय पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लेगा और देशभर में ऐसे बागियों की जमात पैदा हो जाएगी, जो देश के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी।1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं। मिर्जापुर से सांसद बनीं। चम्बल में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगी। फूलन 1998 में हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीत गईं।

    रॉबिनवुड क्रांतिकारी फूलन देवी का निधन

    25 जुलाई 2001 को संसद का सत्र चल रहा था। दोपहर के भोजन के लिए संसद से फूलन 44 अशोका रोड के अपने सरकारी बंगले पर लौटी। बंगले के बाहर सीआईपी 907 नंबर की हरे रंग की एक मारुति कार पहले से ही खड़ी थी। 25 जुलाई 2001 को ही शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया। इच्छा जाहिर की कि फूलन के संगठन ‘एकलव्य सेना’ से जुड़ेगा। जैसे ही फूलन घर की दहलीज पर पहुंची। तीन नकाबपोश अचानक कार से बाहर आए और फूलन पर ताबड़तोड़ पांच गोलियां चलाई। एक गोली फूलन के माथे पर जा लगी। गोलीबारी में फूलन देवी का एक गार्ड भी घायल हो गया था। इसके बाद हत्यारे उसी कार में बैठकर फरार हो गए। उसने कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है। 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अपने कुल 38 साल के जीवन में फूलन की कहानी भारतीय समाज की हर बुराई को समेटे हुए है और फूलन देवी की जीवनी प्रत्येक नारी के लिए प्रेरणा श्रोत बनीं। फूलन ने जुल्म के खिलाफ सभी को लड़ने का संदेश दिया।

  • हत्या करनें वालें दोषियों को अविंलम्व गिरफ्तार करें जिला प्रशासन|राजकुमार

    गरीब दलीत कारण पासवान को निर्मम हत्या करनें वालें दोषियों को अविंलम्व गिरफ्तार करें जिला प्रशासन और उनको आश्रितों को 10/ लाख मुआवजा दें जिला प्रशासन … राजकुमार पासवान अध्यक्ष-राष्ट्रवादी कांग्रेंस पार्टी नालंदा।
    प्रेस व्यान जारी कर राष्ट्रवादी कांग्रेंस पार्टी नालंदा के जिला अध्यक्ष राजकुमार पासवान ने कहा है कि कारण पासवान उम्र-17 वर्ष पिता गिरु पासवान मोहल्ला वडी पहाडी मनसुर नगर थाना लहेरी जिला नालंदा ने अपने परिवार को पालन पोषण करनें के लिए रोज के भांति अपना मजदूरी का काम करनें जातें थे लेकिन कल शाम में अपने घर नहीं पहुचें तो कारण के परिवार लोग खोंजने निकल गए तो रात में हि कारण पासवान का निर्मम हत्या सोहन कुआं पहाडी मोड पर शव मिला।
    कारण पासवान एक अच्छें व्यक्ति थे और ईनकों दुष्ट लोग निर्मम तरह से हत्या कर मार कर फेंक दिया।ऐसे दलित को मारनें वालें हत्या रोपी को जिला प्रशासन अविलम्व..24/घंटा में गिरफ्तार करें और मरनें वालें आश्रितों को..10/दस लाख मुआवजा दें।
    नहीं राष्ट्रवादी कांग्रेंस पार्टी नालंदा के जिलाध्यक्ष अंदोलन छेडेगराजकुमार पासवान अध्यक्ष-राष्ट्रवादी कांग्रेंस पार्टी नालंदा।

  • बेतिया में नाबालिग के साथ दुष्कर्म, वीडियो बनाकर दी जान से मारने की धमकी

    लाइव सिटीज, बेतिया: बिहार के बेतिया में नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई है. आरोपी युवक ने घटना को उस समय अंजाम दिया, जब नाबालिग घर में अकेली थी. घटना के वक्त आरोपी युवक के साथ उसका बड़ा भाई भी था. दुष्कर्म करने के बाद दोनों वहां से फरार हो गए. मामले में नाबालिग की बड़ी बहन ने शिकारपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. एफआईआर में उसने गांव के ही दो युवकों को आरोपी बनाया है. घटना शिकारपुर थाना क्षेत्र नरकटियागंज इलाके की है.

    एफआईआर में लड़की ने बताया कि उसके घर के लोग मोहर्रम के मेले में गए हुए थे. नाबालिग घर में अकेली थी और नहा रही थी. उसी समय दोनों आरोपी उसके घर में घुस गए. घर में घुसने के बाद नाबालिग को नहाते हुए देख मोहम्मद फैज उसका वीडियो बना लिया. वीडियो बनाने के बाद उसके साथ जबरदस्ती की. जब नाबालिग ने विरोध किया तो उसका वीडियो दिखाते हुए कहा कि शोर करोगी तो यह वीडियो सोशल साइट्स पर वायरल कर देंगे. जब वह रोने लगी तो चुप रहने के लिए उसे जान से मारने की धमकी भी दी. इस घटना में आरोपी के बड़े भाई ने भी उसका साथ दिया.

    नाबालिग ने एफआईआर में यह भी खुलासा किया है कि कुछ दिन पहले आरोपी के बड़े भाई ने भी जबरन उसके साथ दुष्कर्म किया था लेकिन पंचायती के माध्यम से मामला सुलझा लिया गया था. शिकारपुर थानाध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है. पीड़ित लड़की को मेडिकल और बयान दर्ज करने के लिए बेतिया भेज दिया गया है. आरोपी युवक की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.

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  • डिप्टी सीएम बनने के बाद तेजस्वी यादव का पहला ट्वीट, बिहार के लोगों से की ये अपील

    लाइव सिटीज, पटना: नीतीश कुमार ने 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. राज्यपाल फागू चौहान ने बुधवार को उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. नीतीश ने हिंदी में ईश्वर के नाम की शपथ ली. उनके तुरंत बाद तेजस्वी यादव ने डिप्टी CM पद की शपथ ली. शपथ लेते ही तेजस्वी ने मंच पर ही नीतीश कुमार के पैर छूकर आशीर्वाद लिया.

    बिहार के डिप्टी सीएम बनने के बाद तेजस्वी यादव का पहला ट्वीट सामने आया है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने धन्यवाद देते हुए बिहार के लोगों अपील की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि हर बिहारवासी की उम्मीदों पर खरा उतर सकूं. सभी समर्थकों से आग्रह है जश्न मनाने की बजाय काम पर लग जाएं. गरीब-गुरबा को गले लगाए व ईमानदारी से उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करें. आइये हम सब मिलकर बिहार को और अधिक बेहतर बनाएं.

    आपको बता दें की शपथ लेने के बाद तेजस्वी यादव ने ऐलान किया था कि अगले एक महीने में राज्य के गरीबों और युवाओं को बंपर रोजगार दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह इतना भव्य होगा, जैसा किसी और राज्य में अबतक नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि बिहार ने वह किया है, जिसे देश को जरूरत थी. हमने उन्हें एक रास्ता दिखाया है. हमारी लड़ाई बेरोजगारी के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गरीबों और युवाओं के दर्द को महसूस करते हैं. तेजस्वी ने कहा कि हमने नीतीश कुमार से बात की वो सभी बातों पर सहमत हैं. हम जल्द ही दो से तीन महीनों में युवाओं को रोजगार देने की कवायद शुरू करेंगे.

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  • पटना: एलएन मिश्रा प्रबंधन संस्थान में 12 अगस्त से नए सत्र की शुरुआत, विजय चौधरी होंगे मुख्य अतिथि

    लाइव सिटीज पटना: राजधानी पटना के बेली रोड स्थित एलएन मिश्रा आर्थिक विकास एवं प्रबंधन संस्थान में नए सत्र की शुरुआत आगामी 12 अगस्त से 2022 सत्र के छात्रों के इंडक्शन तथा ओरियेंटेशन के साथ होने जा रही है. सत्रीय उद्घाटन कार्यक्रम ‘आगाज-2022’ में विजय कुमार चौधरी मुख्य अतिथि होंगे. अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग बिहार सरकार व संस्थान के निदेशक डॉ० एम. सिद्धार्थ (भा.प्र.से.) तथा अन्य अतिथियों की उपस्थिति भी रहेगी. छात्रों में प्रबंधन के मूल्यों व बदलते समय में कंप्यूटर की विविधताओं से छात्रों को अवगत कराने तथा इसके माध्यम से उन्हें रोजगार दिलाने के क्रम में एल. एन. मित्र संस्थान राज्य का सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक है. संस्थान में एमबीए, एमबीए (आई.बी.), एमबीए (एच.आर.डी.). एमसीए, बीसीए तथा बीबीए पाठ्यक्रमों का अध्यापन होता है.

    कोविड महामारी के दौरान भी ऑनलाइन पद्धति से शिक्षा की गति लगातार बनाई रखी गई. जिस कारण सत्र 2020-22 के छात्रों का चयन नामी कंपनियों में हुआ. संस्थान से सर्वोच्च सालाना पैकेज 14 लाख पर 3 छात्रों का चयन हुआ, तो वहीं अधिकतर छात्र 5-6 लाख कीसालाना पैकेज पर चयनित हुए. संस्थान में छात्रों के समग्र विकास को भी ध्यान में रखा जाता है. यहां के छात्रों ने हाल में ‘आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की वित्तीय बाजार प्रश्नोत्तरी में इस्टर्न जोन में तीसरा स्थान प्राप्त किया.

    बता दें कि इस उपलब्धि को हासिल करने वाला एलएन मिश्रा बिहार का एकमात्र प्रबंधन संस्थान है. यहां के छात्र समय-समय पर आयोजित कला, खेल-कूद, वाद-विवाद आदि से जुड़े इंटर कॉलेज प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहते हैं और अक्सर अव्वल स्थान भी प्राप्त करते हैं. संस्थान के कई पूर्ववर्ती छात्र आज कई नामी कंपनियों में उच्च पदों पर आसीन हैं. वे इस संस्थान में एलुम्नाई एसोसिएशन के माध्यम से अनवरत जुड़े रहते हैं.

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  • BJP से सत्ता फिसलकर तेजस्वी के हाथों में कैसे आ गई, ज्वालामुखी की तरह फटा बिहार का सियासी शोला, जानें 3 दिन में कब क्या-क्या हुआ

    लाइव सिटीज पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बन गई है. नीतीश कुमार ने आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली तो वहीं तेजस्वी यादव दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने हैं. नीतीश और तेजस्वी की सरकार का 24 अगस्त को सदन में फ्लोर टेस्ट होगा. जहां उन्हें बहुमत साबित करना होगा. सीएम और डिप्टी सीएम तो तय हो गया है लेकिन बिहार के नए मंत्रिमंडल की तस्वीर अभी साफ नहीं हुई है. सरकार में कौन-कौन शामिल होगा, किसके कितने मंत्री बनेंगे, यह सब अभी तय नहीं हुआ है. हालांकि माना जा रहा है कि महागठबंधन में इस बात पर सहमति बन रही है कि 4 विधायक पर एक मंत्री बनाया जाएगा. अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि BJP से सत्ता फिसलकर तेजस्वी के हाथों में आ गई. बिहार में पिछले 3 दिन में जो कुछ हुआ, वह न सिर्फ राज्य की दिशा बल्कि पार्टियों के भविष्य को भी तय करेगा. आइये जानते हैं आखिर पिछले तीन दिन में क्या-क्या हुआ?

    7 अगस्त : दिन रविवार

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 7 अगस्त को हुई नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए. यह एक महीने में चौथा मौका था, जब नीतीश कुमार केंद्र सरकार के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे. इसके बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. कयास लगाए जाने लगे कि आखिर नीतीश के मन में क्या चल रहा है. ऐसे माना जाने लगा कि नीतीश कुमार बीजेपी से दूरी बना रहे हैं. वे जल्द ही बीजेपी के साथ अपना नाता तोड़कर आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. हालांकि जदयू और बीजेपी की ओर से कोई बयान नहीं आया. 

    8 अगस्त: दिन सोमवार

    8 अगस्त यानी सोमवार को नीतीश कुमार के बीजेपी से गठबंधन तोड़ने की चर्चा के बीच राज्य की सभी पार्टियां एक्टिव हो गईं. जहां नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने विधायकों, एमएलसी और सांसदों की 9 अगस्त को बैठक बुलाई. वहीं आरजेडी, कांग्रेस, हम और लेफ्ट पार्टियों ने भी अपने नेताओं, विधायकों और सांसदों से पटना आने को कहा. यहीं से हलचल तेज हो गई कि क्या बिहार कोई खेला होने वाला है. क्या बिहार सरकार बदलने का मौसम आ गया है. इसके बाद 9 अगस्त को सभी पार्टियों ने बैठक बुलाई. उधर बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में बनी रही. बीजेपी के नेता यह कहते रहे कि राज्य में एनडीए में सब कुछ ठीक चल रहा है. जदयू और बीजेपी की सरकार 2025 तक का कार्यकाल आसानी से पूरा करेगी. वहीं जदयू और आरजेडी के नेता भी कहते रहे कि यह सामान्य बैठक है.

    उधर सोमवार को दोपहर होते होते खबर आने लगी कि सीएम नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी से बात की है. हालांकि यह जानकारी सामने नहीं आई कि नीतीश कुमार ने सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात की है या नहीं. नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरों के बीच बीजेपी नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश भी की. बताया जा रहा है कि कई बीजेपी नेताओं ने नीताश कुमार से फोन पर बात और उन्हें एनडीए में ही रहने को कहा. लेकिन नीतीश कुमार नहीं माने. खबर ये भी आई कि सोमवार देर रात गृह मंत्री अमित शाह ने भी फोन पर नीतीश कुमार से बात की. लेकिन वे भी उन्हें नहीं मना पाए. 

    9 अगस्त: दिन मंगलवार

    9 अगस्त यानी मंगलवार का दिन बिहार सत्ता परिवर्तन का दिन रहा. अब बिहार में बैठकों का दौर शुरू हुआ. जदयू ने विधायकों, एमएलसी और सांसदों की बैठक बुलाई. ये बैठक नीतीश कुमार के आवास पर हुई. इस दौरान नीतीश कुमार ने अपने नेताओं से कहा कि बीजेपी ने हमें कमजोर करने की कोशिश की, हर मौके पर हमें अपमानित किया. इस दौरान जदयू के नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे, सभी उसका समर्थन करेंगे. बैठक में बीजेपी के साथ नाता तोड़ने का भी फैसला हो गया. उधर पटना में राबड़ी देवी के आवास पर राजद नेताओं की बैठक हुई. इस दौरान राजद नेताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव जो फैसला करेंगे, वे सभी उसका समर्थन करेंगे. इतना ही नहीं राबड़ी देवी के आवास पर कांग्रेस और लेफ्ट के विधायक भी पहुंचे और उन्होंने समर्थन का पत्र तेजस्वी यादव को दिया. 

    पार्टी नेताओं के साथ बैठक करने के बाद नीतीश कुमार ने शाम चार बजे राज्यपाल से मिलने का समय मांगा. नीतीश कुमार ने शाम 4 बजे राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपा. इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि सब लोगों की इच्छा थी कि बीजेपी से अलग हो जाना चाहिए. विधायकों और सांसदों की सहमति के बाद फैसला लिया.  इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार सीधे राबड़ी आवास पहुंचे, जहां उन्होंने राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से मुलाकात की. इस दौरान नीतीश ने कहा कि अब बिहार में फिर से साथ में काम किया जाएगा. जो हुआ भूल जाइये. इसके बाद नीतीश कुमार को महागठबंधन का नेता चुन लिया गया. नेता चुनने के बाद नीतीश कुमार ने कहा है कि अब वे नई शुरुआत करने जा रहे हैं. नीतीश, तेजस्वी यादव के साथ राजभवन पहुंचे और सरकार बनाने का दावा पेश किया.  नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है. इसमें जेडीयू के 45, आरजेडी के 79, लेफ्ट के 16, कांग्रेस के 19, निर्दलीय एक और हम के चार विधायक शामिल हैं.

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  • बिहार: मुजफ्फरपुर में दिनदहाड़े घर में घुसकर 50 लाख की डकैती, चायपत्ती बेचने के बहाने घर में घुसे थे अपराधी

    लाइव सिटीज अभिषेक मुजफ्फरपुर: इस वक्त की बड़ी खबर बिहार के मुजफ्फरपुर से आ रही है, जहां दिनदहाड़े घर में घुसकर हथियाबंद अपराधियों ने डकैती की घटना को अंजाम दिया है. मामला मुजफ्फरपुर के सदर थाना क्षेत्र के बीबीगंज की है. मिली जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर के बीबीगंज निवासी बालू गिट्टी के व्यवसायी दिवंगत नलिन रंजन के घर में घुसकर अपराधीयों ने घटना को अंजाम दिया. व्यवसायी की पत्नी सविता रंजन अपने पति के निधन के बाद से पूरा व्यापार देख रही है, उनका निधन पिछले साल कोरोना की वजह से हो गया था.

    बुधवार को करीब ढाई बजे वो कांटी रोड स्थित दुकान में थी, वहीं घर में 20 वर्षीय बेटा और बेहद बुजुर्ग मां थी, तभी अचानक दो व्यक्ति चायपत्ती बेचने के बहाने घर में घुसे. युवक के मना करने के बाद उसने पानी मांगा और जबतक युवक पानी लाकर देता. दोनों अपराधी घर में घुस गए. पीड़ित महिला के अनुसार अपराधियों ने उनके 100 वर्षीय सास और बेटे को हथियार के बल पर बंधक बना लिया और घर में रखे करीब 40 लाख के ज़ेवर और 10 लाख कैश लेकर फरार हो गए, वहीं घर से जमीन के कागज़त भी लेकर भाग गए.

    घटना की जानकारी के बाद मौके पर सदर थाना की पुलिस पहुंचकर मामले की जांच कर रही है. पुलिस ने घटना को लेकर बताया कि करीब 50 लाख की लूट की बात कही जा रही है, मामले की जांच कर रहें हैं. वहीं दिनदहाड़े घर में घुसकर इतनी बड़ी डकैती होने से इलाके में सनसनी फ़ैल गई है. घटना के बाद इलाके के लोग डरे हुए हैं. वहीं पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

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  • अभी भी साफ नहीं हुई है नीतीश-तेजस्वी मंत्रिमंडल की तस्वीर, जानें बिहार में कितने मंत्री बन सकते हैं, सबसे बड़ा पेंच क्या था?

    लाइव सिटीज पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बन गई है. नीतीश कुमार ने आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली तो वहीं तेजस्वी यादव दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने हैं. लेकिन बिहार के नए मंत्रिमंडल की तस्वीर अभी साफ नहीं हुई है. सरकार में कौन-कौन शामिल होगा, किसके कितने मंत्री बनेंगे, यह सब अभी तय नहीं हुआ है. हालांकि माना जा रहा है कि महागठबंधन में इस बात पर सहमति बन रही है कि 5 विधायक पर एक मंत्री बनाया जाएगा. इस फार्मूले के तहत महागठबंधन के सबसे बड़े दल आरजेडी के सबसे अधिक मंत्री बन सकते हैं. इस बीच आरजेडी विधायक ने दावा किया है कि महागठबंधन की सरकार में स्पीकर आरजेडी कोटे से बनेगा. बताया जा रहा है कि अवध बिहारी चौधरी होंगे विधानसभा के स्पीकर हो सकते हैं.

    इस नए गठबंधन की सरकार में सबसे बड़ा पेंच यह था कि मुख्यमंत्री कौन होगा, लेकिन अब नीतीश कुमार के नाम पर सहमति बन गई और उन्होंने शपथ ले ली है तो अब माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के गठन में कोई बड़ा पेंच नहीं फंसेगा. बताया जा रहा है कि महागठबंधन में शामिल नेताओं को यह पता है किसके कितने मंत्री बनेगे और किसके खाते में कितनी सीटें आएंगी. अब सवाल यह है कि बिहार में कितने विधायक मंत्री बन सकते हैं. दरअसल बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं. किसी राज्य की विधानसभा की सीटों के 15 फीसदी ही मंत्री बन सकते हैं. इस तरह बिहार मंत्रिमंडल में कुल 36 विधायक मंत्री बन सकते हैं. जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने शपथ ले ली है. इस तरह अब बिहार कैबिनेट में 34 मंत्रियों की जगह खाली है.

    अगर विधायकों की संख्या देखें तो सबसे अधिक 79 विधायक आरजेडी के पास हैं. वहीं जदयू के पास 45 और कांग्रेस के 19 विधायक हैं. इसलिए विधायकों की संख्या के आधार पर सबसे अधिक मंत्री आरजेडी के कोटे से ही बनेंगे. वहीं अगर पिछली सरकार की बात करें तो उसमें सबसे बड़ी बार्टी बीजेपी थी. इस वजह से सरकार में उसके दो उपमुख्यमंत्री और 16 मंत्री शामिल थे. बताया जा रहा है कि महागठबंधन की नयी सरकार की कैबिनेट में जगह का फॉर्मूला 2015 के आधार पर तय होगा. इसके मुताबिक पांच विधायक पर एक मंत्री बनाये जायेंगे. ऐसे में विधानसभा में 79 विधायकों वाली पार्टी राजद के 15 मंत्री बन पायेंगे. जबकि 10 मंत्री जदयू से भी बनाये जायेंगे. कांग्रेस के हिस्से में तीन से चार मंत्री पद जा सकता है. 12 विधायकों वाली CPI(ML) ने सरकार में शामिल होने पर अभी कोई फैसला नहीं किया है. वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हम को एक मंत्री पद मिल सकता है. भाजपा कोटे के मंत्रियों के मिले विभाग राजद कोटे के मंत्रियों को दिया जायेगा. महागठबंधन की सरकार में मंत्रियों के नाम तय करने में सामाजिक समीकरण का पूरा ख्याल रखा जायेगा. सबसे अधिक यादव विधायक चुनाव जीत कर आये हैं. ऐसे में यादव, अल्पसंख्यक और वैश्य व कुशवाहा जाति के मंत्रियों की संख्या अधिक होगी.

    नीतीश कैबिनेट के संभावित मंत्री

    RJD कोटे से– तेजप्रताप यादव, आलोक कुमार मेहता, अनिता देवी, जितेन्द्र कुमार राय, चन्द्रशेखर, कुमार सर्वजीत, बच्चा पांडेय, भारत भूषण मंडल, अनिल सहनी, शाहनवाज, अख्तरुल इस्लाम शाहीन,समीर महासेठ, भाई वीरेन्द्र, ललित यादव, कार्तिक सिंह, वीणा सिंह, रणविजय साहू, सुरेन्द्र राम

    JDU कोटे से– विजय कुमार चौधरी, विजेन्द्र प्रसाद यादव, अशोक चौधरी, उपेन्द्र कुशवाहा, शीला कुमारी, श्रवण कुमार, मदन सहनी, संजय कुमार झा, लेशी सिंह, सुनील कुमार, जयंत राज, जमा खान

    कांग्रेस कोटे से-मदन मोहन झा, अजीत शर्मा, शकील अहमद खान, राजेश कुमार
    हम (से) कोटे से- संतोष कुमार सुमन

    बता दें कि महागठबंधन के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पहली कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और मुख्य सचिव मौजूद रहे. 24 और 25 अगस्त को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. वहीं 25 अगस्त को विधान परिषद् की कार्यवाही होगी. सदन में नए स्पीकर का चुनाव होगा और विधानसभा में महागठबंधन सरकार अपना बहुमत साबित करेगी. राजभवन में शपथ लेने के बाद सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक की. इस बैठक में विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया गया है. दरअसल मंगलवार को एनडीए से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव और महागठबंधन के नेताओं के साथ मिलकर बिहार में नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को 164 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा है. इसमें जेडीयू के 45, आरजेडी के 79, लेफ्ट के 16, कांग्रेस के 19, निर्दलीय एक और हम के चार विधायक शामिल हैं.

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