बिहारशरीफ के खंदक मोड़ स्थित अजीतघाट दायरापर संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वधान में किसान महापंचायत के कार्यालय का उद्घाटन किया गया राजेंद्र प्रसाद के कर कमलों द्वारा कार्यालय का उद्घाटन किया गया इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि 26 नवंबर को राजगीर के मेला मैदान में लाखों लाख की संख्या में उपस्थित होकर किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए आवाहन किए। किसान महापंचायत के द्वारा मांग पत्र :-भारत सरकार पूरे देश में एमएसपी(msp)न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी दे किसान आंदोलन में 785 शहीद हुए किसानों के परिजनों को 15/ 15 लाख रुपए दे एवं उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जाए तथा अंदोलन के तहत किसानों पर जो केस हुए उन्हें अविलंब वापस लिए जाएं अग्निपथ योजना को वापस लिया जाए बिहार में व्यापार बाजार समिति पुन:चालू किया जाए भारत के 60 वर्ष के ऊपर वाले किसानों के लिए ₹10000 प्रत्येक माह पेंशन योजना लागू हो। किसानों की कृषि ऋण माफ किया जाए। कृषि कार्य हेतु बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाए। जमीन सर्वे अंचल कार्यालयों में दाखिल खारिज एवं परिमार्जन व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए। दक्षिण बिहार को अकाल क्षेत्र एवं उत्तरी बिहार को दहाड़ क्षेत्र घोषित किया जाए ।गन्ना उत्पादकों को बकाया राशि का अविलंब भुगतान किया जाए। मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ा जाए। कोयल परियोजना को पूरा किया जाए। राजगीर के वर्षो से बंद पड़े कृषि महाविद्यालय को चालू किया जाए। इस मौके पर चंद्रशेखर प्रसाद शाहनवाज ररामदेव चौधरी अनील पासवान महेंद्र प्रसाद शिव कुमार यादव जाहिद अंसारी विनोद कुमार सिंह प्रोफेसर स्वधर्म परमेश्वर प्रसाद आदि लोग उपस्थित थे।
Category: Bihar News
-
खंदक पर मोड़ स्थित बिहार स्टडी कैफे एंड लाइब्रेरी का उद्घाटन
एंकर–बिहार शरीफ के खंदक पर मोड़ स्थित बिहार स्टडी कैफे एंड लाइब्रेरी का उद्घाटन अस्थावां विधायक डॉ जितेंद्र कुमार के द्वारा किया गया इस मौके पर सर मेरा के जिला परिषद सदस्य कौशलेंद्र कुमार भी मौजूद रहे इस मौके पर अस्थमा विधायक डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने कहा कि बड़े-बड़े शहरों के तर्ज पर बिहारशरीफ में भी लाइब्रेरी खोला जा रहा है ताकि इसमें स्थानीय छात्र-छात्राएं अपना स्टडी करके अपने भविष्य को उज्जवल बना सकें।
उन्होंने बिहार स्टडी कैफे एंड लाइब्रेरी के संचालक को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि युवा की सोच अगर रचनात्मक और सकारात्मक हो तो कल का भविष्य उज्जवल होगा और युवा ही कल के स्तंभ और भविष्य है। युवा के सर्वांगीण विकास के लिए बिहारशरीफ में इन्होंने एक अच्छी व्यवस्था की है शिक्षा के बढ़ते दौर में यह एक अच्छा प्रयास है सबसे बड़ी बात यह है कि इस लाइब्रेरी में 24 घंटे छात्र छात्राओं के लिए पढ़ने की सुविधा है सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इस लाइब्रेरी में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।हर युवा वर्ग की पूंजी अपनी कड़ी मेहनत से कमाए हुए शिक्षा ही होती है अगर किसी के पास इच्छा है तो वह कहीं भी अपना भरण पषण कर सकता है।
इस मुबारक मौके पर अपने विधानसभा से जुड़े सभी लोगों और कोचिंग के संचालक रविराज कुमार को मुबारकबाद देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। कोचिंग के संचालक रविराज ने बताया कि इस लाइब्रेरी के अंदर छात्र-छात्राओं के लिए अलग से बैठने की सुविधा प्रदान की गई है। जिसमें शांतिपूर्ण वातावरण वाई फ़ाई की सुविधा कंपटीशन से जुड़े किताब डेली न्यूजपेपर एंड मैगजीन की सुविधा प्रदान की जाएगी।इस मौके पर कविराज पटेल रवि राज पटेल सुभाष कुमार सुधीर पटेल नीरज कुमार राकेश कुमार रजनीश कुमार जिला परिषद सदस्य कौशलेन्द्र कुमार मौजूद रहे।
-
परवलपुर प्रखण्ड में सभी पँचायत चलन्त लोक अदालत किया जा रहा है
राजकीय बालिका उच्च विद्यालय परवलपुर नालन्दा जिला विधिक सेवा प्राधिकार नालन्दा,बिहारशरीफ जिला एवम सत्र न्यायाधीश के अध्यक्षता में परवलपुर प्रखण्ड में सभी पँचायत चलन्त लोक अदालत किया जा रहा है,जिसमे बाल विवाह,पोस्को,मौलिक अधिकार, बैंक ऋण समस्या ,दुर्घटना,बिजली चोरी केस मुयमजा,कानूनी सहायता और सभी बालिका को पोस्को एक्ट ,बाल विवाह ,बाल तस्करी अच्छा जीवन स्तर ,बाल श्रमिको की सुरक्षा,चलन्त लोक अदालत जगरूक चलाया जा रहा है जिसमे वकील हिमांशु कुमार,प्रिंस कुमार ,plv राहुल कुमार,श्याम कुमार मई पँचायत में जागरूक अभियान चलाया गया।19 तारिख को हिलसा अनुमंडल में चलन्त लोक अदालत लगाया जाएगा ।13 तारीख को परवलपुर ब्लॉक में जगरूक अभियान कैम्प लगाया जाएगा जिसमे सभी ब्लॉक पदाधिकारी शामिल रहेंगे ।
-
एक वनकर्मी की हत्या कुल्हाड़ी से काटकर कर दिया।
एक बड़ी खबर अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल राजगीर से आ रही है। जहां ड्यूटी से घर लौटने के क्रम में एक वनकर्मी की हत्या कुल्हाड़ी से काटकर कर दिया। वनकर्मी का शव रेल्वे लाइन के पास पाया गया।घटना के सम्बंध में बताया जाता है कि वनकर्मी अपना काम समाप्त कर अपने घर जा रहे थे इसी दौरान घर से महज 100 मिटर की दूरी पर पूर्व से घात लगाए अपराधियो ने पीछे से कुल्हाड़ी से सर पर कई बार हमला कर दिया।
जिससे वनकर्मी रामप्रवेश राम ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। रास्ते आए गुजर रहे एक बच्चे कब द्वारा वारदात की सूचना परिजनों को दिया गया।हालांकि परिजन किसी से कोई दुश्मनी से साफ इंकार कर रहे हैं। वही परिजनो ने इस घटना में शामिल अपराधियो पर प्रशासन से कठोर कार्रवाई करने का मांग कर रहे हैं।घटना की जानकारी मिलते ही राजगीर पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की जांच में जुट गई।फिलहाल पुलिस शाव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बिहार शरीफ सदर अस्पताल भेज दिया।
-
जस्टिस फॉर सोनू के बैनर तले कैंडल मार्च एवम् मौन श्रद्धांजलि
जस्टिस फॉर सोनू के बैनर के तहत वृहस्पतिवार की संध्या 5:30 में सोनू को उचित न्याय दिलाने हेतु शांतिपूर्ण तरीके से मौन रहकर कैंडल मार्च का आयोजन गांव में ही किया गया ।जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण व सोनू के परिजन मौजूद रहे । बताते चले कि सोनू को उचित न्याय मिलने के लिए जस्टिस फॉर सोनू नामक संगठन का निर्माण किया गया है ।जिसके संयोजक रवि रंजन कुमार बनाए गए है ।
कैंडल मार्च में लोगों ने शांतिपूर्वक तरीके से कैंडल जलाकर मौन रहकर एक हाथ में मोमबत्ती जलाते हुए यह मार्च निकाला।और अंत में 2 मिनट का मौन रखकर मौन श्रद्धांजलि दी। मृतक सोनू कुमार के पिता ने बताया कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है।सोनू के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।उन्होंने कहा कि जिस तरह से मेरे बेटे को तड़पा तड़पा कर दरिंदों ने मारा है, उसे सबक जरूर मिलनी चाहिए। क्योंकि किसी व्यक्ति को निर्ममतापूर्वक हत्या करने का क्या परिणाम होता है ,यह सभी को पता चल सके।
कैंडल मार्च में कुणाल कुमार ,श्यामसुंदर शर्मा ,परमेंद्र शर्मा,मृतक के परिजनों सहित दर्जनों लोग शामिल थे।
बताते चलें कि सोनू कुमार की मृत्यु के बाद ग्रामीणों में भी शोक की लहर है ।यही कारण है कि सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुषों ने उन्हें बृहस्पतिवार की संध्या को कैंडल जलाकर उन्हें मौन श्रद्धांजलि अर्पित की ।
वही सिविल राइट्स प्रोटेक्शन सेल के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह एआईएमसीईए के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक कुमार ने इस घटने की कड़ी निंदा करते हुए कहा किसी भी व्यक्ति की हत्या करना कानूनन अपराध है ।हत्यारे को सजा मिलनी ही चाहिए।विते दिनों मंगलवार की मध्य रात्रि को दरिंदो की दरिंदगी उस समय हद पार कर गई जब तेज धारदार हथियार से सोनू को तड़पा तड़पा कर हत्या कर दी थी।सोनू के न्याय के लिए सामाजिक संगठन के लोग भी आगे आए हैं।जस्टिस फॉर सोनू के संयोजक रविरंजन ने कहा कि जल्द ही सोनू की हत्या के विरोध में शांतिपूर्ण धरना किया जाएगा।
जिसमे हजारों की संख्या में लोग भाग लेगे । -
भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 134 वीं जयंती पर विशेष
राकेश बिहारी शर्मा – आधुनिक भारत के इतिहास के महान विभूतियों में शामिल मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने जीवन पर्यंत देश की सेवा की। भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का असली नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था। वे मौलाना आज़ाद के नाम से मशहूर थे।
मौलाना अबुल कलाम आजाद एक कवि, एक विद्वान, एक पत्रकार और एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किए जाते है, जिनका सबसे बड़ा योगदान अभी भी शिक्षा का उपहार है। मौलाना आज़ाद जी बहुभाषीय जानकर थे, जैसे अरबिक, इंग्लिश, उर्दू, हिंदी, पर्शियन और बंगाली भाषा में भी निपुण थे। मौलाना आज़ाद किसी भी मुद्दे पर बहस करने में दक्ष थे। उन्होंने धर्म के एक संकीर्ण दृष्टिकोण से मुक्ति पाने के लिए अपना उपनाम “आज़ाद” रख लिया था। राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान के लिए मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।अबुल कलाम आज़ाद का जन्म, परिवारिक जीवन एवं शिक्षा
भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था। उनके परदादा बाबर के ज़माने में अफ़ग़ानिस्तान के एक शहर हेरात से भारत आये थे। आज़ाद एक पढ़े लिखे मुस्लिम विद्वानों या मौलाना वंश में जन्मे थे। उनकी माता अरब देश के शेख मोहम्मद ज़हर वत्री की पुत्री थीं और पिता मौलाना खैरुद्दीन अफगान मूल के एक बंगाली मुसलमान थे। खैरुद्दीन ने सिपाही विद्रोह के दौरान भारत छोड़ दिया और मक्का जाकर बस गए। जब 2 साल के थे आजाद 1890 में वह अपने परिवार के साथ कलकत्ता वापस आ गए थे।
उनकी आरंभिक शिक्षा इस्लामी तौर तरीकों से हुई। घर पर या मस्ज़िद में उन्हें उनके पिता तथा बाद में अन्य विद्वानों ने पढ़ाया। इस्लामी शिक्षा के अलावा उन्हें दर्शनशास्त्र, इतिहास तथा गणित की शिक्षा भी अन्य गुरुओं से मिली। आज़ाद ने उर्दू, फ़ारसी, हिन्दी, अरबी तथा अंग्रेजी़ भाषाओं में महारथ हासिल की। मौलाना अबुल कलाम आजाद जब सिर्फ 12 साल के थे, तब उन्होंने किताबें लिखनी शुरु कर दी थी। सत्रह वर्ष की अवस्था में 1905 में वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए मिस्र गए और काहिरा के अल-अजहर विश्वविद्यालय में दो वर्ष तक शिक्षा प्राप्त की। वहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा की जबर्दस्त धाक जमाई। उनके शिक्षक उनके बारे में कहा करते थे- “वह पैदायशी आलिम है।” साथ ही युवा अवस्था से ही वे पत्रकार के तौर पर काम करने लगे थे। उन्होंने कई समाचार पत्रों में काम किया था। इस दौरान वे राजनीति से जुड़े हुए अपने कई लेखों को भी प्रकाशित करवाते रहते थे।
मौलाना आजाद ने ”अल-मिस्वाह” के संपादक के तौर पर भी काम किया था। इसके अलावा मौलाना आजाद में अपने कई लेख ब्रिटिश राज के खिलाफ प्रकाशित किए थे। मौलाना आजाद छात्र जीवन में ही अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया, साथ ही एकडिबेटिंग सोसायटी की भी शुरुआत की थी। उस दौरान वे अपनी दोगुनी उम्र वाले छात्रों को पढ़ाते थे, दरअसल उन्हें लगभग सभी परंपरागत विषयों का ज्ञान हो गया था।अबुल कलाम आजाद का राजनैतिक सफर
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को असहयोग आन्दोलन से लेकर 1942 तक के भारत छोड़ो आन्दोलन तक कई बार उन्हें गिरफ्तार किया गया। असहयोग आन्दोलन में उन्होंने आगे बढकर भाग लिया था। वर्ष 1923 और 1940 में दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये थे। वर्ष 1945 में रिहाई के बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों से समझौता वार्ता में भाग लिया और स्वतंत्रता के बाद उन्हें भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाया गया। मौलाना आजाद सहिष्णु विचारो के धनी व्यक्ति थे। उनकी मान्यता थी कि जब सब धर्म एक ही परमेश्वर की प्राप्ति का मार्ग है तो उसमें संघर्ष क्यों हो। अबुल कलाम बड़े ही प्रभावशाली वक्ता और उर्दू भाषा के उच्च कोटि के लेखक थे। उनकी पुस्तके उर्दू गध्य का आदर्श मानी जाती है। अंग्रेजी में भी उन्होने ख़ास महत्वपूर्ण लेखन किया।
आजाद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ थे। उन्हेंने अंग्रेजी सरकार को आम आदमी के शोषण के लिए जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने अपने समय के मुस्लिम नेताओं की भी आलोचना की जो उनके अनुसार देश के हित के समक्ष साम्प्रदायिक हित को तरज़ीह दे रहे थे। अन्य मुस्लिम नेताओं से अलग उन्होने 1905 में बंगाल के विभाजन का विरोध किया और ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के अलगाववादी विचारधारा को खारिज़ कर दिया। आजाद ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेना आरंभ किया और उन्हें श्री अरबिन्दो और श्यामसुन्हर चक्रवर्ती जैसे क्रांतिकारियों से समर्थन मिला। आज़ाद की शिक्षा उन्हे एक किरानी बना सकती थी पर राजनीति के प्रति उनके झुकाव ने उन्हें पत्रकार बना दिया। उन्होने 1912 में एक उर्दू पत्रिका अल हिलाल का सूत्रपात किया। उनका उद्येश्य मुसलमान युवकों को क्रांतिकारी आन्दोलनों के प्रति उत्साहित करना और हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल देना था। उन्होने कांग्रेसी नेताओं का विश्वास बंगाल, बिहार तथा बंबई में क्रांतिकारी गतिविधियों के गुप्त आयोजनों द्वारा जीता। उन्हें 1920 में राँची में जेल की सजा भुगतनी पड़ी।वर्ष 1930 के आंदोलन में जब कांग्रेस के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू को अंग्रेज सरकार ने गिरफ्तार कर लिया, तब मौलाना आजाद को उनकी जगह कांग्रेस अध्यक्ष नामजद किया गया। लेकिन कुछ समय के बाद ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। मौलाना आज़ाद की बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता बड़ी असाधारण थी। इसीलिए प्रायः हर बात में गांधीजी उनकी सलाह लिया करते थे। राजनीति की बारीकियों को मौलाना बखूबी समझते थे। इसीलिए 1937 में भारत के आठ प्रांतों में कांग्रेस मंत्रिमंडलों की स्थापना होने पर, उनकी सहायता के लिए कांग्रेस ने जो समिति बनाई, उसमें बाबू राजेंद्र प्रसाद और सरदार बल्लभभाई पटेल के अलावा मौलाना आज़ाद को भी रखा गया था। इस समिति के सदस्य की हैसियत से उन्होंने उत्तर प्रदेश के शिया और सुन्नी मुसलमानों के झगड़े को समाप्त किया। बिहार में किसानों और जमींदारों के बीच समझौता कराया और दुसरे प्रांतों में भी इसी तरह के कई झगड़े समाप्त कराने में सहायता पहुंचाई। वर्ष 1942 में जब कांग्रेस ने “भारत छोड़ो” आंदोलन आरंभ किया, तब मौलाना आज़ाद भी अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें अहमदनगर के किले में कैद कर दिया गया। किंतु इसी कारावास काल में उन्हें अपनी अत्यधिक प्रिय पत्नी से हाथ धोना पड़ा। उनकी पत्नी का उन्हीं दिनों देहांत हो गया।
कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर मौलाना आज़ाद छः वर्ष तक रहे। इतने दिनों तक कोई भी व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं रहा। वर्ष 1947 में देश के विभाजन और स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् मौलाना आज़ाद को भारत सरकार के शिक्षा मंत्री का पद दिया गया। इस पद पर वह लगातार ग्यारह वर्ष तक रहे और उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक देश की सेवा की।पाकिस्तान के गठन के विरोध में थे मौलाना अबुल कलाम आजाद:
गांधीवादी विचारधारा वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद ने हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए काफी काम किए। वे धर्म के आधार पर नए देश पाकिस्तान के गठन के काफी विरोध में थे एवं वे नहीं चाहते थे कि पाकिस्तान का गठन हो, इसलिए भारत-पाक विभाजन के समय उन्होंने इसका काफी विरोध भी किया था। वहीं भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान उन्होंने भारत में मुस्लिम समुदिय की रक्षा की जिम्मेदारी ली। इसके साथ ही वे इस दौरान पंजाब, असम, बिहार, और बंगाल समेत कई जगहों पर गए और लोगों के लिए रिफ्यूजी कैंप लगाए और उनके लिए खाने की भी उचित व्यवस्था की और उनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा।
अबुल कलाम आजाद का तकनीकी शिक्षा और महिला शिक्षा पर जोर
आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद को कैबिनेट स्तर के पहले शिक्षा मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ जहां उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की और अनेक उपलब्धियां भी हासिल की। जिस शिक्षा के अधिकार को लेकर वर्तमान सरकार इतरा रही है, केन्द्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने के नाते और एक शीर्ष निकाय के तौर पर अबुल कलाम आजाद ने सरकार से केन्द्र और राज्यों दोनों के अलावा विश्वविद्यालयों में, खासतौर पर सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा, लड़कियों की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की सिफारिश की थी। वर्तमान शिक्षा पद्धति में काफी दोष हैं, इसमें दिखावा तो खूब है लेकिन वास्तविक शिक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं। अगर हम पिछले 60 सालों का इतिहास देखें तो ऐसा कोई भी शिक्षा मंत्री नहीं रहा जिसने भारतीय शिक्षा पद्धति में अमूलचूल परिवर्तन किया हो। लेकिन भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद उन सबसे अलग थे।
भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर अबुल कलाम आजाद ने नि:शुल्क शिक्षा, भारतीय शिक्षा पद्धति, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) जैसी उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की. मौलाना मानते थे कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय शिक्षा में सांस्कृतिक सामग्री काफी कम रही और इसे पाठयक्रम के माध्यम से मजबूत किए जाने की जरूरत है।
तकनीकी शिक्षा के मामले में अबुल कलाम आजाद ने 1951 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (खड़गपुर) की स्थापना की गई और इसके बाद श्रृंखलाबद्ध रूप में मुंबई, चेन्नई, कानपुर और दिल्ली में आईआईटी की स्थापना की गई. स्कूल ऑफ प्लानिंग और वास्तुकला विद्यालय की स्थापना दिल्ली में 1955 में हुई। इसके अलावा मौलाना आजाद को ही ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना का श्रेय जाता है. वह मानते थे कि विश्वविद्यालयों का कार्य सिर्फ शैक्षिक कार्यों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ उनकी समाजिक जिम्मेदारी भी बनती है। उन्होंने अंग्रेजी के महत्व को समझा तो सही लेकिन फिर भी वे प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा हिन्दी में प्रदान करने के हिमायती थे। वह प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहे।
मौलाना अबुल कलाम जी संपूर्ण भारत में 10+2+3 की समान शिक्षा संरचना के पक्षधर रहे थे। यदि वे आज ज़िंदा होते तो वे नि:शुल्क शिक्षा के अधिकार विधेयक को संसद की स्वीकृति के लिए दी जाने वाली मंत्रिमंडलीय मंजूरी को देखकर बेहद प्रसन्न होते। शिक्षा का अधिकार विधेयक के अंतर्गत नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की।
वर्तमान समय में तो देश में कुकरमुत्ते की तरह शैक्षिक संस्थान खुलते जा रहे हैं लेकिन ये संस्थान प्राणहीन मूर्ति के समान हैं। यहां थोड़ा अक्षर ज्ञान जरूर मिल जाता है और बाकी के ज्ञान के नाम पर ये सभी संस्थाएं प्रमाण-पत्र बांटने का काम कर रही हैं। पैसा दीजिए, और प्रमाण पत्र लीजिए इस तरह की व्यवस्था समाज में उत्पन्न हो रही है जो किसी भी मायने में सही नहीं कही जा सकती।मौलाना अबुल कलाम जी हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक
भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद सच्चे राष्ट्रभक्त, एक कुशल वक्ता तथा महान् विद्वान् थे। पुराने एवं नये विचारों में अद्भुत सामंजस्य रखने वाले हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। देश सेवा और इस्लाम सेवा दोनों को एक्-दूसरे का पूरक मानते थे। हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही संस्कृतियों के अनूठे सम्मिश्रण की वे एक मिसाल थे। राष्ट्रीय जीवन की मुख्य धारा के समर्थक मौलाना आजाद देश की मिली जुली संस्कृति के उदाहरण थे। “बहुत सारे लोग पेड़ लगाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को ही उसका फल मिलता है। दिल से दी गयी शिक्षा समाज में क्रांति ला सकता है”।
अबुल कलाम आजाद द्वारा लिखी गईं प्रमुख किताबें–
हमारी आजादी, खतबाल-ल-आजाद, गुब्बा रे खातिर, तजकरा, हिज्र-ओ-वसल, तजकिरह आदी, तर्जमन-ए-कुरान इत्यादि प्रमुख थे। -
भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी द्वारा फ्लैगशिप स्टोर का शुभारंभ
पटना :- उषा इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रीमियम लाईटिंग ब्रांड तिस्वा ने आज ईस्ट बोरिंग कैनाल रोड, पटना में अपने नवीनतम आउटलेट का उद्घाटन किया, जो मेसर्स ग्लिंटस्टार (ग्लेम सुग्गा इंटरप्राइजेज) की एक ईकाई है! तिस्वा का बिहार में पहले आउटलेट का उद्घाटन माननीय मंत्री श्री अशोक चौधरी, भवन निर्माण विभाग, बिहार सरकार ने दीप प्रज्वलित कर के किया|
इस मौके पर मुख्य अतिथि माननीय चंद्रिका राय, पूर्व परिवहन मंत्री, न्यायाधीश श्री सत्यवर्त वर्मा , पटना उच्च न्यायालय, पटना भी मौजूद रहें! इस मौके पर स्टोर की अध्यक्ष श्रीमती निर्मला देवी, स्टोर के निर्देशक युगमनी कुमार, सुशांत और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे| इस अवसर पर तिस्वा के क्षेत्रीय प्रबंधक मोहम्मद शकीब, बिहार एवम झारखंड ने कहा कि तिस्वा का यह नया आउटलेट अदिवतीय और प्रीमियम लाइटिंग समाधानों के व्यापक संग्रह के साथ ग्राहकों की व्यक्तिगत जीवन शैली की जरूरतों को पूरा करेगा| तिस्वा का नवीनतम सिग्नेचर स्प्रिंग कलेक्शन और खूबसूरती से हाथ से तैयार किए गए बोहेमियन क्रिस्टल, मुरानो ग्लास, इजिप्शियन, एस्फोर क्रिस्टल, के9 क्रिस्टल, मित्सुबुशी ग्लास ल्यूमिनरीज भी इस रेंज में उपलब्ध होंगे| इस दौरान शोरूम के निर्देशक श्री युगमनी जी ने बताया कि तिस्वा उत्पादों की विविध रेंज में एम्बिएंस लाइटिंग कॉन्सेप्ट, एलईडी डिजाइनर रेंज, झूमर, टेबल और फ्लोर लैंप, वॉल लाईट्स, पेंडेंट्स, डिजाइनर स्पॉटलाइट और हर जरूरत के अनुरूप प्रीमियम आर्किटेक्चरल लाइटिंग उत्पाद शामिल हैं| -
नशे में धुत्त होकर नशेड़ी पहुँचा थाना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में भले ही शराबबंदी लागू करने के बाद इसकी सफलता का बार-बार दावा किया हो, लेकिन उनकी पार्टी के ही संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इससे सहमति नहीं रखते हैं। बिहार में शराबबंदी को लेकर उपेंद्र कुशवाहा का एक बड़ा बयान सामने आया है। कुशवाहा ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी असफल है और सरकार के चाहने भर से शराबबंदी नहीं हो सकती। कुशवाहा ने कहा है कि अगर मैं शराबबंदी के सफल होने का दावा करूं तो यह सरासर गलत होगा। इतना ही नहीं कुशवाहा ने यह भी कहा है कि इसके लिए आम जनता को जागरूक होना होगा। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान का उल्टा ही नजारा नालंदा जिले में भी देखने को मिल रहा है तभी तो उपेंद्र कुशवाहा के बयान का असर मुख्यमंत्री क्षेत्र नालंदा जिले में भी देखने को मिल रहा है उपेंद्र कुशवाहा के बयान आने के कुछ घंटों बाद ही एक नशेड़ी अपने साले के प्रताड़ना से प्रताड़ित होकर शराब के नशे में धुत रहुई थाना फरियाद लेकर पहुंच गया। जब से शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया है की शराब के नशे में पकड़े जाने पर जुर्माना भरकर छोड़ दिया जाएगा। तब से नालंदा जिले में नशेड़ीयो की तादाद में काफी इजाफा हुआ है। तभी तो पुलिस लगातार नशेड़ियों को पकड़ने में ही परेशान दिख रही है। नशेड़ियों को पकड़ने से लेकर इलाज करने तक का जिम्मा नालंदा जिला पुलिस ने ले लिया है।
-
24 घंटे के अंदर प्रेम प्रसंग में दो लोगों की निर्मम हत्या
नालंदा जिले में 24 घंटे के अंदर प्रेम प्रसंग में दो लोगों की निर्मम हत्या का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। पहली घटना दीपनगर थाना क्षेत्र इलाके के महानंदपर गांव में घटी। जहां प्रेम प्रसंग में युवक की चाकू से गोद गोद कर हत्या कर दी। वहीं दूसरी घटना पावापुरी ओपी थाना क्षेत्र इलाके के चोरसुआ गांव में प्रेम प्रसंग में 34 साल के सुधीर दास की तेज धारदार हथियार से मौत के घाट उतार दिया। घटना के संबंध में बताया जाता है कि सुधीर दास का प्रेम प्रसंग गांव के ही संजू देवी के साथ चल रहा था। जिसकी भनक प्रेमिका के परिजनों को लग गई थी।
मृतक के रिश्तेदारों ने बताया कि सुधीर दास को फोन करके रंजीत मांझी घर से बाहर खाने पीने के बहाने बुलाया गया। रात भर रंजीत मांझी किशोरी माझी समेत कई लोगों ने साथ में बैठकर खाना पीना भी किया। उसके बाद इन सभी लोगों ने मिलकर सुधीर दास की धारदार हथियार से हत्या कर दी हत्या करने के बाद उसके शव को गांव में ही फेंक दिया। सुबह में शौच के लिए निकले ग्रामीणों के द्वारा इसकी सूचना परिजनों को दी गई। इन लोगों के द्वारा हैवानियत की हद को पार करते हुए सुधीर दास के दोनो आंखों को भी छोड़ दिया। फिलहाल पुलिस सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है।
-
57 करोड़ की लागत से सरकारी बस स्टैंड में 750 लोगों की क्षमता का बनेगा
सरकारी बस स्टैंड में मल्टी परपस बिल्डिंग व आॅडोटारियम निर्माण के लिए एक बार फीर पहल शुरू की गई है। इसवार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में आॅडोटाेरियम बनाने के प्रस्ताव पर भी मुहर लग गया है। एनओसी के लिए परिवहन विभाग को प्रस्ताव भी भेजा गया है। सहमती मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस मल्टी परपस बिल्डिंग के कई प्रकार की सुविधाएं होगी। जो शहर के लिए काफी लाभकारी साबित होगा। लेकिन अभी तक परिवहन विभाग से एनओसी नहीं मिलने के कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। सरकारी बस स्टैंड का क्षेत्रफल काफी है लेकिन स्मार्ट सिटी द्वारा सिर्फ 1 एकड़ के लिए ही एनओसी मांगा जा रहा है।
ताकि बड़े शहरों के तर्ज पर बिहारशरीफ में भी स्मार्ट मल्टी परपस बिल्डिंग तैयार किया जा सके। सीईओ विनोद कुमार ने बताया कि इसपर काफी दिनों से तैयार की जा रही थी। इस वार वोर्ड से सहमती दे दी गई है। परिवहन विभाग से एनअोसी मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जी प्लस फोर होगा बिल्डिंग सीईओ ने बताया कि सरकारी बस सटैंड का भवन जी प्लस फोर होगा। जिसमें कई प्रकार की सुविधा होगी। यहां करीब 750 लोगों के बैठने की क्षमता वाले आॅडोटोरियम तैयार किया जाएगा। इसके अलावे एक छोटा बैंकेट हॉल और एक बड़ा बैंकेट हॉल होगा जिसमें रूम की भी व्यवस्था होगी। जिसका प्रयोग शादी-विवाह व अन्य कार्यक्रमों के लिए प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावे इंडोर स्पोर्ट्स फैसिलिटी, जीम की भी व्यवस्था होगी। 1 एकड़ में होगा डेवलप उन्होंने बताया कि सरकारी बस स्टैंड में करीब 3.7 एकड़ जमीन है। जिसमें मात्र एक एकड़ में भवन बनाने के लिए एनओसी देने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है। एक एकड़ में ही मल्टी परपस बिल्डिंग निर्माण किया जाएगा।
एओसी मिलने की देरी है। जैसे ही परिवहन विभाग द्वारा एनओसी मिलता है। टेंडर कर प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। स्थल निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी सरकारी बस स्टैंड में मल्टीपरपरस ब्लिडिंग निर्माण के लिए एनओसी मिलने का रास्ता करीब-करीब साफ हो गया है। बुधवार को पथ परिवहन विभाग के प्रशासन मुख्य अनु कुमार बिहारशरीफ पहुंचे तथा बस स्टैंड का निरीक्षण किया और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के साथ बैठक की। स्मार्ट सिटी द्वारा प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी दी गई तथा जगह के बारे में भी बताया गया। सीईओ ने बताया कि नाला रोड या रांची रोड, दोनो तरफ जगह है। जिसमें किसी एक तरफ जमीन देने का प्रस्ताव दिया गया है। विभाग द्वारा इस वार एनओसी मिलने की पूरी उम्मीद है।