Category: Bihar News

  • आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा नालंदा जिला में धूमधाम से मनायी

    कायस्थों के आराध्य देव भगवान चित्रगुप्त की पूजा नालंदा जिला में धूमधाम से मनायी गयी। शहर के भरावपर स्थित मंदिर में श्री चित्रगुप्त भगवान की पूजा वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। इस अवसर पर कायस्थ परिवारों ने बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार भरावपर स्थित चित्रगुप्त मंदिर में आकर पूजा अर्चना की।

    उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जा रही है। उन्होंने कहा कि भगवान चित्रगुप्त से विनती है कि राज्य में अमन चैन शांति भाईचारा कायम रहे। बिहार राज्य तरक्की करें। ऐसी मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं। इस दिन कायस्थ परिवारों ने कलम और दवात की पूजा की। चित्रगुप्त भगवान को यमराज का सहयोगी माना जाता है।

  • कुशवाहा सेवा समिति नालन्दा की शैक्षणिक एवं समाजिक परिचर्चा आयोजित

    बिहारशरीफ स्थानीय मंगला स्थान स्थित किडजी स्कुल के सभागार में कुशवाहा सेवा समिति नालन्दा की शैक्षणिक एवं समाजिक विकास पर परिचर्चा आयोजित की गई । जिसका उद्घाटन
    विन्देश्वरी प्रसाद वर्मा, डा दीनानाथ वर्मा, डा चंदेश्वर प्रसाद, डा अंजय कुमार। डा संध्या सिन्हा, सेवा निवृत्त शिक्षक प्रकाश प्रसाद डा वैजनाथ प्रसाद , कैप्टन के के सिन्हा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।परिचर्चा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि शिक्षा के विना कोई भी समाज आगे नही बढ सकता है। परिचर्चा को संवोधित करते हुए हड्डी रोग विशेषज्ञ डा चंदेश्वर प्रसाद ने कहा कि समाज को आगे बढाने के लिए त्याग की जरूरत होती है ।

    इस दौरान उन्होने कहा कि समाज के लोगों का शैक्षणिक विकास के लिए कुशवाहा छात्रावास को पुनर्निर्माण एवं सौंदर्यीकरण जरूरी है ताकि समाज के गरीब परिवार के बच्चे भी उच्च शिक्षा पा सके। इस मौके पर डा दीनानाथ वर्मा ने कहा कि कुशवाहा सेवा समिति एक परिवार है और यह एक पारिवारिक परिचर्चा है जिसमे समिति के माध्यम से समाज का विकास हो सके। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा अंजय कुमार ने समाज के विकास के लिए सभी का सहयोग जरूरी है । नालन्दा कालेज के इतिहास विभागाध्यक्ष डा रत्नेश अमन ने कहा की आपसी सहयोग के विना समाज का विकास नही हो सकता है इसलिए समाज के विकास के लिए सहयोग जरूरी है।

    कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देवराज अर्ष, ने कहा कि समाज को आगे बढाने के लिए एक दुसरे को सहयोग करें । डा संध्या सिन्हा ने कहा कि बेटा और बेटी में कोई भेदभाव न करते हुए उन्हे उच्च शिक्षा दे उन्होने कहा कि कुशवाहा छात्रावास में रहने बाले छात्रों को समय समय पर मार्गदर्शन की जरूरत है। कार्यक्रम को संबोधित करने बालों में नालन्दा कालेज के इतिहास विभागाध्यक्ष डा रत्नेश अमन, डा विपिन कुमार वर्मा, विवेक चंदन , चमेली वर्मा , ग्रुप संचालक राजीव कुमार , प्रवीण कुमार, आर एस मेहता, मनोज कुमार सिंह अमर वर्मा, मनोज कुमार मंच संचालन डा विपिन कुमार वर्मा, संजीव कुमार सामील थे इस मौके पर समाज के लगभग 3 सौ से अधिक लोगों ने भाग लिया।

  • प्रसिद्ध औंगारी धाम में छठ घाट का निरीक्षण श्रवण कुमार के द्वारा किया गया।

    एकगंरसराय के विश्व प्रसिद्ध औंगारी धाम में छठ घाट का निरीक्षण बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के द्वारा छठ घाट का निरीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि छठ महापर्व बिहार वासियों के साथ साथ देशवासियों वासियों के लिए लोक आस्था से जुड़ा हुआ महापर्व रहा है तथा देश से लेकर विदेश तक रह रहे लोग अपने घर पर जाकर छठ महापर्व को मनाते हैं तथा भगवान भास्कर की पूजा अर्चना कर अर्घ देते हैं। इस दिन भगवान सूर्य और छठ माता की पूजा की जाती है ऐसी मान्यता है कि छठ माता उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं जो इस व्रत को स्वीकार करते हैं। छठ माता लोगों को समृद्धि, धन, बच्चे, सभी कुछ का आशीर्वाद देती है। वह हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करती है और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है।लोगों का बहुत दृढ़ विश्वास है, इसीलिए हर साल वे इस अवसर को बहुत ईमानदारी से मनाते हैं। वह हमारे जीवन को आनंद और खुशी से भर देती है जो हम सभी को पसंद है।जब लोग इस पूजा को करने के बाद दूसरों को खुश देखते हैं, तो वे अगले वर्ष से इस अवसर को मनाने की इच्छा रखते हैं और यह एक और मुख्य वजह है कि यह त्यौहार इन दिनों इतना ज्यादा लोकप्रिय होते जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छठ भर्ती माताओं बहनों के सुख सुविधा के लिए हर संभव प्रयास सरकार के द्वारा करवाया जा रहा है। आने वाले श्रद्धालुओं के आवाजसन लाइटनिंग शुद्ध पेयजल की व्यवस्था अस्थाई शौचालय चेंजिंग रूम की तैयारियों का जायजा लिया।प्रशासनिक सभी तैयारियों को पूरा किया जा चुका है श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है इस अवसर पर नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार ट्रस्ट के अध्यक्ष भूषण दयाल पूर्व विधायक चंद्रसेन प्रसाद प्रखंड जदयू अध्यक्ष सुभाष कुमार सिन्हा ई राजन कुमार प्रखंड विकास पदाधिकारी आदि लोग उपस्थित रहे ।

  • डॉ. एस एन सुब्बाराव जी की प्रथम पुण्यतिथि मनाई गई

    देश और दुनिया के जाने माने प्रख्यात गांधीवादी और चंबल के दुर्दांत डाकुओं को आत्मसमर्पण कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ब्रह्मलीन डॉ. एस एन सुब्बाराव जी जिन्हे भाई जी के नाम से जाना जाता है ।उनकी प्रथम पुण्यतिथि का आयोजन सद्भावना मंच (भारत) के तत्वावधान में बिहार शरीफ कमरुद्दीगंज स्थित भारतीय जन उत्थान परिषद के सभागार में किया गया। प्रथम पुण्यतिथि की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद तथा नालंदा महिला कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने की ।

    जबकि संचालन मंच के संस्थापक और समाजसेवी दीपक कुमार ने की।
    पुण्यतिथि के मौके पर ब्रह्मलीन सुब्बाराव जी के चित्र पर उपस्थित लोगो ने माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि सुब्बाराव जी देश के महान हस्ती थे और दूसरे गांधी के रूप में जाने जाते थे । वे हम सभी को राष्ट्रीय एकता और सद्भावना का पाठ आजीवन पढ़ाते रहे । उनका कार्यक्रम नालंदा महिला कॉलेज में हुआ था , उस समय लघु भारत का दृश्य उपस्थित हुआ था ।धन्य है ऐसे महापुरुष ।
    मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ.आशुतोष कुमार मानव ने कहा कि सुब्बाराव राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महान दूत थे ।उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा हमेशा के लिए अमर रहेगा ।श्री मानव ने युवाओं को समाज सेवा हेतु प्रेरित किया और कहा कि अधिक से अधिक युवा समाजसेवा के क्षेत्र में आगे आए ।
    पुण्य तिथि के मौके पर समाजसेवी विनोद कुमार पांडेय एवम् समाजसेवी श्याम किशोर प्रसाद सिंह ने कहा कि सुब्बाराव जी के सानिध्य में रहकर सेवा भाव सीखने का मौका मिले ।
    वैसे व्यक्ति आज दुर्लभ है ।वे कथनी और करनी में मेल रखते थे ।और महान स्वतंत्रता सेनानी थे ।

    डॉ. सुब्बाराव जी की संक्षिप्त जीवनी

    ज्यादातर गांधीवादी चिंतकों और पत्रकारों का कहना है कि महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण के बाद सुब्बाराव ही ऐसी हस्ती रहे, जिन्होंने देश के अधिकतम युवाओं को अहिंसक तरीके से राष्ट्र निर्माण के लिए प्रभावित और प्रेरित किया। वे एक संत की तरह जीवन जीते रहे। उनमें कोई दिखावा का भाव नहीं था। सादगी से रहते थे। युवाओं से घिरे रहते थे। बहुत कम उम्र में ही वे गांधी जी से प्रभावित हो गए थे और भारत छोड़ो आंदोलन ने कूद पड़े थे। उसके बाद वे वापस कभी नहीं मुड़े। वे गांधी के बताए रास्ते पर चलते ही गए। और चलते फिरते ही वे इस दुनिया से सदा के लिए चले गए। बहुत कम लोगों को इतनी लंबी जिंदगी जीने का मौका मिलता है।

    ऐसे महान व्यक्तित्व का पिछले दिनों 27 अक्टूबर को जयपुर के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। सुब्बाराव का जन्म 7 फरबरी 1929 को कर्णाटक के बेंगलूर मे हुआ था। सुब्बाराव जी को लोग भाई जी के नाम से जानते थे ।उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में आजादी के आंदोलन में हिस्सेदारी की और जेल गये। महात्मा गांधी के विचारों के प्रभाव में वे जीवन दानी बन गए। उन्होंने सारा जीवन सादगी से बिताया। एक हाफ पेंट सफेद आधी बाँहों की कमीज उनकी स्थाई भूषा थी। उन्होंने काफी लोगों को गांधी के विचारों से अवगत कराया और शिक्षित किया। जौरा में जो मुरैना जिले में है उन्होंने अपना आश्रम बनाया था ।यहां वे लगातार लंबे समय तक रहे और लोगों के बीच में काम करते रहें ।आस पास के आदिवासियों को शिक्षित संगठित और जागृत करने के लिए वे निरन्तर कार्य करते रहे।जब पहला दस्यु समर्पण हुआ था जिसमें आचार्य विनोबा भावे की भूमिका थी, उसमें भी सुब्बाराव जी ने प्रमुख भूमिका अदा की थी। बाद में जयप्रकाश जी के समक्ष जो आत्मसमर्पण उस समय के दस्युयों ने किया उसमें भी स्व सुब्बाराव जी की भूमिका थी। वे अपने समय का बेहतर प्रबंधन करते थे ,और शायद ही कभी खाली बैठते हो। अपने जीवन के आखिरी क्षण तक वह सक्रिय रहे।उनका सम्पूर्ण जीवन एक यायावर महर्षि की तरह बीता ।

    सुब्बाराव जिस तरह से वयोवृद्ध होते हुए भी काफी स्वस्थ जीवन जी रहे थे, उसके मद्देनजर उनके शुभचिंतकों को यह उम्मीद थी कि वे अपनी जिंदगी के एक शतक जरूर पूरे करेंगें ।लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उनके विदा होने से देश भर में खास कर उनके प्रशिक्षित युवा काफी आहत हैं। और गांधी जगत में सन्नाटा छा गया है। क्योंकि इनकी जगह की भरपाई कोई नहीं कर सकता। डॉक्टर एसएन सुबाराव ने पिछले 8 दशकों तक देश विदेश के युवाओं का नेतृत्व किया। उनमें गांधीवादी मूल्य भरे और उन्हें अपने अपने इलाके में व्यावहारिक धरातल पर गांधी के संदेशों को उतारने के लिए प्रेरित किया । साथ ही जरूरत पड़ी तो उन्हें यथासंभव सहयोग भी किया। आज देश का कोई ऐसा कोना नहीं है, जहां उनके द्वारा प्रशिक्षित युवा नहीं हो,जहां उनके प्रशिक्षित युवा उनके गाए गीत ना गाते हों। वे सभी के बीच भाई जी और बच्चों के बीच फुग्गाराव के रूप में जाने जाते थे,क्योंकि जब वे किसी बच्चे से मिलते तो वे अपनी झोली से बैलून निकालते और उनको फुला के पकड़ा देते। विभिन्न आयोजनों के जरिए युवाओं की तरह वे बच्चों में भी अहिंसक संस्कार भरते रहे। पोशाक के लिहाज से वे भले जीवन भर खादी के हाफ पेंट और हाफ शर्ट पहनते रहे लेकिन विचारों और बर्ताव में वे पूरे गांधीवादी थे। उन्होंने गांधी और जयप्रकाश जैसा ही बेदाग जीवन जिया।

    उनके पूरे जीवन काल में किसी भी मुद्दे पर उन पर कभी कोई उंगली नहीं उठी और ना ही वे किसी आरोपों के घेरे में कभी आए। उनकी कथनी और करनी एक थी। उनके जीवन का एक एक पल पारदर्शी था। उनका जन्म भले कर्नाटक के बेंगलुरु में हुआ लेकिन वे केवल वहीं तक सीमित नहीं रहे। उनका अनौपचारिक आशियाना पूरी दुनिया में था। वे देश विदेश के कोने कोने में यात्रा करते रहते थे। उनका नाम देश में सबसे अधिक यात्रा करने वाले गांधीवादी के रूप में शुमार किया जाता रहा है। देश में जहां भी कोई अशांति होती, दंगे होते या किसी तरह का भी कोई तनाव होता। वे बिना देरी किए निर्भीक होकर वहां चले जाते और देश भर के सैकड़ों युवाओं को बुलाकर शांति बहाल करने में जुट जाते। वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक अरविंद अंजुम कहते हैं कि गांधी और जयप्रकाश के चले जाने के बाद जो शून्य गांधी जगत में व्याप्त गया था, उसकी भरपाई सुब्बाराव कर रहे थे और अब उनके चले जाने के बाद उनकी जगह पर फिलहाल किसी के आने की दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिखती है क्योंकि वे बहुत मौलिक थे ,वे वक्तव्यों से नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण के मायने भरे गीतों के जरिए गांधी का संदेश फैलाते रहे। वे सच में सच्चे गांधीवादी थे और उनके रोम रोम में गांधी के संदेश समाए हुए थे। उनका रहन-सहन, खान-पान और वेशभूषा सबसे अलग था जो दूर से ही पहचाने जा सकते थे। वे पूरी मानवता को एक सूत्र में बांधने की कोशिश करते रहे।वे चंबल में 1972 मे 654 बागियों के आत्म समर्पण और उनके पुनर्वास कर शांति स्थापित करने वाले अहिंसक संत की तरह हमेशा याद किए जाएंगे।

    वरिष्ठ समाज कर्मी रामशरण कहते हैं कि ना सिर्फ चंबल में शान्ति स्थापित करने जैसी बड़ी उपलब्धि हासिल की, बल्कि यह भी बहुत बड़ा काम था कि उन्होंने सैकड़ों शिविर लगा कर युवाओं को अहिंसा का पाठ पढ़ाया और राष्ट्र निर्माण के लिए उनका मार्गदर्शन भी करते रहे।27 अक्टूबर को उन्होंने जयपुर के हॉस्पिटल में ही अंतिम सांस ली।वे हमेशा हमेशा के लिए हम सभी से दूर चले गए।
    उनका अंतिम संस्कार मध्यप्रदेश के मुरैना स्थित महात्मा गांधी सेवा आश्रम जावरा के कैंपस में ही पुरे राजकिय सम्मान के साथ हुआ था ।

    कार्यक्रम का समापन समाजसेवी दीपक कुमार ने युवा गीत

    नौजवान आओ रे नौजवान गाओ रे ,गाकर किया । और सभी लोगो ने मुक्त कंठ से उनके सम्मान में राष्ट्रीय एकता एवम् भाईचारे संबंधी नारे लगाए।
    पुण्य तिथि के मौकेपर रोहित कुमार तिवारी ,संजीव कुमार ,नीरज कुमार ,
    पुष्पा पांडे ,सोनी कुमारी , गुड्डी कुमारी ,सविता कुमारी ,रणधीर कुमार ,रणवीर कुमार
    सहित बड़ी संख्या में युवा ,महिला एवम् समाजसेवी भाग लिए ।

  • बड़गांव सूर्य मंदिर देश की धरोहर एवं अनूठी विरासत है

    राकेश बिहारी शर्मा – भारतवर्ष पर्व-त्यौहारों की एक लम्बी एवं समृद्ध श्रृंख्ला वाला देश है। साल भर देश के अलग-अलग हिस्सों में भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मो एवं संप्रदाय के लोगों द्वारा उनके पर्व त्यौहारों को काफी हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है। बिहार का महापर्व ‘छठ’ ऐसा ही एक पर्व है। गौतम और महावीर की धरती से शुरू हुआ लोक आस्था का यह महापर्व विशेष रूप से भगवान सूर्य को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि सृषिट के सुचारू रूप से चलाने में उनके योगदान के लिए धन्यवाद स्वरूप प्राचीन काल से ही बिहार की धरती पर इसे मनाया जाता है। इस तालाब के विषय में यह भी मान्यता है कि यहां स्नान करने से सफेद दाग की बीमारी सहित अनेक प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते है। वही तालाब के किनारे पर कई छोटे-बड़े मंदिर है। बदलते समय-काल के साथ इस महापर्व की महिमा देश विदेश में फैल चुकी है। भारत का शायद ही कोर्इ ऐसा कोना बचा हो जो इससे अछूता हो। गौरतलब है कि, भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल के तरार्इ क्षेत्र में भी बड़ी आस्था के साथ ‘छठ’ मनाया जाता है। ऐसे में बिहार के बडगांव स्थित प्राचीन “बड़गांव सूर्य मंदिर” के बारे में जाने बिना ‘छठ’ पर्व का ज्ञान अधूरा सा है। विदित है कि “बड़गांव सूर्य मंदिर” भारत का एक ऐसा सूर्य मंदिर है जहां एक साथ लाखों लोग हर वर्ष ‘छठ’ पर्व मनाते है। यह परंपरा सदियों से यहां निभार्इ जा रही है। “बड़गांव सूर्य मंदिर” बिहारशरीफ से 15.2 किलोमिटर तथा पटना से 87.6 किलोमिटर की दुरी पर है। ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के साथ-साथ प्रसिद्ध मान्यताओं के कारण यहां छठ व्रत करने बिहार के कोने-कोने से ही नहीं बल्कि पूरे देश से लोग यहां आते हैं और काफी परेशानियों को सहकर भी सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत करते हैं।
    वर्तमान में पौराणिक सूर्य तालाब जमींदोज हो गया है। ऐसी मान्यता है कि उसी तालाब के ऊपर एक विशाल तालाब वर्तमान में मौजूद है। चीनी यात्री ह्वेनसांग की डायरी में इस सूर्यपीठ का वर्णन मिलता है। डायरी के अनुसार यहां सूर्य उपासक इस तालाब में स्नान और अर्घ्यदान करते थे। इस तालाब के उत्तर-पूर्व होने पर पत्थर की एक मंदिर हुआ करती थी। मंदिर में भगवान सूर्य की भव्य प्रतिमा थी। इस मंदिर का निर्माण पाल राजा नारायण पाल ने 10 वीं सदी में कराया था। वर्तमान में वह मंदिर अस्तित्व में नहीं है। 1934 ई. के भूकंप में वह मंदिर ध्वस्त हो गया था। दूसरे स्थान पर इस सूर्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। इस मंदिर में पुरानी मंदिर की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। यहां स्थापित सभी प्रतिमाएं पाल कालीन बताई जाती है। शायद छठ ही एक ऐसी पूजा और व्रत है, जिसमें ब्राह्मण की कोई जरूरत नहीं होती है। इस व्रत में जजमान ही स्वयं ब्राह्मण होते हैं। यह पूजन कोई पंडित द्वारा नहीं कराया जाता है। बल्कि सूर्य उपासक स्वयं करते हैं। ईश्वर और आस्था के बीच सीधे संवाद का यह व्रत माना जाता है। इस पर्व में जीवनदायिनी की आराधना की जाती है। चाहे वह जल की हो या सूर्य या फल के रूप में वनस्पतियों की। महापर्व छठ साल में दो बार यानी कार्तिक और चैत्र माह में होता है, जिसमें लोग भगवान भास्कर की पूजा करते हैं। छठ पर्व के मौके पर यहां लाखों लोग भगवान भास्कर की अराधना के लिए आते हैं। छठ पूजा के दिन माता छठी की पूजा की जाती है। जिन्हें छठी मैयां कहते है। शास्त्रों के अनुसार छठी मैयां को सूर्य भगवान के बहन कहा गया है। इसलिए इस दिन सूर्य भगवान के पूजा का काफी महत्त्व है। सूर्य भगवान के कारण ही इस जगत पर जीवन है। मार्कण्डय पुराण में सृष्टि के अधिष्ठात्री देवी प्रकृति ने खुद को छः भागों में बांटा हुआ है और इसके छठे अंश को मातृ देवी के रूप में पूजा जाता है जो भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री है। बच्चे के जन्म के छठवें दिन बाद भी छठी मैया की पूजा की जाती है और उनसे प्रार्थना की जाती है की वो बच्चे को स्वस्थ, सफलता और दीर्घ आयु का वरदान दें।

    बड़गांव सूर्य मंदिर देश की धरोहर एवं अनूठी विरासत है

    चार दिविसीय छठ महापर्व का आयोजन

    छठ पर्व वर्ष भर में दो बार कार्तिक छठ पर्व और चैती छठ पर्व, दोनों माह के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। पहले दिन शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की साफ सफाई कर स्वच्छ व पवित्र बनाया जाता है। इसके बाद छठव्रति नदी तालाब या कुआं के जल मे स्नान कर पवित्र तरीके से कदू, चने की दाल और अरवा चावल का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाने के बाद व्रती को प्रसाद ग्रहण करने के बाद अन्य लोगों को प्रसाद खिलाया जाता है। दूसरे दिन शुक्ल पक्ष पंचवी को व्रति दिनभर उपवास रहकर मीठा चावल, घी चुपड़ी रोटी और चावल का पीठा बनाकर शाम को भगवान भास्कर को भोग लगाकर व्रती भोजन प्रसाद ग्रहण करती हैं उसके बाद लोगों को लोहंडा का प्रसाद ग्रहण करवाया जाता है। इस दिन नमक या चीनी का प्रयोग नही किया जाता है। इसी समय के बाद व्रती लोग क 36 घंटे का निर्जल उपवास व्रत शुरू हो जाता है। तीसरे दिन शुक्ल पक्ष षष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते है। इसके अलावा प्रसाद के रूप में फल भी चढ़ाया जाता है। बांस की टोकरी में प्रसाद सजाकर अर्ध्य का सूप सजाया जाता है। व्रती लोग सपरिवार के साथ अस्ताचल गामी सूर्य भगवान को विधिवत पूजा करते हुए जल और दूध के अर्ध्य देती है। चौथे दिन शुक्ल पक्ष सप्तमी को सुबह उगते उदयाचल सूर्य को व्रती लोग सपरिवार पुनः सूर्य भगवान को विधिवत पूजा करते हुए जल और दूध के अर्ध्य देती है। खरना के बाद शुरू हुआ व्रतियों का 36 घंटों का निर्जला उपवास अस्ताचलगामी सूर्य एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न हो जाता है। इसके बाद व्रती लोग निर्जल उपवास को कच्चे दूध का शरबत और प्रसाद ग्रहण कर पूर्ण करती है। जिसे पारण कहते है। कहा जाता है कि जो श्रद्धालु भक्त मन से इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। यहां मंदिर के समीप स्थित सूर्यकुंड तालाब का विशेष महत्व है। इस तालाब में स्नान कर व्रती सूर्य भगवान की आराधना करते हैं।प्रति रविवार को असंख्यं श्रधालु भक्ततगण बड़गांव सूर्य मंदिर आकर तालाब में स्नान के बाद भगवान भास्कार का पूजन करते हैं। यहाँ सालभर देश के विभिन्न जगहों से लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते रहते हैं और मनौतियां मांगते हैं, मनौती पूरी होने पर यहां लोग भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए विशेषकर आया करते है।

    भगवान कृष्ण ने अपने पुत्र को दिया था शाप

    ऐसी मान्यता है कि द्वापर युग में श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब काफी रूपवान थे। उन्हें देखकर रानियां भी मोहित हो जाती थीं। एक बार की बात है कि वे सरोवर में रानियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी उधर से नारद मुनि गुजरे। रास रचाने में व्यस्त साम्ब ने उनका अभिवादन नहीं किया, जिससे वे कुपित हो गए और उन्होंने जाकर श्रीकृष्ण से इसकी शिकायत की। श्री कृष्ण को इस पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन नारद मुनि के बहुत कहने पर जब वे सरोवर की ओर गए तो उन्हें भी यह दृश्य दिखा। कुपित होकर उन्होंने अपने पुत्र को कुष्ठ रोग का शिकार होने का श्राप दे दिया।

    शाप से मुक्ति का भगवान सूर्य ने ही बताया उपाय

    धार्मिक मान्यताओं एवं आस्थाओं के अनुसार राजा साम्ब द्वारा अपने पिता कृष्ण से काफी क्षमा याचना के बाद श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हें दिया गया श्राप तो वापस नहीं लिया जा सकता, लेकिन इसका उपाय नारद मुनि ही बता सकते हैं। तब वे नारद मुनि के पास गए और उनसे श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। नारद अपने साथ साम्ब को लेकर श्रीकृष्ण के दरबार में पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने कहा कि इसके लिए सूर्य भगवान की उपासना करनी होगी। साम्ब ने सूर्य भगवान की उपासना की। तब जाकर सूर्य भगवान प्रकट हुए और 12 जगहों पर सूर्य धाम की स्थापना कर वहां अपनी प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने को कहा। जिससे कंचन काया प्राप्त होगी। सूर्य देव द्वारा शाप मुक्ति के बताए गए रास्ते पर चलकर 12 वर्षों में देश के 12 स्थानों पर सूर्य धाम की स्थापना की गई। जिसमें औंगारी और बड़गांव सूर्य धाम शामिल है। प्रचलित धारणाओं के अनुसार राजा साम्ब ने ही बड़गांव सूर्य तालाब में दो कुण्ड बनवाये थे, जो आज भी जीर्ण-शीर्ण हालत में तालाब में मौजूद है। राजा साम्ब ने इस स्थल की खुदाई कराई तो भगवान सूर्य की मूर्ति मिली, जो सात घोड़े के रथ पर सवार, रथ के दोनों तरफ कमल का फूल और बीच में सूर्य भगवान के भाई श्यमदित, बांयी ओर कल्पादित, दाहिनी ओर माता अदिति की प्रतिमाएं मिली जो आज मंदिर में स्थापित है।

    इन 12 जगहों पर हुई थी सूर्य धाम की स्थापना : – लोलार्क, चोलार्क, अलार्क, अंगारक वर्तमान में औंगारी, पून्यार्क, बरारक वर्तमान में बड़गांव, देवार्क, कोणार्क, ललितार्क, यामार्क, खखोलार्क और उतार्क में सूर्य धाम की स्थापना साम्ब ने कराई थी।

  • बड़गांव तालाब के किनारे सूर्यनारायण जगृति मंच द्वारा आयोजित

    ‘बड़गांव छठ महोत्सव’: सूर्य नगरी के आँगन में आज बहेगी कविताओं और लोकगीतों की धारा

    बड़गांव तालाब के किनारे सूर्यनारायण जगृति मंच द्वारा आयोजित “अखिल भारतीय कवि सम्मेलन” व “सांस्कृतिक संध्या में देश भर के नामचीन कवि करेंगें काव्यपाठ, फोक स्टार ऑफ इंडिया सत्येंद्र संगीत व युवा लोकगायक सागर सम्राट के लोकगीतों पर झूमेंगे श्रद्धालु

    कार्यक्रम का आयोजन सूर्य नारायण जागृति मंच बड़गांव कर रहा है।

    ऐहिसाहिक सूर्य नगरी बड़गांव को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुनः स्थापित करने के उद्देश्य एवं बडगांव छठ करने के लिए आने वाले भक्तों की सेवा हेतु विगत 4 वर्ष पूर्व बड़गांव इलाके के युवाओं द्वारा ‘सूर्य नारायण जागृति मंच’ की स्थापना की गयी थी। युवाओं द्वारा स्थापितसंस्था के प्रयास से ‘बड़गांव छठ महोत्सव’ की शुरुआत की गई है। महोत्सव का उद्देश्य बड़गांव की महत्ता को भारत के अलावे विदेशों में भी प्रचारित-प्रसारित करना है। महोत्सव को भव्यता प्रदान करने के हेतु इस वर्ष कवि सम्मेलन व लोक गीत का कार्यक्रम रखा गया है। संस्था के मार्गदर्शक युवा कवि संजीव कुमार मुकेश ने बताया कि साहित्य और संस्कृति का सम्बंध बहुत गहरा होता है। साहित्य से संस्कृति का संवाक होता है। इसी उद्देश्य से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें देश भर से प्रसिद्ध शालीन कवियों को आमंत्रित किया गया है। सूर्य नारायण जागृति मंच के संयोजक अखिलेश कुमार, महामंत्री पंकज कुमार एवं मंच के सभी सक्रिय सदस्यों द्वारा कार्यक्रम की भव्यता हेतु मंच के स्वरूप व श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु लगातार प्रतास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 10000 श्रोताओं के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। श्री कुमार के बताया कि इस महोत्सव को सफल बनाने में बड़गांव एवं आस-पास के गांव के आम नागरिकों के साथ-साथ शिक्षाविद, समाजसेवी एवं प्रबुद्ध जनों का मार्गदर्शन एवं सार्थक सहयोग निरंतर मिल रहा है।

    श्री मुकेश ने बताया कि साहित्य संस्कृति का सबसे बड़ा संबाहक होता है। कविताओं और गीतों के माध्यम से हम जन-जन तक सूर्यनगरी की महिमा पहुंचा सकते हैं। बड़गांव छठ महोत्सव की परिकल्पना ऐतिहासिक सूर्यनगरी बडगांव की महिमा को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्स्थापित करने का सार्थक साझा प्रयास है। सबों का सहयोग और मार्गदर्शन से ही हम इसे उत्कृष्टता प्रदान कर सकते हैं। इस वर्ष का आयोजन अन्य वर्षों से और भव्य होगा। देश भर से अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर ख्याति प्राप्त कवि-कवयित्री के साथ-साथ बिहार प्रसिद्ध गायक फोक स्टार ऑफ इंडिया सत्येंद्र संगीत और उनकी टीम द्वारा लोकगीतों का भी आनंद उठाया जा सकेगा।

    कवि सम्मेलन में शालिम होने वाले कवियों के नाम:

    दिनेश देवघरिया, राष्ट्रीय ओज कवि, पटियाला (पंजाब)
    अनंत महेंद्र, युवा गीतकार, धनबाद झारखंड
    यह छठ जरूरी है फेम कुमार रजत, पटना (बिहार)
    चंदन द्विवेदी, प्रसिद्ध कवि, पटना (बिहार)
    रंजीत दुधु, मगही हास्य कवि
    प्रशांत बजरंगी, युवा ओज कवि, बनारस
    आराधना अन्नू, बेगूसराय
    केशव प्रभाकर, बाल कवि, बेगूसराय
    अध्यक्षता – उमेश प्रसाद उमेश, वरिष्ठ साहित्यकार व कवि
    संचालन – संजीव कुमार मुकेश, युवा कवि , नालंदा

    लोकगायन हेतु:
    सत्येंद्र संगीत एवं सागर सम्राट एवं टीम

    50 सूर्य सेवक भी ड्रेस में रहेंगे तैनात

    गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी 50 सूर्य सेवक ड्रेस कोड में पहचान पत्र के साथ सूर्य घाट एवं मंदिर परिसर में तैनात रहेंगें। सभी सूर्य सेवकों की सूची प्रशासन को भी उपलब्ध कराया जाएगा। सूर्य सेवक छठ व्रती माताओं-बहनों की सेवा के साथ-साथ प्रशासन के दिशा निर्देशों का अक्षरसः पालन करेंगें। मंच के सूर्यसेवक कोरोना सम्बन्धी नियमों के पालन हेतू जगह-जगह सूचना व पोस्टर के माध्यम से लोगों को जागरूक करेंगे। मंच द्वारा फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था भी की जा रही है। पेयजल, छठव्रती माताओं के लिये चेंजिंग रूम इत्यादि की व्यवस्था भी सूर्यनारायण जगृति मंच द्वारा किया जाएगा।

    बैठक में समाजसेवी बबलू सिंह, संजीव गुप्ता, संजय सिंह, बिपिन कुमार, अभय कुमार, कृष्णकांत कश्यप, प्रेस सागर पासवान, कृष्णा जी , अजीत कुमार , गोपाल जी सहित अन्य सक्रिय सदस्यों की उपस्थिति थी।

  • जिलाधिकारी ने किया विभिन्न छठ घाटों का निरीक्षण

    नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने बिहार शरीफ में विभिन्न छठ घाटों का निरीक्षण किया।
    सबसे पहले उन्होंने आशानगर सूर्य मंदिर छठ घाट का निरीक्षण किया। घाट पर बैरिकेडिंग का कार्य किया जा रहा है। जलस्तर में कुछ वृद्धि हुई है। जलस्तर के अनुरूप बैरिकेडिंग को व्यवस्थित करने का निदेश दिया गया। 29 अक्टूबर तक कंट्रोल रूम, चेंजिंग रूम आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया।

    कोसुक छठ घाट के निरीक्षण के क्रम में गेल के भंडारित पाइप को किनारे से हटाने तथा पाइपलाइन बिछाने के क्रम में हुए गड्ढे को भराने का निदेश दिया गया। इस घाट पर डबल बैरिकेडिंग कराया जा रहा है। लाइट टावर भी बनाया जा रहा है।इस घाट पर एसडीआरएफ की तैनाती की जाएगी।नियंत्रण कक्ष एवं पर्याप्त संख्या में चेंजिंग रूम बनाने का निदेश दिया गया। बाबा मनीराम अखाड़ा छठ घाट पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था रखने को कहा गया।यहाँ की सड़क की मरम्मती कार्य को जल्द पूरा करने का निदेश दिया गया।यहाँ घाट के किनारे ओपन जिम बनाने के अनुरोध पर कला संस्कृति एवं युवा विभाग को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया गया।

  • एकंगरसराय में पानी के लिये त्राहिमाम, दीपावली से ही वाटर सप्लाई बंद।

    एकंगरसराय में वाटर सप्लाई का पानी दीपावली से बंद है बताया जा रहा है मोटर का तार जल गया है ,अभी तक तार आया नहीं है, यह सब कार्यालय कर्मियों एवं ठेकेदार के लापरवाही के कारण होता है । जिसके कारण आमजन को परेशानी झेलनी पड़ती है। छठ व्रत जो हिंदुओं का महान पर्व है आ गया है, साफ सफाई करनी पड़ती है पर पानी का समस्या सबसे बड़ी समस्या है एकंगरसराय में, बहुत बड़ी आबादी जो इस वाटर सप्लाई पर निर्भर करते हैं उनके पास दूसरी और कोई साधन नहीं है वह क्या करें अब कौन बताएगा ऐसे भी पानी का समस्या हमेशा 20 रोज 25 रोज पर होते रहता है ,जिसमें लोगों को बहुत परेशानी होती है, इसका समाधान किया जाए उक्त मांग अवधेश रजक,छोटे चौधरी,मिंटू पांडे, कुंदन कुमार ने जिला प्रशासन से की है वही

    हमेशा के कहां जा रहा है बृहस्पतिवार शुक्रवार तक पानी आएगा चार पांच रोज परेशानी झेलनी होगी सबसे प्रमुख बात तो यह है बताया जाआ रहा है कार्यालय में नई बोरिंग की गई थी वह बोरिंग होते के साथ खराब हो गया चालू भी नहीं हो पाया इसका जवाब दे ही किसके पास है इसकी जांच होनी चाहिए, और नई बोरिंग को चालू करनी चाहिए चाहे इसके लिए नई बोरिंग ही क्यों न दोबारा करना पड़े। लोगों के अनुसार यह भी कहा जा रहा है इसकी पूरी पैसा निकल चुकी है और बोरिंग रूम को पेंटिंग भी कर दिया गया है ताकि पैसा निकलने में कठिनाई ना हो इसकी पूरी तरह जांच होनी चाहिए ताकि देश और राज्य का पैसा बर्बाद ना हो और पब्लिक को परेशानी ना हो बोरिंग का पैसा कितना निकला है या नहीं निकला है ।यह हम कह नहीं सकते हैं पर नई बोरिंग रूम पेंटिंग होकर तैयार है पर अभी तक चालू नहीं हुआ इसका क्या कारण है यह चालू हो जाता है तो बहुत हद तक एकंगर सराय में पानी का समस्या दूर हो जाएगा।

  • बहुजन सेना की ओर से आदमपुर गांव में बहुजन महापंचायत की गई।

    नालंदा जिला के गिरियक प्रखंड के आदमपुर गांव में बहुजन सेना द्वारा एक बहुजन महापंचायत का आयोजन किया गया। आज के इस महापंचायत में सर्वप्रथम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एवं महात्मा बुध्द के मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए बहुजन महापंचायत की शुरुआत की गई। इस बहुजन महापंचायत में गिरिरक प्रखंड के विभिन्न गांवों के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
    इस अवसर पर बहुजन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप कुमार ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम बहुजनों (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यकों) की स्थिति गुलामों जैसी बनी हुई है। आज भी देश के सत्ता एवं संस्थानों पर सिर्फ एक वर्ग का ही एकाधिकार बना हुआ है।अब समय आ गया है कि हमलोग अपने हक अधिकार को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़े और इस देश से मनुवादियों/सामंतवादियों के शासन को उखाड़ फेकें।बहुजन सेना की ओर से आदमपुर गांव में बहुजन महापंचायत की गई।
    इस अवसर पर प्रदेश महासचिव रामदेव चौधरी ने कहा कि न्यायपालिका में कॉलजीएम सिस्टम प्रणाली खत्म किया जाए पूरे बिहार राज्य में समान शिक्षा प्रणाली लागू किया जाए सभी गरीब वोटरों को ₹10000 हर महीना दिया जाए बहुजनों को 85% आरक्षण मिले भारत के सभी पूॅजी पत्तियों की संपत्ति राजस्व घोषित किया जाए आजाद देश में आज भी बहुजनों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है और निजीकरण के आड़ में उनके आरक्षण को छीना जा रहा है तथा संविधान में दिए अधिकारों को तोड़ मरोड़ कर खत्म करने का साजिश चल रही है बहुजन महापंचायत में उपस्थित लोगों ने संविधान, आरक्षण, अपने अधिकारों को बचाने का संकल्प लिए।
    प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश कुमार दास एवं जिला सचिव महेंद्र प्रसाद ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी आबादी 90% परसेंट होने के बावजूद भी हम शासक नहीं बल्कि याचक बनकर जिंदगी जी रहे हैं। और आज भी हमारे बहुजन लोग उचित शिक्षा एवं स्वास्थ्य से वंचित हैं तथा गरीबी के साए में जीवन जीने को मजबूर हैं।
    आज के इस बहुजन महापंचायत में इन्द्रेव पासवान, सुरेन्द्र प्रसाद तरुण, रंजीत रविदास, इन्दल चौधरी, धनेश्वर मांझी, नरेश दास, होरिल दास, विपिन दास, बिहारी चौधरी, नरेश रजक, विजय कुमार, जतन मांझी, शैलेन्द्र कुमार राम,विनय कुमार, सुदेश दास, विनेश्वर मांझी इत्यादि लोगों ने भाग लिया।

  • देंक़पुरा गांव स्थित मगराही तालाब का किया गया साफ सफाई।

    रहुुई।छठपूजा को देखते हुए जहां जिला प्रशासन छठ घाट की साफ-सफाई को लेकर मुस्तैद दिखाई दे रही है वही रहुई प्रखंड के अंबा पंचायत के मुखिया सुशीला देवी एवं मुखिया प्रतिनिधि सह बीजेपी जिला महामंत्री अविनाश मुखिया के द्वारा भी अपने पंचायत के छठघाटों की साफ-सफाई को लेकर काफी सक्रिय दिखाई दे रहे हैं, तभी तो पिछले 15 दिनों से जिन छठघाट पर गंदगी का अंबार या फिर यूं कहें कि जिस छठघाट पर आधा अधूरा निर्माण कार्य हुआ हो उसे छठघाट का निर्माण कार्य भी मजदूरों के द्वारा करवाया जा रहा है। बात अगर अंबा पंचायत के मंगराही तालाव की करें तो यह मंगराही तलाव ऐसा छठघाट है जहां हजारों की संख्या में छठव्रती महिलाएं अर्ध्य देने के लिए आती हैं छठघाट पर गंदगी का अंबार और मंगराही तालाब छठघाट में पानी में गंदगी को देखते हुए पूर्व में ही पूरे पानी की उड़ाई की गई थी। उसके बाद ट्यूबेल के सहारे इसमें साफ पानी भरने की भी कवायद की जा रही है पिछले कई दिनों से लगातार मगराही तलाव छठघाट में साफ-सफाई एवं ट्यूबवेल के सहारे साफ पानी भरा जा रहा है। बुधवार को अंबा पंचायत मुखिया प्रतिनिधि एवं भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री अविनाश मुखिया एवं पंचायत के लोगों के द्वारा छठघाट के सीढ़ियों की साफ सफाई की गई।बीजेपी नेता अवनाश मुखिया खुद साफ सफाई की जिम्मेदारी को उठाते हुए साफ सफाई में जुटे हुए नजर आए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि छठपूजा को लेकर सीढ़ियों की साफ सफाई की जा रही है एवं पानी में ब्लीचिंग पाउडर भी डाला जाएगा ताकि पानी पूरी तरह से अर्ध्य देने लायक बन जाए। उन्होंने कहा कि छठ पूजा के पहली अर्ध्य और दूसरी अर्ध्य के दिन नाव की व्यवस्था की जाएगी ताकि पूजा के दौरान अगर किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है तो गोताखोर की मदद से उसे बचाया जा सके। उन्होंने इस व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन से मुलाकात भी की है। इस साफ-सफाई के मौके पर अम्बा पंचायत के श्रवण सिंह मनोज सिंह धनंजय कुमार धर्मेंद्र प्रसाद तरुण सिंह विकास कुमार विजय रविदास राजेश रविदास पवन सिंह रंजीत सिंह तथा अन्य ग्रामीणों ने मिलकर छठ घाट का सफाई करने में श्रमदान दिया।