Category: Bihar News

  • किशनगंज में 7वीं के प्रश्नपत्र मे कश्मीर को अलगदेश दिखाए जाने के विरोध

    भारतीय जनता युवा मोर्चा, नालंदा। बिहार शिक्षा बोर्ड द्वारा किशनगंज में सातवीं क्लास के परीक्षा के प्रश्नपत्र मे कश्मीर को अलगदेश के तौर पर दिखाए जाने के विरोध मे आज भारतीय जनता पार्टी, युवा मोर्चा नालंदा द्वारा भाजयुमो जिलाध्यक्ष धीरज पाठक के नेतृत्व में नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ में नालन्दा जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का पुतला दहन किया गया। कार्यकर्ताओं ने इस कुकृत्य को देशविरोधी करार दिया और बिहार सरकार से दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आह्वान किया।

    भाजयुमो जिलाध्यक्ष धीरज पाठक ने कहा कि एक सोची समझी साजिश के तहत किशनगंज सहित पूरे सीमांचल के क्षेत्रों में प्रतिबंधित संगठन पी एफ आई एवं अन्य देशविरोधी ताकतों के एजेंडे को मजबूती प्रदान करने की कोशिश की जा रही है ताकि गजवा-ए-हिंद का सपना देखनेवालों को बल मिले। छोटे छोटे बच्चों को कश्मीर को अलग देश बताने की कोशिश की जा रही है जबकि सारी दुनिया जानता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। ऐसी घटनाओं को भारतीय जनता पार्टी कभी बर्दाश्त नहीं करेगी और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा।

    इस अवसर पर जिला महामंत्री राजेश्वर प्रसाद सिंह, जिला उपाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार जिला मंत्री डा आशुतोष कुमार, रविशंकर मंडल, जिला मीडिया प्रभारी अमित गौरव उर्फ गोपी जी, बिहार शरीफ महानगर उत्तरी के अध्यक्ष अमरेश कुमार,नगर मंत्री अमित शान सिंह, जिला पर्यावरण संयोजक अनिल पटेल, युवा मोर्चा महामंत्री सोनू कुमार हिंदू, जिला उपाध्यक्ष गोपाल सिंह, ललन कुमार, अविनाश कुमार, अमरजीत वर्मा, नीति कुमारी, प्रवीर पांडे, रवि सिंह, बांके सन्नी, रीतिक कुमार, युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष उत्तरी शिवम भारती, सत्यम कुमार, नगर अध्यक्ष दक्षिणी सूरज कुमार, राजेश लाल, देवेंद्र कुमार सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

  • राजेश कुमार बने जदयू के प्रारम्भिक सदस्य

    बिहार शरीफ नगर जिला छात्र जदयू के पूर्व अध्यक्ष राजेश कुमार ने बिहार प्रदेश जनता दल यूनाईटेड के मुख्यालय महासचिव माननीय श्री मृत्युंजय कुमार सिंह जी के द्वारा जदयू के प्रारम्भिक सदस्य ( 2022-2025 ) बनें ।इस अवसर पर राजेश कुमार ने कहा कि 2018 से पार्टी में जुड़ा था तथा पार्टी के प्रति समर्पित था और आगे भी रहूंगा।2020 में पहला बार मुझे बिहार शरीफ नगर जिला छात्र जदयू के नगर अध्यक्ष और 2021 में जदयू समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ नालंदा जिला अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी मिली।मेरे कार्यकाल में संगठन को महाविद्यालय से बिहारशरीफ महानगर के हर एक वार्ड तक पहुंचाने का एवं छात्र हित में एवं समाज हित में कार्य करने का कार्य किया गया।अंत में राजेश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री माननीय श्री नीतीश कुमार जी, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जी , जदयू बिहार के प्रदेश अध्यक्ष माननीय श्री उमेश सिंह कुशवाहा जी ,जदयू के पूर्व विधान पार्षद सदस्य डॉ० रणवीर नंदन जी, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव माननीय श्री इंजिनियर सुनिल कुमार जी और बिहार प्रदेश जनता दल यूनाइटेड के मुख्यालय महासचिव मृत्युंजय कुमार सिंह जी के प्रति आभार व्यक्त किया।

  • भक्ति ही जीवन का मूल आधारस्थंभ है – साध्वी सुश्री अमृता भारती

    हरनौत के उच्च विद्यालय मैदान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय रामचरित मानस एवम् गीता विवेचना के चतुर्थ दिवस पर संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरूदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री अमृता भारती जी ने जनमानस को भक्ति का जीवन में कितना मूल्य है इस पर विस्तार से बताया। साध्वी जी ने अपने प्रवचन में समझाया कि जीवन में हम वास्तविक सुख को प्राप्त करने हेतु विविध वस्तुओं या व्यक्तियों को माध्यम समझते है। लेकिन जैसे-जैसे जीवन का समय बीतता है तो समझ आता है कि वह वास्तविक सुख-शांति कहीं बाहर से हमें प्राप्त नहीं हो सकती, उसकी प्राप्ति तो भीतर से ही हो सकती है। जब एक जीव उस ईश्वर की वास्तविक भक्ति से जुड़ता है तब ही जीवन का आनंद और वास्तविक शांति प्राप्त हो सकती है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते है-
    भक्ति बिन सब सुख ऐसे।
    लवण बिन बहु व्यंजन जैसे।।
    अर्थात् जैसे नमक के बिना भोजन कितना ही मसालेयुक्त हो स्वादिष्ट नहीं लग सकता वैसे ही जीवन में मिलने वाले सभी सुख भक्ति के बिना निरर्थक है। इसलिए जीवन में शाश्वत भक्ति के आने से ही हमारा जीवन आनंदमय हो सकता है। इसी शास्वत भक्ति को पाने के लिए एक पूर्ण गुरु की जरुरत पड़ती हैं, जो ब्रह्मज्ञान की दीक्षा द्वारा एक जिज्ञासु को प्रकाश स्वरूप परमात्मा का दर्शन करा देते हैं। आज वहीं सनातन ब्रह्मज्ञान दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान समाज को सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के नेतृत्व में प्रदान कर रहीं हैं
    सत्संग में साध्वी रंजना भारती जी सुश्री पुष्पा भारती जी एवम् गुरु भाई गोपाल जी ने भजनों का गायन किया। सैकड़ों भक्तजनों ने सत्संग का रसास्वादन कर अपने को कृतार्थ किया।

  • विश्व पोलियो दिवस के अवसर पर पोलियो जागरूकता रैली निकाली गई।

    रोटरी क्लब तथागत के द्वारा विश्व पोलियो दिवस के अवसर पर आज पोलियो जागरूकता अभियान रैली निकाली गई। पूरा विश्व पोलियो दिवस मना रहा है। वहीं भारत 2014 में पोलियो मुक्त हो गया, मगर पोलियो दोबारा अपना पाव ना पसारे इसलिए रोटरी इंटरनेशनल भारत सरकार के साथ मिलकर पोलियो उन्मूलन का कार्यक्रम लगातार चलाते रहती है। इसी क्रम में रोटरी क्लब तथागत भी संत जोसेफ स्कूल से सकुनत, बनॉलिया, खंदक पर होते हुए रैली निकाली।

    परियोजना निर्देशक रोटेरियन जोसेफ टीटी ने कहा 0 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो का खुराक अवश्य पिलाते रहे, क्योंकि यही खुराक  आपके बच्चों स्वस्थ बनाता है।  इस कार्यक्रम में तथागत के अध्यक्ष रोटेरियन अनिल कुमार, सचिव परमेश्वर महतो, पूर्व अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, रोटेरियन रूबी सिन्हा, रोटेरियन राजेश कुमार, रोटेरियन इंजीनियर अरविन्द कुमार, इंटरैक्ट क्लब के अध्यक्ष सपना कुमारी, सह सचिव प्रणव कुमार एवं इंटरैक्ट के 50 सदस्य इस कार्यक्रम में भाग लिया।

  • 4 नवम्बर को रिलीज होने वाली बॉलीवुड फिल्म धूप छाँव का भव्य ट्रेलर लॉन्च

    फॉरएवर बिग एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित फिल्म धूप छाँव का ट्रेलर मुम्बई के इनफिनिटी पीवीआर में एक भव्य कार्यक्रम कर लॉन्च किया गया। इस मौके पर फिल्म के अभिनेता राहुल देव,अभिषेक दुहान,अहम शर्मा,सिमृति भतीजा,समीक्षा भटनागर के अलावा फिल्म के डायरेक्टर हेमंत शरण और निर्माता सचित जैन भी मौजूद थे ।मीडिया से बातचीत के दौरान प्रसिद्ध अभिनेता राहुल देव ने फ़िल्म से जुड़े अपने कई अनुभव साझा किए। उन्होंने इस फ़िल्म को अपनी बेहतरीन जर्नी का एक अहम हिस्सा बताया है उन्होंने आगे कहा ये फ़िल्म आपको ऋषिकेश मुखर्जी के फिल्मो की याद दिलाएगी।

    अभिषेक दुहान व अहम शर्मा इस फ़िल्म के मुख्य भूमिका में हैं। अभिषेक ने कहा की ये फ़िल्म मेरे दिल के बेहद करीब है। वह बड़े पर्दे पर पहली बार राहुल देव के साथ काम कर रहे हैं। राहुल देव एक अनुभवी अभिनेता हैं और शूटिंग के दौरान मुझे इनसे काफी कुछ सीखने का मौका भी मिला। अहम शर्मा ने भी इसे एक बेहतरीन फ़िल्म बताया है। बड़े पर्दे पर मेरी आने वाली फिल्म का इंतज़ार अब खत्म होने वाली है। फ़िल्म के निर्देशक हेमंत शरण हैं। हेमंत शरण ने फ़िल्म के विषय में आगे कहा एक मेहनतकश टीम का नतीजा है धूप छांव,यह भारतीय सिनेमाई दर्शको को ध्यान में रख कर बनाई गई फ़िल्म है जिसमे पारिवारिक तानेबाने के साथ इमोशनल कॉमेडी को तबज्जो दी गयी है।

    जी म्यूजिक के ऑफिसियल चैनल्स पर इस फ़िल्म के ट्रेलर को देखा जा सकता है। ट्रेलर देख फ़िल्म पारिवारिक भावनाओं व मूल्यों पर आधारित दो भाइयों की कहानी लगती है। फ़िल्म मे भारतीय पारिवारिक इमोशन को देखा जा सकता है। फिल्म के निर्माता सचित जैन व साक्षी जैन हैं। कहानी संजय जैन की है। लेखक हेमंत शरण व अमित सरकार हैं और निर्देशन हेमंत शरण ने किया है। बॉलीवुड ट्रेड पंडितों ने भी धूप छांव के ट्रेलर को खूब सराहा है। फेमस बॉलीवुड क्रिटिक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से ट्रेलर को शेयर कर निर्माता व निर्देशक को बधाई दी। फ़िल्म 4 नवम्बर को पूरे देश के सर्वाधिक थियेटरों में एकसाथ रिलीज की जाएगी।

    फिल्म ‘धूप छांव’ का निर्माण फॉरएवर बिग एंटरटेनमेंट बैनर के तले किया गया है। इस फ़िल्म में अभिनेता राहुल देव,अभिषेक दुहान,स्मृति बथिजा,समीक्षा भटनागर,अहम शर्मा के अलावे अतुल श्रीवास्तव,राहुल बग्गा,शुभांगी लतकर,आशीष दीक्षित,आर्यन बजाज,शैलेन इत्यादि भी महवपूर्ण भूमिका में हैं। कोरियोग्राफर जीत सिंह,एसोसिएट प्रोड्यूसर शैलेन्द्र सहोरा व संगीतकार अमिताभ रंजन,नीरज श्रीधर व काशी रिचर्ड हैं तथा बॉलीवुड के दिग्गज गायक कैलाश खेर,जावेद अली,अन्वेषा, भूमि त्रिवेदी,सलमान अली और अरुण देव यादव ने इस फिल्म के गानों में अपनी आवाज दी है। मीडिया कंसल्टेंट सर्वेश कश्यप हैं।

  • वियावानी,कोसुक एवं बड़गांव में मंत्री श्रवण कुमार के द्वारा छठ घाट का निरीक्षण

    बिहार शरीफ प्रखंड के वियावानी,कोसुक एवं सिलाव प्रखंड के बड़गांव में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के द्वारा छठ घाट का निरीक्षण किया गया। छठ महापर्व बिहार वासियों के साथ साथ देशवासियों वासियों के लिए लोक आस्था से जुड़ा हुआ महापर्व रहा है तथा देश से लेकर विदेश तक रह रहे लोग अपने घर पर जाकर छठ महापर्व को मनाते हैं तथा भगवान भास्कर की पूजा अर्चना कर अर्घ देते हैं। इस दिन भगवान सूर्य और छठ माता की पूजा की जाती है ऐसी मान्यता है कि छठ माता उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं जो इस व्रत को स्वीकार करते हैं। छठ माता लोगों को समृद्धि, धन, बच्चे, सभी कुछ का आशीर्वाद देती है। वह हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करती है और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है। लोगों का बहुत दृढ़ विश्वास है, इसीलिए हर साल वे इस अवसर को बहुत ईमानदारी से मनाते हैं। वह हमारे जीवन को आनंद और खुशी से भर देती है जो हम सभी को पसंद है।

    जब लोग इस पूजा को करने के बाद दूसरों को खुश देखते हैं, तो वे अगले वर्ष से इस अवसर को मनाने की इच्छा रखते हैं और यह एक और मुख्य वजह है कि यह त्यौहार इन दिनों इतना ज्यादा लोकप्रिय होते जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छठ भर्ती माताओं बहनों के सुख सुविधा के लिए हर संभव प्रयास सरकार के द्वारा करवाया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन के अधिकारियों को छठ घाट की साफ सफाई बैरिकेडिंग, अस्थाई शौचालय चेंजिंग रूप एवं लाइटनिंग की व्यवस्था कराने का जगह जगह पर ब्लीचिंग पाउडर छिड़काव निर्देश दिया है।

    इस अवसर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी अंजन दत्ता सिटी मैनेजर परमानंद प्रसाद बिहार शरीफ नगर जिला जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष गुलरेज अंसारी मुख्य प्रवक्ता धनंजय देव प्रखंड अध्यक्ष संजय कुशवाहा किसान नेता जगलाल चौधरी मनोज मुखिया मंटू कुशवाहा रंजीत कुमार मिंटू चौधरी पंकज कुमार मुकेश सिंह पप्पू मुखिया धनंजय मुखिया रामजन्म रविदास मुखिया प्रमोद यादव अवधेश प्रसाद जयप्रकाश वर्मा राजेंद्र प्रसाद रवि कुमार संजय कुमार शिवनंदन प्रसाद कमलेश प्रसाद मुन्ना कुमार आदि ग्रामीण उपस्थित थे।

  • बिहार केशरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह की 135 वीं जयंती पर विशेष

    राकेश बिहारी शर्मा – अखंड बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री, “बिहार केसरी” डॉ. श्रीकृष्ण सिंह आघुनिक बिहार के निर्माता एवं स्वतंत्रता-संग्राम के अग्रगण्य सेनानियों में से रहे हैं। इनका सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र एवं जन-सेवा के लिये समर्पित था। स्वाधीनता की प्राप्ति के बाद बिहार के नवनिर्माण के लिए उन्होंने जो कुछ किया उसके लिए बिहारवासी सदा उनके ऋणी रहेंगे। उनके उदार एवं निष्कलंक चरित्र में बुद्ध की करूणा, गाँधी की नैतिकता एवं सदाचार परिवेष्ठित थी।

    श्रीकृष्ण सिंह का प्रारंभिक पारिवारिक जीवन एवं शिक्षा-दीक्षा

    बिहार केशरी श्रीकृष्ण सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1887 को इनके अपने ननिहाल, वर्तमान नवादा जिले के नरहट थाना अंतर्गत खंनवाँ ग्राम में हुआ था। उनका पैतृक गांव वर्तमान शेखपुरा जिला माउर “मौर” गांव उस समय के मुंगेर जिला जोकि बारबीघा के नजदीक है, वर्तमान में यह गांव शेखपुरा जिला में पड़ता है।
    उनके पिता श्री हरिहर सिंह एक धार्मिक प्रवृत्ति के किसान थे। उनकी मां भी धार्मिक विचारधारा वाली महिला थी, और धार्मिकता के कारण ही हरिहर सिंह अपने 5 पुत्रों का नाम भगवान के नाम पर रखा 1. श्री देवकीनंदन सिंह उर्फ मुख्तार बाबू, प्रकांड ज्योतिषाचार्य (पुस्तक लिखे: ज्योतिष रत्नाकर), 2. श्री रामकृष्ण सिंह, 3. श्री राधा कृष्ण सिंह, 4. डॉ. श्री कृष्ण सिंह (भूत पूर्व मुख्यमंत्री), 5. श्री गोपी सिंह थे। जब श्रीकृष्ण बाबू पांच वर्ष के हुए तो मां प्लेग रोग से मर गईं। डॉ. श्रीकृष्ण सिंह बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे वह अपने स्कूल के होनहार छात्रों में गिने जाते थे।
    इन्होने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव माउर “मौर” की पाठशाला में प्राइमरी तक ली और आगे की शिक्षा छात्रवृति पाकर जिला स्कूल मुंगेर से पूरी की। वर्ष 1906 में पटना कालेज, पटना विश्विद्यालय के छात्र बने। वर्ष 1913 में एम.ए. की डिग्री हासिल करके वर्ष 1914 में कलकत्ता विश्विद्यालय से बी.एल. की डिग्री प्राप्त की। अपनी शिक्षा पूरी कर लेने के उपरांत वर्ष 1915 में मुंगेर से वकालत की शुरुआत करते हुए समय के साथ वकालत के क्षेत्र में अपना अहम स्थान प्राप्त किया। इसी दौरान ये झारखंड-गिरिडीह के सेनादोनी गांव के प्रतिष्ठित किसान स्वर्गीय ब्रह्म नारायण देव की सुपुत्री राम रूचि देवी के साथ परिणय सूत्र में बंधे और उन्हें दो पुत्र, शिवशंकर सिंह और बन्दिशंकर सिंह का जन्म हुआ। पैतृक घर माउर में आज भी धरोहर के रूप में उनके उपयोग किए हुए सामान संरक्षित हैं।

    श्रीकृष्ण सिंह का राजनीतिक जीवन

    विद्यार्थी जीवन से ही श्री कृष्ण सिंह के अंदर राष्ट्र प्रेम की भावना एवं समाज सेवा कूट–कूट कर भरी थी। महात्मा गाँधी से इनकी पहली व्यक्तिगत मुलाकात वर्ष 1911 में हुई और गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित होकर उनके अनुयायी बन गये थे। अपने छात्र जीवन एवं राजनीतिक जीवन के प्रारंभिक दौर में श्री बाबू महर्षि अरविंद और तिलक के विचारों से प्रभावित रहे। वे भारतीय राजनीति के समकालीन नेताओं को अरविंद और तिलक की आंखों से देखना चाहते थे। यही कारण था कि स्कूली जीवन में ही एक हाथ में कृपाण और दूसरे हाथ में गीता लेकर गंगा नदी में प्रवेश कर कसम खाने वाले श्री कृष्ण सिंह ने 1912 में पहली बार पटना में होने वाले अखिल भारतीय कांग्रेस के महाधिवेशन में नरमदलीय कांग्रेस के प्रति अपनी उपेक्षा प्रदर्शित करने के कारण कोई योगदान नहीं दिया। वे उस समय पटना कालेज के छात्र थे। 1907 के सूरत कांग्रेस में झगड़े के बाद तिलक अपने गरम दलीय सहकर्मियों को लेकर कांग्रेस छोड़ निकल गये, तब श्री बाबू ने कांग्रेस से किनारा कर लिया था। इसी तरह जब जार्ज पंचम का पटना आगमन हुआ और वो शहर का नजारा देखने के लिए नाव पर सवार हो गंगा भ्रमण को निकले थे। तो सारा किनारा लोगों से खचाखच भर गया था। मिंटो होस्टल के छात्र भी भीड़ में जा मिले, किंतु श्री कृष्ण सिंह अपने कमरे से बाहर नहीं निकले। पढ़ाई पूरी करने के बाद 1914 में बी० एन० कॉलेज पटना में अध्यापक बने थे। वर्ष 1927 में वह विधान परिषद के सदस्य बने और 1929 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। 1930 में सिन्हा ने गढ़पुरा में नमक सत्याग्रह में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गिरफ्तार किए जाने पर उन्हें अपने हाथों और सीने में गंभीर जख्मी की चोटों का सामना करना पड़ा, उन्हें छह महीने तक कैद कर दिया गया और फिर उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और सिविल अवज्ञा आंदोलन के दौरान दो साल तक कैद कर दिया गया। उन्हें गांधी-इरविन संधि के बाद रिहा कर दिया गया और फिर उन्होंने अपने राष्ट्रवादी काम के साथ शुरू किया और किसान सभा के साथ काम किया। 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के लिए गांधीजी ने उन्हें बिहार का प्रथम सत्याग्रही नियुक्त किया था। 1930 ई० में शुरू हुए नमक आंदोलन में ये बिहार का नेतृत्व किये। स्वाधीनता की प्राप्ति के बाद बिहार के नवनिर्माण के लिए उन्होंने जो कुछ किया उसके लिए बिहारवासी सदा उनके ऋणी रहेंगे। उनके उदार एवं निष्कलंक चरित्र में बुद्ध की करूणा, गाँधी की नैतिकता एवं सदाचार परिवेष्ठित थी। 1934 ई० में केंद्रीय असेम्बली सदस्य बने। और आजादी के बाद 1961 ई० तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे। ये देश की आजादी के लिए 1920 ई० से 1945 ई० तक कुल दस बार जेल गए थे। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में श्री बाबू ने 7 वर्ष 10 दिन तक जेल की यातना सही और कई ढंग से प्रताड़ित होते रहे लेकिन संकल्प के प्रति निष्ठा कभी कमजोर नहीं हुई।
    श्री कृष्ण सिंह जी को लोग प्यार से “बिहार केसरी” के नाम से याद करते हैं। श्री कृष्ण सिंह उर्फ़ श्री बाबू देश के आजादी के साथ-साथ बिहार के विकास के लिए अपनी सारी शक्ति और बुद्धि लगाई थी। देश को वर्षों गुलामी के बाद आजादी मिली थी। ऐसे में श्री बाबू ने बिहार की आधारभूत संरचना को स्थापित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा था। अपने मुख्य मंत्रीत्व काल में कल्याण विभाग की स्थापना की दलित छात्रों की शिक्षा, उनके तकनीकी प्रशिक्षण की निःशुल्क सुविधा व विशेष छात्रवृति की व्यवस्था की थी। ये भारतीय राजनीति के दैदीप्यमान राजनेता बने रहे।

    बिहार के विकास में श्री बाबू का अभूतपूर्व योगदान

    अंतरिम सरकार और बिहार सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में ये कुल मिलाकर 16 वर्ष 10 माह कार्यरत रहे। श्री बाबू के जीवन का अंतिम चुनाव वर्ष 1957 में संपन्न हुआ। इस चुनाव में भी उनके कुशल नेतृत्व में कांग्रेस को विजय मिली। इस बार बिहार विधानसभा के नेतृत्व के लिए कांग्रेस दल में संघर्ष हुआ और मतपत्रों की गिनती दिल्ली में हुई। श्री बाबू विजयी हुए और पुनः मुख्यमंत्री बने थे। श्री बाबू के मन में बिहार के विकास की जो योजना थी, उनके अनुसार उन्होंने बिहार में जापानी खेती का प्रचलन बढ़ाया और हरित क्रांति लाने के लिए कृषकों को काफी उत्साहित किया। श्रीबाबू के कार्यकाल में बिहार में जहां जमींदारी प्रथा समाप्त हुई, वहीं उनके कार्यकाल में बिहार में एशिया का सबसे बड़ा इंजीनइरिंग उद्योग, हैवी इंजीनीयरिंग कॉरपोरेशन, भारत का सबसे बड़ा बोकारो इस्पात प्लांट, देश का पहला खाद कारखाना सिंदरी में, बरौनी रिफाइनरी, बरौनी थर्मल पॉवर प्लांट, पतरातू थर्मल पॉवर प्लांट, मैथन हाइडेल पावर स्टेशन एवं कई अन्य नदी घाटी परियोजनाएं स्थापित किया गया। वह एक नेता थे जिनकी दृष्टि कृषि और उद्योग दोनों के संदर्भ में बिहार को पूरी तरह से विकसित राज्य के रूप में देखना था। वास्तव में, बिहार देश के पहले पांच साल की योजना में उनके तहत अच्छा प्रदर्शन करने वाला शीर्ष राज्य बन गया। उनके कार्यकाल में ही प्रखंडों का गठन हुआ और सभी प्रखंडों में कृषि उत्पाद के सामानों की प्रदर्शनी लगती थी और उन्नत प्रभेद के अन्न, फल-फूल,गन्ना एवं सब्जी उत्पादक कृषकों को उपहार प्रदान किया जाता था। इस आयोजनों में क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया जाता था। वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के लिए प्रशिक्षित कृषि वैज्ञानिकों का दल सक्रिय ढंग से काम करता था। उन्होंने सबौर में कृषि कॉलेज, रांची में कृषि एवं पशुपालन महाविद्यालय, मुज्जफरपुर ढोली में कृषि महाविद्यालय, पूसा में ईख अनुसंधान संस्थान तथा दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार को जोड़ने के लिए हाथीदह में गंगा नदी में पुल एवं बरौनी और डालमिया उद्योग समूह की स्थापना जैसे बुनियादी काम श्री बाबू के शासनकाल में ही हुए थे। श्री बाबू की सरकार ने बिहार के आर्थिक विकास और औद्योगिक क्रांति लाने में सक्रिय भूमिका निभाई। बरौनी तेल शोधक कारखाना, रांची में हिंदुस्तान लिमिटेड का कार्यालय दिल्ली से स्थानांतरित कर लाया गया तथा बोकारो में बड़ा लौह कारखाना बनकर तैयार हो गया था। बिहार में 29 चीनी मिलें बनाई गई जोकि बिहार देश का दूसरा चीनी उत्पादक प्रदेश था। उनके शासन काल में शिक्षा सामुदायिक विकास, कृषि, पशुपालन सहयोग संस्थाएं, उद्योग, तकनीकी शिक्षा, सिंचाई, बिजली, परिवहन स्थानीय स्वशासन, कारा, भूमि सुधार, स्वास्थ्य, जलापूर्ति तथा परिवहन और संचार के क्षेत्र में भी काफी काम हुए और उनके शासनकाल में चहुमुखी प्रगति हुई। बिहार के शोक के रूप में जानी जा रही कोसी नदी की बाढ़ से बचाव के लिए जनसहयोग या श्रमदान से 152 मील लंबा बांध करीब-करीब बनाये गये थे। श्री बाबू ने सामाजिक विषमता दूर करने का जोरदार प्रयास किया। 27 सितंबर 1953 को अपने नेतृत्व में बैधनाथ मंदिर देवघर का मुख्य प्रवेश द्वार से 800 अनुसूचित जाति व कमजोर वर्गों के साथ प्रवेश किया। और ये सभी लोगों ने शिव की पूजा की। यह अनुसूचित जाति व कमजोर वर्गों के मन की मजबूती के लिए श्री बाबू के द्वारा उठाए गए क्रांतिकारी कदम थे।

    श्रीकृष्ण सिंह का सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास में योगदान

    श्रीकृष्ण सिंह ने राज्य के सांस्कृतिक और सामाजिक विकास में एक बड़ा योगदान दिया। उन्होंने बिहार के छात्रों के लिए कलकत्ता में राजेंद्र छात्र निवास, पटना में अनुग्रह नारायण सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, बिहार संगीत नृत्य नाट्य परिषद, पटना में संस्कृत कॉलेज, पटना में रविंद्र भवन, राजगीर वेणुवन विहार में भगवान बुद्ध की प्रतिमा इत्यादि जैसे अनेक निर्माण करवाए थे।
    नव बिहार के निर्माता के रूप में बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह का उदात्त व्यक्तिगत, उनकी अप्रतिम कर्मठता एवं उनका अनुकरणीय त्याग़ बलिदान हमारे लिए एक अमूल्य धारोहर के समान है जो हमे सदा-सर्वदा राष्ट्रप्रेम एवं जन-सेवा के लिए अनुप्रेरित करता रहेगा। आज का विकासोन्मुख बिहार श्रीकृष्ण सिंह जैसे महान शिल्पी की ही देन है, जिन्होंने अपने कर्मठ एवं कुशल कार्यों द्वारा राज्य की बहुमुखी विकास योजनाओं की आधारशिला रखी थी। बिहार भारत का पहला राज्य था, जहाँ सबसे पहले उनके नेतृत्व में ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन उनके शासनकाल में हुआ था। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा अनुग्रह नारायण सिन्हा के साथ वे भी आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में जाने जाते हैं।

    जनजन के नेता बिहार केशरी डॉ. श्री कृष्ण सिंह का स्वर्गारोहण

    बिहार निर्माता एवं बिहार के प्रथम लोकप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. श्री कृष्ण सिंह मानवीय मूल्यों एवं भारतीय दर्शन के प्रेरक तत्वों को अपने व्यक्तित्व में समाहित कर उत्तम कोटि का प्रशासन तथा बिना भेद-भाव, द्वेष एवं वैर के सर्वजनवरेण्य नेतृत्व प्रदान करने के लिए हमेशा जाने जायेंगे। राजनीति को कभी भी उन्होंने सत्ता-सुख का उपकरण नहीं माना वरन् मानव सेवा का एक सशक्त माध्यम एवं सुनहले अवसर के रूप में लिया। सामाजिक समरसता एवं सद्भावना का वातावरण बनाना उनकी प्राथमिकताओं में था। वे मात्र शुभेच्छुओं और समर्थको के प्रति ही नहीं बल्कि अपने प्रबल प्रतिद्वंदियों के प्रति भी अतिशय स्नेहिल और उदार थे।
    डॉ. श्री कृष्ण सिंह संघर्षशील, जुझारू और दूरदर्शी कांग्रेसी राजनेता थे। वह सामाजिक न्याय व साम्प्रदायिक सद्भाव के प्रणेता थे। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के सन्तुलित विकास पर ध्यान देते हुए बिहार और देश को बहुत कुछ दिया। श्रीबाबू अब हमारे बीच नही हैं, किन्तु उनकी विचारधाराएं एवं उनके उत्कृष्ट आर्दश सदैव बिहारियों का मार्ग दर्शन करते रहेंगे। बिहार के नव निर्माण के लिए वे हृदय में सदा पूजनीय रहेंगे तथा बिहार सदैव उनका ऋणी रहेगा। श्रीकृष्ण सिंह का निधन 74 वर्ष की आयु में 31 जनवरी 1961 को हुआ था। श्रीबाबू 2 जनवरी, 1946 से अपनी मृत्यु तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। डॉ. श्री कृष्ण सिंह मे श्रेष्ठ मानवोचित गुण भरे थे। वे सतत सारस्वत साधक के अलावा स्वच्छ राजनीतिज्ञ, अनासक्त कर्मयोगी, सर्वगुण-सम्पन्न त्यागी तथा मानवता के महान हितैषी थे। हम सब उनके पदचिह्नों पर चल पाये तो मानव कल्याण का राज्य मार्ग निश्चित रूप से प्रशस्त होगा और यही इस उदारचेता एवं प्रज्ञा पुरूष के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।

     

  • नव नियुक्त सभी कम्युनिटी हेल्थ पदाधिकारी को प्रशिक्षण का आयोजन

    हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर नव नियुक्त सभी कम्युनिटी हेल्थ पदाधिकारी को उनके कार्यो व जिम्मेदारी की जानकारी देने के लिए बुधवार को सदर अस्पताल के सभागार में उन्नमुखी प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण के दौरान सबसे पहले सभी सीएचओ को उनके कार्यों व विभाग के प्रति जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाया गया। इसके बाद एनसीडी स्क्रिनिग व विभाग द्वारा चलाये जा रहे योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। इसके अलावे स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी रिपोर्ट को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने की भी जानकारी दी गई।

    सीएस डॉ अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए हेल्थ एण्ड वेलनेश सेंटर बनाया गया है। और उसके संचालन की जवाबदेही आपलोगों को सौंपी गई है। प्रयास रहे कि मरीजों को सदर अस्पताल तक आने की जरूरत कम पड़े। इसके अलावे सरकार द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे है। इसे भी मरीजों तक पहुंचाने में आपलोगों को प्रयास करना है। साथ ही गैर संचारी रोग का भी स्क्रिनिग पर जोर देना है ताकि ज्याद से ज्यादा मरीजों को चिन्हित कर स्वस्थ्यसुबिफ उपलब्ध कराया जा सके। इस मौके पर गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ राम मोहन सहाय, पंकज तिवारी, क्षितिज मोहन लाल, उज्जवल कुमार आदि उपस्थित थे।

  • राजगीर के कबीर मठ में बहुजन सेना की बैठक संपन्न।

    नालंदा जिला के प्रखंड राजगीर में कबीर मठ में बहुजन सेना द्वारा एक बहुजन महापंचायत का आयोजन किया गया। आज के इस महापंचायत में नालन्दा, नवादा व गया जिला के सैंकडो़ लोगों ने भाग लिया।
    इस अवसर पर बहुजन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा कि आज हम आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम बहुजनों (एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यकों) का हक अधिकार सुरक्षित नहीं है। राज्य व केंद्र सरकार जब चाहता है तब न्यायालय का सहारा लेकर हमारे हक अधिकार को समाप्त कर देता है। जिसका ताजा उदाहरण है पटना उच्च न्यायालय द्वारा नगर निकाय के चुनावों में अतिपिछडो़ की आरक्षण समाप्त करना। और न्यायालय ऐसे अवसरों की तलाश में खडी़ रहती है, क्योंकि न्यायालय में कॉलेजियम सिस्टम के कारण वही लोग न्यायकर्ता के रूप में बैठे हैं, जो सदियों से हमारे दुश्मन रहे हैं और जो कभी नहीं चाहते हैं कि बहुजन लोग अपने हक अधिकार को प्राप्त करे और आगे बढ़े।
    इस मौके पर बहुजन सेना के प्रदेश महासचिव रामदेव चौधरी ने राजगीर के कबीर मठ ऐतिहासिक भूमि ज्ञान की धरती पर बहुजन सेना के बैनर तले बैठक की गई इस बैठक से आवाहन करते हुए कहा कि न्यायपालिका में कंजियम सिस्टम प्रणाली को समाप्त किया जाए ताकि अन्य समाज के लोग जज बन सके पूरे बिहार में समान शिक्षा प्रणाली लागू किया जाए सभी गरीब वोटरों को पर महीना 10000 रुपैया सरकार देने का काम करें इन्हीं पांच सूत्री मांगों को लेकर अगले महीना 15 नवंबर को पटना के गर्दनीबाग में महाधरना दिया जाएगा
    इस अवसर पर बहुजन सेना , प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश कुमार दास, ऋषिराज कुमार, व वलराम दास जिला सचिव महेंद्र प्रसाद इन लोगों ने संबोधित करते हुए कहा कि जब तक न्यायपालिका में कॉलेजियम सिस्टम रहेगा तब तक हम बहुजनों को उचित न्याय नहीं मिलने वाला है, इसलिए जितना जल्द हो सके इस कॉलेजियम सिस्टम को समाप्त किया जाना चाहिए।
    आज के इस बहुजन महापंचायत में इन्दल चौधरी, मनोज मांझी, सुरेन्द्र प्रसाद तरुण, इन्द्रदेव प्रसाद, होरिल दास, अमर कुमार, इत्यादि लोगों ने भाग लिया।

  • बिहार के एक और शहर से जल्द शुरू होने वाली है घरेलू उड़ानें,जाने कब से होगी स्टार्ट


    डेस्क : बिहार के दूसरे शहर से घरेलू उड़ानें शुरू करने की कवायद तेज कर दी गई है। नेपाल की सीमा से सटे सुपौल जिले के वीरपुर हवाई अड्डे को जल्द ही चालू कर दिया जाएगा। बेगूसराय बीएमपी कमांडेंट मनोज कुमार, दरभंगा बीएमपी कमांडेंट रवि रंजन के साथ एसडीएम कुमार सत्येंद्र यादव ने एयरपोर्ट का निरीक्षण किया। सोमवार को अधिकारियों ने 1.6 किमी रनवे का शुरू से अंत तक सर्वे किया।

    हवाईअड्डा प्राधिकरण द्वारा हवाई क्षेत्र में बने लाउंज में अधिकारियों ने मुलाकात की और हवाईअड्डे से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि एयरपोर्ट से घरेलू उड़ान की संभावना को देखते हुए चार-पांच जगहों का सर्वे किया जाना था। इसमें वीरपुर एयरपोर्ट को भी सर्वे के दायरे में रखा गया था। जानकारी के अनुसार पूर्व में सहरसा, पूर्णिया, कटिहार और दरभंगा के हवाई अड्डों का अधिकारियों द्वारा सर्वेक्षण किया गया था, लेकिन अधिकारियों ने वीरपुर हवाई अड्डे की स्थिति को अच्छा बताया।

    बता दें कि वीरपुर हवाई अड्डे का निर्माण कोसी योजना की स्थापना अवधि के दौरान किया गया था। अब इस एयरपोर्ट को अथॉरिटी को सौंप दिया गया है। तीन साल पहले वीरपुर एयरपोर्ट को डोमेस्टिक फ्लाइट के लिए चुना गया था। देश के विभिन्न प्रांतों के कुल 24 हवाई अड्डों को घरेलू उड़ान के लिए चुना गया था। इसमें वीरपुर एयरपोर्ट भी शामिल है।

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