Category: Bihar News

  • शिक्षक अभ्यर्थी लाठीचार्ज मामले पर बिहार में सियासत तेज, जानें बीजेपी विधायक ने क्या कहा

    लाइव सिटीज, पटना: बिहार की राजधानी पटना में शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों पर पुलिसवालों ने जमकर लाठियां भांजी. दरअसल, बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा कराने और सातवें चरण की शिक्षक भर्ती की मांग को लेकर पूरे बिहार से राजधानी पटना पहुंचे शिक्षक अभ्यर्थी सोमवार को डाक बंगला चौराहा पर बड़ी संख्या में इकट्ठे होकर प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान पुलिस ने इन अभ्यर्थियों पर लाठी चार्ज किया. वहीं, प्रदर्शन के दौरान ADM लॉ एंड ऑर्डर के के सिंह ने भी प्रदर्शनकारियों को जमकर पीटा.

    इसको लेकर बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि ये बहुत ही निंदनीय है. ये आपत्तिजनक है. तेजस्वी यादव कहते थे पहले ही कैबिनेट में 10 लाख नौकरी देंगे, लेकिन कई कैबिनेट बीत गया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ. ये लोग सत्ता के सौदागर लोग हैं. सत्ता में मलाई खाने वाले लोग हैं. प्रदर्शन के दौरान जो भी छात्रों के दैरान हुआ है, उसपर कार्रवी हो. देश और दूनिया के लोग पदाधिकारी को दोषी ठहरा रहे हैं. बिहार में लिपापोती की राजनिती नहीं चलेगी. इस मामले में कार्रवाई हो. बीजेपी छात्रों के साथ हैं.

    आपको बता दें की बिहार की राजधानी पटना में 23 से 25 अगस्त तक धारा 144 लागू कर दी गई है. शहर के डाकबंगला चौराहा, गांधी मैदान, बेली रोड और बोरिंग रोड इलाके में तीन दिनों तक धरना-प्रदर्शन पर रोक रहेगी. गर्दनीबाग को छोड़कर किसी भी शहरी इलाके में धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी. सोमवार को शिक्षक भर्ती को लेकर हुए हंगामे के बाद प्रशासन ने यह फैसला लिया है.

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  • वृद्ध महिला का शव का मिलने से इलाके में सनसनी फैला,

    नालंदा – हरनौत थाना क्षेत्र इलाके के मुढारी गांव के बीच खंधे में एक 60 वर्षीय वृद्ध महिला का शव मृत अवस्था में मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। ग्रामीणों द्वारा पुलिस को सूचना देने के बाद मौके पर हरनौत थाना व बेना थाना पुलिस टीम ने घटना स्थल पर पहुंच कर शव को पहचान करने में जुटी गई। वही घंटों देर बाद शव की पहचान कर ली गई। घटना स्थल पर उपस्थित हरनौत थाना प्रभारी देवानंद शर्मा ने बताया कि मृतक महिला की पहचान कर ली गई है।

    महिला हरनौत थाना क्षेत्र इलाके के छोटकी मुढारी गांव के रामप्रीत चौहान की 60 वर्षीय पत्नी कौशल्या देवी के रूप में की गई है। उन्होंने बताया कि घटना कैसे हुई है इसका पता अभी तक कुछ नहीं चल पाया है पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही पता हो पाएगा। मृतक महिला की परिजनों ने बताया कि वृद्ध महिला घर से दोपहर 12 बजे के बाद यहां तक कैसे पहुंचा जिसकी कोई जानकारी नहीं है।

    वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अलंग पर से उतरने के दौरान पैर उनका फिसल गया,प्रथम दृष्टि से देखने से लगता है कि साड़ी नरेटी में लदफादा गया और वह बेहोश होकर दम तोड़ दिया। वहीं मौत की खबर सुनने के बाद मृतक के परिजनों में रो रो कर बुरा हाल हो गया है। घटनास्थल पर शव को देखने के लिए आसपास के ग्रामीणों का भीड़ उमड़ पड़ी।

  • राजधानी पटना में शिक्षक भर्ती पर हंगामे के बाद DM का फैसला, 25 अगस्त तक इस इलाके में धारा 144 लागू

    लाइव सिटीज, पटना: बिहार की राजधानी पटना में 23 से 25 अगस्त तक धारा 144 लागू कर दी गई है. शहर के डाकबंगला चौराहा, गांधी मैदान, बेली रोड और बोरिंग रोड इलाके में तीन दिनों तक धरना-प्रदर्शन पर रोक रहेगी. गर्दनीबाग को छोड़कर किसी भी शहरी इलाके में धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी. सोमवार को शिक्षक भर्ती को लेकर हुए हंगामे के बाद प्रशासन ने यह फैसला लिया है.

    पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थियों पर सोमवार को हुए लाठीचार्ज  के मामले में की जांच जारी है. इस संबंध में कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी. अभ्यर्थियों से अपील है कि वे उचित फोरम में अपनी बात रखें। साथ ही धरना-प्रदर्शन के लिए पहले से तय जगह पर ही प्रोटेस्ट करें. डीएम ने कहा कि 25 अगस्त तक गर्दनीबाग के अलावा पटना सदर अनुमंडल के किसी इलाके में धरना-प्रदर्शन या जुलूस की अनुमति नहीं है.

    बिहार के विभिन्न जिलों से शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी सोमवार को राजधानी पटना पहुंचे और नियुक्ति की मांग को लेकर डाक बंगला चौराहे पर प्रदर्शन किया. पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने. इस दौरान भारी हंगामा हो गया और पुलिस ने उन्हें काबू में करने के लिए लाठियां बरसाई. लाठीचार्ज में कई लोग छात्र घायल हो गए.

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  • मुढारी गांव के कंधे में वृद्ध महिला का शव का मिलने से इलाके में सनसनी फैला,

    हरनौत थाना क्षेत्र इलाके के मुढारी गांव के बीच कंधे में एक 60 वर्षीय वृद्ध महिला का शव मृत अवस्था में मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। ग्रामीणों द्वारा पुलिस को सूचना देने के बाद मौके पर हरनौत थाना व बेना थाना पुलिस टीम ने घटना स्थल पर पहुंच कर शव को पहचान करने में जुटी गई। वही घंटों देर बाद शव की पहचान कर ली गई। घटना स्थल पर उपस्थित हरनौत थाना प्रभारी देवानंद शर्मा ने बताया कि मृतक महिला की पहचान कर ली गई है।मृतक महिला हरनौत थाना क्षेत्र इलाके के छोटकी मुढारी गांव के रामप्रीत चौहान की 60 वर्षीय पत्नी कौशल्या देवी के रूप में की गई है। उन्होंने बताया कि घटना कैसे हुई है इसका पता अभी तक कुछ नहीं चल पाया है पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही पता हो पाएगा। मृतक महिला की परिजनों ने बताया कि वृद्ध महिला घर से दोपहर 12 बजे के बाद यहां तक कैसे पहुंचा जिसकी कोई जानकारी नहीं है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अलंग पर से उतरने के दौरान पैर उनका फिसल गया,प्रथम दृष्टि से देखने से लगता है कि साड़ी नरेटी में लदफादा गया और वह बेहोश होकर दम तोड़ दिया। वहीं मौत की खबर सुनने के बाद मृतक के परिजनों में रो रो कर बुरा हाल हो गया है। घटनास्थल पर शव को देखने के लिए आसपास के ग्रामीणों का भीड़ उमड़ पड़ी।

  • बहुजन हितैसी समाज सुधारक रामस्वरूप वर्मा की 99 वीं जयंती पर विशेष :

    देश के महान समाज सुधारक रामस्वरूप वर्मा सामाजिक क्रांति के जनक ही नहीं थे, वरन् वे बहुजन नवजागरण के अग्रदूत भी थे। वे आधुनिक सचेत मानव थे और नये भारत के ऐसे महान् व्यक्तित्व थे, जिन्होंने पूर्व एवं पश्चिम की विचारधारा का समन्वय कर सैकड़ो वर्षों से सोये हुए भारत को नये सोच के साथ जागृत किया। वे इस समाज एवं शताब्दी के ऐसे निर्माता थे, जिन्होंने उन सब बाधाओं को दूर किया, जो हमारी प्रगति के मार्ग में बाधक थीं। वे मानवतावाद के सच्चे पुजारी थे। उन्हें पुनर्जागरण व सुधारवाद मानववाद का महान प्रर्वतक कहा जाता है।
    इसी सामाजिक बदलाव में उत्तर प्रदेश कानपुर के ग्राम गौरीकरन में कुर्मी जाति के एक किसान परिवार में 22 अगस्त 1923 को रामस्वरूप वर्मा का जन्म हुआ। चार भाइयों में सबसे छोटे थे रामस्वरूप वर्मा जी। उनके पिता का नाम वंशगोपाल और माता का नाम सुखिया था।

                            रामस्वरूप वर्मा की शिक्षा-दीक्षा और अर्जक संघ’ की स्थापना

    अंग्रेजों से देश को मिली आजादी के बाद यहां की एक बड़ी आबादी अंधविश्वास एवं पाखंडवाद के गुलाम थी। इस गुलामी के कारण देश में वैज्ञानिक सोच पर जादू-टोना, तंत्र-मंत्र भारी पड़ रहा था और युवा वास्तविकता से हटकर अपनी राह से भटक रहे थे। रामस्वरूप वर्मा अपने वैज्ञानिक चिंतन से देश को अंधविश्वास से आजादी दिलाने के लिए एक नई मिशन की शुरुआत की। रामस्वरूप वर्मा का प्रारम्भिक शिक्षा गांव के पाठशाला में ही हुई थी। लेकिन उनकी आगे की शिक्षा कालपी और पुखरायां में हुई जहां से उन्होंने हाई स्कूल और इंटर की परीक्षाएं उच्च श्रेणी में उत्तीर्ण की। माता-पिता अपने बेटे रामस्वरूप को उच्च शिक्षा ग्रहण करवाना चाहते थे। वे बचपन से ही पढ़ने में कुशाग्र बुद्धि के थे। उन्होंने 1949 के जमाने में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. और आगरा विश्विद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की, जब बहुजनों के लिए शिक्षा का दरवाजा बन्द था। किन्तु ब्रिटिश हुकूमत के कारण बहुजनों और महिलाओं की शिक्षा का रास्ता प्रशस्त हो रहा था जिसका लाभ रामस्वरूप वर्मा को मिला। उन्होंने उर्दू, अंग्रेजी, हिन्दी और संस्कृत भाषा की शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके सामने तीन विकल्प थे। पहला विकल्प प्रशासनिक सेवा में जाना, दूसरा वकालत करना तथा तीसरा विकल्प था राजनीति के द्वारा मूलनिवासी बहुजनों तथा देश की सेवा करना। रामस्वरूप वर्मा जी ने आई॰ए॰एस॰ की लिखित परीक्षा भी उर्त्तीण कर ली थी। किन्तु साक्षात्कार के पूर्व ही वे निर्णय ले चुके थे, कि प्रशासनिक सेवा में रहकर ऐशो आराम की जिन्दगी तो व्यतीत कर सकते हैं पर उन मनुवाद से आच्छादित मूलनिवासी बहुजन समाज में व्याप्त भाग्यवाद, पुर्नजन्म, अन्धविश्वास, पाखण्ड, चमत्कार जैसी धारणा से निजात नहीं दिला सकते। इसलिए सामाजिक चेतना और जागृति पैदा करने के लिए उन्होंने 1 जून 1968 को सामाजिक संगठन ‘अर्जक संघ’ की स्थापना की।

                           रामस्वरूप वर्मा द्वारा स्थापित अर्जक संघ का मूल कार्य

    अर्जक संघ के अनुयायी सनातन विचारधारा के उलट जीवन में सिर्फ दो संस्कार ही मानते हैं- विवाह और मृत्यु संस्कार। शादी के लिए परंपरागत रस्में नहीं निभाई जातीं। लड़का-लड़की संघ की पहले से तय प्रतिज्ञा को दोहराते हैं और एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर शादी के बंधन में बंध जाते हैं। मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार मुखाग्नि या दफना-कर पूरा किया जाता है, लेकिन बाकी धार्मिक कर्मकांड इसमें नहीं होते। इसके 5 या 7 दिन बाद सिर्फ एक शोकसभा होती है। अर्जक संघ के मुताबिक, दरअसल हमारे हिंदू समाज में जन्म के आधार पर बहुत ही ज्यादा भेदभाव किया गया है। कोई पैदा होते ही ब्राह्मण, तो कोई वाल्मीकि होता है। ब्राह्मण समाज धर्मग्रंथों का सहारा लेकर सदियों से नीची जातियों का दमन करते आए हैं।         रामस्वरूप वर्मा ने मानव-मानव एक समान का नारा दिया था

    राजनीतिक क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही रामस्वरूप वर्मा वंचित तबके को आडंबर वाले जातिगत व्यवस्था से बाहर निकालना चाहते थे। वे मानते थे कि भारतीय समाज के बड़े हिस्से के पिछड़ेपन का मूल कारण है—धर्म के नाम पर आडंबर। तरह-तरह के कर्मकांड और रूढ़ियां। शताब्दियों से दबे-कुचले समाज को पंडित और पुजारी तरह-तरह के बहाने बनाकर लूटते रहते थे। ‘अर्जक संघ’ के गठन का प्रमुख उद्देश्य लोगों को धर्म के नाम किए जा रहे छल-प्रपंच और पाखंड से मुक्ति दिलाना था। हालांकि यह कोई नई पहल नहीं थी। जाति मुक्ति के लिए पेशा-मुक्ति आंदोलन की शुरुआत 1930 से हो चुकी थी। आगे चलकर अलीगढ़, आगरा, कानपुर, उन्नाव, एटा, मेरठ जैसे जिले, जहां चमारों की संख्या काफी थी-उस आंदोलन का केंद्र बन गए। आंदोलन का नारा था-‘मानव-मानव एक समान’। उन दिनों गांवों में मृत पशु को उठाकर उनकी खाल निकालने का काम चमार जाति के लोग करते थे। जबकि चमार स्त्रियां नवजात के घर जाकर नारा(नाल) काटने का काम करती थीं। समाज के लिए दोनों ही काम बेहद आवश्यक थे। मगर उन्हें करने वालों को हेय दृष्टि से देखा जाता था। अछूत मानकर उनसे नफरत की जाती थी। डॉ. आंबेडकर की प्रेरणा से 1950-60 के दशक में उत्तर प्रदेश से ‘नारा-मवेशी आंदोलन’ का सूत्रपात हुआ था।

                      बहुजन नेता रामस्वरूप वर्मा की साहित्यिक रुचि और साहित्यिक सफर

    समाज सुधारक रामस्वरूप वर्मा ने ‘अर्जक संघ’ की स्थापना के एक साल बाद 1 जून 1969 को ‘अर्जक’ अख़बार निकालकर बहुजन पत्रकारिता की आधारशिला रखी। हालाँकि यह पहली बहुजन पत्रकारिता नहीं थी, क्योंकि इससे पूर्व भी बहुजन पत्रकारिता को रेखांकित करने के प्रयास हो चुके थे, जिसमें चन्द्रिकाप्रसाद जिज्ञासु के सम्पादन में निकलने वाली पत्रिका ‘कलवार सन्देश’ भी थी। फिर भी वे सीमित प्रयास थे और मासिक थे। इसके विपरीत, ‘अर्जक’ साप्ताहिक था, जो सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में बहुजनों को ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद के खिलाफ वही चेतना और वही प्रकाश दे रहा था, जिसके लिए बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर ने इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी बनाई थी। अर्जक का अर्थ वही है, जो अंग्रेजी के ‘लेबर’ शब्द का है- श्रम करके अर्जन करने वाला। इसलिए कहना न होगा कि ‘अर्जक’ अखबार ने शीघ्र ही लोकप्रियता हासिल कर ली। अर्जक संघ मानववादी संस्कृति का विकास करने का काम करता है। इसका मकसद मानव में समता का विकास करना, ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करना और सबकी उन्नति के लिए काम करना है। संघ 14 मानवतावादी त्योहार मनाता है। इनमें गणतंत्र दिवस, अंबेडकर जयंती, बुद्ध जयंती, स्वतंत्रता दिवस के अलावा बिरसा मुंडा और पेरियार रामास्वामी की पुण्यतिथियां भी शामिल हैं। बहुजन नेता रामस्वरूप वर्मा में राजनैतिक चेतना का प्रादुर्भाव डॉ. अम्बेडकर के उस भाषण से हुआ, जिसे उन्होंने मद्रास के पार्क टाउन मैदान में 1944 में शिड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन द्वारा आ त कार्यकर्ता सम्मेलन में दिया था।

                                     रामस्वरूप वर्मा की कालजयी कृतियाँ

    रामस्वरूप वर्मा सिर्फ राजनेता नहीं थे, बल्कि एक उच्चकोटि के दार्शनिक, चिंतक और रचनाकार भी थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की है। क्रांति क्यों और कैसे, मानववाद बनाम ब्राह्मणवाद, मानववाद प्रश्नोत्तरी, ब्राह्मणवाद महिमा क्यों और कैसे, अछूतों की समस्या और समाधान, अंबेडकर साहित्य की जब्ती और बहाली, निरादर कैसे मिटे, शोषित समाज दल का सिद्धांत, अर्जक संघ का सिद्धांत, वैवाहिक कुरीतियां और आदर्श विवाह पद्धति, आत्मा पुनर्जन्म मिथ्या, मानव समता कैसे, मनुस्मृति राष्ट्र का कलंक आदि उनकी प्रमुख रचनाएं हैं जो अर्जक प्रकाशन से प्रकाशित हुई़ं। रामस्वरूप वर्मा की अधिकांश रचनाएं ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं। पुनर्जन्म, भाग्यवाद, जात-पात, ऊंच-नीच का भेदभाव और चमत्कार सभी ब्राह्मणवाद के पंचांग हैं जो जाने-अनजाने ईसाई, इस्लामी, बौद्ध आदि मानववादी संस्कृतियों में प्रकारांतर से स्थान पा गए हैं। वे मानववाद के प्रबल समर्थक थे। वे मानते थे कि मानववाद वह विचारधारा है जो मानव मात्र के लिए समता, सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।

                            डॉ. राममनोहर लोहिया के नेतृत्व में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में शामिल

    अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करते करते वर्मा जी समाजवादी विचारधारा के प्रभाव में आ गये थे और डॉ. लोहिया के नेतृत्व में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गये। डॉ. राममनोहर लोहिया को अपनी पार्टी के लिए एक युवा विचारशील नेतृत्व मिल गया जिसकी तलाश उन्हें बहुत दिनों से थी। डॉ. लोहिया को वर्मा जी के व्यक्तित्व की सबसे महत्वपूर्ण बात यह लगी कि उनके पास एक विचारशील मन है, वे संवेदनशील हैं, उनके विचारों में मौलिकता है, इन सबसे बड़ी बात यह थी किसान परिवार का यह नौजवान प्रोफेसरी और प्रशासनिक रुतबे की नौकरी से मुंह मोड़ कर राजनीति को सामाजिक कर्म के रूप में स्वीकार कर रहा है । डॉ० लोहिया को वर्मा जी का जिन्दगी के प्रति एक फकीराना नजरिया और निस्वार्थी-ईमानदार तथा विचारशील व्यक्तित्व बहुत भाया और उनके सबसे विश्वसनीय वैचारिक मित्र बन गये क्योंकि वर्मा जी भी डा० लोहिया की तरह देश और समाज के लिए कबीर की तरह अपना घर फूंकने वाले राजनैतिक कबीर थे। वर्मा जी अपने छात्र जीवन में आजादी की लड़ाई के चश्मदीद गवाह रहे पर उसमें हिस्सेदारी न कर पाने का मलाल उनके मन में था इसीलिए भारतीय प्रशासनिक सेवा की रुतबेदार नौकरी को लात मार कर राजनीति को देश सेवा का माध्यम चुना और राजनीति भी सिद्धान्तों और मूल्यों की।       रामस्वरूप वर्मा का राजनैतिक यात्रा

    रामस्वरूप वर्मा जी पढ़ाई के बाद सीधे राजनीति में आने पर परिवार ने कभी आपत्ति नहीं की बल्कि हर सम्भव उन्हें प्रोत्साहन और सहयोग दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए पहला चुनाव 1952 में भोगनीपुर चुनाव क्षेत्र से एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रामस्वरूप गुप्ता के विरुद्ध लड़ा और महज चार हजार मतों से वे हारे पर 1957 के चुनाव में उन्होंने रामस्वरूप गुप्ता को पराजित किया था। पुनः वे 1957 में सोशलिस्ट पार्टी से भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश विधान सभा के सद्स्य चुने गये, उस समय उनकी उम्र मात्र 34 वर्ष की थी। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पर्टी से, 1969 में निर्दलीय, 1980, 1989 में शोषित समाजदल से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये। 1991 में छठी बार शोषित समाजदल से विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। जनान्दोलनों में भाग लेते हुए वर्मा जी 1955, 1957, 1958, 1960, 1964, 1969, और 1976 में 188 आई०पी०सी० की धारा 3 स्पेशल एक्ट धारा 144 डी०आई०आर० आदि के अन्तर्गत जिला जेल कानपुर, बांदा, उन्नाव, लखनऊ तथा तिहाड़ जेल दिल्ली में राजनैतिक बन्दी के रूप में सजाएं भोगीं। वर्मा जी ने 1967-68 में उत्तर प्रदेश की संविद सरकार में वित्तमंत्री के रूप में 20 करोड़ के लाभ का बजट पेश कर पूरे आर्थिक जगत को अचम्भे में डाल दिया। बेशक संविद सरकार की यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। कहा जाता है कि एक बार सरकार घाटे में आने के बाद फायदे में नहीं लाया जा सकता है, अधिक से अधिक राजकोषीय घाटा कम किया जा सकता है। दुनिया के आर्थिक इतिहास में यह एक अजूबी घटना थी जिसके लिए विश्व मीडीया ने वर्मा जी से साक्षात्कार कर इसका रहस्य जानना चाहा। संक्षिप्त जबाब में तो उन्होंने यही कहा कि किसान से अच्छा अर्थशास्त्री और कुशल प्रशासक कोई नहीं हो सकता क्योंकि लाभ-हानि के नाम पर लोग अपना व्यवसाय बदलते रहते हैं पर किसान सूखा-बाढ़ झेलते हुए भी किसानी करना नहीं छोडता। वर्मा जी भले ही डिग्रीधारी अर्थशास्त्री नहीं थे पर किसान के बेटे होने का गौरव उन्हें प्राप्त था। बाबजूद इसके कि वर्मा जी ने कृषि, सिंचाई, शिक्षा, चिकित्सा, सार्वजनिक निर्माण जैसे तमाम महत्वपूर्ण विभागों को गत वर्ष से डेढ़ गुना अधिक बजट आवंटित किया तथा कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते में वृद्धि करते हुए फायदे का बजट पेश किया था।                                  रामस्वरूप वर्मा का निधन

  • पटना में गंगा ने खतरे के निशान किया पार, गांधी घाट पर खतरे से ऊपर बह रहा पानी

    लाइव सिटीज, पटना: गांधी घाट पर गंगा सोमवार सुबह छह बजे खतरे के निशान को पार कर गयी. यहां खतरे का निशान 48.60 मीटर है, जबकि गंगा इस समय 48.62 मीटर के साथ बह रही थी. यहां पर गंगा खतरे के निशान से दो सेंटीमीटर ऊपर जल स्तर पहुंच गया. जिला प्रशासन शाम पांच बजे तक यहां जलस्तर स्थिर था.

    हाथीदह में खतरे का निशान 41.76 मीटर है, यहां गंगा का जलस्तर सोमवार की सुबह छह बजे 41.68 मीटर था. शाम छह बजे यह बढ़ कर 41.74 मीटर हो गया. यहां गंगा खतरे के निशान से मात्र दो सेंटीमीटर नीचे थी. गांधी घाट के बाद अब हाथीदह में किसी भी समय गंगा खतरे के निशान को पार कर सकती है.

    दूसरी ओर गंगा का मनेर में खतरे का निशान 52.00 मीटर है यहां पर गंगा का जलस्तर सुबह छह बजे 51.54 मीटर था. शाम चार बजे जलस्तर बढ़ कर 51.57 मीटर हो गया. इस समय तक तीन सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ा. यहां खतरे के निशान से आधे मीटर से भी कम दूरी पर गंगा बह रही है.

    दीघा घाट पर खतरे का निशान 50.45 मीटर है यहां पर यह 49.78 मीटर के जलस्तर के साथ बह रही थी. शाम पांच बजे तक यहां पानी का स्तर इतना ही रहा. फतुहा के कटैयाघाट में खतरे का निशान 47 मीटर है, यहां गंगा का जलस्तर सुबह छह बजे 46.90 मीटर था.

    अन्य जगहों पर भी गंगा उफन रही है. ऐसे में पटना में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. मनेर, गांधी घाट, हाथीदह में पानी बढ़ रहा है. वहीं दीघा घाट पर पानी स्थिर है. पटना के सभी गंगा घाटों पर पानी या तो बढ़ रहा है या फिर स्थिर है. सोमवार की शाम तक जिले के तटबंध सुरक्षित थे. पटना शहर की सुरक्षा दीवार भी सुरक्षित थी.

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  • औरंगाबाद में घूसखोर इंजीनियर गिरफ्तार, निगरानी विभाग ने रंगे हाथों दबोचा

    लाइव सिटीज, औरंगाबाद: निगरानी विभाग की टीम ने क्षेत्रीय अभिकरण संगठन कार्य प्रमंडल औरंगाबाद के सहायक अभियंता सीताराम सहनी को सोमवार को गिरफ्तार किया है. वो कार्यालय में 40 हजार रुपया घूस ले रहे थे. निगरानी की टीम पटना ले जाने की तैयारी में है. कार्य प्रमंडल बक्सर में पदस्थापित रोहतास जिले के अकोढ़ी गोला निवासी विनय कुमार के द्वारा निगरानी विभाग को एक आवेदन देकर इस मामले में शिकायत की गई थी.

    उन्होंने कहा था कि वह औरंगाबाद में पदस्थापित थे, लेकिन स्थानांतरण हो जाने के कारण उनका वहां से स्थानांतरण कार्य प्रमंडल बक्सर में हो गया. यहां चार जुलाई 2022 को उन्होंने पदभार ग्रहण कर अपना कार्य शुरू कर दिया. औरंगाबाद में पदस्थापन के दौरान कार्यालय से कार्य लौटने के क्रम में दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण वह इलाज में थे, लेकिन जब इलाज से उनका स्वास्थ्य ठीक हुआ तो दो फरवरी 2022 को कार्यालय में योगदान देकर दायित्वों का निर्वहन ससमय करने लगा.

    तीन अगस्त 2021 से जून 2022 तक का वेतन सहायक अभियंता सीताराम साहनी के अनुपस्थिति विवरण नहीं देने के कारण उनका वेतन भुगतान रुका हुआ था. इस कारण उनके द्वारा 15 जुलाई को कार्यपालक अभियंता को आवेदन दिया गया था लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही उस पर नहीं हुई.

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  • जाप के राजभवन मार्च में प्रदेश से शामिल हुए हजारों कार्यकर्ता, पप्पू यादव के आह्वान पर इतिहास रचने को तैयार हैं बिहार के युवा: राजू दानवीर

    लाइव सिटीज, पटना: जन अधिकार युवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष राजू दानवीर ने कहा कि बढ़ती महंगाई, खाद्य पदार्थों पर बढ़ी जीएसटी, अग्निपथ योजना और बेरोजगारी के खिलाफ आज जन अधिकार पार्टी द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव की अगुवाई में ऐतिहासिक राजभवन मार्च निकाला गया, जिसमें प्रदेशभर से हजारों हजार की संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता और नेतागण शामिल हुये। राजभवन मार्च को केंद्र सरकार की नीतियों से त्रस्त आम लोगों का भी आपर समर्थन मिला।

    दानवीर ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की गलत नियत और नीतियों का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार से आज हर वर्ग परेशान है। दूध से लेकर ब्रेड और बिस्किट पर भी जीएसटी लगाई जा रही है, जिसकी वसूली सरकार आम आदमी की जेब से कर रही। मोदी जी देश के ऐसे पहले चौकीदार हैं, जो रोज सुबह तेल की कीमतों में वृद्धी करके देश वासियों को गुड मार्निंग मैसेज भेजते हैं। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है?

    उन्होंने कहा कि शिक्षित युवा रोजगार के लिए भटक रहे, लेकिन वर्षों से केंद्र से कोई शासकीय भर्ती नहीं निकाली गई, उल्टे रोजगार को खत्म कर रोजगार देने वाले संस्थानों को नीलाम किया जा रहा है। सरकार अब युवाओं को अग्निवीर का झांसा दे रही है। सेना में संविदा के आधार पर भर्ती कर भाजपा की सरकार बेरोजगार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, जीएसटी बढ़ाने और सेना में ठेका प्रथा अग्निपथ योजना के खिलाफ जन अधिकार पार्टी का विरोध प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार इस पर कोई राहत नहीं देती।

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  • बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा- नौकरी बदले लाठियों से पिटवाना शुरू कर दिए नीतीश कुमार

    लाइव सिटीज, पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने सातवें चरण की शिक्षक भर्ती की मांग करने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की है. बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा कि शिक्षक नियुक्ति में विलम्ब के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीधे जिम्मेदार हैं. सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार 15 साल से मुख्यमंत्री हैं और शिक्षा विभाग लगातार उनकी पार्टी जदयू के पास रहा, इसलिए उन्हें अपनी नाकामी स्वीकार करनी चाहिए.

    उन्होंने कहा कि छात्रों की जायज मांग को अविलम्ब पूरा करने के बजाय नीतीश सरकार ने नौकरी मांगने वाले छात्रों की पिटाई करायी. जिस एडीएम ने यह बर्बरता की, उसे निलम्बित किया जाना चाहिए. मोदी ने कहा कि कारतूस -प्रेमी नये शिक्षा मंत्री 20 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा करते हैं, जबकि शिक्षक की नौकरी मांगने वालों पर डंडे बरसाये जाते हैं.

    उन्होंने कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा कर युवाओं से वोट लिये थे, लेकिन महागठबंधन सरकार की तीन कैबिनेट बैठकों के बाद भी किसी को नौकरी नहीं मिली. सुशील मोदी ने पूछा कि राजद ने अपने घोषणा-पत्र में “समान काम- समान वेतन” का जो वादा किया था, उसका क्या हुआ?

    उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि किस विभाग में कितनी रिक्तियां हैं और कितने नये पद सृजित किये गए ?सुशील मोदी ने कहा कि तेजस्वी यादव ने 4.5 लाख रिक्त पदों पर भर्ती करने और 5.5 लाख नये पद सृजित कर सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. अब सत्ता मिलने पर वे नौकरी की जगह रोजगार की बात कर लोगों को धोखा दे रहे है.

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  • जनता दल यू कार्यकर्ताओं के कर्तव्य पर ध्यान विवेचना होगी। उक्त आयोजन

    प्रकारनार्थ प्रसारनार्थ जनता दल यू के जिलाध्यक्ष सिया शरण ठाकुर बिहार शरीफ जिला जनता दल यू के अध्यक्ष नदीम जाफर उर्फ गुलरेज अंसारी जनता दल के मुख्य प्रवक्ता धनंजय देव ने बताया कि नेतृत्व के निर्देशानुसार आगामी 24 अगस्त को पूर्वाहन 11:00 बजे सोगरा कॉलेज के सामने महाराजा पैलेस गगन दीवान में जिला जनता दल यू नालंदा एवं बिहार शरीफ के सभी प्रकोष्ठ के सभी कार्यकर्ताओं की संयुक्त संगठनात्मक बैठक आहूत की गई है बैठक का मुख्य उद्देश्य संगठनात्मक मुद्दों के अलावा वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति और जनता दल यू कार्यकर्ताओं के कर्तव्य पर ध्यान विवेचना होगी। उक्त आयोजन में 500 कार्यकर्ताओं के शामिल होने की संभावना है। आयोजन में जनता दल यू के वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की संभावना है।