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  • अब आप बीमा पॉलिसी पर भी ले सकते हैं Loan, ब्याज दरें भी रहेंगी कम, जानें – पूरा तरीका..


    डेस्क : आजकल के लाइफस्टाइल में किसे कब पैसों की जरूरत पड़ जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। साथ ही कभी कभी समझ भी नहीं आता की पैसों का जुगाड कैसे किया जाए। कहां से उधार ले किससे मांगे। तो हम अपनी इस रिपोर्ट में आपको बताते हैं की आपको कहां से पैसों के जुगाड कर सकते हैं और चुकाना भी आपके लिए आसान होता है। आपको बताते हैं कुछ टिप्स जिसके साथ आप बिना किसी जोखिम वाला लोन हासिल कर सकते हैं.

    यदि आपने किसी भी कंपनी की बीमा पॉलिसी ली है तो आप उस पर भी आपको लोन मिल सकता है। ये लोन लेने के लिए आपको किसी नॉन-बैकिंग फाइनेंशल कंपनी (NBFC) या बैंक में संपर्क करना पड़ेगा। वहां से आपको पॉलिसी के बदले कम ब्याज पर आसानी से लोन मंजूर हो जाएगा।

    लोन पर निर्भर करती हैं ब्याज दरें :

    लोन पर निर्भर करती हैं ब्याज दरें : बीमा पॉलिसी पर लिए गए लोन (Loan) पर कितना ब्याज देना होगा, यह प्रीमियम के अमाउंट और किश्तों की संख्या के हिसाब से निकाली जाएगी। अगर प्रीमियम और किश्तों की संख्या ज्यादा होगी तो ब्याज की दर उतनी ही कम होगी। अमूमन बीमा पॉलिसी पर लिए गए लोन पर ब्याज की दरें 10 से 12 प्रतिशत के बीच होती हैं।

    बीमा पॉलिसी वाली कंपनी से भी ले सकते हैं लोन :

    बीमा पॉलिसी वाली कंपनी से भी ले सकते हैं लोन : मालूम हो आपको लोन आपकी बीमा कम्पनी से भी मिल सकता है। कंपनी आपके चुकाए गए बीमा प्रीमियम के आधार पर आपको लोन की रकम तय करेगी। वो लोन आपको नियत समय में चुका देना होगा। यदि किन्हीं कारणों से आप लोन नहीं चुका पाते तो आपके कुल प्रीमियम में से लोन की राशि काटकर बाद में वापस कर दी जाती है।

    इन डॉक्यूमेंट्स की होगी जरूरत :

    इन डॉक्यूमेंट्स की होगी जरूरत : यदि आपको अपनी पॉलिसी के बदले लोन चाहिए तो आपको सबसे पहले अपनी बीमा कंपनी से संपर्क करना होगा। वहां से लोन फॉर्म ले और भरें। अगर आप बैंक या फाइनेंशल कंपनी से लोन ले रहे हैं तो उनके फॉर्म भी फिल करें। इसके बाद सभी जरूरी कागजातों के ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स और उनकी एक-एक फोटोकॉपी साथ लेकर जाएं। लोन अमाउंट लेने के लिए आपको एक कैंसल चेक भी फॉर्म के साथ देना होगा। कागजातों के वेरिफिकेशन के कुछ समय बाद लोन अप्रूव हो जायेगा।

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  • Gold Price : अब ₹46,000 में मिलेगा 24 कैरेट सोना, ये रही पूरी जानकारी..


    डेस्क : देश में अब त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। गणेश चतुर्थी त्योहारी सीजन की शुरुआत का प्रतीक है। त्योहारों के मौसम में सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। यही वजह है कि कई लोग अब सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, कीमत को लेकर उनके मन में सवाल हैं। हाल के दिनों में सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट आई है।

    अब सबके मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि दिवाली और धनतेरस तक सोने के दाम गिरेंगे या चढ़ेंगे. पिछले साल धनतेरस पर 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने की कीमत 56,500 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोना 50,729 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ. इस प्रकार, सोने की कीमतों में पिछले धनतेरस की तुलना में काफी गिरावट आई है।

    आगे और गिरावट की संभावना :

    आगे और गिरावट की संभावना : मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, ओरिगो ई मंडी के सहायक महाप्रबंधक, कमोडिटी रिसर्च तरुण तत्सांगी ने कहा कि सर्राफा बाजार में सोना 46,000 रुपये तक पहुंच सकता है। कारण बताते हुए तरुण का कहना है कि फिलहाल वैश्विक और घरेलू बाजारों में ऐसा कोई कारक नहीं है, जिससे सोने की कीमतों को समर्थन मिले। पहले रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण सोने की कीमतों में तेजी आई थी, लेकिन अब इस तनाव का असर भी गायब हो गया है।

    मंदी का भी समर्थन नहीं किया :

    मंदी का भी समर्थन नहीं किया : तरुण का कहना है कि यूरोप और अमेरिका में मंदी की संभावना है। लेकिन मंदी आने पर भी सोने की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। “ज्यादातर देश 2008 की मंदी से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए इसका अधिक प्रभाव पड़ा। हालांकि इस बार ज्यादातर देश मंदी से निपटने के लिए तैयार हैं।

    मजबूत अमेरिकी डॉलर कीमतों को बढ़ने नहीं दिया :

    मजबूत अमेरिकी डॉलर कीमतों को बढ़ने नहीं दिया : ट्रेडबुल्स सिक्योरिटीज के वरिष्ठ कमोडिटी मुद्रा विशेषज्ञ भाविक पटेल ने कहा कि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंजों पर सोना चार सप्ताह के निचले स्तर पर कारोबार कर रहा था। ऐसा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने की वजह से हुआ है। COMEX पर भी सोना छह सप्ताह के निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। उनका कहना है कि इस साल सोने की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। अमेरिकी डॉलर इंडेक्स के मजबूत होने और बॉन्ड यील्ड बढ़ने से सोने में निवेश में गिरावट आई है। यह चलन जारी रह सकता है।

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  • बुढापा का सहारा है ये स्कीम – नहीं होगी कभी पेंशन की टेंशन, जानिए – योजना के बारे में..


    डेस्क : भविष्य की योजना के लिए, लोग मासिक खर्चों को पूरा करने के लिए बड़े फंड के साथ-साथ पेंशन योजनाओं में निवेश करने की योजना बना रहे हैं। लोग कई सरकारी योजनाओं में निवेश करते हैं। इस पेंशन योजना में, जनता को देय एक निश्चित राशि के साथ 60 साल बाद हर महीने पेंशन लाभ का भुगतान किया जाता है। लोगों के लिए पेंशन योजनाओं में निवेश करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें एनपीएस, एलआईसी पेंशन योजना, पीपीएफ और अन्य योजनाएं शामिल हैं। ऐसी ही एक योजना है प्रधानमंत्री वाई वंदन योजना।

    प्रधानमंत्री वय वंदन योजना क्या है :

    प्रधानमंत्री वय वंदन योजना क्या है : प्रधान मंत्री वाई वंदना योजना शुरू में शुरू की गई थी, यह 31 मार्च, 2020 तक सदस्यता के लिए उपलब्ध थी, लेकिन सरकार ने समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ा दी, इस योजना का उद्देश्य 60 वर्ष (पूर्ण) आयु वर्ग के व्यक्तियों को सुरक्षा देना है और के ऊपर। यह एक निश्चित गारंटी देता है और यह योजना वरिष्ठ नागरिकों को तत्काल मासिक/तिमाही/अर्धवार्षिक/वार्षिक पेंशन के साथ एलआईसी द्वारा संचालित की जाती है। वरिष्ठ नागरिकों को योजना का नामांकन और खरीद करने के लिए एकमुश्त भुगतान करना होगा। परिपक्वता पर, एलआईसी पेंशनभोगी को प्रीमियम लौटाता है।

    PMVVY के लिए कौन पात्र है :

    PMVVY के लिए कौन पात्र है : एलआईसी के मुताबिक, 60 साल और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक पेंशन प्लान खरीद सकते हैं। योजना की सदस्यता लेने के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं है। इस योजना की पॉलिसी अवधि 10 वर्ष है। फिर आपको पेंशन लाभ का भुगतान किया जाता है। इस योजना के तहत ग्राहक को मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक आधार पर पेंशन का भुगतान किया जाएगा। इसे खरीद के समय ग्राहक द्वारा चुना जाना है। एक बार पेंशन की आवृत्ति चुन लेने के बाद, इसे पूरी पॉलिसी अवधि में नहीं बदला जा सकता है। पॉलिसी दस्तावेज के अनुसार पहली पेंशन खरीद की तारीख से 1 महीने, 3 महीने, 6 महीने या 1 साल बाद शुरू होगी।

    PMVVY न्यूनतम और अधिकतम पेंशन :

    PMVVY न्यूनतम और अधिकतम पेंशन : PMVVY के तहत न्यूनतम और अधिकतम पेंशन पेंशनभोगी द्वारा खरीदी गई योजना पर निर्भर करती है। योजना के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये मासिक, 3,000 रुपये तिमाही, अर्धवार्षिक या 6,000 रुपये छह महीने और 12,000 रुपये प्रति वर्ष है। अधिकतम के लिए, मासिक पेंशन 9,250 रुपये, तिमाही 27,750 रुपये, हर छह महीने में 55,500 रुपये और सालाना 1,11,000 रुपये है।

    न्यूनतम पेंशन के लिए :

    न्यूनतम पेंशन के लिए : 1,000 रुपये मासिक पेंशन के लिए 1,62,162 रुपये का प्रीमियम देना होगा। इस तिमाही के लिए 3000 रुपये का निवेश 1,61,074 करना होगा। साथ ही 6 महीने में 6,000 रुपये पाने के लिए 1,59,574 रुपये का प्रीमियम देना होगा। 12,000 रुपये की वार्षिक पेंशन के लिए प्रीमियम राशि 1,56,6 रुपये होगी

    अधिकतम पेंशन के लिए प्रीमियम :

    अधिकतम पेंशन के लिए प्रीमियम : अगर निवेशक 9,250 रुपये की मासिक पेंशन लेना चाहता है तो उसे 1,500,000 रुपये का प्रीमियम देना होगा। 14,89,933 रुपये तिमाही पेंशन के लिए 27,750 रुपये। वहीं 55,500 रुपये की अर्ध-वार्षिक पेंशन के लिए 14,76,064 रुपये की प्रीमियम राशि का भुगतान करना होगा। वहीं, सालाना 1,11,000 रुपये पेंशन के लिए प्रीमियम राशि 14,49,086 रुपये होगी।

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  • क्या आप जानते हैं ATM कार्ड पर मिलता है 20 लाख तक दुर्घटना बीमा? आज जान लीजिए फायदा ही फायदा है..


    डेस्क : वर्तमान समय में एटीएम कार्ड देश के अधिकांश लोग उपयोग करते हैं। एटीएम कार्ड पैसे निकालने के लिए एक आसान माध्यम है। इसके अलावा भी एटीएम कार्ड पर कई सुविधाओं का लाभ लिया जा सकता है। हालांकि जानकारी के अभाव में लोग उस से वंचित रह जाते हैं। तो आइए आज हम बताते हैं।

    दरअसल एटीएम कार्ड पर एक्सीडेंटल बीमा कवर मिलता है। यह एक बड़ी जानकारी है। जिसे हर किसी के पास रहना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर इसका लाभ ले सकें। बता दें कि एटीएम कार्ड पर मिलने वाली एक्सीडेंटल बीमा सरकारी और प्राइवेट दोनों बैंकों के एटीएम पर लागू है। किसी भी एटीएम कार्ड धारक की मौत होने की स्थिति में उन्हें एक्सीडेंटल बीमा कवर के तहत 25000 से लेकर 20 लाख रुपए तक का बीमा दिए जाने का प्रावधान है। यह रकम मृतक के आश्रितों को किया जाता है।

    SBI पेश करता है दो तरह के बीमा कवर :

    SBI पेश करता है दो तरह के बीमा कवर : एसबीआई द्वारा दो प्रकार के बीमा कवर दिया जाता है। इसमें पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस और पर्सनल एयर एक्सीडेंटल इंश्योरेंस शामिल है। पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस के तहत एटीएम कार्ड होल्डर की आकस्मिक मृत्यु होने की स्थिति में बीमा राशि दिया जाता है। ऐसे में यदि मृतक पिछले 90 दिनों में इस एटीएम कार्ड का इस्तेमाल किया होगा तो उनके आश्रित बीमा कवर क्लेम कर सकते हैं। वहीं पर्सनल एयर एक्सीडेंटल इंश्योरेंस के तहत कोई भी एसबीआई एटीएम कार्ड होल्डर हवाई यात्रा में दुर्घटना से पहले 90 दिनों के बीच एटीएम से लेनदेन किया हो तो उन्हें बीमा कवर दिया जाएगा।

    इस प्रकार करें क्लेम :

    इस प्रकार करें क्लेम : एटीएम कार्ड होल्डर की मृत्यु होने की स्थिति में नॉमिनी को बीमा की राशि दी जाती है। इसके लिए नॉमिनी को मृतक का अकाउंट जिस बैंक के ब्रांच में है उसमें जाकर मुआवजे के लिए आवेदन देनी होगी। बैंक में नॉमिनी से मांगे गए आवश्यक दस्तावेज पेश करने होंगे। इसके बाद नॉमिनी को कुछ दिनों बाद क्लेम किए गए रुपए मिल जाएंगे।

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  • पिता की संपत्ति में अब बेटी को भी मिलेगा हिस्सा, जानिए – क्या है पूरी प्रक्रिया..


    डेस्क : न्यूज अब देश में बेटे-बेटियों के बीच की खाई को भरने के कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी बीच इसी बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है इस फैसले के मुताबिक यदि कोई पिता मृत्यु से पहले वसीयत तैयार नहीं करके जाता है तो इस स्थिति में पिता की संपत्ति का अधिकार बेटी का होगा। कई बार ऐसा देखा गया है कि घर की क्लोटी बेटी के पिता की मृत्यु के पश्चात पूरी संपत्ति का मालिक भाई भतीजा को बना दिया जाता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि एक हिंदू व्यक्ति का बिना वसीयतनामा तैयार किए मृत्यु होने की स्थिति में बेटियां पिता की स्व-अर्जित और अन्य संपत्ति की हकदार होंगी और परिवार के अन्य सदस्यों पर प्राथमिकता होगी। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि यदि एक हिंदू व्यक्ति ने वसीयत नहीं बनाई है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके बेटे और बेटियों को विरासत में मिली संपत्ति और उसके द्वारा अर्जित संपत्ति दोनों में समान अधिकार होंगे।

    सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ताजा आदेश में एक और स्थिति स्पष्ट की है। न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने अपने 51 पन्नों के आदेश में इस सवाल का भी जवाब दिया कि अगर पिता की मृत्यु बिना किसी वसीयतनामा के बेटी को अपने आप संपत्ति विरासत में मिल जाएगी, या क्या यह उत्तरजीविता की अवधारणा के तहत उसके चचेरे भाई को दी जाएगी। अधिकार मिलेगा। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि मामले में पिता की अपनी अर्जित संपत्ति इकलौती बेटी के पास जाएगी। क्योंकि विरासत का कानून यहां लागू होगा।

    बतादें कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में एक आदेश पारित किया था कि बेटियों को पिता, दादा और परदादा की संपत्ति में बेटों के समान उत्तराधिकार का अधिकार होगा। अदालत ने 1956 में हिंदू पर्सनल लॉ के अस्तित्व में आने के एक आदेश में इस कानून को वैध कर दिया था। लेकिन, नवीनतम निर्णय ने इसकी समय सीमा को 1956 से भी आगे बढ़ा दिया है।

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  • नया घर बनाने वालो की बल्ले बल्ले! सरिया के दाम में आई ₹6000 तक की गिरावट, जानें – नया रेट..


    डेस्क : यदि आप घर बनाना चाहते हैं तो आपके लिए बेहतर मौका है। दरअसल देश के कई शहरों में बारिश होने के चलते जलजमाव और बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में इन वस्तुओं के निर्माण पर गहरा असर पड़ा है। इसके चलते सीमेंट और सरिया जैसी कई सामग्रियों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। इसमें सरकारी दखल के चलते भाव कम देखने को मिल रहा है। इन कारणों की वजह से कीमतों में 6000 रूपये तक की कमी देखी गई है। सरिया का भाव 50000 रूपये प्रति टन के हिसाब से मार्केट में अभी मिल रहा है।

    सरिए की कीमत ने गिरावट :

    सरिए की कीमत ने गिरावट : इस्पात मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल की शुरुआत में टीएमटी बार की खुदरा कीमत करीब 75,000 रुपये प्रति टन थी, जो 15 जून को घटकर करीब 65 हजार रुपये प्रति टन पर आ गई थी। अप्रैल में बार की कीमत 82,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई थी, जो अब घटकर 50 से 55 हजार रुपये प्रति टन हो गई है।

    सरकार के दखल से मिली राहत :

    सरकार के दखल से मिली राहत : मालूम हो कि सरकार ने हाल ही में स्टील पर एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी। इससे घरेलू बाजार में स्टील की कीमतों में भारी गिरावट आई है। बार की कीमतों में गिरावट का यह भी मुख्य कारण है। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में भारी बारिश के कारण निर्माण गतिविधियों में कमी आई है, जिससे मांग प्रभावित हुई है।

    मार्च-अप्रैल के दौरान बार की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी। उसके बाद बार की कीमतों में तेज गिरावट आई, लेकिन जून से उनकी कीमतें फिर से बढ़ने लगीं। इधर, पिछले डेढ़ महीने से छड़ फिर सस्ता हो रहा है।

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  • प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों की बल्ले-बल्ले-अब उन्हें भी मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश..


    डेस्क : देश भर में निजी स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए एक अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि निजी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक भी कर्मचारी हैं और वे केंद्र सरकार द्वारा 2009 में संशोधित पेमेंट ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी के भी हकदार हैं।

    आपको बता दें कि PAJ अधिनियम 16 ​​सितंबर, 1972 से लागू है। इसके तहत उस कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ देने का प्रावधान दिया है जिसने अपनी सेवानिवृत्ति, इस्तीफे या किसी भी अन्य कारण से संस्थान छोड़ने से पहले कम से कम 5 साल तक निरंतर नौकरी की है। केंद्र सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 3 अप्रैल, 1997 को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से इस अधिनियम को 10 या अधिक कर्मचारियों वाले शैक्षणिक संस्थानों पर भी लागू किया गया था। ऐसे में ये अधिनियम प्राइवेट स्कूलों पर भी लागू होते हैं।

    कई हाईकोर्ट में केस हारने के बाद प्राइवेट स्कूलों ने साल 2009 के संशोधन को देश के शीर्ष अदालत में चुनौती दे दी थी। उनके अनुसार, छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों को ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम 2009 की धारा 2(E) के तहत कर्मचारी नहीं माना जाना चाहिए। वे अहमदाबाद प्राइवेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन के मामले में शीर्ष अदालत के जनवरी 2004 के फैसले पर भरोसा रखते थे, जिसने ही इस सिद्धांत को निर्धारित किया था।

    निजी स्कूलों के तर्क को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और बेला एम त्रिवेदी की इस पीठ ने कहा, ”यह संशोधन पहले से जारी एक विधायी गलती की वजह से शिक्षकों के साथ हुए अन्याय और भेदभाव को दूर करता है। कोर्ट के इस निर्णय की घोषणा के बाद यह समझा गया था।” सुप्रीम कोर्ट ने साल 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बताए गए संशोधन को लाने और दोष को दूर करने के लिए विधायी अधिनियम को बरकरार रखा हैं।

    विद्यालयों में समानता के अपने मौलिक अधिकार ( अनुच्छेद14), बिजनेस करने के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(G)), जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21), और संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 300A) के उल्लंघन का दावा किया। विद्यालयों का कहना था कि वे शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने के लिए वित्तीय रूप से स्थिर नहीं हैं।

    पीठ ने निजी स्कूलों से कहा कि ग्रेच्युटी का भुगतान निजी स्कूलों द्वारा देने वाला कोई इनाम नहीं है बल्कि यह उनकी सेवा की न्यूनतम शर्तों में से एक है। कोर्ट ने कहा, “प्राइवेट विद्यालयों का यह तर्क कि उनके पास शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने की क्षमता नहीं है। उनका यह तर्क बेहद अनुचित है। सभी प्रतिष्ठान PAG अधिनियम सहित अन्य कानूनों का भी पालन करने के लिए बाध्य हैं।”

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  • गजब का PPF Account : महज ₹2000 निवेश करने पर मिलेंगे 2.90 लाख रुपए, ये रही पूरी जानकारी..


    डेस्क : देश की सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा ब्याज देने वाली योजना सार्वजनिक भविष्य निधि खाता है। इस योजना के तहत पैसे जमा करने पर एक और फायदा इनकम टैक्स की छूट का भी मिलना है। इस प्रकर से यह योजना सबसे अच्छी जमा योजना हो जाती है। लेकिन अभी भी लोग पीपीएफ में पैसे सही तरीके से जमा करना नहीं सीख पाए हैं, जिससे वह इसका फायदा नहीं उठा पाते हैं।

    अगर पीपीएफ का सही तरीके से पूरा फायदा लिया जाए तो 18 लाख रुपसे से ज्यादा ब्याज के रूप में आप कमा सकते है। अगर आप भी इनकम टैक्स बचाते हुए ज्यादा पैसे कमाना चाहते हैं, तो योजना का सही डिटेल जान लें। वहीं आज भी बहुत से लोगों को पता नहीं है कि पीपीएफ का पैसा जब मिलता है, उस वक्त यह पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है। यानी उस वित्तीय वर्ष पर आपको इस पैसे पर इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसके साथ ही पीपीएफ देश का अकेला ऐसा खाता है, जिसे आपके दिवालिया होने पर भी कोर्ट जब्त नहीं करेगा। अगर आप इन सब फायदे के साथ पीपीएफ से सबसे ज्यादा ब्याज कमाने का तरीका जानना चाहते हैं, तो आइए आपको बताते है इसी योजना के बारे में

    जाने पीपीएफ में 1000 रुपये महीना जमा पर कितना मिलेगा ब्याज :

    जाने पीपीएफ में 1000 रुपये महीना जमा पर कितना मिलेगा ब्याज : पीपीएफ में न्यूनतम 500 रुपये जमा करके खोल सकते है। और इसके बाद पीपीएफ में हर वित्तीय साल में न्यूनतम एक बार 500 रुपये जमा करना होता है। ऐसा करने से आपका पीपीएफ अकाउंट खुला रहेगा। लेकिन अगर आप पीपीएफ में 1000 रुपये महीने जमा करेंगे तो आप कुल 15 साल में 1.80 लाख रुपये जमा करेंगे। वहीं इस जमा पैसे पर आपको 1.45 लाख रुपये ब्याज के रूप में आपको मिलेगा। इस प्रकार आपको कुल मिलाकर 325,457 रुपये वापस मिलेंगे। इस वक्त पीपीएफ में 7.1 फीसदी ब्याज मिलेगा।

    जाने पीपीएफ में 2000 रुपये महीना जमा पर कितना मिलेगा ब्याज :

    जाने पीपीएफ में 2000 रुपये महीना जमा पर कितना मिलेगा ब्याज : अगर आप पीपीएफ में 2000 रुपये महीने जमा करते है तो आप कुल मिलाकर 15 साल में 3.60 लाख रुपये जमा कर रहे है। वहीं इस जमा पैसे पर आपको 2.90 लाख रुपये ब्याज के रूप में मिलेगा। इस प्रकार कुल मिलाकर आपको 650,913 रुपये वापस मिलेगा।

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  • घर में कुत्ता पालने से पहले जान लें ये नियम, वरना देना होगा भारी जुर्माना..


    डेस्क : अब कुत्ते पालने से पहले कई नियमों का ध्यान रखना पड़ेगा। यह नियम पहले भी बनाए गए थे। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था, अब सरकार इसपर सख्त दिख रही है। दरअसल यूपी के कई शहरों में कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। वहीं कई शहरों में टैक्स की व्यवस्था भी की गई है। बता दें कि गाजियाबाद में एक अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत शहर के कुत्तों का रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है।

    हर घर में जाकर इस डोर टू डोर अभियान के तहत डॉगियों पर नजर रखा जा रहा है। यदि कोई कुत्ता बिना रजिस्ट्रेशन का पाया जाएगा तो उक्त डॉगी के मालिक को 5000 रूपये का जुर्माना भरना होगा। वहीं यदि उस डॉगी का वैक्सीनेशन नहीं कराया गया है तो इसके लिए अलग से जुर्माने के प्रावधान है। आंकड़ों की माने तो गाजियाबाद में कुल आबादी 25 लाख है। इसमें 20000 लोगों ने डॉगी पाल रखा है। इतनी बड़ी संख्या में पाले गए कुत्तों में से सिर्फ 2000 कुत्ते ही पंजीकृत है।

    कुत्तों के लिए कई नियम बनाया गया है। इसके तहत डॉगी को घर से बाहर घुमाने के पर उसके मुंह पर मज़ल बांधना अनिवार्य होगा, जिससे वह किसी को काट न पाए। इसके अलावा आवारा कुत्तों के लिए एक कंपनी से टाइ-अप करके नसबंदी अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत आवारा कुत्तों का नसबंदी किया जाएगा।

    बता दें कि अलग-अलग शहरों में कई नियम बनाए गए हैं। जिसमें कुत्तों पर लगाए जाने वाले टैक्स को भी बढ़ाया गया है। यह सब सुरक्षा के दृष्टिकोण से किया जा रहा है, जिससे हिंसक कुत्तों पर लगाम लगाया जा सके। बीते दिनों उत्तर प्रदेश के एक शहर से खबर सामने आई थी कि पिटबुल ब्रीड के एक कुत्ते ने अपने मालकिन पर ही प्रहार कर दिया। जिसके बाद उनकी मौत हो गई। बाद में पता चला कि कुत्ते का रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया गया था।

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  • Privatization : अब नहीं बिकेगी ये बड़ी सरकारी कंपनी, सरकार ने लिया बड़ा फैसला..


    डेस्क : सरकार देश के कई विभागों को निजी हाथों में देने का मन बना रही है। हालांकि प्राइवेटाइजेशन का विरोध भी जमकर हो रहा है। सरकार की ओर से निजीकरण को लेकर कार्य तेज कर दी गई है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। सरकार ने एक कंपनी को बेचने का फैसला रद्द कर दिया है। यह कंपनी सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (CEL) की नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग है। इसके पीछे का कारण एक अधिकारी ने बताया कि चयनित बोली लगाने वाले द्वारा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के समक्ष लंबित मामले का खुलासा नहीं करना है।

    इसके अलावा सरकार ने एक और कंपनी के लंबित मामले पर अस्पष्टता आने के बाद पवनहंस की रणनीतिक बिक्री के संबंध में भी फैसला लिया है। यह मामला अलमास ग्लोबल ऑपर्च्युनिटी फंड एसपीसी के खिलाफ एनसीएलएटी में लंबित है। अब पवन हंस के बेचे जाने से संबंधित अपडेट का भी लोगों को इंतजार है। बता दें कि अलमास सफल बोली दाताओं के समूह का एक सदस्य है।

    बोली लगाने वालों पर लगे आरोप :

    बोली लगाने वालों पर लगे आरोप : नंदन फाइनेंस एंड लीजिंग को सीईएल की बेचने की मंजूरी मिली थी। इसकी कीमत 210 करोड़ रुपए तय की गई। लेकिन बोली लगाने वालों के खिलाफ कई आरोप सामने आए जिसके बाद सरकार ने 2022 के जनवरी महीने में इसकी बिक्री के प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगा। एक अधिकारी के अनुसार, आरोपों पर विचार करने और उचित जांच के बाद, चयनित बोली लगाने वाले को सीईएल की रणनीतिक बिक्री के निर्णय को रद्द करने का निर्णय लिया गया है। बोली लगाने वाले के खिलाफ एनसीएलटी में मामला चल रहा है। सीईएल के लिए बोली लगाने के समय नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग द्वारा इसका खुलासा नहीं किया गया था और यह विनिवेश दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।

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