Category: central government

  • शादीशुदा लोगों की चमकी किस्मत! मिलेंगे 1 लाख 20 हजार रुपए, जानें – कैसे ?


    डेस्क: यदि आप भी शादीशुदा हैं तो ये बिलकुल आपके काम की खबर है। केंद्र सरकार द्वारा अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana- APY) नामक स्कीम चालू की गई है। जिसके तहत खाता खुलवाने से आपको हर महीने 10 हजार रूपए तक का पेंशन प्राप्त कर सकते हैं।

    जिसका मतलब सलाना आपको 1 लाख 20 हजार रुपयों का लाभ होगा। साथ ही इस स्कीम के कई फायदे भी हैं। ये स्कीम केंद्र सरकार द्वारा साल 2015 में शुरू की गई थी। पर अभी तक इस स्कीम का फायदा कई लोगों को नहीं पता है।

    ये लोग हैं पात्र

    ये लोग हैं पात्र
    साल 2014 में केंद्र सरकार द्वारा अटल पेंशन योजना की शुरुआत की गई थी। इसका लाभ शादीशुदा लोग भी संगठित रूप से उठा सकते हैं। पर बाद में स्कीम से संगठित क्षेत्र की बाध्यता हटा दी गई। साथ ही 18 से 40 साल का कोई व्यक्ति स्कीम के तहत निवेश करके इसका फायदा उठा सकता है।

    अब जिस भी नागरिक के पास पोस्ट ऑफिस और बैंक अकाउंट्स हैं ऐसा कोई भी भारत का नागरिक इसका लाभ उठा सकता है। योजना से जुड़ने के बाद 60 साल होने पर संबंधित व्यक्ति को पेंशन के रूप में इसका लाभ मिलने लगता है।

    ऐसे मिलेंगे 1 लाख 20 हजार रूपए

    ऐसे मिलेंगे 1 लाख 20 हजार रूपए
    सरकारी स्कीम के तहत केवल 1000 रूपए से आप खाता खुलवा सकते हैं। जिसके बाद आप 2000 रुपए, 3000 रुपए से लेकर 5000 रुपए तक इसमें निवेश कर सकते हैं। मालूम हो संबंधित व्यक्ति के पास अटल पेंशन योजना का केवल एक ही अकाउंट हो सकता है।

    अब समझें गणित- आप यदि 250 रुपए प्रतिमाह भी जमा करते हैं और आपका खाता 18 साल की उम्र में खुल जाता है तो 60 साल के बाद आपको 5000 रुपए प्रतिमाह मिलने शुरु हो जाएंगे। यदि आप शादीशुदा हैं तो आपकी पत्नी को भी प्रतिमाह 5000 रुपए मिलेंगे। इस तरह सालाना आपको 1 लाख 20 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी।

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  • PM Kusum Yojana : शेतकऱ्यांसाठी खुशखबर!! सौरपंप खरेदीवर 90% अनुदान; असा घ्या लाभ

    नमस्ते महाराष्ट्र ऑनलाइन: भारत हालांकि यह एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन देश के अधिकांश हिस्से पानी की कमी (पीएम कुसुम योजना) की समस्या से जूझ रहे हैं। पानी की किल्लत से फसलें सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं। हर किसान सिंचाई के लिए महंगे उपकरण का उपयोग नहीं कर सकता। इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न सिंचाई योजनाएं लागू की जाती हैं। इसी पृष्ठभूमि में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में लोगों को संबोधित करते हुए कुसुम योजना का जिक्र किया जिसके जरिए किसान सिर्फ 10 फीसदी पैसा खर्च कर अपने खेतों में सोलर पंप लगा सकते हैं.

    क्या है पीएम कुसुम योजना?

    कुसुम योजना 2019 में बिजली मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा 30% सब्सिडी, राज्य सरकार द्वारा 30% और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा 30% (पीएम कुसुम योजना) प्रदान की जाती है। इसमें किसानों को मात्र 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसानों को बिजली और डीजल पर खर्च नहीं करना पड़ता है और बिजली पर उनकी निर्भरता भी कम हो जाती है। इस प्रकार खेती की लागत बहुत कम हो जाती है।

    कुसुम योजना के माध्यम से सरकार ने खर्च कम करने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस पंप से किसान अपने खेतों की सिंचाई कर आय अर्जित कर सकते हैं। इससे बनने वाली बिजली भी किसान बिजली कंपनी को बेच सकेंगे। अगर आपके पास 4-5 एकड़ जमीन है तो आप सालाना काफी बिजली पैदा कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

    ऐसे करें अप्लाई

    इस योजना के तहत आवेदन करने के लिए राज्यों की विभिन्न आधिकारिक वेबसाइटें जारी की गई हैं। अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो आप राज्य सरकार की आधिकारिक (पीएम कुसुम योजना) वेबसाइट पर जा सकते हैं। आप इस संबंध में सभी जानकारी https://mnre.gov.in/ से प्राप्त कर सकते हैं।

  • गरज पडल्यास शेतकऱ्यांसाठी केंद्राकडे मदत मागू : अब्दुल सत्तार

    हॅलो कृषी ऑनलाईन : राज्यामध्ये परतीच्या पावसाने शेतकऱ्यांच्या ऐन काढणीस आलेल्या पिकांचे मोठे नुकसान झाले आहे. अशात विरोधी पक्षनेते, शेतकरी संघटना, आणि शेतकऱ्यांमधूनही ओला दुष्काळ जाहीर करण्याची मागणी करण्यात येत आहे. मात्र राज्य सरकारकडून अद्याप नुकसानीची पाहणी करण्यात येत आहे. राज्याचे कृषी मंत्री अब्दुल सत्तार परभणी जिल्ह्यातील नुकसानग्रस्त भागाची पाहणी करण्यासाठी गेले असता एक महत्वाची माहिती त्यांनी दिली आहे. शेतकऱ्यांच्या प्रश्नासाठी प्रसंगी केंद्राकडेही आम्ही मदतीसाठी जाणार आहोत. अशी माहिती त्यांनी दिली आहे.

    यावेळी बोलताना सत्तार म्हणाले की, राज्यात सर्वत्र मोठ्या प्रमाणावर शेतकऱ्यांचे नुकसान झालेलं आहे. मी स्वतः आणि माझे अधिकारी बांधावर जाऊन किती नुकसान झाले, याची माहिती गोळा करत आहोत. साधारणतः सात आठ दिवसांमध्ये ही माहिती आल्यानंतर मुख्यमंत्री आणि उपमुख्यमंत्री बसून कॅबिनेटमध्ये राज्यातील शेतकऱ्यांना मदतीचा जो काही निर्णय आहे तो घेतील. त्याचप्रमाणे केंद्राकडेही आम्ही मदतीसाठी जाणार आहोत. त्यांचेही पथक राज्यात पाहणीसाठी येईल, त्यानंतर केंद्र सरकार, राज्य आणि पीक विमा अशी तीन प्रकारची मदत शेतकऱ्यांना दिली जाईल. एकही शेतकरी पिक विमा पासून किंवा मदतीपासून वंचित राहणार नाही, याची काळजी आम्ही घेत आहोत. तसेच राज्यात ओला दुष्काळात संदर्भात परिस्थिती नाहीये, मी हे 4 वेळेला बोललो आहे. जी काय परिस्थिती आहे ती परिस्थिती आम्ही पाहून शेतकऱ्यांना मदत करणार असल्याचे सांगितले आहे.

    कृषिमंत्री अब्दुल सत्तार आज परभणी दौऱ्यावर होते. त्यांनी जिंतूर आणि असोला या ठिकाणी शेतीच्या नुकसानीची पाहणी केली. त्यानंतर जिल्हाधिकारी कार्यालयामध्ये एक आढावा बैठक घेऊन जिल्ह्यातील नुकसानीचाही त्यांनी आढावा घेतला. यानंतर पत्रकार परिषद घेऊन त्यांनी ही माहिती दिली आहे. दरम्यान, राज्याचे कृषिमंत्री अब्दुल सत्तार यांनी आज परभणीच्या जिंतूर तालुक्यातील मालेगाव परिसरातील नुकसानीची पाहणी केली. यावेळी तूर कापूस आदी पिकांची शेतात जाऊन पाहणी केली. यावेळी शेतकऱ्यांशी संवादही साधला तर लवकरच शेतकऱ्यांना मदत दिली जाईल, असेही सांगितलं. शिवाय शेतकऱ्यांना सक्षम करण्यासाठी सरकार कटिबद्ध असल्याचेही अब्दुल सत्तार यांनी यावेळी सांगितले.

  • GI tag: मिथिला के मखाने को मिला जीआई टैग, बिहार के नाम एक और तमगा

    लाइव सिटीज, सेंट्रल डेस्क: बिहार का मिथिलांचल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस बार मिथिला मखान यानी की मखाना को केंद्र सरकार ने जीआई टैग से नवाजा है. वैसे मिथिला की पहचान कई नामों से है, लेकिन इनमें से मखाना का अपना एक अलग स्थान है. विद्यापति की धरती मिथिलांचल के लोग लंबे समय से मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से करने की मांग कर रहे थे. मखाना को ‘मिथिला मखाना’ के नाम से ही जीआई टैग मिला है. भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना

    लंबे समय से मिथिला के लोग मखाना की जीआई की मांग कर रहे थे. बीच में बिहार मखाना के नाम के प्रस्ताव पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई थी. दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर ने मंत्री से मिलकर इस मामले पर बात की थी. इसके बाद लंबा संघर्ष चला. शनिवार को जब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मिथिला मखाना से जीआई टैग मिलने की सूचना दी तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. सांसद ने इसके लिए मंत्री का आभार जताया है.

    केंद्र सरकार ने बिहार का मिथिला मखाना को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग दे दिया है. इससे मखाना उत्पादकों को अब उनके उत्पाद का और भी बेहतर दाम मिल पाएगा. बता दें कि मिथिला का मखाना किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ रोजगार उपलब्ध करा रहा है.मिथिला का मखाना अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए प्रख्यात है. भारत के 90% मखानों का उत्पादन यहीं से होता है. देश से लेकर विदेश तक के बाजार में इसकी मांग है. इसकी प्रोसेसिंग और विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने के लिए कई औद्योगिक इकाइयां लगी हैं.

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