Category: Knowledge

  • आसमान में बिजली हमेशा ZigZag ही क्यों कड़कती है ? जानें एक बार में कितनी लंबी तय करती है दूरी


    डेस्क : कई बार आपने आसमान से बिजली गिरते हुए देखा होगा। जब भी आसमान से बिजली गिरती है तो वह सीधी नहीं गिरती हमेशा जिग जैग कर के नीचे आती है, ऐसे में जब भी बिजली कड़कती है तो वह टेढ़ी-मेढ़ी नजर आती है, शायद ही कभी ऐसा दिन हुआ होगा कि जब आपको सीधी रेखा में बिजली गिरते हुए नजर आई होगी।

    अक्सर ही लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि आखिर बिजली कैसे बनती है और कैसे कार्य करती है आज हम आपको सारी जानकारी देने वाले हैं, जिसमें आपको बिजली बनाने से लेकर इसके हर तौर तरीके के बारे में पता चलेगा, बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जॉन लॉके ने इस पर शोध किया।

    जब भी आसमान से गरजने वाले बादल पृथ्वी से जुड़ते हैं तो लाखों वोल्ट में बिजली आसमान से नीचे गिरती है, ऐसे में जमीन और आसमान के बीच हजारों एंपियर का करंट दौड़ता है। जब भी धरती और बादल आपस में छूते हैं तो चार या पांच आड़ी तिरछी रेखाएं निकलते हैं। जमीन पर बिजली गिरने का कारण इनका आपसी घर्षण ही होता है। इसके बाद यह रेखाएं फिर से बनना शुरू हो जाती है। 50 साल पहले हाई स्पीड फोटोग्राफी की मदद से इस रहस्य से पर्दा उठाया गया था, शुरुआत में यह बिजली चमकीले रेखाओं की तरह नजर आई थी। इसके बाद 50 किलोमीटर की दूरी तय करके यह बिजली नीचे की और बढ़ गई।

    बिजली जिगजैग करते हुए इसलिए गिरती है क्योंकि महत्वपूर्ण संख्या में इलेक्ट्रॉनों को अलग करने के लिए पर्याप्त मेटास्टेबल स्थितियां बनती हैं। बादल के भीतर मेटास्टेबल स्थितियों और इलेक्ट्रॉनों का घनत्व बढ़ रहा है। एक सेकंड के 500 लाखवें हिस्से के बाद ही बिजली का संचालन होता है और हर कदम की नोक पर विद्युत क्षमता लगभग बादल की क्षमता तक बढ़ जाती है। पिछले चरणों में बनाए गए उत्तेजित अणु बादल तक एक स्तंभ बनाते हैं। पूरा स्तंभ तब विद्युत रूप से संचालित होता है, जिसमें विद्युत क्षेत्र की आवश्यकता नहीं होती है और प्रकाश का थोड़ा उत्सर्जन होता है।

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  • भारत के साहित्य प्रेमी थे मुग़ल बादशाह -औरंगजेब, फिर भी संगीत पर लगाई थी पाबंदी, जानिए कारण


    भारतीय इतिहास में औरंगजेब को काफी क्रूर शासक कहा गया। सत्ता में रहते हुए वो किसी तानाशाह से कम नहीं था। इसके अलावा उसे सत्ता हासिल करने की इतनी इक्षा थी इस नशे में उसने पिता को कैद करवा दिया और भाई का सर धर से अलग करवा दिया। न जाने कितने मासूमों के क़त्ल उसके हाथों से हुआ है। अपनी पूरी जिंदगी उसने ताउम्र लोगों से क्रूरता से बर्ताव किया, पर अपने जीवन के आखिरी दौर में उसे अपने गलतियों का एहसास हुआ। जिसके बाद उसे इस तरह पश्चाताप हुआ कि अपनी वसीयत में कब्र पर छांव न करने की बात तक लिखी।

    जब जहांगीर सत्ता में थे तब 3 नवंबर, 1618 को औरंगजेब का जन्म हुआ था। वो अपने पिता यानि शाहजहाँ का तीसरा बेटा था। उसे बचपन से ही साहित्य से लगाव था, खासकर इस्लामिक धार्मिक साहित्य। बीतते समयके साथ साहित्य के उसकी रूचि बढ़ती गई। साथ ही साथ उसने तुर्की साहित्य भी पढ़ी। साथ ही उसने हस्पलिपि विद्या में भी हाथ आजमाया और अपनी मेहनत के दम पर उसमें महारत तक हासिल की।

    चूँकि उसके शुरू साहित्य से विशेष लगाव था जिसकी वजह से उसे धाराप्रवाह हिन्दी आती थी। पर उसमें खामी भी थी जिस कारन से वो दूसरे मुग़लों से अलग था। कुछ किस्सों के बारे में बताते हुए कई इतिहासकारों ने अपनी किताब में यह बात साफतौर पर लिखी है कि ‘औरंगजेब को किस हद तक संगीत नापसंद था। संगीतकारों और कलाकारों को लेकर औरंगजेब की सोच काफी अलग थी।’ तो आपको बताते हैं की साहित्य के शौकीन औरंगजेब को संगीत से परेशानी क्यों थी?

    ख़राब हो गई थी संगीतकारों की हालत : औरंगजेब के शासन काल में एक ऐसा काल भी मुगल सल्तनत ने देखा कि संगीतकारों के भूखे मरने के लिए आ गए। तमाम वाद्ययंत्रों पर धूल की पर्त चढ़ने लगी। अपने दौर में औरंगजेब ने संगीत पर ऐसी पाबंदी लगाई जो कभी मुगलों के इतिहास में नहीं हुआ। इस बात का जिक्र इतालवी पर्यटक मनूची ने अपने संस्मरण में किया है, ‘वो लिखते हैं-एक ऐसा दौर भी आया जब संगीतकार उनके इस प्रतिबंध से तंग आ गए और विरोध प्रदर्शन निकालने की योजना बनाई।’

    इस कारन से लगाई पाबंदी : संगीत के विरोध के लिए एक दिन तय किया गया। तमाम तैयारियां शुरू की गईं। करीब 1000 संगीतकार दिल्ली के जामा मस्जिद के पास एकत्रित हुए।प्रदर्शनकारियों ने ऐसे रोना शुरू किया मानों जनाजा निकाला जा रहा है। यह वो वक्त था जब औरंगजेब मस्जिद से नमाज पढ़कर निकलते थे। मस्जिद से निकलते वक्त उसे लोगों के रोने की आवाज सुनाई दी तो पूछा ऐसा क्यों कर रहे हो।

    तब जाकर प्रदर्शनकारियों ने उत्तर दिया, आपने हमारे संगीत का कत्ल कर दिया है उसे ही दफनाने जा रहे हैं। यह बात सुनने के बाद औरंगजेब ने कहा, तो फिर कब्र जरा गहरी खोदना। इतिहासकारों ने कहा है कि औरंगजेब बेहद कट्टर शासक था। उसने अपने शासनकाल में कट्टर इस्लाम को लागू किया। औरंगजेब का मानना था कि कलाकार इस्लाम में बताए गए नियमों को नहीं मानते। वो उसका पालन नहीं करते। यही कारण था कि संगीत को लेकर उसका नजरिया हमेशा से नकारात्मक रहा और अपने शासनकाल में उसने इस पर पाबंदी लगा डाली।

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  • आपके Gas Cylinder में कितनी गैस बची है हिलाकर कर नही..ऐसे में चल जाएगा पता!


    डेस्क : LPG गैस ने किचन के काम को अब काफी आसान बनाया है. आज के समय में लगभग सभी लोग LPG का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई बार ऐसा होता है कि गैस की जरूरत होती है, और अचानक से पता चलता है कि गैस सिलेंडर खत्म हो चुकी है. ऐसे में, तनाव भरी स्थिति हो जाती है. LPG सिलेंडर को इस्तेमाल करना तो काफी आसान है, लेकिन इस बात का पता लगाना बेहद मुश्किल है कि सिलेंडर में कितनी गैस बची हुई है. कई बार तो गैस उसी मौके पर ही खत्म होती है, जब हमें इसकी सबसे अधिक ज़रूरत होती है.

    अब सिलेंडर तो ठोस लोहे का बना होता है तो ऐसे में ये कैसे पता लगाया जाए कि उसमें कितनी गैस शेष है? आज की इस खबर में हम आपको इसी समस्या का समाधान लेकर आए हैं. इस खबर में हम आपको एक ऐसी ट्रिक बताएंगे, जिसका इस्तेमाल करके आप चुटकियों में यह पता लगा सकेंगे कि आपके LPG सिलेंडर में कितनी गैस है. यह पता करके आप समय रहते अपना LPG सिलेंडर भरवा पाएंगे.

    लोग ऐसे भी लगाते हैं इसका अंदाजा :

    लोग ऐसे भी लगाते हैं इसका अंदाजा : सिलेंडर में कितनी गैस बची है अक्सर इसका अंदाजा कुछ लोग सिलेंडर उठाकर उसके वजन के हिसाब से ही लगाते हैं. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गैस की फ्लेम का कलर नीले से पीला होने पर ही समझ जाते हैं कि सिलेंडर की गैस अब खत्म होने की कगार पर है. लेकिन, ये सब सिर्फ एक तुक्का ही होता है. इसके सही होने का चांस बेहद कम रहता है. स्टोव के बर्नर में आई किसी दिक्कत की वजह से भी फ्लेम का रंग भी बदल सकता है. आज हम आपको जो तरीका बताएंगे वो ना तो सिर्फ आसान है, बल्कि आपको बिल्कुल सटीक रिजल्ट भी दे देगा.

    आपको शायद सुनने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन आप सिर्फ एक भीगे कपड़े की मदत से यह पता लगा सकते हैं कि आपके LPG सिलेंडर में कितनी गैस बची है. इसके लिए सबसे पहले एक कपड़े को पानी में गीला कर के. अब आपको भीगे हुए कपड़े को LPG गैस सिलेंडर से लपेटना होगा. अब लगभग 1 मिनट का समय पूरा होने के बाद इस कपड़े को हटा लीजिए. अब गौर से देर LPG सिलेंडर पर होने वाले बदलावों को नोटिस कीजिए. थोड़ी देर में आप पाएंगे कि सिलेंडर का कुछ हिस्सा सूख भी गया है, जबकि कुछ हिस्सा भीगा हुआ ही है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि LPG सिलेंडर का खाली हिस्सा गर्म होने के कारण पानी जल्द सोख लेता है. वहीं, LPG सिलेंडर के जितने हिस्से में गैस भरी होती है वो हिस्सा अपेक्षाकृत थोड़ा ठंडा रहता है. इसीलिए उस जगह का पानी सूखने में थोड़ा समय लग जाता हैं।

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  • आखिर कौन था मुल्ला-दो-प्याजा ? आखिर नाम में क्यों जिक्र है प्याज का


    आज हम आपको बताने वाले हैं ऐसे इन्सान के बारे में जिसका नाम अक्सर ही आपको कहीं न कहीं सुनने को मिल ही जाता है। मुल्ला-दो-प्याजा मुगलिया सल्तनत का ऐसा इंसान रहा था जिसके नाम को और काम को लेकर लोगों में हमेशा ही सबसे ज्यादा दिलचस्पी थी। मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल था। मुल्ला-दो-प्याजा का असली नाम बहुत कम लोगों को पता है। मुला दो प्याजा का असली नाम था अब्दुल हसन। वह ज्यादातर अपना समय किताबें पढ़ने में व्यतीत करते थे। उनको कभी भी साधारण जीवन जीना मंजूर नहीं था। बस इसी के कारण उनको अकबर के नौरत्नों में शामिल होना था। और ऐसा लड़ने में वह कामयाब भी हो गए थे।

    मुल्ला दो प्याज़ा कभी भी अपने आपको किसी से कम नहीं आंकते थे, उनको काफी समय के बाद मुर्गीखाने का प्रभारी बनाया गया था। बहुत ज्यादा पढ़े लिखे होने के बाद भी उन्होए मुर्गीखाने की जिम्मेदारी संभाली थी लेकिन वह कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटके। बादशाह अकबर के किचन में जो बच जाता था उसको मुल्ला दो प्याजा मुर्गी को खिला देते थे इस वजह से काफी पैसा बच जाता था ,इस बात से खुश होकर बादशाह अकबर ने नई जिम्मेदारी मुल्ला दो प्याजा को दे दी। यह जिम्मेदारी पुस्तकालय संभालने की थी।

    इस पुस्तकालय को उन्होंने बहुत ही अच्छे से चमकाया और एक साल के भीतर ही यह सजावट देखकर बादशाह अकबर खुश हो गए, इसके बाद उन्होंने मुल्ला दो प्याजा को अपने नौरत्नों में शामिल कर लिया। मुल्ला दो प्याजा की आवाज़ भी बहुत दमदार थी जिसके चलते वह मस्जिद के मौलाना बनकर भी रहे। इसके बाद मुल्ला दो प्याजा की दोस्ती फैजी से हो गई और फैजी नौरत्नों में ही शामिल था , ऐसा प्रतीत होने लगा की अब मुल्ला दो प्याजा बादशाह अकबर के 9 रत्नों में शामिल हो गए।

    1 दिन फैजी ने मुल्ला दो प्याजा को शाही दावत पर बुलाया और फिर मुर्ग गोश्त बनवाया, जब इस डिश का नाम पूछा तो फैजी ने उसे मुर्ग दो प्याजा बताया। ये सब कुछ इस कदर उसके दीवाने हुए कि अब कभी शाही दावत में बुलाया जाता तो यही बनवाया जाता। इस पकवान में प्याज का खास तरह का इस्तेमाल होता था। यही इसकी ख़ास खूबी थी। जब मुगल बादशाह ने अब्दुल हसन को शाही बावर्चीखाने की जिम्मेदारी तो उन्होंने अकबर के सामने अपनी देखरेख में बने मुर्ग दो प्याजा को पेश किया था, उसका जायका अकबर को खूब पसंद आया कि अब्दुल हसन को ‘दो प्याजा’ की उपाधि से नवाजा गया। मस्जिद में इमाम रह चुके अब्दुल को लोग मुल्ला भी कहते थे। यहीं से इनका नाम मुल्ला-दो-प्याजा पड़ गया।

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  • आखिर हर नोट पर क्यों लिखा होता है ‘मैं धारक को…रुपये अदा करने का वचन देता हूं’, आज जान लीजिए


    डेस्क : आप बाजार में अक्सर खरीदारी करने जाते होंगे और वहां सामान के बदले कुछ रुपये देते होंगे. यह रुपये कुछ कागजों के नोट होते हैं. अगर आपने गौर किया है तो आपको पता होगा कि हर नोट पर एक वाक्य लिखा होता है. ये वाक्य होता है- ‘मैं धारक को … रुपये अदा करने का वचन देता हूं’. यह वाक्य 10 रुपये से लेकर 2000 तक के नोट पर लिखा होता है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इसका मतलब क्या होता है. अगर यह नहीं लिखा हो तो क्या होगा? तो चलिए आपको बताते हैं इसकी वजह.

    बता दें कि भारत में सभी नोटों को बनाने और वितरित करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक की होती है.RBI धारक को यह विश्वास दिलाने के लिए नोट पर ये वचन लिखती है. इसका मतलब होता है कि जितने मूल्य का नोट आपके पास मौजूद है, उतने ही मूल्य का सोना RBI के पास रिजर्व होता है. इस बात की गारंटी होती है कि 100 या 200 रुपये के नोट के लिए धारक को 100 या 200 रुपये की देता है.

    साथ ही आपको बता दें कि भारत में 1 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोटो का चलन हैं. इन सभी नोटों के मूल्यों का जिम्मेदार RBI गवर्नर होता है. केवल 1 रुपये के नोट को छोड़कर बाकी सभी नोट पर RBI गवर्नर के हस्ताक्षर मौजूद होते हैं. वहीं एक रुपये के नोट पर भारत के वित्त सचिव के हस्ताक्षर पाए जाते हैं। आपने अक्सर देखा होगा कि 100, 200, 500 और 2000 रुपये के नोटों पर किनारे की ओर तिरछी लाइनें बनी होती हैं. इन्हें ‘ब्‍लीड मार्क्‍स’ कहा जाता हैं. ये ब्‍लीड मार्क्‍स खासतौर पर नेत्रहीन लोग के लिए बनाए जाते हैं.

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  • आखिर पटरी के बगल में ये बॉक्स क्यों रखा रहता है? जान लीजिए महत्वपूर्ण बातें हैं..


    डेस्क : अमेरिका, रूस और चीन के बाद से भारत का रेलवे नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क माना जाता है.रोजाना लाखों करोड़ों लोग रेल से भारत में सफर करते हैं लेकिन अभी भी रेलवे से संबंधित कई ऐसे तथ्य हैं जिनसे यात्रीगण अनजान हैं. इन्हीं में से एक वे बक्से भी हैं जो ट्रेन की पटरियों के बगल में रखे रहते हैं.

    एलुमिनियम के बने होते है ये बॉक्स

    एलुमिनियम के बने होते है ये बॉक्स

    दरअसल, रेलवे की पटरियों के बिलकुल ही करीब ऐसा देखा जाता है कि कुछ बॉक्स रखे रहते हैं. यह बॉक्स अमूमन एलुमिनियम के ही बने होते हैं.आइये जानते हैं कि इनका क्या उपयोग है और यह क्यों बनाकर रखे जाते हैं. असल में ये सभी एल्युमिनियम के बॉक्स बड़े काम के हैं और यात्रियों की सुरक्षा के लिए ही रखे जाते हैं. इनमें एक प्रकार का सेंसर लगा होता है और इनका मुख्य काम ट्रेन की बोगियों के पहिए गिनंने का होता है.

    ‘एक्सल काउंटर बॉक्स’ कहा जाता हैं

    ‘एक्सल काउंटर बॉक्स’ कहा जाता हैं

    इन्हें ‘एक्सल काउंटर बॉक्स’ कहते हैं और यह बॉक्स 3 से 5 Km पर लगाए जाते हैं. यह बॉक्स ट्रेन के एक्सल को काउंट करता है. ये एक्सल ट्रेन की बोगी के दोनों पहियों को जोड़कर रखता है.यह डिवाइस उन्हीं एक्सल की गिनती भी करता है. यह ‘एक्सल काउंटर बॉक्स’ ट्रेन के गुजरने पर यह बता भी देता है कि उसमें कितनी पहियों की संख्या कम है. इससे किसी संभावित दुर्घटना के बारे में पहले से पता चल जाता है.

    कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक्सल काउंटर बॉक्स कोच में लगे एक्सल की गिनती करके अगले वाले बक्से को भेज देता है और फिर यही क्रम चलता रहता है. अगर एक्सल की संख्या कम हुयी या अगली वाली गिनती से इसमें अंतर हुआ तो यह बॉक्स रेड सिग्नल भी दे देता है. इस प्रकार यह ट्रेन को कई प्रकार की दुर्घटनाओं से भी बचा देता है.

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  • क्या आप जानते है पुरुषों को भी आते है पीरियड्स? ये रही पुरी जानकारी..


    न्यूज डेस्क: देश काफी आगे बढ़ चुका है। लेकिन आज भी पीरियड्स यानी महामारी के संबंध में लोग खुलकर नहीं बोलना चाहते हैं। हालांकि लोग जागरूक धीरे-धीरे हो रहे हैं। इसी बीच एक रिपोर्ट काफी चर्चा में है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पीरियड्स केवल महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुष को भी होता है।

    जी हां रिपोर्ट में बताया गया है कि पुरुषों को भी पीरियड से गुजरना पड़ता है। सुनके यह थोड़ा सा अटपटा लग रहा होगा लेकिन रिपोर्ट का मानना है कि हर चार में से एक पुरुष को पीरियड्स होता है। इस बात को एक सर्वे के जरिए प्रमाणित किया गया है।

    स्पोर्ट्स के मुताबिक पुरुषों को होने वाली पीरियड को आईएमएस कहा जाता है। यह एक मेडिकल टर्म है जिसे इरिटेबल मेल सिंड्रोम कहते हैं। हालाकी मर्दों को पीरियड के लक्षण समझ में नहीं आता है कि उन्हें हो क्या रहा है। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों को टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का लेवल कम ज्यादा होने की वजह पीरियड में दिखने वाले लक्षण कमर में दर्द पेट दर्द सिर दर्द थकान महसूस होने लगती है। मेडिकल रिसर्च में से पीरियड कहा गया है। पुरुषों को पीरियड के दौरान ब्लीडिंग नहीं होती बल्कि इन समस्याओं से गुजरना पड़ता है।

    क्या है सर्वे का रिजल्ट

    क्या है सर्वे का रिजल्ट

    रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में पुरुषों ने माना है कि उन्हें भी पीरियड्स होते हैं। हालांकि यह समस्या हर व्यक्ति के साथ नहीं होती है। मासिक धर्म के दौरान पुरुषों के शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है, लेकिन अंतर यह रहता है कि जिस तरह महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पैड की जरूरत होती है, उसी तरह पुरुषों को मासिक धर्म के दौरान पैड की जरूरत होती है। जरूरत नहीं आपको बता दें कि यह सर्वे 2412 लोगों पर किया गया था। जिनमें से 26 फीसदी पुरुषों में पीरियड्स होने के लक्षण पाए गए।

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  • आखिर क्या होता है IFSC Code? पैसा ट्रांसफर के लिए क्यों है महत्वपूर्ण..


    डेस्क : एक सवाल जो अक्सर हमारे दिमाग में आता रहता है, ‘हमें किसी भी बैंक एकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए IFSC कोड की ही आवश्यकता क्यों होती है? हम अक्सर ये सोचते हैं कि एक कोड इतना महत्वपूर्ण क्यों है और बैंक पासबुक, चेक और ऑनलाइन ट्रांसजक्शन पर इसका उल्लेख किया गया है। लेकिन क्यों? क्या ग्राहक IFSC कोड का उल्लेख किए बिना ही ट्रांसजक्शन नहीं कर सकते हैं? आइये जानते हैं इसके बारे में

    IFSC का मतलब हैं भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड है, जो केवल एक बैंक शाखा के लिए विशिष्ट 11 अंकों की पहचान संख्या की है। यह कोड, जो अक्षरों और अंकों को भी जोड़ता है, RBI द्वारा बैंक शाखाओं को दिया जाता है। बैंक को पहले चार वर्णमाला वर्णों द्वारा दर्शाया भी जाता है, उसके बाद संख्या 0 और निम्नलिखित 6 वर्ण होते हैं, जो अक्सर संख्यात्मक ही होते हैं लेकिन वर्णानुक्रम में भी हो सकते हैं।

    IFSC को NEFT, CFMS और RTGS सहित सभी भुगतान विधियों के लिए फंड को ट्रांसफर को प्रोसेस करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित भी करता है कि लेन-देन के दौरान धन बिना किसी दुर्घटना के लक्षित बैंक तक भी पहुंच जाए। चूंकि स्थानांतरण को स्वचालित रूप से उलट भी नहीं किया जा सकता है, गलत बैंक में पैसे भेजने से कई समस्याएं और परिहार्य की असुविधा भी होती है।

    पहले, राशियां बैंक की स्थानीय शाखा के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता था और फिर एक फॉर्म भरने और भुगतानकर्ता के खाते में पैसा जमा करने की एक लंबी प्रक्रिया होती थी। इंटरनेट के विकास और इसके व्यापक उपयोग के साथ, अब जल्दी और आसानी से ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करना भी संभव हो गया है। IFSC एक ऑनलाइन लेनदेन को पूरा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए बेहद आवश्यक है कि पैसा सही एकाउंट में डाला गया है।

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  • देश का एकमात्र रेलवे स्टेशन, जहां पूरे स्टेशन का जिम्मा केवल महिलाएं संभालती हैं – देखें तस्वीरें


    डेस्क : हमारा भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, देश में कुल 8338 रेलवे स्टेशन हैं, जहां रोजाना ट्रेन रुकती है। सभी रेलवे स्टेशन पर रेल कर्मचारी काम करते हैं, लेकिन आज आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से देश के एक ऐसे एकमात्र रेलवे स्टेशन के बारे में बताएंगे, जहां सिर्फ व सिर्फ महिलाएं काम करती है।

    अपनी तरह का अनोखा स्टेशन होने के चलते इस रेलवे स्टेशन का नाम “Limca Book of World Records” में भी दर्ज किया जा चुका है। हम जिस रेलवे स्टेशन की बात कर रहे हैं, वह मुंबई स्थित माटुंगा रेलवे स्टेशन है, आपको बता दे की यह रेलवे स्टेशन का संचालन पूरी तरह महिलाओ के द्वारा किया जा रहा है, महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने हेतु इंडियन रेल की ओर से बड़ा प्रयास किया गया है, माटुंगा में 41 महिला कर्मचारी हैं जो पूरे स्टेशन का परिचालन करती हैं।

    आपको जानकर हैरानी होगी, माटुंगा रेलवे स्टेशन पर टिकट वितरण से लेकर ट्रेन के परिचालन का सभी काम सिर्फ महिलाएं ही करती हैं, यहां तक की स्टेशन की सफाई का काम भी महिलाओं के हाथ में है, महिला कर्मियों के चलते इस स्टेशन पर विशेष तौर पर महिला यात्री अपने आप को काफी सुरक्षित महसूस करती हैं।

    वही यहां काम करने वाली 41 महिला में 17 महिलाओं को ऑपरेशन और कमर्शियल विभाग, 6 रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स, 8 टिकट चेकिंग, 2 अनाउंसर, दो सरंक्षण स्टाफ और पांच को अन्य जगह तैनात किया गया है। सबसे खास बात यह है कि यहां की स्टेशन मैनेजर भी एक महिला ही है। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों व रेलवे संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महिलाओं पर ही है।

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  • क्या आप जानते है हवाई जहाज को उड़ाने से पहले इंजन में फेंके जाते हैं मुर्गे, जानिए – इसके पीछे की वजह..


    न्यूज डेस्क : आज के समय में भी हवाई जहाज पर चढ़ना कई लोगों के लिए सपनों जैसा है। विमान के जरिए यात्रा सरल और कम समय में पूरी की जाती है। बतादें कि हवाई जहाज से जुड़े कई ऐसी बातें हैं जिसे जान कर आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल, कोई भी विमान हवा में उड़ान भरता है तो कई सारे दुर्घटनाओं से बचना होता है। एक विमान में भारी संख्या में यात्रियों की जान अटकी रहती है।

    हवाई जहाज के हवा में उड़ान भरने के दौरान सबसे अधिक खतरा पक्षियों से होती होता है। किसी पक्षी के विमान के इंजन में टकरा जाने से एक दुर्घटना हो सकते है। इससे बचने के एक विमान के इंजन की टेस्टिंग की जाती है। टेस्टिंग के दौरान विमान के इंजन में चिकन गन के माध्यम से इंजन में मुर्गा फेंका जाता है। इस टेस्टिंग के पिछे एक महत्वपूर्ण वजह है। ये वजह लोगों को शायद ही पता हो।

    इंजन में मुर्गा फेंके जाने का कारण

    इंजन में मुर्गा फेंके जाने का कारण

    कई बार आसमान में उड़ते समय पक्षी विमान से टकरा जाते हैं और इससे बड़े हादसे होते हैं। एक पक्षी की वजह से विमान में बैठे सभी यात्रियों की जान को खतरा होता है, ऐसे में इसे बनाने वाली कंपनी सिमुलेटर का इस्तेमाल करती है ताकि पक्षी के टकराने से विमान का इंजन काम करना बंद न कर दे. वाणिज्यिक विमानों को भी एक इंजन के साथ उड़ान भरने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसके साथ ही यह जांचा जाता है कि अगर कोई पक्षी इंजन से टकरा जाए तो क्या स्थिति होगी।

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